भाभी ने घर बुला कर मेरे लन्ड का शिकार किया

भाभी ने घर बुला कर मेरे लन्ड का शिकार किया

अन्तर्वासना के पाठकों को विक्रम का सादर भरा नमस्कार, आपने मेरी पिछली कहानियाँ पढ़ी जो मेरी और रीना पे आधारित थी.

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आपने मुझे खूब ईमेल और सुझाव भेजे, जिनका मैं धन्यवाद करता हूँ. मुझे कुछ पाठकों ने मेरे और अनुभवों को लिखने की गुज़ारिश की तो इस कहानी में मेरा रीना से मिलने के पूर्व अनुभव को बता रहा हूँ कि कैसे मैंने एक भाभी की चुदाई की थी उसके घर जाकर!

मेरा नाम विक्रम है, जयपुर में रहता हूँ. मेरा कद 5 फुट 11 इंच, उम्र 29 वर्ष है रंग सांवला और एक अच्छी कद काठी का मालिक हूँ. मेरा हथियार भी मेरे कद की तरह काफी लम्बा और तगड़ा है. यह कहानी आज से तीन वर्ष पहले घटित हुई थी. तब मैं 26 वर्ष का था मेरा जयपुर शहर में कम्प्यूटर और मोबाइल का कारोबार है.

मई का महीना था जयपुर शहर में काफी गर्मी पड़ रही थी, मेरी दुकान से दूर एक जूस की दुकान थी जहां मैं अक्सर जाया करता था. वो दुकान एक छोटे कॉम्प्लेक्स में थी और उसके साथ में एक सुनार की भी दुकान थी. इन दुकानों की मालकिन ऊपर प्रथम तल में अपने फ्लैट में रहती थी. मैं रोज़ जूस पीने दुकान में जाता था करीब दो बजे तो अक्सर वो सुनार की दुकान बैठी रहती थी और मेरी नज़र उनसे मिल जाया करती थी, हम दोनों एक दूसरे को देखते रहते थे.

उनका शरीर गदराया हुआ था, मोटे मोटे चूचे थे, एकदम मस्त मोटी गांड जैसे जिस्म को कुदरत ने चोदने के लिए ही तराशा हुआ हो!
उनकी उम्र करीब 33 वर्ष होगी!

एक दिन रोज के अनुसार में 2 बजे करीब जूस पीने बैठा तो वो भी मेरे नज़दीक एक कुर्सी पे बैठ गई और पपीता शेक पीने लगी और मुझसे बात करने लगी.
भाभी- जी, आप क्या काम करते हो? रोज आते हो!
मैं- जी, मेरी कम्प्यूटर शॉप है नज़दीक में!
भाभी- अच्छा आपका नाम क्या है?
मैं- जी, मेरा नाम विक्रम है.

भाभी- विक्रम जी, मैं बबीता हूँ यहाँ की दुकानों की मालकिन… आप कम्प्यूटर रिपेयर करते हो तो मेरे घर पे भी मेरा कम्प्यूटर कुछ दिनों से बंद पड़ा है, आप ठीक कर देंगे?
मैं- जी, बेशक… यही तो काम है हमारा!
बबीता- ठीक है तो चलिये ऊपर.

हम दोनों उनके घर चले गए. वो मुझे अपने बैडरूम में ले गई जहाँ उनका कम्प्यूटर रखा हुआ था. उन्होंने कहा- तुम इसे चेक करो, मैं कपड़े बदल कर आती हूँ…
मैं स्टूल पर बैठ कर कम्प्यूटर देख रहा था कि भाभी नीले रंग का गाउन पहन कर आई. भाभी को आती देख मैं खड़ा हो गया और भाभी से कम्प्यूटर के बारे में कुछ पूछने लगा. वो मेरे आगे झुक कर कम्प्यूटर बताने लगी, मैं ठीक पीछे खड़ा था. मुझे उनकी गांड मस्त दिख रही थी. गाउन का कपड़ा तो उनकी गांड की दरार में घुसा पड़ा था.

तभी मेरे दिमाग में शरारत सूझी, मैं थोड़ा सा आगे बढ़ा, मेरी पैंट में मेरा लन्ड एकदम कड़क और मचल रहा था, मैं हल्के हल्के अपने लन्ड को उनकी गांड पे चुभाने लगा. वो चिहुंक उठी और भाभी भी पीछे की ओर दबाव डालने लगी. मेरी हिम्मत बढ़ने लगी. मैं उनकी मस्त मोटी गांड की दरार पर लन्ड रगड़ने लगा. वो सिहरने सी लगी और गांड को पीछे मेरे लिंग पे और दबा कर दवाब बढ़ाने लगी. मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया और जोर जोर से लन्ड गांड की दरार में रगड़ने लगा.

तभी वो पलटी और मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरे लन्ड को मसलने लगी. मैंने जिप खोल कर लन्ड बाहर निकाल लिया तो भाभी मेरा लन्ड सीधे अपने मुँह में डालकर हिला हिला कर जोर जोर से चूसने लगी.
अब तो मैं पूरे जोश और मस्ती में चला गया था. मैंने तुरंत उनको उठाया और बेड पे धक्का दे दिया और उनके ऊपर आ गया. मैंने फटाफट उनका गाउन उतार दिया, वो ब्रा और पेंटी में थी.
मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए. उनकी वो काली ब्रा और काली पेंटी… मुझसे तो रहा ही नहीं गया, मैंने तुरंत उनको खोला और सीधा उनके चूचों पर टूट पड़ा. मैं उन्हें जोर जोर से दबाकर चूसने लगा और बीच बीच में काटने भी लगा.

वो चिल्लाई- आह! चोद मेरे जानू… जल्दी से घुसा अपना लन्ड… इतने दिनों से नज़र थी तुझ पर… आखिर मैंने तेरा शिकार कर ही लिया!
मैं मन ही मन मुस्कुराया ‘किसने किसका शिकार किया?’ किसको पड़ी है… अपने को तो मस्त माल ठोकने को मिल रहा है, अब लन्ड चाहे चुत में घुसे या चुत लन्ड को प्रवेश करवाने को आमंत्रण दे मज़ा तो लन्ड और चूत दोनों को मिलना है.

मैं समझ गया कि जल्दी से लन्ड घुसाना पड़ेगा वरना कोई दरवाजे पे आ भी सकता है और शामत आ पड़ेगी सारे मजे पे पानी फिर जायेगा.
मैंने उनके चूचों को छोड़ा और फिर उन्हें घोड़ी बनने का इशारा किया. वो तुरंत मुद्रा में आ गई, पीछे से मैंने अपना लिंग उनकी चुत के मुहाने पे रखा, भाभी की चुत से इतना रस निकल रहा था इतनी चिकनी चुत क्या बताऊँ…
एक झटके से पूरा लन्ड उनकी चुत के अंदर दे मारा और जोर जोर से धक्के देने लगा.

वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- मार मार… उम्म्ह… अहह… हय… याह… और तेज़ धक्का मार… विक्रम मेरे राजा!
मेरे धक्के तेज़ होने लगे और तभी मैंने अपनी उंगली उनकी गांड के छेद में घुसा दी.

मैं उंगली से उसकी गांड भी साथ में चोदने लगा, ताबड़तोड़ धक्कों से वो ‘विक्रम विक्रम! आह आह चोद आह…’ की सीत्कारें भरने लगी.

करीब आधे घंटे बाद मैंने एक जोरदार झटका दिया और पूरी चुत को अपने वीर्य से लबालब भर दिया. वो मुझसे चिपक गई.
फिर कुछ देर बाद हट कर मेरे लिए चाय बनाकर लाई.

3:30 बजे मैं वहाँ से वापस अपनी दूकान पे आ गया.

फिर तो यह रोज का कार्यक्रम बन चुका था कि दो बजे जाना और उनको चोद कर अच्छे से सुला कर तीन बजे के बाद आना!

मैंने उनके पति के बारे में पूछा तो कहने लगी- वो बहुत बड़ी कंपनी में काम करते हैं और अक्सर विदेश ही रहते हैं.
फिर एक दिन करीब 1-2 महीने बाद जो नहीं होना था, वो हो गया, उनको गर्भ ठहर गया था, और मैं काफी परेशान हो गया था.
तो उन्होंने मुझे मिठाई खिलाते हुए कहा- शादी के पूरे 5 साल बाद संतान सुख संभव हुआ है. विक्रम, तुम्हारा बहुत शुक्रिया… यह एहसान मैं कभी भूल ना पाऊँगी.

मैंने कहा- आपके पति क्या कहेंगे?
तो उन्होंने कहा- मैं अपने पति से खूब प्यार करती हूँ, उनकी जानकारी में ही ये कार्य हुआ है. अब हमने विदेश में ही रहने का फैसला कर लिया है, सब जमीन जायदाद बेच कर… अगर तुम मेरी भलाई चाहते हो तो अब तुम मुझसे कभी संपर्क करने की कोशिश ना करना!

उन्हें खुश देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा और मिठाई खा कर उन्हें ना मिलने का वादा देकर निकल गया.
मुझे लगा कि मैंने कुछ शायद अच्छा ही किया है.

कृपया आप अपनी राय और सुझाव मेरे नीचे दिए गए ईमेल पर लिख कर भेजें.
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