मम्मी की अन्तर्वासना का इलाज

मम्मी की अन्तर्वासना का इलाज


अपनी माँ चोद दी मैंने … तलाक के बाद अकेली मम्मी ने मुझे पाला. मैं बड़ा हुआ तो जाना कि मां अपनी जिस्मानी भूख चुत में उंगली करके मिटाती हैं.
नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त प्रकाश सिंह!
मेरी पिछली कहानी थी: दोस्त की दीदी मेरे लंड की दीवानी
अब मैं फिर से अपनी एक नयी सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.
इस बार की मेरी सेक्स कहानी में थोड़ा ट्विस्ट है.
दरअसल ये सेक्स कहानी मेरी नहीं बल्कि 5 फुट 7 इंच कद के और 7 इंच के लंडधारी एक 30 वर्षीय गबरू जवान की है.
ये श्रीमान मेरी सेक्स कहानियों के प्रशंसक हैं और इनका नाम भानु है.
भानु ने अपनी मां काजल की चुदाई की कहानी मेरे साथ साझा की और माँ चोद कहानी को अन्तर्वासना के लिए लिखने का आग्रह किया.
कलम मेरी रही और कथा उनकी है.
तो चलिए इस गर्म माँ चोद कहानी को भानु राय की जुबान से ही सुनकर मजा लेते हैं.
हैलो मैं भानु.
दोस्तो, इस मा चोद सेक्स कहानी की शुरुआत पंजाब के नांगल से होती है. जहां एक छोटा सा सुखी परिवार बसने वाला ही था कि कयामत आ गयी.

जी हां … वो सन 1989 की गर्मी के उत्तरावर्ती दिन थे, जब एक प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी (मेरे पिताजी) की मेरे माताजी से शादी हुई थी.
तब मेरी मां की उम्र 19 साल थी और मेरे पिताजी की उम्र लगभग 23 साल की रही होगी.
शादी के कुछ महीने बाद अक्टूबर का महीना था. पंजाब में उसी समय से ठंड पड़ने लगती है.
आपको तो पता ही होगा पंजाब की ठंड क्या होती है.
उस कड़कती ठंड के मौसम की सर्द रात में मेरी मां और पिताजी दो जिस्म एक जान हो गए थे; अर्थात उन दोनों ने मेरे अवतरण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी थी.
इस घटना के कुछ ही महीनों पश्चात मेरी माताजी के जीवन में ऐसी घटना घटी कि उनके पैरों तले जमीन खिसक गई.
हुआ ये था कि उनके हाथों में तलाक के कागज़ थमा दिए गए थे.
दरअसल मेरे पिताजी को अपने ही ऑफिस की एक लड़की बहुत पसंद आने लगी थी और कुछ दिन में उनके सम्बन्ध भी बनने लगे थे. जिसकी भनक मेरी मां को लग गयी थी, जिस कारण मेरी माता जी और पिता जी के बीच दूरियां बढ़ने लगी थीं.
फिर ये दूरियां अंततः तलाक पर आकर ख़त्म हुईं.
जब पापा ने मेरी मां को तलाक दिया, तब मेरी मां 2 महीने की प्रेग्नेंट थीं. तलाक के लगभग 7 महीने के बाद मेरा जन्म हुआ.
अब मैं और मां ही घर में रहते थे. कभी कभी मुझे बहुत बुरा लगता था कि मेरी मां बेचारी अकेली मेरे लिए ये सब कर रही हैं, उन्होंने दूसरी शादी भी नहीं की.
फिर जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया, मुझे समझ आया कि मेरी मां अपनी जिस्मानी भूख अपनी चुत में उंगली करके मिटाती हैं.
जब मैं जवान हुआ, तब एक दिन मैंने देखा कि मां कमरे के अन्दर थीं, दरवाजा भी बंद था और अन्दर से उनकी सिसकारियों की आवाज आ रही थी.
तब मैंने जानने की कोशिश की कि अन्दर चल क्या रहा है.
दरवाजा बंद था और मैं शोर करना नहीं चाहता था. मैं अन्दर झाँकने के लिए कोई जगह देखने लगा.
उसी समय मेरा ध्यान खिड़की की तरफ गई, जो कि खुली थी. शायद मां उसे बंद करना भूल गयी थीं. मैं खिड़की से अन्दर देखने लगा.
पहली नजर पड़ते ही मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. मैंने देखा कि मेरी मां पूरी नंगी थीं और वे लैपी में अश्लील वीडियो चला रही थी. उस वीडियो को देख देख कर मां अपनी चूत में खीरा डाल रही थीं.
इस घटना के बाद मेरी नजरें मां की चूत और मम्मों को नहीं भुला पा रही थीं.
मैंने सोचा कि चलो रहने दो, मां को भी अपनी जिस्मानी भूख मिटाने की जरूरत होती होगी, तभी तो वो ऐसा कर रही हैं.
इतना तक ही होता तो ठीक था मगर कुछ ही दिनों बाद एक ऐसी घटना घटी जिसने मेरे जीवन में झंझावात ला दिया.
हुआ ये था कि पता नहीं कब मां ने मेरे सोते समय मेरी नंगी तस्वीर निकाल ली थी. उसे देखकर ही वो अपने एक हाथ से चूत में उंगली कर रही थीं व दूसरे हाथ से मम्मों को दबा रही थीं.
साथ ही वो बार बार मेरा नाम ले रही थीं- आह भानु भानु … आह आह चोद दे अपनी मां को … आह बना दे मेरी चूत का भोसड़ा … आह और तेज और तेज चोद … आह आह!
मां इस तरह की आवाजें कर रही थीं, तो मेरा भेजा सनक गया था.
उसी समय जब मेरी मां अपनी चरम सीमा पर आ गईं.
तब उन्होंने जिस उंगली को चूत में डाला था … उसे मुँह में लेकर चूसने लगीं.
तभी उनकी नजर खिड़की पर आ पड़ी. उनको पता चल गया कि दरवाजे पर खड़ा कोई उसे झांक रहा है.
मैं सहमा हुआ वहां से तुरंत निकल गया लेकिन उन्हें शायद इस बात का भी अंदाजा लग गया था कि मैंने सब कुछ देख लिया है.
इस घटना के बाद मेरा मेरी मां के प्रति नजरिए में और भी बदलाव आ गया था.
अब मैं उन्हें एक माल के रूप में देखने लगा था, मैं भी अब उनके नाम की मुठ मारने लगा था.
एक दिन ऐसे ही मैं अपने कमरे के बाथरूम में मां के नाम की मुठ मार रहा था.
तब उन्होंने मुझे देख लिया था.
मैं वहां से चुपचाप निकल गया.
उसी रात को खाने की टेबल पर हमारी मुलाकात हुई, जहां मैं उनसे नजरें नहीं मिला पा रहा था.
मैंने जल्दी से अपना खाना ख़त्म किया और अपने कमरे में चला गया.
उन्होंने भी मुझसे कुछ नहीं कहा, इससे मैं थोड़ा आश्चर्य चकित था.
फिर मैंने सोचा कि ये ऐसे मुझे चोदने नहीं देंगी, अब मुझे ही कुछ करना होगा.
लेकिन मेरे कुछ करने से पहले ही मां के व्यव्हार में परिवर्तन आने लगा.
जैसे मेरे सामने झुक झुक कर झाड़ू लगाना, बार बार मुझे अपना क्लीवेज दिखाना. नहाने के समय बार बार ब्रा पैंटी भूलने के बहाने बुलाना.
अब मुझे भी साफ साफ नजर आ रहा था कि वो भी मुझसे चुदने को उतना ही बेक़रार थीं, जितना मैं उनको चोदने को लेकर बेकरार था.
आग दोनों तरफ लगी थी लेकिन चिंगारी की जरूरत थी.
और ये आग एक दिन मेरे द्वारा ही लगा दी गई.
उस दिन दोपहर का समय था, मां हाल में सो रही थीं. शायद जानबूझ कर उन्होंने नाइटी पहनी थी और उसके साथ पैंटी नहीं पहनी थी.
मां ने अपनी नाइटी को अपनी टांग तक ऊपर चढ़ाई हुई थी और वो घुटने उठा कर सोयी हुई थी. इससे सामने से मां की चूत पूरी साफ़ दिख रही थी.
चुत देख कर मेरा मन तो कर रहा था कि अभी चढ़ जाऊं और लंड चुत में पेल कर मां को चोद दूं.
लेकिन मैंने ये करना सही नहीं समझा और बाथरूम में जाकर उनके नाम की मुठ मारने लगा.
मैं मुठ मारने में इतना मगन था कि मैंने बाथरूम का दरवाजा भी बंद नहीं किया था.
शायद उस समय इतनी अधिक उत्तेजना थी कि दरवाजा बंद करना मुझे याद ही नहीं रहा.
तभी मुझे किसी के आने की आहट आई.
मैं अभी पीछे मुड़ता कि इससे पहले मेरी मां मेरे सामने आ गईं.
मैं उन्हें देख कर डर गया था.
तब उन्होंने कहा- ये सब करना है तुमको … मैं तुमको इन सब चीजों से दूर रखना चाहती थी … लेकिन तुम हो कि …
मां के मुँह से ये सुन कर मैं और भी डर गया और शर्म से मैंने सर नीचे कर लिया.
तभी ऐसी घटना हुई, जिसकी मैंने कल्पना तक नहीं की थी.
मेरी मां ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और बोलीं- बेटा, मुठ क्यों मार रहे हो … जिसके नाम की मुठ मार रहे हो, वो तुम्हारे सामने खड़ी तो है, चढ़ क्यों नहीं जाते!
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि चल क्या रहा है. मैं अभी कुछ और समझ पाता इससे पहले मेरी मां नीचे झुक कर मेरा लंड चूसने लगीं, साथ ही वो बीच बीच में लंड की मुठ मारने लगीं.
मुठ मारते समय मां मुँह से बोल भी रही थीं- इतना अच्छा लंड होते हुए भी इतने दिनों तक मुझे मूली गाजर खीरा से काम चलाना पड़ रहा था.
ये सुनकर सिनेमा साफ़ हो गया और अब बस मुझे तो जन्नत ही मिल गई थी.
मेरी मां मेरा लंड ऐसे चूस रही थीं, मानो वो कोई मीठी लॉलीपॉप चूस रही हों. बीच बीच मुँह से लंड निकाल कर मेरे लंड पर अपना थूक लगा कर सहलाते हुए चूसने लगती थीं.
शायद लंड को इस तरह से चूसना उन्होंने ब्लू फिल्मों से सीख लिया था.
मैं भी अब हाथ चलाने लगा था, उनके पीछे से बालों को पकड़ के मुँह को और अन्दर तक ले आता था.
अपना मूसल लंड मैं मां के गले तक अन्दर डाल रहा था.
लंड चुसाने के साथ में मैं मां को गाली भी दे रहा था- आह चूस रंडी चूस … अपने बेटे का ही लंड चूस … और चूस आज तेरी सारी गर्मी निकालता हूँ … तुझे चोद कर आज मादरचोद बन जाऊंगा मेरी रखैल.
हम दोनों के बीच इतनी गर्मी बढ़ गयी थी कि दोनों को पसीने आने लग गए थे.
कुछ देर तक लंड और चुसवाने के बाद मेरा माल निकलने वाला था.
मैंने कहा- मेरा निकल रहा है.
मां ने हाथ के इशारे से मुँह में आने के लिए कहा और मेरा पूरा लंड अपने गले तक दबा लिया.
उसी समय मेरा लंड रो पड़ा और लंड की मलाई मां के हलक को गीला करने लगी.
मां ने भी बिना एक बूंद बाहर टपकाए पूरा रस गटक लिया.
अब मेरी बारी थी, लेकिन उससे पहले मुझे मां के कपड़े उतारने थे.
मैंने मां से खड़े होने को कहा लेकिन वो खड़ी नहीं हुईं क्योंकि उसका मन लंड से अभी तक भरा नहीं था.
तो मैंने उनकी नाइटी को फाड़ डाला.
अब वो पूरी नंगी थीं. मां के 32 साइज़ के उसके बूब्स मेरे सामने तने हुए थे.
मां के चूचे देख कर ऐसा लगा, जैसे वो मुझसे कह रहे हों कि बचपन में तो बहुत चूसा है, अब चोदने के लिए चूस लो.
मां की 30 इंच की कमर भी मुझसे कह रही थी कि आओ और पकड़ कर अपनी ओर खींच लो.
उनकी 34 इंच की भरी हुई गांड भी कम न थी. वो कह रही थी कि चुत के बाद मुझे भी मत भूल जाना. मेरे अन्दर भी अपना मूसल लंड डाल कर मेरी प्यास को भी शांत कर देना.
मां के नंगी होते ही मैं उन पर टूट पड़ा. पहले अपनी उंगली से उनकी चूत को सहलाया और धीरे धीरे चुत में उंगली करने लगा.
अब मैं चुत पर कुछ थूक लगा कर उसे रगड़ने लगा.
तभी मेरी मां की आवाज आई- चूस ले माँ चोद बेटा.
मैंने एक पल की भी देर नहीं लगाई, उनकी चूत पर अपनी जीभ चलाने लगा.
मैं अपनी जीभ नुकीली कर मां की चुत चोदने लगा.
मेरी मां की कामुक सिसकारियां बढ़ने लगीं और वो मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुँह को अपनी चुत के अन्दर करने की कोशिश करने लगीं.
अब वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थीं लेकिन मैं अभी उनको और ज्यादा गर्म करना चाह रहा था.
इसलिए अब मैं उनके शरीर के एक एक अंगों को चूमने लगा और अंततः मैंने उनके कानों के पास किस किया.
उसके बाद मेरी मां एकदम से भूखी कुतिया सी मचल उठीं और हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए.
मैं अपनी जीभ उनके मुँह में और वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डालने लगीं.
इसके बाद उनसे रहा नहीं जा रहा था. मैंने उन्हें 69 की पोजीशन में आने को कहा.
हम दोनों मां बेटे एक दूसरे के लंड चुत को चुस कर मजा लेने लगे.
अंततः मां की चुत का लावा फूट गया और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया, मैंने चुत रस पूरा अन्दर गटक लिया.
मेरी मां एकदम निढाल हो गई थीं. मैंने दस मिनट बाद फिर से हाथ चलाए और मां को चुदाई के लिए रेडी कर लिया.
अब बारी चुदाई की थी, तो मैंने अपने लंड को तैयार करने के लिए उनसे कहा.
मां ने लंड मुँह में ले लिया. मैं भी लंड खड़े होने तक उनसे लंड चुसवाता रहा.
जब लंड चुत के लिए कड़क हो गया तो मैंने उन्हें पीठ के बल लिटा दिया और अपने लंड को उनकी चूत के द्वार पर सैट कर दिया.
मां ने जल्दी से चुत में लंड पेलने का इशारा किया तो मैंने एक धक्का दे मारा.
लेकिन ये मेरा पहली बार था इसलिए लंड फिसल गया. मेरी मां ने फिर से लंड पकड़ा और चुत की फांकों में सैट कर दिया.
कुछ देर बाद मैंने फिर धक्का मारा, जिससे मेरा आधा लंड चूत के अन्दर पहुँच गया.
मां भी सिसक गईं, जिसके दो कारण थे.
एक तो मेरे लंड की मोटाई ज्यादा थी, दूसरा ये कि बहुत दिन से मां की चुदाई नहीं हुई थी.
उनको भारी दर्द हो रहा था इसलिए मैं उनके होंठों को चूसने लगा और उनके बूब्स दबाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने एक और धक्का लगा दिया जिससे मेरा पूरा लंड उस रंडी मां की चूत में घुस गया.
मां की चिल्लपौं होने लगी मगर मैं धकापेल करता गया.
इससे हुआ ये कि मां की चुत लंड आसानी से लेने लगीं.
अब क्या था … मैंने धीरे धीरे अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा दी और मां की प्यार वाली सिसकारियां बढ़ने लगीं.
जैसे जैसे मैं धक्का लगाता, उनका प्यार और बढ़ता जाता … जिसका अंदाज मैंने उनके नाख़ून का मेरे पीठ पर गड़ने से लगाया.
फिर मैंने उन्हें अलग पोज़ में चोदा.
उनकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर लंड चुत में चोदा.
फिर मां को घोड़ी बना कर चोदा.
उनको अपने लौड़े के ऊपर बिठाकर झूला झुलाया, दीवार में टिका कर चोदा, हवा में उठा कर चोदा.
फिर मां की चुत में ही झड़ गया.
उस पूरी रात मैंने मां को चोदा और माँ चोद बन गया.
अब हम दोनों घर में नंगे ही घूमते रहते थे. जब मन किया, तब हम चुदाई कर लेते थे.
जिसका परिणाम था कि मेरी मां प्रेग्नेंट हो गयी और हम दोनों नांगल छोड़ कर होशियारपुर आ गए.
हमने एक दूसरे से शादी भी कर ली, साथ ही हमने अपना हनीमून केरल में मनाया.
तो ये थी दोस्तो, मेरे पाठक भानु की अपनी सेक्स स्टोरी.
फ्रेंड्स आपको माँ चोद सेक्स कहानी कैसी लगी, मेल जरूर करें … आपके मेल का इंतजार रहेगा. मेरे साथ मेरी अगली स्टोरी के लिए अन्तर्वासना पर बने रहिए.
धन्यवाद.
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