सगी बहन की गांड चुदाई का मजा मेरे भाई ने मेरी गांड में अपना मोटा लंबा लंड घुसेड़ कर लिया. मैं गांड मरवा लेती थी पर इंतना लम्बा और मोटा लंड मेरी गांड में कभी नहीं गया था.
प्रिय पाठको, आपने मेरी पिछली कहानी
मौसी की बेटी भाई और उसके दोस्त से चुदी
में पढ़ा कि मेरी मौसी की बेटी निहारिका हमारे घर आई. उसके साथ उसका सगा भाई और भाई का दोस्त भी आया था. निहारिका ने मम्मी पापा के बेडरूम में उन दोनों लड़कों से आगे पीछे का सेक्स किया.
यह कहानी सुनें.
Sagi Bahan Ki Gand Chudai
अब आगे सगी बहन की गांड चुदाई का मजा:
दो दिन बाद मम्मी पापा आ गए.
इधर मेरे भैया भी पंजाब से आ गए थे।
घर में मेरे और भैया के शारीरिक सम्बन्ध के बारे में किसी को पता नहीं था।
भैया शाम को 5 बजे पहुंचे थे।
हम सब ने हॉल में बैठ कर दो दिन बाद की योजना बनाई और खाना खाया।
मैं निहारिका, निकिता और भैया खाना खाने के बाद छत पर चले गए।
मेरी आदत है कि मैं खाना खाने के बाद या शाम को छत पर बहुत देर तक अकेली बैठती हूँ।
जब भैया होते हैं तो हम दोनों या तो पार्क में या छत पर ही बैठ जाते हैं और इधर उधर की बातें करते रहते हैं।
उस दिन हम चारों छत पर बैठे थे और आपस में निकिता के होने वाले पति के बारे में बातें कर के निकिता के साथ मजाक कर रहे थे।
हम दीवार पर बैठे थे।
एक कोने पर मैं, फिर भैया, फिर निहारिका और निहारिका के साथ में निकिता बैठी थी।
थोड़ी देर बात करने के बाद मुझे मेरे कूल्हों पर महसूस हुआ कि किसी ने मेरे कूल्हों को छुआ है.
मैंने देखा कि वह भैया का हाथ है।
भैया ने हाथ हटा लिया और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दिए।
मैं भी हल्का सा मुस्कुरा दी।
तभी ममा नीचे से चटाई लेकर आ गयी।
हालाँकि ममा कभी भी ऊपर नहीं आती थी।
ममा ने चटाई बिछा दी और बैठ गयी।
तभी पापा भी आ गए।
मैंने ऊपर टँकी के साथ बने कमरे से कुर्सी निकाल कर पापा को दी।
पापा कुर्सी पर बैठ गए।
निहारिका निकिता और भैया ममा के साथ बैठ गयी।
मैं वहीं दीवार पर पैर लटका कर बैठी रही।
हम आपस में मजाक करते रहे और निकिता के होने वाले पति के बारे में बात करते रहे।
करीब 8 बज गए थे, सभी नीचे आ गए।
भैया भी मेरे साथ वाले कमरे में सोते हैं।
जब वे अपने कमरे में जाने लगे तो मैंने कहा- इतने दिन बाद आये हो और आपको अलग कमरे में सोना है? मेरी कोई अहमियत ही नहीं समझता घर में!
तभी पापा बोले- उस कमरे में सो जाओ तुम तीनों!
भैया मान गए।
भैया भी और मैं भी यही चाहती थी।
ममा निकिता और पापा नीचे आ गए।
तब ममा मुझे साथ ले गयी और बोली- मोनी, तू नीचे से भैया के लिए और निहारिका के लिए दूध ले आना।
मैं नीचे से दूध ले आई और सीढ़ियों के दरवाजे को बन्द कर दिया।
मेरे कमरे में डबल बेड था और सोफ़ा था जो सोने के लिए बेड में बदल जाता था।
हम तीनों ने दूध पिया।
मैं और निहारिका बेड पर लेट गयी और भैया सोफे पर।
मैंने अपना फ़ोन उठाया और इंस्टाग्राम चलाने लगी।
तभी मेरे पास भैया का मेसेज आया।
मैंने देखा तो उसमें लिखा था- मोनी आज एक साल बाद मिल रहे हैं। निहारिका के सोने के बाद दूसरे कमरे में आ जाना।
मैंने भैया को लिख दिया- क्यूँ न आज आपको निहारिका के साथ सोने का मौका दिया जाये?
भैया का जवाब आया- मोनी, मैं सीरियस बात कर रहा हूँ। तुझे नहीं आना तो मैं अपने कमरे में ही सो जाता।
मैंने जवाब दिया- ठीक है, थोड़ा सब्र करो।
और मैंने कमरे की लाइट बन्द कर दी, कम रोशनी वाला बल्ब जला दिया।
भैया ने अपने कपड़े उतार दिए और अंडरवियर में ही लेट गए और फ़ोन में लग गए।
9:30 बजे तक हम फ़ोन में लगे रहे।
मैंने चुपके से नीचे जाकर देखा तो निकिता के कमरे की लाइट बन्द थी वह सो गयी थी।
पापा के रूम में झाँक कर देखा तो ममा और पापा भी बिना कपड़ों के सो रहे थे और कमरे में हल्की रोशनी थी।
मैं ऊपर आ गयी.
मैंने भी कपड़े उतार दिए और ब्रा पैंटी में लेट गयी।
निहारिका धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई- भैया ने देख लिया तुझे बिना कपड़ों के … तो?
मैंने भी कहा- तू भी उतार दे, तू जो विक्की के साथ करती है, मैं भी भैया के साथ वही करती हूँ।
निहारिका ने मना किया तो मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, तू कपड़े उतार तो सही!
तो निहारिका ने चादर ओढ़ कर अंदर ही कपड़े उतार दिए।
तभी मैंने भैया को कहा- भैया मेरे सेलफोन से ब्लूटूथ जुड़ नहीं रहा, देखना एक बार!
भैया मेरे पास आ गए।
मैं बैठ गयी तो हल्की लाल रोशनी में मेरा चमकता हुआ बदन भैया को दिखाई देने लगा।
भैया ने एक बार मुझे देखा और एक बार निहारिका को।
तब मैंने निहारिका की चादर हटा दी और बोली- तेरा ब्लूटूथ कहां है?
चादर हटते ही निहारिका शरमा गयी।
मैंने भैया को कहा- यहीं सो जाओ बेड पर … यहां बहुत जगह है।
भैया ने हाँ बोल दिया और मुझसे पीने के लिए पानी माँगा।
मैंने उनको पानी दिया और भाई के साथ बैठ गयी।
एक तरफ निहारिका सो रही थी, फिर भैया बैठे थे और फिर मैं बैठी थी।
तब तक भैया ने मेरे ब्लूटूथ को कनेक्ट कर दिया और वहीं लेट गए।
हम दोनों भैया के अगल बगल लेटी थी, वह भी ब्रा और पैंटी में।
लाजमी था कि भैया के लण्ड में उतेजना होनी ही थी।
मैं बिल्कुल साफ देख रही थी कि हमारे अर्धनग्न शरीर देखकर भैया के लण्ड में हलचल होने लगी थी।
मैंने भैया के ऊपर अपनी एक टांग रख दी और पेट अपना हाथ रख दिया।
धीरे धीरे मैं भैया के पेट को सहलाने लगी।
बीच बीच में मैं लण्ड पर भी हाथ फिरा देती।
इससे भैया का लण्ड खड़ा हो गया।
निहारिका बिना हिले डुले हमें देख रही थी।
भैया ने निहारिका की तरफ इशारा किया और मुझसे पूछा.
तो मैंने धीरे से कहा- रुको थोड़ी देर!
तभी मैंने भैया के अंडरवियर में हाथ डाल दिया और लण्ड को सहलाने लगी.
निहारिका सब देख रही थी।
मैंने निहारिका का हाथ पकड़ा और भैया के लण्ड पर रख दिया।
निहारिका भाई के लण्ड को सहलाने लगी।
मैंने ब्रा उतार दी और भैया के पैरों के बीच में बैठ कर भैया का अंडरवियर उतार दिया।
भैया अब बिल्कुल नंगे हो गए।
मेरी नजर भैया के लण्ड पर गयी तो भैया का 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लण्ड लहरा रहा था।
मैंने निहारिका के पीछे आकर उसकी ब्रा खोल दी।
निहारिका की आम जैसी 30 इंच की चूचियां उछल पड़ी।
तब निहारिका से रूका नहीं गया और झट से भैया के लण्ड के ऊपर के गुलाबी हिस्से पर जीभ फिराने लगी।
फिर निहारिका भैया के पैरों के बीच आकर लण्ड को और रस से भरी हुई दोनों गेंदों को चाटने लगी।
बीच बीच में वह लण्ड को मुंह में भर लेती और जितना हो सकता था उतना गले तक उतार लेती।
अब भैया भी बेड की सिरहाने के साथ कमर लगा कर अपने पैरों को फैला कर बैठ गए।
निहारिका अपने घुटनों को मोड़ कर कुतिया स्टाइल में भैया के लण्ड को चूसने लगी।
तभी मैंने निहारिका की पैंटी खीच दी और अपनी जीभ को निहारिका की चूत पर रख दिया।
निहारिका काम्प उठी और भैया के लण्ड को और जोर से चूसने लगी।
भैया से सहन नहीं हुआ और थोड़ी देर में ही भैया के लण्ड से गर्म पानी का फव्वारा छुट गया और निहारिका का पूरा चेहरा वीर्य से सन गया।
निहारिका और भैया बाथरूम में जाकर मुंह ओर लण्ड को साफ कर के वापस आ गए।
मैंने तब तक अपनी पेंटी उतार दी और टांगें फैला कर बेड पर लेट गयी।
थोड़ी देर आराम करने के बाद निहारिका भैया के ऊपर आ गयी और भैया के लण्ड पर अपनी चूत को रगड़ने लगी, साथ में अपनी चूचियों को खुद ही दबाने लगी।
निहारिका की यह हरकत रंग लाई और एक बार फिर से भैया का लण्ड खड़ा हो गया।
तभी भैया ने निहारिका को अपने ऊपर से हटाया और उसे कुतिया बनने को कहा।
निहारिका झट से भैया के सामने कुतिया बन गयी।
भैया ने निहारिका की चूत पर जीभ चलानी शुरु कर दी.
मैं भी निहारिका के सामने आ गयी और निहारिका के सामने चूत फैला दी।
निहारिका ने एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और चूत को चाटने लगी।
थोड़ी देर में भैया ने मुझे निहारिका के ऊपर ही कुतिया बना दिया।
भैया कभी मेरी चूत चाटते कभी निहारिका की।
पांच मिनट चूत चटाई से हम दोनों की चूत बिल्कुल गीली हो गयी थी।
भैया ने निहारिका से पूछा- निहारिका की चूत में डालूं या गांड में?
निहारिका बोली- जहाँ आपका दिल करे, वहीं डाल लो।
भैया ने मुझे निहारिका के ऊपर से हटा दिया और बोले- मोनी, लण्ड गीला कर और निहारिका की गांड पर लगा दे।
मैंने भैया के लण्ड को मुंह में लेकर थूक से गीला किया और निहारिका की गांड पर लगा दिया।
आराम आराम से भैया ने पूरा लण्ड निहारिका की गांड में घुसा दिया।
भैया का लण्ड आराम से अंदर चला गया।
निहारिका को तकलीफ नहीं हुई क्यूँकि वह दो घोड़ों को एक साथ अपने ऊपर चढ़ा लेती है।
और उसे आदत भी हो गयी थी।
पूरा लण्ड अंदर जाते ही निहारिका ने अपनी गांड ऊपर उठा ली और आगे से अपनी चूची और चेहरे को बेड के गद्दे से सटा दिया ताकि गांड थोड़ी उभर जाये।
तभी भाई ने मुझे अपने पीछे बुला लिया।
मैं भाई की कमर पर चूचियाँ रगड़ने लगी और हाथ आगे ले जाकर भैया की छाती और पेट पर सहलाने लगी।
भैया बहुत जोर जोर से धक्के लगा रहे थे मानो निहारिका की गांड में ही घुसना चाहते हो।
और वे निहारिका के कूल्हों पर चांटे भी लगा रहे थे।
भैया ने निहारिका की गाण्ड को पीट पीट कर लाल बना दिया था।
निहारिका के मुंह से सिसकारी निकलने लगी थी।
भैया जब भी लण्ड को गांड में घुसाते, निहारिका भी अपने कूल्हों को भैया के लण्ड पर धकेल देती और वह नीचे से अपनी चूत को सहला रही थी।
थोड़ी देर में निहारिका का पानी निकल गया।
तभी निहारिका आगे की तरफ खिसक गयी और बेड पर मुंह के बल लेट गयी जिससे भैया का लण्ड निहारिका की गांड से निकल गया।
भैया लेट गए.
अभी तक मैं भी अपनी बारी का इंतजार कर रही थी।
मैं झट से भैया के लण्ड पर बैठ गयी और जोर जोर से गांड को लण्ड पर पटकने लगी।
मेरी चूची हिल रही थी तो भैया ने सामने से मेरी चूची दबानी शुरू कर दी।
थोड़ी देर लण्ड के झूले झूलने के बाद भैया ने मुझे जोश में लण्ड पर से उठा कर बेड पर पटक दिया और मेरी टांगों के बीच में आ गए।
भैया ने मेरे पैरों को ऊपर उठा कर मोड़ दिया और मेरी चूचियों से सटा दिया और एक झटके मे ही पूरा 8 इंच का लण्ड डाल दिया।
वे धक्के लगाने लगे।
भैया के इन जोरदार धक्कों से मैं झड़ने वाली थी.
मैंने भैया को बोला- भैया जोर से … और जोर से!
भैया को जोश चढ़ने लगा और तेज तेज धक्के लगाने लगे।
तभी भैया बोले- मैं झड़ने वाला हूँ।
मैंने कहा- अंदर ही झड़ जाओ।
पाँच मिनट में ही मैं झड़ गयी.
तभी भैया के लण्ड ने भी गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी।
भैया मेरे ऊपर ही लेट गए।
निहारिका उठी और बोली- मोनी, मैं सो रही हूँ मुझे नींद आ रही है।
उसने बाथरूम में जाकर अपनी चूत साफ की और सो गयी।
मैं और भैया बाथरूम में चले गए।
मेरा बाथरूम और टॉयलेट दोनों मेरे कमरे के साथ अटेच है।
मैंने भैया को कहा- चलो नहा लेते हैं।
भैया भी बोले- हाँ, मुझे भी नहाना है।
हम दोनों ने फव्वारा चालू किया और फव्वारे के नीचे खड़े हो गए।
भैया ने साबुन उठाया और मेरे शरीर पर लगाना शुरू किया। भैया ने मेरा चेहरा दीवार की तरफ घुमा दिया और मेरी पीठ पर साबुन लगाते हुए मेरे कूल्हों पर साबुन लगाया।
तभी भैया ने साबुन को मेरे दोनों कूल्हों के बीच में घुसा दिया।
मैंने भैया की तरफ मुंह किया और भैया से साबुन लेकर उनके पूरे शरीर पर साबुन लगाया।
साबुन लगाने के बाद जब मैं फव्वारा चालू करने के लिए मुड़ी तो भैया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी चूचियों को बाथरूम की दीवार से लगा दिया और मेरे भारी भरकम कूल्हों के बीच में लण्ड रगड़ने लगे।
थोड़ी देर बाद जब भैया का लण्ड खड़ा होने लगा तो मैंने भैया को कहा- भैया गांड में नहीं! और आज आप 2 बार वह भी दो दो हसीनाओं के साथ सेक्स कर चुके हो। बाकी कल कर लेना, मैं कहीं नहीं जा रही।
तब भैया बोले- मोनी नहीं जा रही, निहारिका तो चली जायेगी।
मैंने कहा- वह भी चार पांच दिन तक यही है, जी भर के कर लेना।
भैया बोले- मोनी, मुझे एक बार और करना है।
मैंने कहा- ठीक है लेकिन चूत में ही डालना, गांड में नहीं।
भैया मान गए और बोले- गांड पर रगड़ तो सकता हूँ?
मैंने हाँ कर दी.
तब भैया ने फव्वारा चला दिया और दोनों ने शरीर पर लगा साबुन साफ किया।
भैया पीछे से मेरी गांड की दरार में लण्ड रगड़ रहे थे साथ में हाथ आगे ले जा कर मेरी चूचियों को मसल रहे थे.
उनके होंठ मेरी गर्दन पर थे।
भैया कभी मेरी गर्दन पर तो कभी पीठ पर किस करते।
तभी मुझे जोर से मूत आया।
मैंने भैया को कहा- रुको, मैं पेशाब कर लेती हूँ.
भैया बोले- ठीक है, कर लो।
मैंने पेशाब किया.
और तब तक भैया कमरे से बॉडी क्रीम ले आये।
वे बोले- मोनी, घुटनों के बल झुक जाओ।
मैं झुक गयी।
भैया ने मेरी गांड के छेद पर क्रीम लगा दी।
मैंने मना किया- नहीं भैया, गांड में नहीं।
भैया बोले- मोनी, बस एक बार थोड़ा सा डालूँगा।
मैंने कहा- नहीं भैया, गांड में डालने से मुझसे 2 दिन तक चला नहीं जायेगा। और परसों निकिता को देखने के लिए भी आ रहे हैं। अगर मैं बिस्तर में पड़ी रहूंगी तो ममा पापा को बुरा लगेगा। हाँ, जब आप जाओगे, उससे पहले दिन कर लेना. मैं बुखार का बहाना बना कर दो तीन दिन बिस्तर में पड़ी रहूंगी।
भैया मान गए और बोले- मोनी, जाते समय पक्का गांड में डलवाओगी ना?
तभी मैंने अपना मूड बदल दिया और भैया को कहा- आप क्रीम लगा कर 1 उंगली मेरी गांड में डालो।
मुझे बिल्कुल भी दर्द महसूस नहीं हुआ.
तभी मैंने भैया को दो उंगलिया डालने के लिए कहा.
मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ।
थोड़ी देर में ही भैया दो उँगलियों को मेरी नाजुक सी गांड में तेज तेज चलाने लगे।
मुझे अच्छा महसूस होने लगा।
मैंने भैया को कहा- भैया, थोड़ी सी क्रीम गांड के अंदर भर दो।
भैया ने गांड में क्रीम भर दी.
और मैंने भैया के लण्ड पर भी अच्छे से क्रीम लगा दी.
तब मैंने भैया को कहा- आप लेट जाओ, मैं लण्ड पर बैठ जाउंगी।
भैया बोले- यहीं चुदना है या बेड पर?
मैंने कमरे में आने के लिए बोला और सोफे से गद्दा उठाया और नीचे फर्श पर लगा दिया।
भैया गद्दे पर लेट गए।
उनका लंड खड़ा था।
मैं भैया की तरफ मुंह कर के भैया के ऊपर आ गयी और गांड को लण्ड पर लगा कर हल्का सा दबाव लगाया तो लण्ड के टोपे का थोड़ा सा भाग ही अंदर गया।
मैंने फिर से थोड़ा और दबाव बनाया तो लण्ड का सुपारा अंदर चला गया।
मुझे दर्द होने लगा तो मैं रुक गयी।
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से लण्ड पर अपनी गांड का दबाव बढ़ाया तो धीरे धीरे लण्ड अंदर जाने लगा।
मेरी गांड में दो इंच लण्ड अंदर गया तो मैं दो इंच लण्ड पर ही ऊपर नीचे होने लगी ताकि जितना गया है, वह तक लण्ड आसानी से आ जा सके।
ऐसे करते करते मैं लगभग आधा लण्ड ले चुकी थी।
मैंने भैया के लण्ड को बाहर निकाल दिया और भैया को गांड में फिर से क्रीम डालने के लिए बोला.
फिर मैं भैया के सामने कुतिया बन गयी।
मेरी गांड 4 इंच गहराई तक खुल चुकी थी और 3 इंच से ज्यादा चौड़ी हो गयी थी।
भैया ने क्रीम उठाई और गांड में भर दी।
खुद ही अपने लण्ड पर भी लगा ली।
मैंने भैया को कहा- अब पीछे से डालो।
भैया ने पीछे आ कर लण्ड डाल दिया।
जब लण्ड का सुपारा अंदर गया तब हल्का सा दर्द हुआ।
फिर जब आधे से ज्यादा लण्ड अंदर जाने लगा तो मुझे तेज दर्द होता।
भैया लण्ड को आगे पीछे करते और हर धक्के में लण्ड को थोड़ा और गहराई तक पहुंच देते.
मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे लेकिन कमरे में रोशनी कम होने से भैया को दिखाई नहीं दिए।
तभी भैया ने जोर का धक्का लगाया।
मेरी चीख निकलने वाली थी कि मैंने मुंह पर हाथ रख लिया।
मुझसे आखिरी धक्का सहन नहीं हो रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि भैया ने लोहे को मोटी रॉड को गर्म करके मेरी गांड में डाल दी जो मेरी गांड से होती हुई मेरे गले तक पहुंचने वाली है।
फिर भी मैं सहन कर गयी।
मुझे पता था कि अब भैया धक्के मारेंगे तब भी दर्द होगा।
मैंने गांड हिला दी और भैया ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।
मुझे दर्द हो रहा था इन धक्कों में!
थोड़ी देर के बाद मेरा दर्द कम होना शुरू हो गया था।
तभी भैया मेरी गांड पर थप्पड़ लगाने लगे.
मुझे पहले ही दर्द था और फिर गांड पर चांटों का दर्द।
तभी मुझे मेरी गांड के अंदर गर्म गर्म महसूस हुआ।
मैं समझ गयी कि भैया झड़ गए।
दो मिनट बाद भैया ने लण्ड बाहर निकल लिया और बाथरूम में साफ करने लगे।
सगी बहन की गांड चुदाई का मजा लेकर भैया बाहर आ गए और बैड पर सो गए।
मैं मुश्किल से बाथरूम तक पहुंची और टॉयलेट सीट पर बैठ गयी और आधा घण्टा बैठी रही।
फ्रेश होकर मैं कमरे में आई.
समय देखा तो रात के दो बज रहे थे।
मैंने ब्रा और पैंटी पहनी, फिर लोअर और टीशर्ट डाल ली और सोफे के गद्दे को उठा कर सोफे पर रख दिया और सोफे पर ही लेट गयी।
मुझे पूरी रात नींद नहीं आई।
निहारिका और भैया सोते रहे।
सुबह वे दोनों उठ कर नीचे चले गए लेकिन मैं 8 बजे तक वहीं सोफे पर पड़ी रही।
प्रिय पाठको, इस सगी बहन की गांड चुदाई कहानी को पढ़ कर आपको कितना मजा आया?
मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
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