मॉम डैड सेक्स कहानी में पढ़ें कि जब मैं मम्मी पापा के कमरे में सोता था तो मैं उनकी सेक्स क्रिया देखा करता था. मुझे पता था कि मेरी मम्मी का कामवासना अधिक है.
दोस्तो, मेरा नाम रवि है. घर में मुझे चिन्टू भी कहते हैं.
मेरी इस मॉम डैड सेक्स कहानी में मैंने अपनी मम्मी पापा की मस्त चुदाई अच्छे से देखी थी.
मेरी इतनी मस्त चुदाई से वो भी मन ही मन मेरे लंड की तारीफ करने लगी थीं कि सच में आज उनकी मस्त चुदाई हुई थी.
पहले मैं आपको अपनी फैमिली के बारे में बता देता हूं.
मैं जोधपुर का रहने वाला हूँ और अभी मेरी उम्र 25 साल है. मम्मी की शादी चूंकि कम उम्र में ही हो गयी थी तो उनकी उम्र अभी 43 साल की है. पापा करीब 45 के हैं.
अपनी मम्मी के बारे में बताऊं तो आप भी गर्म हो जाएंगे.
मेरी मम्मी की गांड बहुत ही मांसल और गदरायी हुई थी.
गांड की दरार भी लम्बी और इतनी गहरी है कि बीच वाली उंगली बड़े आराम से आधी चली जाती है.
उनके चूतड़ों की लचक इतनी ज्यादा है कि जब वो चलती हैं तो दोनों चूतड़ ऊपर नीचे हिलते हैं. जिसे देखकर कोई भी मर्द यही समझ लेगा कि मेरी मम्मी गांड में लंड लेने की शौकीन हैं और वो कई मर्दों से अपनी गांड में लंड पेलवा चुकी हैं.
लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था.
मेरी मम्मी बिल्कुल घरेलू और अच्छी महिला हैं.
हां यह जरूर है कि वो कामुक खूब हैं और पापा का लंड खूब मजे से लेती हैं.
मम्मी की चूचियां भी एकदम गोल और बड़ी हैं. उनके निप्पल हर वक्त ऐसे तने रहते थे, जैसे अभी अभी किसी मर्द के मुँह में डालकर जी भरके चुसवा कर आई हों.
मम्मी की चूत की बात करूं तो ये बीच में से थोड़ी लंबी और फूली हुई है और चूत की फांकें भी आपस में एकदम चिपकी हुई ऐसी दिखती हैं जैसे कभी लंड लिया ही न हो.
जबकि वो हज़ारों बार पापा का लंड डलवा कर अपनी चूत का भोसड़ा बनवा चुकी थीं.
दोस्तो, अपनी के बारे में ये सब मुझे इसलिए मालूम है क्योंकि मैंने मम्मी की चुदाई खूब देखी है.
सच में वो ऐसे मस्त तरीके से चुदवाती थीं कि देखने वाला उनको चोदे बिना रह ही नहीं सकता था.
देखने वाले के मन में उस समय यही आएगा कि काश एक बार ऐसी औरत चोदने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए.
हालांकि मैं जानता हूं कि मम्मी की चूत में बहुत आग है और उन्हें हफ्ते में 3-4 बार चुदने के लिए लंड तो चाहिए ही होता था.
एक खास बात ये भी थी कि चुदते वक़्त वो इतना खुल कर और कामुक तरीके से चुदती थीं जैसे कोई वेश्या अपने ग्राहक से चुद रही हो.
चुदाई के बाद मम्मी बिल्कुल शांत और धार्मिक स्वभाव की ऐसी हो जाती थीं जैसे वो अपनी चूत में कभी लंड न लेती ही न हों और चुदाई को गलत आदत मानती हों.
कुल मिलाकर उन्हें चुदने की काफी कामना रहती है.
तब भी ऐसा नहीं था कि मम्मी अपनी चूत की आग शांत करने के लिए पराए मर्द से चुदवाती हों.
वो पराये मर्दों से चुदने का सोच भी नहीं सकती थीं, भले ही जब वो कहें, तब पापा उनको ना भी चोदें.
मेरी मम्मी पापा से ही खूब चुदवाती हैं और पापा को भी खूब मस्ती के साथ चोद चोद कर बेहाल कर देती हैं क्योंकि दस में से आठ बार तो मम्मी ही पापा को चुदाई के लिए निमंत्रण देती थीं.
ये सब मुझे इसलिए मालूम था क्योंकि जब मैं छोटा था और चुदाई समझने लगा था, उस वक्त तक मैं मम्मी पापा के साथ ही सोता था.
मम्मी पापा को लगता था कि उस वक़्त मैं कुछ नहीं जानता था.
उस समय पापा अलग बिस्तर पर सोते थे और मैं और मम्मी अलग बेड पर सोते थे.
दोनों पलंग पास पास चिपके हुए थे.
एक बार की बात बताता हूँ. एक दिन हम लोग सो रहे थे तो करीब रात 12 बजे मम्मी मुझे मोटी चादर उढ़ा रही थीं.
दरअसल हल्की हल्की ठंड पड़ रही थी तो मेरी इस हलचल से मेरी आंख खुल गयी.
थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मम्मी बिल्कुल किनारे के तरफ सरक कर करवट बदल कर लेट गईं और सोने लगीं.
तभी मैंने देखा कि पापा भी करवट बदल कर मम्मी की तरफ मुँह करके लेट गए.
थोड़ी देर बाद पापा ने अपना हाथ बढ़ाया और मम्मी की चादर के अन्दर हाथ सरकाकर मम्मी की बड़ी गोल मांसल गदरायी हुई गांड पर रख दिया और हल्के हल्के सहलाने लगे.
मैंने सोचा पापा ये क्या कर रहे हैं.
मैं चुपचाप देखने लगा.
तभी पापा ने मम्मी की गांड के ऊपर से चादर हटाई और उनका पेटीकोट पूरा कमर तक उठा दिया.
वो मम्मी की पूरी गांड नंगी करके दोनों चूतड़ों को सहलाते हुए मसल रहे थे.
मैंने देखा तो हैरान रह गया.
मेरी मम्मी की गांड क्या मस्त गांड थी.
मम्मी के चूतड़ों के बीच के दरार भी ऐसी थी मानो उनकी गांड से किसी गर्म भट्टी की आंच आ रही हो.
मैं हक्का बक्का होकर उन दोनों की हरकतें देखने लगा.
पापा ने मम्मी की गांड पर एक तमाचा मारा और अपने हाथ की मुट्ठी से जैसे ही एक चूतड़ को दबाया, मम्मी के मुँह से बड़ी जोर सिसकारी निकली.
वो बोलीं- आह ओह्ह.
जैसे ही मम्मी के मुँह से आवाज़ निकली, पापा ने फिर से मम्मी के चूतड़ मसलते हुए उनको अपनी ओर ऐसे खींचा, जैसे इशारे से कह रहे हों कि आ जा मेरी जान … आह आह मत कर, आज तुझे पूरी रात चोद चोद कर इतना बेहाल कर दूंगा कि तू लंड को चूत से निकलने भी नहीं देगी. तेरी चूत को आज फाड़ कर रख दूंगा, तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा मेरी जान.
जैसे ही पापा ने मम्मी के चूतड़ को अपनी ओर खींचा और मम्मी ने अपनी टांग उठा कर पापा की कमर पर रख दी.
इससे मेरी मम्मी की गांड की दरार फैल गयी.
पापा ने तुरंत ही अपनी उंगलियां मम्मी की चूत पर रख दीं और चुत सहलाने लगे, मसलने लगे.
अब तो मम्मी बुरी तरह से बौखला गईं और बोलीं- क्या है … इतना मन हो रहा है तो उठाकर अपने बिस्तर पर क्यों नहीं लेटा लेते. मैं आ जाऊंगी और तुम्हें शांत कर दूंगी मगर अब और मत तड़पाओ. मैं तैयार हो चुकी हूं.
मम्मी के मुँह से ये सुनकर मेरे होश उड़ गए क्योंकि धार्मिक और घरेलू होकर इतनी कामुकता के साथ मम्मी चुदती हैं, ये मुझे नहीं मालूम था.
मम्मी की एक आदत थी कि चुदाई के वक़्त कभी कभी जब ज्यादा उत्तेजित होकर चुदती थीं तो खूब बोलती है- आह आह हहए ओफ बहुत मज़ा आ रहा है ओह्हहए रवि के पापा करते रहो … प्लीज उफ़्फ़फ हए … मैं मर जाऊंगी तुम्हारे प्यार में … और करो … और मारो झटके … पूरा लंड डाल कर पूरा निकालो, फिर पूरा डालो अह … अपनी जान को खूब प्यार करो!
फिर झड़ते वक़्त बोलती है- आह आह आह उई मां हए हए मेरा हो गया … मेरा हो गया … हए हए आई रे आये रे आआ आआई ईईईए आं आं आं ओफ्फो … वास्तव में लंड भी क्या चीज़ है आंह रवि के पापा सच में आह आह हम्म हम्म हम्म मजा आ गया.
ये कहती हुई झड़ने लगती थीं.
फिर पापा से लिपट कर थोड़ी देर लेट कर चूमाचाटी करतीं और अलग होकर सो जाती थीं.
मम्मी चुदाई में जितना शोर मचाती थीं वो गजब था.
वो पापा के ऊपर चढ़ कर पापा के कान में हल्के से बताती थीं कि वो किस तरह से चुदना चाह रही हैं.
चुत में लंड लेते समय भी वो बताती रहती थीं कि अब क्या करो, अब कैसे करो.
वहीं पापा बिल्कुल भी नहीं बोलते थे. बस चुपचाप होकर चोदते रहते थे.
फिर सुबह मम्मी जब उठती थीं तब बिल्कुल ऐसे बन जाती थीं जैसे कभी चुदाई करवाई ही न हो.
पापा भी नार्मल रहते थे.
जबकि मैं जानता था कि रात में मम्मी कैसे लंड से खेल रही थीं मानो जन्मों की प्यासी हों … और लंड न मिले तो जी ही नहीं पाएंगी.
ऐसे ही मैंने उनको हमेशा ही उनकी खूब चुदाई देखी थी.
फिर जब मैं पूरा जवान हो गया तो मेरा रूम अलग हो गया.
अब मैंने सोचा मम्मी की चुदाई कैसे देखूँ.
तो खिड़की या रोशनदान से चुदाई देख लिया करता था
चूंकि अब मेरा रूम अलग था तो उन दोनों को मेरा डर नहीं रह गया था कि मैं जाग जाऊंगा तो चुदाई देख लूंगा.
अब वो दोनों लाइट जला कर खुल कर चुदाई करते थे तो पूरा खेल साफ साफ दिख जाता था.
अब लाइट में देखने के बाद मुझे और भी बहुत चीजें मालूम पड़ीं कि मम्मी को सेक्स में क्या क्या पसंद है. वो एक मर्द से क्या चाहती हैं, जब वो उनको चोदे.
चूंकि मम्मी की चुदाई करीब 2 साल से देख रहा था तो मुझे उनकी सारी एक्टिविटी मालूम पड़ गयी थीं कि वो कब कब चुदती हैं और किस टाइम पर उनकी चुदाई शुरू होती है.
उस वक़्त चुदने के बाद सुबह उनके चेहरे के हाव भाव क्या होते हैं … और जिस दिन उनका चुदने का मन होता है, उस वक्त उनकी आंखों में वासना किस तरह से जोर मारती हुई दिखाई देती है.
जिस दिन मम्मी का चुदने का मन होता था, उस दिन सुबह उठते ही वो पेटीकोट ब्लाउज में सारा काम करती थीं और शाम 8 बजे से फिर से साड़ी उतार कर सिर्फ पेटीकोट ब्लाउज में ही खाना बनाती थीं.
उनका पेटीकोट भी पतले कपड़े का होता था जो अक्सर वो हल्के रंग का ही पहनती थीं, जिससे उनकी जांघें पैर गांड की परछाई और उभार देख देख कर पापा उत्तेजित हो जाते थे.
वो पूरे दिन एक पिपासु कामांध सांड की तरह मम्मी को देखते रहते थे और रात होते होते तो इतने बेसब्र हो जाते थे कि मम्मी को जम कर चोद देते थे.
उस दिन मम्मी तो सारे दिन से अपनी चाहत दिखाती ही रहती थीं कि उनकी मस्त चुदाई हो.
ऐसे ही एक बार मम्मी सुबह से ही बहुत उत्तेजित हो रही थीं और प्यार भरे गीत गुनगुना कर काम कर रही थीं.
फिर वो नहाने गईं तो वहां भी उनको काफी समय लगा.
उस दिन वो करीब एक घंटा तक नहाईं.
मैं समझ गया कि आज मम्मी का खूब चुदने का मन है. तभी वो पेटीकोट ब्लाउज में हैं और नहाई भी खूब अच्छे से हैं. शायद झांटें भी साफ़ की होंगी.
फिर रात को मैं करीब 10 बजे अपने रूम में सोने चला गया और लाइट बन्द कर दी ताकि मम्मी पापा समझ जाएं कि मैं सो गया हूँ.
मैंने अपने रूम की खिड़की थोड़ी सी खोल ली ताकि मम्मी जब बेडरूम में घुसें तो मैं उन्हें देख सकूँ.
करीब साढ़े दस बजे मम्मी किचन से फ्री होकर दूध का ग्लास लेकर बेडरूम में चली गईं और दरवाज़ा अन्दर से बंद कर लिया.
तभी मैं उठा और धीरे से की-होल से झांक कर देखा तो पापा मेज कुर्सी पर बैठे हुए कोई काम कर रहे थे और दूध पीते जा रहे थे.
मम्मी भी बिस्तर पर बैठ कर दूध पी रही थीं.
मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गईं क्योंकि मम्मी दीवार के सहारे बैठकर दूध पी रही थीं.
मैं समझ गया कि आज मम्मी सुबह से ही चुदने की मूड में हैं, तो आज अच्छे से चुदाई करवाएंगी.
क्योंकि मम्मी का जब चुदने का मन होता था, तो खूब मस्ती के साथ चूत में लंड भी लेती थीं.
मैं खुश हो गया कि ट्यूब लाइट की रोशनी में बिल्कुल साफ साफ चुदाई देखने को मिलेगी.
तभी मम्मी दूध पीकर बिस्तर पर चादर ओढ़ कर लेट गईं.
मैं निराश हो गया क्योंकि मम्मी ऐसे वक्त पर पापा को निमंत्रण देती थीं कि आप पहले मुझे अच्छे से चोद लो, फिर कोई काम करना.
हालांकि ऐसा भी नहीं था कि मम्मी बिल्कुल खुली हुई हों और किसी का भी लंड ले लें, वो बिल्कुल घरेलू महिला थीं लेकिन उनका चुदाई का मन बहुत होता था, तो चुदने के टाइम पर खुल कर चुदती थीं.
मैंने सोचा कि आज शायद चुदाई नहीं होगी.
तभी मैं बाथरूम करके सोने जाने के सोचने लगा तो बाथरूम करके अपने रूम की तरफ जाने लगा.
सोने से पहले मैंने सोचा कि एक बार फिर से झांक लेता हूँ कि क्या हो रहा है.
झांका और देखा तो होश उड़ गए.
मम्मी बिल्कुल नंगी लेटी थीं और सिरहाने की तरफ उनका सर था और चूत मेरी तरफ थी.
वाओ … चूत बिल्कुल मक्खन की तरह चिकनी थी, मैं समझ गया कि मम्मी ने चूत के झांटें साफ की थीं, तभी आज बाथरूम में देर लगी.
खैर … मैंने मम्मी की पूरी चुदाई देखी. चुदाई के बाद मम्मी पापा दोनों बुरी तरह से झड़ने लगे थे.
झड़ते वक़्त मम्मी बोल रही थीं- हाय चिंटू के पापा … आज पूरी तरह से दबोच लो … मुझसे लिपट जाओ ताकि अच्छे से खूब झड़ूं.
उन दोनों की इतनी मस्त चुदाई देखने के बाद मैं समझ गया था कि मम्मी को चुदाई में क्या कर दिया पसंद है.
लंड सहलाते हुए मैं सोचने लगा कि काश ऐसी ही मेरी बीवी हो तो उसकी पूरी पूरी रात चुदाई करूंगा.
मैं बस चुदायी ही देखता था, कभी अपनी मम्मी को चोदने का ख्याल मेरे मन में नहीं आया.
फिर मम्मी को चोदने का ख्याल मन में तब आया, जब मेरे घर के एक हिस्से में एक किरायेदार अंकल आंटी रहने आए.
उन आंटी की मम्मी दोस्ती हो गयी. वो दोनों एकदम पक्की सहेलियां बन गईं.
आंटी और मम्मी घंटों तक खूब बातें करती रहती थीं.
अब मेरी कद काठी भी बिल्कुल पापा जैसी हो गयी थी. उनके जैसी हाइट और वैसा ही कद्दावर जिस्म हो गया था.
ऐसे ही एक दिन जब आंटी आईं तो मैं अपने रूम में लेटा था मगर जग रहा था.
मम्मी बाहर सब्ज़ी काट रही थीं.
आंटी ने मम्मी से कहा- आज भाईसाहब ऑफिस नहीं गए क्या?
मम्मी बोलीं- वो गए तो हैं!
आंटी बोलीं- मुझे तो वो रूम में लेटे हुए दिख रहे हैं.
मम्मी हंस कर बोलीं- अरे वो चिंटू लेटा है, बिल्कुल अपने पापा की कद काठी पर गया है. तुम्हें धोखा हो गया है. मैं तो खुद भी एक बार धोखा खा गई थी, जब इसके पापा ऑफिस गए थे. उस दिन मैं समझी थी कि ये तो ऑफिस गए थे, कब वापस आ गए. बाद में चादर हटा कर देखा तो चिंटू था.
तभी आंटी धीरे से बोलीं- ध्यान रखना … किसी दिन भाई साहब समझ कर कहीं बांहों में दबोच कर चूमाचाटी न करने लगना. मालूम पड़े कि पूरा आनन्द चिंटू से ही ले लो, फिर बोलो कि आह ये क्या हो गया. क्योंकि चिंटू पूरा जवान हो गया है तो खूब अच्छे से आनन्द भी देगा. वैसे तू बुरा मत मानना, एक दिन चिंटू के लंड पर मेरी नज़र पड़ गयी थी, बाप रे बाप कितना लंबा मोटा और टाइट है.
ये कह कर आंटी जोर से हंस दीं.
ये सुनते ही मेरे होश उड़ गए.
मेरी मम्मी बोलीं- पागल हो क्या … ये तुम क्या कह रही हो, कुछ तो शर्म करो!
मेरी मम्मी ने आंटी से कहा- ये क्या अंट-शंट बोल रही हो!
आंटी बोलीं- अरे यार, मैं तो तुमको बता रही हूँ, कोई ये थोड़ी कह रही हूँ कि मैं उससे चुदाई करवाना चाहती हूँ.
मम्मी कुछ नहीं बोलीं.
फिर आंटी बोलीं- भाभी, चिंटू एक बार छत पर सो रहा था, तब सुबह सुबह मैंने देखा था. इसका 7 इंच का तो होगा ही.
तभी तो मैंने मन में बोला कि धोखे से दबोच मत लेना, वरना खूब अच्छे से चोदे देगा.
मम्मी बोलीं- ये सब अपने यहां नहीं होता.
आंटी बोलीं- हम्म … अमेरिका जैसे देश में होता है कि औरत किसी के साथ भी संभोग के आनन्द ले लेती है.
मम्मी बोलीं- उनका कल्चर अलग है, अपना अलग है.
उस दिन के बाद से मैं सोचने लगा कि अगर कभी मम्मी की और मेरी चुदाई अंधेरे में हो, तो मम्मी को पता ही नहीं चलेगा कि पापा चोद रहे हैं या मैं चोद रहा हूँ.
बस उसी दिन से मेरा मन मम्मी को चोदने का होने लगा.
हालांकि कभी कुछ ऐसा हुआ नहीं था.
लेकिन इतना जरूर था कि अब उनकी चुदाई देखने के बाद मुठ मारने लगा था.
ऐसे ही एक साल तक चलता रहा.
फिर एक दिन मैं उनकी चुदाई देखते वक़्त महसूस करने लगा था कि पापा अब कम देर तक चोदते थे.
मम्मी उनसे कहती थीं- अब पहले जैसा एन्जॉय नहीं हो पाता, तुम जल्दी शांत हो जाते हो … और तुम्हारा लंड भी उतना टाइट नहीं होता.
फिर मम्मी कहतीं- कोई बात नहीं … और सो जाती थीं.
अब मम्मी अगर वीक में चार बार चोदने का कहतीं, तो पापा एक बार ही चोदते थे. तब भी मम्मी उनसे कभी शिकायत नहीं करती थीं.
पूरी तरह से संतुष्ट न हो पाने की ख्वाहिश उनके चेहरे से झलकने लगी थी.
उस वक्त मेरे मन में उन आंटी की बातें याद आने लगती थीं कि मम्मी बोल रही थीं कि बिल्कुल पापा की कद काठी का हूँ.
ये याद आते ही मेरी मम्मी को चोदने की इच्छा होने लगती थी और मम्मी को देख कर लंड खड़ा हो जाता था.
खासतौर से मम्मी की गांड देख कर ऐसा लगता था कि बिस्तर पर घोड़ी बना कर पूरा लंड एक ही बार में डाल दूँ.
चूंकि मेरी मम्मी घरेलू महिला थीं, कोई मॉर्डन महिला तो नहीं थीं कि इत्मीनान से चुदाई की इच्छा जाहिर कर देतीं.
जबकि मैं उन्हें इत्मीनान से चोदना चाहता था क्योंकि मुझे मालूम था कि मेरी मम्मी को भी चुदाई में जल्दबाज़ी पसंद नहीं थी.
दोस्तो, इसके आगे की घटना मैं यहाँ नहीं लिख सकता क्योंकि वो इस साईट के नियमों के अनुरूप नहीं है.
आपको यह मॉम डैड सेक्स कहानी पसंद आयी होगी.
अपने विचार मुझे बताएं.
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