मेरे पड़ोसी की किरायेदार परियाँ- 1

मेरे पड़ोसी की किरायेदार परियाँ- 1


कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे पड़ोस वाले घर में किराए पर कॉलेज की लड़कियां रहती थी. मैंने कई लड़कियों के साथ सेटिंग करके चुदाई का मजा लिया.
मेरी पिछली कहानी थी: पेट्रोल पम्प पर झगड़े का हसीन फल
अब मेरी नयी कहानी पढ़िए कॉलेज गर्ल सेक्स की.
गुप्ता जी और मेरा घर अगल बगल था.
मेरा घर दोमंजिला था जिसमें ग्राउंड फ्लोर पर मेरे किरायेदार रहते थे और फर्स्ट फ्लोर पर मैं!
गुप्ता जी का घर भी दोमंजिला था, गुप्ता जी ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे और फर्स्ट फ्लोर किराये पर दे रखा था.
उन्होंने सेकेंड फ्लोर पर भी एक वन रूम सेट बना रखा था जिसमें हमेशा कॉलेज स्टूडेंट्स रहती थीं.
मैं जब भी अपनी छत पर टहलने या हवाखोरी के लिए जाता तो गुप्ता जी की किरायेदार कॉलेज स्टूडेंट्स से सामना हो जाता.
गुप्ता जी के इस वन रूम सेट में सबसे पहले संगीता और सायरा नामक दो लड़कियां रहने आईं, वे एमबीए कर रही थीं, लगभग दो साल रहीं.
संगीता हरियाणा की रहने वाली थी और सायरा हैदराबाद की.
कॉलेज में जब भी तीन चार दिन या अधिक की छुट्टी होती तो संगीता अपने घर चली जाती. सायरा का घर काफी दूर था इसलिये उसके लिए यहां रुकना मजबूरी था.
धीरे धीरे सायरा से मेरी सेटिंग हो गई और संगीता की गैरमौजूदगी में सायरा की चुदाई होने लगी. सायरा ने तबियत से चुदवाया.

इन दोनों के जाने के बाद हनीप्रीत और जसविंदर नामक दो लड़कियां यहां रहने आईं.
ये पंजाब से थीं और गदराई हुई जवानी थीं.
इनके आने के कुछ ही दिन बाद हनीप्रीत मुझसे पट गई और उचक उचक चुदवाने लगी.
एक बार रात को जसविंदर को सोता हुआ छोड़कर हनीप्रीत छत फांदकर मेरी छत पर आ गई. छत पर रखे हुए लकड़ी के तख्त पर खुले आसमान के नीचे मैं हनीप्रीत को चोदने लगा.
मेरा लण्ड फुल स्पीड से हनीप्रीत की चूत बजा रहा था कि तभी जसविंदर अपनी छत पर आकर यह नजारा देखने लगी.
हनीप्रीत का सिर उधर की तरफ था इसलिये वह जसविंदर को नहीं देख पाई.
लेकिन मेरी नजर मिली तो जसविंदर वापस अपने कमरे में चली गई.
हनीप्रीत ने चुदवाने के बाद अपने कपड़े ठीक किये और जाकर चुपचाप सो गई.
वो जसविंदर को जैसे सोते हुए छोड़कर गई थी, वैसे ही वह सोते हुए मिली.
जसविंदर ने चुपचाप रात काटी. सुबह कॉलेज जाने का समय हुआ तो जसविंदर पेट दर्द का बहाना बनाकर कॉलेज नहीं गई.
हनीप्रीत के जाते ही जसविंदर ने मुझे फोन किया- आपकी लाइट आ रही हैं क्या?
मेरे हाँ कहने पर बोली- पता नहीं मेरे यहाँ क्यों नहीं आ रही है? मुझे एमसीबी वगैरा की कोई समझ नहीं है और गर्मी के मारे मेरा बुरा हाल है, आप आ सकते हैं क्या?
मैंने कहा- क्यों नहीं, मैं अभी आ रहा हूँ.
मैं ऊपर गया और छत फांदकर उसके कमरे में पहुंचा, देखा लाइट नहीं आ रही थी.
मैंने बाहर एमसीबी बॉक्स चेक किया तो देखा कि एमसीबी गिरी हुई है.
उठाते ही लाइट आ गई और पंखा चलने लगा.
मुझे जसविंदर कहीं नहीं दिखाई दी तो मैंने उसे आवाज लगाई तो बाथरूम से बोली- बस एक मिनट में आई, आप बैठिये.
मैं बेड के किनारे बैठ गया.
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं.
नहाकर एक तौलिया लपेटकर जसविंदर बाथरूम से निकली और बोली- मेरे पास तो गर्मी दूर करने का यही एक तरीका है कि नहाते रहो, अब सबकी किस्मत हनीप्रीत जैसी तो होती नहीं.
इतना कहते कहते जसविंदर ने दरवाजे की कुण्डी लगा दी और अपने शरीर से टॉवल हटाते हुए बोली- वैसे मैं हनीप्रीत से कम नहीं.
यह सुनते ही मैंने उसे बेड पर पटक दिया. उसके होंठों पर होंठ रखकर मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा तो उसने मेरा बरमूडा नीचे खिसका दिया.
मैं समझ गया कि इसको एक बार तो तुरन्त लण्ड चाहिए.
जसविंदर की चूत पर जीभ फेरकर मैंने उसकी भट्ठी की तपिश को महसूस किया और अपना भुट्टा भूनने के लिये डाल दिया.
लण्ड अन्दर जाते ही जसविंदर मतवाली होकर चूतड़ उछालने लगी.
जसविंदर की चूचियां अपनी मुठ्ठी में दबोचकर मैंने चुदाई शुरू की तो पंजाबी शेरनी भी पूरे जोश में आ गई, जबरदस्त जवाबी धक्कामुक्की से मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और जसविंदर कौर की चुदाई का पहला दौर समाप्त हुआ.
इसके बाद हनीप्रीत के कॉलेज से वापस लौटने तक मैंने उस कॉलेज गर्ल से तीन बार सेक्स किया.
हनीप्रीत कॉलेज से वापस लौटी तो जसविंदर का हुलिया और बेडशीट पर लगे खून और वीर्यं के दाग देखकर समझ गई कि आज जसविंदर कौर भी चुद गई.
उसके पूछने पर जसविंदर ने कल रात से लेकर आज शाम तक की सारी कहानी बयां कर दी.
अब दोनों राजदार हो गईं और अपने फाइनल एग्जाम तक खूब चुदीं.
इनके जाने के बाद से दो तीन महीने से घर खाली था.
मैं छत पर जाता तो मायूस हो जाता.
तभी एक दिन मैं छत पर गया तो एक कमसिन काया कैटरीना कैफ की डुप्लीकेट गुलाबी रंग का गाऊन पहने छत पर टहल रही थी.
मैंने बातचीत शुरू की तो उसने बताया कि उसका नाम पायल मनवानी है, वह आगरा की रहने वाली है, वहां उसके पापा की जूते की फैक्ट्री है.
मैंने धीरे धीरे बात बढ़ाते हुए दोस्ती शुरू की, तभी उसकी रूम पार्टनर भी आ गई.
रूम पार्टनर युगांडा के किसी बड़े उद्योगपति की बेटी थी और उसके चाचा वहां की सरकार में मंत्री थे.
इस लड़की का नाम जीनिया था, कद करीब छह फीट, तीखे नैन नक्श, रंग चमकीला काला, चूचियों का साइज 38 इंच, चूतड़ 42 इंच और वजन कम से कम सौ किलो रहा होगा.
पहली नजर में ऐसा लगा कि शानदार अरबी घोड़ी है.
जीवन में मैंने बहुत लौंडिया चोदी थीं लेकिन ऐसी अरबी घोड़ी कभी नहीं मिली थी.
मैंने अपना ध्यान पायल से हटाकर जीनिया पर केन्द्रित किया.
पायल से बात करते करते जीनिया के बारे में बहुत कुछ जाना.
फिर एक दिन मैंने पायल से कहा- तुम मेरी अच्छी दोस्त हो, मेरी एक मदद करो. मैं इस अरबी घोड़ी की सवारी करना चाहता हूँ, इसमें मेरी मदद करो.
“मुमकिन नहीं है!” पायल ने कहा.
“क्यों?”
“तीन साल से मेरी क्लासमेट है और रूम पार्टनर भी. एक भी लड़के से बात नहीं करती है, जबकि इनके युगांडा में सेक्स को कोई गम्भीर विषय नहीं मानते, कोई भी, कभी भी, कहीं भी, ऐंवई. समझ गये ना?”
“हाँ समझ गया, लेकिन मेरा दिल आ गया है.”
“देखो, विजय. तुमने मुझे दोस्त कहा है और वो भी मेरी दोस्त है, रजामंदी से कुछ हो जाये तो मुझे क्या ऐतराज है, मैं कोशिश करती हूँ.”
मैंने पायल का हाथ चूम लिया, मैंने पहली बार पायल को छुआ था.
दो दिन बाद पायल ने मुझसे कहा- एक रास्ता मुझे दिखता है जो तुम्हें इस घोड़ी की सवारी करा सकता है. जीनिया नॉनवेज खाने की बहुत शौकीन है. तुम एक बार हम दोनों को डिनर पर ले चलो. मैं नॉनवेज नहीं खाती हूँ इसलिये अगली बार मैं मना कर दूंगी और जीनिया तुम्हारे साथ अकेले जाने लगेगी, आगे तुम समझना.
अगले दिन रात के डिनर का प्रोग्राम बना, हम तीनों गये.
पायल ने तो वेज खाया लेकिन मैंने नॉनवेज खाया और जीनिया ने तो ऐसा खाया कि देखकर मेरी गांड फट गई, उसकी खुराक मुझसे तीन गुना थी.
खैर हम लोग रात को ग्यारह बजे लौटे, वे दोनों मेरी छत से फांदकर अपने घर चली गईं क्योंकि गुप्ता जी का नियम था कि जो लड़की यहां रहेगी उसे आठ बजे से पहले घर पहुंचना पड़ेगा.
इससे पहले सायरा, हनीप्रीत, जसविंदर भी इसी तरह मेरी छत पर आ जाती थीं और घूम फिर कर इसी रास्ते से वापस.
खैर डिनर शानदार था, जीनिया ने मजे से खाया और मेरे साथ काफी खुल गई.
दो दिन बाद शाम के समय वे दोनों छत पर टहल रही थीं.
मैं छत पर पहुंचा, हाय हैलो के बाद मैंने डिनर का ऑफर दिया तो जीनिया ने तपाक से यस कह दिया.
लेकिन पायल ने बहाना बना कर मना कर दिया.
जीनिया के कहने पर पायल ने कहा- मुझे नॉनवेज तो खाना नहीं है, तुम दोनों चले जाओ.
रात आठ बजे का टाइम तय हो गया. रात आठ बजे छत फांदकर जीनिया आ गई, बड़े बड़े फूलों वाली मिडी में उसको देखकर मेरा लण्ड टनटना गया.
हम दोनों कार में बैठे तो मैंने उससे पूछा- उसी जगह चलें या कोई नई जगह?
“कुछ नया ट्राई करते हैं.”
“श्योर. ये बताओ कि ड्रिंक लेती हो?”
“कभी कभी, जब हमारे घर में पार्टी होती है तो सब लोग लेते हैं, मेरी मॉम भी.”
“तब फिर आज हो जाये, आज वहां चलते हैं, जहां कबाब भी हो और शराब भी.”
‘और शबाब तो साथ में है ही!’ मैंने मन में सोचा.
क्रिस्टल बार में पहुंच कर मैंने लास्ट की केबिन ली और दोनों बैठ गये, व्हिस्की और स्नैक्स का दौर शुरू हुआ.
मैं कम पी रहा था और उसे अधिक पिला रहा था.
मैंने तीन पैग पिये और जीनिया ने चार.
फिर हम लोगों ने खाना खाया. साढ़े दस बज चुके थे, वहां से निकलते समय मैंने पायल को व्हाट्सएप किया- हमने खाना खा लिया है और यहां से निकल रहे हैं, अगर मैं इसे रात को अपने पास रोक लूँ तो कैसा रहेगा?
“जैसे तुम चाहो, ऑल द बेस्ट दोस्त.”
हम दोनों कार में बैठे तो मैंने जीनिया से पूछा कि क्या कभी सेक्स का मजा लिया है?
“नो, नेवर!”
“क्यों?”
“बस ऐसे ही, कभी कोई ऐसा मिला ही नहीं, जिस पर दिल आ जाये.”
“अगर किसी का दिल तुम पर आ जाये तो?”
“तो देखना पड़ेगा कि सामने वाला कौन है?”
“अगर सामने वाला मैं हूँ तो?”
“हूँ, सोचना पड़ेगा, एक तो तुम जेन्टलमैन हो, फिर तुमने डिनर कराया है और आज तो दारू भी पिलाई है. ठीक है तुम्हारा हक बनता है. आज इस कुंवारी लड़की की सील तुम तोड़ो. मैं खुद को तुम्हारे हवाले करती हूँ.”
इतना कहकर उसने मुझे चूम लिया.
तभी हम लोग घर पहुंच गए.
घर पहुंचते ही वो बेड पर पसर गई और पायल को फोन मिला दिया- हैलो, पायल डार्लिंग, अभी सोई नहीं?
“नहीं, तुम्हारा इंतजार कर रही थी.”
“अब हमारा इंतजार न करो, सो जाओ.”
“क्यों?”
“अरे सो जाओ, पायल. हम तुम्हारे दोस्त विजय से चुदवाने जा रहे हैं, जेन्टलमैन है यार, ऐसे जेन्टलमैन से सील तुड़वाना हमको अच्छा लगेगा. और हाँ, एक दिन तुम्हारी सील भी हम विजय से तुड़वायेंगे, अपने सामने. अच्छा रखो बाय.”
इतना कह कर जीनिया उठी और बाथरूम में चली गई.
उसने बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया था इसलिए उसके मूतने की आवाज कमरे तक आ रही थी.
वो मूत कर आई मैं तब तक चेंज कर चुका था, मेरे शरीर पर केवल बरमूडा था.
जीनिया ने अपनी मिडी उतारी, अब वो ब्लैक ब्रा और ब्लैक पैन्टी में थी.
मैंने अब महसूस किया कि वो कितनी भी काली थी लेकिन काली जैसी काली नहीं थी.
मैं यह सब सोच ही रहा था कि वो मेरे पास आकर मुझसे लिपट गई और मुझे बेतहाशा चूमने चाटने लगी.
मैंने उसकी पैन्टी नीचे खिसका दी और अपने पैर के अँगूठे में फंसा कर उसके शरीर से अलग कर दी.
उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए हौले से दबाया तो समझ आया कि यह तो पत्थर का जिस्म है, एकदम टाइट.
उसकी ब्रा के हुक खोलकर चूचिय़ों पर हाथ फेरा तो एकदम कड़क चूचियां और कटीले निप्पल्स.
एक चूची पर हाथ फेरते हुए मैंने दूसरी चूची मुंह में ली तो वो सिसकियाँ भरने लगी.
जीनिया ने मेरा बरमूडा नीचे खिसकाकर मेरा लण्ड अपनी मुठ्ठी में ले लिया.
उसके सहलाने से मेरा लण्ड कड़क होने लगा तो जीनिया बेड पर बैठ गई और मेरा लण्ड अपने मुंह में लेकर मेरे चूतड़ों को अपनी बांहों के घेरे में लेकर अपनी ओर खींचा तो पूरा लण्ड उसके मुंह में चला गया.
उसका मुंह बड़ा था या मेरा लण्ड छोटा था, मैं समझ नहीं पा रहा था.
तभी वो बेड पर लेट गई और मुझे 69 की पोजीशन में अपने ऊपर खींच लिया.
उसने मेरे लण्ड का सुपारा चाटना शुरू किया तो मेरी जीभ उसकी काली काली बुर के होंठ चाटने लगी.
मैं अब उसकी बुर में जाना चाहता था इसलिए मैं सीधा हुआ और उसके चूतड़ उचकाकर दो पिल्लो रख दिये.
उसकी बुर बुरी तरह से रसीली हो चुकी थी. बुर के लबों को फैलाकर मैंने लण्ड का सुपारा रखा और अन्दर ठोंका लेकिन उसकी बुर इतनी टाइट थी कि अन्दर गया नहीं.
अब मैंने अपने हाथ पर थूका और लण्ड के सुपारे पर मलकर लण्ड को निशाने पर रखा, उसकी दोनों जांघें फैला कर ठोंका तो टप्प की आवाज से सुपारा अन्दर हो गया.
अन्दर चूत इतनी गीली थी कि आधा लण्ड अन्दर सरक गया.
मेरी तमाम कोशिश के बाद भी जब लण्ड अन्दर नहीं जा पाया तो मैं समझ गया कि इसकी सील नहीं टूटी है.
मैंने आगे की ओर झुककर उसकी चूचियां पकड़ लीं और उसे आधे लण्ड से चोदने लगा.
लण्ड को अन्दर बाहर करने के दौरान मैंने जोर से ठोकर मारी तो उसकी चूत की झिल्ली फट गई.
मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिये और हम दोनों रसपान करने लगे.
उसकी आँखों में आँसू देखकर मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- कुछ नहीं.
मैंने कहा- कुछ तो?
“नहीं विजय, मैं इमोशनल हो गई थी.”
“क्या हुआ?”
“विजय, हमारे देश में चुदाई बड़ी सामान्य सी बात है, बस में ट्रेन में किसी को कोई अच्छा लगे और सामने वाला राजी हो तो बस की सीट पर गोद में बैठकर भी काम कर लेते हैं. मेरी 27 साल की उम्र है, मैंने किसी को अपना शरीर छूने नहीं दिया. छह महीने बाद मुझे हमेशा के लिए अपने देश लौट जाना है लेकिन मैं तुम्हारे प्यार की निशानी अपने साथ ले जाना चाहती हूँ, तुम मुझे जी भरकर प्यार करो.”
उसके गाल पर टपके आँसुओं को अपने होंठों से उठाते हुए मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- जीनिया, ये घर आज से तुम्हारा है, तुम जब चाहो, जब तक चाहो यहां रह सकती ह़ो.
मैंने उसके मस्तक पर चुम्बन करते हुए उससे कहा- तुम अपने भगवान को याद कर लो, मेरे प्यार की निशानी तुम्हारे शरीर में जाने वाली है.
जीनिया की चूचिय़ों को चूसते हुए मैंने कहा- मेरा बेटा जब दूध पियेगा तो तुम्हें मेरी याद आयेगी.
मैंने सीधे होकर जीनिया की जांघें सहलाते हुए अपने घोड़े को ऐड़ लगाई.
आह आह ऊह ऊह की आवाज निकालते हुए जीनिया अपने चूतड़ उचका रही थी.
थोड़ी ही देर में वो बोली- बस करो विजय, अब आ जा़ओ.
मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ाई और मेरे लण्ड से छूटे फव्वारे ने जीनिया की चूत भर दी.
उस रात मैंने जीनिया को तीन बार चोदा.
ब्लू फिल्म देख देखकर वो इतना सीखी हुई थी कि उसे सब आसन आते थे.
अगले दिन से जीनिया रोज मेरे घर में सोने लगी.
उसे मेरे साथ रहते हुए करीब चार महीने हो गए थे, एक दिन अचानक दोपहर में आ गई और मुझसे लिपटकर मुझे बेतहाशा चूमने लगी.
मेरे पूछने पर कि क्या हो गया?
उसने पैथोलॉजी की रिपोर्ट मेरे हाथ में थमा दी कि मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ.
प्रिय पाठको, कैसी लगी आपको मेरी यह कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी?
[email protected] कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग: मेरे पड़ोसी की किरायेदार परियाँ- 2

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