मैं शुरू से ही बहुत शर्मीला था और सदैव पूरे कपड़े पहन कर रखता था जबकि मेरे साथ के सभी लड़के नगधड़ंग गाँव में घूमा करते थे। यहाँ तक कि 11वीं कक्षा में आकर पहली बार जब रात में मेरा लंड खड़ा हुआ और मैंने हस्तमैथुन कर कौमार्य भंग किया तो बड़ी आत्म ग्लानि हुई।
लेकिन अकथनीय सुखानुभूति के चलते प्रायः रोज़ ही इस काम को करता, कभी कभी तो कामुकता वश दिन में 3-4 बार भी, लेकिन चोरी छुपे, घर वालों की नजर से दूर होकर! बहुत सारे तरीके अपनाये इस लुत्फ़ को उठाते हुये।
बहुत सारा सेक्सी साहित्य पढ़ा, पत्रिकायें पढ़ी, उपन्यास पढ़े.
इस के बाद एक दिन इंटरनेट पर अन्तर्वासना डॉट काम साइट को लगभग 10 साल पहले देखा, उस वक्त इस साईट का रंगरूप ही कुछ और था, कहानियाँ भी इतनी ज्यादा नहीं थी, यही कोई तीन सौ कहानियाँ होंगी. लेकिन मुझे इसकी कहानियों में इतना मजा आया कि मैं इस सेक्स स्टोरी साईट का नियमित पाठक बन गया।
मैंने इसकी गे कहानियाँ तो सभी पढ़ी हैं और हर कहानी पढ़ने के बाद अपनी गांड मराने की इच्छा होने लगती है।
गे यानी गांडू सेक्स कहानियों के सबसे पुराने लेखकों में थे सन्नी शर्मा गाण्डू… उनकी कहानियां मुझे बहुत भाती हैं. लेकिन पता नहीं उन्होंने कहानी लिखना क्यों छोड़ दिया.
खैर… आज मैं अपनी खुद की पहली बार चुदाई की कहानी लिख रहा हूँ, आशा है आप सभी को पढ़ कर मजा आयेगा।
यह आज से 6 साल पहले की बात है जब मैंने इंटरनेट पर गांड मराने की तैयारी के बारे में जरूरी जानकारी हासिल की। इस जानकारी में सबसे उपयोगी थी ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में ए बी सी ऑफ सेक्स टाइटिल के साथ छपे लेख। और अन्तर्वासना में प्रकाशित एक लेख श्री शगन कुमार जी द्वारा लिखित
गाण्ड मारने की विधि मेरे लिए काफी उपयोगी सिद्ध हुआ.
इसके तहत मैंने अलो वीरा जेल युक्त कोल्ड क्रीम ख़रीदी जिसका उपयोग चिकना करने हेतु करना था, सेक्स ट्वाय की तरह उपयोग हेतु अपनी प्रयोगशाला से 50 मिलीलीटर वाली कोनिकल प्लास्टिक की टेस्ट ट्यूब ली, इसका सिरा कोनिकल होता है और मोटाई लगभग मेरे लंड जितनी ही थी।
फिर रात में गांड साफ कर प्रक्टिकल करना प्रारम्भ किया। पीठ के बल लेट कर टांगें ऊपर करने पर गांड आसानी से एक्सप्लोर करने लायक हो जाती है। पहले ढेर सारी क्रीम एक उंगली से गांड के छेद में लगा अंदर बाहर करना चालू किया, मजा आया, फिर दो उंगली डालीं और थोड़े कष्ट के बाद आसानी से मैं अपनी चुदाई कर पा रहा था।
फिर मैं टेस्ट ट्यूब को आहिस्ता से अपनी गांड के अंदर डाला और अंदर बाहर करना शुरू किया, कोई 10 मिनट में मेरा मजा चरम बिन्दू तक पहुंचा और इस बीच मेरा लंड जो तना खड़ा था, वह भी झटके खाने लगा और मैं झड़ चुका था।
इस क्रिया में वास्तव में प्रोस्टेट ग्रंथि की मसाज़ होती है जिससे आनन्द की अनुभूति होती है।
अब मैं हस्तमैथुन के साथ साथ इस क्रिया का भी नियमित आनन्द लेने लगा। कभी कभी तुरई, खीरा और लंबे वाले बैंगन भी इस्तेमाल किए। हर बार थोड़ा थोड़ा मोटाई बढ़ाता गया जिससे किसी भी हब्शी के लौड़े को भी लेने लायक मेरी हसीन गांड तैयार हो चुकी थी।
अब मैं सचमुच के लंड को अपनी गांड में लेने के दिवास्वप्न देखने लगा लेकिन इस में कोई बहुत ख़ास दोस्त को ही सम्मिलित किया जा सकता था जो इस बात को पूर्ण गोपनीय रखे और गलत फ़ायदा न उठाए।
काफी दिनों बाद ऊपर वाले की दया से ऐसा मौक़ा मेरे हाथ आ गया।
मेरे एक सीनियर जो कि मेरी ही प्रयोगशाला से पी एच डी कर के अमेरिका में पी डीए फ़ कर रहे थे, वापस आए थे और मेरे साथ हॉस्टल में एक हफ्ते रुकने वाले थे। उनका पहला सेक्स अनुभव गांड मारने से हुआ था, ऐसा सभी साथी जानते थे। उनको मैं श्रद्धा से भ्राता श्री कहता था और वह मुझे लघु भ्राता कहते थे।
लेकिन अब मैं काफ़ी खुले विचारों वाला बन चुका था और उनको एस एम एस करते हुये कई बार सेक्सी मैसेज भी आदान प्रदान हो जाता था। इस बार मैं जब उनके आने का एस एम एस पाया तो उनको पीच वाली सेक्सी एमोजी से वैल्कम मैसेज किया।
मैंने उनके आने पर बड़ी गर्मजोशी से गले लग कर उनका स्वागत किया और उन्होंने भी मेरे अंदर आए बदलाव को, लगता है कि अपनी अनुभवी नजरों से ताड़ लिया था। दिन भर वे लोगों से मिलने में व्यस्त रहे।
गर्मी के दिन थे, रात को 10 बजे हम लोग सोने के लिए हास्टेल के एक ही बेड पर लेटने वाले थे। मैंने अपनी आदत के अनुसार नहा धो कर गांड भी तैयार कर ली थी, लेकिन आज असली लौंडे की चाहत पूरी करने की ठान रखी थी जिसमें भ्राता श्री की पारखी नजरें जो कि मेरी हसीन गांड पर बार बार टिक जातीं थीं, मेरा हौसला बढ़ा रहीं थी।
भ्राता श्री ने गर्मी का बहाना लेते हुये खाली अंडर वियर पहने रखा और सभी कपड़े उतार कर लेट गए। उनकी देखा देखी मुझे भी मौक़ा लगा मैंने भी उनकी तरह का परिधान कर लिया। मेरे नींबू जैसे निप्पल और मस्त गांड देख उनकी लार टपकने लगी, जिसको मैंने बखूबी नजरंदाज कर दिया।
मैं चूंकि पूरी तरह नंगा होने वाला था तो ऊपर से बहुत हल्की चादर कमर तक ओढ़ ली और सोने का नाटक करने लगा। मैंने टेबल पर क्रीम की डब्बी कुछ इस तरह रख दी जैसे मै भूल गया हूँ, इसे जो काम आना था।
नाइट बल्ब की दूधिया रोशनी थोड़ी ज्यादा थी जिससे जितना दिखाना चाहिए देखने में कोई कमी नहीं थी।
अब मैंने धीरे धीरे अपनी अंडर वियर को इस तरह निकाला कि उनको पता नहीं चला. पंखा चल रहा था तो चादर का खिसक जाना लाज़मी था। फिर भी मैं धीरे से करवट बदली और अपनी गांड पर से चादर को आधा खिसकने दिया।
मेरी गदराई अधखुली गांड का दर्शन भ्राता श्री जिनको टाइम जोन चेंज होने से जेट लैग के कारण नींद नहीं थी, को चुदाई के लिए पागल कर देने के लिए काफ़ी था। उनका लंड खड़ा हो कर चड्डी फाड़ कर मुक्त होने को छटपटाने लगा।
थोड़ी देर में ही उनकी सब्र की सीमा टूट गई और तभी एक और हवा के झोंके से चादर मेरे नितंबों का साथ छोड़ चुकी थी और मैंने भ्राता श्री के हाथों को अपनी कमर पर पाया। जागने का नाटक किया, वे बोले- लघु भ्राता! यह क्या चल रहा है? थाली परोस कर भूखे के साथ मज़ाक बंद करो। चुपचाप मेरे लंड को यूज करो अपनी इच्छा पूरी करने में!
और सीधा मुझे बाहों में भींच लिया।
अब वे मेरे निप्पल मसल रहे थे और मुझे जगह जगह चूमे चाटे जा रहे थे।
मैंने कहा- भ्राता श्री, मेरा बदन कामुकता से तप्त है, आप अपने लौड़े को मेरी हसीन गांड में जरा आहिस्ता से उतारो, यह तो पता नहीं कब से प्यासी है।
फिर क्या था एक मिनट नहीं लगा उनको पूरा नंगा होने में, उनका लंड एकदम खड़ा हो चुका था, एक साथ मेरी गांड पर ढेर सारी क्रीम लगा कर अपने लंड के सुपाड़े को मेरी हसीन गांड के छेद पर सेट करके वह तैयार थे। मुझे अब थोड़ा डर लगने लगा किन्तु उन्होंने कहा- डर मत… बहुत प्यार से करूंगा! अगर तुझे थोड़ा भी कष्ट हो तो तुरंत बताना, मैं रोक लूँगा! इस काम में भी ‘आई एम सीनियर टु यू’ मेरा फ़र्ज़ बनता है। मेरा विशवास कर तू!
इसके साथ ही उन्होंने मेरी गांड के छेड़ पर अपने लंड से एक हल्का दबाव डाला और मेरे लंड को भी प्यार से सहलाया।
चूंकि मैंने रोज ही अपनी जुगाड़ू चीजों के साथ गांड को रवां कर रखा था तो भरता श्री के थोड़ा सा ज़ोर लगाते ही उनका लंड सीधा मेरी गांड में जड़ तक समा गया और उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
मुझे दर्द हो रहा था लेकिन इतना नहीं कि मैं सहन ना कर पाऊँ!
मैं अपने कारनामे पर खुश था कि मैंने पहले ही अपनी गांड को कोई भी लंड लेने लायक बना लिया था.
फिर क्या था, वह बड़े आराम से अपना लंड मेरी गांड के अंदर बाहर करने लगे। लेकिन यह अनुभव मेरे लिए कल्पना से परे था, मुझे बहुत आनन्द मिल रहा था, मेरे मुख से हलकी हलकी दर्द मिश्रित आनन्द भारी सीत्कारें निकल रही थी.
भ्राता श्री भी बड़े आनन्द के साथ मेरी गांड मार रहे थे.
फ़चाफ़च की आवाजें और मेरी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… और ज़ोर से करो… प्लीज! और अंदर तक डालो भ्राता श्री!’ की मनुहारों के बीच लगभग 8-10 मिनट बाद उनका झड़ने वाला था जैसा कि उन्होंने मुझे बताया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा कर सारा माल मेरी गांड के अंदर उड़ेल दिया, गर्म गर्म माल से मेरी गांड तर हो गई।
मैं तो इतना इकसाइटेड था कि पहले पाँच मिनट में ही झड़ कर ख़लास हो गया था।
फिर करीब 10 मिनट हम लोग ऐसे ही पड़े रहे, पहले भ्राता श्री और बाद में मैं गमछा लपेट कर वाशरूम की ओर गया धोने को!
रात के लगभग 2 बज रहे थे इसलिए बनियान और अंडर वियर पहनने की जरूरत नहीं समझी।
लेकिन हमारी इस हरकत को हमारे पड़ोसी मिश्रा जी ने देख लिया जो कि वरांडे में चहल कदमी कर रहे थे। उन्होंने एक कुटिल मुस्कान से मुझे ग्रीट किया और कहा- लगे रहो मुन्ना भाई।
मैं भी मुस्कुरा दिया और मन ही मन सोचा कि चलो भविष्य के लिए भी जुगाड़ पक्का, भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़ के देता है।
कुछ समय बाद मैंने उनके साथ भी ऐसे ही रंगरेलियाँ मनाई जिसको मैं बाद में बयां करूंगा।
फिलहाल भ्राता श्री ने लघु भ्राता के साथ पूरे एक हफ्ते रातें रंगीन कीं, अलग अलग तरीके से मेरी गांड को चोदा और मेरी प्यास बुझाई जो आज भी मुझे मीठी स्मृतियों की तरह पूरा याद है।
आशा है अन्तर्वासना सेक्सी स्टोरीज पढ़ने वाले आप सभी पाठकों को मेरी सच्ची पहली गांड चोदन कथा पसंद आएगी।
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