मकान मालिक की बहू को बच्चे का सुख दिया- 2

मकान मालिक की बहू को बच्चे का सुख दिया- 2


देसी वर्जिन भाभी चुदाई कहानी में मैंने एक भाभी को बच्चा देने के लिए उसे चोदा तो वह कुंवारी निकली. उसकी चूत की सील उसका पति तोड़ ही नहीं पाया था.
दोस्तो, कैसे हो आप सब!
मैं अजय अपनी कहानी
मकान मालिक की बहू की गांड मारी
का अगला भाग लेकर हाजिर हूं।
जैसा कि आपने पहले भाग में देखा कि रंजीता मेरे कमरे में आई और मेरा लंड चूस कर मेरा वीर्य निकाल कर चाट गई।
पर मैं उसे चोद नहीं कर पाया क्योंकि वह पीरियड से थी।
तो इस हिसाब से मेरे लंड का तो चार पांच दिन का उपवास हो गया।
तब मैंने जुगाड़ सोचा और एक रात मैंने उसकी गांड मार ली.
उसे बहुत दर्द हुआ था क्योंकि उसने इससे पहले कभी गांड नहीं मरवाई थी.
अब आगे देसी वर्जिन भाभी चुदाई कहानी:
सुबह जब मैं अस्पताल जाने लगा तो देखा वह बीमार लग रही थी।
मैंने आंटी जी से पूछा- रंजीता जी को क्या हुआ?
आंटी बोली- पैर फिसल गया है, मोच आ गई है।
मैंने कहा- मैं अभी दवाई दे देता हूं।
तब मैंने अपने कमरे से पेन किलर और एंटी बायोटिक टेबलेट लाकर दी और कहा- एक खुराक अभी ले लेना, दूसरी शाम को! शाम तक बिल्कुल ठीक हो जाओगी।
मैं अस्पताल निकल गया।
शाम को वापस आया तो देखा रात वाली बेडशीट धोकर सुखाने डाली थी।
सप्ताहांत पर रमेश रोहतक आया।
मुझसे पूछा- डाक्टर साहब, मेरी रिपोर्ट में क्या आया?
मैंने रमेश से कहा- थोड़ी कमी है, इलाज शुरू कर दूंगा, ठीक हो जाओगे। थोड़ा समय लगेगा पर आप पिता बन जाओगे। बस मैं जो भी दवाई दूं, आप लेना शुरू कर दो।

मैंने उसका सेक्स वर्धक गोली दी, कहा- शाम को लेना। रंजीता जी से 3-4 दिन दूर रहना। दवाई लगातार लेते रहना।
मुझे पता था कि रमेश के स्पर्म काउंट बहुत कम है। बच्चे पैदा नहीं कर सकता है पर गोली से उसके लंड में जरूर थोड़ी और जान आ जायेगी। इससे उसे मेरे इलाज पर विश्वास हो जायेगा।
वह वापस दिल्ली लौट गया।
दो दिन ऐसे ही निकल गए।
रंजीता भी मासिक धर्म से निवृत हो गई।
आज रात वह मेरे पास आने वाली थी। इसका इशारा उसने मुझे सुबह चाय देने आई थी तब कर दिया था।
वह बोली- मैं आज रात को आऊंगी।
कह कर चाय देकर चली गई।
आंटी अंकल को मुझ पर बिल्कुल शक नहीं था। उन्हें मैं शरीफ और मददगार लगता था।
मैं अस्पताल चला गया।
शाम को वापस आते समय मेडिकल से एक डॉटेड कंडोम का पैकेट ले आया।
मैं खाना खाने के बाद रात को मैं टी वी देख कर लेट गया।
मुझे नींद आ गई।
रात 12 बजे कुंडी खुलने की आवाज आई।
मैं उठा तो देखा।
रंजीता ने तो आज गजब ही कर दिया।
वह सिर्फ पेंटी ब्रा में मेरे कमरे मे आई।
मेरा दिमाग खराब हो गया।
मैंने झट से उसको अपनी बाहों में भर लिया और बेड पर बैठ गया।
वह बोली- डाक्टर साहब, मुझे सच सच बताना कि मैं मां तो बन जाऊंगी ना?
मैंने कहा- छोड़ो ये सब बातें!
आज वह स्वर्ग से उतरी परी जैसी लग रही थी।
मैंने उसके माथे पर चुंबन लिया फिर उसके कानों को होठ से कटते हुए उसकी गर्दन पर किस किया।
फिर उसने वही बात कही- डाक्टर साहब, पहले मेरी बात का सही से जवाब दो।
मैंने उसे साफ साफ बता दिया- रमेश बच्चा पैदा करने लायक नहीं है। हां, मैं तुम्हें गारंटी से मां बना दूंगा। यह बात मेरे और तुम्हारे अलावा किसी को पता नहीं चलेगी।
वह बोली- डाक्टर साहब, मुझे बच्चा चाहिए!
बस फिर क्या था … वह तो पागल हो गई।
उसने तुरंत मेरा लंड मेरी चड्डी में से ऊपर से पकड़ लिया और मेरी चड्डी उतार दी।
आज मैं सिर्फ चड्डी में ही सोया था क्योंकि मुझे आज चूत चोदन करना था।
मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसे उसके बदन से अलग कर दिया।
उसे गर्दन से चूसते चूसते उसकी छाती बगल से उसके उरोज तक पहुंच गया।
वह भी पूरी मूड में आ गई।
मैं उसके चूचों के निप्पल मुंह में भर कर चूसने लगा।
बता नहीं सकता मैं … कि मेरी हालत क्या हो रही थी।
इधर मेरा लंड पकड़ कर वह हाथ की मुट्ठी में भर कर आगे पीछे कर रही थी।
मैंने उसके बोबे चूसते चूसते उसके सपाट पेट पर जीभ फिराना शुरू कर दिया और फिराते फिरते उसकी नाभि तक पहुंच गया।
वह अपनी गांड हिला रही थी।
मैं उसकी केले कैसी चिकनी जांघों पर हाथ फेरने लगा।
अब मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी।
वह अंगुली घुसाते ही चिल्ला उठी।
मैंने मन में सोचा कि रमेश ने इसकी चूत को बाहर बाहर से ही चोदा है उसका लंड तो बिल्कुल अंदर नहीं गया है। एक तरह से यह कुंवारी है। आज तो अजय इसकी सील तोड़ने में मजा आयेगा।
जो औरत एक अंगुली डालने पर ये हाल कर रही है तो मेरा 7 इंच लंबा 3 इंच मोटा लंड अंदर कैसे लेगी।
अब मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूत को फैला कर उसमें अपनी जीभ डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
उसे भी मज़ा आ रहा था।
वह अपनी कमर उठा उठा कर ऊपर नीचे करने लगी।
जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत के दाने को रगड़ती, वह मचल जाती … आ आ उई हम्म्म ओ … आवाज निकाल रही थी।
थोड़ी देर में उसने अपनी कमर जोर से दो तीन बार ऊपर उठाई, तेजी से आ अ ऊ ऊ ओ … मेरे सी शी … करते हुए मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाते हुए जोर से झटका दिया और निढाल होकर लेट गई।
उसकी चूत से नमकीन पानी की धार निकली जिसे मैंने चाट कर साफ़ कर दिया।
अब हम दोनों बिस्तर पर लेटे थे।
मैंने करवट लेकर उसका बोबा मुंह में भर कर चूसने लगा।
वह ऐसे चुसवा रही थी जैसे मां अपने बच्चे को दूध पिला रही हो।
हम दोनों करीब आधा घंटे ऐसे ही पड़े रहे।
अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैं उठा और कंडोम के पैकेट से एक कंडोम निकाला, उसे अपने लंड पर चढ़ा लिया।
बेड के सिरहाने रखी तेल की शीशी उठाई और उसकी चूत पर अपनी अंगुली में तेल लेकर उसकी चूत के अंदर लगा कर अंगुली अंदर बाहर करके चिकना कर दिया।
उसकी गांड के नीचे तकिया लगा कर उसको ऊपर किया।
वह बोली- ये कंडोम लगाने की क्या जरूरत है?
मैंने कहा- अभी बिना कंडोम के चोदूंगा तो तुम्हें बच्चा ठहर जायेगा; सबको शक हो जायेगा। अभी रमेश को मैंने दवाई दी है। उसे भी लगना चाहिए कि मेरी दवाई से उसे फायदा हुआ है और ये बच्चा उसी का है। आंटी अंकल को भी यही लगना चाहिए।
वह बोली- ठीक है।
मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत के मुंह पर रखा और धीरे से दबा दिया।
मुश्किल से आधा इंच ही गया होगा कि वह जोर से चीख पड़ी- उई मां मर गई।
मैंने झट से अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
उसकी चीख उसके मुंह में ही घुट कर रह गई।
मैंने फिर अपने लंड का टोपा धीरे से झटका मार कर अंदर किया।
मेरा लंड अभी 2 इंच ही गया था कि वह अपने हाथों से मुझे पीछे धकेलने लगी।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके पंजे पकड़ कर दबा लिए।
उसके मुंह में मेरा मुंह पहले से ही फिट कर रखा था।
वह इस अवस्था में न हिल ढुल सकती थी न आवाज कर सकती थी।
मैंने अपने लंड की एक जोर से ठोकर मारी।
मेरा लंड उसकी चूत की दीवार को चीरता अंदर चला गया।
वह इस दर्द को सहन नहीं कर पाई; उसकी आंखों में आंसू आ गए।
रंजीता बेहोश हो गई, उसकी गर्दन एक ओर लटक गई।
यह देख एक बार को मैं घबरा गया।
मैं थोड़ी देर रुका।
बेड के सिरहाने रख पानी की बोतल में से पानी के छींटे उसके मुंह पर मारे।
पर मैंने उसकी चूत से अपना लंड नहीं निकाला।
मुझे पता था कि यदि मैंने उसकी चूत से अपना लंड निकाला तो वह मुझे दोबारा नहीं डालने देगी।
कुछ सेकंड बाद उसे होश आया, वह दर्द से कराह रही थी।
मैंने कहा- बस थोड़ी देर सहन कर लो, अभी ठीक हो जायेगा।
तब तक उसे थोड़ा आराम मिल गया था।
अब मैंने अपना लंड थोड़ा पीछे खींचा और फिर एक झटका दिया।
वह बोली- मैया मर गई … दादा, मुझे बचा लो।
मैंने कहा- धीरे रंजीता … शोर मत करो, आंटी अंकल जाग जायेंगे।
वह बोली- मुझे दर्द हो रहा है. ऐसा लग रहा है जैसे मेरी चूत में किसी ने छुरी घुसा दी है।
मैंने कहा- बस थोड़ी देर की बात है।
सही मायने में उसकी सील शादी के बाद आज ही टूटी थी।
मैं थोड़ा रुका फिर धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा।
अब उसको भी मजा आने लगा, वह भी मेरा साथ देने लगी।
फिर उसके मुंह से निकलने लगा- आह आह … ओह ओह … सी सीश्स … मेरे राजा … और जोर से चोदो … और चोदो। मैं बहुत प्यासी हूं। रमेश का लंड तो ढंग से खड़ा भी नहीं होता। आज मुझे पता चला है कि लंड से चुदाई क्या होती है।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
वह भी अपनी गांड उछाल कर साथ देने लगी।
मैं उसके चूचों मुंह में भर कर चूसने लगा और धक्के पे धक्का दे रहा था।
उसे भी मजा आ रहा था।
मैंने तेजी से स्पीड बढ़ा दी और तेजी से झटके दे कर अंत में उसकी सील तोड़ने में कामयाब हो गया और झड़ गया।
मैं उसके ऊपर निढाल होकर गिर पड़ा।
थोड़ी देर बाद मैं उठा तो देखा पूरा बिस्तर खून से सना हुआ था।
वह घबरा कर बोली- ये क्या हो गया?
मैंने कहा- पहली बार में ऐसा ही होता है।
वह बोली- पहली बार? पहली बार तो रमेश ने किया था सुहागरात में!
मैंने पूछा- तब तेरी चूत में से खून निकला था क्या?
वह बोली- नहीं!
मैंने पूछा- दर्द कितना हुआ था तब?
वह बोली- ना के बराबर!
तो मैंने उसको बताया- उसका लंड तो तेरी चूत में एक बार भी नहीं गया. तो बच्चा कैसे होता? तेरी सील तो आज मैंने तोड़ी है.
तब वह कुछ खुश हुई और उठने लगी.
तो उससे उठा नहीं गया, लड़खड़ा कर बिस्तर पर गिर गई।
मैंने उसे संभाला, उसकी चूत कपड़े से साफ की।
अपने लंड से वीर्य भरा कंडोम निकाला कर कागज की पुड़िया में डाला।
तब मैं उसे उसकी पेंटी ब्रा पहनाने लगा।
इतने में मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।
वह मेरा लंड देख कर बोली- डाक्टर साहब, आज बस … नहीं तो मैं मर जाऊंगी।
मैंने उसे पेन किलर और एंटी बायोटिक टेबलेट दी।
जिसे उसने पानी से निगल लिया।
उससे चलना तो दूर खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था।
उसे गोद में उठा कर उसके कमरे में छोड़ कर उसके बेड पर लिटा कर आया।
फिर मेरी नाइट ड्यूटी लग गई।
मैं शाम को 8 बजे जाता और सुबह 6 बजे आ जाता।
यह ड्यूटी 5 दिन की थी।
मैंने सुबह देखा तो रमेश आया हुआ था।
तभी मैंने उससे पूछा- दवाई फायदा कर रही है या नहीं?
वह बोला- बहुत फायदा है डाक्टर साहब!
मैंने पूछा- कितने दिन की छुट्टी लेकर आए हो?
वह बोला- डाक्टर साहब, छुट्टी नहीं है, वेतन काटेगा। दो तीन दिन रुकूंगा।
मैं समझ गया कि यह सेक्स की गोली का असर है। इससे कुछ होना जाना तो है नहीं पर इसकी संतुष्टि जरूरी है।
मेरे नाइट ड्यूटी के पांच दिन निकल गए।
रमेश भी चला गया।
छठे दिन मैं अस्पताल जाने की तैयारी कर रहा था कि रंजीता चाय लेकर आई।
बोली- आज रात को आती हूं।
मैंने कहा- ठीक है।
शाम हमेशा की तरह मैं अस्पताल से घर आया।
खाना खाकर टी वी देखते देखते सो गया।
रात 12 बजे रंजीता मेरे कमरे में दाखिल हुई।
मेरे बेड पर बैठ गई।
आज तो उसने गजब कर दिया।
वह बिल्कुल नंगी आई थी।
आज उसके चिकने गठीले बदन को देखकर मैं आश्चर्य चकित रह गया।
उसके कड़क बोबे उसकी आगे की भूरे रंग की निप्पल गजब ढा रही थी।
उसकी चूत पर काले काले घुंघराले झांट के बाल देख कर मैं उत्तेजना से भर गया।
वह पागल औरत सोच रही थी कि आज ही बच्चा पैदा हो जाये बस!
मैंने कहा- पहले तुम्हारी नीचे की शेविंग करता हूं, फिर इसकी पूजा करंगा, तब गर्भधारण करवाऊंगा।
तब मैंने अपना शेविंग किट निकाला।
उसे बेड के किनारे लेटा दिया, उसकी दोनों टांगें चौड़ी करके फोम लेकर उसकी झांटों पर स्प्रे किया।
थोड़ी देर रुक कर अंगुली से फोम को झांटों पर फैलाया।
फिर उसकी चूत के सुनहरे बालों को रेजर से धीरे धीरे करके साफ किया।
सच उसकी चूत बिल्कुल साफ हो कर खिल उठी।
उसकी चूत के पतले पतले गुलाबी होंठ उत्तेजना के कारण कभी सिकुड़ते कभी खुलते।
इससे उसकी चूत का का कौआ दिख रहा था।
मैंने पानी के स्प्रे कर उसे कपड़े से साफ किया।
आज मैंने कमरे में नाइट बल्ब के साथ बेड लैंप भी जला रखा था.
फिर मैंने एक थाली में अगरबत्ती तेल की शीशी रख कर अगरबत्ती जला कर उसकी चूत की आरती उतारी।
तब मैंने अपनी अंगुली में तेल लेकर उसकी चूत पर लगाया।
देसी वर्जिन भाभी चिहुंक उठी।
मेरा लंड पहले से ही सलामी दे रहा था।
मैंने बेड के किनारे पर उसकी टांगें फैला कर देर न करते हुए लंड का टोपा उसकी चूत के मुंह पर रख कर धीरे से एक झटका दिया।
वह जोर से चीखी।
मैंने झट से उसके मुंह पर अपना मुंह रख कर दबा दिया।
उसकी चीख उसके गले में घुट कर रह गई।
मेरा लंड 7 इंच का लंड उसकी चूत में 2 इंच अंदर घुस गया।
मैं थोड़ी देर रुका।
मैंने अपना लंड को थोड़ा पीछे खींचा और ठीक से पोजीशन ली और एक झटके में मेरा पूरा लंड उसकी बच्चेदानी तक समा गया।
वह तड़फने लगी।
पर वह आवाज कर नहीं सकती थी क्योंकि उसका मुंह मेरे मुंह से बंद था।
उसकी दोनों हाथों के पंजे मेरे हाथों में थे।
हां उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे।
मैंने अब धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए।
थोड़ी देर बाद उसकी चूत से चूत रस निकलने लगा वह कसमसा कर झड़ गई।
देसी वर्जिन भाभी चुदाई उसका में चूत रस लुब्रिकेंट का काम कर रहा था।
फच फ्च की आवाज आ रही थी।
अब उसे भी दर्द कम हो रहा था।
जब मुझे पूरा यकीन हो गया कि वह अब नहीं चिल्लाएगी।
मैंने उसके मुंह से अपना मुंह हटा लिया और उसके चूचों को चूसने लगा।
वह मस्त होकर ऊ ऊ ओ ओ ई इ कर रही थी।
उसने मेरा सिर के बाल अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया ओर कमर उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।
उसने उत्तेजना में अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए।
इधर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
वह दो बार झड़ चुकी थी।
पर मेरे झड़ने में अभी समय था।
वह बोली- और जोर से चोदो मेरे राजा! आज मुझे जन्नत का सुख मिल रहा है।
मैं धकाधक उसके चूत में अपना लंड पेले जा रहा था।
उसकी चूत से निकले चूत रस से मेरा लंड घापक से अंदर जाता ओर फच की आवाज से बाहर आता।
मेरा अब निकलने वाला था।
तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अंत में एक जोर की ठोकर मारी।
मेरा लंड उसकी बच्चे दानी में जाकर झड़ गया।
उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई।
मैं उसके ऊपर पसर गया।
उस रात मैंने उसे घोड़ी बना कर भी चोदा और अपने लंड के रस की की एक बूंद भी बाहर नहीं जाने दी।
इस तरह हमारी चुदाई का कार्यक्रम लगातार रोज चलता रहा।
एक दिन उसको उल्टियां होने लगी।
उसकी सास बोली- डॉक्टर साहब, रंजीता को उल्टियां हो रही हैं। इसका टेस्ट करा दो।
मैंने सास बहू को अस्पताल बुलाया।
प्रगनेंसी टेस्ट में उसके गर्भ धारण करने की पुष्टि हुई।
उसका महीना भी नहीं हुआ।
आंटी आंटी और बाबा के घर में खुशी की लहर दौड़ गई।
फिर मैंने उसकी चुदाई बंद कर दी।
मुझे डर था कि मेरे लंड के झटकों से गर्भपात न हो जाए।
तीन महीने बाद मैंने उसकी चुदाई शुरू कर दी।
नौ महीने बाद उसके बेटा हुआ।
रमेश, रंजीता, आंटी अंकल सभी खुश थे।
एक दिन आंटी बोली- डाक्टर साहब, आपका यह एहसान हम जिंदगी भर नहीं भूलेंगे। बस एक अहसान और कर दें. मेरे गांव में भतीजे की बहू को शादी हुए 5 साल हो गए। उसके भी बच्चा नहीं हुआ है। उसका भी इलाज कर दो।
तो मैंने कहा- बुला लेना उसको … मैं देख लूंगा।
वह कहानी अगली बार!
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