पेनफुल सेक्स की कहानी मेरे भाई की साली की पहली चुदाई की है. एक बार उसे मजबूरी में मेरे कमरे में रुकना पड़ा. तो हम दोनों के बीच सेक्स कैसे हो गया?
आप सभी को नमस्कार, मेरा नाम राज मौर्य है और मैं छत्तीसगढ़ में भिलाई से हूँ.
दोस्तो, इस वेबसाइट की कहानियां तो मैं 2013 से पढ़ता आ रहा हूँ पर आज अपनी पहली सेक्स कहानी लिख रहा हूँ.
जब से मैंने इस साईट को पढ़ना शुरू किया, तब से लेकर आज तक साईट में बहुत चीजें बदली हैं पर एक चीज नहीं बदली.
और वो है अन्तर्वासना साईट का जलवा.
इधर लोग अपनी अन्दर की दबी बातों को सबके सामने बेझिझक रसीले अंदाज में पेश करते हैं.
यही इसकी सबसे खूबसूरत बात है.
यह पेनफुल सेक्स की कहानी उस समय की है, जब मैं 2018 में जॉब करने के लिए भिलाई आया था.
मैंने अपने शोरूम के पास ही रूम ले लिया जहां हम बैचलर ही रहते थे.
किसी लड़की को रूम में लाना कोई मुश्किल काम नहीं था.
वहां जितने भी लड़के थे, सब अपनी प्रेमिकाओं को वहां लाकर पेलते थे.
मैं उन सबको देख देख कर बस लंड सहला कर रह जाता था.
मेरे साथी मुझसे अक्सर कहते थे कि तू भी किसी कॉलगर्ल को ले आ और मजा ले ले.
मगर मेरा मन तो अंजलि की चूत चुदाई के लिए मचल रहा था.
हुआ कुछ यूं कि मेरे बड़े भैया की शादी 2016 में हुई, तो मुझे उनकी साली अंजलि बड़ी पसंद आ गई थी. मैं उसके ऊपर लाइन मारता था.
मैंने किसी तरह से जुगाड़ करके उसका नंबर भी हासिल कर लिया था.
उससे बात करने की कोशिश भी बहुत की, लेकिन वो मुझसे पटी ही नहीं.
मेरी उससे बस सामान्य बातें होकर रह जाती थीं.
समय का पहिया आगे बढ़ता गया.
अब हुआ ऐसा कि एक दिन जब मैं ऑफिस में था, तब अंजलि का कॉल आया.
उसने कहा- यार, मैं भिलाई कुछ काम से आई हूं. काम ज्यादा है, जिससे मुझे यहां रात हो जाएगी. मैं आज घर नहीं जा पाऊंगी, तो क्या तुम्हारे रूम में रुक सकती हूं?
मैंने थोड़ी देर सोचा, फिर हां बोल दिया- हां आ जाना.
वो बोली- तुम अपने रूम में अकेले ही रहते हो ना?
मैंने कहा- हां, कोई दिक्कत है क्या?
वो बोली- नहीं मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मैंने सोचा कि तुम्हें कोई दिक्कत न हो.
मैंने कहा- अरे यार मुझे क्या दिक्कत होगी. तुम जैसी स्वीट लड़की मेरे साथ कमरे में अकेली होगी तो मुझे तो अच्छा ही लगेगा.
वो हंसने लगी और बोली- ज्यादा फ्लर्ट न करो.
मैंने कहा- मेरे भाई की साली लगती हो तुम … और साली से मजाक करना तो बनता है यार!
वो हंस दी और बोली- चलो कमरे पर आकर बात करती हूँ.
मैंने उससे पूछा- मेरा कमरा देखा है … कैसे आओगी?
वो बोली- नहीं, मैं तुम्हें फोन कर दूंगी, तुम आकर मुझे ले जाना.
मैंने ओके कहा और फोन काट दिया.
मैं शोरूम से रात के 9.00 बजे छूटा तो उससे बात करके उसकी बताई जगह पर लेने के लिए चला गया.
कुछ देर बाद तय स्थान से मैंने उसे लिया और लेकर रूम में आ गया.
अब मैं आपको उसके बारे में बताऊं.
वो सिंपल सी दिखनी वाली लड़की की है, मतलब उसका जिस्म इकहरा है.
उसकी चूचियां भी बहुत छोटी छोटी सी हैं, वो एकदम स्लिम है.
देखने में उतनी आकर्षक भी नहीं लगती.
मगर मुझे उसकी यही सादगी भा गई थी.
उस वक्त मुझे न जाने क्यों ऐसा लगता था कि जिनकी बॉडी भरी हुई होती है या जो दिखने में ज्यादा हॉट लगती हैं, वो सब खेली खाई रहती हैं.
जबकि अंजलि मेरे मन माफिक दिखने वाली लड़की थी.
कमरे पर आकर हम दोनों ने खाना खाया, इधर उधर की बातें की, फिर सोने चले गए.
अब मेरे रूम में केवल एक ही बेड था तो दोनों साथ में लेट गए.
लेकिन वो मुझे थोड़ी दूरी बनाकर लेटी थी.
मैं सोचने लगा कि इसे कैसे सेक्स के लिए मनाऊं.
मैंने उससे कहा- यार मुझे तुम्हें किस करने का मन हो रहा है.
उसने मना करते हुए कहा- पहले किस करोगे … फिर कहोगे कि चिपका कर सोने का मन हो रहा है.
मैंने कहा- तो इसमें क्या बुरा है?
वो बोली- अच्छा … एक जवान लड़की से चिपक कर सोने में कुछ बुरा नहीं है?
मैंने कहा- हां कुछ बुरा नहीं है. चलो तुम्हें करके बताता हूँ.
ये कह कर मैंने उसका चेहरा अपनी तरफ किया और सीधे उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
एक दो बार उसने मुँह हटाया लेकिन मैं नहीं रुका.
मगर एक बार भी अंजलि ने ये नहीं कहा कि मत करो.
मैंने सोचा कि अगर इसे दिक्क्त होती, तो ये हाथ लगाते ही चीखने चिल्लाने लगती.
इसका मतलब ये हुआ कि इसको भी कुछ करने का मन है.
बस इसी सोच ने मेरी हिम्मत को बढ़ा दिया.
मैं उसे चूमने में लगा रहा.
कुछ देर के बाद वो भी साथ देने लगी.
मैं उससे बोला- क्या हुआ मैडम? मजा आने लगा क्या?
वो हंस दी मगर कुछ बोली नहीं.
अब मैंने उसके छोटे छोटे चीकुओं को कपड़े के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया.
इससे वो और भी ज्यादा गर्म हो गई.
मैं उसके टॉप को थोड़ा ऊपर करके उसके पेट में और पीठ में हाथ फेरने लगा और अन्दर हाथ डालकर सीधे चूची को दबाना शुरू कर दिया.
साथ ही अपने होंठों से उसके होंठों को लगातार चूस भी रहा था.
वो और भी ज्यादा गर्म होती जा रही थी.
फिर मैंने उसके कपड़ों को निकाला और साथ ही अपने कपड़े भी निकाल दिए.
वो मेरे सामने केवल एक पैन्टी में ही थी और मैं भी केवल अंडरवियर में ही था.
नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़ना शुरू हुए तो गर्मी बढ़ने लगी.
लगातार चूमने और मम्मों को दबाने के बाद मैं अपना हाथ उसकी पैंटी के अन्दर ले गया.
वो हाथ वहां ले जाने के लिए मना कर रही थी फिर भी मैं हाथ अन्दर ले गया और उसकी चूत में रख दिया.
उसकी चूत तो पहले से ही पूरी गीली हो गई थी.
मैं चूत को सहलाने लगा.
जैसे जैसे चूत को सहला रहा था, वो और जोर से मेरे होंठों को चूमने लगती थी.
उसमें पूरा जोश चढ़ चुका था.
मैं कुछ पल बाद उसके हाथ को अपने लंड पर ले गया लेकिन उसने हाथ हटा लिया.
मैंने फिर से उसे लंड पकड़ाया.
फिर भी उसने लंड नहीं पकड़ा.
इधर मेरा लंड तो तनकर तंबू बना चुका था.
मैंने अपनी अंडरवियर को उतारा और उसकी भी पैन्टी उतार फैंकी.
वो कुछ झिझक रही थी मगर मैंने उसे बेड पर चित लिटा दिया और उसकी चूत में सबसे पहले अपनी एक उंगली डाली.
ये मैंने कहीं पढ़ा था कि सीलपैक चूत को उंगली से ढीला कर लेना चाहिए.
इसलिए मैं जब सेक्स कर रहा था तो सबसे पहले एक उंगली ही डालने लगा था, फिर दो उंगली डालने की सोचता.
चूंकि उसका फर्स्ट टाइम था तो वो पहले ही घबरा सी रही थी.
उंगली डालने पर उसे थोड़ा दर्द हुआ और उसने बाहर निकालने को कहा.
पर मैं कहां मानने वाला था. मैंने उसकी चूत में उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
कुछ देर ऐसा करने से उसकी मस्ती बढ़ गई और चूत पानी छोड़ने लगी.
अब बारी दूसरी उंगली डालने की आ गई थी.
जब मैंने दूसरी उंगली डाली तो अन्दर डालने में दिक्कत हो रही थी.
वो उचकने लगी थी और मेरा हाथ पकड़ कर मना कर रही थी.
फिर भी मैंने किसी तरह से चूत में दो उंगलियां अन्दर डाल दीं और पांच दस बार अन्दर बाहर किया.
वो कसमसा रही थी और शायद उसे कहीं न कहीं अपनी चूत को उंगलियों से चुदवाने में मजा भी आने लगा था.
सच कहूं तो उसकी चूत खुल सी गई थी.
मेरी उंगली में खून की हल्की रंगत सी भी दिखने लगी थी.
मैं समझ गया कि चूत चिर चुकी है और अब मेरे सनसनाते हुए लवड़े को चूत में डालने की बारी आ गई है.
मैंने अपने लंड को सहलाया.
वो मेरा लवड़ा देखकर ही घबरा गई. पहले से उसकी हालत खराब हो गई.
वो बोली- दो उंगलियों से ही मेरी हालत खराब हो गई है … इससे तो मैं मर ही जाऊंगी. मैंने आज तक कुछ नहीं किया है, प्लीज़ इसे मत डालो.
पर मैं कहां मानने वाला था … मैंने उसे समझाया कि मैं धीरे धीरे करूंगा, ज्यादा दर्द नहीं होगा. तुम डरो मत.
वो बोली- नहीं करो प्लीज़.
मैंने कहा- तुमको उंगली से जितना दर्द हुआ है, उससे कम दर्द होगा.
मेरी बात से वो कुछ शांत सी हो गई.
उसे उंगली से आए मजे ने काफी हिम्मत दे दी थी.
फिर वो मान गई क्योंकि चुदने का मन तो उसे भी हो रहा था.
अब मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला दिया. उसके चूतड़ों के नीचे तकिया लगा दिया ताकि चूत थोड़ा ऊपर हो जाए और लंड डालने में आसानी हो.
फिर जैसे ही मैंने लंड को उसकी चूत में डालना शुरू किया तो लंड फिसल जा रहा था.
कैसे भी करके लंड को चूत में सैट किया और धीरे धीरे पेलना शुरू किया.
लेकिन चूत बहुत ज्यादा टाईट थी जिस वजह से लंड अन्दर जा ही नहीं था और उसे बहुत दर्द होना शुरू हो गया था.
वो छटपटाने लगी थी, जिससे लंड को अन्दर पेलने में दिक्कत होने लगी थी.
वो बार बार लंड से चुदाई करवाने की मना करने लगी.
लेकिन मैंने भी ठान लिया था कि आज इसकी चूत नहीं फाड़ी, तो थू है मेरी मर्दानगी पर.
बस ऐसे विचार आते ही मैंने उसके होंठों में अपने होंठ रख दिए और लंड को चूत की फांकों में फंसा दिया.
अभी मेरे लंड का सुपारा चूत की फांकों में मुँह घुसाए पड़ा था.
मैं उसके होंठों को चूमने में लगा था.
वो भी मेरे होंठों को चूमने लगी.
हम दोनों को मजा आने लगा.
वो चूत की तरफ से गाफिल सी हो गई थी.
उसे याद ही नहीं रहा था शायद कि चूत की फांकों में लंड का टोपा फंसा पड़ा है.
थोड़ी देर चूमने के बाद मैंने फिर से लंड को घुसाना शुरू कर दिया.
लेकिन उसका पहली बार सेक्स होने के कारण लंड थोड़ा सा ही अन्दर गया और उसकी हालत खराब हो गई.
वो कराहती हुई बोलने लगी- बहुत दर्द हो रहा है यार … इसे निकालो, मैं मर जाऊंगी. कुछ चिकनाई लगा लो.
मैंने मन मसोस कर लंड बाहर निकाला और उसमें ग्लिसरीन लगाई.
कुछ उसकी चूत में भी लगाई उसके बाद उसे फिर से चुदाई की पोजीशन में लेटाया.
मेरे बेड के सामने ही खिड़की थी और मेरा बेड उस खिड़की वाली दीवार पर टिका था.
इस बार मैं लंड डाला और अपने हाथों से खिड़की की रॉड को पकड़ कर खूब ताकत के साथ लंड चूत में पेल दिया.
इस बार मैंने बहुत ज्यादा ताकत लगाई थी जिस वजह से मेरा पूरा लंड एक बार में ही घुस गया.
अंजलि को ये झटका बर्दाश्त नहीं हुआ था.
पेनफुल सेक्स के कारण वो लंड को चूत से निकालने की कोशिश कर रही थी.
मैं लंड पेले हुए पड़ा रहा और उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
कुछ देर में वो धीरे धीरे शान्त हो गई और मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
अब तक उसकी चूत थोड़ी ढीली हो गई थी, तो लंड आगे पीछे होने लगा.
अंजलि को अब दर्द के साथ साथ मज़ा आने लगा.
कई बार के धक्के मारने के बाद वो मस्त हो गई और मजे से लंड का स्वाद लेने लगी.
मैं दस मिनट तक उसे पेलता रहा और उसकी चूत में ही झड़ गया.
जब मैंने लंड बाहर निकाला तो लंड और चूत खून से लाल हो चुका था.
एक बार की चुदाई से मेरा मन नहीं भरा था, मैं उसे दुबारा से चोदना चाहता था.
मगर एक बार की चुदाई में ही अंजलि की हालत खराब हो गई थी.
उसमें इतनी ताकत नहीं बची थी कि वो लंड को अपनी चूत में दुबारा ले सके.
उसकी ऐसी हालत को देखकर मैंने सोना ही मुनासिब समझा.
इसके बाद अंजलि को मैंने सुबह के समय फिर से चोदा.
दूसरी बार की चुदाई में वो मस्ती से लंड लेने लगी थी.
इन दो बार की चुदाई से अंजलि की चूत लंड बड़े आराम से और मस्ती से लेने लगी थी.
फिर जब हम दोनों नहाने एक साथ बाथरूम में गए तो उधर उसने अपनी हसरत मुझे बताई.
अंजलि बोली- मैं खुद तुमसे सेक्स करना चाहती थी मगर कह नहीं पा रही थी.
मैंने कहा- हां यार, यही मेरे साथ था. वो तो कल न जाने कैसे सब होता चला गया, कुछ अहसास ही नहीं रहा.
इसके बाद मैंने उसे कई बार चोदा. मैं अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे अंजलि ने मेरे चोदने पर अपनी चूत से मूत छोड़ दिया था.
दोस्तो, ये अंजलि की सील तोड़ चुदाई आपके सामने मैंने लिखी.
आपको ये पेनफुल सेक्स की कहानी कैसी लगी, मुझे मेल पर बताएं.
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