फुल न्यूड गर्ल सेक्स कहानी मेरी मौसी की है. उन्हें मेरे लंड से चुदाई में बहुत मजा आता था. एक रात मैंने उनके घर था, रात में मौसी पूरी नंगी होकर मेरे पास आई.
प्रिय पाठको,
मेरी पिछली कहानी
मौसी की जेठानी को मौसाजी के होते हुए चोदा
में अब तक आपने पढ़ा था कि दोपहर को मुझे रूपाली मौसी से पता चला कि मौसा जी रात को आने वाले हैं.
रात को मौसा आए और सबके खाना खाने के बाद रूपाली मौसा के साथ सो गई.
मेरा बिस्तर नीतू (मौसी की जेठानी) के साथ लगा दिया गया था.
रात को नीतू मूतने के लिए उठी, लेकिन रूपाली के कमरे आती मौसा जी और रूपाली की चुदाई की आवाजें सुनकर उसका भी मन चुदने को करने लगा.
इसलिए उसने मुझे जगाया और चोदने के बोला.
मैं तुरंत राजी हो गया और चुदाई शुरू हो गई.
अब आगे फुल न्यूड गर्ल सेक्स कहानी:
रात की थकान अभी भी मेरे बदन पर हावी थी इसलिए सुबह जल्दी उठने का मेरा कोई मन नहीं था.
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि कोई मेरा नाम लेकर मुझे जगाने की कोशिश कर रहा था, इसलिए मैंने आंख हल्की सी खोल कर देखने की कोशिश की.
मेरी आंखों के सामने जो दृश्य था, उस पर मुझे उस पर विश्वास नहीं हो रहा था.
मैंने देखा की रूपाली और नीतू दोनों पूर्णरूप से निर्वस्त्र मेरे सामने खड़ी थीं और मेरा नाम लेकर मुझे जगाने की कोशिश कर रही थीं.
मैंने उनसे पूछा कि तुम दोनों ऐसी हालत में मेरे सामने खड़ी हो … क्या हम तीनों के अलावा घर में और कोई नहीं है?
इस पर रूपाली ने बताया कि आपके मौसा और हर्ष तो सुबह 6:30 पर घर से निकल गए थे. अब हर्ष शाम को 5 बजे घर आएगा और आपके मौसा जी का कुछ पता नहीं, कब तक घर आएंगे.
मैंने उनसे बिना कपड़ों के रहने का कारण पूछा.
इससे पहले रूपाली कुछ बोल पाती, उससे पहले ही नीतू ने चिड़िया की तरह चहचहाते हुए बोलना शुरू कर दिया.
नीतू बोली- वो जब तुम यहां आये थे और मैं यहां नहीं थी, तो तुमने रूपाली से कहा था कि जब तक मौसा जी वापस नहीं आ जाते, तब तक तुम दोनों घर में बिना कपड़ों के रहेंगे. लेकिन मेरे आने के बाद ऐसा करने का मौका नहीं मिला, तो हमने सोचा कि आज जब तक हम तीनों घर में अकेले हैं. तब तक बिना कपड़ों के नंगे ही रहेंगे.
उसकी बात सुनकर मेरा मूड बन गया.
अब मैंने भी अपने कपड़े उतारे और हम तीनों बाथरूम में एक साथ घुस गए.
बहुत देर तक एक दूसरे के बदन से अठखेलियां करते हुए एक दूसरे को नहलाने लगे और बाथरूम से बाहर निकल आए.
बेडरूम में लगे बड़े से शीशे में हम तीनों एक दूसरे को देख कर हंस रहे थे.
रूपाली ने अपना बदन पौंछा, फिर नीतू का. फिर दोनों तैयार होने लगीं.
पहले दोनों ने मंगलसूत्र पहने, फिर एक दूसरे के बाल बनाने लगीं.
दोनों ने चूड़ियां पहनी, लिपस्टिक लगाई और हल्का सा मेकअप किया. बस कुछ कमी थी तो कपड़ों की.
ऐसा लग रहा था, जैसे जल्दी में वो दोनों कपड़े पहनना ही भूल गई हों.
जब तक हर्ष स्कूल से वापस नहीं आ गया, तब तक मैं नीतू और रूपाली के नंगे जिस्म से खेल कर उन्हें उत्तेजित करता रहा.
घड़ी में 4:00 बज रहे थे और हर्ष अपने स्कूल और ट्यूशन वापस आने वाला था.
हम एक दूसरे से अलग हुए और अपने कपड़े पहनने लगे.
मैं बाथरूम चला गया वापस आकर देखा तो हर्ष आ गया था.
रूपाली हर्ष को खाना खिला रही थी और नीतू रसोई के कामों में व्यस्त थी.
खाना खाने के बाद हर्ष मेरे साथ खेलने लगा.
रात को 8 बजे मौसा जी घर आए.
घर आते ही मौसा जी ने हाथ मुँह धोया और अलमारी से शराब की बोतल निकाल कर पीने बैठ गए.
मैं और हर्ष मौसा जी के सामने बैठे थे.
उन्होंने एक बार मुझसे भी शराब पीने को पूछा.
लेकिन मैंने मना कर दिया और हर्ष लेकर दूसरे कमरे में चला गया. मैं नहीं चाहता कि इस सबका हर्ष के ऊपर कोई बुरा असर पड़े.
मैं हर्ष का होमवर्क करवाने लगा.
रूपाली नीतू खाना बनाने लगीं और मौसा जी देर तक पीते रहे.
कुछ देर बाद रूपाली ने हमें खाना लाकर दिया.
मैंने हर्ष को खाना खिलाया और हर्ष वहीं पर सो गया.
उधर दूसरी तरफ मौसा जी ने इतनी ज्यादा शराब पी ली थी कि अब उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था.
किसी तरह उन्होंने खाना खाया और वहीं बेड पर लेट गए.
रात को 11:30 बजे रूपाली और नीतू जब किचन का काम खत्म करके मेरे कमरे में आईं तो एक बार मेरा मन किया कि रूपाली से मौसा जी के बारे में बात करूं.
लेकिन फिर रूपाली का उतरा हुआ चेहरा देखकर मैंने कुछ नहीं कहा.
रूपाली आयी और हर्ष को गोद में उठा कर कमरे से बाहर चली गई.
थोड़ी देर बाद पूरे घर में अंधेरा हो गया.
केवल हमारे कमरे की लाइट जल रही थी.
मैंने नीतू से बिना पूछे हमारे कमरे की लाइट बंद कर दी.
थोड़ी देर बाद नीतू अपने बिस्तर से उठकर नीचे मेरे बिस्तर पर आयी और मुझसे चिपक कर लेट गई.
नीतू मेरे होंठ चूमने लगी, उसने मेरे होंठ चूमते हुए मेरी अंडरवियर में हाथ डाल दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी.
मेरे होंठ चूसते हुए नीतू धीमे-धीमे से मेरे लंड की मुट्ठी मार रही थी जिससे लंड हल्का सा खड़ा होने लगा था.
कुछ देर बाद नीतू मेरी चड्डी उतारने की कोशिश करने लगी तो मैंने उसकी मदद की.
उसके बाद नीतू ने मेरे चिकने लंड को मुँह में भर लिया और चूस कर खड़ा करने लगी.
नीतू मेरे लंडमुंड के छेद को अपनी जीभ से सहलाती हुई मेरे लंड को मुट्ठी में भरकर आगे पीछे करने लगी.
थोड़ी देर के बाद नीतू की मेहनत रंग लायी और लंड ने अकड़कर अपना विकराल रूप ले लिया.
अब मेरा भी मन नीतू की चूत चोदने को करने लगा था तो मैंने नीतू खड़ा किया और उसकी मैक्सी उतार दी.
नीतू अन्दर से नंगी थी.
उसे मैंने बिस्तर पर लिटाया और अपना लंड उसकी मचलती चूत के ऊपर रख दिया.
मैंने उसकी दोनों टांगें पकड़ लीं और लंड को चूत के मुँह के सामने रखकर जैसे धक्का लगाता, तभी किसी ने हमारा दरवाजा खटखटा दिया.
दरवाजे पर हुई आवाज सुन कर एक बार को तो हम दोनों डर गए कि कहीं मौसा जी तो नहीं आ गए.
हम दोनों अपनी जगह से उठ खड़े हुए और एक दूसरे को देखने लगे.
नीतू मरी हुई चाल से चलती हुई दरवाजे के पास गई. लेकिन इससे पहले वो दरवाजा खोलती, दरवाजा एक बार और खटखटाया दिया गया.
परन्तु इस बार हमें उस तरफ से रूपाली की आवाज भी सुनाई दी तो नीतू ने तुरंत दरवाजा खोल दिया.
सामने रूपाली बिलकुल नंगी खड़ी थी.
ऊपर जाल से आती चाँद की रोशनी में रूपाली किसी अप्सरा जैसी लग रही थी.
जैसे ही रूपाली ने मुझे देखा तो वो तुरंत तेजी से मेरे पास आयी और सीने चिपककर सुबकने लगी.
मैंने रूपाली से इस समय फुल न्यूड यहां आने का कारण पूछा तो रूपाली ने सुबकते हुए कहा- प्लीज, आप कामवासना से सुलगते मेरे जिस्म को अपने प्यार से ठंडा कर दीजिए. दो दिनों से आपसे चुदी नहीं हूँ, तो मेरी वासना मुझे जलाए जा रही है.
तब मैंने रूपाली से पूछा- क्या मौसा जी ने तुम्हें आज भी संतुष्ट नहीं किया?
इस बात पर रूपाली झुंझला कर बोली- उस भोसड़ी वाले मादरचोद रंडी की औलाद का नाम भी मत लो … कल मुझे गर्म किया. फिर साला मुश्किल से पांच मिनट में ही मेरी चूत में सारा माल गिरा कर बगल में लुढ़क गया और किसी नामर्द की तरह टांगें पसार कर सो गया. सारी रात मैं आपके प्यार और आपके लंड के अहसास के लिए तड़पती रही. आज फिर से भोसड़ी वाले ने अपने कपड़े उतारे और मुझे नंगी करके चूमने लगा. अभी मैं गर्म हुई थी कि लंड को चूत पर छुआते ही साला झड़ने लगा. चूत के ऊपर ही सारा माल गिराकर फिर से चूतियों के जैसे सो गया. आप आज सारी रात मुझे इतना चोदिए कि मेरी चूत की वासना शांत हो जाए.
मैंने रूपाली से कहा- तुम यहां आ गई हो, रात को अगर मौसा उठे. उन्होंने तुमको अपने बगल में नहीं देखा तो कहीं वो तुमको खोजते हुए यहां न आ जाएं … और अगर ऐसा हुआ तो हम तीनों के लिए मुसीबत हो जाएगी.
मैंने नीतू की तरफ विनती भरी नजरों से देखा और उसे मनाने लग गया.
मैंने नीतू को समझाया कि केवल आज रात तुमको मौसा जी के बगल में लेटना होगा ताकि वो तुमको रूपाली समझ के उठे नहीं … और सोते रहें.
नीतू ने ऐसा करने से साफ़ मना कर दिया.
वो कहने लगी- मैं ऐसा नहीं कर सकती. वो मेरा देवर है और तुम मुझे उसके साथ सोने को बोल रहे हो. अगर वो रात में उठ गया और उसने मुझे अपने बगल में देख लिया तो मैं परिवार में किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी. तुम रूपाली के साथ इसी कमरे में सेक्स कर लो, मैं एक कोने बैठी रहूंगी.
मैंने नीतू से कहा- मौसा जी, ने इतनी ज्यादा शराब पी ली है कि अब वो सुबह से पहले नहीं उठेंगे.
मेरे और रूपाली के बहुत देर तक मनाने के बाद आखिर नीतू मान गई.
मैंने नीतू के होंठ चूम कर उसका धन्यवाद अदा किया.
फिर हम तीनों रूपाली के बेडरूम की तरफ चल पड़े. मैंने धीमे से कमरे का दरवाजा खोला और हम कमरे में दाखिल हुए.
कमरे में अंधेरा होने की वजह कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो मैंने लाइट जला दी.
बेड के पास यहां वहां रूपाली और मौसा जी के कपड़े पड़े हुए थे.
मौसा जी बेड पर किसी लाश की तरह पड़े हुए थे. उनका लंड मेरी छोटी उंगली जितना पतला और छोटा था जो खड़ा होने पर मुश्किल से थोडा सा और बड़ा हो जाता होगा.
मैंने एक बार अपने लंड को देखा जो मौसा जी के लंड से मोटाई और लंबाई के मापदंड में कई गुना श्रेष्ठ था.
नीतू आगे बढ़ी और मौसा जी बगल में लेट गई.
वो थोड़ी घबरा रही थी.
मैंने उसे समझाया- थोड़ी देर की बात है … लेटी रहो.
मैं उसके माथे को चूम कर कमरे की लाइट बंद करके रूपाली के साथ वापस आ गया.
कमरे में वापस आते ही रूपाली मुझसे चिपक गई और कुछ देर यूँ ही रूकी रही.
फिर उसने मेरे होंठों को चूमना चालू किया.
मैंने भी उसके होंठों के चुम्बन का जवाब अपने होंठों से दिया.
मैं उसके होंठों को इतनी जोर से चूम रहा था कि उनमें से कुछ जगह से एक दो बूंदें खून की निकल आयी थीं.
फिर मैं उसके कान की एक लौ को मुँह में लेकर चूसने लगा, जिससे रूपाली मदहोश होने लगी थी.
मैंने उसे नीचे झुकाया और अपना लंड उसके मुँह में घुसा दिया.
रूपाली भी मेरा लंड कुल्फी के जैसे चूस रही थी. मैं भी तेजी से उसके मुँह को चोदने में लगा हुआ था, जिससे उसके मुँह गौं-गौं की आवाज आ रही थी.
जब भी रूपाली से लंड चुसाते वक़्त मैं लंड को उसके गले के अन्दर तक घुसा देता तो उसका दम सा घुटने लगता और वो मेरी जांघों पर हाथ मार कर लंड निकालने का इशारा करने लगती.
ऐसे कई बार करने से उसकी आंखें आंसुओं से छलक गई थीं.
मेरा लंड भी उसके थूक से चिकना हो गया था.
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी लार से सनी चूचियां दबाने लगा.
मैं दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को निचोड़ रहा था और उसकी गर्दन पर लव बाइट बना रहा था.
आज मैं उसे चूम नहीं रहा था बल्कि उसके बदन पर अपने दांतों से काट रहा था ताकि उसके बदन पर मेरे प्यार की निशानी कई दिनों तक बनी रहे.
उसके गोरे और मुलायम चूचों पर मेरे हाथों के मर्दन से कहीं गुलाबी तो कहीं लाल निशान पड़ गए थे.
रूपाली मीठे दर्द से कराह रही थी.
जब भी मैं उसके निप्पल को जोर से उमेठ देता तो रूपाली मेरी बाजुओं को कसके पकड़ लेती.
थोड़ी देर बाद मैंने उसके एक निप्पल को मुँह में भर लिया और दांतों से दबा कर ऐसे चूसने लगा जैसे आज मैं उसमें से दूध निकाल कर ही रहूँगा.
उधर रूपाली दर्द से ‘आह्ह … ह्ह्ह … मां … धीमे करो ना … दर्द हो रहा है.’ कराहने लगी.
जब मैं उसकी नाभि को चूस रहा था, तब रूपाली एकदम से मचलने लगी थी.
उसको शायद कुछ ज्यादा ही जल्दी थी इसलिए वो मेरे सर को अपनी चूत की ओर धकेल रही थी.
मेरे सर को अपनी चूत के ऊपर करके रूपाली बोली- चाटो इसे!
मैंने उसकी चूत की दाने का चुम्मा लिया और उसकी चूत की लकीर पर उंगली घुमाने लगा.
फिर मैंने उसकी चूत पर कई चांटे मारे.
जब भी उसकी चूत पर चांटे मारता, तो रूपाली के मुँह से ‘आऊउच्च … आअह्ह … अम्म …’ जैसी सिसकारियां निकल जातीं.
थोड़ी ही देर में उसकी गुलाबी चूत लाल हो गई थी.
मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी सुलगती चूत पर रख दी. चूत पर जीभ का स्पर्श पाते ही रूपाली के चेहरे पर तृप्ति के भाव आ गए.
मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में उतार दीं और उसकी चूत चाटने लगा.
रूपाली भी अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के होंठ खोल कर चूत चटवाने में लगी हुई थी.
थोड़ी देर में मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था.
रूपाली भी जल्दी से चुदवाने के लिए मरी जा रही थी.
मैंने उसकी दोनों चूचियों को मुट्ठी में भर लिया और दबाते हुए रूपाली की चूत को चोदने लगा.
रूपाली मुझसे धीरे करने को कहने लगी लेकिन मैं रूका नहीं और उसे वैसे ही चोदता रहा.
कुछ समय बाद उसकी सिसकारियां चीखों में बदल गईं.
फिर जैसे ही रूपाली ने अपने मुँह को बंद करने के लिए अपने हाथ ऊपर किए तो मैंने तुरंत उसके हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिया.
अब रूपाली के न चाहते हुए भी उसकी हल्की चीखें कमरे से बाहर जाने लगी थीं.
कुछ मिनटों के बाद रूपाली ने लगभग मुझसे चीखते हुए कहा- हां, आप ऐसे ही चोदते रहिए मुझे … पिछले दो दिनों के बाद आज फिर से झड़ने वाली हूँ … आह और तेज चोदो अपनी पत्नी को … आज इस चूत का कीमा बना दीजिए आह साला मेरा नामर्द पति एक नम्बर का चूतिया है. उसे तो पता ही नहीं है कि औरत को कैसे खुश किया जाता है.
रूपाली क्या कह रही थी, मैं उस पर ध्यान नहीं दे रहा था लेकिन उसके शब्द मेरे जिस्म में जोशवर्धक दवा का काम कर रहे थे.
इसलिए मैं वैसे ही उसे हचक कर चोदने में लगा हुआ था.
फिर कुछ पल बाद रूपाली का बदन अकड़ने लगा तो ‘मैं … मैं … आई … आह … आई आईई …’ कहती हुई रूपाली ने झड़ना चालू कर दिया.
उसकी चूत से निकलते चूतरस का दबाव मैं अपने लंड के अगले भाग में महसूस कर रहा था.
इस तरह रूपाली जब तक झड़ती रही, तब तक मैं रूपाली को धीमे-धीमे चोदता रहा.
दोस्तो, सेक्स कहानी की लम्बाई के कारण इसको मजबूरी में यहीं रोकना पड़ रहा है. बाक़ी की चुदाई की कहानी का मजा अगले भाग में पढ़ने को मिलेगा.
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फुल न्यूड गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग: मौसी और उनकी जेठानी की चुदाई- 2