फैमिली Xxx हिंदी में कहानी पढ़ें कि मैं पढ़ाई के लिए कमरा लेकर रहने लगा। मेरे मामा का लड़का मुझसे मिलने आता था। वहां मुझे ऐसा राज़ पता चला जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
दोस्तो, मेरा नाम प्रथमेश है। प्यार से घर में सब मुझे सुंदर बुलाते हैं।
यह फैमिली Xxx हिंदी में कहानी मेरी मम्मी मंजू और मेरे मामा के लड़के अनुज के बीच घटे सेक्स संबंधों की है़।
मेरी मम्मी की उम्र सैंतालीस साल है और वे एक मध्यम कद की, भरे हुए बदन की महिला हैं।
उनके उभार पुष्ट हैं लेकिन उनके बदन का सबसे आकर्षक भाग उनकी भरी और हल्की उठी हुई गांड है।
मैंने पिताजी के कई दोस्तों को मम्मी की तरफ हसरत भरी निगाह से देखते हुए देखा है लेकिन मम्मी ने कभी किसी को भाव नहीं दिया।
मम्मी एक संस्कारी औरत हैं और खूब पूजा पाठ करती रहती हैं।
यहां तक कि पिताजी को भी कभी मम्मी के साथ ज्यादा नॉटी होते हुए हमने नहीं देखा।
हम लोग जालंधर के रहने वाले हैं और हमारा ननिहाल जयपुर में है।
मेरी मम्मी पांच भाई-बहन हैं, जिसमें मम्मी से बड़े एक मामा और एक मौसी हैं।
अनुज सबसे बड़े मामा का लड़का है और मुझसे सात साल बड़ा है।
यह बात तब की है जब मेरा दाखिला जयपुर के एक इंजीनियरिंग कालेज में हुआ था।
मैं और मेरे घर वाले बहुत खुश थे। मैं इसलिए भी खुश था क्योंकि मेरे मामा जयपुर में ही थे।
पहले साल मुझे हॉस्टल का रहन-सहन अच्छा नहीं लगा तो मैंने पास में ही एक कमरा किराए पर ले लिया।
अनुज भैया अक्सर मुझसे मिलने आते रहते थे और मेरे लिए घर का बना कुछ ना कुछ लाते।
मुझे वे बहुत पसंद थे।
उनका स्वभाव बहुत दोस्ताना था लेकिन फिर भी वो मुझे मन लगा कर पढ़ने की हिदायत देते।
मेरी मम्मी उनकी बुआ थी और मैंने कभी दोनों के बीच कुछ गलत महसूस नहीं किया था।
लेकिन फिर एक वाकये ने मेरी जिंदगी बदल दी।
हुआ यूं कि मम्मी एक बार मुझसे मिलने जयपुर आ रही थी।
उनकी ट्रेन के पहुंचने के टाइम मेरी क्लास थी तो मैंने अनुज भैया को बोला कि वे मम्मी को जा कर रिसीव कर लें।
भैया ने हां कर दी।
मैं क्लास चला गया लेकिन मेरा मन क्लास में नहीं लग रहा था।
मुझे मम्मी से जल्दी मिलने की इच्छा थी क्योंकि मैं बहुत दिनों से घर नहीं गया था।
इसलिए मैंने तीन बजे की क्लास छोड़ दी और कमरे की तरफ चल दिया।
मेरा कमरा पास ही था तो मैं जल्दी ही पहुंच गया.
लेकिन मेरा कमरा अंदर से बंद था।
मैंने दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
मुझे लगा मम्मी थक कर सो गई हैं।
मैंने दरवाजा और दो-तीन बार खटखटाया।
थोड़ी देर बाद अनुज भैया ने दरवाजा खोला।
मम्मी अंदर नहीं थी।
मैंने पूछा तो उन्होंने बताया कि वो अंदर बाथरूम में हैं।
फिर उन्होंने कहा कि वे इयर फोन लगा कर गाने सुन रहे थे तो दरवाजा खटखटाना सुनाई नहीं दिया।
मुझे सब सामान्य लगा क्योंकि तब मेरे मन में कोई गलत विचार नहीं थे।
थोड़ी देर में मम्मी नहा कर बाहर निकली।
उन्होंने एक पतली रेड कलर की नाइटी डाल रखी थी और काफी हसीन दिख रही थी।
मम्मी ने खुश हो कर मुझे गले लगा लिया.
और तब मुझे महसूस हुआ कि मम्मी ने अंदर कुछ नहीं पहना था।
मम्मी के आलिंगन से अलग होकर मैंने भैया की ओर देखा तो मुझे लगा भैया मम्मी को वासना वाली निगाहों से घूर रहे थे।
मुझे देख कर वो हड़बड़ा गए लेकिन मुझे कुछ ऐसा वैसा ख्याल नहीं हुआ क्योंकि एक तो दोनों का रिश्ता बुआ-भतीजे वाला था, दूसरे मम्मी उससे बहुत बड़ी थी।
तब अनुज भैया के फोन पर मामा का फोन आया।
उन्होंने हम सब को रात के खाने के लिए बुलाया था।
थोड़ी देर में हम मामा के घर के लिए निकल गये।
मैने नोटिस किया कि अनुज भैया काफी हँसी मजाक वाली बातें कर रहे थे लेकिन मम्मी केवल मुस्कराकर रह जाती।
खैर, हम मामा के घर पहुंच गए।
वहां काफी बातें हुईं और खाना लग गया।
हम सब बैठ गए।
तभी मम्मी किचन से अचार लाने के लिए गयी और उनकी हेल्प करने के लिए पीछे पीछे अनुज भैया भी चले गए।
लेकिन दोनों देर तक नहीं आए।
थोड़ी देर बाद जब बड़ी मामी ने आवाज दी तब मम्मी अचार का डिब्बा लिए आती दिखी।
उनकी लिपस्टिक हल्की सी फैली हुई थी और सांसें भारी थीं, लेकिन किसी ने ज्यादा नोटिस नहीं किया।
थोड़ी देर बाद अनुज भी आता दिखा।
सबने खाना खा लिया।
फिर कुछ देर बातें चलती रहीं।
ठंड की रात थी।
बड़े मामा ने अनुज भैया को मुझे मेरे रूम तक छोड़ कर आने को कहा।
लेकिन मम्मी ने कहा कि आज रात वे भी मेरे साथ रहेंगी।
यह सुन कर भैया का चेहरा उतर गया.
लेकिन वे कर भी क्या सकते थे।
भैया हमें कार से मेरे रूम पर छोड़ कर चले गए।
मैं और मम्मी थोड़ी देर तक बात करते रहे, फिर सोने की तैयारी करने लगे।
लेकिन तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
मैंने दरवाजा खोला तो अनुज भैया खड़े थे।
उन्होंने कहा कि बगल के चौराहे पर उनकी गाड़ी खराब हो गई इसलिए वो वापस आ गए।
उन्होंने मामा जी को फोन करके बता भी दिया कि आज रात वो मेरे कमरे पर ही रूकेंगे।
मैंने देखा कि मम्मी मुस्करा रही थी लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
खैर मेरे कमरे में एक ही डबल बेड था जिस पर मैं और मम्मी एक बड़ी रजाई में लेटे हुए थे।
भैया ने बोला कि उन्हें फोन पर किसी से बात करनी है तो वे छत पर जा रहे हैं।
मैं और मम्मी बातें करते रहे.
फिर मुझे नींद आ गई।
अनुज भैया अभी आये नहीं थे।
अचानक आधी रात को मम्मी का घुटना मुझे लगा और मेरी नींद खुल गई।
पहले मुझे लगा ऐसा नींद में हुआ है लेकिन फिर रजाई में हो रही हलचल से मैं पूरी तरह जग गया।
अंधेरे में ज्यादा साफ नहीं दिख रहा था लेकिन तब भी मैंने देखा मम्मी चित लेटी हुई थी और अनुज भैया अपनी एक टांग उन पर चढ़ाए उनके गाल काट रहे थे।
उनका दूसरा हाथ नीचे कुछ कर रहा था।
मम्मी कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन अपना मुंह इधर-उधर कर रही थी।
“मान जाओ ना बुआ! कितने दिनों बाद तो मौका मिला है।” अनुज ने फुसफुसाते हुए कहा।
यह कहते हुए उसने नीचे हाथ की गति तेज कर दी।
“प्लीज अनुज! अभी नहीं। सुंदर सो रहा है। वो जाग गया तो गड़बड़ हो जाएगी। हर बार तुम ऐसे ही करते हो।” मम्मी ने धीरे से कहा।
“कुछ नहीं होगा बुआ, मेरी जान … बस थोड़ी देर चोदने दे ना!” अनुज की सांसें भारी हो रही थीं।
लेकिन मम्मी मेरे सामने लंड लेने को तैयार नहीं दिख रही थी।
मम्मी ने कहा कि अगर वह उसे नहीं छोड़ेगा तो वे नीचे चादर बिछाकर सो जायेंगी।
“अच्छा चोदने नहीं दोगी तो हाथ से ही कर लेते हैं। तुम मेरा पानी निकाल दो, मैं तुम्हारा!” अनुज ने मिन्नत करते हुए कहा।
मम्मी ने कुछ कहा तो नहीं लेकिन उसके मौन ने अनुज को बता दिया कि वे तैयार हैं।
मेरे मन में जि़ज्ञासा हुई कि नीचे पता करूं कि क्या हो रहा है।
मैंने धीरे धीरे हाथ नीचे करके छुआ तो देखा मम्मी की साड़ी जांघों तक उठी हुई थी।
शायद अनुज उनकी चूत रगड़ रहा था।
मेरे हाथ टच होने के बाद भी मम्मी को पता नहीं चला कि यह किसका हाथ है।
मैंने महसूस किया कि मम्मी की सांसें गहरी होने लगीं।
अनुज की उंगली कमाल दिखा रही थी।
तभी मम्मी ने करवट ली और भैया से लिपट गई।
दोनों की टांगें एक दूसरे पर चढ गईं और दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए। दोनों किसी प्यासे की तरह एक दूसरे के होंठ निचोड़ रहे थे।
हवस की आंधी इतनी तेज चल रही थी कि कब उनके बदन से रजाई हट गई उन्हें पता ही नहीं चला।
मैंने देखा अनुज का हाथ मम्मी की गांड मसल रहा था।
थोड़ी देर तक ये कार्यक्रम चलता रहा।
तभी अनुज ने मम्मी को थोड़ा परे हटाया।
मम्मी ने सवालिया निगाहों से देखा। उन्हें अभी यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।
अनुज उठ कर बैठ गया और मुस्कराया।
अगले ही पल उसने अपनी टी शर्ट उतार दी।
मम्मी बस भूखी ऩजरों से उसे देखती रही।
उन्होंने थोड़ा झुककर मम्मी को चूमा।
मम्मी ने उसे फिर बांहों में ले लिया।
फिर वो लेट गया।
भाई ने मम्मी के होंठ चूसते-चूसते अपना एक हाथ नीचे करके अपना लोअर नीचे खिसका दिया।
मम्मी को इसका पता नहीं चला।
अब उसने मम्मी का हाथ पकड़ा और नीचे ले जाकर अपने अंडरवियर के ऊपर रखवा दिया जिसके नीचे उसका लंड तन्नाया हुआ था।
मम्मी ने झटके से अपना हाथ हटा लिया।
शायद अभी भी वे अपने भतीजे का लंड छूने में शर्मा रही थी।
“पकड़ ना बुआ यार … कितनी बार तो ले चुकी हो अंदर!” अनुज फुसफुसाया।
अब मुझे पता चला कि इनका चक्कर काफी पहले से चल रहा था।
मुझे आश्चर्य हो रहा था कि कब उसने मेरी भोली-भाली संस्कारी मम्मी को ऐसा बना दिया था कि वो अपने बेटे के पास होने की परवाह किए बिना ही अपने से काफी कम उम्र के लड़के के साथ आधी नंगी होकर कामक्रीड़ा कर रही थी।
अबकी बार मम्मी ने अपना हाथ खुद से ही नीचे किया और अनुज के लंड को चड्डी के उपर से ही दबाने लगी।
अनुज ने उनकी जांघों को थोड़ा खुद से दूर किया और उनकी चड्डी उतार दी।
मम्मी को अचानक अपने नंगेपन का जैसे एहसास हुआ और वे उठ कर रजाई ओढ़ने की कोशिश करने लगी।
लेकिन तब तक अनुज ने उसे दबोच लिया और उठने नहीं दिया।
वह मम्मी को चूमता रहा और उनकी जांघों के बीच एक हाथ से मथता रहा।
मम्मी ने भी हार मान ली और उसका साथ देने लगी।
अब भैया ने मम्मी के होंठ छोड़े और उसके चेहरे को थोड़ा घुमा दिया।
इससे मम्मी की कनपटी उसके सामने आ गयी।
उसने मम्मी की कान की लौ को पहले हौले से चाटा, फिर उसे होंठों में भर कर चुभलाने लगा।
उसकी इस हरकत से मम्मी के जिस्म में जैसे आग लग गई।
मस्त हथिनी की तरह हुंकार छोड़ती हुई मम्मी ने अपना हाथ अनुज के अंडरवियर में डाल दिया और उसका लंड फेंटने लगी।
कुछ पल बाद ही उसने उसका अंडरवियर नीचे खिसका दिया और उसके हथियार को ठीक से मुठियाने लगी।
अनुज और वो अब हौले हौले सिसियाने लगे।
इससे ज्यादा वो मेरे होते क्या कर सकते थे!
अब हालत ये थी कि दोनों कभी एक दूसरे के होंठ काटते, कभी जीभ चूसते।
दोनों के हाथ एक दूसरे के गुप्तांगों से खेल रहे थे।
तभी मम्मी का छटपटाना तेज हो गया।
अनुज ने अपनी दो उंगलियां मम्मी की चूत में पैवस्त कर दी थीं और फिर तो उसने रेल दौड़ा दी।
मम्मी भी उसके लिंग को जड़ से लेकर सुपारे तक मथती रही।
जल्दी ही वो वक्त आ गया जब मम्मी की चूत ने भलभलाकर पानी छोड़ दिया।
देर तक की रगड़ाई से मम्मी शायद काफी गर्म हो चुकी थी।
लेकिन अनुज का अभी हुआ नहीं था।
उसने अपनी उंगली मम्मी की चूत से निकाल कर उसके ब्लाउज में पौंछ दीं, और बड़ी कामुक निगाह से मम्मी की ओर देखने लगा।
मम्मी ने उसके मन की बात समझ ली और उसके लिंग की मथाई तेज कर दी।
थोड़ी ही देर में अनुज के चेहरे का रंग बदल गया।
वह हल्के हल्के आहें भरते हुए उम्म … ऊंउउउ …. इस्स्स … आ … इस्स आ … करने लगा।
तभी उसने मम्मी के हाथ में ही माल झाड़ दिया।
मम्मी फिर भी थोड़ी देर तक उसके लंड को सहलाती रही, जब तक उसके वीर्य की आखिरी बूंद निकल नहीं गई।
दोनों थोड़ी देर तक लिपटे हुए सुस्ताते रहे।
फिर मम्मी ने खुद को उसके बंधन से छुड़ाया और अपनी पैंटी ढूंढने लगी।
पैंटी ढूंढ कर उसने रजाई के भीतर ही पहन ली और साड़ी ठीक करती हुई बाथरूम में चली गयी।
मम्मी लौट कर आयी तो फिर अनुज नंगा ही बाथरूम चला गया।
लौट कर उसने मम्मी को फिर बांहों में ले लिया।
मम्मी अब बिना कोई नखरा किये उसकी गोद में चली गयी, जैसे उसकी बीवी हो।
“कल सुंदर के कॉलेज जाने के बाद तेरी भट्ठी ठीक से बुझाऊंगा मंजू बुआ! आज दिन में अगर तेरे बेटे ने दरवाजा नहीं खटखटाया होता तो मेरा सांप तेरे बिल में घुस गया होता।” अनुज ने मलाल जताते हुए कहा।
मम्मी कुछ बोली नहीं लेकिन उसने शर्माकर अनुज की छाती में सिर छुपा लिया।
अब मुझे दिन में बंद दरवाजे के देर से खुलने का रहस्य समझ आ गया था।
मम्मी ने अनुज भैया को इशारा किया।
अनुज ने अपना लोवर पहन लिया और मम्मी को बांहों में ले कर सो गया।
मैं हैरान था कि क्या ऐसा भी हो सकता है? क्या सेक्स की आग में रिश्तों का होम हो जाता है?
लेकिन ऐसा हुआ था, और मेरी आंखों के सामने हुआ था।
एक अधेड़ उम्र की औरत जो कि मेरी खुद की मम्मी थी, अपने से आधे उम्र के अपने ही भतीजे के साथ सेक्स कबड्डी खेल कर सोई थी।
इस फैमिली Xxx हिंदी में कहानी में कल्पना का बहुत थोड़ा इस्तेमाल हुआ है।
अगर आपके पास भी कोई ऐसा या इससे मिलता जुलता अनुभव हो तो मुझे मेल पर जरूर लिखें।
और हां, इस कहानी पर अपनी राय देना न भूलें।
जल्द ही अगले भाग में मुलाकात होगी।
इस ईमेल पर अपने संदेश भेजें- [email protected]
फैमिली Xxx हिंदी में कहानी का अगला भाग: मेरी मम्मी और ममेरे भाई की कामक्रीड़ा- 2