अभी तक इस कहानी के पहले भाग
मोटे लंड की प्यासी चूत और मेरा चोदू बॉस-1
में आपने पढ़ा कि ससुराल जाने के बाद मुझे गांडू पति मिल गया जो 3-4 मिनट से ज्यादा मेरी चुदासी चूत के सामने टिक ही नहीं पाता था. उसका लंड भी बहुत छोटा था. उसके बाद ससुराल वालों ने मुझे पैसों के लिए परेशान करना शुरू कर दिया. मैंने एक ऑफिस में जॉब कर ली जिसका बॉस मेरे मन को भा गया.
मैं उससे चुदने के सपने देखने लगी थी. उसके बार में सोच कर चूत में उंगली भी कर लेती थी.
ऐसे ही एक दिन ऑफिस टाइम खत्म होने के बाद उसने मुझे पीछे से आकर पकड़ लिया और उसके बाद हमारी चुदाई का खेल शुरू हो गया.
उसने मेरी चूत को चूसा-चाटा और फिर अपना लंड मेरे मुंह में देने के लिए तैयार होने लगा.
अब आगे:
उसने तेजी से अपनी पैन्ट की बेल्ट खोली और पैंट नीचे कर दी. उसने अपने आसमानी रंग के अंडरवियर को नीचे सरकाया. पकड़ कर मुझे नीचे फर्श पर बिठा दिया.
“चूस मादरचोद!! अच्छे से मेरा लौड़ा चूस!” रवि ने सिसकारी भरते हुए कहा.
मैं भी आतुर हो चुकी थी. आज कितने महीनों बाद उसके लौड़े का दीदार हुआ था. मेरा अंदाजा सही था. काफी लम्बा-चौड़ा बदन होने के कारण उसका लौड़ा 7 इंच लम्बा जबरदस्त साइज का था. देखने में अमेरिकन लौड़े की तरह दिख रहा था. उसका लंड अपना काम रस छोड़ रहा था. मैं पकड़कर जल्दी जल्दी उसके लंड को मुट्ठ देने लगी.
“फेंट दीपिका!! अच्छे से फेंट बेटा!” रवि बोला.
उसने मुझे बेटा कहा तो मुझे हल्की सी हंसी आ गयी. फिर मैं काम पर लग गयी. आज मैं भी उसे खुश कर देना चाहती थी. मैंने रवि बॉस का 7 इंच लम्बा और कम से कम 3 इंच मोटा लंड हाथ में ले लिया.
शानदार रसीला और बेहद जूसी लंड था. मेरी उँगलियाँ काम करने लगीं. जल्दी-जल्दी रवि के लंड को फेंटने लगी.
रवि ने मेरे सिर को पकड़ा और पास ले जाकर फिर से मेरे होंठों को कुछ मिनट तक चूसा. मैं पहले तो जीभ निकालकर उसका लंड चाटने लगी. फिर चूसने वाले काम पर लग गयी. फिर मुंह में लेकर किसी देसी रंडी की तरह उसके लंड को चूसने लगी.
“शानदार! जन्नत दिखा दी तूने दीपिका! और चूस बेटा! आह्ह …” रवि ने कामुक सिसकारी भरते हुए कहा.
मैं भी उसे आज अच्छे से संतुष्ट करना चाहती थी. मैं सीधे हाथ को फुर्ती से सांड जैसे लंड पर दौड़ा रही थी.
“ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह आह आह मजा आ रहा है … और चूस मादरचोद! और चूस!” रवि बड़बड़ाते हुए कहने लगा.
फिर मैं वासना के समुन्द्र में गोते लगाने लगी. बॉस का लौड़ा मुंह में लेकर जल्दी-जल्दी से सिर हिलाकर चूसने लगी. इसी बीच मेरे बाल खुल गये. रवि अपनी बड़ी सी बॉस वाली कुर्सी पर बैठा था. वो पीछे की तरफ झुका हुआ था और मुझसे लंड चुसाई करवा रहा था. मैं आज किसी रांड की तरह लगी थी.
रवि का लौड़ा प्रत्येक 8-10 सेकंड पर माल की कुछ बूंदे छोड़ रहा था जिनको मैं अपनी जीभ लगाकर चूस लेती थी. उसका माल नमकीन था. करीब 15 मिनट तक मैंने उसका लौड़ा चूसा.
“बहन की लौड़ी! अब मेरी गोली चूस!” रवि ने कहा.
मैंने उसकी गोलियां कस कर पकड़ लीं और जोर से दबा लीं।
“मारेगी क्या रंडी?” रवि दर्द से आह्ह करते हुए बोला.
“बहनचोद! आज तुझको मार डालूंगी.” मैंने कमीनापन बाहर निकालते हुए उसकी बात का जवाब दिया.
उसके बाद मैं फिर गोली चूसने लगी. गोलियों को भी 10 मिनट तक बुरे तरीके से चूस डाला.
“साली अब अपनी रसीली बुर के दर्शन करवा दे.” वो बोला और मुझे टेबल पर लेटने को कहा.
उसकी ऑफिस की टेबल बहुत बड़ी थी. मैंने साड़ी खोली. फिर पेटीकोट की डोरी खोली. उसे उतार दिया. अब सिर्फ लाल पैन्टी में थी मैं. मैं उसकी टेबल पर लेट गयी. रवि बॉस मेरे पैरों से खेलने लगा. वो मेरे पैर की उँगलियों पर किस करने लगा. खूब किस किया उसने. फिर मेरी दोनों जांघों को सहलाने लगा. मेरी जांघें बेहद चिकनी और सफ़ेद थी. वो किस करता रहा. फिर मेरे दोनों पैर खोल दिए उसने.
रवि की नजरें मेरी पैन्टी को घूरने लगी.
“रंडी! तू तो गीली हो गयी!” वह बोला.
“जब मुझसे लंड चुसाओगे तो और क्या होगा?” मैं तेज आवाज में बोली।
वो पास आ गया. ऊपर से लाल पैन्टी को अपनी जीभ लगा कर चाटने लगा. मेरी चूत के मीठे रस से मेरी पैन्टी भीग गयी थी. रवि चाटने लगा.
“आह आह सी … सी … हीईई … अईईई ओह” मैं सिसकरियां भरने लगी. वो रुका नहीं, आँखें बंद करके लगातार चाटता रहा. बस लगातार मेरी पैन्टी को चाट ही रहा था. मैं बेहद गर्म होने लगी.
“चाटो बॉस!! मजा आ रहा है … ओह्ह … ओह्ह्ह्ह” मैं अपनी गांड उठा उठाकर कह रही थी.
उसने 15 मिनट तक मेरी लाल पैन्टी को ऊपर से चूसा और चाटा. फिर उसे उतारने लगा. जल्दबाजी में उसने जल्दी से पैन्टी खींची. मेरी पैन्टी फटते फटते बची. फिर रवि ने मेरे पैर खोल दिये.
मुंह लगाकर मेरा बॉस मेरी चूत का अमृतपान करने लगा. मैंने दोनों आँखें बंद कर लीं. ऐसी सेक्सी हालत में ऐ.सी की हवा मुझे ठंडा कर रही थी. बड़ा सुकून मिल रहा था. मेरी चूत बहुत तरस रही थी उसकी क्रियाओं से गर्म होकर. मेरी चूत बहुत दिनों के बाद इस तरह से रस की गगरी छलका रही थी जिसको रवि साथ-साथ पी जा रहा था. सारा माल, सारा रस रवि बॉस चूस गया.
वह मेरा भोसड़ा पीने में व्यस्त था. मैं नंगी उसकी टेबल पर पड़ी थी. वो मेरी बुर को चाटने में लगा हुआ था.
मैं बार-बार गांड और कमर उठा देती थी.
“मेरा भोसड़ा पसंद आया बॉस?” मैं बोल पड़ी.
“अरे रंडी! तेरे भोसड़े पर तो अपनी पूरी जवानी कुर्बान कर दूँ!! ऐसा सेक्सी भोसड़ा है तेरा!” रवि सिर उठाकर बोला और फिर से चाटने लगा.
फिर वो चूत के होंठों को दांत से पकड़ कर रबर की तरह खींचने लगा. ऊई उईई मर गयी! आराम से बॉस!! ऊईईई सी … सी … आहह्ह” मेरी हालत खराब हो रही थी. वो आँखें बंद करके दोनों लबों को खींच रहा था. उसकी जीभ की नोंक एक इंच भीतर मेरी फुद्दी में घुस गयी थी.
रवि ने अपनी उंगली ली और मुंह में डालकर गीली की. फिर मेरी फुद्दी में घुसा दी और फेंटने लगा.
“अआअ धीरे … धीरे … करो बॉस!! आपकी उंगली चूत में लगती है … आह आह्हह्ह!” मैंने मजे में बोल रही थी
वो अपनी उंगली से मुझे चोदने लगा. मैं पागल हुई जा रही थी. वो एक तरफ उंगली करता और साइड से जीभ से चाट जाता. लगातार उंगली करने से चूत में जैसे आग लग गयी थी. मेरा बदन बहुत गर्म हो गया था. वो उंगली करता गया. रुका ही नहीं. फिर मेरी बुर से सफ़ेद माल आने लगा. रवि उसे भी अपने मुंह में लेकर चाट गया.
“साली रांड!! तेरे भोसड़े का सारा माल मैं ही पी जाऊंगा आज!” वो बोला.
इस तरह से काफी देर वासना का चोदम-चुदाई वाला खेल चला. फिर मैं झड़ने को आ गयी.
“मैं झड़ने वाली हूँ.” मैंने रवि बॉस से कहा.
रवि बॉस ने अपना मुंह मेरी भोसड़ी के सामने कर दिया. अभी भी वो जल्दी-जल्दी उंगली कर रहा था. फिर मेरी चूत अपना झरना छोड़ने लगी. पिचर-पिचर की आवाज के साथ पानी की पिचकारी निकली. रवि बॉस उसमें नहा गया. उसे उस सेक्सी पानी में नहाना-भीगना अच्छा लग रहा था.
उसका मुंह मेरे पानी से तर हो गया था. अभी भी रवि उंगली करता रहा. 2 मिनट बाद सारा पानी निकल गया. रवि ने अपने बदन पर बचे-खुचे कपड़े उतार दिए. मेरे सामने खड़ा होकर लंड को अपने हाथ में लेकर फेंटने लगा. उसका सात इंच का लौड़ा और भी ज्यादा धांसू लग रहा था.
मैं समझ गई कि वह मेरी चुदाई करने की तैयारी कर रहा है.
“बॉस!! धीरे-धीरे चोदना!!” मैं बोल पड़ी.
उसने सुना ही नहीं. रवि अपने लंड को बराबर फेंटता रहा. कुछ देर में उसका लंड किसी नीग्रो मर्द के मोटे लौड़े की तरह दिख रहा था. मैं डरी हुई सी घबरा रही थी. लंड की एक-एक नस तन गयी थी.
रवि अपने लंड को हिलाता हुआ मेरी तरफ बढ़ा. मेरे मन एक अजीब सा डर पैदा होने लगा था उसके लंड को देख कर. उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगा दिया. चूत के मुंह पर लंड का टोपा लगा तो मेरी दबी हुई प्यास जाग उठी. मन कर रहा था कि रवि के इस लंड को अपने अंदर ही समा लूं.
मगर रवि तो खुद ही मेरी चूत को चोदने के लिए मरा जा रहा था. मैं चुप रही और बस इंतजार कर रही थी कि अगले पल में क्या होने वाला है मेरी चूत के साथ.
रवि ने धचाक से लंड चूत में घुसा दिया. उसने मेरी कमर पकड़ ली. उसका लंड अंदर जाते ही मेरी आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे लगने लगा कि जैसे मैं किसी और ही दुनिया में चली गई हूँ. जब वापस से आंखों के सामने रोशनी आई तो मैंने होश में आकर देखा कि रवि जल्दी-जल्दी अपनी बड़ी सी टेबल पर लिटाकर चोदने में लगा हुआ है.
उसके लंड ने मेरी चूत को फैला दिया. इतना आनंद मैंने कभी महसूस नहीं किया था. उसके लंड को लेने के सपने मैं कई महीने से देख रही थी. इसी आनंद में मैं सी … सी … सी करने लगी. वह भी आह्ह ऊह्ह करने लगा.
वो रफ्तार बना रहा था. मैं उसका लंड खाने लगी. पहले उसके धक्के हल्के थे. मगर जैसे-जैसे चुदाई आगे बढ़ रही थी वैसे-वैसे अब वो बहुत आक्रामक लगने लगा था. कुछ ही मिनटों में उसने अच्छी रफ्तार पकड़ ली. सटासट फटाफट वो धक्के मारने लगा. मेरी फुद्दी से पट-पट-पट-पट जैसी ताली बजने की आवाज आने लगी. मैं अच्छे से चुदने लगी.
उसने 5 मिनट मुझे चोदा फिर अपना मुंह मेरे गुलाबी गुलाब के फूल जैसे दिखने वाले भोसड़े पर रख दिया. रवि बॉस फिर से मेरी चुदी हुई फुद्दी को चूसने लगा.
मेरी चूत अब मलाई जैसी दिख रही थी. नर्म, रस से सराबोर, चिकनी और बेहद सेक्सी बुर. वो चूस रहा था. एक-एक बूंद को वो पीना चाहता था.
“बॉस!! आराम से मेरी फुद्दी चाटो!! आह आह्ह … उई … उई … सी सी!!!” मैं मजे में कहने लगी.
वो मेरी फुद्दी की बूंद-बूंद पीता रहा.
“दीपिका! आज तूने खुश कर दिया है मुझे! तू कमाल की है! साली छिनाल! तेरे बाप ने तेरी माँ को बड़े प्यार से चोदा होगा जो तेरी जैसी बिजली पैदा हुई.” रवि गालियाँ देते हुए बोला.
“बॉस! बहनचोद! तेरे बाप ने भी तेरी माँ की गांड चोदी होगी जो तेरे जैसा चोदू लड़का पैदा हुआ.” मैं भी बोल पड़ी.
“हाँ मादरचोद! मैं चोदू मर्द हूँ! आज तू मेरी पावर देखना!” वो बोला.
रवि फिर से मेरी फुद्दी की एक-एक कली चाटने लगा. मैं पागल हो रही थी. मदहोश हो रही थी. वो प्यार से मेरी चूत को चूस रहा था. वो मुझे बहुत आनन्द दे रहा था. उसने 8-10 मिनट ले लिए. तबियत भर ली.
मैं किसी रंडी की तरह उसकी ऑफिस टेबल पर लेटी रही. उसने मुंह ऊपर उठाया. उसके होंठों के चारों ओर मेरी चूत का मीठा रस था. वो अपने 7 इंच के लंड को फिर से फेंटने लगा.
फिर लंड को उसने पकड़ा और मेरी चूत पर मोटे सुपाड़े को पटकने लगा.
“ऊऊऊऊ आई अई आह आह्ह ऊ!” मैं सिसकारी भरने लगी.
वो मेरी कुप्पा जैसी फूली हुई बड़ी सी फुद्दी को पीट रहा था. फिर लंड भीतर ठेलने लगा. मुझे दर्द हो रहा था. वो जल्दबाजी में था. रवि बॉस ने फिर से लंड भीतर पेल दिया. फिर खड़े होकर जल्दी-जल्दी पकापक पेलने लगा.
“ओह्ह मम्मी! आआ … आआ … ईई!” मैं सिसकने लगी.
वो इस बार और ज्यादा पावर से चोदने लगा. उसका लंड मेरी प्यारी सी बुर की कुटाई करने लगा. जैसे खलहड़ से हल्दी पीसते हैं ठीक उसी तरह वो मेरी बुर की पिसाई करने लगा. उसके लंड ने अचानक विकराल रूप ले लिया. सबकुछ अपने आप हो रहा था. जैसे कोई मशीन हो. वो मेरी बुर को अंदर 7 इंच तक तेज-तेज फाड़ रहा था. लग रहा था कि आज पूरी तरह फाड़ ही डालेगा.
फिर वो मुझ पर झुक गया और मेरे होंठों पर होंठ सटा दिए. मेरे सेक्सी होंठों को पीते-पीते उसने अनेक शॉट्स मारे. फिर मेरी कमर को दोनों साइड से पकड़ कर पेलने लगा. मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा. वो पूरा का पूरा पसीने से तर था. उसका पूरा बदन पसीने की छोटी-छोटी बूंदों से भर गया था.
अब भी चुदाई जारी थी. बड़ी देर के बाद वो झड़ने वाला था.
“दीपिका! छिनाल! माल बाहर निकालूं क्या??” रवि कहने लगा.
“मेरे मुंह पर निकालो बॉस!” मैंने अपने मन की इच्छा बता दी.
उसने जल्दी से लंड बाहर खींचा. मेरे मुंह की तरफ आया. तमतमाये लंड को हाथ में लेकर फेंटने लगा. मैंने भी अपना मुंह खोल दिया. मैं उसका माल पीने को आतुर थी. उसने लंड फेंटना चालू किया. जोर से लंड हिलाते हुए उसको फेंटता रहा. ऐसे ही करता ही रहा. बड़ी देर बाद जो झड़ा तो मैं तो उसके वीर्य की बरसात से सराबोर होने लगी. सटाक सटाक माल की बूंदें उसके लंड से निकल रही थीं. पिचकारी इतनी तेज थी कि कोई बूंद कहीं जाकर लगती और कोई कहीं जाकर गिरती.
मेरे फेस पर मेरे बॉस रवि का गर्म-गर्म माल गिरने लगा. मैंने मुंह खोल रखा था. कुछ माल मेरे मुंह में चला गया जिसे मैं पी गयी. वो धीरे-धीरे झटके लेते हुए पूरा का पूरा झड़ गया.
“चल दीपिका रंडी! चूस इसे!” रवि बॉस बोला.
मैं नीचे आकर फर्श पर बैठ गयी. उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. चूस-चूसकर उसके लंड को अच्छे से साफ़ कर दिया मैंने.
उसके लंड की चुदाई से मैं तृप्त हो गई थी. जब से मेरी शादी हुई थी मैं उसी दिन से प्यासी थी. रवि बॉस के जबरदस्त लौड़े ने मेरी सालों पुरानी तमन्ना पूरी कर दी थी. ऐसा चोदू मर्द मुझे मिल गया था जिसकी चुदाई पाकर कोई बांझ भी बच्चा जन दे.
मगर बात अभी खत्म नहीं हुई थी. मैं वहीं टेबल पर निढाल होकर पड़ी हुई थी. रवि बॉस अपनी बड़ी सी कुर्सी पर बैठा था. मैं अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी. ऐसा लग रहा था जैसे कोई बड़ा सा तूफान आकर थम गया हो. मैं उसी आनंद में डूबी हुई थी.
लगभग दस मिनट की शांति के बाद रवि बॉस ने मेरी जांघों पर फिर से हाथ फेरना शुरू कर दिया. मैं अभी भी वैसे ही पड़ी हुई थी. मैंने पूरी तरह से अपने आप को रवि बॉस के हवाले कर दिया था.
वह मेरी गांड के छेद पर उंगली चलाने लगा. उसने मेरी टांगों को ऊपर उठा लिया था और मेरी गांड के छेद को छेड़ रहा था. कुछ देर तक बाहर गांड के छल्ले पर उंगली चलाने के बाद उसने एक उंगली मेरी गांड में अंदर डाल दी.
मैं थोड़ी संभली मगर उसने मेरी टांगों को ऊपर उठा रखा था इसलिए उसी अवस्था में लेटी रही. रवि ने मेरी गांड में उंगली को अंदर तक घुसा दिया था. अब वह धीरे-धीरे मेरी गांड में उंगली को अंदर-बाहर करने लगा.
मुझे हल्का हल्का दर्द होने लगा मगर कुछ ही देर के बाद मेरी गांड को मजा सा आने लगा. मेरी गांड खुद ही खुलने लगी. अब उसने दूसरी उंगली भी मेरी गांड में डाल दी. वह दो उंगलियों से मेरी गांड की घाटी में गहराई नापने लगा.
मेरी गांड खुल रही थी. उसके मर्द हाथों से मेरी गांड में एक सनसनी सी पैदा हो रही थी. पहली बार किसी मर्द ने मेरी गांड को छेड़ा था. मैं उसका आनंद लेने लगी थी. कुछ ही देर में रवि बॉस की उंगलियां तेजी से मेरी गांड में अंदर-बाहर होने लगीं. मुझे मजा आने लगा.
उसके बाद रवि ने टेबल के ड्राअर को खोला और उसमें कुछ निकाल कर वापस से ड्राअर बंद कर दिया. मैंने उठ कर देखा तो उसके हाथ में वैसलीन की शीशी थी. उसने अपनी उंगली पर क्रीम लगा ली और मेरी गांड पर मलने लगा. उसने मेरी गांड में अंदर तक क्रीम लगा दी.
उसके बाद मेरे रवि बॉस ने अपने लंड पर भी क्रीम लगाई और क्रीम लगाते हुए उसका लौड़ा पूरा का पूरा तन गया.
उसने मेरी टांगों को उठाया और अपने लंड को अपने हाथ में लेकर मेरी गांड के छेद पर सेट किया और अंदर धकेलने लगा. उसका नीग्रो जैसा लंड मेरी गांड को फाड़ने लगा. मैं दर्द से बिलबिलाने लगी. मगर वह रुका नहीं.
पूरा लंड अंदर तक फंसा कर ही उसने दम लिया. मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी. इतना दर्द मुझे कभी महसूस नहीं हुआ था. फिर उसने अपने हाथों से मेरी चूचियों को दबाना शुरू किया. कुछ मिनट के बाद मेरा दर्द कम होना शुरू हो गया. उसका लंड मेरी गांड में फंसा हुआ था.
फिर रवि बॉस ने मेरी गांड की चुदाई शुरू कर दी. वह तेजी के साथ मेरी कुंवारी गांड को चोदने लगा. चूत तो कुंवारी नहीं थी मगर गांड अभी तक कुंवारी ही थी.
उसको मेरी गांड चोदने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था. उसने तेजी से मेरी गांड की चुदाई की और लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद वह मेरी गांड के अंदर खाली हो गया.
मेरी गांड खुल कर फैल गयी थी. मुझसे उठा भी नहीं जा रहा था. मैं वहीं टेबल पर पड़ी रही. कुछ देर के बाद उठने लगी तो बहुत दर्द हो रहा था. गांड में भी और चूत में भी ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने चीर दिया हो.
उसके बाद हमने अपने कपड़े पहन लिये.
रवि बॉस के साथ मेरी चुदाई की शुरूआत हो चुकी थी. अब मैं खुश रहने लगी थी. मुझे एक जवान चोदू मर्द मिल गया था.
आपको मेरी यह स्टोरी कैसे लगी, जरूर बताना.
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