सबसे पहले आप सभी का धन्यवाद कि मेरी प्रकाशित पंजाबी चुदाई कहानी
नौकर से जवानी की प्यास बुझाई
को आप सभी ने खूब पसंद किया और मेरी कहानी को प्यार दिया. जिसका सबूत है मेरा मेल बॉक्स, जिसमें मेलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
दोस्तो, औरत खाना खाने के बिना फिर भी भूखी रह सकती है, दो कपड़ों में गुज़ारा भी कर सकती है, अगर उसका पति उसकी उसके जिस्म की ज़रूरतों तो बख़ूबी पूरा करता रहे.
मेरा हाल उल्टा है, मेरी भुआ(पंजाबी में बुआ को भुआ कहते हैं) ने लड़का तो बहुत अमीर ढूंढ कर दिया, पर वो तो मेरी जिस्म की आग ठंडी करने के बजाए मेरी क़ातिल जवानी की आग से पिघल जाता है. यही कारण था कि मैंने अपनी भूख मिटाने के लिए अपने नौकर भीम का सहारा लिया. अब मेरे पास वही एक सहारा था. क्योंकि ससुराल आने के बाद मैं ज्यादा घर से निकल नहीं पाती थी.
अन्तर्वासना पर पंजाबी चुदाई कहानी प्रकाशित होने के बाद मेरे जीवन में पहली बहार आई थी. मैं मेरे मेल बॉक्स को देख रही थी कि तभी मेरी नज़र उस मेल पर गई, जिसके साथ एक अटेचमेंट था. मेल करने वाले का नाम था सुनील राठौड़, उसने अपने लंड की कई फोटोज भेजते हुए लिखा था कि पम्मी लंड पसंद आए, तो जवाब जरूर देना और बताना कि पंजाब में कहां की रहने वाली हो.
उनके मोटे लम्बे लंड को देख देख मेरी तो सलवार में मानो आग सी लगने लगी हो. सुनील जी का लंड पूरा 8 इंच लंबा और काफी मोटा लंड था. मैंने बिस्तर में लेटे हुए उनका लंड देख कर नाड़ा खोला और अपनी सलवार में हाथ घुसा दिया. फिर मैंने अपनी फुद्दी को सहलाया और सोचने लगी कि काश यह लंड अभी अपनी फुद्दी में फंसा लूं और तब तक ना निकालूं, जब तक फुद्दी पानी पानी नहीं हो जाती.
मैंने सुनील जी को जवाब दिया कि मैं इस शहर (यहां नाम नहीं बता सकती) की रहने वाली हूं और मुझे आपका लंड बहुत ही ज्यादा पसंद आया है.
कुछ देर बाद उनका रिप्लाई आया- वाओ … पम्मी मेरी पोस्टिंग इसी शहर में है. मैं फौजी हूं और एयरपोर्ट रोड पर ग्रीन फील्ड में अपने एक दोस्त के साथ किराये पर रहता हूं. मेरा परिवार उत्तराखंड में है. अभी हम दोनों की इस शहर में पोस्टिंग हुए डेढ़ महीना ही हुआ है.
मैंने बात आगे बढ़ाई तो उन्होंने कहा कि क्या तुम बिना चेहरे की अपनी कुछ कामुक तस्वीरें भेज सकती हो.
मैंने दरवाज़ा बंद किया और सलवार नीचे खिसका कर अपनी फुद्दी की कुछ तस्वीरें खींच लीं और अपनी रसीली चुचियों की कुछ सेक्सी तस्वीरें उनको भेज दीं.
कुछ देर बाद सुनील की मेल आई कि वो पागल हुए जा रहा है और वो मेरी पंजाबी फुद्दी की चुदाई करना चाहता है.
मैं भी गनगना गई थी.
सुनील जी ने आगे लिखा था कि मैं अपना पूरा लंड तेरे मुँह में डाल चुसवाना चाहता हूं.
मैं चुप रही तो उन्होंने अपना नंबर मुझे दिया और बोले कि अगर विश्वास हो तो कॉल कर लेना.
मैंने उनकी बात से दिमाग लगाया और सोचा कि उनके पास जगह भी है. मेरी फुद्दी की आग मचने लगी थी. मैं सोचने लगी कि क्या इस बंदे को कॉल करूं या न करूं. मैं बार बार उनके लंड की तस्वीर को चूम लेती और अपनी फुद्दी को रगड़ने लगती. सुनील जी के लंड ने मुझे पागल कर दिया था.
फिर मैं उठी, सलवार बांधी और दरवाज़ा खोल पानी पीने गई. मेरे जिस्म में एकदम से गर्मी सी आ गई थी. आज भीम सुबह नहीं आया था.. वरना जितनी आग लगी थी, उससे बुझवा लेती. रूम में वापस जाकर रूम बंद करके मैंने सुनील जी को फोन मिलाया.
उन्होंने फ़ोन उठाया तो मैंने अपना परिचय दिया. सुनील मेरी आवाज सुनकर बहुत खुश हुए और बोले- पम्मी, तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हारी पंजाबी फुद्दी जब से देखी है, मेरा तो लंड ही नहीं बैठ रहा.
मैं कहा- क्या बताऊं सुनील जी, मेरा भी बुरा हाल है.
सुनील बोले- पम्मी आओगी मेरे पास? हम दोनों लोग भी बहुत दिनों से प्यासे हैं.
मैंने कहा कि मुझे बहाना लगाना होगा. आपको रात तक बताउंगी.
रात को मेरे पति प्रीतम रोज़ की तरह पीकर आये और उनकी बांहों में मैंने बड़े प्यार से कहा- जानू, मुझे आज ही पता चला कि मेरी स्कूल की सहेली अमनजोत यहीं पास रहती है, फेसबुक पर उससे मेरी आज बात हुई है. क्या कल कुछ देर में अमन के घर चली जाऊं?
प्रीतम ने मेरी फुद्दी में अपना छोटा सा लंड डालते हुए कहा- क्यों नहीं, तुम कभी भी जा सकती हो.
बस एक आधा मिनट की पुल्ल पुल्ल वाली चुदाई करके प्रीतम लुढ़क गए और सोने के लिए लेट गए. मैं फुद्दी धोने के लिए बाथरूम गयी और वहां मैंने सुनील जी को मैसेज किया कि कल सुबह में आऊँगी. मैं सुबह उठकर मैसेज करूँगी, तब आप अपनी लोकेशन भेज देना.
मुझे उस रात बड़ी मुश्किल से नींद आयी और सुबह भी जल्दी उठ गई कि कहीं प्रीतम निकल न जाए.
सुबह उठकर मैंने प्रीतम से पूछा- क्या आपको मेरी रात की बात याद है?
प्रीतम बोले- इतनी भी नहीं पी थी.
मैं- क्या मुझे ग्रीन फील्ड के बाहर छोड़ दोगे?
वो बोले- हां क्यों नहीं.
मैंने बाथरूम में जाकर सुनील के नंबर को अमन के नाम से सेव किया औऱ उनको कहा कि लोकेशन भेजो.
मैंने लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहनी ऊपर काला सूट डाला. मैं बिल्कुल क़यामत दिख रही थी. प्रीतम ने ही मां जी को सब समझा दिया. और उनके साथ ही मैं निकल आई.
प्रीतम बोले- घर कौन से ब्लॉक में है?
मैंने कहा- उसने यह लोकेशन भेजी है. मुझे डर भी बहुत लग रहा था कि कहीं प्रीतम मुझे यह न कह दें कि उसके घर छोड़ देता हूं.
प्रीतम बोले- यह अन्दर जाकर सी ब्लॉक है. मैं तुम्हें वहीं पर छोड़ देता हूं.
यह सुनकर मेरी तो सांसें तेज़ हो गईं.
हम ग्रीन फील्ड के अन्दर दाखिल ही हुए थे कि देखा सीवरेज का काम चल रहा था.
मैंने कहा- आप यहीं उतार दीजिये.
प्रीतम- क्या तुम चली जाओगी?
मैं- हां बाबा … मैं बच्ची थोड़ी हूं.
प्रीतम के जाने के बाद मैंने सुनील जी को कॉल किया, तो वो बोले कि सी ब्लॉक की टंकी के पास आ जाओ.
फोन से बात करते करते, डरते हुए मैंने इतना बड़ा कदम एकदम से उठा लिया था. मैं लंड की चाह में सुनील जी के घर पहुंच ही गई.
उधर नीचे कोई नहीं रहता था, बाहर से सीढ़ियां ऊपर को जाती थीं. सुनील जी मुझे लेने आए. मैं उनके पीछे पीछे गांड हिलती मटकाती ऊपर पहुंच गई.
सुनील जी- आइए पम्मी जी, वेलकम थैंक्स.. आपने मेरी मेल पढ़ी और इतनी जल्दी मेरा न्यौता स्वीकार कर लिया.
तभी बाथरूम से एक और मर्द निकला. इससे पहले कुछ बोलती, सुनील जी बोले- यही है मेरा पार्टनर अजय. इसने भी आपकी कहानी पढ़ी है.
अजय बोला- हैलो पम्मी.
मैंने जवाब दिया- हैलो.
वे दोनों मुझे भूखी खा जाने वाली नजरों से देखने लगे.
सुनील जी बोले- पम्मी मेरी जान, बैठो और क्या लोगी?
उन दोनों हट्टे कट्टे मर्दों को देख मेरी फुद्दी में कुछ कुछ होने लगा. मैंने भी थोड़ी कामुक सी नज़रों से सुनील की तरफ देख कर बोला- जो आप दोगे, वही ले लूंगी.
सुनील ने मेरी कमर में हाथ डाला और अपनी तरफ खींचते हुए कहा- वो तो तुझे मिलेगा मेरी जान, उससे पहले चाय, कॉफी कोल्ड ड्रिंक या फिर कोई ड्रिंक.
उनके चौड़े सीने पर उंगलियों को फेरते हुए कहा- जो मर्ज़ी पिला दो सुनील.
तभी अजय उठा और रसोई में से तीन मग बियर डाल कर ले आया- लो पम्मी जान, तुम्हारे आने की ही खुशी में मंगंवा रखी थी.
उसने मेरी चुनरी उतार फेंकी, जिस वजह से मेरे पहाड़ जैसे चूचे और उनके बीच का चीर … और चीर के बीच मेरा लॉकेट खेल रहा था.
‘लो मेरी जान … चियर्स!’
सभी ने ग्लास होंठों पर टिकाये. सुनील मेरी बग़ल में बैठ गए थे. उन्होंने अपने होंठ मेरी गर्दन से रगड़े, तो मेरे बदन में वासना की तरंगें उठने लगीं. वो खेला हुआ खिलाड़ी था, औरत कहां से गर्म होती है, उसका स्टार्टर किस जगह होता है. उन्हें इस सबका बखूबी पता था.
मैंने बियर का मग खाली कर रखते हुए अपना हाथ सुनील की गर्दन पर रख दबाव देते हुए उनके होंठ अपने चूचों के चीर पर टिका दिए. मैंने अजय की तरफ देखा, जो वहीं बैठा, अपने लंड को लोअर के ऊपर से मसल रहा था.
मुझे नशा सा हुआ तो मैंने सुनील को कहा- उफ आह मेरे राजा … खुलकर खेलो न मेरी जान.
उन्होंने आगे बढ़कर मेरी कमीज उतार फेंकी. अन्दर लाल रंग की ब्रा में कैद मेरे कबूतर देख वो पागल से हो गए और मेरी पीठ को चूमते हुए दांतों से मेरी स्ट्रिप खोल दी. फिर उन्होंने दांतों से ही मेरी सलवार के नाड़े को खोल दिया. सलवार को नीचे सरका कर उन्होंने मेरी रेशमी जांघों को सहलाते हुए, चूमते हुए मेरी फुद्दी को पैंटी के ऊपर से चूम लिया. मैं तो मानो मदहोश हो गई. वो मेरी जांघों को चूमते रहे.
तभी मैंने देखा कि अजय अपना बड़ा सा काला लंड निकाल कर हिला रहा था. इधर सुनील जी ने भी मेरी पैंटी भी उतार दी और मेरी फुद्दी पर जुबान फेर दी. मैं तड़पने लगी. मैंने अजय को देख अपने होंठ काटते हुए होंठों पर जुबान फेरी और उसे अपनी तरफ बुलाया.
वह जैसे मेरे करीब आया, मैंने झपट कर उसके काले लंड को पकड़ लिया और सुपारे पर ज़ुबान फेर दी.
उसने अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया. अब सुनील जी ने मुझे उठाया औऱ बिस्तर पर पटक दिया. मेरी नंगी पजाबी जवानी दो दमदार मर्दों के सामने बिस्तर पर लुटने को तैयार पड़ी थी.
अजय अब मेरे चूचों को दबाने चूसने काटने लगा. मेरे मुख से उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल रहा था.
मैंने सुनील जी को अपनी तरफ खींचा और उनके लोअर को उतारने लगी- मेरे राजा, तुम भी तो दिखाओ अपना हथियार … जिसकी कल मैंने तस्वीर देखी थी और देखने के बाद फुद्दी में आग लग गई थी.
उनका लंड नाग की तरह मेरे सामने फनफना रहा था.
‘उई मेरे राजा..’
मेरे होंठ उनके लंड को चूसने के लिए तड़पने लगे. बिना समय गंवाए मैंने उनके आधे लंड को मुँह में भरकर चूसना चालू किया. उधर अजय भी मेरे रेशमी बदन को चूमता जा रहा था.
लंड चूसते चूसते मैंने अपनी गांड उठा फुद्दी को ऊपर किया, जिसको अजय समझ गया और उसने अपने होंठ मेरी गर्म फुद्दी पर टिका दिए.
“आह ओह चाट और चाट.. घुस जा मेरी फुद्दी में.. फौजी..”
इधर सुनील ने मेरे बालों को खींचते हुए पूरा लंड मेरे मुँह में फंसा दिया. मैं खांसने लगी. कभी वो लंड बाहर निकालते, कभी अन्दर तक डाल देते.
अजय की फुद्दी चटाई की वजह से मेरी फुद्दी की आग बढ़ गई और मैंने लंड मुँह से निकाल लिया. मैं फुद्दी में लंड डलवाने का वास्ता देने लगी.
सुनील बोला- डालते हैं मेरी जान.. क्यों तड़प रही हो?
सुनील जी ने लंड मुँह से निकाला और अजय को हटा कर मेरी टांगें उठा बीच में आ गए- ले पंजाबी कुतिया अब तेरी फुद्दी फटने वाली है.
यह कह उन्होंने झटका मारा औऱ मोटा लंड घुसा दिया. एक बार तो दर्द हुआ, पर मैं भी चुदासी कुतिया थी, लंड सहन कर गई. उन्होंने भी बेदर्दी से पूरा लंड जड़ तक डाल दिया.
अजय ने आकर मेरे मुँह में लंड ठूंस दिया और उधर सुनील जी ने मेरी फुद्दी पर ऐसे झटके लगाने शुरू किए.. मानो बुलेट ट्रेन चल रही हो, झटकों से मेरे चूचे उछल रहे थे. कमरे में मेरी मीठी चीखें गूंज रही थीं उधर अजय मेरे थूक से गीला लंड निकाल कर मेरे गालों पर मल देता, कभी आंखों पर लगा देता. आह क्या गरम सीन था.
“आह सुनील चौड़ी कर दे.. फाड़ दे फुद्दी ओह.. तेज़ आह..”
दस मिनट की अलग अलग तरीकों से चुदाई के बाद, जिस बीच में मैं एक बार पानी छोड़ चुकी थी, सुनील जी के लंड की पिचकारी ने मेरी फुद्दी की आग को ठंडा कर दिया और मैं भी दुबारा झड़ गई. सुनील जी ने मेरी फुद्दी से गीला लंड निकाल मेरे मुँह में दे दिया और मैंने भी चाट चाट लंड साफ कर दिया.
सुनील जी एक तरफ लुढ़क गए, पर अजय तो अभी बाकी था. उसने मुझे घोड़ी बना दिया. मेरी फुद्दी पर लंड टिकाकर झटका देकर लंड फुद्दी में घुसा दिया. उसकी मजबूत जांघें जब मेरे नरम चूतड़ों पर टकरातीं, तो मुझे और मज़ा आता.
कुछ देर घोड़ी बना कर चोदने के बाद उसने मुझे अपनी गोदी में बिठा लिया. मेरे चूची उसकी चौड़ी छाती से दब गईं. मैं उसके गले में बांहें डाल कर उछल उछल चुदने लगी. जब उसका छूटने वाला था, तो उसने मुझे बिस्तर पर पटक लंड घुसाकर तेज़ झटके दिए और दोनों एक साथ झड़ गए. वो मेरे ऊपर लेट हांफने लगा. मेरी फुद्दी में जो आग लगी थी, उन दोनों के लंड ने बुझा दी.
हम तीनों नंगे ही बैठ बियर पीने लगे. सुनील जी ने गिलास में लंड डुबो कर मेरे मुँह में लंड घुसा दिया. अजय ने मुझे लिटाया और मेरी नाभि पर बियर डाल चाटने लगा.
सुनील जी का लंड भी दुबारा खड़ा हो गया. उन्होंने फिर से मेरी फुद्दी चाटते हुए मेरी गांड पर उंगली फेरी और बोले- पम्मी अबकी बार तेरी पजाबी गांड मारूँगा.
मैंने कोई आपत्ति नहीं की तो उन्होंने मुझे पलटा दिया. मेरी गांड पर थूक कर उस पर लंड रख आगे धकेल दिया. दर्द से मेरी चीख निकल गई.
वो बोला- अजय इस कुतिया का मुँह बंद कर..
अजय ने अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया और पीछे से सुनील जी ने जोर से झटका मार दिया. मेरी गांड फट गई. उन्होंने थोड़ा रुक फिर से एक तगड़ा झटका दे दिया, कुछ देर ऐसा करने के बाद मुझे सकून मिला और अब मुझे भी गांड मराने में मज़ा आने लगा.
मेरी गांड चुदाई एक बड़े लंड से हो रही थी और दूसरी तरफ कुतिया की तरह मैं फौजी का लंड चाट रही थी.
अजय बोला- राठौड़, इसका सेंडविच बनाते हैं.
मैं समझ गई कि एक साथ फुद्दी और गांड एक साथ बजने वाली है. वही हुआ.
सुनील जी ने लंड निकाला और सीधा लेट गए. उन्होंने अपनी तरफ मेरी पीठ करवा मुझे लंड पर बिठा लिया. ऊपर से मेरी फुद्दी मुँह खोल कर अजय के लंड को डलवाने के लिए तैयार थी. अजय ने भी लंड घुसा दिया और मेरी कामुक मीठी सिसकारियों से रूम गूंजने लगा.
धमाकेदार चुदाई का खेल चलने लगा. फिर पहले सुनील जी ने मेरी गांड में माल गिराया और फिर कुछ देर बाद अजय ने भी पानी फुद्दी में भर दिया. उन धाकड़ फौजियों से चुद कर हल्की हो चुकी थी.
मैं- क्यों सुनील जी मज़ा आया था ना आपको. आपके भूखे लौड़ों को मेरी भूखी पंजाबन फुद्दी ने कैसे खाया.
सुनील- सच में पम्मी यार तू मस्त पंजाबी माल है.
चुदाई के बाद मैं अपने घर ऑटो से आ गई.
दोस्तो, यह थी मेरी अन्तर्वासना के ज़रिए मेरी पंजाबी चुदाई. अभी तक दुबारा सुनील जी से नहीं मिली. जल्दी अपनी कोई नई चुदाई लेकर हाजिर होऊंगी.
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