मेरा नाम राहुल देव सिन्हा है, मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ और पेशे से इंजीनियर हूँ. दोस्तो मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना और नियमित पाठक हूँ. अनुभव तो बहुत हैं जो आप लोगों से शेयर करना चाहता था लेकिन पहले हिंदी में टाइप करने में हमेशा दिक्कत होती थी, लेकिन अब तो दुनिया भर के तरीके आ चुके हैं, तो अब कब तक आप से छुपाउंगा.
दोस्तो, आप जितने भी पाठक हैं सभी अच्छे से जानते हैं कि शायद आज की दुनिया में जो चीज़ सबसे सुलभ है, वो है सेक्स. तो शायद ही किसी को कोई मनगढ़त कहानी लिखने की जरूरत होती होगी. क्योंकि सबके जीवन में कभी न कभी ऐसे अनुभव हुए ही होते हैं.
यह बात 2006 की है, जब मैं 19 साल का था और मेरी बड़ी बहन की शादी का वक़्त था. मैं उन दिनों अपने इंजीनियरिंग के तीसरे साल में था. दिखने मैं अच्छा खासा में आज भी हूँ और तब तो मुझ पर नई नई जवानी का सरूर चढ़ा हुआ था. शादी बहुत ही शानदार रही और दो रात जागने के बाद आख़िर कार मेरी आँखों ने मेरा साथ छोड़ना शुरू कर दिया था. परन्तु शादी का आखिरी दिन था तो जाहिर सी बात है कि घर में मेहमानों की भरमार थी.
जनवरी का महीना था तो सर्दी भी जम कर थी. गर्मी होती तो कहीं भी सो जाता लेकिन सर्दी में तो ओढ़ने के लिए कुछ चाहिए ही था.
अब चूँकि मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ तो दोस्तों बता दूँ हमारे यहाँ आज भी बिजली की किल्लत होती हैं और उन दिनों सुबह 4 बजे से 10 बजे तक बिजली गायब रहती थी.
जब मुझे कहीं सोने की जगह नहीं मिली तो मैं अपने रूम की तरफ ही गया इस उम्मीद में कि मेरा रूम है तो मेरे लिए तो जगह होगी ही. कमरे में अँधेरा था तो मैंने मोबाइल की लाइट को जला कर देखा तो वहां सभी मेरे ननिहाल से आये लोग सोये हुए थे.
मैं जगह ढूँढ ही रहा था कि एक आवाज सुनाई दी- राहुल क्या हुआ, जगह नहीं मिली?
आवाज पहचानने में कौन सी दिक्कत होती क्योंकि वो मेरी मंझली मामी की आवाज थी. वो आवाज है ही इतनी मीठी कि पूछो मत. मैंने देखा कि मेरे बेड और दीवार के बीच जो जगह खाली है, वहां पर मेरी मामी एक गद्दा बिछाकर ऑलमोस्ट आधी लेटी हुई थीं, साथ में मेरी मम्मी का कजिन भाई यानि कि मेरा कजिन मामा भी उन्हीं की ही तरह लेटा हुआ था.
वो हंस कर बोलीं- तू भी आजा यहीं पे.. थोड़ी देर में तो सुबह हो ही जाएगी.
मामी मुझसे उम्र में 10 या 12 साल तो बड़ी होंगी ही, लेकिन दोस्तो, वो आज भी इतनी जवान लगती हैं.. तो सोचो 9 साल पहले तो बला की खूबसूरत रही होंगी.
मैं उन्हीं के बगल में जाकर बैठ गया. मामी मेरे और मामा के बीच में बैठी थीं. हमारी कमर बेड से लगी हुई थी और पैर दीवार से. हम लोग शादी के बारे में बातें करने लगे. मैंने अपनी मामी के बारे में सुना हुआ था कि उन्होंने शादी से पहले बहुत मजे लिए हैं और शायद अभी भी उसी राह पर हैं. लेकिन मैं सुनी सुनाई बातों पर यकीन नहीं करता.
थोड़ी देर इधर उधर की बात करने के बाद मामी बोलीं- हमें भी तो उसकी फोटो दिखा दे.
मैंने पूछा- किसकी मामी?
तो वो हँसते हुए बोलीं- अपनी गर्ल फ्रेंड की.
मैं जोर से हँसा और बोला- कोई है ही नहीं मामी, तो कहाँ से दिखा दूँ.
मामी ने आश्चर्य चकित होते हुए पूछा- ऐसे कैसे? तूने क्या अभी तक किसी से मजे भी नहीं लिए क्या?
मैं शुभ काम में देर नहीं करता दोस्तो, इसलिए उनकी बात को पकड़ कर सीधा बोला- कहाँ मामी, साली कोई भाव ही नहीं देती.
मुझ पर नींद हावी हो रही थी लेकिन मामी से बात करने में बड़ा मजा आ रहा था. मैं शायद आधा सोया हुआ ही था कि तभी मुझे लगा कि किसी ने मेरा हाथ उठा कर मामी के पेट पर रख दिया.
मुझे समझते देर नहीं लगी कि ये कोई और नहीं मेरा मामा है, जो मामी के बगल में लेटा हुआ सोने का दिखावा कर रहा था. वो मेरे हाथों को मामी के पेट पर दबाने लगा.
मामी की तरफ से कोई विरोध न पाकर मेरी खुद की हिम्मत बढ़ गई और वैसे भी मामी की बातें सुन कर लंड पहले से ही ये सब करने को मजबूर कर रहा था. मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने खुद से अपना हाथ उठा कर अपना हाथ उनकी चुचियों पे रख दिया.
मामी ने मेरे कान में बोला- इनका मजा लेना है तो अपनी बड़ी मामी के पास जा.
मैं बता देना चाहता हूँ कि मेरी दोनों मामियां आपस में सगी बहनें हैं.
मैं नींद में था तो उस वक़्त उस बात का मतलब नहीं समझा और मैंने अपने हाथों को मामी के शर्ट में डालने की कोशिश शुरू कर दी. मैंने सूट के गले से अपने हाथों को अन्दर डालने की कोशिश की तो मामी ने मेरा हाथ जोर से दबा लिया. मैं नींद में था तो इतनी भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था कि एक महिला के हाथों को भी झटक सकूँ.
मुझे ठंडा पड़ता देख मेरे मामा के हाथ ने फिर से मेरे हाथों को पकड़ा और वापस लाकर मामी के पेट पर रख दिया. लेकिन इस बार शर्ट ऊपर हो चुका था और मेरा हाथ मेरी मामी के चिकने पेट पर था. जैसे एक बिजली दौड़ी हो मेरे अन्दर… और एक झटके में मेरी सारी नींद फुर्र हो गई
अब मेरे हाथ मेरे काबू में थे और मुझे पता था कि अब आगे क्या होने वाला है. इसलिए अब कोई शर्म लिहाज न करते हुए मेरे हाथ मामी के शर्ट में ऊपर की तरफ बढ़ने लगे.
दोस्तो, मेरी मामी को 6 महीने की बेटी थी तो उनकी चूचियां इस वक़्त अपने चरम पे थीं. पहली बार पूर्णतया: विकसित चुचियों का आभास पाकर मेरा लंड तो अपना होश खो चुका था.
मुझे ये मानने में भी कोई संकोच नहीं होगा कि चूँकि ये मेरा पहला अनुभव था तो मुझे चुदाई का ‘चु’ भी नहीं पता था. क्योंकि ब्लू फिल्म जितनी आसानी से आज के वक़्त में उपलब्ध हैं, तब नहीं हुआ करती थीं क्योंकि तब न तो स्मार्ट फ़ोन थे और ना ही हाई स्पीड इन्टरनेट.
तो दोस्तो, बिना अनुभव के मैं मामी के ऊपर एक हड़काए कुत्ते की तरह अपने लंड को रगड़ने लगा. मामी समझ गईं कि मैं सच में नौसिखिया हूँ.
उन्होंने मुझे रोका और कहा- तू कुछ मत कर… मैं करती हूँ.
मामी मेरा लंड अपने हाथों में ले चुकी थीं और उसे बड़े प्यार से सहला रही थीं.
हाँ, ये अनुभव जाना पहचाना था क्योंकि मुठ मारने का तो मैं शायद रोगी ही था. लेकिन उनके मुलायम हाथों से पकड़े जाने पर लंड कुछ अलग ही व्यव्हार करने लगा था. ऐसा लग रहा था मेरा लंड मेरा नहीं हैं उनका हो, क्योंकि वो मेरे काबू में तो नहीं था.
मेरे हाथ मामी की चुचियों पर जमे थे, लेकिन एक मिनट अगर मेरे हाथ मामी की चुचियों पर हैं.. और उनके मेरे लंड पर तो उनका शर्ट अपने आप कैसे ऊपर हो रहा था. तो इसका श्रेय फिर से उस इंसान को जाएगा जो शायद स्वर्ग में अपनी जगह पक्की कर रहा था. एक नए लंड को जवान बनाने में यानि कि मेरा मामा ये सब कर रहा था.
मैं समझ चुका था कि मामी और मामा का मस्त वाला चक्कर चलता है. लेकिन दोस्तो, मुझे इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन किससे चुद रहा है. ये तो प्यार है, जहाँ से मिले… ले लो.
मुझे पता था कि बिजली आने की कोई गुंजाईश नहीं है… तो मैंने मामी को यही बोला कि लाइट नहीं आने वाली, आप अपना शर्ट उतार दो.
अब इस वक्त कोई भी फॉर्मेलिटी नहीं बची थी तो एक ही बार कहने पर उनका शर्ट उतर चुका था. अँधेरे में मैं देख तो नहीं पाया लेकिन इतना पता था कि अगर उनकी नंगी चुचियां किसी अप्सरा की चूची से कम नहीं रही होंगी.. क्योंकि वो हैं ही इतनी खूबसूरत.
मेरे हाथों ने अब अपना निशाना बदला और पहुँच गए सलवार के नाड़े तक.. और बिना किसी विलम्ब के उसकी गाँठ को खोल दिया. मामी ने न तो ब्रा पहनी थी और न ही पेंटी.. तो सलवार उतारते ही मामी पूरी नंगी हो चुकी थीं.
अब बारी थी मेरे नंगे होने की और मुझे ये भी पता था कि मेरे साथ साथ कोई और भी नंगा होने लगा है क्योंकि अब तक आँखें अँधेरे में थोड़ा थोड़ा देख पा रही थीं. अब शायद मुझमें और मामा में एक जंग छिड़ी हुई थी कि कौन मामी को अच्छे से निचोड़ेगा. लेकिन मामा ने हर बार बड़प्पन दिखाते हुए मुझे आगे आने का मौका दिया.
आख़िरकार वो हुआ जो मैं बहुत देर से करने की सोच रहा था यानि कि मामी की चुचियों को चूसने का मौका.
मैं उन्हें पागलों की तरह चूसने लगा और थोड़ी ही देर में दूध मेरे मुँह में आने लगा. पहली बार के दूध का स्वाद बड़ा अजीब लगा लेकिन इस वक़्त हवस हम सभी पर हावी थी, तो मैं जोश जोश में उनकी चुचियों को निचोड़ने लगा. मामी को भी मजा आ ही रहा होगा क्योंकि उनकी साँसें पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं.
उनका हाथ मेरे लंड को तेज़ी से रगड़ रहा था. मुझे एक डर ये भी था कि कहीं मैं झड़ न जाऊं लेकिन मेरे लंड ने मेरी और अपनी दोनों की ही लाज रख ली थी.
कुछ हलचल हुई और मैंने महसूस किया कि मेरा लंड अब मामी के मुँह में जा चुका था. वो मेरा लंड मजे से चूसने लगीं और मेरे हाथ उनकी चूचियां दबाने लगी. कुछ मिनट तक लंड चूसने के बाद मामी अब पागल हो चुकी थीं. उन्होंने बोला ‘चूत चाट मेरी..’
उनकी आवाज बहुत तेज़ थी, मुझे लगा शायद किसी ने सुन ना लिया हो.
तभी मामा की आवाज आई कि इसकी चूत चाट जल्दी से.. वरना ये चिल्लाने लगेगी.
मेरी गांड फटने लगी क्योंकि अगर कोई जग जाता तो मेरी तो बैंड बज जाती. मैंने बिना किसी देरी के उनकी चूत पर अपने होंठ रख दिए. लेकिन मामी जोर से सिसकारी भरने लगीं. मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं कोई जाग न जाए परन्तु उसका भी इलाज मामा को आता था.
मैं समझ गया कि मामा अपना लंड मामी के मुँह में दे चुके हैं क्योंकि उनकी आवाजें थोड़ी कम हो गई थीं. मामी की चूत का स्वाद मुझे पसंद नहीं आ रहा था क्योंकि वो बहुत तेज़ गंध छोड़ रही थी. असल में चूत चुसाई का वो मेरा पहला अनुभव था इसीलिए अजीब लग रहा था. अब तो वो महक मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं.
अब मामी ने मुझे सीधा बैठाया और आकर मेरे लंड पे अपनी चूत को सैट करने लगीं. एक हल्का सा धक्का और मेरा लंड सीधा अन्दर. वैसे तो मेरा लंड अच्छा ख़ासा लम्बा मोटा है लेकिन इतनी आसानी से अन्दर चले जाने का कारण मुझे समझ आने लगा कि किस्से कहानियां सच होती हैं. उनकी चूत ऊपर से ही छोटी है, अन्दर से भोसड़ा बन चुकी है.
दोस्तो, पहली बार चूत का साथ पाकर मेरा लंड और फनफना चुका था, अचानक से मुझमें कहाँ से इतना जोश आ गया कि मैंने मामी को कमर से पकड़ कर तेजी से अपने लंड पर सवारी कराना शुरू कर दिया.
कुछ पल बाद मैं झड़ने वाला था और मामा को पता था कि जितना जोश में मैं हूँ उस हिसाब से मैं जल्द झड़ जाऊँगा. उन्होंने मेरे हाथों को जोर से दबाया और धीरे से बोला कि बेटा बड़ी जल्दी है तुझे, अभी तो बहुत कुछ बाकी है.
मामी अपने चरम पर थीं और शायद वो भी झड़ने वाली थीं लेकिन मामा ने दोनों को रोक दिया.
मामा ने बोला- अब बेटा, तू थोड़ा आराम कर.
मामा ने मामी को अपनी ओर खींचते हुए अपना लंड सीधा कहीं डाल दिया. मामी की चीख़ सी निकल गई. मैं सोचने लगा कि मामा का लंड क्या इतना बड़ा है जो मामी की चीख़ निकल आई.. चूत में जाते ही.
मुझे कुछ शक हुआ तो मैंने नीचे हाथ लगा देखा कि चूत तो खाली पड़ी थी यानि की लंड मामी की गांड में था. मैंने बस सुना था कि कुछ लोग गांड भी मरवाते हैं, लेकिन ख्याल आते ही कि मामी गांड भी मरवाती हैं.. मैं और पागल होने लगा.
मेरा मन अब मामी का सैंडविच बनाने का करने लगा और मैं आगे से लंड डालने की कोशिश करने लगा.
मामी बोलीं- यहाँ जगह कम है.. नहीं हो पाएगा.. तू हमारे घर आना फिर सब कुछ कर लेना.. जो भी मन में हो.
बात में दम था क्योंकि मैं नानी के घर काफी दिनों से नहीं गया था और अगर मैं कुछ दिनों बाद जाने का प्लान बनाता भी तो किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होती.
जब तक मामा मामी की गांड मार रहे थे मैं उनकी चुचियों के मजे ले रहा था. मैंने मामी को बोला- मामी, अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा मुझसे.. अब और देर तक नहीं रुका जाएगा.
मामी जानती थीं कि पहली बार में ये होता ही है इसलिए उन्होंने मामा को कुछ कहा, तो मामा ने अपनी स्पीड दोगुनी कर दी.
मैं लंड के अन्दर बाहर होने की आवाज सुन पा रहा था. फिर दो मिनट में सब शांत हुआ और मामा रुक गए. मामा अपना लंड रस मामी की गांड में निकाल चुके थे. साथ ही वो अपना काम कर चुके थे. अब मामी इतनी गर्म हो रही थीं कि उन्होंने मेरे लंड को तुरंत अपने मुँह में ले लिया.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि हर बार जब भी वो मेरे लंड के साथ खेलतीं तो वो साला लंड और बड़ा हो जा रहा था. मुठ मारते हुए तो कभी इतना बड़ा नहीं हुआ था. दो मिनट तक लंड की चुसाई करने के बाद मामी अब मेरे लंड पर फिर से बैठ गईं. लेकिन इस बार मैं कुछ करने की हालत में नहीं था क्योंकि मामी में मेरे कन्धे अपने हाथों से दबाए हुए थे और पूरा शरीर हिलाने की जगह वो अपनी गांड को तेज़ी से उचका रही थीं.
मैं पागल हुआ जा रहा था, मैं मामी को बोला- मामी, मेरा निकलने वाला है.
मामी ने मुझे गाली देते हुए बोला- मादरचोद, अगर मेरे झड़ने से पहले तेरा निकला.. तो भूल जाना कि आगे कभी मुझे चोद पाएगा.
मैंने कहीं सुना था कि दिमाग को इधर उधर लगा लेने से टाइम थोड़ा बढ़ जाता है. मैं बचपन से ही योग करता आ रहा हूँ तो ध्यान लगाना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी. उस दिन मुझे समझ आया कि आखिर योग के फायदे क्या होते हैं.
मामी ने अपनी स्पीड को दोगुना कर दिया. अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो पाया और मेरे लंड से रस की धार फूट पड़ी.
लेकिन किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान, उसी वक़्त मामी का भी काम तमाम हो गया. वो अपने दोनों छेदों को अलग अलग रस से भरवाकर शायद कुछ ज्यादा ही खुश हो रही थीं.
मैंने उम्मीद नहीं की थी कि मेरी जिंदगी का पहला सेक्स अनुभव इतना शानदार होगा.
अब झड़ते ही वापस नींद हावी होने लगी. मैंने अपने कपड़े पहने और दो मिनट में ही नींद के आगोश में चला गया.
अगली सुबह मुझे अपने गालों पर एक मीठी सी किस का एहसास हुआ, मैं मुस्कुराया और फिर सो गया.
जब आँख खुली तो तूफ़ान जा चुका था मामी और बाकी सभी रिश्तेदार विदा हो चुके थे. लेकिन एक दूसरा तूफ़ान मेरे दिमाग में चलने लगा कि अब मामी के घर कैसे जाना है.
दोस्तो, ये हैं मेरी ज़िन्दगी का पहला अनुभव जो कि पूर्णतया सत्य है. इस कहानी को पसंद करके मेरा हौसला बढ़ाने में सहयोग दें क्योंकि इसके बाद से मेरी लाइफ में जो भी बदलाव आये, उन्हें सुनकर आप भी मेरे साथ कहेंगे कि सेक्स दुनिया की सबसे मस्त चीज़ है.
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