X मैन सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैंने पति के दोस्त के साथ चुदाई के खूब मजे लिए। चुदने के बाद मैंने अपने पति को ही इस चुदाई के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया।
यह कहानी सुनें.
इससे पहले भाग
पति के सामने उनके दोस्त से चुदी
में आपने पढ़ा कि अगली रात को फिर से ताश की बाजी लगी और संजीव को नींद की दवा देकर मैं पीयूष से कुतिया बनकर चुदी। उसने मेरे गले में बेल्ट बांधकर मुझे चोदा।
अब आगे X मैन सेक्स स्टोरी:
15-20 मिनट बाद पीयूष जी दोबारा उठे। मेरे गले में पड़े हुए पट्टे को पकड़ा और मुझे दोबारा अपनी कुतिया की तरह खींचते हुए वहां से हमारे निजी स्विमिंग पूल के पास ले गए।
ठंडी ठंडी हवा चल रही थी।
पूल के पास अंधेरा था, बिल्कुल हलकी रोशनी हुई थी। पीयूष जी ने मुझे स्विमिंग पूल के बेड पर चढ़ाया और मुझे घोड़ी बनने को कहा।
मैं जल्दी से घोड़ी बन गई।
पीयूष जी मेरे ही पीछे थे, उन्होंने मेरी गांड के छेद पर थूका और अपने थूक से मेरी गांड का छेद चिकना करने लगे।
मैंने उनको कहा- गांड में दर्द होता है.
मगर वो नहीं माने।
फिर मैं भी तैयार हो गई।
अब उन्होंने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रखा और एक धक्का लगाया और लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अंदर चला गया।
मैं थोड़ी सी सहमी और पीयूष जी ने एक और जोरदार धक्का दिया और लंड को आख़री छोर तक डाल दिया।
मैं खुले में जोर से चीखी- आह पीयूष जी … धीरे कीजिये।
मगर वो नहीं रुके और बड़ी बेहरहमी से मेरी गांड मे अपने लंड के धक्के लगाने लगे।
पीयूष जी मेरी गांड मारने लगे और मैं आहें भरने लगी।
मुझे दर्द तो हो रहा था पर मैं ख़ुशी ख़ुशी पीयूष जी के लिए अपनी गांड मरवा रही थी।
पीयूष जी पहले इंसान थे जिन्होंने मेरी गांड मारी थी और पहली बार ही मैंने किसी मर्द का मूत पिया था और उससे नहाई थी।
पीयूष जी पीछे से मेरे पिछवाड़े में लगातार धक्के लगा रहे थे और मैं भी अब उन झटकों का मजा लेने लगी थी और बोलने लगी- पीयूष जी चोदो मुझे आप … पीयूष जी … पीयूष जी आह … आह आह्ह … आह आह।
मैं स्विमिंग बेड पर जोर जोर से हिल रही थी।
धक्कों की वजह से मेरे बूब्स भी हवा में जोरदार तरीके से हिल रहे थे। पीयूष जी मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए मुझे चोदे जा रहे थे और मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
मेरी गांड में लगातार धक्के लग रहे थे। मुझे चुदते हुए 20 मिनट हो चुके थे और हम दोनों अपनी चरम सीमा पर थे।
पीयूष जी मुझे और तेज़ चोदने लगे और मैं और जोरों से चीखने लगी- आह आह … आह आह्ह … आह्ह आह्ह … और चोदो … आह्ह।
इतने में ही मैं पिचकारी मारती हुई झड़ गई और एक मिनट और चोदने के बाद पीयूष जी ने भी अपने वीर्य की पिचकरी मेरी गांड में ही छोड़ दी।
पीयूष जी ने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला और हम दोनों पूल बेड पर वहीं लेट गए।
आज लगभग 3 घंटे चुदाई का मजा लिया था अपने यार से मैंने!
पिछले 24 घंटों में मैं 9 से ज्यादा राउंड पीयूष जी से चुद चुकी थी।
हम दोनों घर में आने लगे। मैंने शेरू को भी अपने साथ ले लिया और घर के अंदर आ गई और चुपके से उसे संजीव से छुपा कर हमारे बेडरूम में ले आयी।
मैं वापस नंगी ही नीचे गई और शेरू के लिए खाना डाल आयी।
उसके बाद मैंने सब कुछ साफ किया।
फिर हम दोनों ने साथ में शावर लिया। उसके बाद हमने खाना खाया और फिर बेड पर लेट गए।
हम दोनों नंगे थे। मैंने ऊपर से ब्लैंकेट डाल लिया।
पीयूष जी ने कल की तरह ही अपना लंड मेरी चूत में दोबारा डाल लिया।
हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए थे और एक अनोखे प्यार को महसूस कर रहे थे जो दो दिन से हम कर रहे थे।
मैंने पीयूष से कहा- अब आप कल के तमाशे का इंतजार करो। मेरी ब्रा पैंटी देख वो सवाल करेगा और मैं उसे बताऊंगी कि कैसे वो मुझे जुए में हार गया और मुझे मजबूरी में उसके दोस्त के साथ चुदाई करनी पड़ी।
वो बोले- वो ठीक है, मगर कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा। आप बस कल का इंतजार कीजिए।
अब रात के 2 बज रहे थे।
हम दोनो बातें कर रहे थे और बातें करते करते कब समय निकला कुछ पता ही नहीं चला।
हम दोनों एक दूसरे मे इतने गुम थे। सुबह के 5:20 हो रहे थे।
पीयूष जी बोले- अब मुझे जाना चाहिए इसे पहले संजीव उठे!
मैंने बोला- हां, ठीक है।
उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और खड़े होकर तैयार होने लगे।
मैं ब्लैंकेट में नंगी ही बैठी हुई थी। पीयूष जी रेडी हो चुके थे।
बेड से उठकर मैंने उन्हें एक किस करते हुए और हग करते हुए इस यादगार चुदाई के लिए थैंक्स बोला।
पीयूष जी ने मेरे माथे पर एक किस किया और मैंने उन्हें दोबारा अपनी बांहों में भर लिया।
मैं कुछ देर तक ऐसे ही रही।
पीयूष जी बोले- अब मुझे जाना चाहिए।
मैं और पीयूष जी नीचे आये और फिर वो अपने घर चले गए।
संजीव उसी हालत में पड़े हुए थे। मैं वापस ऊपर बेडरूम में आकर सो गई और मुझे संजीव के उठने का इंतजार था।
सुबह लगभग 9 बजे संजीव उठ कर ऊपर आये।
उन्होंने मुझे जगाया।
ऊपर आते टाइम वो मेरी ब्रा-पैंटी और नाइटी भी ले लाये जो मैं जान बूझकर नीचे छोड़ कर आयी थी।
इस वक़्त पूरी नंगी थी मैं!
वो बोले- कल रात क्या हुआ था?
मैं कुछ नहीं बोली, बस नज़रें झुकाकर चुप रही।
संजीव ने मुझसे फिर पूछा- अंजलि बताओ कल रात क्या हुआ?
मैं रोने का नाटक करने लगी।
संजीव मुझे चुप करवाने लगे।
फिर मैंने बोला- कल रात पीयूष जी आये थे और आप दोनों ने कल रात फिर से शराब पी। कल आप दोनों ने फिर से जुआ खेला और इस बार आपने अपने घमंड में और अपने ओवर कॉन्फिडेंस में आकर मुझे पीयूष जी के सामने पेश कर दिया हमबिस्तर होने के लिए! मैंने आपको बहुत रोकने की कोशिश की मगर आप नहीं रुके बल्कि मुझे पर ही गुस्सा करने लगे। आपने कल रात इतनी पी ली थी कि आपको कुछ होश ही नहीं था। पीयूष जी के साथ आपने अपने बिज़नेस के लालच में अपनी बीवी को दाँव पर लगा दिया वो भी अपने ही दोस्त के साथ।
कल रात आप मुझे अपनी दो ताश की बाज़ियों में हार गए जिसकी वजह से मुझे वहीं पीयूष जी के सामने …
यह बोल कर मैं चुप हो गई और रोने लगी।
संजीव बोले- जिसकी वजह से क्या हुआ … बताओ??
मैंने बोला- जिसकी वजह से मुझे वहीं पीयूष जी के सामने पूरी नंगी होना पड़ा और उसके बाद आप मुझे नशे की हालत में दूसरे राउंड में भी हार गए जिसकी वजह से मुझे ना चाहते हुए भी पीयूष जी के साथ हमबिस्तर होना पड़ा। आपकी बस एक डील के लालच में मुझे एक गैर मर्द के साथ हमबिस्तर होना पड़ा जो मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी। मेरी इज़्ज़त सिर्फ आपकी वजह से एक गैर मर्द के सामने शर्मसार हो गई।
ये कहते हुए मैंने अपने ऊपर से कम्बल हटाया और संजीव से बोली- यह देखो … कल रात मेरे साथ क्या हुआ है।
मेरे बूब्स, मेरी गर्दन, मेरे सीने, मेरी चूत पर लाल लाल निशान हो गए थे जो कि पीयूष जी के काटने के निशान थे।
मैं बोली- अब आपके दोस्त मेरी इज्जत को पूरी दुनिया में नीलाम कर देंगे।
ये बोल कर मैं रोने लगी।
संजीव मुझे चुप करवाने लगे और बोले- ये सब मेरी ही गलती से हुआ है, मुझे माफ़ कर दो।
फिर मैंने बोला- हां ये सब आपकी वजह से ही हुआ … मगर मैं कहीं की नहीं रही।
संजीव बोले- ऐसा कुछ नहीं होगा। मैं सब ठीक कर दूंगा। मैं अभी पीयूष को घर बुलाता हूं और उसे सब कुछ समझाता हूं।
मैंने कहा- उससे क्या होगा … मेरी इज्जत थोड़ी वापसी आ जाएगी?
संजीव बोले- हाँ मुझे मालूम है, मुझे माफ़ कर दो। मैं आगे से ऐसा तुम्हारे साथ कभी नहीं करूँगा। मैं पीयूष को घर बुलाता हूं और उसे सब समझाऊंगा कि वो सब कुछ भूल जाये और तुम भी उसे समझाना।
इस पर मैंने बोला- अब मेरी हिम्मत नहीं है उनका सामना करने की। मुझे उनके सामने आने में बहुत शर्म आएगी।
संजीव बोले- मगर तुम भी समझाना उसे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
मैंने थोड़ा सोचने का नाटक किया और बोली- ठीक है मैं कोशिश करुँगी मगर आप मेरे साथ ही रहना।
संजीव बोले- तुम फ़िक्र मत करो, मैं हूं ना … अब तुम नहा लो। मैं तुम्हारे लिए नाश्ता तैयार करता हूं। फिर दिन में पीयूष को बुलाऊंगा।
फिर संजीव नीचे कुछ बनाने के लिए चले गए और मैं वाशरूम में आकर नहाने लगी।
जब तक मैं नहा कर बाहर आयी तब तक संजीव भी नाश्ता बना कर ऊपर ले आये और बोले- मैंने पीयूष को फ़ोन करके बुला लिया है। पहले तो वो आने को मना कर रहा था मगर मेरे जोर देने पर वो दिन में आ रहा है।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर हम दोनों ने नाश्ता किया और संजीव बोले- मैं भी नहा लेता हूं, तब तक तुम आराम करो।
संजीव नहाने चले गए और मैं मौके का फायदा उठाते हुए नीचे गई और पीयूष जी को फ़ोन लगाया, उन्हें सारा माजरा समझा दिया कि संजीव बस तुमसे बात करना चाहते हैं इसलिए तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है, बेझिझक घर आ जाना।
पीयूष जी बोले- ठीक है मैं आ जाता हूं।
इतना करके मैं वापस अपने रूम में आ गई और मैं पहले रेडी होने लगी।
अलमारी से मैंने एक ब्लैक रंग की ब्रा पैंटी का सेट निकाल कर पहन लिया और ऊपर से मैंने नीले कलर का फुल नाईट गाउन डाला हुआ था।
मैंने मेकअप किया और साथ ही बाल भी बना लिए। मैंने अपने बाल खुले छोड़े हुए थे और मैं रेडी चुकी थी।
तब तक संजीव भी नहा कर बाहर आ गए और रेडी होने लगे।
संजीव बोले- मैं नीचे जा रहा हूं ऑफिस का कुछ काम करने और पीयूष ज़ब आ जायेगा तो मैं तुम्हें बुला लूंगा।
मैंने कहा- ठीक है।
वो नीचे चले गए।
मैं फिर बेड पर आकर लेट गई।
सुबह के 11 बज रहे थे। मैं पीयूष जी का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।
दिन के लगभग 12:30 बजे घर के गेट की बेल बजी।
मैं चेक करने के लिए उठी और अपनी खिड़की से हल्का पर्दा हटा कर नीचे देखा तो पीयूष जी आ गए थे।
संजीव ने घर का गेट बंद कर लिया। संजीव और पीयूष लिविंग एरिया में आ गए।
वो दोनों वहां बैठकर कुछ बात करने लगे जो कि मुझे इतनी ऊपर से समझ नहीं आ रही थीं।
कुछ देर तक बातें चलती रहीं और संजीव उठे और ऊपर आने लगे।
मैं जल्दी से वापस बेड पर जाकर लेट गई और सोने का नाटक करने लगी।
संजीव मेरे रूम में आये और मुझे जगाने लगे।
मैं भी नाटक करती हुई उठी।
संजीव बोले- पीयूष आ गया है, चलो उससे बात करते हैं इस बारे में!
मैंने डरते हुए बोला- मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा है उनके सामने जाने में!
मेरे पति बोले- कुछ नहीं होगा, चलो मेरे साथ!
मैंने कहा- ठीक है। मैंने अपने कपड़े और बाल सही किये और संजीव के साथ नीचे आ गई।
पीयूष सामने ही बैठे थे।
संजीव और मैं साथ जाकर बैठ गए।
पीयूष जी मेरे सामने ही बैठे हुए थे, मैंने अपनी नज़रें नीचे झुका रखी थीं।
संजीव बोले- पीयूष देखो, कल रात को जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ मेरी गलती से हुआ। मैं ही नशे में बहक गया था और अंजलि को तुम्हारे साथ ये सब करने के लिए दाँव पर लगा दिया। इसमें इसकी कोई गलती नहीं है। मैं चाहता हूं कि तुम सब कुछ भूल जाओ और जो कल रात तुम दोनों के बीच हुआ उस बात को किसी को ना बताओ।
मैं संजीव की सारी बातें सुन रही थी।
वो बोलो- अंजलि, तुम भी कुछ बोलो?
मैं पहले थोड़ी देर चुप रही और फिर मैंने बोला- पीयूष जी, कल रात जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ एक बुरा हादसा था जो कि संजीव की नशे की वजह से हुआ। इसे मैं भूलना चाहती हूं और आप भी इसे भूल जायें तो बेहतर होगा। मेरी आपसे गुजारिश है कि आप यह सब किसी को ना बतायें तो बेहतर होगा वरना मेरी बहुत बदनामी होगी।
पीयूष जी नाटक करते हुए बोले- भाभी, आपको ऐसा कुछ बोलने की या सोचने की जरूरत नहीं है, दरअसल कल रात जो कुछ भी हम दोनों के बीच हुआ उसके लिए मैं खुद बहुत शर्मिंदा हूं। पता नहीं मुझे क्या हो गया था जो मैं संजीव की बातों में आ गया और इतनी बड़ी भूल कर बैठा। मगर आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा। और हाँ, मैं यह हादसा किसी को नहीं बताऊंगा। सिर्फ एक बुरा सपना समझ कर भूल जाऊंगा. और प्लीज आप दोनों मुझे माफ़ कर दें मेरी कल रात वाली गलती के लिए।
मैंने नाटक करते हुए पीयूष जी से कहा- सिर्फ आपको माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं है यह आप दोनों की वजह से हुआ है जिसकी वजह से मेरे मन को बहुत ठेस पहुंची है।
फिर पीयूष और संजीव मुझसे दोनों माफ़ी मांगने लगे।
मैंने दोनों से बोला- माफ़ी से कुछ होने वाला नहीं है बस आप दोनों से गुजारिश है कि आप दोनों इसे भूल जायें एक बुरा हादसा समझ कर, हम तीनों के लिए बेहतर होगा और सबसे ज्यादा मेरे लिए अच्छा होगा।
पीयूष जी बोले- आप फ़िक्र मत करो। मैं सब भूल गया।
संजीव भी बोले- हाँ जो कल रात हुआ मेरी गलती से हुआ इसलिए उसे भूलना बेहतर है।
फिर सब कुछ सही हो गया।
पीयूष और संजीव बातें करने लगे और संजीव बोले- अंजलि जूस ले आओ सबके लिए!
मैं हम तीनों के लिए फिर किचन से जूस लेकर आयी और फिर हम तीनों ने जूस पिया।
कुछ देर बाद मैंने संजीव से बोला- मैं रूम में जा रही हूं। आप लोग बातें करो।
संजीव की नजर से नजर बचाकर मैंने पीयूष को आँख मार दी और ऊपर चली गई।
तो दोस्तो, यह थी मेरी और पीयूष जी की चुदाई की दास्तां जिसे आप लोगों ने पढ़ा। पीयूष जी और मेरी चुदाई का सिलसिला 3 साल तक लगातार चलता रहा।
पीयूष जी की बांहों में मेरी जवानी 3 साल तक उछली। उनसे मैं महीने में कम से कम 22-23 दिन चुदती थी। कभी मेरे घर पर तो कभी पीयूष जी के घर पर, कभी कभी होटल के रूम में चुदाई करते थे।
जो प्यार मुझे संजीव नहीं दे पाए थे वो प्यार मुझे पीयूष में मिल गया था।
वैसे तो मैं यहाँ इससे भी बेहतर चुदाई के मजे ले चुकी हूं, हब्शी लौड़ों से चुद चुकी हूं।
मगर जब कभी मुझे पीयूष जी से चुदने का मौका मिलता है तो मैं उसे नहीं गंवाती हूं।
तो दोस्तो, ये थी मेरे जीवन की एक सच्ची दास्तां जिसके बाद मेरी जिंदगी में बहुत कुछ बदलाव आये। आपका क्या कहना है इस बारे में जो मेरे साथ हुआ, जो मैंने किया?
इसके बारे में मुझे एक बार जरूर बतायें। आप लोग मुझे ईमेल करके बता सकते हैं। मैं आपके सवालों का जवाब जरूर दूंगी। मेरी प्यासी चूत की चुदाई की X मैन सेक्स स्टोरी पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद।
अंजलि शर्मा
मेरी ईमेल आईडी है [email protected]