मेरे दोस्त की मस्तराम बीवी

मेरे दोस्त की मस्तराम बीवी

गाँव की भाभी की चुदाई का मजा अलग होता है. मैंने अपने पड़ोसी दोस्त की मस्त बीवी की चूत चोदी, उसके साथ पूरी मस्ती की. वो भी चुदाई का पूरा मजा लेती थी.

मेरा नाम सूरज है, मेरी उम्र 38 साल के करीब है।

गाँव की भाभी की चुदाई की यह कहानी वैशाली की है। उसकी उम्र 29 साल है। वैशाली का रंग गोरा और बदन कसा कसा सा था। वो हल्की सी चौड़े बदन की लड़की है।

उसकी शादी मेरे पड़ोस के लड़के धीरज से हुई थी। धीरज की उम्र 35 साल के आस पास है। धीरज मेरा दोस्त है। मैं उससे उम्र में कुछ बड़ा हूँ।

धीरज नौकरी के सिलसिले में असम में रहता है। हमारा गाँव देहरादून के पास है और वहां से असम बहुत दूर है।

पहले धीरज की पोस्टिंग भोपाल थी इसलिए वो वैशाली के साथ ही रहता था।
बाद में असम में पोस्टिंग के कारण उसने वैशाली को वापस देहरादून भेज दिया था।

धीरज के घर में उसके ताऊ जी और ताई जी रहती थी। धीरज को ताऊ जी ने गोद लिया था। धीरज उन लोगों को ताऊ और ताई बोलता था।
ताऊ की उम्र 72 के आस पास थी। वो धीरे धीरे चलते थे।

धीरज देहरादून कई कई महीनों बाद आता था तो वैशाली अकेली रहती थी। वैशाली और मेरी खूब बनती थी क्योंकि धीरज मेरा बहुत अच्छा दोस्त था।
मैं ताऊ जी का हालचाल लेने के बहाने आता जाता रहता था और वैशाली से बात करता रहता था।

इस बार धीरज को घर आए हुए डेढ़ महीना से ज्यादा हो गया था।

वैशाली को देख मैं यह सोचने लगा कि डेढ़ महीने से वैशाली ने सेक्स नहीं किया है, वो पक्का बेताब हो रही होगी।

अब जब मैं मिलने आता तो उसकी आंखों में मेरे लिए एक चमक सी रहती थी।
वैसे तो मैं अक्सर उनके घर शाम को आता था लेकिन आज सुबह सुबह 7 बजे के आस पास आ गया।
मैं ताज़ी लौकी देने आया था।

ताऊ जी ने गेट खोला।
मैं ताऊ जी से मिलकर ताई को लौकी देने चला गया।

ताई ने कहा- लौकी किचन में रख दो।
ताऊ जी के यहां केवल दो कमरे थे। एक में वो लोग रहते थे, दूसरे में वैशाली!

मैंने किचन में लौकी रख दी।
वैशाली भाभी के कमरे का दरवाजा खुला था. मैंने कमरे का दरवाज़ा खोला तो देखा कि वैशाली सो रही थी. उसको बिल्कुल नहीं पता चला कि मैंने दरवाज़ा खोला है।

उसके बदन के सारे कपड़े अस्त-व्यस्त थे, उसकी मस्त गोरी गोरी टांगें साफ साफ दिख रही थी।
उसकी गान्ड के ढीलेपन से साफ साफ लग रहा था कि उसने कपड़ों के अंदर चड्डी नहीं पहनी थी।

उसके ब्लाउज़ के तीन तीन बटन खुले हुए थे, केवल उसके दूध का काला वाला हिस्सा छुपा था, लगभग पूरा दूध बाहर था।

मैं वैशाली का अधनंगा जिस्म देख देख पागल हो रहा था। मैं तो बस झपटना चाह रहा था।
कोई भी सामान्य आदमी उसको देखकर पागल हो जाए।

मैं कई बार सोचता था कि धीरज जैसे नॉर्मल से लड़के को इतनी खूबसूरत और गठीले बदन की बीवी कैसे मिल गई।

मेरा लण्ड उसको पहली बार ही देखकर खड़ा हो रहा था।
उसको इस हालत में देखकर पूरा लण्ड टाईट था।

मैंने दरवाज़े पर खटकाया तो वैशाली की आंख खुल गयी।

वैशाली मुझे देखकर बोली- अरे सूरज तुम! इतनी सुबह सुबह?

मैंने सोचा वो शायद अपने ब्लाउज़ और कपड़े सही करेगी लेकिन वो तो अपने बालों को सही करने लगी और बालों पर बैंड बांधने लगी।
उसका ब्लाउज़ और टांगें अभी भी वैसी ही थी।

मैंने कहा- लौकी उतारी थी इसलिए देने आ गया।
वैशाली- अच्छा बैठो, मैं चाय बनाती हूं।

उसके ब्लाउज के तीनों हुक अभी तक वैसे ही खुले हुए थे।

तभी ताई जी के कमरे की तरफ आने की आवाज़ आई।
तो वैशाली अब अपने हुक को जल्दी से बन्द करने लगी और साड़ी पहनने लगी।

ताई जी धीरे धीरे चल पाती थी। थोड़ी देर बाद वो किचन में चली गई।

वैशाली की हरकतों को देखकर मैं समझने लगा कि वैशाली को मौका मिले तो मेरा काम हो सकता है।

ऐसे ही कुछ महीने बीत गए।
धीरज भी बीच बीच में आता रहता था।

कुछ महीने बाद मेरे घर पर भतीजे के जन्मदिन पर पार्टी थी। सुबह से ही पकवान बन रहे थे और तैयारी चल रही थी।
ताऊ जी, वैशाली और ताई जी भी मेरे घर पर थे।

तभी मेरी भाभी ने वैशाली से कुछ सामान उसके घर से मंगाया।
जैसे वैशाली अपने घर जाने के लिए उठी, वैसे ही पीछे से मैं भी उठा। मैं वैशाली के पीछे पीछे उसके घर पहुंच गया।

वैशाली से मैंने कहा- भाभी ने एक दो सामान और मंगाया है।
वैशाली जैसे कमरे में घुसी वैसे ही मैंने उसके होंठों पर किस करने लगा।

वैशाली ने मुझे पीछे धकेल दिया, वैशाली बोली- पागल हो गए हो? ये क्या कर रहे हो?
मैं भी घबरा गया।

भाभी ने जो सामान मंगाया था, अब वो उसको ढूंढने लगी।
वो मुझसे बिल्कुल बात नहीं कर रही थी।

सामान थोड़ा ऊंचाई पर था तो वो टेबल पर चढ़कर सामान ढूंढने लगी।
उसने मुझे बुलाया और सहारे के लिए मेरे कंधे को एक हाथ से पकड़ लिया और ऊपर रखे सामान को ढूंढने लगी।

वैशाली की गांड साड़ी में बहुत मस्त लग रही थी।
मेरा पूरा लण्ड टाईट हो चुका था।

वैशाली जैसे उतरने लगी, मैंने फिर से उसको किस करना शुरू किया।
इस बार वो भी साथ देने लगी।

मैं साड़ी के ऊपर से ही उसकी गान्ड को ऊपर से ही मसलने लगा।
2 मिनट तक ये सब चला होगा।

जैसे ही मैंने उसके दूध छूने चाहे, उसने फिर मुझे पीछे धकेल दिया- प्लीज़, चले जाओ, मत करो।
उसने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर जाने लगी।

मैंने दौड़ कर उसका हाथ पकड़ा और कहा- किसी को कुछ नहीं पता चलेगा।
उसने कहा- नहीं।

मैंने इस बार उसके दूध को ब्लाउज़ के ऊपर से रगड़ना शुरू किया।
उसने मेरे हाथ को दूर करने की कोशिश की।

अचानक उसने अपना हाथ हटाकर अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया।
मैं समझ गया कि मेरे दोस्त की बीवी वैशाली गर्म हो चुकी है।

मैंने बिना वक़्त गवाएं उसके ब्लाउज़ के अंदर हाथ डाल उसके दूध की कस कर दबोच लिया।
उसकी तो चीख सी निकल गई- आ आ आ …

मैं जल्दी जल्दी उसके ब्लाउज़ के हुक खोलने लगा।
वो खुल नहीं रहे थे।

वैशाली बोली- रुक जाओ।
वो अपने आप से हुक को खोलने लगी और बेड से उठने लगी।

मैंने सोचा फिर वो जा रही है तो मैंने उसको अपने पास खींचा।
वैशाली बोली- अरे रुको।
और गेट की तरफ झाँकने लगी कि कहीं ताऊ जी तो नहीं आ रहे हैं।

मैंने वैशाली से कहा- घबराओ नहीं, कोई नहीं आएगा।

वैशाली अब बेड पर लेट गई, उसके पूरे दूध खुल चुके थे।
मुझे तो ऐसे लग रहा था जैसे मेरी लॉटरी लग गई हो।
वो बहुत सुंदर लग रही थी।

अगर उसकी कई सारी बहनें शादी के लिए इन्तजार में ना होती तो पक्का उसकी शादी धीरज जैसे लड़के से ना होती।
वो एकदम मस्त माल थी।

मैंने वैशाली को किस करना शुरू किया और उसके दूधों को बहुत देर तक फेंटता रहा।
उसके दूध मैंने अपने मुंह में रखकर दबाना शुरू किया।
वैशाली बिल्कुल हल्की हल्की सिसकारियां भर रही थी।

अब मैंने उसकी साड़ी भी पूरी खोल दी, अब वो बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी।
उसकी गान्ड की गोलाई देख कर मैं दीवानों की तरह उसको दोनों हाथों से दबा रहा था।

मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी।
उसकी चूत से रस निकलने लगा था, हल्की हल्की सी गीली हो रही थी।

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसकी चूत में लन्ड डाल दिया।
उसकी चूत टाईट थी। उसे देखकर लग रहा था वो ज्यादा नहीं चुदी है। वरना 29 साल में कोई दूसरी होती तो बिल्कुल ढीली हो चुकी होती।
शायद इसलिए वैशाली मुझसे शर्मा रही थी।

लन्ड डालते ही उसकी सिसकारियां तेज होने लगी।
मेरा लन्ड पूरा अंदर तक नहीं जा पा रहा था। उसकी चूत अंदर और टाइट लग रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने थोड़ा और अंदर तक तक डालने की कोशिश की।
एक बार वैशाली ने मेरा हाथ पकड़ लिया और रुकने के लिए कहने लगी।
मैंने उसको किस करना शुरू कर दिया।

अब मैं पूरा अंदर तक डालने की कोशिश करने लगा।
और देखते देखते मेरा लन्ड पूरा अन्दर तक जाने लगा।
मेरे झटकों से उसका शरीर पूरा हिलने लगा।

थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए और बेड पर लेट गए।
वैशाली बोली- अब जल्दी घर चलो। सब लोग इंतजार कर रहे होंगे।

वो खड़ी हुई और दूसरे कपड़े पहनने लगी। वो खड़ी थी और उसकी गान्ड बिल्कुल मेरे सामने थी।
मेरा तो फिर खड़ा हो गया।

मैंने उससे कहा- कोई नहीं इंतजार कर रहा होगा … तुम बैठो।
फिर उसका हाथ पकड़ कर मैंने उसे बेड पर बिठा दिया।

मैं खड़ा हो गया और कहा- अच्छा एक बार मेरा लण्ड मुंह में लो।
वो पहले तो मना करने लगी।
फिर मैंने कहा- अच्छा एक बार लण्ड पर किस कर दो।

मैं उसके मुंह के पास लण्ड ले गया।
उसने एक बार किस कर दिया।

मैंने कहा- ऐसे थोड़े मज़ा आएगा, जीभ रखो।
वैशाली ने हल्की सी जीभ छुआई पर थोड़ी देर तक अपनी जीभ रखे रखी।

धीरे धीरे वह अपने आप पूरा लण्ड चूसने लगी।
मेरा लन्ड बिल्कुल खड़ा होकर तन रहा था।
मैंने दूसरे राउंड में भी वैशाली को चोदा।
फिर हम दोनों अलग अलग घर गए।

वैशाली ने भाभी से कह दिया कि धीरज का फोन आ गया था।

अब मैं अधिकतर तब घर आता जब शाम को ताऊ जी और ताई जी बाहर टहलने जाते थे।
वो 1 घंटे के बाद ही आते थे।
ताऊ जी और ताई जी बहुत बूढ़े हो गए थे।

मैंने शुरू शुरू में तो 4 से 5 महीने तक वैशाली को खूब चोदा था।

एक दिन ताऊ जी टहलने गए थे।
अचानक चिकनी सड़क पर फिसलकर मोटरसाईकल से टक्कर के कारण काफी चोट लग गई।
हाथ पैर में चोट के कारण ज्यादा हाथ पैर नहीं हिला पाते थे, बोल भी कम पाते थे।
उनका सारा काम वैशाली को करना पड़ता था।

एक दिन मैं घर आया।
तब वैशाली ताऊ जी को नहला रही थी।

मैंने देखा वैशाली ब्लाउज़ पहने थी और उसके दूध भी मस्त खुले खुले दिख रहे थे।
वैशाली ने मुझको बैठने को कहा।

ताऊ जी तौलिया पहने हुए थे।
वैशाली साबुन लगा लगा कर नहला रही थी। वैशाली ने उनको उठा कर कुर्सी पर बैठाया।

ताऊ जी का तौलिया खिसक गया।
मुझे लगा कि ताऊ बूढ़ा है, इसका क्या खड़ा होता होगा।
परन्तु मैंने देखा ताऊ का हल्का हल्का खड़ा हो रहा था।

मुझे मन में हंसी आने लगी।

थोड़ी देर बाद वैशाली आयी और ताऊ जी का शरीर पौंछा और सरसों के तेल से मालिश करने लगी।
ताऊ जी बेड पर लेटे थे। अभी भी उनके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था।

मुझे लगा बूढ़े आदमी से क्या शर्म।
वैशाली भी 29 साल की है,ताऊ बहुत बड़ा है इसलिए कोई बात नहीं।

वैशाली और तेल लेने किचन की तरफ आयी।
मैंने उससे कहा- अच्छा है। मसाज करती रहो। ताऊ जी जल्दी ठीक हो जाएंगे।

वैशाली ने कहा- ये बहुत गरम हैं। एक दिन हाथ पैर में मसाज के बाद देखा कि ससुर जी का लन्ड हल्का सा गीला गीला हो गया था। अगर इनका लण्ड काम करता तो अभी भी एक दो को चोद रहा होता।
मैं हंसने लगा, मैंने बोला – मुझे यकीन नहीं होता।

वैशाली बोली- तुम ताऊ जी से बोलो कि मैं जा रहा हूं और किचन के पीछे खडे हो जाना, फिर देखना।

मैंने ताऊ जी से कहा- ताऊजी, मैं चलता हूं।
ताऊ जी खटिया पर लेटे थे।
मैं किचन के पास आड़ में खड़ा हो गया।

तभी वैशाली आयी और वहीं खुले जगह में बाल्टी रखी और अपने ब्लाउज खोल कर नहाने लगी।
ताऊ बिल्कुल सामने लेटा था।

बाथरूम के बाहर अधिकतर ताऊ जी नहाते थे। वैशाली भी बाहर नहाने लगी।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था।

वैशाली के दूध पूरे खुले थे; वो उस पर साबुन रगड़ रही थी।

ताऊ जी धूप में लेटे- लेटे वैशाली को देख रहे थे।
वैशाली ने एक नजर ताऊ जी की तरफ देखा, फिर वो नहाने लगी।

लेकिन वैशाली ने नीचे के कपड़े नहीं उतारे थे उसकी सलवार बिल्कुल गीली थी जिससे उसकी गान्ड साफ साफ सलवार से दिख रही थी।
वैशाली ने सिर्फ ब्लाउज़ खोला था।

बीस मिनट बाद वैशाली नहा चुकी थी। अब उसने अपना शरीर पौंछा और कपड़े बदलने के लिए सलवार नीचे गिरा दी।
उसकी नंगी गान्ड ताऊ जी के बिल्कुल सामने थी।

वैशाली बिल्कुल नंगी होकर तीन चार मिनट तक शरीर पौंछती रही।
ताऊ उसको देखे जा रहा था।

मालिश के बाद ताऊ वैसा ही बिना कपड़ों के लेटा था।
वैशाली ने उसके ऊपर के तौलिया डाल दिया था जो इधर उधर हिलने के कारण किनारे हो गया था।

ताऊ का लन्ड दिख रहा था।
उसका लन्ड पहले से हल्का बड़ा और गीला हो गया था।
ताऊ का लन्ड बुढ़ापे के कारण चोदने लायक टाईट नहीं था।

वैशाली की ये मस्ती देख कर मेरा तो पूरा लन्ड खड़ा हो चुका था।
आज मैं गाँव की भाभी की चुदाई किये बिना नहीं छोड़ने वाला था।

मैं अभी भी किचन के पीछे खड़ा था।

वैशाली ने केवल ब्रा और सलवार पहनी।
फिर वो ताऊ से पूछने लगी कि क्या वो अन्दर लेटेंगे क्योंकि बाहर बहुत धूप थी।
ताऊ जी हां बोला।

वैशाली ने देखा खटिया पर ताऊ जी का हल्का हल्का वीर्य लगा था। वैशाली उसको गीले कपड़े से साफ से साफ करने लगी।
मैं समझ गया।

वैशाली और ताऊ जी के बीच ये खेल पहले भी हो चुका होगा।
अब शायद रोज़ वैशाली ताऊ जी के सामने नंगी नहाती होगी।

जब वैशाली खटिया को साफ कर रही थी, उस वक्त ताऊ जी ने अपना हाथ वैशाली के दूध पर रख दिया।
वैशाली को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

ताऊ जी अपने हल्के हाथों से दबा रहे थे।
एक मिनट बाद वैशाली ने अपनी ब्रा को ऊपर खिसका दिया।

ये देख मेरा माल पैंट में ही छूट गया।
ताऊ जी शायद पूरी ताकत लगाने के बाद भी वैशाली के दूध हल्के हल्के ही दबा पा रहे थे।

चार पांच मिनट बाद वैशाली ने ब्रा पहन ली।
उसी गीले कपड़े से ताऊ जी के लन्ड को साफ कर दिया और ऊपर के पूरे कपड़े पहन लिए।
फिर ताऊ को उनके कमरे में लिटा दिया।

ताई जी दोपहर को दवा खाने के बाद गहरी नींद में सो जाती थीं।
वैशाली ताऊ को ताई के बगल में लिटा कर वापस अपने कमरे में आ गई।

मैं पहले से उसके कमरे में आ गया था, मैं बेड पर लेटा था।

वैशाली जैसे आयी, मैंने उससे पूछा- अरे यार! तुमने तो मेरा माल खड़े खड़े निकाल दिया। ताऊ जी और तेरे बीच, ये सब खेल कब से चल रहा है?
वैशाली ने कहा- बस, जब से ससुर जी गिरे हैं। तभी हुआ ये सब!

मैंने पूछा- ताऊ जी ने तुमको चोदा भी है क्या?
वैशाली ने कहा- पागल हो क्या? उनका इस उम्र में हल्का सा खड़ा होता है वो भी हफ्ते में एक दो बार! ये केवल इस तरह मज़े ही लेते हैं।

वैशाली के कपड़े मैंने खोल दिए और कहा- आज समझना ताऊ जी तुम्हें चोद रहे हैं। आज मैं ताऊ जी की तरफ से चोदूंगा।

मैंने अपना लन्ड उसके मुंह में डाल दिया।
एक दो मिनट तक मुंह चोदने के बाद मैंने लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और हर झटके के साथ उसको ताऊ जी की याद दिलाई।

कुछ समय तक ये सब चलता रहा।
वैशाली ताऊ जी के सामने नंगी नहाती और कभी उनके सामने कपड़े बदलती; दो – चार मिनट के लिए अपने दूधो का स्पर्श भी ताऊ जी को देती।
मैं वैशाली को चोदता रहता था.

कुछ महीनों बाद, धीरज ने एक गांव के रिश्तेदार और एक नौकरानी को ताऊ, ताई की देखभाल के लिए रख दिया और वैशाली को अपने साथ ले गया।
वैशाली अब धीरज के साथ ही रहने लगी।

वो अब कम ही देहरादून आते और वैशाली भी एक दो दिन रुकती फिर धीरज के साथ ही वापस लौट जाती।

उस दिन के बाद आज तक मैं वैशाली को चोद नहीं पाया।
ताऊ जी भी शायद वैशाली को याद करते होंगे।

केवल धीरज मज़े में होगा।

प्रिय पाठको, मेरी गाँव की भाभी की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी?
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