मेरे कुंवारे जिस्म में जल रही वासना की ज्वाला- 1

मेरे कुंवारे जिस्म में जल रही वासना की ज्वाला- 1


हॉट कॉलेज गर्ल Xxx कहानी एक कमसिन जवान लड़की की है. उसकी चुत में वासना की चुलबुलाहट होने लगी थी. उसने लंड के लिए अपने टीचर को पटाना चाहा.
सभी लंडधारियों और चुतवालियों को मेरा गुलाबी नमस्कार.
मेरा नाम राहुल है, उम्र 27 साल है और लंड ठीक ठाक है.
ये सेक्स कहानी मेरी नहीं है बल्कि एक लड़की की है और उसी ने मुझे बताई है.
उसने मुझसे इस सेक्स कहानी को लिखकर आपके समक्ष पेश करने को कहा है, तो आइए इस हॉट कॉलेज गर्ल Xxx कहानी का रस लेते हैं.
अब आप उस लड़की की जुबानी ही उसी की सेक्स कहानी का मजा लीजिएगा.
हाय मेरा नाम मोनिका है, मैं अपने मां-बाप की इकलौती औलाद हूँ.
पापा का छोटा सा बिज़नेस है. मम्मी भी कभी कभी पापा के आफिस जाती हैं.
हमारा एक अच्छा सा बंगला है, दो गाड़ी हैं. कारों को रखने के लिए एक बेसमेंट है.
एक ड्राइवर अंकल मेरे और मम्मी के लिए हैं. पापा अपनी कार खुद चलाते हैं.
अभी मैंने कॉलेज का पहला साल खत्म किया है. इससे आप मेरी उम्र का अंदाज लगा सकते हैं.
अभी मेरा फिगर 36-30-38 का है. मैं जब बारहवीं कक्षा में आई थी, तभी से मेरी चुत में खुजली शुरू हो गई थी.
उस टाइम मेरे बूब्स भी 34 के हो गए थे तो मैं एकदम माल लगने लगी थी.

घर से स्कूल 4 किलोमीटर दूर था. मैं जानबूझ कर पब्लिक ट्रांसपोर्ट यानि बस में जाती थी ताकि भीड़ में मुझे कोई टच करे … जिससे मुझे अच्छा लगे.
क्लास के सारे लड़के और कोई कोई टीचर भी भी मुझे चोदने की फिराक में रहने लगे थे.
तभी से ही मेरे पास एक अच्छा सा मोबाइल आ गया था तो मैं मोबाइल में पोर्न मूवी रोज ही देखने लगी थी.
इसी वजह से मुझे चुदवाने की बड़ी इच्छा हो रही थी लेकिन मैं ऐसे ही नहीं चुद सकती थी.
मेरे दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था.
मुझे भी सब हवस वाली निगाहों से देखें, वो अच्छा लगता था.
फिर मुझे खुद भी लोगों को उत्तेजित करने में एक बेहद आनन्द आता था.
इसी वजह से बहुत दिनों तक तो मैंने लोगों को बहुत उत्तेजित किया.
हमारी स्कूल यूनिफॉर्म में एक ब्लू कलर का स्कर्ट और ऊपर एक सफेद शर्ट रहता था.
मैं अपने घर में ही किसी भी ड्रेस के साथ ब्रा और पैंटी पहनती थी. मगर बाहर जाते वक्त मैं ब्रा पैंटी निकाल देती थी, जिससे मैं लोगों को ज़्यादा उत्तेजित कर पाऊं.
हमारे सारे सर 40 साल के ऊपर के ही उम्र वाले हैं और मुझे भी ऐसे ही लोगों को उत्तेजित करना अच्छा लगता है.
बात उन दिनों की है जब ठंडी का मौसम था.
मैं स्कूल जाते टाइम शर्ट और स्कर्ट और एक चैन वाला स्वेटर पहनती थी लेकिन अन्दर कुछ नहीं.
मतलब ब्रा पैंटी में अपने बैग में रख देती थी.
क्लास में एक बेंच में सिर्फ दो लोग बैठते थे. एक कोने में और एक कार्नर पर. मैं हमेशा पहली बैंच पर कोने में बैठती थी.
अब शायद आप लोगों ने नोटिस किया है या नहीं … मुझे नहीं पता. लेकिन स्वेटर में बूब्स का उभार एकदम मस्त दिखता है. मेरा भी सामान दिखता था.
इससे सब लोग बूब्स को ही देखते थे और वैसे भी मैं तो अन्दर ब्रा भी नहीं पहनती थी तो स्वेटर में मेरे मम्मों का उभार कुछ ज़्यादा ही अच्छे से दिख रहा होता था.
मैंने अपनी क्लास के एक सर को उत्तेजित करना शुरू किया जो कि फर्स्ट लेक्चर के लिए आते थे.
वो जब भी आते, तब मैं जानबूझ कर अपनी शर्ट के दो बटन और स्वेटर की थोड़ी चैन खोल कर रख देती जिससे वो मेरी क्लीवेज देख पाएं.
मैं नार्मल ही रहने का नाटक करती रहती थी.
सर रोज सुबह मेरे पास ही खड़े होकर सबको पढ़ाते थे और मेरी क्लीवेज के दर्शन करते थे.
मैं भोली बनकर मजे लेती रहती थी.
कभी कभी सर का लंड भी अकड़ जाता था लेकिन कैसे भी करके वो छुपा लेते थे.
थोड़े दिन ऐसे ही चला.
उसी समय मैं अपनी क्लीवेज थोड़ी और ज़्यादा दिखाने लगी थी.
मुझे तो इस सबमें बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मैंने स्कूल जाते टाइम शर्ट भी पहनना बंद कर दिया.
मैं सिर्फ स्वेटर और स्कर्ट पहन लेती थी.
जब पहले दिन मैं सिर्फ स्वेटर और स्कर्ट पहन कर गई, उसी दिन मैंने थोड़ी और चैन खुली रखी ताकि सर मेरे बूब्स को और देख सकें.
सर मुझे देखकर यही सोच रहे थे कि मैंने आज शर्ट नहीं पहनी है लेकिन वो कन्फर्म नहीं कर पा रहे थे.
इसी बात को कन्फर्म करने के लिए सर ने सबको सुनाने के नजरिये से कहा कि आज ठंड थोड़ी कम है … मुझे तो गर्मी सी लग रही है.
ऐसा बोलकर सर ने खुद का स्वेटर निकाल दिया.
अब जब सर ने स्वेटर निकाला तो आधे स्टूडेंट ने भी निकाल दिया लेकिन मैंने नहीं निकाला.
सर की नज़र भी मेरे पर ही थी कि मैं क्या करती हूं.
अब मैंने भी ‘गर्मी लग तो रही है …’ ऐसा बोलकर स्वेटर की चैन थोड़ी और नीचे कर दी, जिससे सर को मेरे आधे बूब्स एकदम साफ दिखने लगे थे और उनकी नज़र मेरे निप्पल ढूंढने में लगी थी.
इसी बीच सर का लंड एकदम टाइट हो गया था जिस वजह से वो खड़े ना रहते हुए कुर्सी में मेरे सामने बैठ गए.
सर का मन अब पढ़ाने में नहीं था, उनको तो कैसे भी करके मेरे पूरे बूब्स देखने थे लेकिन वो सफल नहीं हो पा रहे थे.
तभी सर ने अपने हाथ से जानबूझ कर एक किताब मेरे पास गिरा दी.
जैसे ही मैं किताब लेने के लिए अपनी बेंच से नीचे झुकी, तुरंत ही मेरा एक बूब पूरा बाहर आ गया और सर ने देख लिया.
मेरी नंगी चूची को देखते ही सर अपनी जीभ अपने होंठों पर और हाथ लंड पर फिराने लगे.
मैंने भी तुरंत किताब सर को दी और ये सब अनजाने में हुआ, ऐसा नाटक करते हुए अपना बूब स्वेटर के अन्दर कर लिया और चैन को पूरा बंद कर लिया.
ये सब मैंने ऐसे किया था, जिससे सर को लगे कि ये सब इतने दिनों से जो हो रहा था, वो अनजाने में ही हो रहा था.
मैं अब ऊपर बेंच पर सीधी बैठ गई.
खैर … ये क्लीवेज दिखाना बहुत दिनों तक चला, लेकिन आगे मामला मैंने बढ़ने नहीं दिया.
सर भी यही समझ रहे थे कि ये सब एक इत्तेफाक से हुआ था.
हालांकि इतने समय में सर ने ये जान लिया था कि मैं पब्लिक बस से आती हूँ, तो वो मेरा पीछा करने लगे.
अब स्कूल खत्म होने के बाद हालात ये होने लगे थे कि मैं जिस बस से घर जाती, उसी बस में सर भी अपने घर जाने लगे थे.
खाली सीट हो तो मेरे बाजू में ही आकर बैठ जाते … या भीड़ हो तो मेरे साथ ही खड़े रहते.
तब भी उन्होंने मेरे साथ कभी कुछ भी करने की कोशिश नहीं की.
अब हुआ यूं कि एक दिन स्कूल खत्म होने के बाद हम दोनों बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार कर रहे थे.
थोड़ी देर में बस आई लेकिन उस दिन बस में भीड़ कुछ ज्यादा थी.
तभी सर बोले- मोनिका तुम कैसे भी करके बस में चढ़ जाना. दूसरी बस का कोई भरोसा नहीं कि कब आए.
जैसे ही मैं बस में चढ़ने के लिए सीढ़ी के पास गई, सर मेरे पीछे ही थे और धक्का-मुक्की में उन्होंने एक दो बार मेरे मम्मों को टच तो किया, पर दबाया नहीं.
कुछ पल बाद हम दोनों ही बस में चढ़ गए थे और चूंकि भीड़ ज़्यादा थी तो सर मेरे पीछे खड़े थे.
बस बार बार ब्रेक लगा रही थी जिससे सर का धक्का मुझे लग जाता था.
इसी वजह से सर का लंड मेरी गांड से टच हो रहा था.
सर ने भी ये बात नोटिस की और वो जानबूझ कर मेरे पीछे चिपक कर खड़े हो गए.
मैं पहली बार किसी का लंड अपनी गांड के ऊपर महसूस कर रही थी.
हालांकि ऐसा मैंने पहले भी महसूस किया था … लेकिन इतनी अच्छी तरह से नहीं किया था.
मुझे बेहद मज़ा आ रहा था और सर को भी. लेकिन दोनों का बर्ताव ऐसा था कि ये भीड़ की वजह से हो रहा है.
उतना सब होने से टीचर का लंड एकदम बम्बू बन गया था और वो गर्म भी था जो मैं महसूस कर रही थी.
वो धीरे धीरे आगे पीछे हो रहे थे और मैं सर के लंड का आनन्द ले रही थी.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और मैं ये सोच रही थी कि अगर कपड़ों के ऊपर से ही इतना मज़ा आ रहा है तो बिना कपड़ों के तो कितना आएगा.
ऐसा चल ही रहा था कि सर ने देखा कि उनका लंड मेरी स्कर्ट के साथ पूरी तरह गांड की दरार में जा चुका है.
उनको संदेह हुआ कि मैंने पैंटी नहीं पहनी है. इसे चैक करने के लिए सर ने अपना लंड थोड़ा पीछे करके एक हाथ मेरी गांड पर लगा दिया.
मैंने कोई ऐतराज नहीं किया तो सर अब धीरे धीरे मेरा स्कर्ट उठाने लगे थे.
लेकिन मुझे डर भी लग रहा था और ये विचार भी आ रहा था कि अगर सर को पता चला कि मैं बिना पैंटी के हूँ तो शायद वो मुझे इस बात को लेकर परेशान भी कर सकते हैं.
ये तो मैं हरगिज़ नहीं चाहती थी तो मैंने पीछे पलट कर सर को गुस्से से देखा और सर का हाथ हटा दिया.
सर भी शायद डर गए थे और सोच रहे थे कि भीड़ के इत्तेफाक में वो कुछ ज़्यादा ही खुल गए थे लेकिन फिर भी वो अपना लंड मेरी गांड पर कभी कभी टच कर लेते थे और कभी कभी उनका लंड मेरे हाथों को भी छू लेता था.
कुछ महीने बाद सर का ट्रांसफर हो गया और मेरे लिए एक सैट किये हुए मर्द का साथ खत्म हो गया.
छुट्टियों में तो मैंने कुछ खास किया नहीं और स्कूल शुरू होते ही फिर से मुझे वो सब पुरानी बातें याद आ गईं.
लेकिन अब मैं घर पर अपनी चुत में उंगली डाल कर या गाजर, मूली डाल कर अपनी वासना को शांत करने लगी थी.
जैसे तैसे करके मैंने 12 वीं कक्षा भी खत्म कर ली और उसके बाद एक कॉलेज में एड्मिशन ले लिया.
कॉलेज तक तो मेरे बूब्स 34 से 36 के हो गए थे और काफी सख्त हो गए थे.
इसी कारण बहुत से लड़कों ने मुझे प्रपोज़ भी किया.
मैंने किसी को हां नहीं बोली यहां तक कि मैंने किसी को अपना नम्बर भी नहीं दिया.
कॉलेज में आते ही मैंने थोड़े नए कपड़े भी ले लिए जिसमें ज़्यादातर स्कर्ट ही लिए थे.
स्कर्ट के अलावा मैंने कुछ जींस, टी-शर्ट, लैंगिंग्स, सलवार सूट आदि भी ले लिए थे.
अभी ऐसा भी नहीं था कि मेरी वासना कम हो गई थी, उल्टा ये और ज़्यादा बढ़ गई थी.
लेकिन मैं किसी तरह का रिस्क लेना नहीं चाहती थी.
मैं सोच भी रही थी कि कैसे और किसके साथ सेक्स करूं.
एक दिन ऐसे ही मैं कॉलेज से आकर घर पर अन्तर्वासना पर चुदाई की कहानी पढ़ रही थी.
तभी मम्मी ने कहा- चलो थोड़ा घर का सामान लेकर आते हैं.
मैं तैयार हो गई और एक मैंने छोटा सा पर्स ले लिया.
हम दोनों ड्राइवर के साथ गाड़ी में बैठ कर बाजार चले गए.
आज मैं बहुत ज्यादा चुदासी हो रही थी और मेरा मन कर रहा था कि किसी का भी लंड अपनी चुत में ले लूं.
फ्रेंड्स इस सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको मैं बताऊंगी कि कैसे मैंने अपनी चुत की फड़फड़ाहट को किसके लंड से शांत करवाई.
मेरी हॉट कॉलेज गर्ल Xxx कहानी के लिए आप मुझे मेल भेजना न भूलें.
[email protected] हॉट कॉलेज गर्ल Xxx कहानी का अगला भाग: मेरे कुंवारे जिस्म में जल रही वासना की ज्वाला- 2

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