मेरी बॉडी देख कुंवारी पड़ोसन को प्यार हो गया

मेरी बॉडी देख कुंवारी पड़ोसन को प्यार हो गया

गाँव की लड़की की चुदाई की मैंने. मैं घर की छत पर कसरत करता था। पड़ोसन लड़की मुझे देखती थी। मेरा मन भी फिर उसको चोदने का करने लगा …

प्रिय अन्तर्वासना साथियो, मेरा नाम सचिन है और मैं 22 साल का हूँ।
मेरी हाइट 6 फीट है और कसरती शरीर है।

मैं बी.एससी. ग्रेजुएट हूँ और कोरोना काल की वजह से घर ही रहता हूँ।
मेरे पिता जी आर्मी में सूबेदार हैं तो वह घर 3-4 महीने में ही आते हैं।

मेरा बड़ा भाई गुरुग्राम में नौकरी करता है। घर पर मैं और मेरी माता जी रहती हैं।

मैं आपको बता दूं कि मेरा लन्ड 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है।

साथियो, मेरी ये कहानी गाँव की लड़की की चुदाई की है जो कि मेरे पड़ोस में रहती है जिसका नाम शीतल (बदला हुआ) है। दरअसल उनका घर हमारे साइड वाला है।

शीतल 20 साल की बड़े ही सुडौल शरीर की अप्सरा जैसी दिखने वाली लड़की है; उसे देखकर किसी का भी लौड़ा सलामी देने लगे।

उसके माप की बात करूँ तो 34-30-34 का फिगर है। दिखने में गोरी ओर मादक एकदम किसी अप्सरा की तरह की।

बात एक महीने पहले की है जब मैं शाम को छत पर अपने डंबल्स के साथ कसरत कर रहा था।
मुझे कसरत का शौक है और आप जानते हैं कि जून-जुलाई के महीनों में कैसी गर्मी होती है।

तो मैं केवल एक बनियान और शॉर्ट्स में कसरत करता हूँ।

मैंने कभी भी शीतल को बुरी नज़र से नहीं देखा था परन्तु उस रोज़ जब वो छत पर आई तो इधर उधर देखने के बाद उसकी नज़र मुझ पर गयी।

वो मुझे एकटक देखने लगी।
फिर उसने नज़रें घुमा लीं और फिर चोर नज़रों से मेरे कसरती बदन को निहारने लगी।

मैंने उसे देखकर अनदेखा कर दिया।

मुझे थोड़ा अटपटा तो लगा क्योंकि लड़कियां अक्सर ऐसे ही किसी लड़के को इतनी जल्दी नहीं घूरती हैं।
फिर भी मैंने ज्यादा सोचा नहीं और इस बात के बारे में सोचना बंद कर दिया।

ऐसे ही दिन गुज़रने लगे और वो रोज़ाना छत पर किसी न किसी बहाने से आने लगी।
वो मुझे छुपके देखती रहती और धीरे धीरे मेरा लंड भी उसकी हरकत से खड़ा हो जाता था।

एक दिन वो कपड़े धोकर छत पर सुखाने के लिए आई तो मैं उसको देखता ही रह गया।

दोस्तो, उसने लोअर और उसके ऊपर टीशर्ट डाल रखी थी जो कि शायद कपड़े धोते हुए भीग चुकी थी।
उसने अंदर ब्रा नहीं डाली थी तो गीली टीशर्ट होने की वजह से उसके निप्पल दिखने लगे थे।

उस दिन मेरे दिमाग में पहली बार उसको चोदने का ख्याल आया।
तो मैं उसे एकटक देख रहा था और उसने भी मेरी नज़रें भाप ली थीं.
वह कपड़े सुखा कर मुस्करा कर नीचे चली गयी।

मेरा 7 इंच का लन्ड मेरे शॉर्ट्स में तंबू बना चुका था और मेरा दिमाग उसे चोदने के सपने लेने लगा था।

अब मेरा कसरत करने का बिल्कुल मन नहीं हो रहा था।

हमारी छत पर एक बाथरूम है तो मैं फटाफट बाथरूम में गया और उसकी खड़ी चूचियों के बारे में सोच कर मुठ पेल दी।
तब जाकर मेरा लन्ड थोड़ा शांत हुआ।

अब मैं उससे बात करने के बारे में सोचने लगा। मैंने सोचा कि उसकी इंस्टाग्राम आईडी मांग ली जाए।

अगले दिन जब वो छत पर आई तो वो मुझे देखकर मुस्कराई।
मैंने लाइन क्लियर देख कर उसे पास बुलाया और उससे उसकी आईडी मांग ली।

उसने झट से अपनी आईडी मुझे बता दी और नीचे चली गयी।
मैंने फटाफट उसे रिक्वेस्ट भेजी और तुरंत ही उसने एक्सेप्ट कर ली।

हमारी बात शुरू होने लगी।
वो मेरे शरीर की तारीफ करने लगी।

मैंने भी पलट कर उसकी बहुत तारीफ की जिससे वो खुश हो गयी।

बात आगे बढ़ी और मैंने उससे कहा- क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
शीतल- नहीं, और तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड?

मैंने भी ना में जवाब देकर कहा- तुम इतनी खूबसूरत हो, तो क्या किसी ने तुम्हें प्रोपोज़ नहीं किया?
शीतल- ऑफर तो मुझे बहुत आते हैं मगर मुझे उनमें से कोई पसन्द ही नहीं आया।

मैं- क्या मेरी गर्लफ्रैंड बनोगी?
वो झट से बोली- हाँ।
मैं- तो अब से तुम मेरी गर्लफ्रैंड हुई।

फिर मैंने उसे किस के स्टिकर भेज दिए।
फिर हम दोनों ने अपने फ़ोन नम्बर एक्सचेंज कर लिए।
हम दोनों की फोन पर बातें होने लगी।

मैंने मौका देखकर उससे कहा- शीतल, कल मेरा जन्मदिन है।
वो खुशी से उछल पड़ी और कहने लगी- तुम्हें क्या गिफ्ट चाहिए?
मैं- मुझे तुम्हें किस करनी है।
वो शर्माकर बोली- ओके!

ठीक रात 12 बजे उसका कॉल आया और उसने जन्मदिन की बधाई दी।
मैंने धन्यवाद किया और कहा- अब तो बस उस पल का इंतज़ार है जब तुम्हारे होंठों का रस पिऊंगा मैं!

मैंने उसे समझा दिया कि जब शाम को अंधेरा हो जाए तो वो हमारी छत पर बाथरूम में आ जाए और मैं उसको वहीं मिलूंगा।
शीतल- ठीक है, मैं आ जाऊंगी।

फिर एक दूसरे को ‘आई लव यू’ कहकर हमने फोन रख दिया।
अगली शाम मैं उसका बाथरूम में इंतज़ार करने लगा।

मैंने उसे कॉल लगाया और सीधा बाथरूम में आने को कहा।

जैसे ही गेट खुला एक भीनी सी महक ने मेरे होश उड़ा दिए।
वो सेंट लगा कर आई थी।
मैंने झट से उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसकी कमर पर हाथ फिराने लगा।

उसने मुझे हटाया और फिर से बर्थडे विश किया।
मैं- और मेरा गिफ्ट?
उसने नज़रें झुका लीं।

मैंने उसका चेहरा ऊपर उठाकर उसे प्यार से किस किया।
उसने भी मेरा सहयोग किया।

माहौल गर्म होने लगा और मैं पागलों की तरह उसे चूमने लगा और मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुए कब उसकी गांड पर चले गए पता ही नहीं चला।

फिर मैंने एक हाथ आगे से उसकी टीशर्ट में डाल दिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
उसने मेरा विरोध नहीं किया।

मैं जोर जोर से उसके मम्में दबाने लगा और अपनी उंगलियों से उसके निप्पल्स को भींच देता जिससे वह कसमसा उठती।

मैंने उसकी टीशर्ट ऊपर करनी चाही तो उसने हाथ रख लिया और कहने लगी- नहीं, प्लीज़ … मम्मी ऊपर न आ जाये।
तो मैंने उसकी बात मान ली।

फिर मैंने एक बार फिर उसे किस किया और वो चली गयी।
मैंने वहीं बाथरूम में मुठ मारकर अपना लौड़ा शांत किया।
तभी शीतल का कॉल आया।

शीतल- कैसा लगा मेरा गिफ्ट?
मैं- बहुत बढ़िया। परन्तु मेरे शरीर में तुम्हें आज छूने के बाद तुम्हें पाने की इच्छा हो रही है। मैं तुम्हें पूरी तरह से अपना बनाना चाहता हूं।

वो बोली- तुमने भी अजीब सा जादू कर दिया, मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया।
मैं- फिर से कब दोगी?
तो शीतल ने कहा- इतने से मेरा भी मन नहीं भरा। मैं कुछ प्लान बनाती हूँ।

शीतल के पिता एक किसान हैं और दिन में वो अपने खेत में ही रहते हैं और रात को शराब पीकर ही घर आते हैं।

दिन में शीतल और उसकी माँ ही घर पर रहती हैं।
2 दिन बाद शीतल का कॉल आया- मम्मी अपनी बहन से मिलने दूसरे शहर जा रही है, मैं घर पर अकेली रहूंगी तो तुम आ जाना।

मैंने झट से हामी भर दी।
अगले दिन उसकी माँ के जाने के बाद उसका कॉल आया और कहने लगी कि मम्मी जा चुकी है।

उसकी बात सुनकर फिर मैंने घर पर दोस्त के घर जाने का बहाना किया और गली में दोनों तरफ देख कर उनके घर में घुस गया।
जैसे ही मैंने शीतल को देखा तो मैं देखता ही रह गया।

उसने पीले रंग का डीप नेक पूरी फिटिंग का सूट डाल रखा था।
क्या गजब की कयामत लग रही थी वो।

मैंने भाग कर उसे गले से लगा लिया; मैंने उसके कान में कहा- आज तो किसी हूर की परी जैसी लग रही हो।
शीतल ने थैंक्यू कहा और मुझे हटाकर उसके पीछे आने को कहा।

वो आगे आगे चल रही थी और मैं पीछे से उसकी मटकती हुई उसकी गांड को देख रहा था।

हम जाकर बेडरूम में बैठे और बैठते ही मैंने उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए।

करीब 3-4 मिनट के जोरदार चुम्बन के बाद उसने मुझे हटाया और कहने लगी- सचिन आई लव यू!

उसका उत्तर मैंने ‘आई लव यू टू’ कहकर दिया और उस पर टूट पड़ा।
मैंने उसके गले पर अपने होंठ लगा दिए जिससे वह सिहर उठी और मेरे बालों में हाथ फिराने लगी।

तो मैंने एक हाथ उसकी कमर पर तो दूसरा उसके चूचों पर रख कर उन्हें जोर जोर से दबाने लगा।
वह आहह … आह … जैसी आवाज़ें करने लगी।

मैंने दूसरा हाथ उसके शर्ट के अंदर डाल दिया और ब्रा के ऊपर से उन्हें सहलाने लगा।
कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने उसका शर्ट निकाल दिया।
उसने शर्म से अपना मुँह फेर लिया।

अब मेरे सामने उसकी गोरी और कोमल कमर थी। मैं उसे धीरे धीरे हर जगह चूमने लगा और वो भी गर्म हो चुकी थी।
मैं किस करता हुआ जब उसकी नेवी ब्लू कलर की ब्रा पर पहुंचा तो मैंने उसके ब्रा के हुक खोल दिये।

उसकी कमर की कोमल त्वचा पर उसकी ब्रा के स्ट्रैप के निशान हो गए थे।
पीछे से ही मैंने उसके दोनों मम्में पकड़ लिए और उन्हें दबाने लगा।

मैंने उसे पलटा और उसके स्तनों, जिन पर छोटे छोटे दो गुलाबी निप्पल थे, को देखकर मुझे काबू न रहा और मैंने उन्हें मुँह में भर लिया।

मेरे ऐसा करते ही वह सिहर उठी और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूचियों में दबाने लगी।
मैं उसके मम्मों को इतनी जोर से खा रहा था जिससे उसके मम्मों पर लाल निशान पड़ गए जो कि देखने में बहुत अच्छे लग रहे थे।

वो निशान देख कर शर्मा गयी और कहने लगी- ओ सचिन … तुमने तो मेरी चूचियों की जान ही निकाल दी … आई लव यू सो मच!
मैंने उसके होंठों को चूम लिया और धीरे धीरे उसके पेट पर हाथ फिराने लगा।

अब होते-होते धीरे-धीरे मेरा हाथ उसकी सलवार में जाने लगा।
उसने टांगें भींच लीं जिससे मेरा हाथ उसकी चूत तक नहीं पहुंच रहा था।
तो मैंने उसके ऊपर लेटते हुए अपनी टांगें उसकी टांगों में उलझा कर चौड़ी कर दीं।

इससे वो मुझे रोक न पाई और तुरन्त ही मैंने अपना हाथ उसकी कोमल चूत तक पहुंचा दिया जिससे वो एकदम से चिहुँक उठी।
उसने अपना निचला होंठ दांतों तले दबा लिया।

उसकी कोमल चूत पहले ही बहुत गीली और चिकनी हो चुकी थी।
मैंने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भींच लिया और एकदम उसने मुझे जोर से गले लगा लिया।

अपने दूसरे हाथ से मैंने उसका नाड़ा खोल दिया।
वो विरोध करने की एक्टिंग करने लगी।

मैंने उसे कहा- मुझे तुम्हारी चूत को देखना है।
वो कहने लगी- मुझे शर्म आती है।
मैं- मुझसे कैसी शर्म जानू!
फिर वो मान गयी और अपने चूतड़ ऊपर कर लिए।

मैंने तुरन्त ही उसकी पैंटी और सलवार दोनों एक साथ निकाल दीं।
उसने अपनी दोनों टांगें भींच लीं।

उसकी दोनों माँसल गोरी टांगें जिस पर एक भी बाल नहीं था जैसे वो आज ही वैक्सिंग करवाकर आई हो।

अब मैं नीचे से ऊपर बढ़ते हुए उसे चूमने लगा।
उसे भी आनंद आ रहा था।

मैं धीरे धीरे उसके पटों तक पहुंचा और उसकी टांगें खोल दीं।
मेरे सामने मानो जन्नत थी।

उसका छोटा सा बहुत ही तंग गुलाबी छेद था।
शीतल की चूत की दोनों ऊपर की पुट्टियां बहुत सुंदर, कसी हुई लग रही थी।
मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि आज इसकी सील पैक चूत मारने का मौका मिला है जिसे मैं किसी कीमत पर नही गंवाऊंगा।

मैंने शीतल से कहा- शीतल, आज मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ … पूरी तरह से तुम्हें हासिल करना चाहता हूँ।
शीतल- मैं तो तुम्हारी ही हूँ मेरी जान … चाहे जो मर्जी कर लो।

मेरे लिए ये हरी झंडी थी।
मैंने तुरंत ही अपने होंठ उसकी चूत से लगा दिए और उसकी चूत की दोनों फांकों को चाटने लगा।

वो झूम उठी और तरह तरह की आवाज़ें करने लगी- ओह सचिन … आह … हम … ऊऊहहह … आआ आह येस!
फिर उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और कहने लगी- बेबी, तुमने मेरा तो सब कुछ देख लिया मगर अपना कुछ भी नहीं दिखाया।

मैंने नीचे उतर कर अपनी टीशर्ट उतारी।
मैं टीशर्ट के नीचे बनियान नहीं डालता तो मेरी चौड़ी छाती देखकर वो खुश हो गयी।

फिर उसने मेरी पैंट की तरफ देखा और कहने लगी- इसे भी तो उतारो जल्दी।
तो मैंने पैंट खोल कर निकाल दी।

मेरे अंडरवियर में मेरा लन्ड तना हुआ था। उसने अंडरवियर के उपर से ही उसे पकड़ लिया और एकदम छोड़ दिया।

शीतल- हाय रे!! कितना बड़ा है ये! मेरी छोटी सी चूत में कैसे फिट होगा?
मैं- इसे उतारो तो सही मेरी जान।

शीतल ने मेरा अंडरवियर नीचे खिसकाया और मेरा 7 इंच का लन्ड एकदम से निकल कर मेरे पेट पर जा लगा।

वो मेरा 7 इंच का लंबा लन्ड देख कर पीछे हट गई और कहने लगी- रहने दो मुझे नहीं लेना, मैं मर जाऊंगी।

दोस्तो, उसके साथ बिल्कुल वैसा हो रहा था कि लन्ड लेने का भी मन है और लंबे-मोटे से भी डर लगता है।

मैंने उसे समझाया- बेबी कुछ नहीं होगा, तुम्हारी चूत में ये बहुत अच्छे से फिट होगा। तुम देखना … एक बार करने के बाद तुम इस मजे को ज़िन्दगी भर याद रखोगी।

मेरे समझाने पर वो आखिर चूत देने के लिए तैयार हो गई।

मैंने उसे पहले लंड को मुंह में लेकर चिकना करने के लिए कहा।
उसने मेरा लन्ड पकड़ा और उसपर से जीभ फिराई।

उसकी जीभ का मेरे लन्ड पर आभास बहुत ही मजेदार था।

फिर वो धीरे धीरे पूरे लन्ड को आगे पीछे करते हुए मुँह में लेने लगी और उसने अच्छे से मेरे लन्ड को अपने थूक से लबेड़ दिया।

अब उसने मुझे उसको चोदने का इशारा किया।
मुझे पता था कि उसकी सील पैक चूत में मेरा लन्ड जाएगा तो उसकी सील टूटने से खून निकलेगा।

इसलिए मैंने एक तौलिया उसके नीचे लगा दिया और उसकी टांगें अपने कंधों पर रख लीं।
उसकी चूत के मुँह पर मैं लंड को रगड़ने लगा, वो सिहरने लगी।

फिर मैंने चूत पर लन्ड टिका कर जोर से एक झटका मारा जिससे मेरा आधा लन्ड उसकी चूत में उतर गया और वो चीख पड़ी।
उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे और जोर जोर से कहने लगी- प्लीज़ सचिन, इसे बाहर निकालो, मुझे नहीं लेना ये। बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़ एक बार निकाल दो।

मुझे पता था कि अगर एक बार लन्ड बाहर निकाला तो दोबारा डालने में फिर इसे दर्द होगा।

मैंने उसके मुँह पर हाथ रखते हुए उसे कहा- अगर अब बाहर निकाला तो फिर से डालने में फिर दर्द होगा। जो होना था वो तो हो चुका है। बस कुछ देर में ये दर्द खत्म हो जाएगा और जिंदगी का असली मजा आने लगेगा।

मैं उसे इसी पोजीशन में लेकर लेटा रहा और उसके होंठों को किस करने लगा जिससे वह नॉर्मल होने लगी।
फिर वो धीरे धीरे अपनी गांड हिलाने लगी। मुझे लगा वो अब पूरा लन्ड लेने के लिए तैयार है।

मैंने थोड़ा सा लन्ड बाहर खींचा और जोर से पूरा का पूरा लन्ड उसकी चूत में उतार दिया।
वो फिर से चीख पड़ी।

मैंने अपने होंठ उसके मखमली होंठों पर रख दिये और किस करते करते उसे झटके मारने लगा।

धीरे धीरे वो मस्त होने लगी और मेरा साथ देने लगी।
मैं एक मिनट के लिए रुका और उसके नीचे के हाल को देखा तो उसकी चूत पर और मेरे लोड़े पर उसका खून लगा था।

मैंने बिना उसे दिखाए चुपचाप वो उस कपड़े से साफ कर दिया और फिर से उसके ऊपर चढ़ गया।
करीबन 25-30 धक्कों के बाद मैं रुका और उसको एक तरफ मुँह करके लेटा दिया और उसके पीछे मैं लेट गया।

अब उसकी एक टांग उठाकर मैं अपना लन्ड उसकी चूत पर सेट करके धक्के लगाने लगा।
वह अब मस्त हो चुकी थी और चुदाई में पूरा सहयोग कर रही थी।

जैसे जैसे उसके अंदर लन्ड जाता वो आह … ओह्ह … अम्म्म … बेबी जैसी आवाज़ें करती।

मैं पीछे से उसके गले पर किस करता और अपने हाथों से उसके मम्मों को भींचता और वह सीत्कारें भरती।

फिर मैं उठा और उसे बेड के कोने पर ले आया और खुद नीचे खड़ा हो गया।
अब मैं उसे कुतिया बनाकर चोदने लगा।
इस पोजीशन में मेरा लन्ड अंदर तक जाकर लग रहा था।

ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वह पहली बार चुदाई करवा रही है।
उसे पूरा मज़ा आ रहा था।

मैं उसको चोदता रहा।

उसके कुछ देर बाद वो बोलने लगी कि वो झड़ने वाली है।
मैंने चुदाई की स्पीड बढा दी और उसकी चूत से टक्कर खाते मेरे लन्ड के घर्षण के बारे में सोचने लगा।

फिर उसकी चूत ने जोर से पिचकारी मारी और तभी मेरे लन्ड ने भी अपना गर्म गर्म लावा उसकी पूरी चूत में भर दिया।

गाँव की लड़की की चुदाई के बाद हम दोनों निढाल होकर बेड पर गिर गये।

वह पेट के बल लेटी थी और मैं उसके ऊपर लेटा था।
कुछ देर में मेरा लन्ड छोटा होकर उसकी चूत से खुद ब खुद बाहर आ गया।

उसने मुझे अपने ऊपर से उठाया और बाथरूम में चली गयी।
मैंने देखा तो वो तौलिया खून से भीग चुका था और उस पर हम दोनों के प्यार की निशानी साफ साफ दिखाई दे रही थी।

फिर वो बाथरूम से आई और मुझसे लिपट गयी और बोली- आई लव यू सचिन … तुमने आज मुझे बहुत प्यार दिया। मैं अब तुम्हारी हो चुकी हूँ और सिर्फ तुम्हारी ही रहूंगी।

इस बात पर मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से मिला दिया और 2-3 मिनट तक हम किस करते रहे।

इतने में मेरा लन्ड फिर से तन गया और उसकी चूत के छेद पर दस्तक देने लगा।

मैंने उसे फिर से सेक्स करने के लिए कहा तो वह बोली- अब मम्मी किसी भी समय आ सकती है।
तो फिर मैंने रिस्क लेना ठीक नहीं समझा।

मगर मेरा लन्ड अकड़ चुका था तो मैंने उसे फटाफट लंड चूसने को कहा।
वो मुस्कराई और मेरे लन्ड को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।

फिर उसने मेरा लन्ड मुँह में भर लिया।

कसम से दोस्तो, उसे ऐसे ब्लोजॉब करते देखकर मेरा तापमान बढ़ने लगा और मैंने उसके सिर को पकड़ लिया और उसके मुँह की जोर जोर से चुदाई करने लगा।

मेरा लन्ड उसके गले तक जा रहा था और उसका थूक बुरी तरह से मेरे लौड़े पर लिबड़ चुका था।
मैं पूरे जोश में उसके मुँह की चुदाई करता रहा और कुछ देर में मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।

उसने मुँह से लन्ड बाहर निकाल लिया और हाथों से आगे पीछे करने लगी।

तभी मेरे लन्ड ने उसके मम्मों पर अपना लावा गिरा दिया।
उसके चूचों पर पड़ा मेरा वीर्य बहुत ही सुंदर लग रहा था।

फिर वो बाथरूम में गयी और साफ होकर आ गयी।

इतने में मैंने अपने कपड़े पहन लिए थे।
उसने भी आकर अपने कपड़े पहन लिए।
फिर मैंने उसे किस किया और जाने लगा तो उसने मुझे रोका।

वो बोली- रुको! पहले मैं बाहर देखती हूँ फिर जाना।
उसने देखा तो लाइन क्लियर थी।
उसके बाद मैं उसके घर से निकल गया और अपने घर चला गया।

शाम को मैंने छत पर बुलाकर उसे दवाई दे दी।
उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता हम दोनों सेक्स करते।

तो दोस्तो, कैसी लगी आप सबको मेरी सच्ची कहानी। उम्मीद है आप सब को पसंद आई होगी।

मुझे मेल करके अवश्य बतायें कि आपको इस गाँव की लड़की की चुदाई में कितना मजा आया। इसके बाद मैं अपनी दूसरी सच्ची कहानी लेकर आप सब के सामने प्रस्तुत करूँगा।
मेरा ईमेल आईडी है [email protected]

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