मकान मालकिन भाभी की चूत गांड चुदाई

मकान मालकिन भाभी की चूत गांड चुदाई


हार्डकोर सेक्स विद पड़ोसन का मजा मुझे मेरी मकान मालकिन ने दिया. एक रात मैं उसे याद करके लंड सहला रहा था कि उसका मेसेज आया. वो मेरे दरवाजे पर खड़ी थी.
नमस्कार दोस्तो, हिन्दी सेक्स कहानी पर सभी लंडधारियों और चूत वालियों का मैं आपका राज शर्मा स्वागत करता हूं.
ऐ खुदा देख ली तेरी खुदाई,
दो टांगों के बीच
क्या चीज़ है तूने बनाई.
दोस्तो, मेरी पिछली सेक्स कहानी
मकान मालकिन ललिता भाभी की गांड मारी
में मैंने आपको बताया था कि किस तरह से मैंने अपनी मकान मालकिन ललिता भाभी को दो दिन तक खूब चोदा था.
ललिता भाभी का फिगर साइज कुछ यूं था. उसके 36 इंच के भरे हुए मम्मे, बलखाती कमर 30 इंच की और 38 इंच के दो मस्त गदराये चूतड़ों के बीच में भरी हुई गोल छेद वाली मखमली गांड.
जिस्म का रंग एकदम गोरा, गुलाबी रसभरे होंठ और नशीली आंखें किसी को भी गर्म कर दें.
उसकी कातिल जवानी को देखकर बूढ़ा भी जोश में आ जाए, फिर मैं तो मोटे लम्बे लंड वाला एक कड़ियल जवान मर्द था.
पिछली सेक्स कहानी में ललिता भाभी की गांड चुदाई के बाद सा कुछ पहले जैसा नार्मल चलने लगा था.
मैं ड्यूटी आते जाते समय अम्मा जी और दिव्या से मिलने लगा और मेरी ललिता भाभी से आंखों ही आंखों में बात होने लगी थी.
हम दोनों की चुदाई को हुए लगभग 15 दिन हो चुके थे. हम दोनों के बीच दुबारा सेक्स नहीं हुआ था.
एक रात को मैं अपने रूम में अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ रहा था तभी ललिता भाभी का मैसेज आया ‘क्या कर रहे हो?’
मैंने कहा- कुछ नहीं … तुम्हारी याद में लंड हिला रहा हूं.
वो हंसने लगी.

मुझे गुस्सा आ गया.
मैंने कहा- हंस लो, जब मिलोगी तो बताऊंगा.
वो अदा से बोली- क्या बताओगे?
फिर मैंने कहा- कितने दिन हो गए ललिता … तुझे खुद याद नहीं आती मेरी?
वो बोली- हां यार आती तो है, पर क्या करूं … आजकल दिव्या मेरे साथ सोने लगी है.
मैंने कहा- तो क्या अब मुझे लंड हिला कर ही काम चलाना पड़ेगा?
वो हंस कर बोली- मेरे राजा, दरवाजा तो खोलो.
मैंने बिस्तर से उतर कर जैसे दरवाजा खोला, मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.
मैंने सामने खड़ी ललिता भाभी को गोद में उठा लिया और अन्दर ले आया.
मैं उसे गोद में लेकर ही चूमने लगा और बिस्तर पर लिटा कर उसके होंठों को चूसने लगा.
दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूस रहे थे.
फिर ललिता भाभी बोली- राज पहले दरवाजा बंद कर लो.
मैंने दरवाजा बंद कर दिया और फिर से आकर चूमने लगा.
ललिता भाभी ने बस मैक्सी पहन रखी थी और मैं अंडरवियर में था.
मैंने ललिता भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी मैक्सी उतार दी.
फिर उसके ऊपर आकर दोनों चूचियों को चूसने लगा और होंठों को चूमने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगी.
भाभी ने भी मेरी अंडरवियर उतार दी और लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी.
अब हम दोनों 69 में आ गए.
मेरा लंड ललिता गपागप गपागप लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी और मैं उसकी चिकनी गुलाबी चूत को चाटने लगा.
मैंने उसकी चूत में जीभ घुसेड़ कर चोदना शुरू किया, तो वो लंड को जल्दी जल्दी चूसने लगी और काटने लगी.
मेरा जोश बढ़ गया.
मैं भी जल्दी जल्दी धक्के लगाने लगा और जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा.
उसकी चूत 15 दिनों की प्यासी थी, उसने जल्दी ही पानी छोड़ दिया और मैं गटगट करके पी गया.
झड़ने के बाद भाभी निढाल हो गई थी.
मैंने जल्दी जल्दी धक्के लगाने शुरू कर दिए.
वो लंड को चूसने लगी और मेरे लौड़े ने अमृत उसके मुँह में छोड़ दिया.
ललिता पूरा रस पी गई और उसने लंड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
हम दोनों सीधे होकर बिस्तर पर लेट गए और धीरे धीरे एक-दूसरे को चूमने लगे.
मैं ललिता भाभी की दोनों चूचियों को मसलने लगा.
वो आहह आहह करके मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी.
हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे और ललिता भाभी मेरा लंड सहलाने लगी.
भाभी ने लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
कुछ पल बाद मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और नीचे तकिया लगा दिया.
वो चूत उठा कर मेरे लंड को वासना से देखने लगी.
मैंने आंख मारी तो उसने जल्दी से लंड पेलने का इशारा किया.
मैंने भाभी की चूत में लंड झटके से घुसा दिया और चोदने लगा.
एकदम से लंड लेने से भाभी सिहर गई और ‘उंह आन्ह मर गई …’ कह कर लंड लीलने लगी.
मैंने भाभी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और झटके लगाने लगा.
अब ललिता भाभी भी अपनी कमर हिला हिला कर चुदाई में पूरा साथ दे रही थी.
मैंने अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा दी और सटासट सटासट अन्दर बाहर करने लगा.
पांच मिनट में ही ललिता भाभी चिल्लाने लगी- आंह राज … और तेज और तेज चोदो मुझे … आज कितने दिन बाद मुझे ये लंड मिला है.
मैं और जोश में आकर जल्दी जल्दी झटके लगाने लगा और भाभी की दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसने मसलने लगा.
फिर उसने कहा- पोज बदल कर चोदो.
मैंने ललिता भाभी को घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड चूत में पेल कर चोदने लगा.
भाभी ‘आहह आहह …’ करके तेजी से अपनी गांड आगे पीछे करके साथ देने लगी.
मैंने उसकी चोटी पकड़ ली और उसे हचक कर किसी घोड़े के समान चोदने लगा.
इससे भाभी ‘आहह आहह और चोद और चोद …’ चिल्ला रही थी.
अब उसकी गांड की थप थप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी थी.
आज पूरे 15 दिन बाद हम दोनों चुदाई कर रहे थे.
ललिता भाभी पूरे जोश में आ गई थी और आहह आहह करके अपनी गांड को तेजी से चला रही थी.
मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया और झटके मारने लगा.
भाभी की रफ्तार धीरे धीरे कम होने लगी.
यह देख कर मेरा मजा कुछ कम हुआ, तो मैंने उसे उठाकर अपने लंड पर बैठा दिया.
मेरा लंड खुली चूत में आराम से अन्दर चला गया और वो आहह आहह करके उछलने लगी.
मैंने भाभी की दोनों चूचियों को फिर से पकड़ लिया और गांड उठा कर धीरे धीरे धक्का लगाने शुरू कर दिए.
अब ललिता भाभी की रफ्तार अचानक से तेज होने लगी और वो आहह आहह करके जल्दी जल्दी लंड पर कूदने लगी.
इस वक्त भाभी मानो मुझे चोदने लगी थी और मैं उसकी चूचियों को पूरी दम से दबाने लगा था.
उसके लौड़े पर कूदने से थप थप और फच फच की आवाज आ रही थी.
साथ में भाभी की ‘फक मी राज आहह आहह …’ की आवाज़ गूंज रही थी.
कुछ देर में ललिता भाभी की रफ्तार कम होने लगी तो मैंने नीचे से अपने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी और चोदने लगा.
तभी ललिता भाभी ने ‘आआहह …’ के साथ पानी छोड़ दिया और चूत में झरना फूट जाने से लंड चूत में फच्च फच्च करके अन्दर बाहर शंटिंग करने लगा.
चूत का पानी बाहर निकल कर मेरी जांघों पर बहने लगा.
मैंने भाभी को सीधा लिटा कर चोदने लगा और दोनों चूचियों को एक साथ मिला कर चूसने लगा.
कभी उसके होंठों को चूसने लगता.
मेरा गीला लंड फच्च फच्च करके अन्दर बाहर अन्दर बाहर हो रहा था, जिससे भाभी की उत्तेजना फिर से जागने लगी थी.
वो तेजी में आ गई और मुझसे चुदाई का मजा लेने लगी.
पांच मिनट बाद भाभी फिर से स्खलित होने के कगार पर आ गई थी.
तभी मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और झटके लगाने लगा. फिर एकदम से मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया.
हम दोनों चिपक कर लेट गए.
रात के 12 बज चुके थे.
हम दोनों एक-दूसरे से चिपक कर लेटे हुए थे.
ललिता भाभी बोली- राज, अब तो खुश हो न!
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा.
फिर मैंने कहा- हां मेरी जान … आई लव यू ललिता. एक बार और लूंगा.
उसने भी मुझे आई लव यू राज कहा और दुबारा की हामी भर दी.
थोड़ी देर बाद दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और मैंने अपना हाथ ललिता की चूत में रखकर सहलाना शुरू कर दिया.
ललिता भाभी की चूत गर्म थी.
मैंने अपनी दो उंगलियां डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा.
इससे ललिता भाभी आहह आहह करने लगी.
मैंने उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और तेजी से उंगली से चूत को चोदने लगा.
अब भाभी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी.
फिर वो उठकर मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी.
कुछ ही पलों में भाभी अपने रंग में आ चुकी थी और मंजी हुई रांड की तरह गपागप गपागप अपने अंदाज से लंड को चूसने में लगी थी.
मैं चुपचाप लेटा था और उसको उसकी मनमानी करने की आजादी दे चुका था.
लंड चूसने के बाद वो अपनी चूत को लंड पर रखकर बैठ गई और मेरे हाथ अपनी चूचियों पर रखकर उछलने लगी.
मैं उसकी चूचियों को बारी बारी से दबा रहा था. वो लंड पर सवार होकर उछल उछल कर चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी.
आज उसके चेहरे पर चमक बढ़ने लगी थी और आहह आहह करके अपनी रफ़्तार बढ़ा कर मेरे लौड़े को चोदने लगी.
जांघ से जांघ टकराने से थप थप की आवाज़ आने लगी.
मैं चूचियों को मसलने लगा.
वो आहह आहह करके अपनी कमर चलाने लगी और उछल कर अपनी गांड पटकने लगी.
ललिता भाभी आज किसी पोर्नस्टार की तरह मस्ती में चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी.
आज मुझे उसे चोदते हुए रेखा आंटी और अपनी सगी चाची की याद आ रही थी.
कुछ देर बाद मैंने ललिता को घोड़ी बना दिया और लंड घुसा कर चोदने लगा.
उसकी पीठ को चूमने लगा. वो अपनी गांड आगे पीछे करके मस्ती से चुदाई करवाने लगी.
मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और गर्दन पर चुम्बन करने लगा.
उसकी गांड की थप थप मुझे जोश चढ़ा रही थी.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और झटके लगाने लगा.
अब दोनों अपनी अपनी रफ़्तार से अपनी कमर चलाने लगे और चुदाई का भरपूर आनन्द ले रहे थे.
मैंने ललिता को उठाकर बिस्तर के किनारे लिटा दिया और उसकी एक टांग अपने कंधे पर रख कर चोदने लगा.
अब लंड सनसनाता हुआ अन्दर बच्चादानी तक जाने लगा.
वो ‘आहह आहह और चोद साले फाड़ दो आ आहह आहह फक मी राज आआ हहह …’ करके चिल्ला रही थी और मैं अपनी पूरी रफ्तार से चोदने में लगा हुआ था.
ललिता भाभी मेरी पीठ पर नाखून गड़ाने लगी.
मैंने अपने झटकों की रफ्तार और तेज कर दी.
अब मेरा हर झटका उसकी चीख बढ़ाने लगा.
मैं उसकी दोनों चूचियों को बारी बारी से दबाने लगा और सटासट सटासट अन्दर बाहर करने लगा.
ललिता भाभी की चूत ने रसधारा छोड़ दी फच्च फच्च करके लंड अन्दर बाहर करने लगा.
मैंने भाभी को उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और ऊपर चढ़कर चोदने लगा.
ललिता भाभी ‘आहह आहह …’ करके अपनी चूचियों को मसलने लगी और मैं तेजी से चोदने लगा.
अब मेरा लंड भी मंजिल पर पहुंच गया था और झटके के साथ लंड ने पिचकारी छोड़ दी.
मैं चूत में लंड डाले हुए ही ललिता भाभी के ऊपर गिर गया.
दस मिनट बाद दोनों उठकर बाथरूम चले गए.
वापस आकर समय देखा तो 2 बज चुके थे.
आज दोनों को नींद नहीं आ रही थी.
अब मेरी नज़र ललिता भाभी की गांड पर गई. मैंने उसे बताया, तो वो चुपचाप जाकर तेल की शीशी उठा कर बिस्तर पर आ गई.
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे.
ललिता के हाथ मेरा लंड लग चुका था वो लंड को हिला रही थी.
ललिता ने देर न करते हुए मेरे लौड़े को चूसना शुरू कर दिया और गपागप गपागप लॉलीपॉप की तरह बड़ी मस्ती से चूसने लगी.
फिर मैंने उठाकर ललिता को घोड़ी बना दिया और उसकी गांड पर तेल गिरा दिया और छेद पर उंगली से मालिश करने लगा.
मैंने अपने लौड़े पर तेल लगाया और गांड में गिराकर जैसे ही धक्का लगाया, ललिता भाभी ‘ऊई ईई ऊईईई आहह आहह …’ करने लगी.
मैंने रूककर उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया और चूचियों को मसलने लगा.
धीरे धीरे वो अपनी कमर चलाने लगी मैंने एक झटका और दिया पूरा लौड़ा अन्दर चला गया.
अब वो आहह आहह करके अपनी गांड आगे पीछे करने लगी, मैं भी तेज़ी से चोदने लगा.
मेरे कमरे में थप थप की आवाज़ गूंज रही थी और दोनों एक-दूसरे को आहह आहह करके जोश दिला कर चुदाई का भरपूर आनन्द ले रहे थे.
कुछ ही देर में गांड से दर्द खत्म हो गया और मजा आने लगा.
ललिता भाभी अपने रंग में आ गई थी और अपनी गांड का दबाव लंड पर डाल रही थी.
मैंने उसकी चूचियों को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया और झटके लगाने लगा.
ललिता भाभी ने कहा- मुझे लंड की सवारी करनी है.
मैंने ओके कहा.
वो उठकर मेरे लंड पर गांड रखकर बैठ गई.
लंड सटाक से अन्दर चला गया और ललिता भाभी अब धीरे धीरे उछलने लगी.
ललिता भाभी की दोनों चूचियां मेरे हाथों में थीं.
अब दोनों अपनी कमर चलाने लगे और धीरे धीरे रफ्तार बढ़ाने लगे.
कमरे में थप थप की आवाज़ बढ़ने लगी और ललिता ‘फक मी राज आआह …’ करके उछल उछल कर अपनी गांड पटकने लगी.
ललिता की गांड का छेद अब खुल चुका था और दर्द की जगह अब मजा ने ले ली थी.
अब ललिता को पहले से भी ज्यादा मज़ा आ रहा था.
ललिता लंड से उठ गई और चूसने लगी वो लॉलीपॉप की तरह लंड को बड़े प्यार से चूस रही थी.
मैंने उसे वापस घोड़ी बनाया और उसकी चोटी पकड़ कर गांड में लौड़ा घुसा कर चोदने लगा.
अब वो एक घोड़ी की तरह उचक उचक कर लंड ले रही थी.
हम दोनों ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और थप थप की आवाज़ से लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा.
हार्डकोर सेक्स के आखिर में लंड ने ज्वालामुखी विस्फोट कर दिया और वीर्य से ललिता की गांड को भर दिया.
हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और चिपक कर आहह आहह करके अपनी सांसों के सामान्य होने का इंतजार करने लगे.
दस मिनट बाद दोनों सामान्य हो गए थे और रात के 3:30 का समय हो चुका था.
ललिता भाभी ने अपनी मैक्सी पहनी बालों का जूड़ा बनाया और होंठों को चूमने लगी.
थोड़ी देर बाद दोनों अलग हुए.
वो मुस्कुराती हुई चुपके से अपने घर चली गई.
मैं ऐसे ही दरवाजा बंद करके सो गया.
सुबह 8 बजे मेरी नींद खुली तो मैं जल्दी से तैयार होकर ड्यूटी चला गया.
रात भर की चुदाई से आज ड्यूटी में थकावट का असर दिख रहा था.
दोस्तो, इस तरह ललिता भाभी को मैंने 15 दिन बाद फिर से एक बार जमकर हार्डकोर सेक्स किया.
आपके प्यार भरे मेल और कमेंट्स का स्वागत रहेगा.
धन्यवाद.
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