Xxx कज़िन सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे मामा की बेटी अपने दोनों भाइयों से चुदना चाहती थी. मैंने उसकी इच्छा पूरी की उन्हीं के घर में! कैसे हुआ ये सब?
नमस्कार अंतर्वासना के प्रिय पाठकगण, मैं भगवानदास फिर से चटकती चुतों को लंडवत नमस्कार करते हुए अपने सेक्सजीवन की एक और देसी घटना लेकर हाज़िर हूं.
मामा के संग मामी को मायके गए अभी दस दिन भी नहीं हुए थे कि घर में दोनों भाइयों ने अपनी अर्चना दीदी की चुत चुदाई कर मदमस्त जवानी का मजा ले लिया.
फिर तीनों की जवानी की रेल चल पड़ी थी.
वो सब कैसे हुआ, आइए जानते हैं.
मामाजी के दोनों लड़के महंत (20) और सुमंत (19) तंदरुस्त शरीर के मालिक थे.
उन दोनों की एक बहन 22 साल की अर्चना बहुत ही ज्यादा आकर्षक और सुंदर थी.
वो मामी की तरह हुबहू ऐसी माल थी जो अभी भी कमसिन लौंडिया सी लगती थी.
मामी की चुदाई के बाद उनकी बेटी को चोदा
अर्चना भी अपने घर के दो कचक जवान मुस्टंडों के बीच बिना पहल किए चुदाई कराना चाहती थी.
इसलिए अनु दीदी की अनुकम्पा से नए साल के जश्न में अपने दोनों सगे भाइयों को रीना और अनुष्का से विधिवत चुदाई की शिक्षा दिलवाई.
सेक्स कहानी के इन पात्रों के विषय में आप मेरी पूर्व की सेक्स कहानी जरूर पढ़ें.
सुमंत और महंत पहली बार लंड और चुत के दंगल में शामिल होकर ज्ञान प्राप्त कर चुके थे और अब वो दोनों अपनी दीदी को चोदना चाहते थे.
बड़ी बहन के आगे सुमंत और महंत बहुत डरते थे क्योंकि उनकी बहुत गांड फटती थी.
अकेली सगी बहन की चुत घर में कितने दिन सलामत रहती.
आखिर एक दिन सुमंत और महंत ने उसे घर में चोद ही दिया, जिसका मैं गवाह बना.
मूल Xxx कज़िन सेक्स कहानी पर आते हैं.
शहनाज़ और गुलनाज दोनों जुड़वां बहनें कल रात से कई राउंड चुदाई करवा चुकी थीं.
फिर भी अपने घर जाते जाते महंत को छोड़कर, सुमंत और मुझसे आज़ सुबह भी एक राउंड चुदाई करवा गई थीं.
जनवरी की ठंड में भी सुबह सवेरे मैंने फ्रेश होकर अर्चना दीदी के हाथ का बने लजीज आलू के परांठे नाश्ता में लिए और रात भर की थकान दूर करने के लिए सुमंत और महंत के साथ वहीं सो गया था.
घर के काम समेट कर अर्चना दीदी ममेरे भाई बहनों की रातभर चोदम चोद की रिकॉर्डिंग को एडिट कर रही थीं.
सर्दियों में दोपहर की गुलाबी नींद में अचानक मेरी छाती पर हाथ फेरकर अर्चना दीदी मुझे जगाने की कोशिश कर रही थीं.
शायद उनकी वासना, वीडियो रिकार्डिंग देखकर भड़क गई थी.
मेरी तनिक भी उठने की इच्छा नहीं हो रही थी लेकिन अर्चना दीदी की हरकतों से मेरी नींद जाती रही.
मैंने अर्चना दीदी को रजाई के अन्दर खींचकर बांहों में समा जाने को संकेत दिया और फिर से सोने की कोशिश करने लगा था.
रात भर की थकान से चूर दोनों भाई बराबर के पलंग पर सो रहे थे.
फिर भी दीदी अपने जिद पर अड़ी रहीं और मेरे शरीर पर चुम्बन करती हुई मेरे एक एक कपड़े निकालने लगीं.
दीदी ने मुझसे एकदम से चिपक कर मुझे भी कामातुर कर दिया.
अर्चना दीदी दो दिन से एक अदद लंड से मरहूम थीं तो कुछ ज्यादा ही गर्म हो चुकी थीं. मुझसे उनका एकदम चिकना बदन चिपक कर चुदाई के लिए आमंत्रित कर रहा था.
तभी मैंने पास में घोड़े बेच कर सो रहे सुमंत और महंत को जोरदार लातें मार दीं.
वो दोनों बिल्कुल हड़बड़ी में उठकर बैठ गए.
उनको कुछ माजरा समझ में नहीं आया, तो दोनों भाइयों ने मेरी तरफ बहुत कातरता से देखा.
वो जैसे ही फिर से सोने जाने को हुए, मैंने अपने बदन से चिपकी नंगी बदन अर्चना दीदी के ऊपर से रजाई उतार कर फैंक दी.
अर्चना दीदी अपने आपको छिपाने का असफल प्रयास करती हुई मुझे गालियां देने लगीं.
वो दोनों नंगी दीदी को पीठ की तरफ़ से देख रहे थे. उनके गोल नितम्बों के बीच गहरी खाई दोनों भाइयों की वासना जगाने लगी.
जब बाईस साल की किसी पोर्न स्टार की जैसी अर्चना के उजले जिस्म का उतार चढ़ाव देखेगा, तो उसके लंड में आग न लगे तो साला नामर्द ही कहलाएगा.
अर्चना दीदी का फिगर यही कोई 34-30-36 का था और कद भी पूरे 170 सेंमी का था.
मैंने उन्हें पलट कर अपनी गोद में भर लिया, तो हवस की देवी के उठे हुए चूचों पर टंके हुए गुलाबी निपल्स के दाने किसी पहाड़ी की चोटी की तरह खड़े हो गए. उनके दोनों निप्पल अपने आपको मसले जाने का इंतजार कर रहे थे.
दीदी के चूचों के नीचे पतली होती कमर पर तराशी हुई गहरी नाभि आमंत्रित कर रही थी. पतली कमर पर गोल गोल कटोरे जैसे भारी चूतड़ और चिकनी मोटी मोटी कदली जैसी जांघों को बीच पावरोटी की तरह फूली और सुनहरे रोएंदार गुलाबी बुर अपना जलवा बिखेर रही थी.
अपनी दीदी की इस कमनीय काया को देख कर सुमंत और महंत दोनों काटो तो खून नहीं वाली स्थिति में थे.
आज तक कभी अपनी दीदी को इस रूप में देखने का सुखद अहसास नहीं मिला था. जबकि पलंग पर जवान बहन अर्चना की झील सी गहरी काली आंखों में तैरते लाल डोरे वासना का आमंत्रण दे रहे थे.
गर्म धधकते अंगारों जैसे अपने दोनों होंठों को वो मेरी नंगी छाती पर फेरती हुई सिसकारियां ले रही थी.
आज तक संग रहने वाली पटाखा आइटम अर्चना दीदी को दोनों भाई आंखें फाड़कर देख रहे थे.
अर्चना दीदी की नंगी नोकदार चूचियां उन दोनों भाईयों की आंखों को चुभ रही थीं.
कुछ चुत की आमंत्रण और कुछ लंड की ललक ने आखिर हार मान ही ली और दोनों भाई अपनी सगी बहना की जवानी पर टूट पड़े.
कभी दोनों भाई अपनी बहन अर्चना दीदी की हर बात में मीन मेख निकालते थे, अभी गुलाम की तरह दीदी के आदेश का अक्षरशः पालन करने लगे थे.
महंत दोनों चूचियों को मसलते हुए और बारी बारी से चूस रहा था.
जगह बदल कर मैंने अपने अकड़ रहे लंड को सुमंत के मुँह में चूसने-चाटने के लिए डाल दिया और मैं नीचे अर्चना के टांगों में आ गया.
हाय क्या चूत थी, एक भी बाल नहीं. चिकनी गुलाबी सुनहरी भीगी चूत की महक ने मुझे दीवाना बना दिया.
मैं गीली और नमकीन सी चूत अन्दर तक जीभ डाल कर चाटने लगा.
मक्खन सी मुलायम चुत की तपिश मेरे होंठों पर महसूस हो रही थी. भग्नासा तन कर कड़क हो गया था और चुत से लगातार मदनरस निकल रहा था.
मैं चुत से निकलती एक एक बूंद रस चाट कर तृप्त हो गया था.
लेकिन अब अर्चना मदहोश हो गई थी, वो महंत के बालों में हाथ फिराने लगी.
वो अपने चरम आनन्द महसूस कर रही थी … अपनी गुदाज़ जांघों के बीच उसने मेरे सर को जकड़ लिया और चूतड़ उठा कर चीख कर झड़ने लगी.
मैं लगातार चूत चाटे जा रहा था और गुलाबी चुत का मदनरस और सुमंत के द्वारा जबरदस्त लंड चुसाई से मेरे शरीर में भी थिरकन के साथ अकड़न आने लगी.
मैं सुमंत के मुँह में तुनक तुनक कर बह कर शांत हो गया.
अब महंत की बारी थी क्योंकि अर्चना और हम दोनों एक बार स्खलित हो चुके थे और महंत ने अपना आठ इंच लंबा हब्शी लौड़े को अर्चना के मुँह में चुसवा कर तैयार कर लिया था.
अब वो अपनी सगी बहन की रसभरी चूत की पहली बार चुदाई करने के लिए तैयार था. उसने अपनी दीदी के दोनों पैर हवा में उठा दिए और अपने हाथों में थाम लिए.
अपना एकदम से फनफनाता लंड पहले ही रस बहाकर चिकनी और चिपचिपी हो चुकी चुत के मुहाने पर रगड़ने लगा.
चुदाई के लिए उतावली अर्चना नीचे से कमर उछाल कर एक करारा धक्का लगाया और दो-तीन इंच लंड गटक तो लिया, लेकिन दर्द से बिलबिला उठी.
महंत भी कहां पीछे रहने वाला था, इतने दिनों में अहसास हो चुका था कि उसका लंड जरूरत से कुछ ज्यादा ही बड़ा है इसलिए उसने बहन के दोनों कंधों को पकड़ कर होंठों पर अपने होंठ रखे और एक और धक्का दे मारा.
उस अनाड़ी का हब्शी लौड़ा बहन की रसभरी चूत को फ़ाड़ कर तीन चार इंच समा गया.
अर्चना दर्द के मारे चीख मार कर छूटने के लिए तड़पने लगी पर महंत कहां बिना चोदे छोड़ने वाला था.
‘आह उम्म्ह … मुझे छोड़ दो मैं तुम्हारे लंड नहीं झेल सकती … अहह … फाड़ दी मेरी कमसिन चुत हाय … याह … भैया!’
वो लगातार बिलबिलाती रही. जबकि अभी आधा ही लंड अन्दर गया था.
अर्चना ने दर्द के मारे तड़फ कर तकिया, बिस्तर की चादर सब नौच डाला.
बिना समय गंवाए महंत ने फिर से हल्का झटका लगा दिया और दर्द में ही दर्द दे दिया.
अर्चना दीदी अपने भाई का आठ इंच का मूसल लंड गटक कर बेसुध हो गई थीं और कराहती हुई रोने लगी थी.
वो कहने लगीं कि उम्म्ह … माई रे … मर गई अहह … हय … दईया फ़ाड़ दिया साले ने मेरी निगोड़ी चुत को.
मैंने, महंत और सुमंत ने लगातार दीदी को ढांढस बंधाया और उन्हें सहलाते रहे.
फिर दीदी का हलक सूखने लगा था तो पानी पिलाया.
कुछ मिनटों में छटपटाती अर्चना दीदी शांत हुईं तो धीरे-धीरे क़मर हिला कर मजा लेने लगीं.
महंत भी पेलने लगा. हर धक्के के साथ महंत अपना लंड अपनी ही बहन की बुर में अन्दर धकेलता जा रहा था.
अर्चना हर बार ‘हाय भैया, हाय भैया, ऊह, आह भैया …’ कर रही थी.
हर धक्के पर वो कराह उठती थीं.
आनन्द और दर्द मिश्रित दस बारह झटके के बाद दो धधकते जिस्मों के बीच वासना और उत्तेजना के जंग की शुरूआत हो चुकी थी.
अब अर्चना दीदी कमर उठा कर महंत के हर धक्के का जवाब देने लगी थीं और हर बार लंड से धक्का मारने पर वो थोड़ा ऊपर को हो रही थीं.
चुदाई का खेल अपने चरम रोमांच पर था और घचाघच घचाघच चुदाई करते हुए महंत चुत की बखिया उधेड़ रहा था.
चुदाई के झटकों से हिलते दीदी की बड़ी बड़ी चूचियों को सुमंत अपने हाथों से संभाल कर बारी बारी से चूस और मसल रहा था.
कामोत्कर्ष में दीदी अपने निप्पल भी खुद उमेठ रही थीं.
तीन साल की अनुभवी खिलाड़ी अर्चना दीदी इतना गर्म हो गई थीं कि लंड को अपने चुत में दबाए पलट गईं और महंत नीचे आ गया.
महंत के मोटे लंड के ऊपर दीदी घोड़ी की तरह ऐसे उठने बैठने लगीं जैसे सातवें आसमान में उड़ रही हों.
दीदी अपने दोनों हाथ महंत की चौड़ी छाती पर टिका कर पहले की अपेक्षा ज्यादा तेज गति से अपने गद्देदार चौड़े चुतड़ों को लंड पर पटक रही थीं.
कमरे में चुदाई की मधुर आवाज़ फचा फच फच चट की जबरदस्त गूंज आ रही थी.
मैं और सुमंत, दीदी की उग्रता और उनकी चौंतीस इंच की चुचियों की उछाल देख सकपका गए थे.
ऐसा लगता था कि दीदी अपने भाई के लंड को कच्चा ही चबा जाएंगी.
अगर महंत सचेत न रहता तो दीदी की चूतड़ों की थाप से उसके लंड की गोलियां फूट जातीं.
अर्चना दीदी की टांगों ने जल्द ही जवाब दे दिया और वो महंत के ऊपर हांफती हुई औंधे मुँह गिर पड़ीं.
उनकी चुत झड़ गई थी. उन दोनों की एक जंगली चुदाई देख कर मेरा लंड अकड़ गया और मैं उठकर दीदी की मोटी जांघों को मोड़कर उन्हें फिर से सैट करने करने लगा.
दीदी के चौड़े चूतड़ों के बीच गुलाबी गांड में थूक लगा लंड का टोपा टिका कर दबाने लगा.
घोड़ी बनी अर्चना बिलबिला उठीं लेकिन उनके अन्दर प्रतिरोध की शक्ति नहीं रह गई थी.
इसलिए मैंने पीछे से गांड में धीरे धीरे पूरा लंड जड़ तक पेल दिया और चुदाई करने लगा.
अर्चना दीदी की पीठ पर झुक कर मैंने उनकी दोनों चूचियों को लगाम की तरह खींच लिया और गुदाज गांड का गुड़गांव बनाने लगा.
कुछ ही देर में मेरे नीचे झुकी अर्चना दीदी, लौड़े से लगते मेरे हर धक्के पर कराहती हुईं अपनी गांड लंड पर ऐसे धकेल रही थीं जैसे आंड समेत पूरा लंड गटक जाएंगी.
जब लंड आराम से अन्दर बाहर आने जाने लगा तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अब मैं पूरे जोर से दीदी की गांड चोद रहा था और वो ‘आह आह …’ करती रहीं.
सारे कमरे में मेरी चुदाई से ‘चप्प चप्प …’ की आवाज़ आ रही थी.
अब कमरे में सिर्फ भाई-बहन की सिसकारियां एक लय से वातावरण में वासनामय संगीत घोल रही थीं.
नीचे से महंत का दो इंच मोटा और आठ इंच लंबा हब्शी लंड अर्चना दीदी की छोटी सी मुलायम चुत में अभी भी घुसा घुआ हुआ था.
महंत का लंड पहली बार तांडव मचा चुका था इसलिए उसने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. मगर इतना ज़रूर था कि डबल चुदाई में फंसी दीदी मेरे हर शॉट पर गरज रही थीं क्योंकि मैं लंड जब गांड में पेलता, तो महंत का हब्शी लंड भी चुत में जाकर बच्चेदानी में ठोकर मारने लगता.
अर्चना दीदी दोतरफा मार को देर तक नहीं झेल सकीं और दूसरी बार चिहुंक चिहुंक कर झड़ चुकी थीं.
अब चुदाई में दीदी को कोई स्वाद नहीं रह गया, जीभ बाहर निकाल वो लगातार रहम की भीख मांग रही थीं.
वो हाथ पैर जोड़ती रही लेकिन जब तक मैंने और महंत अपना माल नहीं निकाल लिया, तब तक तो दीदी दो लंड के बीच पिसती ही रहीं.
करीब दस मिनट तक गांड का गुन्जन करने के बाद मैंने अर्चना दीदी की गर्म गांड में अपना माल भर दिया और महंत भी दीदी की चुत में झड़ चुका था.
महंत की पहली ही चुदाई से सगी बहन अर्चना की चुत की धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही थीं, इसलिए सबसे छोटा सुमंत को औंधे पड़ी दीदी ने चुत देने से इंकार कर दिया.
मरता क्या न करता गांठ बन चुके लंड को सुमंत मेरे वीर्य से लबालब भरे हुए दीदी की गांड में पेल कर ही संतुष्ट होना पड़ा.
वो घटना बड़ी मजेदार है, उसे फिर कभी फुर्सत में लिख कर भेजूंगा.
पूरे दस मिनट तक दीदी की गोरी गोरी चिकनी गांड पहली बार चुदाई कर तृप्त होकर थोड़ी देर में सुमंत उनसे अलग हो गया.
अब तक का मजा अर्चना दीदी के लिए सजा बन गया था इसलिए चुत में जलन और गांड में दर्द के कारण हिचकीयां ले कर रोने लगी थीं.
अर्चना दीदी को वो चुदाई की काली रात भारी पड़ गई थी जो उन्हें ता-उम्र याद रहने वाली थी.
उसके बाद मैंने दीदी की चुत की गर्म पानी से सिंकाई कर, पोंड्स पाउडर छिड़का, तब जाकर वो कुछ राहत महसूस कर रही थीं.
दोनों भाइयों से अर्चना दीदी चुदाई करवा कर घायल हो गई थीं लेकिन जिंदगी में चुदाई करने का सबसे सुरक्षित तरीका हासिल कर लिया था.
अब घर की चुत घर में चुदेगी क्योंकि पकड़े जाने का कोई डर नहीं था और न ही देरी का काम था.
जब लंड की भूख लगी, भाई बहन में सेक्स खेल शुरू हो जाने वाला था.
किसी नई महिला के साथ नई घटना के साथ मैं फिर हाजिर होऊंगा, तब तक के लिए नमस्कार.
मस्त रहिए लंड और चुत का मिलन समारोह आयोजित करते रहिए, अपनी बहन के आगे कोई दूसरा विकल्प न अपनाने पड़े, ऐसा प्रयास कीजिए.
Xxx कज़िन सेक्स कहानी में आपको जरूर मजा आया होगा. कमेंट्स में बताएं.
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