दोस्तो, मेरा नाम शशि है, मैं अमरावती का रहने वाला हूँ. मैंने अभी अभी बी.कॉम की परीक्षा पास की है. मैं बहुत चुड़क्कड़ टाइप का बंदा हूँ. मेरे इस स्वभाव के चलते मैंने बहुत सी औरतों को चोदा है. मुझे औरतों को चोदने में बड़ा मज़ा आता है. ये आप सभी को पता है कि लड़कियों से ज़्यादा मज़ा औरत देती है.
आज मैं आप सबको मेरे जिंदगी की पहली चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ. यह कहानी मेरी और नीता आंटी की चुदाई की है. नीता आंटी पेशे से स्कूल टीचर हैं. नीता आंटी 34 साल की एक बहुत ही कामुक औरत हैं. नीता आंटी के बारे में जितना बताऊं, उतना कम है. नीता आंटी का चेहरा बहुत ही खूबसूरत है, वो एकदम तीखी मिर्ची लगती हैं. नीता आंटी को सज-धज के रहना अच्छा लगता है. आंटी का बदन एकदम दूध सा गोरा है और उनके कटावदार फिगर की वजह से वो और भी कामुक दिखती हैं. उन्हें काला रंग पहनना बहुत पसंद है. जब वो काले रंग की साड़ी पहनती हैं तो और भी सेक्सी लगती हैं. उनके बूब्स बहुत बड़े हैं और इस उम्र में भी एकदम टाइट मम्मे हैं. आंटी की गांड भी बड़ी है, वो खुद को हमेशा से ही मेंटेन रखती आई हैं. ऊपर से आंटी की गांड उभरी हुई लोगों को हमेशा से ही आकर्षित करती रही है.
नीता आंटी मेरे घर से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर रहती हैं. मेरी मॉम और नीता आंटी बेस्ट फ्रेंड्स हैं. मेरी मॉम नीता आंटी से नौ साल बड़ी हैं. मॉम से दोस्ती होने के कारण आंटी का हमारे घर हमेशा से आना जाना लगा रहता था.
मैं जब किशोर उम्र का था, तब मैंने उन्हें पहली बार देखा था. तब मैं बहुत छोटा था, उस वक्त सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानता था. जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया, मेरा सेक्स के बारे में ज्ञान बढ़ता गया. जब मैं पूरा अठारह साल का हो चुका था … तब मेरा लंड तो दिन ब दिन मोटा और बड़ा होता जा रहा था. मेरे पास अब लम्बा मोटा और ताक़तवर लंड था जो किसी भी औरत की चीख निकाल दे. अपने इसी विशाल लंड के कारण मेरी चुदास भी हमेशा भड़की हुई रहती थी. जिस औरत ने भी मेरे लंड का स्वाद चखा था, उसने मुझे एक एक्स्ट्रा चुत जरूर दिलाई है क्योंकि मेरे लंड का लम्बा और मोटा होना ही उनकी चुत की खुजली को पूरी तरह से मिटाने में सक्षम होता था.
खैर … नीता आंटी की बात करते हैं. आंटी का हफ्ते में तीन बार तो मेरे घर आना होता ही रहता था. वो आकर मुझसे ढेर सारी बातें करती थीं, मेरे कॉलेज के बारे में मुझसे बहुत सारी बातें करना उन्हें पसंद था.
वे इतने सालों से मुझे जानती थीं इसीलिए वो मुझसे बहुत खुल कर बातचीत करती रहती थीं. मुझे वो धीरे धीरे अच्छी लगने लगीं. उनका बदन और उनके चेहरे की खूबसूरती मुझे अब आकर्षित करने लगी थी. मैं अब उन्हें कामुक भावना से देखने लगा था. वो जब भी घर आती थीं, तो मैं उन्हें चोदने के नज़रिए से देखने लगा था. आंटी का बदन देखकर मेरे लंड में अजीब सी हरकत होने लगी थी. उनके गहरे गले वाले कपड़ों से झांकते गोरे दूध देख कर मेरा लंड पूरा तनकर पेंट में तंबू बना देता था. मैंने भी आंटी को मेरे इस तंबू को घूरते हुए बहुत बार देखा था. वो मॉम से बात करने में बिज़ी रहने का नाटक किया करती थीं और मेरे लंड को छुपछुप के देखती रहती थीं. इस तरह से मेरी कामुकता दिनों दिन बढ़ने लगी थी. आंटी को देखकर मेरे मन में उन्हें चोदने का ख्याल आने लगा था.
एक दिन रात के आठ बजे नीता आंटी घर आईं और मॉम से बातें करने लगीं.
मॉम- कैसी है नीता?
नीता आंटी- ठीक हूँ, आप कैसी हो दीदी?
मॉम- बढ़िया हूँ, आज आई है तो खाना ख़ाके ही जाना.
नीता आंटी- दीदी, आज से हर फ्राइडे मैं यहीं सोया करूँगी क्योंकि मुझे हर शनिवार सुबह स्कूल जाना पड़ता है और घर से यहां आने में बहुत वक़्त जाया हो जाता है … इसीलिए मैंने सोचा कि आपसे पूछ लूँ … यदि आपको कोई दिक्कत न हो तो मैं ऐसा कर लूँ?
मॉम- अरे पगली … ये कोई पूछने की बात है … तू यहीं रुका कर.
नीता आंटी- थैंक्यू दीदी.
यह बात सुनकर कि वो हर फ्राइडे मेरे घर में बिताया करेंगी, मेरे शरीर में बिज़ली सी दौड़ गई. अब मैं उन्हें मन ही मन चोदने का ख्वाब देखने लगा. मैंने मन ही मन कहा कि अब तो मेरा लंड आंटी की चूत में घुसा कर इनकी चूत का पानी पीकर ही रहूँगा.
मेरा घर बहुत बड़ा है, उसमें कुल बारह कमरे हैं. चार कमरे ऊपर और आठ नीचे हैं. मेरे घर में कुल पांच लोग रहते हैं. मेरी मॉम, मैं, पापा, मेरे मामा और मेरे चाचा. ये सब लोग नीचे के कमरों में ही सोते थे और मेरे अकेले का कमरा ऊपर के चार कमरों में से एक था. मेरे रूम में कोई नहीं आता था.
उस दिन सब लोगों ने खाना खाया. अब करीब रात के दस बज चुके थे. मैं चाहता था कि नीता आंटी मेरे कमरे में सोएं, सो मैंने मॉम से कहा कि मुझे आजकल ऊपर सोने में डर लगता है, क्या मैं आंटी को ऊपर सोने ले जाऊं?
मॉम ने नीता आंटी से बात की, तो नीता आंटी ने एकदम से हां कर दी. आंटी की इस तरह से लपक कर हामी भरने से आज तो मैं एकदम सातवें आसमान पर था. मैंने मन ही मन आज रात ही उन्हें चोदने का प्लान बना लिया था.
अब मैं अपने रूम में चला गया. थोड़ी देर बाद नीता आंटी ऊपर आ गईं. मेरे कमरे में एक ही बड़ा बेड था, हम दोनों को आज एक ही बिस्तर पर सोना था. आंटी कमरे में आ कर मेरे सामने बेड पर बैठ गईं और मुझसे बातें करने लगीं.
नीता आंटी- कैसे चल रही है बेटा स्टडी?
मैं- कुछ नहीं आंटी … आजकल मेरा पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता.
नीता आंटी- क्यों बेटा, क्यों मन नहीं लगता?
मैं- आजकल के लड़के इसका कारण हैं, उन सभी के पास उनकी गर्लफ्रेंड्स हैं और मैं अकेला सिंगल हूँ. आप मेरी फ्रेंड जैसे हो, इसीलिए आपको ये बात बता रहा हूँ.
नीता आंटी- अरे शशि तुम तो बहुत हैंडसम हो … तुम्हें कोई ना कोई गर्लफ्रेंड ज़रूर मिलेगी. अपनी सारी बातें तुम मुझे बता सकते हो, मैं तुम्हारी फ्रेंड जैसी ही हूँ.
मैं- आंटी आप बहुत ही सुंदर हो. आप को देखकर तो कोई भी आपका दीवाना हो जाएगा.
नीता आंटी- थैंक्स … मेरे पड़ोस के लोग भी मेरी तारीफ करते रहते हैं.
आंटी ने समझ लिया था कि मेरा इशारा किस तरफ था.
नीता आंटी- चलो अब सोते हैं, मुझे सुबह जल्दी उठना है.
मैं- ओके आंटी … गुड नाइट.
नीता आंटी- गुड नाइट.
फिर हम एक ही बिस्तर पर सो गए. मुझे तो आज नींद नहीं आनी थी, सो मैं सोने का नाटक करने लगा. नीता आंटी भी करीब आधे घंटे बाद सो गईं, मैं भी यूं ही लेटा रहा.
रात के दो बजे मैं उठा, नीता आंटी मुझसे थोड़ी दूरी बनाती हुई मेरे ऑपोज़िट सो रही थीं.
आज मेरे पास बहुत सुनहरा मौका था. मुझे एक हसीन औरत की मस्त गुलाबी चूत में मेरा लौड़ा डालकर उसके मुँह से चीखें निकालनी थीं. उसे अपने लंड की रखैल बनाना था. मेरा लंड अब पूरी तरह से एक लोहे की रॉड की तरह सख्त हो चुका था. अब मैं धीरे धीरे आंटी की तरफ सरकते हुए बढ़ने लगा. मेरे अन्दर मानो 440 वॉल्ट का करेंट दौड़ रहा था. मैं उनके नज़दीक पहुंचा तो देखा आंटी का पल्लू नीचे सरका हुआ था. उस ढलके हुए पल्लू की वजह से उनके बूब्स को और उनकी दूध घाटी दिख रही थी. मैंने धीरे से आंटी का पल्लू उनके ब्लाउज से अलग किया.
अब आंटी के गोरे गोरे और मोटे सेक्सी बूब्स मेरे सामने थे. मगर उनके बीच ब्लाउज नामक रुकावट थी. मैंने सोचा अगर आंटी जाग गईं, तो परेशानी हो सकती है. सो मैंने ब्लाउज को वैसे ही रहने दिया. फिर मैंने डरते डरते आंटी के सिर पर पहला किस किया.
हाय … क्या मस्त लग रही थीं वो. उनके चेहरे पर अजीब सा दर्द छाया हुआ था और आंटी एकदम मासूम लग रही थीं. आंटी का चेहरा देख कर यूं लग रहा था मानो उनका चेहरा कह रहा हो कि आ ना शशि … चोद ना मुझे … मेरे राजा मुझे चोदकर आज तुम मुझे अपना बना लो. मैं तुम्हारे लंड की रखैल बनने के लिए तैयार हूँ.
इतना सोचते हुए मैं गर्म हो गया और मैंने आंटी के होंठों पर अपने होंठ लगा कर उनको किस किया. उनकी तरफ से जब कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैं धीरे धीरे आंटी के सारे शरीर को चूमते हुए चाटने लगा.
थोड़ी देर बाद वो हिलीं, तो मैं डर गया कि कहीं आंटी को पता तो नहीं चल गया. थोड़ी देर मैं एकदम शांत पड़ा रहा, जब आंटी की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई तो थोड़ी देर बाद मैंने फिर से अपना काम शुरू कर दिया.
अब मुझे उनकी साड़ी ऊपर करके उनकी चूत और गांड देखनी थी. इसलिए मैं अब नीचे को सरक गया. वो दीवार की तरफ मुँह करके सो रही थी. इस वक्त मुझे आंटी की गांड बहुत ही उभरी हुई लग रही थी. मैं बेड से नीचे उतर गया और उनके पैरों के पास आ पहुंचा. वो अपने एक कंधे के बल पर सो रही थीं. मैंने धीरे धीरे आंटी की साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करना शुरू किया. धीरे धीरे करते हुए मैंने उनकी साड़ी को उनकी कमर तक ऊपर कर दी. मेरे सामने अब नीता आंटी की नंगी और गोरी ज़बरदस्त उभार वाली गांड थी. उन्होंने लाल रंग की कट वाली चड्डी पहनी हुई थी. चड्डी कट वाली होने की वजह से उनकी पूरी गांड मुझे साफ़ दिख रही थी. मैं तो अब पूरा पागल हो उठा. सबसे पहले मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और मैं पूरा नंगा हो गया. मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था. मेरे लंड का सुपारा पूरा तन कर एक बड़े आंवले के जैसा हो गया था.
तभी न जाने मुझे क्या हुआ, मैं पागलों की तरह आंटी की गांड को चूमने लगा. क्या मस्त गांड लग रही थी. मेरा मन तो कर रहा था कि आंटी की गांड में पूरा लंड एक ही झटके में पेल दूं.
आंटी के करवट के बल सोने की वजह से उनकी चूत मुझे दिख नहीं रही थी, तो मैंने अब उनकी टांगें फैलाना शुरू कर दीं. मैं उनका ऊपर का पैर एक बाजू कर ही रहा था कि तभी आंटी ने करवट बदली.
मैं एक तरफ हो गया, अब आंटी चित होकर पीठ के बल सो रही थीं. उनकी इस हरकत से मैं बहुत डर गया था … मगर मुझे ये ख्याल आया कि कहीं नीता आंटी सोने का नाटक तो नहीं कर रही हैं. इस सोच ने मेरी हिम्मत को और बढ़ा दिया.
अब इस पोज में लेटे होने के कारण मुझे आंटी की चूत मुझे साफ दिख रही थी. आंटी की चड्डी पूरी चूत में धंसी हुई थी. अब बस मुझे उनकी चूत से वो चड्डी अलग करनी थी. मैं कामदेव को याद करता हुआ आगे बढ़ा और मैंने पहली बार किसी औरत की चूत को हाथ लगाया था. आह … एकदम मुलायम चूत की पहाड़ी ने मुझे एकदम से गर्म कर दिया. मेरा बदन उत्तेजना से कांपने लगा. मैंने चड्डी की इलास्टिक को पकड़ कर नीचे को खींचा तो आंटी की चूत पर एक भी बाल नहीं दिखा. अब मैंने चड्डी को धीरे धीरे चुत से सरकाना शुरू किया. पूरी चड्डी सरकने के बाद मैंने आंटी की नंगी चूत देखी, वो अन्दर से गुलाबी रंग की थी और अभी भी टाइट थी. शायद अंकल उनको चोदते नहीं होंगे.
इसके बाद मैंने दो पल रुक कर अपने लंड को समझाया कि रुक जा भोसड़ी के, ज्यादा जल्दबाजी ठीक नहीं है.
फिर मैंने हिम्मत करके आंटी की चूत को चाटना शुरू किया. जैसे ही मैंने अपनी जीभ उनकी चूत में लगाई, उन्होंने एकदम धीरे आवाज़ में सिसकारी भरी ‘आआह्ह्ह्ह …’
अब मैं समझ गया था कि वो जागी हुई हैं और मेरा पूरा साथ दे रही हैं. यह जानते ही मैं एकदम से बेचैन हो उठा कि कब मैं अपना लंड आंटी की चूत में डाल दूँ. मैंने बेख़ौफ़ होकर आंटी की चूत को जोरों से चाटना शुरू किया, मैं पूरी ताक़त से अपनी जीभ चूत के अन्दर बाहर करने लगा और नीता आंटी सिसकारियां भरने लगीं ‘अहह आआ आअह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअम्म्म्म ओह्ह्ह ओह शशीई … कम ऑन!
अब मैं पूरी ताक़त से आंटी की चुत को चूसे जा रहा था, मुझे वो बहुत ही मस्त लग रही थी. आंटी की चूत अब गीली हो चुकी थी. मैं उठा और मैंने उनसे बात की.
मैं- नीता आंटी अब मैं आपको चोदना चाहता हूँ.
नीता आंटी- चोदो ना मेरे राजा … मैं तेरी ही हूँ, तुम जितना चाहो उतना चोद सकते हो.
आंटी के मुँह से ये लफ्ज़ सुनकर तो मैं दंग रह गया. जब उन्होंने मेरे लंड को देखा तो कहा- ओह्ह … ये कितना बड़ा लंड है … इतना बड़ा लंड मैंने आज तक नहीं देखा. आज तुम मुझे चोदो … जितना चाहे चोदो … मैं प्यासी हूँ … मेरी चूत में इसे डालो जल्दी … मैं अब नहीं रह सकती … आह … जल्दी से चोद दे मेरे राजा … चोद दे मुझे.
मैं अपना पूरी तरह तना लौड़ा आंटी की चूत की तरफ़ लेके गया. लंड को उनकी चूत के ऊपर उसे घिसने लगा. उधर अपनी चूत की फांकों में मेरे लंड की गर्माहट से नीता आंटी कामुक सिसकियां लेने लगीं- ह्ह्ह अह्ह्ह ह्ह्ह ओह्ह्ह!
मैंने भी अपना लंड उनकी चूत में सैट किया और धीरे से उनकी चूत में डाल दिया. लंड का सुपारा उनकी चूत में जा चुका था.
तभी वो चीख उठीं- आहह … शशि बेटा धीरे डाल!
आंटी की चीख सुनकर मैं और भी पागल हो गया. मैंने धीरे धीरे करके आधा लंड आंटी की चूत में डाल दिया और धीरे धीरे झटके लगाने लगा.
वो मादक आवाजें लेने लगीं- ओह्ह. फक मी और जोर से चोद!
मैंने भी अपने लंड के झटकों की स्पीड तेज़ कर ली. मैं ज़ोर ज़ोर से आंटी की चूत को चोदने लगा. कुछ देर बाद मैंने उनकी टांगें उठा आकर अपनी गर्दन में फंसा लीं और जोरों से उन्हें चोदने लगा.
अब तो वो चीखने लगी थीं- आह्ह्ह अह्ह … मुझे दर्द हो रहा है नहीं नहीं अह्ह्ह … धीरे करोऊओ … नहीं अह्हह्ह आआअहह … शशि धीरे प्लीज़ मेरी जान!
मगर मैं नहीं रुका. कुछ देर बाद उन्हें मज़ा आने लगा और वो सीत्कार भरने लगीं- आह … शशि … बहुत अन्दर तक जा रहा है … आह … बहुत बड़ा लंड है … आह मस्त चोद दे … मेरी जान!
मैंने भी और ज़ोर से झटका मारते हुए आंटी की चूत में अपना लंड ताक़त से अन्दर तक दबा दिया. मुझे बहुत ही अच्छा अनुभव हुआ और आंटी की एक लम्बी चीख निकल गई- अऔच …
ऐसे ही झटके मारते मारते मैं अब चरम सीमा तक पहुंच गया था, मगर मेरे पहले आंटी ने अपनी चूत का पानी छोड़ दिया और उनकी चुत की गर्मी से मैं भी पिघल कर उनको तेज तेज चोदते हुए उनकी ही चूत में झड़ गया. मैंने अपना सारा पानी नीता आंटी की चूत में डाल दिया.
चुदाई पूरी हो गई थी, हम दोनों हांफ रहे थे. कुछ देर तक यूं ही लेटे रहने के बाद आंटी मुझे चूमने लगीं और हम दोनों ने दुबारा चुदाई शुरू कर दी. मैंने आंटी को उस रात अपनी रंडी बना ही डाला. उस रात मैंने उन्हें तीन बार चोदा और उन्हीं से चिपक कर सो गया.
सुबह उठकर आंटी ने मुझसे कहा- हम हर फ्राइडे को चुदाई किया करेंगे.
मैंने उनको चूम लिया और हामी भर दी.
मैंने आज तक उन्हें न जाने कितनी ही बार चोदा है. उन्हें चोदने के मेरे बहुत से क़िस्से हैं … वो मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा.
मेरी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके लिखिए.
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