मामी की भड़की वासना को दिया लंड का सहारा

मामी की भड़की वासना को दिया लंड का सहारा

सेक्सी मामी चुदाई कहानी में मैं मामा के घर गया तो मामी की जवानी मेरे लंड में कुछ कुछ कर रही थी. फिर रात को मैंने मामा मामी की अधूरी चुदाई देखी. मामी प्यासी रह गयी.

मेरा नाम रोहण है. मेरी उम्र 30 वर्ष है.

आज मैं आपको अपनी सच्ची सेक्सी मामी चुदाई कहानी बताने जा रहा हूँ.

यह बात 8 साल पहले की है जब मैं मेडिकल इंट्रेंस एग्जाम के लिए अपने मामा जी के घर दिल्ली गया हुआ था.

मेरे मामा मल्टी नेशनल कंपनी में असिस्टेंट मैनेजिंग डायरेक्टर थे.

मामा के घर में केवल मामा-मामी ही रहते थे, उन लोगों को शादी के 4 वर्ष हो गए थे किन्तु अभी उनकी कोई संतान नहीं थी.

मामा की ऊम्र 33 और मामी की 29 थी.
उनकी शादी के बाद पहली बार मामी से मिला था, कभी कभार फोन पर ही बात होती थी.

मामी जी बला की खूबसूरत थीं.
उनकी 5 फुट 5 इंच की हाइट, सफ़ेद संगमरमर की तरह दमकती त्वचा, बड़ी बड़ी काली आंखें, सुर्ख गुलाब के तरह लरजते पतले होंठ बड़े ही मदमस्त थे.

उनका फिगर कुछ 34-28-36 का रहा होगा.
कुल मिला कर उनको देखकर अच्छे अच्छों की नियत डोल जाये, ऐसी माल थीं वे!

मेरा एग्जाम रविवार को था लेकिन मैं बुधवार को ही दिल्ली पहुंच गया था.

मैं गेस्ट रूम में बैठ कर पढ़ रहा था.

तभी मामा आए और बोले- मैं आफिस जा रहा हूँ. शाम को मिलता हूँ. तुम्हें कुछ जरूरत हो, तो मामी से बोल देना.

पीछे से मामी आ गईं और बोलीं- हां मैं हूँ न, आप चिंता न करो.
मैं भी बोला- कोई बात नहीं, मैं ठीक हूँ.

मामा ऑफिस जा चुके थे.
मेरा मन किताबों में नहीं लग रहा था.
मैं सामने की दीवार पर नजरें टिकाये कुछ सोच ही रहा था.

कि मामी की खनकती आवाज कानों में रस घोल गयी- क्या हुआ … घर की याद आ रही क्या?
तो मैं बोला- अरे नहीं, बस पढ़ते पढ़ते कहीं खो गया था.

मामी बोलीं- अब तो आप डाक्टर बनोगे, कोई गर्लफ्रेंड है या बस किताबें ही!
मैंने कहा- अरे हमें कहां कोई लड़की पसंद करेगी!

‘क्यों, इतने स्मार्ट हैंडसम हो … क्यों नहीं पसंद करेगी? अब बनो मत, बताओ भी!’
मैंने कहा- एक पर क्रश तो है पर बताया नहीं उसे कभी …
‘ओह्ह … यही होता है. चलो कोई नहीं, ठीक है अब आप पढ़ो.’

मामी अन्दर जाने लगीं तो दिल ने चाहा कि कैसे भी करके इन्हें रोक लूँ!

तभी अचानक से वह खुद मुड़ीं और बोलीं- मैं जरा शॉवर लेने जा रही हूँ. दूध वाला आए तो प्लीज वहां बर्तन रखा है … आप ले लेना.

तभी कुछ देर में दरवाजे की घण्टी बजी.
मैंने जाकर दूध ले लिया.

उसी वक्त मेरी नजरें बाथरूम के दरवाजे पर गईं.
दरवाजे के पास ही टेबल पर तौलिया और मामी के अंडरगारमेंट्स रखे थे.
शायद वे अन्दर ले जाना भूल गयी थीं.

काले रंग की डिजाईनर ब्रा और पैंटी … जी कर रहा था कि छू कर देखूँ.

लेकिन डर भी लग रहा था कि कहीं वह बाहर निकल आईं तो!

तभी बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला और उन्होंने तौलिया उठाने की कोशिश की.
लेकिन तौलिया उनकी पहुंच से दूर थी.

अनायास ही मैंने कहा- रुकिए, मैं पकड़ा देता हूँ.

मेरी आवाज सुनकर उन्होंने जल्दी से दरवाज़े को बंद कर दिया.
मैं डर गया कि कहीं उन्हें बुरा तो नहीं लगा.

कुछ पल बाद हल्के से दरवाजे की ओट से उन्होंने अपना हाथ बाहर निकाला.
मैंने तौलिया उठा कर उन्हें पकड़ा दिया और कमरे में चला गया.

कुछ देर बाद वे कमरे में आईं और मुझे लंच के लिए बुलाया.
मैं डाइनिंग टेबल पर जा कर बैठ गया.

वे आईं, लंच सर्व किया और बोलीं- मामा तो डिनर पर ही मिलेंगे, अभी मामी के साथ ही खाना पड़ेगा.
फिर हंसती हुई बोलीं- बहुत भोले हो आप!

मैं समझ नहीं पाया कि ये कमेन्ट था या कोम्प्लिमेंट था.
मैंने देखा तो उनकी आंखों में शरारती मुस्कान थी.

तब मैंने हिम्मत करके कहा- क्या हुआ आप ऐसे क्यों बोल रही हैं?

‘कुछ भी तो नहीं …’ बोलती हुई वे नीचे देखने लगीं.

फिर अचानक से बोलीं- क्यों नहीं बोला आपने अपनी क्रश को?
‘कहीं मना कर दिया तो?’ मैंने उनकी आंखों में देखते हुए कहा.

‘तो क्या … कम से कम पता तो चल जाएगा कि वह आपको पसंद करती है या नहीं!’
‘हूँ.’ मैंने सिर हिलाया.

‘इसी लिए बोल रही हूँ कि भोले हो आप!’ यह कह कर मामी वापस से हंसने लगीं.

मैंने भी हिम्मत करते हुए सहसा ही बोल दिया- आप बहुत खूबसूरत हो!
वे बोलीं- अच्छा जी! जिससे बोलना था, उससे तो बोल नहीं पाए … और मुझे भाव दे रहे हो. लेकिन कोई फायदा नहीं. मैं किसी और की हूँ.
यह कह कर वे हंसने लगीं.

लंच खत्म करके हम लोग बाल्कनी में चले गए. मामा का फ़्लैट 5 वीं फ्लोर पर था.
मामी बोलीं- वह देखो सामने वाली बिल्डिंग में … तीसरी फ्लोर में बीएफ जीएफ लिव इन में रहते हैं. यहां से सब दिखता है.
यह बोल कर वे हंसने लगीं.

फिर इधर उधर की बातों के बाद हम दोनों अन्दर आ गए.

थोड़ी देर में शाम हुई, मामा जी भी आ गए.

हम सभी कनाट प्लेस घूमने निकले और रात का डिनर बाहर ही किया.
फिर घर वापस आ गए.

कुछ देर साथ में टीवी देखा.
फिर वे दोनों अपने रूम में … और मैं अपने रूम में आ गया.

मामा का बेडरूम और गेस्ट रूम की दीवार एक साथ ही लगी थी और ऊपर एक छोटा रोशनदान था लेकिन वहां तक पहुंचना काफी मुश्किल था.

रात को 12:30 के करीब में मैंने लाइट ऑफ की तो उनके रूम से लाइट आ रही थी.
मैंने सोचा एक बार कमरे में देखूँ.

फिर मैंने अपने रूम को अन्दर से लॉक कर दिया और बेड पर सेंटर टेबल रख कर उसके ऊपर स्टूल सैट किया.

मेरी हाइट भी काफी थी तो अब मैं रोशनदान तक पहुंच गया.

अन्दर का दृश्य देख कर मेरी धड़कनें 180 की रफ़्तार से चलने लगीं.
बता नहीं सकता कि मामा मामी दोनों बिना कपड़ों के एक दूसरे में लिपटे हुए थे.

मामी का गोरा बदन ट्यूबलाइट की रोशनी में सफ़ेद फानूस की तरह दमक रहा था.
इतना चिकना बदन कभी पोर्न में भी नहीं देखा था.

मामी के गोल गोल उभार, जिन पर छोटे छोटे अनारदाने की तरह निप्पल थे जिन्हें मामा अपनी उंगलियों से मसल रहे थे.

वे कभी मामी के गले को चूमते, तो कभी उभारों को सहलाते, कभी पेट पर जीभ फेरते.
मामी जल से निकली मछली की तरह सिसकारी ले लेकर बिस्तर में तड़प रही थीं.

अब मामा ऊपर से नीचे को आते हुए उनके उभारों पर अपने पूरे चेहरे को रगड़ रहे थे.

मामी अपने दोनों पैरों को एक दूसरे पर चढ़ा कर रगड़ रही थीं.
उनकी मांसल जांघें केले के तने के समान चिकनी और पुष्ट थीं.

मामा उनके उभारों से नीचे पेट को चूमते चाटते हुए जांघों पर आ गए.
फिर मामा ने मालपुए की तरह फूली हुई गोरी चिकनी चूत पर अपने होंठों को टिका दिया.

मानो मामी का पूरा बदन अकड़ सा गया.

वे मामी की चिकनी और स्पंजी चूत को चाटते चूमते उनके निप्पल को अपनी उंगलियों से मसलते जा रहे थे.

अब मामी ने अपने दोनों पैरों को खोल दिया था.
मामा भी आसानी से मामी की क्लिट को अपनी जीभ से रगड़ रहे थे.

रगड़ते रगड़ते बीच बीच में क्लिट को चूसने लग जाते.

ये सब देख कर मेरे लंड की हालत बिल्कुल ख़राब हो गयी थी मानो दीवार में ही छेद कर देगा.
मामी को लंड अन्दर लेने की जबरदस्त बेचैनी थी पर मामा उनकी चूत से खेलने में ही व्यस्त थे.

फिर मामी उठ कर बैठ गईं और मामा को नीचे लिटा कर उनके लंड को अपने मुँह में ले लिया.

पर मामा का लंड खड़ा नहीं हुआ था.
उनके ढीले लंड से ही पानी की धार निकल गयी.

मैं समझ गया कि मामा को इरेक्टाइल डिसफंक्सन की प्रॉब्लम थी.

कुछ देर ऐसे ही कभी मामा मामी की चूत चाटते, कभी मामी मामा के लंड को चूसतीं.
ऐसे करते करते दोनों झड़ गए, सेक्सी मामी चुदाई हुई ही नहीं.

शायद इसी कारण मामी माँ नहीं बन सकी थीं.

अगली सुबह जब मामा ऑफिस चले गए.
मामी मेरे कमरे में किसी काम से आईं.

उन्हें देखकर मन कर रहा था कि बस उनकी चूत में लंड पेल कर चूत की प्यास बुझा दूँ, फिर चाहे कुछ भी हो जाए.

पर एक अनजाने से डर के कारण मैं बैठा रहा.
वे खुद ही पूछने लगीं- रात में अच्छे से नींद आई न?
मैंने भी सिर हिला दिया- हां, पर …

फिर कुछ सोच कर बोला- सिर कुछ भारी सा हुआ है.
उन्होंने ओह कहा और चली गईं.

मैं सोच ही रहा था कि अब क्या करूं, तब तक वे ठण्डे तेल की शीशी लिए कमरे में आ गईं.

‘इधर आइए … मैं तेल मालिश कर देती हूँ.’
अचानक से ऐसे ऑफर से मेरा मन मयूर सा नाच उठा.

उन्होंने अभी तक रात वाली नाइटी ही पहन रखी थी.
सबसे सुखद पहलू ये था कि वे मेरे सामने खड़े होकर ही मेरे सिर में तेल लगाने लगीं.

उनके कोमल हाथों के स्पर्श से मेरे तन बदन में आग सी लगने लगी थी.
हिमगंगे तेल की ठंडक से मेरी आंखें बंद होने लगी थीं.

अचानक मुझे महसूस हुआ कि वे मेरे और करीब खड़ी हो गयी थीं.
उनकी मैक्सी में उनके उभार स्पष्ट हो रहे थे, जो मेरे चेहरे के बिल्कुल सामने थे.

उनके बदन की खुशबू को मैं महसूस कर पा रहा था, बस अब जी कर रहा था कि उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हें अपने पास खींच लूँ.

उनके बदन से फूटती खुशबू ने मेरा यह हाल कर दिया कि आंखें बंद किए ही अनायास मेरा सिर उनके भारी उभारों से हल्का हल्का चिपकने लगा था.

हम दोनों बिल्कुल शांत थे. कोई कुछ भी नहीं बोल रहा था.

तभी अचानक मेरे मोबाईल की रिंग बजी.
पर मैं वैसे ही चिपका रहा.

कुछ पल बाद वे बोलीं- देख लो, किसका फ़ोन है!
वे वहां से चली गईं.

जी तो कर रहा था कि फोन के टुकड़े टुकड़े कर दूँ.
पर वह हसीन पल जा चुका था.

फोन सुनने के बाद मैंने उसे स्विच ऑफ कर दिया और मामी के कमरे की तरफ देखने लगा.
वे अन्दर गई थीं.

मैं यंत्रवत उनके कमरे में चला गया.

मामी बिस्तर पर लेटी थीं और उन्होंने एक चादर ओढ़ी हुई थी.
उनकी आंखें बंद थीं.

मैंने उनके बिस्तर पर नजरें घुमाईं तो उनकी वही मैक्सी बिस्तर के एक किनारे पर पड़ी हुई थी.

तब मैं समझ गया कि मामी बिस्तर पर चादर के नीचे पूरी नंगी हैं.
मैं उनकी तरफ बढ़ने लगा.

शायद वे मेरी पदचाप से वाकिफ थीं.
मैं जरा ठिठका कि क्या करूं या क्या न करूं.

तभी मामी की आवाज आई कि फोन स्विच ऑफ करके आ जाओ.

मैं मानो खिल उठा और बिस्तर पर उनके बाजू में उनकी चादर को उठा कर देखने लगा.

आह … कितना मदमस्त बदन एकदम मादरजात नंगा था.
मामी ने कहा- कपड़े उतार कर मेरे ऊपर आ जाओ और मुझे ठण्डी कर दो.

दोस्तो, उसके बाद तो मानो मेरे अन्दर बिजली सी तड़तड़ा उठी और मैंने मामी को चुदाई का वह सुख दे दिया जिसके लिए वे तरस रही थीं.

सेक्सी मामी चुदाई कहानी तो आपको इस साइट पर बहुत मिल जाएंगी … इसलिए चुदाई का वर्णन क्या लिखना.
फिर भी आप चाहेंगे तो मैं आपके लिए पूरी चुदाई अगली कहानी में लिख दूंगा.

आपको मेरी यह सेक्सी मामी चुदाई कहानी अच्छी लगी ही होगी.
तो मुझे मेरी मेल आईडी पर मेल करके बता सकते हैं.
[email protected]

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