मेरी पहली माशूका की पहली चुदाई

मेरी पहली माशूका की पहली चुदाई

हाय दोस्तो, मेरा नाम एजाज़ है, मैं इंदौर का रहने वाला हूँ और अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. आज मैं आपको अपनी पहली चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ. मैं अन्तर्वासना पर पहली बार स्टोरी पोस्ट कर रहा हूँ तो मुझे बहुत हिचक है और अगर कुछ गलती दिखे, तो प्लीज़ नया समझ कर नजरअंदाज कर दीजिएगा.

यह बात आज से करीब 2 साल पहले की है जब मैं अपनी 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी कर रहा था. उसके लिए मैंने ट्यूशन क्लास जॉइन की. वहां मैं किसी को जानता नहीं था.. शुरू शुरू में तो मेरा वहां मन ही नहीं लगता था. मुझे ट्यूशन जाने की इच्छा भी नहीं होती थी लेकिन मेरे ट्यूशन में बहुत सी लड़कियां भी आती थीं, जिस वजह से मुझे उधर जाने में कुछ इंटरेस्ट मिलने लगा था.

उन लड़कियों में से एक लड़की, जिसका नाम सबा (बदला हुआ नाम) था, उसको मैं बहुत पसंद करने लगा था. लेकिन आज तक मैंने कभी किसी लड़की को प्रपोज़ नहीं किया था तो मैं उसको कुछ भी नहीं बोल पा रहा था. धीरे धीरे मेरी कोशिशें जारी रहीं और किसी तरह हमारी फ़्रेंडशिप हो गई.

अब सबा के चक्कर में मैं अपनी ट्यूशन क्लास कभी भी मिस नहीं करता था. वो भी कभी क्लास मिस नहीं करती थी.. शायद इसका एक ही कारण था कि हम दोनों सिर्फ ट्यूशन में ही मिल पाते थे.

मैंने चूंकि बारहवीं का प्राइवेट फॉर्म भरा था, इसलिए मुझे ट्यूशन कभी मिस नहीं करने का एक ये भी कारण था.
खैर कुछ भी रहा हो, हमारी फ़्रेंडशिप बहुत क्लोज हो गई थी. मैं उससे हर बात शेयर करने लगा था और वो भी मुझसे हर बात शेयर करती थी.

एक दिन मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है क्या?
तो उसने शर्माते हुए ना में इशारा किया.

बस फिर क्या था मुझे तो हरी झंडी मिल गई. मैंने सही मौके की तलाश की और फरवरी महीने में मैंने उसे रोज डे पर एक सुर्ख गुलाब का फूल देकर प्रपोज़ किया. मेरी माशूका ने मेरे साथ वैलेंटाइन वीक के हर दिन मनाए, लेकिन वैलेंटाइन डे का ही दिन नहीं मनाया.

उसने कहा- यह दिन हम फिर कभी मनाएंगे.
मैंने उसके हां में हां भर दी.

अब हमारी परीक्षाएं नजदीक आ गई थीं और हम पढ़ाई भी साथ साथ करने लगे थे. कब एग्जाम हो गए, पता भी नहीं चला.

अब बस मैं उसके कॉलेज शुरू होने का बेसब्री से इन्तजार कर रहा था. जैसे तैसे करके वो दिन भी निकल गए और कॉलेज शुरू हो गए. उसका भी कॉलेज में पहला दिन था और मेरा भी पहला दिन था. लेकिन उसके भाई ने उसका एडमिशन गर्ल्स कॉलेज में करवा दिया था, तो मैं वहां जा नहीं सकता था. इस वजह से मैं उसे उसके कॉलेज पहुंचने से पहले ही पिक कर लेता और हम रोज कहीं न कहीं घूमने निकल जाते.

फिर बारिश का मौसम आया तो हम ज्यादातर पार्क में ही बैठे रहते थे. हमारी फ्रेंडशिप को एक साल होने आया था और फिर से वैलेंटाइन डे आने वाला था.

मैंने अपनी माशूका से पूछा कि इस बार तुम्हें वैलेंटाइन डे पर क्या गिफ्ट चाहिए?
तो उसने कहा- मुझे सिर्फ तुम्हारा साथ चाहिए.

फिर हमने वैलेंटाइन सफ्ताह के पूरे 6 दिन एक साथ रह कर गुजारे और उसके बाद 14 फरवरी को हम एक होटल में गए. वहां हमने खाना खाया और बिना उसकी सहमति से एक रूम बुक करा दिया. हम दोनों खाना खाकर रूम में चले गए.

उसने पूछा कि रूम क्यों बुक कराया है?
मैंने कहा- मैं थक गया हूँ, थोड़ा आराम करके चलेंगे.

हम दोनों रूम में गए और बेड पर लेट गए. उसने मुझसे थोड़ी दूरी बना रखी थी, तो मैंने उसे पास आने को कहा.

मेरी माशूका मेरे पास आई तो मैंने उसे किस किया. हालांकि मैंने पहले भी उसे किस किया था.

मेरे किस करने के लिए आगे बढ़ते ही वो समझ गई कि अब मैं उसे किस करूँगा. उसने मेरा साथ दिया और थोड़ी देर तक हमने किस किया. फिर मैंने मेरा एक हाथ धीरे से उसकी बुर पर रख दिया. उसकी बुर बहुत ही गरम हो रही थी. मैं समझ गया था कि आज सबा का मन भी है.

मैं देर ना करते हुए उसके स्तन दबाने लगा. वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रही थी. उसके गले से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज़ें निकलने लगीं.

करीब 30 मिनट तक मैं उसको सहलाता रहा. उस बीच हम दोनों में जबरदस्त चूमा-चाटी हुई, जिस वजह से शायद उसका पानी भी छूट गया था.

मैंने धीरे धीरे करके उसके सारे कपड़े उतार दिए. अपनी माशूका का नंगा बदन देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं फिर से उसके स्तन चूसने लग गया. अब उसकी कामुक सिसकारियां बहुत तेज़ हो रही थीं.. तो मैंने टीवी चला दिया ताकि बाहर आवाज़ न जाए.

अब उसने मुझसे कहा कि जान बस करो.. अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है जल्दी करो..

मैंने बिना समय गंवाए उसके पैर फैलाते हुए ऊंचे कर दिए ताकि उसे ज्यादा दर्द न हो. मैंने बहुत सी सेक्स वीडियो देखी थीं और अन्तर्वासना पर भी पढ़ा था. तो मुझे इस बारे में बहुत ज्यादा ज्ञान हो चुका था.. बस आज प्रेक्टिकल करना था. मैंने चुदाई की पोजीशन बनाते हुए अपना लंड उसकी बुर की दरार पे रख दिया. मेरे लंड का सुपारा किसी कुत्ते की जीभ जैसी पानी की बूँदें छोड़ रहा था. उसकी बुर और वो दोनों ही बहुत गर्म हो चुके थे. मैंने अपने लंड को धक्का लगाया लेकिन वो फिसल गया. उसकी बुर बहुत ही गीली हो चुकी थी. शायद तीन बार उसकी बुर का पानी भी छूट गया था.

मैंने अपना लंड उसकी बुर पे लगाया और धक्का लगा दिया. इस बार मेरा लंड का सुपारा उसकी बुर में घुस गया था. लंड घुसते ही वो बहुत जोर से चिल्ला उठी और रोने लगी. उसकी दर्द भरी आवाज निकलने लगी- आह इसे निकालो.. उई माँ मैं मर जाऊँगी.. प्लीज़ निकाल लो इसे..
उसकी बुर कुंवारी थी, अनचुदी थी.

लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और कुछ देर ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा. कुछ पल बाद उसकी कराह कुछ कम सी हुई तो मैंने फिर से धीरे से एक और झटका दे दिया. मेरा लंड उसकी बुर में आधा जा चुका था. अब मुझे भी मेरे लंड में जलन सी महसूस होने लगी क्योंकि मैं भी पहली बार किसी लड़की को चोद रहा था.

मैंने देखा कि उसकी बुर से खून निकल रहा है, लेकिन ये बात मैंने उसको नहीं बताई. फिर मैंने थोड़ी देर और रुक के एक और झटका दिया तो इस बार मेरा 7 इंच लंबा लंड उसकी बुर में पूरा पूरा समा गया.

मेरी माशूका दर्द से चीख उठी- उई अम्मी… निकालो इसे एजाज़.. मैं मर जाऊँगी.. मुझे नहीं करवाना.. आह.. फट गई मेरी..’

वो यह बोलती रही तो मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. कुछ ही देर बाद उसकी वासना उसके दर्द पर हावी होने लगी, वो भूखी शेरनी की तरह मेरे होंठों को खाने लगी तथा अपनी गांड उठाने लगी. अब मैंने भी अपने धक्के देना शुरू कर दिए. उसकी चुत ने लंड का मजा लेना शुरू कर दिया था. धकापेल चुदाई आरम्भ हो गई, मेरे लंड की जलन भी मैं भूल गया.

इस बीच वो एक बार और झड़ चुकी थी. थोड़ी देर बाद मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी. उसकी कामुकता से लबरेज सिसकारियां निकल रही थीं.

अब उसे मज़ा आने लगा और वो भी ऊपर धक्के देकर मेरा साथ देने लगी. करीब 15 मिनट तक हम दोनों एक ही पोजीशन में चुदाई करते रहे. फिर मैंने लंड बाहर खींचा, तब उसकी आँखों से ऐसा लगा जैसे मैंने उसकी पसंद का खिलौना छीन लिया हो.

लेकिन अगले ही पल मैंने उसको अपने ऊपर बिठा लिया और अपना लंड उसकी बुर में फंसा दिया. लंड फंसते ही मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया, जिससे एक ही झटके में मेरा पूरा लंड उसकी बुर में समा गया. उसके मुँह से फिर से एक मीठी कराह निकल गई और एक दो पल बाद ही वो ऊपर से कमर हिलाते हुए मेरे लंड पर अपनी बुर से धक्के देने लगी.

चुदाई का मजा मिलने लगा. मैं उसके मम्मों को भींचता हुआ, चूसता हुआ चुदाई का मजा लिए जा रहा था और वो भी मुझे अपने दूध चुसवाते हुए चुत रगड़वा रही थी.

थोड़ी ही देर में वह अकड़ने लगी और मुझे कसके दबोचने लगी. मैं समझ गया था तो मैंने नीचे से तेज धक्के मारने शुरू किए. इस बार हम दोनों साथ में ही झड़ गए. वो मेरे ऊपर निढाल होकर लेट गई और मैं भी उसे अपनी बांहों में भरे हुए लेटा रहा.

काफी लम्बी चली इस चुदाई में वो 1-2 बार झड़ चुकी थी.. वो एकदम बेजान से पड़ी थी और लम्बी लम्बी साँसें भर रही थी. जबकि मैं सिर्फ एक ही बार झड़ सका था.

करीब आधा घंटे बाद मैंने उससे कहा कि एक बार फिर से करना है.

तो वो झट से तैयार हो गई और इस बार हमने डॉगी स्टाइल में खड़े होकर भी चुदाई की. इस बार 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों फिर से झड़ गए. दोनों बार मैंने मेरा वीर्य उसकी बुर में ही निकाला था.

चुदाई के बाद हम दोनों साथ में बाथरूम में नहाने गए और फिर नहा कर मैंने उसे उसके कॉलेज के बाहर छोड़ा.

उसे बाय कह कर जब मैं लौटने लगा तो मैंने देखा कि उसकी चाल बदल गई थी. उससे सही से चला नहीं रहा था.

मैंने उसको फिर से बुलाया और उससे पूछा तो उसने कहा कि दर्द हो रहा है लेकिन मैं कुछ देर बैठ जाऊँगी और फिर घर चली जाऊँगी.

मैं भी उधर अधिक देर नहीं रुक सकता था इसलिए वहां से चला गया.

दोस्तो, यह मेरे पहले सेक्स की मेरी पहली सेक्स कहानी है, जरूर बताएं कि कैसी लगी. इसे मैंने बहुत मेहनत से लिखा है और इस कहानी को लिखते समय मैंने उसकी याद में दो बार मुठ भी मारी है.

मेरे अजीज़ दोस्तो, अगर आप मुझे मेल करके मेरी कहानी के बारे में अपने ख्यालात मुझे बताएँगे तो आपके ईमेल से मुझे हौंसला मिलेगा.
शुक्रिया!
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