नमस्कार दोस्तो… मैं आपका दोस्त सोनू दोबारा आपके लिए अपनी कहानी लेकर हाज़िर हुआ हूँ. आप सभी ने अपने ईमेल के द्वारा बहुत सारा प्यार दिया.
मेरी पिछली स्टोरी
मॉम है या रांड
के चार भाग पढ़ने के लिए धन्यवाद. आप सभी ने मेरी स्टोरी को बहुत पसंद किया, उसके लिए मैं आप सभी का बेहद आभारी हूँ.
आज मैं आपके सामने आगे की सेक्स स्टोरी पेश करने जा रहा हूँ, जिसका आप लोग बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे.
पिछले भाग में आप सबने चुदाई की वीडियो रिकॉर्डिंग देखी कि किस तरह नवीन ने मेरी मॉम को किचन में कुतिया बना कर चोदा और किस तरह से मॉम भी एक पेशेवर रांड की तरह बिना किसी शर्म के हचक हचक के नवीन का लंड अपनी चुत में डलवाए जा रही थीं. मैं भी रिकॉर्डिंग देख कर मुठ मारने पर मजबूर हो गया था.
जब सारा कार्यक्रम समाप्त हुआ, तो मैंने अपना लंड जो कि मेरे अपने ही वीर्य से सना हुआ था, उसे साफ किया और लैपटॉप एंड कैमरा पैकअप करने लगा. अभी कुछ ब्लेंक रिकॉर्डिंग बाकी थी क्योंकि मॉम की रिकॉर्डिंग रात की थी और मैंने दस बजे कैमरा निकाला था. तो मैं ब्लेंक रिकॉर्डिंग फ़ास्ट फॉरवर्ड करके देखने लगा… तभी अचानक कैमरे में कुछ ऐसी रिकॉर्डिंग मुझे नज़र आई, जिसको देख कर मैं अपने पर काबू न कर सका और दोबारा मुठ मारने पर मजबूर हो गया.
कैमरे के रियल टाइमर के हिसाब से ये सुबह के आठ बजे की रिकॉर्डिंग थी. उस वक्त मैं नवीन को छोड़ने के लिए स्टेशन गया था. मॉम एंड डैड भी अपने अपने ऑफिस जा चुके थे. घर पे सिर्फ दीदी थीं जोकि अपने कमरे में सो रही थीं. घर में बिल्कुल सन्नाटा था, सिर्फ सुबह की चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ें आ रही थीं… किचन भी बिल्कुल खाली पड़ा हुआ था.
तभी अचानक से इस शांति को भंग करते हुए किसी की हंसने की आवाज़ आई… जिसने सारे माहौल के सन्नाटे को भंग कर दिया. यह हंसी किसी और की नहीं, बल्कि मेरी दीदी शालिनी की थी. दीदी कैमरे में नज़र नहीं आ रही थीं, पर उसके हंसने की आवाज़ सुनाई दे रही थी.
थोड़ी देर बाद समझ में आया कि दीदी किसी से फोन पे बात कर रही थीं. तभी अचानक ज़मीन पर साया चलता हुआ किचन की ओर आता हुआ दिखाई दिया.
दीदी की आवाज़ भी रिकॉर्डिंग में तेज़ होने लगी थी. दीदी लिविंग रूम से किचन में आ रही थीं, वो अभी भी फोन पे किसी से बात कर रही थीं और बीच बीच में कहकहे लगा कर हंस रही थीं.
तभी अचानक दीदी कैमरे में दिखाई पड़ीं. ओ माय गॉड… दीदी को देखते ही मेरा मुठ मारके मुरझाया हुआ लंड फनफनाता हुआ खड़ा हो गया और लैपटॉप स्क्रीन पे दीदी को देख देख कर झटके लेने लगा. मेरी दीदी को देख कर में मॉम को भूल गया.
जैसा कि मैंने पहले ही बताया था दीदी दिखने में मॉम जैसी हैं, पर उनका फिगर मॉम से काफी बड़ा है.
दीदी ब्लू रंग की ब्रा और ब्लू रंग की जी स्ट्रिंग पहने हुए अपनी गांड मटकाते हुए किचन में दाखिल हुईं. दीदी के बड़े बड़े बूब्स ब्लू रंग की ब्रा में जकड़े हुए थे… ब्रा इतनी टाइट लग रही थी कि मानो बीच से अभी टूट जाएगी और दीदी के चुचे अभी ब्रा से बाहर कूद पड़ेंगे. चूचों के ऊपरी भाग साफ दिखाई दे रहे थे. जितने चुचे ब्रा के अन्दर थे, उतने ही ब्रा के बाहर भी दिखाई दे रहे थे. दीदी के दोनों चुचे बड़े और टाइट होने की वजह से बीच में इस तरह एक दूसरे से चिपके हुए थे कि दोनों चूचों के बीच एटीएम कार्ड स्वाइप करने जितनी जगह भी नहीं थी.
दीदी भी मॉम जैसी बहुत गोरी थीं… और नीले रंग की ब्रा में गोरे गोरे चुचे ऐसे सेक्सी लग रहे थे कि किसी सौ साल के बूढ़े का भी लंड खड़ा कर दे. दीदी की गांड का तो क्या पूछना, दीदी की गांड मॉम से काफी बड़ी थी और पीछे की ओर बहुत निकली हुई थी. दीदी की गांड देख कर तो अच्छा खासा आदमी पागल हो जाए. उनकी गोरी गोरी बड़ी गांड, उस पर क़यामत ये कि दीदी पेंटी नहीं पहनती थीं. वो जी स्ट्रिंग पहनती थीं… जिसके पीछे की और सिर्फ एक पतली डोरी होती है… जो कि दीदी की गांड की दरार के अन्दर छुपी हुई थी. जिससे दीदी की गांड की पहाड़ी बिल्कुल साफ नज़र आ रही थी.
उफ़… दीदी को तो देख कर ही लंड का पानी निकल गया दोस्तो. मुझे पहले ही अपनी किस्मत पर अफ़सोस हो रहा था कि मॉम जैसी सेक्स बम्ब को नवीन जैसा देहाती रंडी की तरह चोदता है. अब दीदी को देख कर तो अफ़सोस और ज्यादा होने लगा कि सारे समुन्दर मेरे पास हैं और मैं ही प्यासा घूम रहा हूँ.
बरहराल… दीदी चलकर किचन काउंटर के पास आकर खड़ी हो गईं और फोन पे बात करे जा रही थीं. मैं समझ नहीं पा रहा था कि फोन पर दूसरी तरफ कौन है… लेकिन उनकी बातों से लग रहा था कि दीदी की कोई फीमेल फ्रेंड है.
बात करते करते दीदी ने अपने दोनों हाथों की कोहनियों को किचन काउंटर पर टिका दिया और काउंटर पर थोड़ा झुक गईं. दीदी के चुचे काउंटर से टच होने लगे… और झुकने के कारण दीदी की गांड पीछे की ओर और भी ज्यादा बाहर निकल आई.
पीछे से चोदने के लिए इससे बेस्ट पोज़ हो ही नहीं सकता था. इंसान तो क्या कोई जानवर भी वहां होता तो न चाह कर भी उसका लंड खड़ा हो जाता और पीछे से दीदी की गांड पर चढ़ाई करके लंड गांड में घुसा देता.
दीदी इसी तरह झुके हुए एक हाथ में फोन पकड़ कर कान पे लगाए हुए बात कर रही थीं और दूसरे हाथ से किचन काउंटर पर उंगलियों से यूँ ही कुछ लिखे जा रही थीं.
दीदी- यार तेरा प्रमोशन हो गया, तूने बताया भी नहीं… प्रमोशन की तो ग्रैंड पार्टी लगेगी बॉस.
दूसरी तरफ से कुछ बात हुई होगी.
दीदी- वैसे ये अचानक प्रमोशन कैसे… विजिटिंग स्टाफ से परमानेंट स्टाफ… कुछ तो बात है!
दीदी- कुछ तो बात है… जो तू बता नहीं रही है… अगर नहीं बताना तो आज के बाद मुझे फ़ोन मत करना. तेरी मेरी दोस्ती यहीं तक… चल बाय…
ये बोल कर दीदी झूट मूठ का खामोश हो गईं. फिर दूसरी तरफ से पता नहीं क्या हुआ… दीदी दोबारा बोलीं- हाँ बोल… यहीं हूँ सुन रही हूँ… आ गई न लाइन पे… चल अब बता ये अचानक प्रमोशन कैसे…
थोड़ी देर दूसरी तरफ से सुनने के बाद दीदी अचानक चौंक उठीं- क्या बात कर रही है… ओ माय गॉड… सच में? आई कांट बिलीव दिस यार… तूने उस बुढ्ढे से चुदवा लिया?
यह कह कर दीदी का मुँह खुला का खुला ही रह गया. चुदाई जैसा बोल्ड लफ्ज़ दीदी के मुँह से सुन के मानो मेरे बदन में करंट दौड़ गया.
दीदी- ये हुआ कैसे यार… उस बुढ्ढे का खड़ा भी होता है क्या… साला ठरकी बुढ्ढा हरामी… उसको सेक्रेटरी किसने बना दिया.
यह कह कर दीदी हंसने लगीं. दीदी की हंसी के साथ दीदी के चूचे भी ख़ुशी के मारे उछलने लगे… उफ़ मन कर रहा था स्क्रीन में से ही खा जाऊं.
दीदी- चल इसी बहाने तू फिक्स स्टाफ तू हो गई स्कूल की… प्रमोशन का प्रमोशन मज़े के मज़े भी… मज़े से याद आया. अच्छा एक बात बता मज़ा आया कि नहीं तुझे… या बस ऐसे ही? क्या बात कर रही है… आधा घंटा उस बुढ्डे ने तुझे चोदा… ओ माय गॉड… तेरे तो मज़े हैं बॉस.
यह कहते हुए दीदी ने अपने होंठ दांत के नीचे दबा लिए.
दीदी- अच्छा प्रीति, एक मिनट रुक…
कहकर दीदी फ्रिज खोल कर उसमें से पानी निकाल कर लाईं और पीने लगीं.
मतलब वो प्रीति थी… दीदी की क्लासमेट. दोनों ने कॉलेज साथ में कम्पलीट किया था. वो अब आगरा में रहती है… वहीं किसी स्कूल में पढ़ाती है. उनकी बातों से ऐसा लग रहा था, जैसे प्रीति के सेक्रटरी ने प्रीति को प्रमोशन के बहाने चोदा है.
पानी पीने के बाद दीदी ने दोबारा फोन कान से लगाया- हाँ प्रीति अब बोल… कैसे हुआ कब हुआ. तू उस बुढ्ढे के लंड के नीचे कैसे पहुँच गई यार… तेरी बात सुन के तू मेरी भी चुत पानी छोड़ने लगी है.
दीदी की ये सब बातें सुन कर मेरे लंड में तूफ़ान उठ रहा था.
वहां से प्रीति सब बताने लगी. थोड़ी ही देर में दीदी के हाव भाव बदलने लगे. अब दीदी अपने एक हाथ से अपनी चूचियों को सहला रही थीं… और फोन पे ‘हूँ… हूँ…’ कर के प्रीति की बातों का मजा लिए जा रही थीं- वाओ… उसने तेरी चुत चाटी?? आव्स्म यार…!
यह कहते हुए दीदी अपने हाथ को अपनी चुत पर ले जाकर पैंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगीं. दीदी आहिस्ता आहिस्ता गरम हो रही थीं. एक हाथ से फोन पकड़े हुए, आँखें मूंदे हुए… अपने होंठों को दांतों के नीचे दबा कर दूसरे हाथ से खड़े खड़े अपनी चुत को मसल रही थीं.
दीदी का यह अवतार बहुत ही खतरनाक लग रहा था. प्रीति वहां दूसरी तरफ से अपनी चुदाई की स्टोरी सुनाए जा रही थी. यहाँ दीदी की वासना बढ़ती जा रही थी. अब दीदी अपनी चुत को तेज़ तेज़ रगड़ने लगी थीं… मानो दीदी चुत को मसल कर रख देना चाहती हों.
दीदी एकदम गरम हो चुकी थीं. दीदी ने फोन को टेबल पर रखा और उसका स्पीकर ऑन कर दिया. अब प्रीति की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी… वो फोन पे अपनी चुदाई की कहानी सुनाए जा रही थी.
दीदी वहीं किचन में रखी चेयर पे बैठ गईं… और अपना एक पैर उठाकर क्रॉस करके चेयर की आर्म्स पर रख कर बाहर की तरफ लटका दिया जिससे दीदी की चुत एकदम साफ साफ दिखाई दे रही थी. चुत अभी पैंटी से ढकी हुई थी.
दीदी ने पैंटी का आगे का हिस्सा पकड़ कर साइड में सरका दिया… जिससे दीदी की चुत बिल्कुल नंगी हो गई… और अब चुत साफ साफ दिखाई देने लगी. दीदी की चुत हल्की ब्राउन रंग की फूली हुई डबल रोटी की तरह थी. दीदी की चुत की दोनों पंखियां और क्लिट दोनों बहुत गुदाज थीं. दीदी की चुत मोटी होने के बावजूद भी बाहर की ओर निकल रही थी. दीदी की चुत सच में बहुत बड़ी थी. दीदी की हथेली जितनी होगी.
दीदी अपनी दो उंगलियां वी शेप बना कर अपनी चुत के दोनों फांकों पर रख दीं और उंगलियों को फैला कर चूत को पूरा खोल दिया. जैसे ही दीदी की चुत खुली, मैं तो देख कर पागल हो गया. चुत के अन्दर का नजारा खून जैसा लाल था.
यह देख कर मेरी मुठ मारने की रफ़्तार तेज़ हो गई.
अब दीदी चेयर पर बैठी हुई फोन को स्पीकर पे डाल कर प्रीति की चुदाई की स्टोरी को सुन रही थी और अपनी चुत को सहलाए जा रही थीं. दीदी एकदम मस्त हो चुकी थीं, अपनी आँखें बंद करके बस अपनी चुत की रगड़ाई का मज़ा ले रही थीं. तभी दीदी ने अपनी दो उंगलियों को अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगीं… जिससे दीदी की उंगलियाँ गीली हो गईं. उन गीली उंगलियों को ले जाकर दीदी ने अपनी चुत में घुसा दिया और दीदी के मुँह से आह… की कराह निकल गई.
अब दीदी हल्की हल्की आह आह की आवाज़ के साथ अपनी उंगलियों से अपनी चुत को चोदे जा रही थीं. उंगलियां बहुत आसानी से चुत में आ जा रही थीं… ऐसा लग रहा था कि दीदी की चुत बहुत बड़ी है.
यहाँ दीदी अपनी चुत चोदने में मस्त थी… वहां फोन पे प्रीति अपनी चुदाई की स्टोरी सुनाए जा रही थी.
थोड़ी देर स्टोरी सुनाने के बाद प्रीति बोली- तू सुन रही है न… हैलो हैलो शालिनी कहाँ गई… हैलो… हैलो…
उधर शालिनी दीदी कहाँ सुनने वाली थीं… वो तू अपनी चुत चोदने में मस्त हो गई थीं. थोड़ी देर पूछने के बाद जब कोई रिस्पांस नहीं आया, तो फोन डिसकनेक्ट हो गया. वहां दीदी अपनी ही मस्ती में फोन डिसकनेक्ट होने से बेखबर अपनी चुत में उंगली अन्दर बाहर करके चोदे जा रही थीं.
दीदी की चुत बहुत सारा पानी छोड़ चुकी थी. उंगली से ही फच फच की आवाज़ आने लगी थी. साथ ही पानी निकल निकल कर ज़मीन पर टपक रहा था… दीदी की चुत कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रही थी. मॉम से भी ज्यादा पानी निकल रहा था.
थोड़ी देर इसी तरह अपनी चुत चोदने के बाद दीदी एकदम पागल सी हो गई थीं और अपनी गांड उठा उठा कर उंगलियां घुसा रही थीं. ऐसा लगता था कि दीदी को बस अब लंड चाहिए था, जो उसकी चुत में घुस कर उसको कुतिया की चोद दे.
दीदी ज़ोर ज़ोर से कराह रही थीं- आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह आह फ़क मी… ओह…
दीदी से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
फिर अचानक दीदी उठीं और फ्रिज की और चल पड़ीं. फ्रिज खोला और कुछ ढूंढ़ने लगीं. जब दीदी फ्रिज से वापस लौटीं तो दीदी के हाथ में एक बड़ी साइज की ककड़ी थी. वो लेकर दीदी दोबारा चेयर पर वैसे ही बैठ गईं. फिर पता नहीं दीदी को क्या हुआ वो दोबारा फ्रिज की तरफ गईं और फ्रिज खोल कर कुछ और ढूंढ कर निकाला और दोबारा आकर चेयर पर वैसे ही बैठ गईं. इस बस दीदी के हाथ में ककड़ी नहीं थी… बल्कि एक बड़े साइज का करेला था. मैं समझ गया था कि दीदी को अपनी चुत में डालने के लिए ककड़ी जैसा स्मूद नहीं करेला जैसा डॉटेड सरफेस चाहिए.
दीदी मॉम से भी ज्यादा सेक्सी थीं. कुर्सी पर बैठने के बाद दीदी करेले को अपनी चुत पे रगड़ने लगीं… और नीचे से अपनी गांड उचका उचका कर करेला उस पर रगड़ रही थीं. थोड़ी देर इसी तरह रगड़ने के बाद दीदी ने करेले की नोक अपनी चुत के छेद पे रखी और एक ही झटके में आधा करेला अपनी चुत में घुसा दिया. दीदी ने इतनी तेज़ करेला चुत में घुसाया कि दीदी की चीख निकल गई ‘ओह ओह… आह…’
दीदी कसमसाने लगीं और अपनी गांड को चेयर पे रगड़ने लगीं. दीदी ने अपने दोनों हाथों से अपने बाल पकड़ लिए और चिल्लाने लगीं. करेला उसी तरह दीदी की चुत में फंसा हुआ था. करीब आधा करेला दीदी की चुत में घुस चुका था.
वाओ क्या नजारा था… दीदी की गोरी गोरी चुत, उसके बीच में हरे रंग का करके फंसा पड़ा था. करेले की पूंछ पीछे लटक रही थी… ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा चूहा दीदी की चुत में घुस रहा हो, जिसकी पूंछ बाहर लटक रही हो और दीदी अपने बालों को नोंच कर चिल्ला चिल्ला कर चूहे को अन्दर घुसने दे रही हैं.
माय गॉड… दीदी तो मॉम से भी ज्यादा हॉर्नी निकलीं. थोड़ी देर बाद दीदी अपने एक हाथ से अपने एक पैर को पकड़ कर फैलाने लगीं ताकि चुत थोड़ी और खुल जाए और दूसरे हाथ से दोबारा करेले को पकड़ सीत्कारियां लेते हुए उसको अपनी चुत में अन्दर बाहर पेलने लगीं ‘ओह फ़क… ओ माय गॉड… आह आह ओह…’
थोड़ी ही देर में दीदी की हाथों की रफ़्तार मशीन की तरह बढ़ गई थी और दीदी चेयर की पीछे की ओर गर्दन झुकाये हुए चिल्लाते हुए अपनी चुत चोदे जा रही थीं.
तभी अचानक दीदी ने एक झटके से करेला अपनी चुत से बाहर निकाला और दीदी की चुत से पानी का एक फव्वारा निकल कर सामने रखी फ्रिज और किचन टेबल पर गिरने लगा.
दीदी की ज़ोरदार चीख निकलने लगी- ओ माय गॉड… आह्ह… माय गॉड. फ़क… फ़क आह आह…
जैसे ही पानी का फव्वारा ख़त्म हुआ, दीदी ने झट से करेला वापस चुत में घुसा दिया. दीदी के चारों तरफ पानी ही पानी हो गया था जो दीदी की चुत से ही निकला था.
यह सारा नज़ारा देख कर मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था दीदी चुदाई के टाइम squirt भी करती हैं.
पूरा करेला दीदी के पानी में डूबा हुआ था… दीदी ने दोबारा करेला अपनी चूत में डाला और आहिस्ता आहिस्ता अपनी चुत को चोदने लगीं. थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद दीदी का बदन अकड़ने लगा. अब दीदी झड़ने लगी थीं. दीदी तेज़ तेज़ अपनी गांड हिला हिला कर झड़ रही थीं और साथ ही वो करेले को तेज़ तेज़ चुत में अन्दर बाहर करने लगीं.
थोड़ी देर इसी तरह झड़ने के बाद दीदी सुस्त पड़ गईं और वहीं चेयर पे बे सुध होकर दोनों हाथ अपने बालों में डाले हुए हांफते हुए पड़ी रहीं.
करेला वैसे ही दीदी की चुत में अटका हुआ था. दीदी की चुत में अटका हुआ करेला बहुत सेक्सी लग रहा था. थोड़ी देर इसी तरह पड़े रहने के बाद दीदी ने करेला अपनी चुत से बाहर निकाला और वहीं किचन काउंटर पे रख दिया. अब वो अपने बाल बांधने लगीं, जो कि बिखर गए थे. बाल बांधते हुए दीदी ने फोन की तरफ देखा और मुस्कुराने लगीं.
“यार तू लकी है प्रीति… घर में भी चुदती है… बाहर भी चुदती है…” यह कहकर दीदी ने अपने आप को ठीक किया और अपना फोन लेकर गांड मटकाते हुए किचन से बाहर चली गईं.
ये सब देख कर मैं अब तक तीन बार मुठ मार चुका था. एक बार मॉम को देखकर, दो बार दीदी को देख कर. अब मैंने मॉम और दीदी दोनों को चोदने का मन बना लिया था. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने लैपटॉप वगैरह बंद किया और अब मॉम और दीदी को कैसे चोदूँ, बस यही सब सोचने लगा. इसी सब सोच विचार में दिन गुज़र गया.
अब जब भी मॉम और दीदी सामने आतीं तो बस आते जाते मेरी नज़र उनकी गांड पे ही रहती. बस उनको चोदने की प्लानिंग में दिमाग दौड़ने लगता…
आगे की कहानी अगले भाग में. मेरी ये कहानी आपको कैसी लगी प्लीज़ ईमेल करके बताएं.
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