दोस्तो, मेरा नाम सिद्धार्थ है, मैं महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रहता हूं. मैं अपने बारे में आपको बता दूँ कि मैं एक आम सा दिखने वाला लड़का हूँ. मेरा कद 5 फुट 11 इंच है और लंड 7 इंच का है. मेरा शरीर तो वैसे फिट है और स्टैमिना भी बहुत अच्छा है.. क्योंकि मैं एक स्पोर्ट प्लेयर हूँ.. पर चुदाई के बारे मैं कुछ ज्यादा ही अच्छा हूँ.
ये बात अभी इसी साल नवरात्रि की है. मैं और मेरा दोस्त मेले में घूमने के लिए गए थे. रात का समय था और बहुत भीड़ थी, इतनी ज्यादा भीड़ थी कि ठीक से चलने की भी जगह नहीं थी.
उतने में मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- चलो झूला झूलते हैं, वो जो बड़ा वाला गोल होता है.
यह झूला सबसे बड़ा काफी ऊंचाई तक जाता है और नीचे आते समय एकदम से दिल काँप उठता है, लेकिन मजा बहुत आता है.
मैंने हां कहां और हम टिकट लेकर लाइन में खड़े हो गए.
अब तक हम बस झूलने के बारे में सोच रहे थे, पर अचानक मेरी नजर हमारे पीछे खड़ी एक औरत पर गयी. हमारी नजरें टकराईं और क्या बताऊं दोस्तो, उसकी आंखों में मैं जैसे खो गया. इतनी प्यारी आंखें थी उसकी.. अब मैं उसे अच्छे से देखने लगा. उसकी उम्र लगभग 33-34 साल की होगी, रंग गोरा और वो एक शादीशुदा औरत थी. उसके बूब्स छोटे थे पर गांड ऐसी थी कि लंड खड़ा हो जाए.
उसके साथ 2 छोटी लड़कियां थीं और एक उसी की उम्र औरत भी थी. पर फिर भी मैं तो उसे एकदम घूर घूर के देखने लगा लेकिन वो इतना नहीं देख रही थी.
उतने में मेरे दोस्त ने मुझसे पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने उसे बताया- मुझे वो अच्छी लगी, पर वो मुझे ज्यादा नहीं देख रही है.
उसने कहा- औरतें ऐसी ही होती हैं.. दिल में हां होकर भी चेहरे पर दिखने नहीं देतीं. तू देख उसे, हो सकता है काम बन जाए.
मैं उसे देखने लगा. झूले में पूरा समय में उसे ही देख रहा था, तो शायद उसे भी मजा आ रहा था. वो भी कभी कभी मुझे देख लेती थी और कभी हंस भी देती थी.
कुछ देर बाद हम सभी झूले से उतर गए. उतरने के बाद मैं नीचे गया और उसके पास जाकर खड़ा हो गया, पर ज्यादा पास नहीं गया और बस उसे घूरने लगा. मुझे पता है औरतों को ऐसा पसंद नहीं है कि कोई उन्हें इतना घूरे, पर अब हम और कर भी क्या सकते थे.
तो दोस्तो, मैं करीब 10-15 मिनट बस उसे यूं ही घूर कर देखे जा रहा था. कुछ देर बाद बाद वो भी मुझे देख रहे थी, पर उसके साथ एकहम उम्र औरत और थी वो उन दोनों लड़कियों के साथ बातचीत में व्यस्त थी. भीड़ की वजह से वो मुझे ठीक से देख नहीं पा रही थी, पर शायद उसे भी मैं पसंद था.
इसलिए उसने थोड़ा जोर से कहा- चलो, अब दूसरे झूले में बैठते हैं.
पर दूसरी औरत बोली- तुम लड़कियों को लेकर चली जाओ.. मुझे झूला अच्छा नहीं लग रहा है.
उसका यह इशारा मेरे लिए था, मैं समझ गया और मैंने अपने दोस्त से कहा- हम भी उधर चलते हैं.
उसने हामी भर दी, तो मैंने टिकट ले लिया और वहां लाइन में चले गए. उस झूले में एक साथ बस दो ही लोग बैठ सकते थे तो उसने उन लड़कियों को साथ में बैठा दिया और खुद एक अलग जगह जाकर बैठ गयी.
मैं बिल्कुल वक्त न गंवाते हुए सीधा उसके पास गया और पूछा- क्या मैं यहां आपके साथ बैठ सकता हूँ?
उसने हां में सर हिलाया और मैं उसके बाजू में बैठ गया. झूले में जगह कम ही होती है तो मैं उससे सट कर बैठा हुआ था.
मैंने बैठने के बाद उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम आंचल बताया और पूछने लगी- तुम मुझे इतनी देर से क्यों घूर रहे थे?
मैंने कहा- आप हो ही इतनी अच्छी कोई भी देखेगा.
वो इस पर मुस्कुरा दी.
मैंने उसकी थोड़ी तारीफ की और कहा- मुझे आप बहुत अच्छी लगी हो, क्या मैं आपका नम्बर जान सकता हूँ?
वो मुस्कुराते हुए बोली- किस चीज का नम्बर?
मैंने अचकचा गया और कहा- फोन का नम्बर दे दीजिएगा.
जबकि उसने मेरे साथ हल्की सी मसखरी की थी, जिससे मैं उसकी तरफ और मस्ती से देखने लगा.
मैंने हिम्मत करते हुए कहा- फोन का नम्बर भी दे दो और अपनी ब्रा का नम्बर भी दे दो.
तो उसने एकदम से सुर बदल दिया और कहा- नहीं … बस यहीं तक ठीक है.
पर मेरे जोर देने पर उसने कहा कि तुम अपना नम्बर मुझे दे दो. मुझे लगेगा, तो मैं कॉल करूँगी.. नहीं तो नहीं करूँगी.
मैंने नम्बर दिया.
उसने फिर से कहा- अब घूरना मत मुझे और मेरे पीछे भी मत आना.
मैंने उसे हां कह दी.
उसकी इस बेरुखी के बाद भी उसका न चिल्लाना मुझे सुखद सा लग रहा था. फिर झूला झूलने तक बस उसके शरीर की गर्मी से मदमस्त होता रहा और उसको ‘बाय सेक्सी..’ कह कर वहां से चला गया.
अगले दिन में दिन भर उसके कॉल की राह देख रहा था, पर उसका कॉल नहीं आया. मुझे लगा मुझसे पीछा छुड़वाने के लिए उसने ऐसा कहा और अब उसका कॉल नहीं आएगा.
पर वो कहते है ना ये दिल है कि मानता नहीं.. वही हुआ और मैं उसके कॉल का इंतजार करने लगा.
एक से दो दिन हो गए और दो से चार दिन हो गए, लेकिन उसका कॉल नहीं आया. फिर मैं अपने जीवन में व्यस्त हो गया और इसके बारे में सोचना छोड़ दिया.
पर अचानक एक दिन मुझे अनजान नंबर से कॉल आया. मैंने फ़ोन उठाया और वहां से आवाज आई- हैलो मैं आंचल बोल रही हूँ.. पहचाना?
आह.. क्या बताऊँ दोस्तो मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था. बस वो मुझसे यहां वहां की बातें करने लगी. फिर हमारी रोज बातें होने लगीं और मैं उसे रोज धीरे धीरे गर्म करने लगा.
फिर वो दिन आ ही गया, जिसका मुझे इंतजार था. वो मुझसे चुदने के लिए मान गयी.
मैंने उसे अपने एक दोस्त के घर बुलाया, जो खाली था. मैं उसे वहां ले गया और जाते ही उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और पागलों की तरह उसे चूमने लगा. वो भी कुछ ज़्यादा ही जोश में थी. उसने मुझे बेड पर गिरा दिया और खुद मुझे पागलों की तरफ चूमने लगी. मुझे गले पर.. कान पर.. वो हर जगह चूम रही थी.
फिर उसने मेरी शर्ट उतारी और मेरे सीने पर.. नाभि पर.. पेट पर चूमे जा रही थी. मैं उसका जोश देखते हुए उस पर चढ़ गया और मैं उसके पूरे जिस्म को चूमने लगा. फिर मैंने उसकी सलवार कमीज़ ब्रा पैंटी सब उतारी और अब अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को मसलने लगा. उसकी गर्दन को.. उसके हाथों को.. उसके चेहरे को.. चूमता ही जा रहा था. वो जोर जोर से आहें भर रही थी- आ… आह… आ.. आह.. अ.. अहं…
फिर मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया.
अब तो वो जैसे पागल सी हो गयी थी. मेरे बाल नोंच रही थी, मेरा सिर पकड़ कर दबा रही थी और कहे जा रही थी- आह.. चूस ले.. और चूस.. बहुत दिनों की आग है.. मिटा दे इसे.
ये सुन कर मैं और जोश में आ गया और उसकी जांघों को फैला कर उसकी चिकनी चूत को चूमने लगा. चूत चूमते चूसते हुए ही मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं. वो तो पूरी तरह पागल हो गयी थी और पूरी की पूरी एकदम लाल हो गयी थी. उसने मेरा सिर पकड़ा और सीधे उसकी चूत पर रख कर दबा दिया और मैं मजे से उसकी चूत चाटने लगा.
क्या बताऊँ … ऐसे चूत चाटी कि उसकी चुत का पानी निकल गया. फिर वो थोड़ी शांत हुई और मेरे लंड पर हाथ फिराने लगी. उसने मेरी पैंट खोल के लंड को बाहर निकाल लिया और कहा- हाय.. इतना बड़ा…
उसने सीधे अपने मुँह में लंड ले लिया और चूसने लगी.
मेरा लंड वैसे तो 7″ का है पर मोटा बहुत है इसलिए उसके मुँह में जा नहीं रहा था. मैंने उसका सिर पकड़ा और सीधे लंड उसके मुँह में उसके गले तक लंड घुसेड़ दिया. उसकी आंखों से पानी निकल आया.. पर वो मजे से लंड चूसे जा रही थी.
फिर तकरीबन 10 मिनट बाद मैंने उसे अपने नीचे ले लिया और कॉन्डम पहन कर धीरे से उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया. उसने भी टांगें फैला दीं. मेरा लंड धीरे धीरे अन्दर घुसने लगा, पर चूत सिकुड़ी हुई थी इसलिए शायद मेरा लंड अन्दर ठीक से जा नहीं पा रहा था.
फिर मैंने एक जोर का झटका मारा तो मेरा लंड आधा अन्दर चला गया. दर्द से उसकी आंखों से पानी आ रहा था.. पर वो दांतों को भींच कर दर्द जता रही थी.
मैंने पूछा- लंड निकाल लूँ क्या?
तो कहने लगी- ये थोड़ा सा दर्द है.. अभी बस यूं ही लगे रहो.. बाद में मजा ही मजा आने वाला है.
मैंने भी फिर जोश में एक और झटका मारा और इस बार पूरा लंड अन्दर घुसेड़ दिया. अब वो चीख रही थी, चिल्ला रही थी. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करने लगा. बस 5 मिनट बाद उसे भी मजा आने लगा और वो जोर जोर से उछलने लगी.
इसके बाद हमने पोजीशन चेंज की और मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा. वो झट से पलट गई और मैंने पीछे से लंड घुसा दिया. वो मचल मचल के गांड हिला रही और चिल्ला रही थी- और जोर से मेरे राजा.. और जोर से…
बस फिर क्या था.. मैंने भी और जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए. वो पागल सी हुए जा रही थी- बस रगड़ दे जोर जोर से.. चोद ऐसे ही.. ज़िन्दगी भर चोदते रहो मुझे.. मैं तुमसे दिन रात चुदवा सकती हूँ मेरे राजा!
वो ये सब कहती रही और अचानक पलट कर मेरे ऊपर बैठ गयी. उसने कहा- अब तुम आराम से बैठो.. मैं मजे देती हूं तुम्हें!
फिर दस मिनट के बाद हमने पोजीशन चेंज की और मैं ट्रेडिशनल पोज़ में उसे चोदने लगा. वो बस जोर जोर से आन्हें भर रही थी ‘आ.. आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ… आह…. और जोर से राजा.. मेरी चूत फाड़ दो तोड़ दो इसे.. और जोर से करो!
इसके बाद हम दोनों साथ में झड़ गए और उसके बाद आधा घंटा ऐसे ही पड़े रहे.
कुछ देर बाद दूसरे राउंड की बारी थी.
ऐसे ही मैंने उसे उस दिन 3 बार चोदा और फिर हम घर चले गए.
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