MIL Sex कहानी में मैंने अपनी सेक्सी सास को चोदा. मेरे ससुर शायद उनकी अन्तर्वासना को शांत नहीं कर पाते थे. एक रात को मैंने अपनी सास को चोद दिया.
नमस्कार दोस्तो, मैं राज मल्होत्रा हूँ और मैं बिहार का रहने वाला हूं. आप सभी मुझे राज के नाम से बुलाते हैं.
दोस्तो, मेरी कहानी के पहले भाग
मेरी सास की अनबुझी प्यास
में अपने अब तक पढ़ लिया था कि मेरी सासु मां मेरे लंड पर मोहित हो चुकी थीं और वे मेरे लौड़े की याद में अपनी चूत की मुठ भी मार चुकी थीं.
उस दिन रात को छत पर मेरी साली सुधा की झांटों से भरी बुर में उंगली करने के बाद वह झड़ गई थी और नीचे चली गई थी.
फिर मैं भी नीचे आ गया था और अंधेरे में ही कमरे में मोबाईल की टॉर्च से देख रहा था.
सामने मेरी सास की नाइटी उठी हुई दिखी और उनकी झांट रहित चिकनी चूत देख कर मुझसे रहा न गया और मैं उनकी चूत से खेलने लगा.
वे भी मुझसे लिपट गईं. शायद उन्होंने मुझे अपना पति समझा था और उसी के चलते उन्होंने मेरे लौड़े पर अपना हाथ रख दिया था.
अब आगे MIL Sex कहानी:
उनके हाथ लगने से मेरे लंड में पुन: तनाव आ गया और मैं अपनी सासु मां के हाथ का सुख लेने लगा.
सासु मां का हाथ लंड को टटोल कर रुक गया था.
मैंने अपना हाथ आगे किया और उनके हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर अपने लौड़े को सहलवाने लगा.
एक मिनट में ही सासु मां का हाथ खुद ब खुद लंड से खेलने लगा.
अब मैंने अपने हाथ को बढ़ा कर उनकी चूचियों को भी सहलाना शुरू कर दिया.
वे मस्त होने लगीं और उनकी हल्की सी आवाज उन्ह उन्ह की निकलने लगी.
मैंने सोच लिया कि साला जो होगा देखा जाएगा.
घुप्प अंधेरा तो है ही … यही कह दूंगा कि मैं तो अपनी बीवी समझ कर चढ़ गया था.
बस यह बात दिमाग में आते ही मैंने उनकी चूत को टटोला.
सासु मां की चूत पानी से तरबतर थी और चुहचुहा रही थी.
इसी कारण से मेरी उंगली सट से चूत के अन्दर घुस गई.
आह … चूत की गर्मी से उंगली एकदम से तप गई थी.
उनकी चूत में रस का लावा भरा हुआ था.
मैंने भी अंगूठे से चूत के दाने को मसलना शुरू किया और उंगली से चूत की चुदाई शुरू कर दी.
सासु मां अपनी टांगों को कुलबुलाने लगीं.
तभी वह हुआ, जिससे मुझे तो मानो जन्नत नसीब हो गई.
सासु मां की आवाज आई- राज … उंगली से काम नहीं चलेगा!
एक बार को तो मैं उनके मुँह से अपना नाम सुनकर डर गया.
फिर समझ में आ गया कि सासु मां दामाद से चुदने के लिए राजी हैं.
अब मैंने भी कह दिया- तो क्या सीधा लंड पेल दूँ?
वे हंस दीं और बोलीं- और कोई विकल्प भी नहीं है.
मैंने फट से उठ कर अपने सारे कपड़े उतारे और सासु मां की नाइटी को भी हटा दिया.
वे बोलीं- दरवाजा बंड कर दो राज!
मैंने दरवाजे को कुंडी मारी और उनके पास आ गया.
अंधेरा अब भी था.
बिजली जलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
सासु मां ने कहा- टॉर्च जला लो.
मैंने कहा- क्या जरूरत है?
वे बोलीं- ठीक है, रहने दो.
अब मैं और सासु मां एक दूसरे से चिपक गए और चूमाचाटी करने लगे.
सासु मां की जीभ को मैंने अपने मुँह में भर लिया था और उनकी जीभ से अपनी जीभ को कबड्डी का मैच खिलाने लगा था.
सासु मां की आह आह की कामुक आवाजें मेरे लौड़े को तनतना रही थीं.
एक पल को चुंबन टूटा तो मैंने कहा- लंड चूसोगी?
वे बोलीं- उसके लिए तो कब से तरस रही हूँ.
मैंने तुरंत 69 का पोज बनाया और चूत पर मुँह लगा दिया.
सासु मां की चूत से मस्त महक आ रही थी.
शायद उन्होंने चूत पर कोई खुशबू लगाई हुई थी.
मैंने चूत चाटना शुरू कर दी और उधर सासु मां ने मेरे लौड़े को चूसना शुरू कर दिया था.
वे एक माहिर चुसक्कड़ लग रही थीं, तो लंड के साथ टट्टे भी सहलाती हुई चूस रही थीं.
कुछ ही देर में मैंने महसूस किया कि मेरा लंड अब पिचकारी छोड़ने वाला है.
मैंने उन्हें टांग के इशारे से छूटने के लिए कहा तो उन्होंने टांग पर हथेली से थपथपा कर अन्दर ही रस छोड़ने का कह दिया.
मैंने लंड की रबड़ी अपनी सासु मां के मुँह में छोड़ दी.
ठीक उसी पल उन्होंने भी अपनी चूत का शर्बत मेरे मुँह में टपकाना शुरू कर दिया.
हम दोनों काफी निढाल सा महसूस करने लगे थे.
एक दो मिनट के बाद मैं सीधा हुआ और सासु मां की चूचियां मसलता हुआ कहने लगा- इतना अच्छा तो आपकी बेटी भी नहीं चूस पाती है.
वे हंस दीं और बोलीं- आपने उसे सिखाया नहीं होगा!
मैंने कहा- यह कला तो आनुवांशिकता के अनुसार ही आ जाती है.
सासु मां हंसने लगीं और मेरे लंड पर पने हाथ चलाने लगीं.
लंड एकदम निर्जीव सा पड़ा था लेकिन सासु मां ने टट्टों को टटोला तो लंड में फुरफुरी आने लगी.
हम दोनों एक दूसरे से प्यार मुहब्बत की बातें करने लगे और एक दूसरे को सहलाते हुए गर्म करने लगे.
कुछ देर बाद मैं उठ कर बाथरूम गया और पेशाब करके वापस आ गया.
मेरे आने के बाद सासु मां भी बाथरूम में गईं और वे भी पेशाब करके बाहर आ गईं.
अब वे सीधे मेरे लौड़े की सवारी की कहती हुई मेरे लंड पर बैठ गईं और लौड़े को चूत से रगड़ कर गर्म करने लगीं.
मैंने कहा- आपकी चूत बड़ी चिकनी है!
वे बोलीं- हां, आज ही साफ की थी.
मैंने कहा- आज ही क्यों साफ की?
वे बोलीं- आज मैंने यह पक्का कर लिया था कि आज नहीं तो कल मुझे आपके साथ सेक्स करना ही है.
मैंने कहा- यदि मैं आपके करीब नहीं आता, तो कैसे करतीं?
वे बोलीं- राज, शुरुआत तो तुमको ही करनी पड़ती. बस मैं तो तुम्हें अपनी रसभरी चूचियां दिखा सकती थी.
मैंने कहा- हां, पर आज तो आपने पहले अपनी चूत दिखा दी थी!
वे बोलीं- हां मुझे पता चल गया था कि आपका अब नीचे आने का मन बन जाएगा!
मैं यह सुनकर चौंका और मैंने पूछा- वह कैसे मालूम हुआ?
मुझे उनकी इस बात से समझ आ गया था कि या तो सासु मां ने मुझे सुधा (मेरी साली) की चूत से खेलते हुए देख लिया था … या सुधा भी इनके साथ ही मिली हुई है.
यदि सुधा भी इनके साथ मिली हुई होती है, तब तो मजा ही आ जाएगा.
हालांकि इस बात की उम्मीद कम ही थी.
मेरी इस बात पर सासु मां हकलाती हुई कहने लगीं- अरे वह सब छोड़ो न … आज तो तुम आम चूसो, गुठलियों को क्या चूसते हो?
मैंने फिर से अपनी साली का जिक्र छेड़ते हुए कह दिया- क्यों सुधा ने कुछ कहा था क्या?
अब वे सकपका गईं.
मैं समझ गया कि यह बात इन दोनों मां बेटी की मिली भगत से जुड़ी हुई है.
वे चुप रहीं और मेरे होंठों को चूसने लगीं.
मैंने भी सोचा कि पहले सासु मां की ले लेता हूँ, बाद में साली की बात करूंगा.
यदि दोनों में चुदवाने की ललक हुई … तो इन दोनों को एक साथ भी चोद दूंगा.
अब तक मेरी सासु मां की कोशिशें रंग ले आई थीं और मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मैंने अपने लंड को सासु मां की चूत में सैट किया और उनकी चूत में लंड पेल कर गांड उठाने लगा, MIL Sex का मजा लेने लगा.
सासु मां को भी लंड से राहत मिलने लगी थी तो वे भी अपनी गांड उठा कर लंड को अन्दर बाहर करवाने लगीं.
लंड ने भी सासु मां की चूत का जायजा लिया और उनकी दोनों चूचियों को पकड़ कर गांड उठा उठा कर लंड पेलने लगा.
सासु मां भी मजा ले रही थीं.
कुछ मिनट की चुदाई के बाद सासु मां हांफने लगीं और बोलीं- अब मुझसे नहीं होगा.
मैंने पूछा- क्या हुआ, झड़ गईं क्या?
वे बोलीं- नहीं झड़ी तो नहीं हूँ लेकिन थक गई हूँ.
मैंने उनकी गांड पर हाथ फेरा और चुदाई रोक दी.
वे बोलीं- रुक क्यों गए? तुम ऊपर आ जाओ न!
मैंने कहा- जल्दी है क्या?
वे मेरे गाल को चूम कर बोलीं- नहीं तो … मुझे कोई जल्दी नहीं है दामाद जी … आप अपना वक्त लो.
मैंने उनकी चूचियों को सहलाते हुए कहा- मम्मी जी, खुल कर बात करो न आप, शर्मा क्यों रही हैं?
वे कहने लगीं- चूत में लंड लिए आपके ऊपर चढ़ी हूँ, इससे ज्यादा बेशर्मी और क्या होगी दामाद जी?
मैंने तुरंत चोट करते हुए कहा- तो फिर सुधा की बात करें!
वे बोलीं- सुधा को भी उंगली से चोदा है ना आपने?
मैंने कहा- हां. मुझे लगा था कि वह मेरी बीवी थी!
सासु मां हंस कर बोलीं- किसे चूतिया बना रहे हो दामाद जी!
मैंने भी कहा- हां यार, वह दारू का नशा चढ़ा हुआ था और मेरे मन में आपकी चूत चुदाई की बात चल रही थी. आपकी मुठ मारने वाली आवाजें मुझे बेहद उत्तेजित कर रही थीं.
वे हंस कर बोलीं- और आप उसी वजह से सुधा के ऊपर चढ़ जाना चाहते थे?
मैंने कहा- हां यार … सुधा भी बड़ी गर्म चीज है.
वे बोलीं- और मैं कैसी लग रही हूँ राज?
मैंने कहा- आप तो मसाले से भरी हुई गर्म कचौड़ी हैं.
वे बोलीं- जब उसकी मम्मी भी आपको गर्म कचौड़ी लग रही है, तो वह तो अभी कमसिन है और बिना चुदी है. वह तो गर्मागर्म होगी ही!
मैंने कहा- वह तो ठीक है मम्मी जी … पर उसकी कैसे मिलेगी?
वे बोलीं- उसकी मां बहन तो चोद ही चुके हो. अब क्यों उसके पीछे पड़े हो!
मैंने कहा- पीछे नहीं, आगे की लेने के लिए पड़ा हूँ.
वे हंसने लगीं और बोलीं- लो, फिलहाल मां का दूध पियो!
यह कहती हुई सासु मां ने अपना एक दूध मेरे मुँह में दे दिया.
मैं उनके चुसे हुए लेकिन भरे हुए दूध को मुँह में भर कर चूसने लगा और उनके निप्पल को दांत से काटते हुए चुभलाने लगा.
मेरी इस हरकत से सासु मां की सिसकारियां निकलने लगीं.
मैंने उनकी उत्तेजना का फायदा उठाने की बात सोची और फिर से कहने लगा- मम्मी जी, एक बार सुधा की ले लेने की इजाजत दे दीजिए न!
वे कससाती हुई बोलीं- उसकी चूत में तो उंगली कर ही चुके हो. उस वक्त मुझसे पूछ कर सुधा की चूत को छेड़ा था क्या?
मैं समझ गया कि सासु मां का आशय क्या है.
चूंकि अभी उनकी चूत में लंड हरकत कर रहा था, तो उनसे अश्लील बातें करने में मजा आ रहा था.
मैंने उनकी दूसरी चूची को चूसना चालू किया और कहा- उसके साथ आपको बगल में लेटा कर चोदने का मन है.
वे हंस दीं और बोलीं- फिर कहना कि अपनी बीवी को भी मेरे बगल में लिटा कर चोदने का मन है.
मैंने बीवी का नाम सुना तो कहा- यह असंभव है मम्मी जी. आप भी जानती हैं कि आपकी बड़ी बेटी किस तरह के मिजाज की है.
सासु मां ने अब मेरी क्लास लगानी शुरू कर दी- क्यों अपनी बीवी से आपकी फटती है क्या?
मैंने कहा- क्यों यार, उसका नाम लेकर चुदाई का मजा खराब कर रही हो?
वे खिलखिला कर बोलीं- अब समझ में आया कि सुधा की लेने की बात पर मुझे कैसा लगा होगा!
मैंने कहा- चलो सुधा को बाद में देखूँगा. अभी आपकी सर्विसिंग कर लेता हूँ.
यह कहते हुए मैंने गांड उठा कर सासु मां की चूत में ठोकर लगानी शुरू कर दी.
ऊपर से सासु मां ने भी हिचकोले लगाने शुरू कर दिए थे.
वे भी कहने लगीं कि मैं तो कब से कह रही हूँ कि पहले मेरी तो सही से ले लो.
मैंने कुछ देर बाद सासु मां को घोड़ी बनाया और उनकी चूत की चुदाई करना चालू कर दी.
करीब दस मिनट बाद मैंने सासु मां की चूत से लंड निकाला और उनके मुँह में लंड दे दिया.
सासु मां ने लंड को चूस कर सारा वीर्य खा लिया और लंड को चाट कर साफ कर दिया.
दोस्तो, उस रात मैंने सासु मां की एक बार और ली. फिर मैं अपने कपड़े पहन कर एक तरफ को होकर सो गया.
अब मेरी अगली मंजिल सुधा की चूत है. उसकी चुदाई करने में सफलता मिलते ही आपको उसकी चूत चुदाई की कहानी भी लिखूँगा.
MIL Sex कहानी कैसी लगी आपको? आप मेल करें.
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