हॉट आंटी सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक आंटी आइसक्रीम की दूकान चलाती थी. वो बहुत लाजवाब आइटम थीं. मैंने सोचता था कि इस लेडी की चूत मिल जाए तो …
दोस्तो, मेरा नाम आकाश है और मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ.
मेरी उम्र अभी 22 साल की है और मैं एकदम अच्छी कद काठी का सांवला सा लड़का हूँ. मेरे शरीर में सबसे ज़बरदस्त चीज़ मेरा लौड़ा है जो काफी लम्बा और मोटा है.
लेखक की पिछली कहानी: मेरे यार के लंड की महिमा अपरम्पार
ये हॉट आंटी सेक्स कहानी आज से कुछ साल पहले की है, जब मैं शाम को अपने घर से थोड़ी दूर पर एक आइसक्रीम की दुकान पर गया था. यहां मैं अक्सर जाया करता था और वो दुकान एक सिंधी अंकल की थी.
उस दिन जब शाम को मैं उस दुकान पर गया तो वहां एक 35-37 वर्षीय महिला बैठी थीं, लेकिन वो अपनी उम्र के हिसाब से बहुत लाजवाब आइटम थीं. मतलब अभी भी वो एकदम टाइट माल थीं.
उनका 36-30-38 के लगभग का फिगर बड़ा कातिल था और हाइट 5 फ़ीट 8 इंच की थी.
आंटी के जिस्म की कसावट एकदम टॉप क्लास की थी और वो एकदम गोरी सी महिला थीं.
जब मैंने उससे मेरी पसंदीदा आइसक्रीम वनीला मांगी, तो वो अपनी कुर्सी से उठ कर काउंटर से होती हुई जैसे ही निकल कर डीप-फ्रीजर के जैसे पास पहुंची, तो आंटी की विशालकाय गांड देख कर मैं एकदम से मचल गया.
आंटी की गांड बहुत मोटी और एकदम रसेदार थी. जब वो चल रही थीं, तो आंटी की गांड एकदम से मटक रही थी.
अब ये तो पक्का था ही कि ये भी सिंधी होगी और सिंधी औरतों की बहुत मोटी मोटी गांड होती है.
उस दिन मैं वहां से चला आया.
अब मैं रोज़ आना शाम को उनकी दुकान पर जाने लगा उनकी गांड का दीदार करने से मेरा लंड खड़ा हो जाता और रात को मुठ मारते समय मुझे आंटी की गांड की याद आ जाती.
मैं कुछ दिन इसी तरह जाता रहा और वो भी अब मुझे पहचानने लगी थीं.
जब एक दिन शाम को मैं उनकी दुकान पर गया तो वो किसी से फ़ोन से बात कर रही थीं.
मैं दुकान पर पहुंचा तो वो मुझसे बोलीं- बेटा, बस दो मिनट और.
वो फ़ोन से बात करते कुछ परेशान लग रही थीं.
मैंने उनकी आगे की बातचीत सुनी तो मैं समझ गया कि आंटी को अपनी दुकान का जीएसटी का रजिस्ट्रेशन करवाना था.
जब उनकी बात खत्म हुई. तो वो मेरे बिना बोले उठ कर अपनी गांड मटकाते हुए मेरी पसंद वाली आइस क्रीम ले आईं.
मैंने भी मौका देखते हुए उनसे थोड़ा बात करने की कोशिश की और उनको बोला- आंटी, क्या आपको अपनी दुकान का रजिस्ट्रेशन करवाना है?
वो बोली- हां.
मैंने उससे बोला- मैं कर लेता हूँ. अगर आप बोलो तो आपकी दुकान का भी कर दूं.
मेरी बात सुनकर अब वो एकदम से थोड़ा खुश हुईं और बोलीं- सच में बेटा … तुम कर दोगे … उसके लिए मैं तुमको क्या क्या दे दूँ?
मैंने बोला- मेरा घर यही पास में है और जो जो कागज़ मैं लिख देता हूं, वो आप मुझे दे दो. और मैं आज रात में आपका रजिस्ट्रेशन करके कल आपको दे दूंगा.
फिर मैंने सारे जरूरी डाक्यूमेंट्स एक कागज़ पर लिख कर दे दिए. आंटी ने मुझे सारे कागज़ दे दिए.
मैंने बड़ी चालाकी से उनसे ये कहते हुए उनका नंबर भी मांग लिया कि आपके नम्बर की जरूरत पड़ेगी और मुझे कुछ पूछना हुआ, तो आप अपना फोन नंबर दे दीजिए.
उन्होंने तुरंत अपना नंबर मुझे दे दिया और उसी वक़्त मैंने अपने मोबाइल से उनके नंबर पर कॉल करके उनको अपना नंबर भी दे दिया.
घर आकर मैंने उनका नंबर तुरंत सेव किया ताकि व्हाट्सअप पर लगी उनकी फोटो दिख जाए. लेकिन शायद अभी तक उन्होंने मेरा नंबर सेव नहीं किया था, जिससे मुझे उनकी तस्वीर नहीं दिखी.
रात को मैंने उनका कागज़ पर नाम देखा तो उनका नाम आकृति खिलवानी था.
उस रात मैंने उनका फॉर्म भरा और जब एक दो बार उनके नंबर पर ओटीपी गयी तो उसके लिए मैंने उनको मैसेज करके पूछा.
तो उन्होंने बताया.
फिर फॉर्म भर जाने के बाद उन्होंने मुझे शुक्रिया कहा और अगले दिन सुबह मैंने उनका नंबर देखा, तो शायद आज उन्होंने मेरा नंबर सेव कर लिया था.
उनकी डीपी में सलवार सूट में एक बहुत मस्त फ़ोटो लगी थी.
मैंने उस फोटो को मोबाइल सेव कर लिया.
उस दिन शाम को मैं फिर उनकी दुकान पर गया और उनको सारे कागज़ दे दिए.
वो मेरा बहुत शुक्रिया करने लगीं और बोलीं- ये कार्यवाई कितने में हुई?
उनका मतलब था कि मैं इस काम के करने का उनसे पैसा ले लूं. लेकिन मैंने मना कर दिया.
फिर भी वो मुझसे जोर देने लगीं, तो मैंने उनको बताया- जो पहले अंकल बैठते थे, वो मुझे बहुत मानते थे.
आंटी ने बताया- हां वो मेरे पति हैं और अभी वो कुछ दिनों से कोमा में हैं.
मैंने दुःख जताते हुए उन अंकल के बारे में और आगे पूछा.
तो आज आंटी ने मुझे अपने काउंटर के अन्दर बुला लिया और अपने बगल में एक स्टूल पर बिठा कर सब बताने लगीं.
मैंने भी दुख जताया और काफी देर तक आंटी से बात की. वो मुझसे बात करने के साथ ही साथ जो ग्राहक आते, उनको सामान भी देती जा रही थीं.
उस वक्त जब किसी ग्राहक को सामान देने के लिए जब आंटी उठती थीं, तो मेरे मुँह के सामने अपनी बड़ी सी गांड मटकाते हुए जातीं.
ये सब देख कर मेरा पारा एकदम हाई हो रहा था. लेकिन मैं किसी तरह ये सब रोक कर बैठा रहा.
आज मैं उनकी दुकान बंद होने तक उनके साथ उनकी दुकान पर रहा क्योंकि अंकल के कोमा में जाने की वजह से शायद आंटी बिल्कुल अकेली हो गयी थीं.
इसीलिए उन्होंने मेरे से बात करने में काफी समय गुजारा था.
आखिर में उन्होंने बोला कि आज काफी दिनों बाद मैंने किसी से इतनी देर और इतनी बात की है. मेरा मन आज बहुत हल्का सा महसूस हो रहा है.
मैंने भी मौका देखते हुए बोला- आंटी, क्यों न आप मुझसे दोस्ती कर लो. इसी बहाने आपका मन भी बहला रहेगा और मुझे आप जैसे एक अच्छे दोस्त का भी साथ मिल जाएगा.
आंटी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई.
कुछ देर बाद उन्होंने मेरी मदद से दुकान का शटर गिराया और फिर हम दोनों अपने अपने घर चले गए.
आज घर पहुंच कर मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और आंटी के साथ बिताये पल मुझे मस्त लग रहे थे.
अगले दिन जब मैं सोकर उठा, तो देखा कि आंटी का मेरे मोबाइल पर गुड मॉर्निंग का मैसेज था.
मैंने भी उसका जवाब दिया.
उसके कुछ देर बाद उन्होंने भी मुझसे थोड़ा हाल चाल पूछा और मैंने भी.
शाम को करीब पांच बजे जब मैं घर में था, तो आंटी का कॉल आया.
वो बोलीं- बेटा आप कहां हो?
मैंने बोला- घर.
तो वो बोलीं- अगर फ्री हो तो मेरी शॉप पर आ जाओ.
मैं फट से घर से उनकी दुकान चला गया और आज हमने काफी बातें की. एक दूसरे के बारे में जाना.
उससे मुझे पता चला कि उनकी एक बेटी भी है, जिसका नाम रिट्ज खिलवानी है जो अभी बारहवीं कक्षा में थी.
मैं पहले दिन की तरह आज भी उनसे काफी देर तक बातचीत करके दुकान बढ़वा कर ही घर अपने आया.
अगले दिन फिर सुबह हमारी मैसेज पर थोड़ी बहुत बात हुई और शाम को फिर से मैं उनकी दुकान पर चला गया.
उस दिन काफी देर बाद उनकी दुकान में एक एकदम मस्त टॉप क्लास की लौंडिया आई.
उसने एक स्कर्ट और टॉप पहन रखा था, उसका टॉप एकदम खुला हुआ सा था, जिसमें से उसके बड़े मम्मों का आकार का साफ़ दिखाई दे रहा था.
नीचे उसने छोटा स्कर्ट पहना हुआ था, जिसमें से उसकी पूरी टांगें भी दिख रही थीं.
वो लौंडिया एकदम गोरी और एक भरे बदन की कांटा आइटम थी.
उसके बड़े मम्मे और फूली हुई गांड दोनों काफी भरे हुए थे.
एक हसीन से चेहरे वाली ये माल लड़की अपने बालों को खुला रखे हुई थी.
जब वो दुकान पर आई और उसने आंटी को मम्मी बोला.
तो मैं समझ गया कि यही रिट्ज है. रिट्ज इतनी मस्त माल होगी, ये मैंने सोचा ही नहीं था.
वो अपनी मम्मी से कुछ सिंधी भाषा में बात करने लगी और मैं बस चुपचाप उन दोनों की बातों को समझने की कोशिश कर रहा था.
हालांकि मुझे कुछ खास समझ नहीं आया, बस वो किसी स्कूल के बारे में बात कर रही थी.
मैंने भी मौका देख कर सीधे रिट्ज से पूछा- उस स्कूल में क्या हुआ, जिसकी आप बात कर रही हो?
उसने अजीब सा मुँह बना कर पहले तो मेरी तरफ देखा, फिर अपनी मम्मी से सवालिया नजरों से देख कर मेरे बारे में पूछा.
उसकी मम्मी मुझसे बोलीं- अरे बेटा, इसका मोबाइल स्कूल में ले लिया गया है. आज ये गलती से अपने बैग में ले कर चली गयी थी. जब चैकिंग हुई तो मोबाइल जमा हो गया.
मैंने रिट्ज से पूछा- किसने लिया है?
वो अपना मुँह बना कर बड़बड़ाते हुए बोली- आप तो ऐसे पूछ रहे हैं, जैसे दिला ही देंगे.
हालांकि उसने अपने स्कूल के जिस अध्यापक का नाम बताया वो मेरे दोस्तों में से था.
मैंने उसी वक़्त उसको फ़ोन मिलाया और रिट्ज का नाम बताते हुए फ़ोन के बारे में पूछा.
वो बोला- हां मेरे पास है, वो तुम्हारी कोई खास हो, तो मेरे घर आकर ले लो.
मैंने ओके कहते हुए फ़ोन रखा और रिट्ज की तरफ देखा.
उसकी आंखें खुली की खुली रह गयी थीं.
वो समझ रही थी कि मैं कोई चूतिया हूँ, जो बस लड़की देख कर फर्जी भाव बना रहा था. लेकिन जब उसने समझा तो कुछ ज़मीन पर आयी.
मैंने आंटी से बोला- इनका अध्यापक मेरा सीनियर और दोस्त है और अभी जाकर ये उसके घर से अपना मोबाइल ले ले.
आंटी बोलने लगीं- अरे इसका अकेले जाना ठीक नहीं है, तुम भी साथ चले जाओ.
अब मैंने भी थोड़ा भाव दिखाने के लिए बोला- नहीं, रहने दीजिए … ये खुद ही जा कर ले लेगी.
रिट्ज मेरे पास आई और बोली- यार सॉरी, मैं समझी तुम बस वैसे ही बोल रहे हो. मैंने जिस तरह से तुमसे बात की, उसके लिए मुझे माफ़ कर दो और प्लीज चलो न मेरे साथ!
मैं तो यही चाहता था कि इतनी पटाखा माल मुझे तेल लगाए.
मैं जैसे ही जाने के लिए उठा तो आंटी ने रिट्ज को मेरे बारे में बताया कि मैंने कैसे उनकी मदद की.
इसी के साथ आंटी ने मेरी कुछ तारीफ भी की और रिट्ज से बोलीं- आज से तुम दोनों दोस्ती कर लो. ये बहुत अच्छा लड़का है, कोई भी दिक्कत होगी तो ये हमेशा उसका हल निकाल देगा.
रिट्ज ने अपना हाथ मुझसे मिलाने के लिए आगे बढ़ाया और बोली- आज से हम दोनों दोस्त हैं.
मैंने भी उसके कोमल से हाथों का स्पर्श लेते हुए मिलाया.
रिट्ज के पास स्कूटी थी, तो वो चलाने लगी और मैं उसके पीछे बैठ गया.
फिर मैं मेरे दोस्त के घर आया.
उसने मुझे मोबाइल देते हुए कहा- ये रोज़ स्कूल मोबाइल लेकर आती है.
मैंने बोला- ये रोज़ लाए, लेकिन इसको कुछ मत बोलना और जब कभी चैकिंग हो … तो तुम इसको बचा लेना.
वो मुझे एक तरफ ले जाकर बोला- आइटम कांटा है. कभी मुझे भी याद कर लेना.
मैं बस मुस्कुरा कर रह गया और मैंने बताया कि ये मेरी एक परिचित की आंटी की बेटी है.
इस पर वो चुप हो गया.
मैं उसका मोबाइल लेकर बाहर आया और रिट्ज से बोला कि आंटी तो बोल रही थीं कि तुम आज पहली बार मोबाइल लेकर गई थीं, वो भी गलती से. लेकिन तुम्हारे सर बता रहे हैं कि तुम रोज़ मोबाइल लेकर आती हो.
इस पर उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- यार प्लीज मम्मी को कुछ मत बोलना … वरना वो मेरा मोबाइल ले लेंगी.
मैंने उससे कहा- ओके तुम चिंता मत करो, मैं आंटी से कुछ नहीं बोलूंगा. मैंने तुम्हारे टीचर से भी तुम्हारे रोज़ स्कूल मोबाइल ले जाने पर कह दिया है.
वो ये सुनकर एकदम से खुश हो गयी और मुझे गले से लगा कर थैंक्यू कहने लगी.
जैसे ही वो मेरे गले लगी, तो उसकी चुचियां मेरे सीने से दबती हुई बड़ी मस्त प्रतीत हो रही थीं.
इसके बाद वो मुझे मेरे घर छोड़ कर चली गयी.
अब इस तरह से आंटी से मेरी धीरे धीरे बहुत अच्छी बनने लगी और रिट्ज से भी.
ज़्यादातर आंटी मुझसे बाहर के कामों में मुझसे मदद लेने लगीं.
एक दिन उनको अपनी दुकान के कागज़ अपने नाम करवाने थे क्योंकि अंकल तो बिस्तर पर ही पड़े थे … शायद वो हमेशा के लिए ही ऐसे रहने वाले थे.
उस दिन शाम को जब मैं उनके साथ बैठा था, तो वो बोलीं कि कल मुझे कचहरी जाना है … अगर तुम मेरे साथ चल सको, तो बहुत अच्छा रहेगा क्योंकि वहां सब अकेली औरत को बड़ी अजीब नज़रों से देखते हैं.
मैं कहां ऐसा मौका जाने देता. मैं बोला- ठीक है.
आंटी बोलीं- ओके कल सुबह 10 बजे मिलते हैं.
मैंने रात में एक दोस्त से सुबह बाइक मांग ली और आंटी के साथ जाने के लिए तैयार हो गया. ठीक 10 बजे मैं उनके घर के बाहर पहुंच गया.
कुछ देर में आंटी का फ़ोन आया तो मैं बोला कि मैं आपके घर के बाहर खड़ा हूँ.
वो बोलीं- अरे तुम आ भी गए, बस जरा रुको मैं अभी आयी.
जब वो बाहर आयी तो आज वो एकदम गजब की कामुक औरत लग रही थीं.
आज उन्होंने एक काली बहुत चुस्त लैगिंग पहन रखी थी और उसके ऊपर हल्के रंग की एक बहुत चिपकी और मस्त कुर्ती पहनी हुई थी. चेहरे पर हल्का सा मेकअप और होंठों पर गहरी लाल लाली लगाई हुई थी.
जब वो मेरे पास आईं और बोलीं- कहां खो गए … चलो!
वो मेरे पीछे एक तरफ पैर करके ऐसे बैठ गईं जैसे बीवियां बैठती हैं. वो मुझसे थोड़ा चिपक कर भी बैठी थीं.
मैं उनको वहां से लेकर निकला और रास्ते भर उनके मोटे मम्मों का स्पर्श अपनी पीठ पर लेता रहा.
हम कचहरी पहुंच कर काम निपटाने लगे और करीब दोपहर दो बजे के आसपास हम दोनों घर वापस आ गए.
आज आंटी ने मुझे अपने घर में बुला कर अपने साथ खाना खिलाया.
तभी रिट्ज भी स्कूल से आ गयी थी. वो स्कर्ट और शर्ट में एकदम कड़क माल लग रही थी.
लेकिन मैं वहां ज्यादा रुका नहीं; खाना खाकर सीधे अपने घर आ गया.
इस तरह से मेरी आंटी से नज़दीकियां भी बढ़ने लगीं. मैं बराबर उनके घर भी आने जाने लगा.
हॉट आंटी सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको आंटी और उनकी बेटी की चुत में लगी आग को लिखूंगा. आप मुझे मेल करते रहिए प्लीज़.
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हॉट आंटी सेक्स कहानी का अगला भाग: मां बेटी की चुदास मेरे लंड से मिटी- 2