भाभी खुद चुदवाने आई

भाभी खुद चुदवाने आई

दोस्तो, आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी में भाभी की चुत की चुदाई का एक ऐसा किस्सा सुनाने जा रहा हूँ, जिसे मैं तो कभी नहीं भुला पाया, क्योंकि इस बात ने ही मेरी ज़िंदगी की दिशा बदल दी थी।
तो लीजिये पढ़िये और बताइये क्या मैंने इस कुछ गलत किया या ठीक किया।

मेरा नाम आलोकित है, मैं 23 साल का नौजवान हूँ। अभी शादी नहीं हुई है, एक बढ़िया प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। तनख्वाह बहुत अच्छी है, घर परिवार भी बहुत अच्छा है। मम्मी, एक बड़ा भाई और एक बड़ी बहन है। मुझ से बड़े दोनों शादीशुदा हैं। मेरी भी अब शादी की बात चीत चलने लगी है, पर मैंने कह दिया है कि 25 से पहले अपनी शादी नहीं करवाऊंगा।

बात तब की है, जब बड़े भैया की शादी हुई थी। मेरे और भैया में फर्क ये है, एक वो काम के दीवाने हैं, अपना बिज़नेस है उनका, हर वक़्त बस अपने काम और काम के बारे में ही सोचते हैं। खाने पीने का कोई वक़्त नहीं, दिल किया खा लिया, नहीं तो लगे हैं, काम में… अपनी फैक्ट्री में वो जुनून की हद तक काम करते हैं। पिताजी के जाने के बाद उन्होंने ही छोटी सी उम्र में फैक्ट्री और बाकी बिज़नेस संभाल लिया था, तो अब उनको अपने बिज़नस के सिवा कुछ नहीं सूझता।

जब उनकी शादी हुई तब मैं बीस साल का था, पढ़ता था। हमने बड़े ज़ोर शोर से भैया की शादी की। शादी के 3-4 रोज़ में सब रिश्तेदार वापिस चले गए, घर में माँ, भैया, भाभी और मैं ही रह गए।
भाभी की उम्र करीब 24 साल, कद 5 फुट 5 इंच, रंग बहुत ही गोरा, भरवां बदन, हर लिहाज से खूबसूरत, हॉट और सेक्सी… मैं तो भाभी को सोच कर दो तीन बार मुट्ठ भी मार चुका था और चाहता था, मेरी बीवी भी इतनी ही सुंदर और सेक्सी हो।

दो चार दिन में ही भाभी मुझसे बहुत दोस्ताना हो गई। कॉलेज से आकर मैं और भाभी अक्सर बहुत सारी बातें करते।

भैया रात को देर से आते, मैंने एक दो बार भैया को कहा भी कि जल्दी आया करो, मगर वो बोले कि फैक्ट्री कौन देखेगा, तू फैक्ट्री संभाल ले, मैं घर रह जाता हूँ।
फैक्ट्री में मेरा कोई इंटरेस्ट नहीं था, मैं बहुत ही आज़ाद ख्याल था।

शादी के 10-12 दिनों में ही भाभी मेरे बहुत करीब आ गई। एक दो बार ऐसे मौके भी मिले जब, भाभी के बूब्स मेरे बाजू को छू गए, या मस्ती करते हुये मेरा हाथ भाभी के बूब्स को लगा, मगर भाभी ने इसका कोई बुरा नहीं माना। बल्कि भाभी मेरे साथ और बिंदास होती जा रही थी।
जीन्स टी शर्ट तो वो पहनती ही थी, अक्सर नए कपड़े पहन कर मुझे दिखाती- कैसी लग रही हूँ मैं आलू?
वो मुझे प्यार से आलू बुलाती थी।

मैंने भी दिल खोल कर उनके हुस्न की तारीफ करनी, जब सामने से खुली छुट्टी हो तो दिक्कत क्या है। मैं उनके गोल कूल्हों और उभरे हुये बूब्स की भी तारीफ कर देता था, मगर बड़े ही शालीन शब्दों में!
वो समझ भी जाती, मगर बात अश्लील भी नहीं होती थी।
मुझे खुद को लगने लगा था कि इस लड़की की शादी भैया जैसे चूतिये से नहीं मुझ से होनी चाहिए थी, मैं इसकी रेल बनाता।

शादी के 15 दिन हो गए, मगर भैया भाभी को हनीमून पर भी नहीं लेकर गए। भाभी कुछ दिन के लिए अपने मायके चली गई।

जिस दिन वापिस आना था, उस दिन भैया ने मुझे कह दिया कि तू जा कर भाभी को लिवा ला!

मैं चला गया, आते हुये बस में जब हम आ रहे थे, तो भाभी को रास्ते में नींद आ रही थी। उन्होंने ने मेरी बाजू को अपनी आगोश में लिया और मेरे कंधे पर सर रख कर सो गई। कंधे पर सर रखने की कोई दिक्कत नहीं थी, मगर जो वो मेरी बाजू से लिपटी तो उनके नर्म नर्म बूब्स में मेरी सख्त बाजू जैसे अंदर ही घुस गई हो। कितनी देर मैं उनके बूब्स के स्पर्श से आनन्दित होता रहा। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि उनके बूब्स के स्पर्श से ही मेरा लंड तन गया। मैंने उसे जैसे तैसे अपनी जीन्स में ही सेट किया।

जितनी देर भाभी सोई रही, मैं उनके नर्म नर्म बूब्स के स्पर्श के मज़े लेता रहा।

फिर वो जाग गई और हम बातें करने लगे।
भाभी ने मुझसे कहा- आलू तुम मेरे सब से अच्छे दोस्त हो।
मैंने कहा- थैंक यू भाभी, आप भी मेरी बहुत प्यारी दोस्त हो।
फिर भाभी ने कहा- अगर दोस्त हो तो वादा करो, अगर मुझे कभी कोई ज़रूरत हुई तो तुम मेरा साथ दोगे, क्योंकि मैं सिर्फ अपने सबसे अच्छे दोस्त पर ही भरोसा कर सकती हूँ।
मैंने कहा- भाभी, इसमें पूछने वाली क्या बात है। मैं हमेशा आपके साथ रहूँगा, आपकी हर तरह से मदद करूंगा, चाहे कोई भी मुसीबत हो।

इसी तरह बतियाते, हँसते बोलते हम घर पहुंचे।

शुक्रवार की रात थी, मैं अपने रूम से सो रहा था, भैया भाभी अपने रूम में थे, शायद सेक्स कर रहे होंगे। माँ अपने रूम में सो रही थी।

रात के करीब डेढ़ बजे का वक़्त था। मेरे रूम का दरवाजा खुला तो मेरी भी आँख खुल गई, मैंने देखा कोई अंदर आया है।
मैंने साइड नाईट लैम्प जगाया, धीमी रोशनी में देखा, सामने भाभी खड़ी थी, बिल्कुल नंगी भाभी, एक हाथ में उसने अपना एक बूब पकड़ रखा और दूसरे हाथ की उँगलियाँ अपनी चूत में दे रखी थी।

मैं तो यह नजारा देख कर हतप्रभ रह गया, मैंने भाभी से पूछा- भाभी, ये क्या कर रही हो?
वो मेरे पास आ बैठी, अपने हाथों में मेरा हाथ पकड़ा, तो उनके हाथ से उनकी चूत का पानी मेरे हाथ की उँगलियों को भी लग गया।

भाभी के बाल बिखरे थे, मेकअप सारा बिगड़ा हुआ था, शक्ल ऐसे हो रही थी, जैसे रोने को तैयार… मेरे हाथ को दबा कर बोली- आलू, तू मेरा सच्चा दोस्त है न?
मैंने कहा- हाँ भाभी, मगर आप कपड़े तो पहन लो!
मगर मेरी बात को बिना सुने वो बोली- और एक सच्चा दोस्त अपने दोस्त की हेल्प करता है, जब वो मुसीबत में हो तो?
मैंने कहा- हाँ, करता है।
वो बोली- तो तू मेरी हेल्प कर, फक मी प्लीज़!

मैं तो सुन कर हैरान रह गया, भाभी मुझ से चुदवाने को कह रही थी।
मैंने कहा- मगर भाभी, ये काम तो भैया का है।
वो बोली- तेरे भैया किसी काम के नहीं, 15 दिन से उनकी आरती उतार रही हूँ, एक बार भी ढंग से उनका खड़ा नहीं हुआ, अधमरा सा, न खड़ा न मरा, और पानी तो ऐसे गिरा देता है कि एक मिनट भी ज़्यादा होगा।

मैं अवाक, चुपचाप उनकी बात सुन रहा था।

वो थोड़ा रुक कर फिर बोली- देख यार, मैं मुसीबत में हूँ, मैं मर रही हूँ, मेरी हेल्प कर, अगर मैं कल को कुछ गलत कर बैठी, तो बदनामी तुम्हारे सारे खानदान की है, मुझे संभाल ले और अपने खानदान की इज्ज़त बचा ले।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ… मैंने पूछा- और भैया?

वो बोली- वो तो ऐसे सो रहा है, जैसे पता नहीं कौन सा कुआं खोद कर आया है, मुर्दे के तरह पड़ा है बेड पर!
मैं अभी सोच ही रहा था कि भाभी ने मेरे दोनों कंधे पकड़ कर नीचे को दबाया और मुझे बेड पे लेटा दिया, मेरे लेटते ही वो मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गई।

अब इस से ज़्यादा सब्र मुझे में भी नहीं था, मैंने भाभी के चेहरा पकड़ा और जोड़ दिये अपने होंठ उसके होंठों से… एक प्रगाढ़ चुम्बन, जिसे पूरी शिद्दत और जोश से हम दोनों ने एक दूसरे को दिया। दोनों प्यासे एक दूसरे से बहुत चाह कर मिले।
मैंने भी भाभी को अपनी बाहों में कस लिया और ऐसे पलटी मारी के भाभी नीचे और मैंने ऊपर आ गया। मैंने अपनी टीशर्ट उतार दी, भाभी ने मेरे मेरे सीने पर अपने बढ़े हुये नाखूनों से खरोंचा और सीने से पेट तक खरोंचती चली गई!
साला लंड झनझना उठा।

मैं खड़ा हुआ और अपना लोअर और चड्डी भी एक साथ ही उतार फेंके।
7 इंच का मजबूत जवान लंड 1 सेकंड में ही तन कर बाहर आया।

भाभी ने जब लंड देखा तो उठ कर बैठ गई- अरे वाह, क्या चीज़ है!
कह कर भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया और लगी चूसने।

कमाल की बात है, जिस लड़की को मैं मन ही मन चाहता था, वो अब मेरा लंड चूस रही थी।

मैंने भाभी के मुँह से अपना लंड बाहर खींचा और लेट गया, भाभी मेरे ऊपर उल्टा होकर लेट गई, उसकी गीली चूत मेरे मुँह के ऊपर आ गई। हल्की झांट उगी हुई थी, शायद सुहागरात के लिए भाभी ने अपनी चूत शेव की होगी, मगर मेरे चूतिये भाई ने इस खूबसूरत और प्यासी चूत की कोई कदर नहीं की।

मैंने पहले कभी चूत चाटी नहीं थी, मगर फिल्मों में बहुत देखा था, तो जब वो मेरा लंड चूस रही थी, तो मुझे क्या दिक्कत होनी थी।
जब भाभी ने अपने पाँव से मेरा सर धकेल कर अपनी चूत के पास किया तो मैंने भी अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत से लगा दी, और लगा चाटने…

ठीक स्वाद था, मुझे अच्छा ही लगा। चूत चाटने से शायद भाभी और भी गर्म हो रही थी, और ये बात मैं उनके लंड चूसने के तरीके से कह सकता था, उनकी सांस तेज़ चल रही थी, मुँह से ‘ऊं, ऊं’ कर रही थी, और अपनी चूत को तो जैसे मेरे मुँह पे रगड़ रही थी, जिस वजह से मेरा सारा चेहरा उनके चूत के पानी से गीला हो चुका था।

कुछ देर की चूसा चुसाई के बाद भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला, उठी और फिर घूम कर मेरे ऊपर ही बैठ गई।
मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा, और अपनी चूत पे सेट किया। मेरा मोटा, मजबूत काला लंड उनके गोरे, नर्म और लाल सुर्ख नेल पोलिश लगे नाखून वाले हाथों में बहुत ही सुंदर लग रहा था। जब वो नीचे को बैठी तो मेरा लंड उनकी चूत में घुसा, तो उनके मुँह से एक लंबी ‘आह…’ निकली।
‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा।
वो बोली- अरे पूछ मत यार, कितना आनन्द आया, अगर मर्द का लौड़ा कड़क न हो तो ज़िंदगी जीने का कोई फायदा नहीं!

टोपा अंदर घुस जाने के बाद, वो खुद ही ऊपर नीचे होती रही और मेरा पूरा लंड नीचे से निगल गई। मेरी तो खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था, कहाँ मैं पहले चूत देखने को तरसता था, अब तो घर में ही एक सुंदर भाभी की चुत का इंतजाम हो गया था।
मैंने भाभी के दोनों बोबे अपने हाथों में पकड़े और बारी बारी उनको चूसने लगा, कभी इस निप्पल को चूसता तो कभी उस निपल को चूसता, हल्के भूरे रंगे गोल गोल, छोटे छोटे निप्पल जो उत्तेजना से बाहर को उभर आए थे।

भाभी बोली- चूस आलू, ज़ोर से चूस, मुझे बोबे चुसवाना बहुत अच्छा लगता है।
मैं चूसता रहा।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी क्या आपको शादी से पहले भी सेक्स कर कोई तजुरबा रहा है?
‘क्यों?’ वो बोली।
मैंने कहा- आप बहुत अच्छे से कर रही हो, इस लिए पूछा।
वो बोली- हाँ, एक बॉय फ्रेंड था, कॉलेज में… उसने ही मुझे ये सब सिखाया।

मैंने कहा- तो फिर उससे शादी क्यों नहीं की?
भाभी बोली- अरे यार बाद में पता चला, उसका सब के साथ यही चक्कर था, आज इसको कल उसको!

मैं पूछा- अब तक कितनी बार सेक्स किया है?
वो बोली- मैं अब तक 20-25 बार सेक्स कर चुकी हूँ, तेरे भाई ने 4-5 बार कोशिश की, मगर मैं उसे नहीं गिनूँगी।
मैंने कहा- तो आज के बाद बस मुझ से ही सेक्स करना, आई लव यू श्रुति!
कह कर मैं फिर से उसके बोबे चूसने लगा।

भाभी करीब 5-6 मिनट ऊपर बैठी ज़ोर लगाती रही, फिर बोली- चल बस अब तुम ऊपर आ जाओ, और दिखाओ मुझ पर अपनी मर्दानगी। और देखो अपनी भाभी को प्यासी मत छोड़ना।
मैंने कहा- चिंता मत करो जान, आज तो तेरी फाड़ दूँगा।
वो हंस कर बोली- फटी तो पहले से ही है, तुम बस अच्छे से तसल्ली करवा दो, वही बहुत है।

मैंने अपना लंड भाभी की चूत पर रखा और लगा अंदर बाहर करने। भाभी अपना ज़ोर लगा चुकी थी, इसलिए जब मैंने पारी की शुरुआत की, तो भाभी मुश्किल से 2 मिनट ही टिक पाई और 2 मिनट की धुरंधर चुदाई से वो धराशायी हो गई।
जब उनका पानी गिरा तो वो बहुत तड़पी, मेरे नीचे लेटी ऐसे मचली जैसे किसी मछली को पानी से बाहर निकाल दिया हो।
मैंने बड़ी कस कर उनको अपनी बांहों में जकड़ कर रखा कि कहीं इसके मचलने में मेरा लंड ही इसकी चूत से न निकल जाये।

मेरे नीचे वाले होंठ को अपने मुँह में लेकर इतनी ज़ोर से चूसा, जैसे वो मेरा होंठ चबा जाना चाहती हो।
बहुत ही गर्म और जोशीली औरत!

जब झड़ गई और शांत हो गई तो मैंने कहा- श्रुति, मेरा भी होने वाला है, कहाँ करूँ, मुँह में, पेट पर, या अंदर चूत में ही गिरा दूँ।
वो बोली- आज मेरी सुहागरात हुई है, जहाँ जी चाहे गिरा दो, मुझे कोई दिक्कत नहीं।
मैंने कहा- मैं चाहता हूँ कि तुम मेरा माल पियो। पी लोगी?
वो बोली- क्यों नहीं, मैंने पहले भी पिया है।

मैंने थोड़े से जोरदार शॉट लगाने के बाद अपना लंड भाभी की चूत से निकाला और अपने हाथ से मुट्ठ मारता भाभी के चेहरे की तरफ गया।
भाभी अपना पूरा मुँह खोल दिया, जैसे ही मेरे लंड से वीर्य गिरा, मैंने अपना लंड भाभी के मुँह में दे दिया औरभाभी ने घूंट भर भर के मेरा माल पी लिया और मेरे लंड को चूस चूस कर आखरी बूंद तक पी गई।

मैं भाभी के साथ ही उसको अपनी बांहों में लेकर लेट गया, वो भी मुझसे चिपक कर लेटी थी।
मैंने भाभी से पूछा- मज़ा आया?
वो बोली- बहुत मज़ा आया, तुम बताओ कि अपनी भाभी की चुदाई का मजा तुम्हें भी आया?
‘हाँ भाभी… बहुत मजा आया!’
भाभी बोली- मगर अभी दिल नहीं भरा है, मेरा दिल चाह रहा है कि ऐसे एक दो राउंड और खेलें जाएँ।

मैंने कहा- ज़रूर… सुबह होने से पहले मैं भी तुम्हें दो बार और चोदना चाहता हूँ। पर ये बताओ, तुम्हें ये क्या सूझा, जो नंगी होकर मेरे रूम में आ गई?
भाभी बोली- मैंने तेरे भाई से कहा था, मगर वो थका हुआ था, मेरा मन मचल रहा था। पहले तो मैं उसके ढीले लंड से खेलती रही, मगर चूस चूस कर थक गई पर वो नहीं खड़ा हुआ। फिर मुझे याद आया, उस दिन तुम बस में बहुत मेरे बोबों से अपनी बाजू लगा कर बैठे थे और मज़े ले रहे थे। जब तुम्हारा भाई सो गया तो मैंने तुम्हारे बारे में सोचा। पहले मैं पूरे कपड़ों में आने लगी थी, मगर फिर मुझे लगा अगर तुम सिर्फ मुझे अपनी दोस्त समझते हो, तो शायद ये सब मेरे साथ न करते तभी मैंने अपने सभी कपड़े उतार कर, अपनी हालात थोड़ी खराब करके ही तुम्हारे पास आना ठीक समझा। ताकि तुम्हें लगे कि मैं बहुत तकलीफ में हूँ, मजबूर हूँ। ताकि तुम मना न कर सको और मेरा साथ दो।

मैं उसकी बात सुन कर बड़ा हैरान हुआ- तो इसका मतलब तुमने मेरा इस्तेमाल किया।
वो बोली- बिल्कुल किया, अब आज के बाद तुम भी मेरा जितना चाहे, जैसा चाहे इस्तेमाल करो। फुद्दी की कोई दिक्कत नहीं, जितनी चाहो मेरी उतनी फुद्दी मारो, दिन में मारो, रात में मारो। मेरा नाड़ा तुम्हारे लिए हर वक़्त खुला है।

मैंने कहा- भाभी, आप तो बहुत बिंदास बोलती हो।
वो बोली- अब मैं तुम्हारी भाभी नहीं, सिर्फ श्रुति हूँ, तुम्हारे इस लंड की गुलाम!
कह का उसने मेरे अधमरे लंड का टोपा अपने मुँह में लेकर एक बढ़िया जोरदार चुप्पा मारा।

‘तुम लंड बहुत अच्छा चूसती हो!’ मैंने कहा।
वो बोली- अगर अब चूसूँ, तो कितनी देर में तुम्हारा लंड फिर से तन जाएगा?
मैंने कहा- बस अभी दो मिनट में!
वो बोली- अगर दो मिनट में तन जाएगा, तो फिर कितनी देर मुझे और चोद सकते हो?
मैंने कहा- एक बार तो झड़ चुका हूँ, इस बार तो 20-25 मिनट या आधा घंटा तो लगा ही दूँगा।

वो खुश हुई और मेरे लंड को अपने दाँतों से काट कर बोली- इतना प्यार न दो मुझे, कहीं तुम्हारे लंड को मैं काट कर ही न खा जाऊँ।

मैं भाभी को नीचे पटक कर उसके ऊपर सवार हो गया और बोला- काट के खा जा, अगर तेरी फुद्दी में दाँत हैं तो काट मादरचोद, खा जा मेरा लंड!
मैंने कहा तो वो बोली- आह, कितना अच्छा लगा तुम्हारे मुँह से गाली सुन कर। सुन आगे से जब मुझसे बात करेगा न अकेले में तो मुझे खूब गाली दिया कर, मुझे गाली देने वाले मर्द बहुत पसंद हैं।
मैंने कहा- तो आ जा फिर, कुतिया बन के अपने यार का लौड़ा चूस, उसके बाद देख कैसे तेरी माँ चोदता हूँ मैं!

वो इत्ती बड़ी स्माइल देकर मेरे ऊपर आ गई और मेरी तरफ अपनी गांड करके मेरा लंड पकड़ कर चूसने लगी। अगली चुदाई के लिए उसकी चूत गीली करने के लिए, मैं फिर से उसकी चूत चाटने लगा।

उस रात मैंने भाभी को 2 बार और चोदा उसके बाद तकरीबन हर रात मैंने भाभी की चुत की चुदाई की।

आज तीन साल हो चुके हैं, भाभी ने मेरे एक बेटे को जन्म भी दिया दिया है। अब घर वाले कहते हैं कि शादी करवा ले मगर मैं भाभी से इतना प्रेम करता हूँ कि मेरा किसी और लड़की से शादी करने को दिल ही नहीं करता। मेरा तो दिल करता है कि भैया उसे तलाक दे दें और मैं ही उस से शादी करवा लूँ।
भाभी की चुत की चुदाई की कहानी कैसी लगी?

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