फैंटेसी सेक्स स्टोरी मेरी मम्मी की वासना के बारे में मुझे दिखे एक स्वप्न की है. मैंने देखा कि मेरे पापा नपुंसक हो चुके है और मेरी सेक्सी मम्मी चुदाई के लिए तड़प रही है.
ये मेरी पहली सेक्स कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है. फैंटेसी सेक्स स्टोरी है यह!
मेरे घर में कुल 5 मेंबर हैं. मैं, मॉम डैड और दादा दादी.
मेरा नाम राजेश है. मेरी मॉम का नाम रश्मि है और पापा का नाम सूरज है.
हम लोग गुजरात में रहते हैं. पापा प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, जिस कारण से वो अक्सर शहर से बाहर ही रहते हैं.
हमारे घर की परिस्थिति भी इतनी अच्छी नहीं थी. हम लोग एक किराए के मकान में रहते हैं.
मेरी मॉम घर में सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ही घूमती हैं. वो ब्रा-पैंटी आदि कुछ भी नहीं पहनती हैं. मेरी पूरी फैमिली खुली विचारधारा वाली फैमिली है, तो मॉम घर में एकदम खुल कर रहती हैं.
मेरे पापा का एक बार एक्सीडेंट हो गया था, जिस कारण से उनका लिंग अब खड़ा नहीं हो सकता था और वो मेरी मॉम के साथ सम्भोग नहीं कर सकते थे.
ये एक बड़ा कारण था, जिस वजह से मेरी मॉम रोज रात को अपनी चुत और गांड में कुछ ना कुछ डाल कर खुद को शांत करती थीं.
मुझसे अपनी मॉम का ये दुःख देखा नहीं जाता था और मैं हर वक्त उदास रहने लगा था.
मेरा स्कूल में भी मन नहीं लगता था. मैं बस यही सोचता रहता था कि किस तरह से अपनी मॉम का कष्ट दूर कर सकूँ.
एक दिन मेरे बेस्ट फ्रेंड ने मुझसे पूछा- क्या हुआ राजेश तू हमेशा दुखी क्यों रहने लगा है?
पहले तो मैंने आना-कानी की, मगर जब उसने मुझे दोस्ती का वास्ता दिया तो मैंने उससे कसम खाने को कहा कि जो मैं तुझे बताऊंगा, वो तू अपने तक ही सीमित रखेगा और हो सके तो मुझे इस समस्या से निजात दिलाने में मदद करेगा.
अब मैंने उसे सारी बात बता दी.
उसने कहा- मेरे पास इसका सोल्यूशन है, अगर तू बुरा न माने तो बताऊं!
मैंने तुरंत हां कर दी और कहा- बता ना … मैं अपनी मॉम की हेल्प कैसे करूं?
उसने बताया कि मेरे बाजू वाले अंकल अकेले ही हैं. उनकी वाइफ अब इस दुनिया में नहीं रही हैं.
मैं उसकी तरफ देख रहा था कि ये उपाय बता रहा है या अपने पड़ोसी अंकल की समस्या बता रहा है.
उसने मेरी तरफ देखते हुए आगे कहा कि उनके पास बहुत पैसे हैं, पर कोई प्यार करने वाला नहीं है. तू उन अंकल से मिल ले … वो तेरी मॉम की हेल्प कर सकते हैं.
अब मेरी समझ में कुछ कुछ आने लगा था. उस दिन मैं और मेरा दोस्त उसके पड़ोसी अंकल के घर गए.
जब मैंने उन अंकल को देखा तो सन्न रह गया. उनका नाम रोहन अंकल था. वो बिल्कुल काले और 6 फीट की हाइट मोटे थे और देखने में किसी सांड जैसे लगते थे.
उन्होंने एक चुस्त सफेद पैंट पहनी थी, जिसमें से उनका मोटा लंड साफ़ फूला हुआ दिख रहा था. वो शायद उस वक्त कोई ब्लूफिल्म देख रहे थे.
मेरे दोस्त ने अंकल को मेरी सारी बात बताई.
तब रोहन अंकल ने मुझसे कहा कि बेटा तू अपनी मॉम की फोटो तो दिखा.
मैंने झट से मोबाइल में से अपनी मॉम की फोटो उनको दिखा दी
उन्होंने मेरी हॉट मॉम को देखते ही कहा- अरे ये तो बड़ी खूबसूरत हैं.
ये कह कर उन्होंने वो फोटो अपने मोबाइल में ले ली.
फिर उन्होंने मेरे दोस्त से कहा- तुम जाओ, मुझे राजेश से कुछ अकेले में बात करनी है.
मेरा दोस्त चला गया.
अब उन्होंने मेरे सामने ही अपना लंड निकाला और अपने मोबाइल पर लंड का सुपारा रगड़ने लगे.
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं, एक काला भैंसा सा आदमी मेरे सामने मेरी मॉम की पिक पर अपना लंड रगड़ रहा था.
तभी रोहन अंकल ने कहा- देख बेटे … तेरी मॉम बिल्कुल जवान गदरायी हुई मस्त माल है. मैं इनको चोदना चाहता हूँ और इन्हें अपनी बीवी बनाना चाहता हूँ. अगर तुम मेरा साथ दोगे, तो तुम्हारे घर की गरीबी दूर हो जायेगी, तेरी मॉम की वासना भी शांत हो जाएगी.
अंकल ने इतनी खुली बात कही थी कि मुझे एक बार में ही समझ में आ गया कि अंकल काले जरूर हैं मगर बात बड़ी उजली कर रहे हैं.
मैंने कहा- पर अंकल मैं अपनी मॉम से कैसे इस हेल्प की बात करूं?
अंकल- तू कल इनको मेरे घर पर लेकर आ जा. तू उनको बोलना कि मेरे घर पर उनके लिए एक जॉब है और पगार 20000 मिलेंगे … ओके!
मैं बीस हजार की जॉब सुनकर खुश हो गया और मैंने मन ही मन पक्का कर लिया कि मॉम जरूर ही इस जॉब के लिए रेडी हो जाएंगी.
फिर अंकल ने घर के हालात के बारे में जाना.
मैं उन्हें सब बता दिया कि डैड अब मॉम के सिर्फ पति भर हैं वो उन्हें सेक्स में संतुष्ट नहीं कर सकते हैं और घर में दादा दादी जी भी हैं.
अब अंकल ने कहा- मैं तुम्हारी मॉम को सिर्फ जॉब ही नहीं दूंगा. बल्कि तुम्हारे पूरे परिवार को अपने घर में रहने की इजाजत भी दे दूंगा. बस तुझे अपने दादा जी से इस कागज पर साइन कराने होंगे.
फिर अंकल ने अपनी टेबल की दराज से एक कागज निकाला और उस पर कुछ लिख कर मुझे देते हुए कहा कि अपने दादा से इस पेपर पर साइन जरूर से करवा लेना.
मैंने पूछा- अंकल ये किस चीज़ के पेपर हैं?
अंकल ने बिंदास कहा- बेटा, इसमें लिखा है कि तेरी मॉम अब से मेरे घर की रंडी है … और उस पर सिर्फ़ मेरा ही हक़ होगा. उसको, तू या तेरा बाप छू भी नहीं सकता.
मैं अपनी मॉम के लिए रंडी शब्द सुनकर एक बार को तो चुप हो गया मगर मैंने सोचा अंकल मासिक पगार इतनी ज्यादा दे रहे हैं कि मॉम मान ही जाएंगी.
मैं- अंकल … मगर ये सब मैं दादा जी से कैसे कह सकूंगा?
अंकल- बेटा वो मुझे नहीं पता, मुझे तो इस पेपर पर साइन चाहिए और कल के कल तू अपनी पूरी फैमिली को यहां लेकर आ सकता है. मैं सबके सामने तेरी मॉम को चोदकर अपनी रखैल बनाऊंगा, ताकि कल को किसी को कोई दिक्कत न हो.
मैं सोचने लगा कि अंकल सबके सामने मेरी मॉम को चोदेंगे.
अंकल- सोच ले राजेश … ऐसा मौका बार बार नहीं मिलता.
मैं- ओके अंकल मैं ट्राइ करता हूँ और शाम को आपको कॉल करता हूँ.
अंकल ने ओके कहा, तो मैं अपने घर पर आ गया. मेरी मॉम बाहर गेट पर सब्जी लेने जाने के लिए तैयार खड़ी थीं.
मुझे देख कर मॉम ने कहा कि बेटा मैं अभी सब्जी लेकर आती हूँ, फिर तुझे खाना परोस दूंगी.
मैंने कहा- मॉम मैं अपने हाथ से खाना परोस लूंगा. आप आराम से आ जाना.
मॉम चली गईं.
मैं तुरंत दादा दादी के पास गया और बोला कि दादा ये स्कूल का फॉर्म है, इस पर आप साइन कर दो.
दादा जी- ये फ़ार्म किस चीज़ के बारे में है बेटा?
मैं- कुछ नहीं दादा जी … आप साइन कर दो ना.
दादा जी- ले बेटा, साइन कर दिए.
मैंने पेपर उनके हाथ से लिया और थैंक्यू दादा जी कह कर झट से उस पेपर की पिक लेकर रोहन अंकल को भेज दी. अब मैंने उस पेपर को अपनी किताब में रख लिया.
रोहन अंकल का फोन आ गया. वो बोले- शाबाश बेटे, अपने दादा जी को बता दिया ना कि तेरी मॉम के साथ क्या होगा?
मैं- नहीं अंकल … मैंने उनसे झूठ बोलकर साइन करवा लिए हैं.
अंकल- ऐसे नहीं बेटे, ये गलत है. अब जाकर उनको सब सच बताओ और फोन ऑन रखना, मुझे तेरी बात सुननी है. चल जा अब जल्दी से अपनी मॉम के लिए सुख के काम कर.
मैं संकोच के साथ दादाजी के पास गया और उनसे बोला- दादाजी, मुझे आपसे कुछ बात करनी है.
दादाजी- हां बोलो बेटा क्या हुआ?
मैं- दादाजी मैंने झूठ बोलकर आपसे साइन करा लिए हैं .. मैंने एक काम किया है, जिसके लिए ये साइन जरूरी थी. वो काम, पता नहीं आपको कैसा लगेगा?
दादाजी- क्या किया तूने, बता?
मैं- मैंने हमारी ग़रीबी दूर करने के लिए एक डील कर ली है. अभी जो पेपर पर आपसे साइन करवाए हैं ना, वो स्कूल के नहीं थे … बल्कि मेरे दोस्त के पड़ोसी रोहन अंकल ने दिए थे.
दादाजी- उसमें क्या लिखा था बेटा … बताओ?
मैं- दादाजी, उसमें लिखा था कि कल से मेरी मॉम को उनके घर पर जॉब करनी है … उन्हें इसके एवज में 20000 रूपए मिलेंगे … और हम सब उनके साथ उनके घर में ही रहेंगे. हमारा मेरी मॉम रश्मि पर कोई हक़ नहीं रहेगा. हम सब उस घर में वही करेंगे, जो रोहन अंकल कहेंगे. बदले में वो हमारी सारी मदद करेंगे. हमारी ग़रीबी दूर हो जाएगी.
दादाजी- अरे बेटा, इसमें क्या फिक्र करने की बात है? बल्कि मुझे तो आज तुझ पर गर्व है कि तूने अपनी मॉम के लिए एक मर्द ढूंढा है, जो उसकी सारी कमी को पूरा करेगा. वैसे भी तेरी मॉम रश्मि को सूरज से अब किसी भी तरह का जिस्मानी सुख नहीं मिलता है. रश्मि मेरे सामने भी अपने शरीर को रगड़ती रहती है.
मैं हतप्रभ होकर दादाजी की बात सुन रहा था.
दादाजी- बेटा, तूने एकदम सही किया. ये समस्या तेरी दादी के साथ भी थी. उसने भी एक दूसरे कई मर्दों के साथ खेल खेला है. वो अपने समय की बहुत बड़ी रंडी रही है. यकीन नहीं होता … तो पूछ ले अपनी दादी से … बुला अपनी दादी को.
ये कह कर दादाजी ने खुद ही दादी जी को आवाज दे दी.
दादी आ गईं.
दादाजी- सुन री रंडी … ज़रा अपनी जवानी के रंडी वाले किस्से तो बता राजेश को.
दादी जी- ये आप क्या बोल रहे हैं?
दादाजी- अरे मेरी रंडी पहले पूरी बात सुन … जो काम मैं रश्मि के लिए नहीं कर पाया, वो आज राजेश अपनी मॉम के लिए कर आया है.
फिर दादा जी ने सारी बात दादी जी को बता दी.
दादी ने तुरंत अपने पूरे कपड़े निकाल कर मुझे अपनी चुत दिखाई. उनका फूला हुआ कचौड़ी सा भोसड़ा मेरे सामने आ गया था. उस पर झांटों का जंगल उगा हुआ था. मैं दादी जी की काली भोसड़ी देख कर समझ गया कि इन्होंने अपनी जवानी में गधे के जैसे मोटे और लम्बे कई लंड अपनी चुत के अन्दर लिए हैं.
दादी जी मेरे चेहरे की मुस्कान देख कर बोलीं- क्या हुआ बेटा … बड़ा मुस्कुरा रहा है.
मैंने उनकी चुत की तारीफ़ करते हुए कहा- वाउ दादी, आप तो नेशनल हाईवे जैसी लग रही हैं … हजारों ट्रक गुजर गए आप के ऊपर से तो. अब आप मेरी मॉम को सब कुछ बता दीजिए कि उसके बेटे और सास ससुर ने उसे इसी तरह के काम पर लगा दिया है.
दादी जी- हां बेटा, रश्मि के आते ही मैं उसको सब बता दूंगी … पर तेरे उस नामर्द बाप, यानि मेरे बेटे को तू कुछ मत बताना, वो जब आएगा तो सब कुछ अपनी बीवी से ही सुन लेगा … ठीक है?
मैं- ठीक है दादी जी.
कुछ देर बाद मेरी मॉम वापस आ गईं.
दादा जी ने मेरी मॉम को अपने पास बुलाया और उनसे कहा- सुनो बेटी रश्मि, यहां बैठो, हमें तुमसे कुछ बात करनी है.
मॉम- क्या बात है पापा जी?
दादा जी- देखो, एक काम मिला है, महीने में 20000 सैलरी मिलेगी. तेरा बेटा उस आदमी को अच्छे से जानता भी है. हमने तो हां कर दी है, बस अब तू अपनी बता दे.
मॉम बीस हजार रूपए की सुनकर खुश हो गईं और बोलीं- अरे पापा, जब आपने हां कर दी … तो मैं कैसे मना कर सकती हूँ.
दादा जी- पर बेटी हम सभी को वहीं पर रहना भी होगा और उस आदमी की कुछ शर्तें भी हैं.
मॉम- कैसी शर्तें पापा?
दादा जी- सुन .. सबसे पहली शर्त तो ये है कि आज से राजेश और तेरे पति का तुझ पर कोई हक़ नहीं रहेगा. तू वो ही करेगी, जो तेरे मालिक रोहन चाहेंगे.
मॉम- पापा, ये आप क्या बोल रहे हैं?
दादा जी- सुन बेटी, इससे हमारी ग़रीबी दूर हो जाएगी और मैं जानता हूँ कि मेरा बेटा तुझे अब खुश नहीं रख सकता है.
मॉम ने अपने अन्दर की ख़ुशी को दबाते हुए कहा- पर पापा में किसी और का हुक्म कैसे मानूँगी?
दादा जी- देख बेटी … हमने तो हां कर दी है और पेपर पर साइन भी कर दिए हैं. अब तुमने मना किया, तो वो हमको किसी तरह की मदद नहीं करेगा. अब तू ही सब कुछ कर सकती है.
मॉम ने कहा- ठीक है पापाजी, पर मेरी एक शर्त है कि आप लोगों पर उसका कोई हुक्म नहीं चलेगा. वो मेरे साथ चाहे जैसे जो कर ले, मुझे कोई दिक्कत नहीं है.
दादा जी- ठीक है बेटी, वो हम बात कर लेते हैं … और सुन हमें कल सुबह ही उसके घर जाना है. तू रेडी रहना.
मॉम- ओके पापा.
दादा जी- खुश रह बेटी.
फैंटेसी सेक्स स्टोरी के अगले भाग में आपको मैं अपनी मॉम की चुदाई की कहानी लिखूंगा. आप मुझे मेल करना न भूलें.
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फैंटेसी सेक्स स्टोरी का अगला भाग: मॉम की गदरायी जवानी की काल्पनिक कहानी- 2