चाची भतीजा सेक्स का मौक़ा मुझे मिल गया. मैं काफी दिनों से चाची की जवानी को चखना चाहता था. चाची भी मुझे पत्यार से देखती थी. एक दिन मैं उनके घर गया तो …
दोस्तो, मेरा नाम राहुल है और मैं ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ.
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं.
मेरी पिछली कहानी थी: पड़ोसन भाभी ने मुझे पटा कर चूत चुदवाई
आज मैं आपको अपनी चाची की गांड कैसे मारी, वो बताने जा रहा हूँ.
अगर आपको यह चाची भतीजा सेक्स कहानी अच्छी लगे, तो मेल करके जरूर बताएं.
मेरी चाची का नाम भावना था और उनका शरीर कसा हुआ था.
चाची के 36 के चूचे और 38 की गांड थी.
जब वो अपनी मादक गांड को हिला कर चलती थीं तो मेरा लंड खड़ा होकर सलामी देने लगता था.
मैं अपनी चाची को चोदने का मौका तलाशने लगा था.
कुछ दिन बाद मुझको मौका मिल गया.
एक दिन मैं चाची के घर किसी काम से गया था. मैं चाची के घर चुपके से जाता था ताकि कुछ देखने को मिल जाए.
कई बार मैंने चाची को नहाते हुए देखा था, उस टाइम वो सिर्फ पेटीकोट में ही रहती थीं और उनके चूचे मुझको दिख जाया करते थे.
एक बार तो चाची मुझे बाथरूम में नंगी नहाती हुई दिखी थीं और वो उस वक्त अपनी चूत में उंगली कर रही थीं.
मैं काफी देर तक उन्हें इस तरह से चूत में उंगली करते हुए देखता रहा था.
मैंने उस दौरान अपने लंड को हाथ से हिला कर अपनी मुठ मार ली थी और वापस अपने घर आ गया था.
मैं समझ गया था कि चाची की चूत लंड की प्यासी है, बस किसी तरह से उन्हें लंड मिलने की देर है, वो झट से चूत खोल देंगी.
मगर मेरे मन में चाची की गांड बसी थी.
उस दिन भी मैं इसी कारण चुपके से चाची के घर गया था.
मैंने देखा कि चाची कहीं दिख नहीं रही हैं तो मैं चाची के रूम में चैक करने के लिए गया.
उनके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था.
मैं दबे पांव चुपके से जा रहा था.
मैंने देखा कि चाची बेड के नीचे घुसी हुई हैं और चाची की गांड बाहर निकली हुई थी. उनकी गांड उस समय एकदम उठी हुई दिख रही थी.
चाची ने सफेद कलर का पेटीकोट पहन रखा था जिसमें से उनकी लाल रंग की पैंटी साफ़ नजर आ रही थी.
उनका पेटीकोट भीगा हुआ था, वो शायद पौंछा लगा रही थीं जिसकी वजह से वो बेड के नीचे घुस सी गई थीं.
जैसे ही मेरी नजर चाची की उठी हुई गांड पर पड़ी, मेरा लंड सलामी देने लगा.
मैंने सोच लिया कि आज मौका अच्छा है, आज तो मैं चाची को चोद ही दूंगा और चाची को पता भी नहीं लगेगा कि कौन उनके साथ चुदाई कर रहा है.
हालांकि मेरी ये सोच कितनी गलत थी कि चाची को पता नहीं चलेगा क्योंकि बाद में चाची ने खुद ही बताया था कि उनको मेरे होने का अहसास हो गया था.
मैं कमरे से धीरे से वापिस आ गया और रसोई में से एक कटोरी में सरसों का तेल ले लिया.
थोड़ा सा तेल अपने लंड पर लगा लिया.
फिर तेल की कटोरी हाथ में लेकर मैं चाची के कमरे में दुबारा चला गया.
मैंने वहां जाकर चाची की गांड पर हाथ रखा, तो चाची उचक गईं और बोलीं- कौन है, मुझको निकालो बाहर. मैं फंस गई हूँ.
लेकिन मैं कुछ नहीं बोला और चाची की गांड को सहलाने लगा.
चाची बोलीं- कौन है और ये क्या कर रहे हो … छोड़ो मुझे और जाओ यहां से.
लेकिन मैं अब भी कुछ नहीं बोला और चाची की गांड को सहलाता रहा.
चाची बार बार मना कर रही थीं कि छोड़ो मुझे … नहीं तो मैं चिल्ला दूंगी.
मगर मैं चाची की गांड को सहलाता रहा.
फिर मैंने चाची के पेटीकोट को ऊपर उठा दिया. अब चाची की गांड मेरे सामने थी, जिस पर सिर्फ एक लाल कलर की पैंटी थी.
मैंने चाची के दोनों चूतड़ों को पकड़ कर दबा दिया. उसके बाद मैंने चाची की पैंटी को घुटनों तक उतार दिया और चाची की गांड देखने लगा.
चाची की गांड बहुत छोटी सी थी और गुलाबी थी.
मैंने देर न करते हुए चाची की गांड पर तेल लगाया और एक उंगली चाची के गांड में डाल दी.
इससे चाची एकदम गुस्सा हो गईं और बोलने लगीं- कौन है साले और क्या कर रहा है, बाहर निकाल अपनी उंगली को और जा यहां से.
लेकिन मैंने चाची की एक बात नहीं सुनी और उंगली अन्दर बाहर करता रहा.
थोड़ी देर बाद चाची को भी मजा आना लगा, वो चुप हो गईं और सिसकारियां लेने लगीं- उह आह्ह्ह आउह्ह!
मैंने देर न करते हुए अपने लंड को चाची की गांड पर रखा तो चाची बोलने लगीं- साले गांड में मत डाल, डालना है तो चूत में डाल ले.
पर मैंने चाची की एक न सुनी और जोर का झटका दे मारा, जिससे मेरा लंड चाची की गांड में न जाकर बाजू में फिसल गया.
मैंने अपने लंड पर और तेल लगाया और चाची की गांड पर टिका दिया और हल्के से अन्दर डालने लगा.
जैसे ही मेरा लंड चाची की गांड में घुसा, चाची एकदम आगे को हो गईं और मेरा लंड फिर से निकल गया.
चाची बोलने लगीं- साले हरामी चूत मार ले, गांड में मत डाल … नहीं तो मैं हल्ला मचा दूंगी.
मैंने सोचा कि यदि इनको हल्ला मचाना होता तो अब तक आसमान सर पर उठा लिया होता.
ये सोचते ही मेरी हिम्मत बढ़ गई.
मैंने दुबारा से चाची की गांड पर लंड रखा और चाची की कमर पकड़ कर एक जोर का झटका दे मारा जिससे मेरा आधा लंड चाची की गांड में चला गया.
चाची दर्द से चिल्लाने लगीं- उन्ह साले कुत्ते बाहर निकल अपने लंड को … आंह मेरी गांड फट गई … आंह दर्द हो रहा है … लंड बाहर निकाल मादरचोद फट गई मेरी गांड.
मैंने एक झटका और मारा और चाची की गांड में अपना पूरा लंड उतार दिया.
चाची चिल्लाई जा रही थीं- उह्ह्ह् साले निकाल इसको … आहह मर गई मैं … लंड निकाल भोसड़ी के बाहर आंह निकाल आह के कमीने.
मगर मैं लगा रहा.
अब चाची रोने लगीं और कहने लगीं- प्लीज़ बाहर निकाल ले, बहुत दर्द हो रहा है.
मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और चाची की चूत को सहलाने लगा.
थोड़ी देर बाद चाची का दर्द भी कम हो गया और वो अपनी गांड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगीं.
मैं समझ गया कि अब चाची को भी मजा आने लगा है.
मैंने चाची की कमर को पकड़ा और उनको हचक कर चोदने लगा.
अब चाची भी मजे में सिसकारियां लेने लगीं, उनको भी गांड मराने में मजा आने लगा.
चाची बोलने लगीं- आह्ह्ह उन्ह चोद साले … चोद और जोर से चोद फाड़ दे मेरी गांड को … चोद भोसड़ी के बहुत मस्त लंड है तेरा … आज मेरी गांड को फाड़ दे.
मैं भी चाची को जोर से चोदने लगा और मैंने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी.
चाची भी अपनी गांड को हिलाने लगीं- अहह उहह चोद आह्ह चोद फाड़ दे मेरी गांड और जोर से चोद आहह उहह उहह मर गई आहह ऊईईई मार जोर से झटके मार … आहह आआह फाड़ और फाड़.
करीब 30 मिनट की घमासान चुदाई के बाद मैंने चाची की गांड में ही लंड का पानी निकाल दिया और चाची के ऊपर ही लेट गया.
पांच मिनट बाद चाची बोलीं- अब तो तूने मेरी गांड मार ली, अब तो बाहर निकाल दे मुझको!
लेकिन मेरा अभी और मन था चाची की गांड मारने का.
फिर मैंने चाची की एक बार और गांड मारी और मैं बेड पर ही लेट गया.
दस मिनट बाद मुझे लगा कि कोई मेरा लंड सहला रहा है. मैंने आंखें खोल कर देखा, तो वो चाची ही थीं. वो बेड के नीचे से निकल आई थीं.
मैंने जैसे ही चाची को देखा तो वो मुस्कुरा रही थीं.
उन्होंने कहा- मुझे पहले ही मालूम था कि तू है. मैं बिना बताए तुझसे चुदवाना चाह रही थी. लेकिन तू पूरा बेदर्दी निकला. मेरी कुंवारी गांड मार दी.
मैंने कहा- हां चाची, मुझे आपकी गांड बड़ी ही मस्त लगती थी और मैं न जाने कबसे आपकी गांड मारना चाह रहा था.
चाची बोलीं- अब तूने अपने मन की कर ली है. पर अब तू मेरे मन की कर.
मैंने कहा- बताओ चाची आपके मन में क्या है?
चाची बोलीं- मुझे अपनी चूत में तेरा लंड चाहिए.
मैंने कहा- तो उसमें क्या बड़ी बात है. आ जाओ मेरे लौड़े के ऊपर और चुदवा लो अपनी चूत.
चाची मस्ती से मेरा लंड फैंटने लगी थीं.
वो बोलीं- तेरा लंड तो खड़ा ही नहीं हो रहा है, मैं उसकी सवारी कैसे करूं?
मैंने कहा- अब जरा मुँह से लंड चूसो तो अभी लंड मूसल बन जाएगा चाची.
चाची बोलीं- मैं अभी तक तेरे चाचा का लंड भी कभी नहीं चूसा. मैं लंड नहीं चूस सकती.
मैंने कहा- चाची, लंड तो चूसना ही पड़ेगा. अन्यथा चूत में लंड नहीं जा पाएगा.
चाची बोलीं- साला बड़ा हरामी है. चल तू भी क्या याद करेगा.
ये कह कह चाची ने मेरे लंड को मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.
मुझे लंड चुसवाने में मजा आने लगा.
मैंने अपनी गांड उठा कर चाची के मुँह को चोदना चालू कर दिया.
चाची के मुँह से गों गों की आवाज आने लगी.
कुछ देर बाद मैंने कहा- चाची चलो 69 में मजा करते हैं.
चाची झट से मान गईं और चित लेट गईं.
मैंने उनके ऊपर 69 में पोजीशन बनाई और उनके मुँह में लंड दे दिया.
चाची लंड चूसने लगीं और मेरे गोटे सहलाने लगीं.
मैंने भी उनकी चूत में मुँह लगा दिया और उनकी चूत का स्वाद लेने लगा.
कुछ ही देर में चाची की चूत एकदम रसीली हो गई और वो चूत में लंड पेलने की कहने लगीं.
मैंने सीधे होकर उनसे पूछा- लंड की सवारी करना है या मैं ही पहले ऊपर चढ़ जाऊं?
चाची उठती हुई बोलीं- नहीं मुझे लंड की सवारी का मजा लेना है.
वो मेरे लौड़े पर अपनी चूत टिका कर बैठने लगीं.
कुछ ही पलों में मेरा समूचा लंड चाची की चूत में खो गया और चाची अपनी चूचियां मेरे सीने पर झुलाने लगीं.
मैंने उनकी एक चूची को पकड़ कर अपने मुँह में भर लिया और चाची आंह आंह करती हुई मुझे अपना दूध चुसवाने लगीं.
मैंने चाची के दोनों मम्मों को बारी बारी से खूब चूसा.
उस दौरान चाची अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ती रहीं और चूत चुदवाती रहीं.
कुछ देर बाद चाची की सांसें तेज तेज चलने लगीं और उनकी कमर कुछ ज्यादा ही तेजी से मेरे लंड को रगड़ने लगी.
मैं समझ गया कि चाची की चूत पानी छोड़ने वाली हो गई है.
मैंने उन्हें रोकते हुए कहा- चाची जरा रुको … इतनी जल्दी क्या है.
मैंने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और उन्हें नीचे लिटा कर फिर से लंड चुसवाने लगा.
इससे चाची की चूत की ज्वाला कुछ ठंडी पड़ गई.
दो मिनट बाद मैं फिर से चाची की चूत में लंड पेल कर उन्हें मिशनरी पोज में चोदने लगा.
दस मिनट और हचक कर चोदने के बाद चाची झड़ गईं. मैं भी आने वाला हो गया था.
मैंने चाची से पूछा- अन्दर ही निकल जाऊं या बाहर ही निकलूं?
चाची बोलीं- अब तू मेरे मुँह में आ जा.
मैंने लंड चूत से खींचा और चाची के मुँह से लंड चुसाई का मजा लेने लगा.
मुश्किल से तीस सेकंड में मेरा लंड फूट पड़ा और चाची ने मेरे लौड़े का सारा माल खा लिया.
हम दोनों को चुदाई में काफी मजा आया था.
चाची मेरे बगल में नंग लेट कर मुझसे बात करने लगीं कि न जाने मैं तुझसे कब से अपनी प्यास बुझवाना चाह रही थी.
मैंने कहा- चाची, मुझे जरा सा भी अहसास होता तो मैं अब तक आपको न जाने कितनी बार चोद चुका होता.
इस चाची भतीजा सेक्स के बाद से वे मेरे लंड की मुरीद हो गईं.
हम दोनों ने उस दिन एक बार और चुदाई का मजा लिया फिर मैं अपने घर आ गया.
उसके बाद चाचा को दस दिन के लिए बाहर जाना था.
उन दस दिनों में मैंने चाची की चूत और गांड दोनों किस तरह से मारी, वो सब कैसे हुआ, मैं उस सेक्स कहानी को अपने अगले भाग बताऊंगा.
आपको मेरी चाची भतीजा सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल करके जरूर बताएं.
आपका अपना दोस्त राहुल
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