हॉट देसी गर्ल Xxx कहानी में पढ़ें कि गाँव में मेरी सेटिंग ने मुझे एक कुंवारी लड़की से मिलवाया. वो लड़की सेक्स का मजा लेना चाहती थी. खेत में बने कमरे में मैंने उसे चोदा.
दोस्तो, मैं विशाल पटेल फिर से आपके सामने हाजिर हूँ।
आपने मेरी पिछली कहानियों का लुत्फ उठाया होगा. आशा है कि मेरी कहानियां आपको अच्छी लगी होगी।
आज फिर से नयी हॉट देसी गर्ल Xxx कहानी लेकर आया हूं आशा है कि आपको पसंद आएगी।
मेरी और रेखा की कहानी
पंचायत ऑफिस की खिड़की
का आपने मजा लिया होगा।
उसमें आपने पढ़ा कि रेखा ने मेरी बेटी को जन्म दिया था।
अब उसके दो बच्चे होने के कारण वह घर के कामकाज से फारिग नहीं हो पाती थी।
मेरे ऑफिस में भी काम थोड़ा बढ़ गया था।
रेखा के साथ मैं खिड़की से बात किया करता था.
हमें आख़री बार चुदाई किये महीना भर से ज्यादा हो गया था।
अब वह पहले की तरह गर्म नहीं रही थी.
मैं उसे चुदाई के लिए उकसा रहा था पर वह ज्यादा रस नहीं ले रही थी।
मेरे कई बार कहने पर भी वह तैयार नहीं थी.
वैसे उसकी भी मजबूरी थी, दो छोटे बच्चे की जिम्मेदारी भी उस पर थी और उसका पति भी अब गांव में ज्यादा रहने लगा था।
एक बार उसने मुझे बताया- विशाल, मैं तुम्हारे जज़्बात समझती हूं पर मैं भी मजबूर हूँ।
उसने कहा- तुम मेरे सिवा और कोई लड़की क्यों नहीं ढूंढ लेते?
मैंने कहा- इस गांव में तुम मुश्किल से मिली हो. मैं कहां लड़की ढूँढता फिरूंगा.
उसने कहा- ट्राई तो करो।
मैंने कहा- ना बाबा, तुम्हारे गांव के लोग कितने खतरनाक हैं. कोई लफड़ा हुआ तो जान से मार देंगे।
उसने कहा- हमारे गांव के मर्द भले सरफिरे हैं पर गांव की कई औरतें और लड़कियां मेरी तरह प्यासी और रसीली हैं. तुम ट्राई तो करो।
मैंने मज़ाक में कहा- ऐसा है तो तुम्हीं किसी लड़की से मेरा टांका भिड़वा दो।
उसने नक़ली गुस्सा दिखाते हुए कहा- मैं क्यों तुम्हारे लिए लौंडिया ढूँढ के दूँ … तुम खुद ही करो!
फिर ऐसे ही दो महीने गुजर गए.
मैं रेखा को रोज देखता और घर जाकर हाथ से गर्मी निकाल लेता।
अब वह खिड़की पर मुझे मिलने भी कभी कभार ही आती।
मैं उसकी चूत ना मिलने की वजह से तड़पता था।
एक दिन वह मुझे खिड़की के पास मिली।
उसने कहा- आज तुम ऑफिस से जल्दी निकलना। गांव से दो किलोमीटर दूर जो छोटा सा मंदिर है, वहां से दाहिनी ओर एक रास्ता है. वहां थोड़ी दूर एक मक्कै का बड़ा खेत है। उस खेत में एक कमरा है, तुम पांच बजे उस कमरे में जाना।
मैंने कहा- क्या है वहां?
उसने कहा- तुम वहां जाओ तो सही … अपने आप जान जाओगे।
मैंने उसे काफी पूछा पर उसने बताया नहीं.
पर मुझे हिदायत दी कि शाम पांच बजे वहां जरूर पहुंच जाना।
मैंने सोचा कि चलो देखते हैं.
वैसे भी वह रास्ता मेरे घर जाने के रास्ते में ही पड़ता था।
मैं रेखा के कहे मुताबिक ऑफिस से जल्दी निकल गया और वहाँ मंदिर के पास पहुंच गया।
आसपास सुनसान इलाका था खाली खेत ही खेत थे।
खेतों में कोई आदमी नजर नहीं आ रहे थे।
मैं उस कमरे वाले खेत की तरफ मुड़ा और थोड़ी देर में ही मुझे मिल भी गया।
मक्के का वह एक ही खेत था तो मुझे ढूँढने में परेशानी नहीं हुई।
कमरे के पास पहुंच कर कमरे के दरवाजे को धक्का दिया.
तो वह खुला ही था।
अंदर देखा तो एक लड़की चारपाई पर बैठ कर पढ़ रही थी.
वह मुझे देख कर खड़ी हो गई और बोली- आप विशाल हो ना?
मैंने हां कहा।
उसने कहा- आप तो समय के बड़े पाबंद हो. पांच बजे ही पहुंच गये।
तब उसने मुझे चारपाई पर बैठने को कहा।
मैं थोड़ा झिझकते हुए बैठा.
वह भी मेरे पास चारपाई पर बैठ गयी।
मैं बड़े आश्चर्य में था क्योंकि मैंने रेखा की बात को मज़ाक में लिया था पर उसने तो सच में मेरे लिए लड़की ढूंढ निकाली थी।
उस लड़की ने कहा- रेखा भाभी ने मुझे आपके बारे में बताया था। रेखा भाभी हमेशा मेरे सामने आपकी बड़ी तारीफ करती हैं तो मैं आपसे मिलना चाहती थी।
उसने कहा कि उसका नाम निकिता है और वह रेखा की दूर की ननद है और पास के गांव में रहती है।
अब मेरा डर थोड़ा कम हुआ, मैं भी उसके साथ बातचीत करने लगा।
मैं रेखा का अहसान मानने लगा कि उसने सच में मेरे लिए चिकनी लौंडिया ढूंढ दी थी।
निकिता से मेरी जान पहचान हुई।
वह कोलेज में पढ़ रही थी तथा उसकी सगाई हो चुकी थी। वह 22 साल की थी। वह रंग से गोरी थी पर रेखा जितनी भी नहीं!
नाक नक्श से काफी खूबसूरत थी वह!
उसने सलवार कमीज़ पहनी हुई थी, जिसमें मैंने अंदाजा लगाया कि उसकी चूचियाँ 32 या 34 इंच के होंगे.
वह पतली और मोटी दोनों के बीच की थी मतलब मध्यम बदन की गदरायी हुई माल थी।
निकिता भी रेखा की तरह बातूनी और मजाकिया थी।
मुझे वह पसंद आ गयी।
मैंने सोचा कि रेखा ने पता नहीं उसे मेरे और रेखा के रिश्ते के बारे में क्या बताया होगा. आज पहली ही बार में निकिता को चुदाई की बात करना मुझे सही नहीं लगा सिवाय कि वह खुद कुछ पहल करे।
उसने कहा कि रेखा उसकी रिश्ते में भाभी है पर असल में उसकी बहुत अच्छी दोस्त है, वह अपनी हर बात निकिता को बताती है।
रेखा ने उसे मुझसे दोस्ती करने के लिए कहा था।
आधा घंटा बात करके मैं वहां से निकलने लगा तो निकिता ने मुझे कल उसी समय आने को बोला.
मैं हां बोल कर वहां से निकला।
दूसरे दिन दोपहर को रेखा मुझे खिड़की पर मिली।
वह हंस कर बोली- मिल आये मेरी ननद से? कैसी लगी मेरी प्यारी ननद।
मैंने निकिता की तारीफ की और उसका भी आभार व्यक्त किया कि उसने मुझे निकिता से मिलाया।
उसने बताया- मेरी चूत तो तुम्हारे लिए मुश्किल है तो निकिता को तुम्हारे साथ सैट किया है. मेरे से जितना मुमकिन हुआ, उतना मैंने कर दिया. क्योंकि मैं भी तुमसे प्यार करती हूं. अब तुम सावधानी से निकिता को पटाना।
तो मैं उस दिन दोबारा खेत में निकिता से मिला।
निकिता ने बताया- हमारे घर में मेरे दो बड़े भाई हैं जिनके बच्चे छोटे हैं. वे पूरा दिन घर में खेलते रहते हैं. तो घर वालों ने ही मुझे खेत में पढ़ने के लिए कहा है। पिताजी के पास खेती की बड़ी ज़मीन है। पर यह चाचाजी का खेत है. हमारा खेत थोड़ा दूर है पर उसमें कमरा नहीं है तो मैं चाचा के खेत में बने इस कमरे में पूरा दिन पढ़ने आती हूँ।
आज मैं उसकी आंखों में आंखें डाल कर बात कर रहा था।
मैं उसके लिए मिठाई और उपहार लेकर आया था तो वह बहुत खुश हुई.
उसने कहा- इसकी क्या जरूरत थी।
मैंने कहा- अब तुमसे दोस्ती की है तो निभानी भी पड़ेगी ना!
फिर हमने ढेरों इधर उधर की बातें कीं।
वह मेरे बारे में काफी पूछ रही थी।
उसने मुझसे पूछ लिया कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं … गांव की कोई लड़की पसंद है या नहीं।
वैसे मैं रश्मि नम्रता फातिमा और रेखा की चार चूतें मार चुका था पर निकिता के सामने कच्चा कुंवारा होने का नाटक बखूबी निभा रहा था।
मैंने उसे उसके मंगेतर के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह उसके मंगेतर को वह सगाई वाले दिन सिर्फ एक ही बार मिली है। उसका मंगेतर पास के ही गांव का है। वह है तो बहुत अमीर घर का … पर उससे आठ साल बड़ा है. उसके मम्मी पापा ने उसके मंगेतर के खानदान की रईसी देख कर उसका रिश्ता किया था।
मैंने सोचा कि इसका तो मंगेतर है फिर भी यह मुझसे क्या चाहती होगी?
पर उसकी बातें और हाव-भाव कुछ और बयां कर रहे थे।
उसके बाद मैं फिर उससे मिला तो वह मेरे और करीब आने की कोशिश कर रही थी।
वह मुझसे बिल्कुल सट कर बैठी थी और बात करते करते मुझे ताली देती या चिकोटी भी काटती।
मैंने रेखा को उसके बारे में पूछा कि निकिता मुझसे क्या चाहती है.
तो उसने कहा- खुद ही पता कर लो!
पर जब मैंने दो तीन बार पूछा तब उसने बताया।
निकिता का मंगेतर भले ही अमीर घर का हैं पर एक नंबर का लफंगा है। ना जाने वह कितनी लड़कियों और औरतों को चोद चुका है। उसने निकिता को किसी शादी में देखा था तब से वह निकिता पर लट्टू हो गया था। उसने निकिता के घर रिश्ता भेजा तो रईस घर देख कर बिना सोचे समझे निकिता के घर वालों ने भी निकिता को उसके साथ बांध दिया था।
हालांकि निकिता पढ़ी लिखी और फारवार्ड लड़की है, उसे अच्छी सरकारी नौकरी भी मिल रही थी.
पर उसके घर वालों ने उसे नौकरी नहीं करने दी और उसकी शादी उसके लफंगे से करवाने पर तुले थे।
वैसे भी निकिता को उसका लफंगा मंगेतर जरा भी पसंद नहीं था. वह दिखने में भी अच्छा नहीं था और एक नंबर का गुंडा था और जुआ, शराब, लड़कीबाजी, मारामारी करना आदि सारी खराबी उसमें थी।
निकिता उसे जरा भी पसंद नहीं करती थी. पर अपने घर वालों के सामने मजबूर थी।
घर वालों को उसने काफी बार मनाने की कोशिश की थी पर उनका कहना था कि वह शादी के बाद सुधर जायेगा और इतना अमीर खानदान का रिश्ता और कहां मिलेगा।
अब निकिता भी साहसी लड़की थी, उसने अपने सपने चकनाचूर होते देख कुछ और तय किया था।
उसका प्लान था कि वह शादी से पहले किसी और से रिश्ता रखेगी.
जैसे उसका मंगेतर कई लड़कियों के साथ सोता है तो वह क्यों कच्ची कुंवारी रहे, वह भी अपनी चूत किसी से फड़वा लेगी।
उसने अपने लायक़ लड़का गांव में ढूंढा. पर उसे कोई लड़का जचा नहीं और वह सामने से किसी लड़के से पहल नहीं कर सकती थी क्योंकि उसकी गांव में बदनामी हो सकती थी।
वह अपने दिल की भड़ास रेखा के पास निकाला करती थी.
तो रेखा को मुझसे पीछा छुड़ाने का एक बढ़िया रास्ता दिखा।
उसने निकिता का टांका मेरे साथ भिड़ाने का तय किया और निकिता और मुझे मिलाया था।
रेखा ने मेरी काफी तारीफ निकिता के सामने की थी और उसे बोला कि वह गांव का नहीं है, अजनबी है तो तुम्हारे लिए सही भी है।
यह सब जान कर मैं समझ गया कि मुझे जल्दी ही निकिता के साथ आगे बढ़ कर पहल करने की जरूरत है।
उसके बाद मैं निकिता को मिलने के लिए उतावला हो रहा था।
अब उसकी चूत दूर नहीं थी.
पर मैं धैर्य के साथ निकिता को चोदना चाहता था।
अगले दिन जब मैं ओफिस से निकला तो यह तय कर के निकला था कि आज निकिता को चुदाई के लिए तैयार करुंगा।
रेखा ने भी दोपहर को मुझे डांटते हुए कहा था कि मैं जल्दी ही निकिता को चोदने की पहल करूं।
निकिता उसे फोन पर बताती थी कि हमारी हर मुलाकात में क्या हुआ था। निकिता ने रेखा को कहा था कि विशाल बहुत सीधा लड़का है, वह कुछ पहल नहीं कर रहा है।
उसके बाद मैं निकिता के खेत वाले कमरे में पहुंचा और देखा निकिता भी आज थोड़ी बदली बदली हुई लग रही थी।
आज उसके चहरे पर छुपी छुपी मुस्कान थी।
हमने थोड़ी इधर उधर की सामान्य बातें की.
फिर मैंने उसे एक लाल गुलाब का फूल दिया और कहा- मैं तुमसे प्यार करता हूं. क्या तुम्हें भी मुझसे प्यार है?
उसने थोड़ी देर बाद मुस्कुराते हुए सिर नीचे रख कर हां कहा।
मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया तो वह मुझसे अमरबेल की तरह चिपक गयी।
तभी मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से चूसना शुरू किया तो वह भी मेरा साथ देने लगी।
काफी देर तक हमने एक दूसरे के होंठों को चूसा।
उसने कहा- तुम एक नंबर के अनाड़ी हो. मैंने तुम्हें यहां पहली बार बुलाया, तभी तुम्हें समझ जाना चाहिए था कि मैं क्या चाहती हूँ. कोई भी जवान लड़की अकेले में किसी लड़के को बुलाती है तो उसका मतलब क्या होता है।
तब उसने मुझे कहा- आज मुझे घर पर कुछ काम है. इसलिए अभी तुम जाओ, कल चार बजे ही आ जाना।
दूसरे दिन मैं काफी खुश था क्योंकि करीब दो महीने बाद मुझे चूत मिलने वाली थी।
दोपहर को रेखा भाभी ने मुझे घर बुलाया था क्योंकि उसका पति कहीं बाहर गया था।
मैं रेखा के घर पहुंचा और उसके बच्चों के साथ खेलने लगा।
मैंने अपनी बेटी प्रेरणा को खूब प्यार किया।
फिर मैंने और रेखा ने साथ में खाना खाया और फिर बिस्तर पर लिया।
आज करीब दो महीने बाद मुझे रेखा की चूत चोदने को मिली थी तो बहुत अच्छी तरह से रेखा को चोदा।
चोदते वक्त मैंने उसे बताया- आज चार बजे निकिता से मिलना है और उसकी चूत आज मारुंगा।
रेखा बोली- जानू, मुझे बहुत अच्छा लगा कि निकिता और तुम्हारा टांका भिड़ ही गया. मैं मजबूर हूँ कि तुमसे पहले की तरह नहीं चुद सकती।
उसने कहा- तुम आज मेरी प्यारी ननद को खूब अच्छी तरह से चोदना।
मैंने उसका खूब आभार व्यक्त किया।
आज का दिन मेरे लिए काफी अच्छा था कि एक ही दिन में रेखा और निकिता दोनों की चूत मुझे मिली थी।
शाम के चार बजे में ऑफिस बंद कर के निकल गया.
वैसे भी आज शनिवार था तो ज्यादा काम था नहीं।
मैं निकिता के कमरे पर पहुंच गया और दरवाजा खटकाया।
निकिता ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर लिया।
दरवाजा बंद कर के जैसे ही वह मेरे सामने घूमी तो मैंने अपनी बाहें फैलायी … तो निकिता झट से मेरी बाहों में समा गई।
मेरे और उसके होंठ का जैसे ताला लग गया था.
करीब दस मिनट हमने एक-दूसरे के होंठों का रसपान किया।
उसके होंठों को चूसते चूसते मेरे हाथ उसके वक्ष पर पहुंच गए।
मैं उसके सख्त उरोज मसलने लगा.
तो वह बोली- खड़े खड़े ही सब कुछ करोगे?
मैंने उसे बाहों में उठाया और चारपाई पर लिटा दिया और उसकी कमीज़ उतार दी।
उसने ब्राऊन ब्रा पहनी थी जो उसके मम्मों के साइज से काफी टाईट थी और बहुत अच्छी लग रही थी।
तब उसने खुद ही ब्रा उतारी और मेरे हाथ पकड़ कर अपने मम्मों पर रख दिए।
मैं जोर जोर से उसके बोबे दबाने लगा, फिर उसके बोबों को काटने और चूसने लगा।
वह काफी गर्म और मदहोश सी हो गई थी।
मैंने उसकी सलवार और पैन्टी उतार फैंकी और उसके पेट और जांघों पर चुम्बन करने लगा।
वह आह आह कर रही थी।
तब उसने कहा- मुझे तो पूरी नंगी कर चुके हो और खुद कपड़े पहने हो।
मैंने भी तुरंत अपने कपड़े उतार दिए और उसके ऊपर चढ़ गया।
दो घंटे पहले ही रेखा को चोदा था तो मुझे तो उत्तेजना काफी थी पर मेरा लौड़ा थोड़ा ढीला जरूर था।
एक तरह से यह अच्छा था कि मैं निकिता को देर तक चोद सकूंगा।
निकिता ने खड़े होकर मेरा लौड़ा पकड़ा और उसे सहलाने लगी।
अब वह डंडे की तरह सख्त हो चुका था।
मैंने निकिता को लौड़ा मुंह में लेने को कहा तो वह मना करने लगी क्योंकि उसे पहली बार में मेरे लंड की गंध अच्छी नहीं लगी थी.
थोड़ा आग्रह करने पर उसने एक बार मेरे लौड़े को चूम लिया और चारपाई पर लेट गई और अपनी टांगें फैला दी।
मैं अब उसके ऊपर चढ़ गया।
मैंने कोंडोम निकाला और अपने लंड पर लगाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- इसके बगैर ही करो।
तब मैंने उसे कहा- डार्लिंग, मैं अब लौड़ा तुम्हारे अंदर डालूंगा. अगर दर्द हो तो मेरे होंठों को जोर से चूसना और हाथ मेरी पीठ में जोर से दबाना. फिर भी अगर दर्द हो तो टांगें उठा लेना।
उसने कहा- तुम डालो तो सही, मैं सह लूंगी।
मैंने लौड़ा उसकी चूत पर रखा और टोपा अंदर घुसाने लगा।
अब उसको दर्द हो रहा था तो उसने मेरे होंठों पर जोर से काट लिया और अपने नाखूनों को मेरी पीठ में गड़ा दिए और पैर उपर उठा लिये.
तो मैंने एक झटके से पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वह दर्द से छटपटाई और बेहोश सी हो गई।
पर उसकी सहनशक्ति का जवाब नहीं था।
उसकी आंखों में आंसू आ गए थे लेकिन उसने मुंह से आह तक नहीं निकाला था।
मैं उसकी चूचियों को चूसते चूसते लंड के धक्के लगाने लगा।
पांच मिनट बाद उसकी चूत मेरे लौड़े के हिसाब से खुल चुकी थी और उसके खून और चूत के रस से उसकी चूत में चिकनाई हो गई थी तो मेरा लौड़ा बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था।
उसका दर्द भी कम हो चुका था और उसे भी मजा आने लगा था।
वह भी कमर उठा कर मेरा साथ देने लगी।
अब वह बोल रही थी- विशाल, मेरे जानू, चोदो अपनी निकिता को! यह कमीनी चूत बाईस साल से प्यासी है।
मैं भी जोर जोर से झटके मारने लगा। मैं भी कह रहा था- मेरी जान, तुझे जबसे देखा है, मेरे लौड़े को चैन नहीं है. आज कितने दिनों की कसर साथ में निकाल रहा हूं।
उसने भी कहा- जानू, तुम मुझे अपनी समझ कर जितना चाहे, उतना चोदो।
पन्द्रह मिनट के बाद वह अकड़ने लगी पर मेरा अभी तक चल रहा था।
वह बोली- जानू मैं दो बार झड़ चुकी हूँ. अब कितना चोदोगे अपनी निकिता को?
मैं बोला- तुम मजा लो ना मेरी रानी।
दस मिनट और चोदने के बाद मैं भी झड़ गया।
मैं थक गया था और हाम्फ रहा था. वह भी हाम्फ रही थी.
मैं उसके ऊपर लुढ़क गया था पर मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही था।
मेरा लंड धीरे-धीरे सिकुड़ कर बाहर आ गया.
फिर हम दोनों अलग हुए।
मैंने देखा कि उसकी चूत से मेरा गाढ़ा वीर्य और उसका खून दोनों बाहर आ रहा था।
मैंने पूछा- अब दर्द तो नहीं हो रहा है?
उसने कहा- इस दर्द को पाने के लिए ही हर लड़की जवान होती है।
और उसने कहा- विशाल, मैं चाहती थी कि शादी से पहले मैं अपनी चूत किसी से फड़वा लूं ताकि मेरे कमीने मंगेतर को मेरी कुंवारी चूत ना मिल पाये। तुमने मेरी चूत चोद कर मेरे पर बहुत बड़ा अहसान किया है। अब जब तक मेरी शादी उस कमीने से ना हो, तुम मेरी चूत मारते रहना. और शादी के बाद भी मैं तुम्हारे ही बच्चों की मां बनना चाहती हूँ जिससे मेरा बदला पूरा हो।
यह बोलकर वह खड़ी हुई और कपड़े पहनने लगी।
मैंने भी अपने कपड़े पहने और निकिता को चूम कर वहां से निकला।
फिर हमारी हॉट देसी गर्ल Xxx चुदाई चलती रही।
पर किस्मत को कुछ और मंजूर था।
उसके लफंगे मंगेतर ने कुछ समय पहले किसी पर कातिलाना हमला किया था, उसका केस उसके ऊपर चल रहा था तो उसकी और निकिता की शादी से दो महीने पहले ही उसे सजा हो गई।
निकिता काफी खुश थी।
उसके घरवाले भी अब नर्म पड़ गये और निकिता को सरकारी नौकरी भी मिल गई और वह दूर के शहर में नौकरी करने चली गई।
उसके बाद मुझे रेखा के जरिए ही निकिता की खबर मिलती थी।
बाद में एक दिन यह भी खबर मिली की निकिता ने अपने साथ नौकरी करने वाले सहकर्मी के साथ शादी कर ली है।
अब मैं भी निकिता को भुला चुका हूं।
लेखक के आग्रह पर ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जा रही है!
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