मेरे पति के भाई ने मेरी चुत की चुदाई करके प्यास बुझाई

दोस्तो, मेरा नाम प्रीति है, मैं दिखने में बहुत ही खूबसूरत हूँ। रंग एकदम दूध की तरह सफेद, गदराया जिस्म!
मेरी लव मेरिज हुई थी, मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते थे। हम एक दूसरे बहुत सेक्स किया करते थे और हमारी लाइफ बहुत अच्छी चल रही थी, वो मुझे घंटों घंटों चोदते थे और मैं भी उनका पूरा आनन्द लेती थी।

लेकिन कुछ समय बाद वो अपने दोस्तों में व्यस्त रहने लगे और मुझे कम टाइम देने लगे। तो मैं लंड की प्यास में तड़पने लगी।

तभी मेरी जीवन में मेरे पति के बड़े भाई करण की एंट्री हुई। वो बहुत सेक्सी थे, वो मुझे हमारे वैवाहिक जीवन को बचाने के लिए समझाता रहते और मैं उसकी तरफ आकर्षित हो रही थी।

एक दिन में बेड पर सो रही थी, वो आकर मेरी साड़ी उठा कर मेरी जांघ पर हाथ फिराने लगे, मैं सोने का नाटक करने लगी।
उनकी हिम्मत और बढ़ गई और उन्होंने मेरी साड़ी और ऊँची करके मेरी चुत की झांटों पर हाथ रख दिया।

मैंने थोड़ी करवट ली तो वो वहाँ से चले गए।

अब उनकी हिम्मत बढ़ गई, वो मुझे जहां भी अकेली देखते, मेरे होटों पर जोर का किस दे डालते और अपनी पूरी जीभ मेरे मुख में डाल देते, कभी साड़ी उठाकर मेरी गोरी चिकनी गांड पे हाथ फेर देते।

कुछ दिनों बाद मेरे पति का ट्रांसफर उदयपुर हो गया, हम वहाँ अच्छे से रह रहे थे।

एक दिन मेरे जेठ करन वहां उदयपुर आये। मैं उनको देखकर खुश हो गई। उन्हें आये दो दिन ही हुए थे कि मेरे पति कुछ जरूरी काम से दिल्ली जाना पड़ गया और वो दो दिन के लिए चले गये।

उनके जाने के बाद मेने शाम का खाना बनाया। हम दोनों ने एक दूसरे को अपने हाथ से खाना खिलाया।

थोड़ी देर इधर उधर की बात करने के बाद करण ने मुझे होटों पर किस कर लिया, मैंने भी उन्हें बाहों में भर लिया और वो मुझे पागलों की तरह किस किये जा रहे थे।
उन्होंने मेरी नाइटी हटा दी। अब मेरा गोरा गदराया जिस्म नंगा उसके सामने था, वो मेरी दोनों चुची बुरी तरह चूसने लगे, मेरी चुत पर हाथ फिराने लगे।
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मेरी झांटें बहुत बड़ी हो रही थी, उन्होंने मेरी नंगी चुत पर मुँह लगा दिया और उसे कुत्ते की तरह चाटने लगे।
मैं जोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी, मैं कह रह रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… करण छोड़ दो, वरना मैं मर जाऊँगी।
वो बोले- भोसड़ी की… आज तो तेरी चुत का कचूमर बनाऊँगा। मेरे भाई के साथ तुझे बहुत नंगी चुदते देखा है, अब बहन की लौड़ी, मुझसे चुद कर देख… मजा आ जायगा।

फिर उन्होंने अपना लंड निकला और एक झटके में अन्दर डाल दिया।
मैं जोर से चिल्लाई- अरे करण, मर गई!
और वो बिना सुने जोर जोर से मुझे चोदने लगे।

थोड़ी देर चुदने के बाद मुझे भी मजा आने लगा- और जोर से करण… और जोर से चोदो… मेरी जान निकाल दो… बहुत दिनों से प्यासी थी तुम्हारे लंड की!
और वो मुझे चोदे जा रहा था। मैं झड़ गई और उसे रुकने के लिए बोलने लगी।
उसने लंड मेरी चुत से निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया और सार वीर्य मेरे मुंह में उड़ेल दिया और मैं तृप्त हो गई!
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