‘भाभी आपकी चूत से कुछ बह रहा है, क्या मैं चूस लूँ?’
‘बदमाश कहीं के हर समय शरारत ही सूझती है.. भाग इधर से!’
मैंने कहा- भाभी सचमुच आप खुद देख लें ना!
भाभी- अरे वो एक-दो बूंद पी होगा।
मैंने कहा- शायद पी नहीं है भाभी.. पी तो पीला सा होता है न! यह तो सफ़ेद है.. गाढ़ा लिसलिसा सा।
भाभी- ओहहो.. तेरा क्या इरादा है, ठीक है चूस ले।
‘अच्छा भाभी।’
अब मैं भाभी की चूत चूसने लगा, कुछ सफ़ेद सा लिसलिसा सा था शायद प्रीकम था।
‘ओफ्फो भाभी… बड़ा अच्छा था मजा आ गया।’
भाभी बोली- छोटू छोड़ दो.. मुझे जोर से पी आ रही है।
‘अरे भाभी जब मुँह लगा ही है तो यहीं कर दो ना!’
और भाभी मेरे मुँह में पी करने लगीं। उनकी पी काफी कुछ नमकीन सी थी।
तो दोस्तो.. मैं सुरेन्द्र वर्मा 21 साल का पठानकोट का रहने वाला हूँ। मेरा कद 5 फिट 9 इंच का है.. एकदम गठीला और कसा हुआ जिस्म है, लंड भी नपा हुआ पूरे 7 इंच का है। मैं अपने 5 भाई-बहनों में सबसे छोटा हूँ, इसलिए प्यार से मुझे लोग छोटू कहते हैं।
मेरे बड़े भाई की बीवी यानि मेरी भाभी सुनयना वर्मा 24 साल की थीं। उनकी चूचियों का नाप 34 इंच कमर 28 की और उठे हुए चूतड़ों का नाप 36 इंच का है। भाभी बहुत ही सुंदर और कामुक देह वाली माल किस्म की हैं और मुझसे काफी खुली हुई हैं, वो मुझसे कैसे खुल गईं, इसका कारण मेरे भाई की तरफ से मिली हुई छूट थी।
इससे पहले मैं आगे लिखूं, मेरे परिवार की डिटेल आपको बताना चाहता हूँ। मेरे भाई नरेंद्र वर्मा दुबई में सर्विस करते हैं, वो 28 साल के हैं तथा कुछ परेशान से रहते हैं।
मेरी तीन बहनें हैं, तीनों शादीशुदा हैं। पर उनमें से एक दुर्भाग्यवश विधवा हो गई हैं, जो हमारे घर पर ही रहती हैं। अभी वो अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं। उनका नाम संगीता है।
हम लोग एक मध्यम वर्गीय परिवार के हैं। माँ-बाप और 5 भाई-बहन हैं। पापा सरकारी नौकरी में थे, अब रिटायर हो गए हैं और घर पर ही रहते हैं। आजकल वे चारों धाम की यात्रा पर गए हुए हैं।
घर पर मैं मेरी भाभी और संगीता दीदी ही हैं। संगीता दीदी अकसर कॉलेज में रहती हैं। मेरी भाभी की शादी हुए तीन साल हो गए हैं और उन्हें माँ ना बन पाने का गम है। इसलिए हम दोनों में सैटिंग हो गई है कि जब तक वो पेट से नहीं हो जाती हैं, मैं उनके साथ सेक्स कर सकता हूँ।
भाई अभी तक यहीं थे, अभी 5 दिन पहले ही दुबई वापस गए हैं और फिलहाल मेरे लिए मैदान खुला छोड़ गए हैं। संगीता के कॉलेज जाने के बाद मैं अकसर भाभी से छेड़खानी और चुदाई किया करता हूँ।
ये कैसे हुआ वो भी आपको आगे पता चल जाएगा।
बात कुछ यूं हुआ एक दिन भाई और भाभी काफी मूड में थे और आपस में गुफ्तगूं कर रहे थे, मैं भी उधर ही बैठा था।
भाभी बोलीं- आप दुबई चले जाते हो, इधर मेरा मन नहीं लगता है, बताइए मैं क्या करूँ?
भैया बोले- अरे ये छोटू है ना तुम्हारा मन लगाने को.. इसको सब अधिकर है तुम्हारे साथ ये कुछ भी कर सकता है। भाभी धीरे से बोलीं- वो सब भी?
भैया बोले- अरे यार किसी बाहर वाले से तो घर वाला अच्छा है।
इसके बाद से मेरा अखाड़ा खुदा हुआ था और भाभी संग मेरी कुश्ती खुल कर हुआ करती थी।
भाभी के संग चुदाई की शुरुआत कैसे हुई.. इसका किस्सा सुनिए।
भैया दुबई चले गए थे.. संगीता दीदी दिन के समय में कॉलेज रहती थीं और माँ-पिता जी तीर्थ यात्रा पर चले गए थे।
घर में हम दोनों ही मस्ती कर रहे थे, मैंने भाभी से कहा- आज बहुत मन हो रहा है कि आपके साथ कोई पिक्चर देखी जाए।
भाभी बोलीं- कौन सी देखनी है?
मैंने कहा- ख्वाहिश देखें?
भाभी राजी हो गई तो कुछ देर बाद हम दोनों पिक्चर देखने चले गए। उस फिल्म में कई किस सीन थे, मेरा मन हुआ कि भाभी को चूम लूँ, पर मैं हिम्मत ना कर सका।
पिक्चर का एंड होते होते मैं इतना गर्म हो गया था कि मैंने अपनी कोहनी से भाभी की चुची दबा दी।
चूचियों पर दबाव पड़ते ही भाभी चौंक गईं और बोलीं- इसलिए पिक्चर देखना चाहते थे?
मैंने मुस्कुरा कर कहा- हाँ भाभी।
हम दोनों में हंसी-मजाक होता रहा और फिल्म खत्म होने पर हम लोग घर आ गए।
अब तक संगीता दीदी के घर आने का समय भी हो गया था इसलिए हम दोनों सामान्य हो गए।
दूसरे दिन सुबह-सुबह ही संगीता दीदी को कहीं जाना था और वो तैयार होकर चली गईं। सुबह का सुहाना मौका मिला तो मैंने भाभी को पीछे से जाकर चूम लिया।
मेरे इस तरह एकदम से चूमने से भाभी नाराज़ ना होकर बोलीं- देखो छोटू इधर आओ.. हम तुम एक समझौता कर लेते हैं, अब से तुम जब चाहो मुझको चोद सकते हो.. पर इन 21 दिनों में मैं प्रेगनेंट होना चाहती हूँ, बोलो कर सकते हो?
मैंने हामी भर दी और इस तरह हम दोनों की चुदाई का रसीला सफ़र शुरू हो गया।
हम दोनों नहा-धो कर कमरे में आ गए और मैंने भाभी को किस करना शुरू किया। किस करते-करते मैंने भाभी के ब्लाउज में हाथ डाल कर उनके स्तन दबाने लगा। फिर धीरे-धीरे मैंने भाभी के ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए।
जैसे-जैसे बटन खुलते जाते थे.. भाभी के चेहरे पर चमक आती जा रही थी।
भाभी का पूरा ब्लाउज उतार कर मैंने उनकी ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब भाभी मेरे सामने अपने 34 डी साइज़ के स्तन खोलकर खड़ी थीं और हँस कर मुझे देख रही थीं।
भाभी कह रही थीं- छोटू ये सब कहाँ से सीखा?
मैंने मुस्कुरा कर कहा- सब आप लोगों को करते देख कर सीख लिया।
अब मैंने भाभी की चूचियों को चुसकने लगा और वो मस्ती से ‘अह… उफ़..’ करने लगीं।
अब मेरा हाथ भाभी के पेटीकोट पर था और मैंने पेटीकोट का इजारबन्द खोल दिया। इजारबन्द खुलते ही पेटीकोट नीचे गिर गया.. और भाभी एकदम नंगी हो गईं।
अब भाभी की बारी थी.. उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार कर मेरे शरीर को चूमने लगे। मुझे उनके जिस्म से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी और मैं मस्त हो रहा था।
वो मेरी टी-शर्ट उतार कर मेरी पैंट की जिप खोलने लगीं। जिप खुलते ही मेरा लंड फनफना कर बाहर निकल आया तो भाभी मेरे लंड को पकड़ कर उसे मुठियाने लगी।
मेरा लंड पहले ही गर्म था और उनके हाथ लगाने से तो वो आसमान की तरफ़ मुँह उठाने लगा था।
तभी भाभी ने नीचे बैठ कर लंड को अपने मुँह में ले लिया और भाभी ने लंड चूसना शुरू कर दिया। मैं भी अपने हाथों से भाभी की चूचियाँ दबा रहा था.. भाभी मेरे लंड को मुँह से कुल्फी जैसे चूसते हुए मेरी गोटियों को भी सहला रही थीं।
कुछ ही पलों में लंड चूसने से थोड़ा सा प्रीकम भी निकला, जो भाभी ने बड़े स्टाइल से मेरे सुपारे पर से जीभ की नोक से चाट लिया।
मुझे सुरसराहट सी हो गई तो भाभी ने मुझे आँख मारते हुए बिस्तर पर आने का इशारा किया।
मैं भाभी को बिस्तर पर चित लिटा धीरे-धीरे भाभी की को चूत को चूसने लगा। उनकी चूत फ़ैली.. तो फिर मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा कर अपनी जीभ को चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
भाभी मस्ती में चूत उठा कर चुसवा रही थीं और मजा ले रही थीं, उनके मुँह से धीरे-धीरे से आवाजें निकल रही थीं- आह.. चूस ले राजा.. अह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मजा आ रहा है।
इस तरह से मजा करते हुए काफी समय बीत गया था.. और दोनों तरफ़ से कोई भी पीछे नहीं हो रहा था। कभी वो मेरे को कस कर गले लगातीं और कभी मैं भाभी को गले से लगा लेता!
एक-दूसरे को चूमते चाटते काफी समय हो गया तो भाभी बोलीं- अब चुदाई कर डालो छोटू.. नहीं तो संगीता आ जाएगी।
मेरी भी ठरक बढ़ गई थी, सो हम दोनों चुदाई की स्थिति में आ गए और भाभी की टांगें फैला कर मैं उनकी जाँघों को सहलाने लगा.. भाभी मस्त हो रही थीं, उन्होंने अपनी चूत पूरी तरह से खोल दी, भाभी की चूत के अन्दर का लाल नजारा तक एकदम साफ़ नज़र आने लगा था। उनकी चूत की सुर्खी देख कर मेरे लंड का भी बुरा हाल हो गया था।
मैंने कामदेव का नाम लेकर भाभी की चूत पर अपने लंड का सुपारा रख दिया। सुपारे के स्पर्श से भाभी की चूत ने अपनी फांकों को हिलाया तो मैंने हल्की से ठोकर लगा दी।
ऊपर वाले ने भी साथ देकर पहले ही झटके मेरा आधा लंड भाभी की चूत के अन्दर कर दिया। भाभी दर्द से चीखने को हुईं पर मैंने परवाह न करते हुए बिजली की रफ्तार से एक-दो तेज धक्के मारते हुए पूरा का पूरा लंड अन्दर पेल दिया।
भाभी जोर से चीखीं.. तो मैंने उनका मुँह बन्द कर दिया और लम्बे-लम्बे झटके लगाता गया। कुछ ही धक्कों में भाभी लंड को पूरा लीलने लगीं और वो मेरे बदन को चूमते हुए मुझे उत्तेजित करने लगीं। मैं भाभी की चुचि को चूमता हुआ उन्हें धकापेल चोदने लगा।
इस तरह चुदाई करते हुए मैं अपना पूरा लौड़ा भाभी की बुर में जड़ तक पेलने लगा। भाभी मस्त होकर पूरी तरह से मुझसे चिपक गईं और अपने चूतड़ों से मेरे लंड को जबाव देने लगीं।
हम दोनों काफी देर तक चुदाई में मस्त रहे.. भाभी दो बार झड़ चुकी थीं, पर मेरा लंड तो चुदाई की मस्ती में लगा हुआ था।
फिर संगीता के आने का समय हो गया था.. तो भाभी ने मुझे चेताया और मैंने भी अपने अंतिम शॉट मारे और भाभी की चूत में ही अपनी मलाई निकाल दी।
कुछ देर साँसें संभालने के बाद एक-दूसरे को किस करके अलग हो गए।
अब एक चिंता मन में थी कि अगर संगीता को इस बात का पता चल गया तो क्या होगा।
हम दोनों को अभी 21 दिन चुदाई करने हैं और अगले हफ्ते तो दीदी की पूरा हफ्ता ही छुट्टी का था।
मैंने भाभी से कहा- इस जाल में संगीता दीदी को भी फंसाना पड़ेगा.. नहीं तो हम दोनों को मंहगा पड़ सकता है।
अभी हम दोनों इस विषय पर सोच ही रहे थे.. कि संगीता दीदी आ गईं।
भाभी ने धीरे से कहा- यह तुम मुझ पर छोड़ दो.. और मुझे तुम दो-तीन ब्लू-फिल्म्स की सीडी लाकर दो.. मैं उसे पटा लूँगी।
मैंने कहा- ओके… आई विल मैनेज!
मैंने चार ब्लू-फिल्मों की सीडी लाकर भाभी को दे दीं और खाना खाकर घर से निकल गया।
पूरे दिन मैं बाहर रह कर भाभी का जादू देखने को बेताब रहा। शाम को जब मैं घर आया.. तो भाभी ने हँस कर जवाब दिया।
भाभी का जवाब सुनकर तो मेरी तबियत मस्त हो गई। उन्होंने ऐसा क्या कहा कि खेल में रस आने लगा था, क्या मैं संगीता दीदी को भी चोद लूँगा.. इन सब का खुलासा अगली बार की चुदाई की कहानी में लिखूंगा..