फ्रेंड वाइफ चीट स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मेरे दोस्त की गर्म बीवी आधी रात में मेरे कमरे में चूत चुदाई का मजा लेने आ गयी और पूरी रात नंगी रहकर चुदी.
दोस्तो, मैं हर्षद एक बार पुन: अपने दोस्त और उसकी बीवी के साथ वाली इस सेक्स कहानी में आप सभी का स्वागत करता हूँ.
कहानी के पिछले भाग
मेरा दोस्त लंड लेने का शौकीन
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपने दोस्त विलास की लंड चुसवा कर सो सा गया था कि तभी सरिता कमरे में आ गई.
हम दोनों अलग हो चुके थे. फिर विलास के बाथरूम में जाते ही सरिता मुझे लिपट गई थी.
अब आगे फ्रेंड वाइफ चीट स्टोरी:
विलास को बाथरूम से बाहर आया देख कर सरिता बोली- देवर जी, जाइए आप भी जल्दी से फ्रेश होकर आइए.
मैं भी लंड को छुपाकर बाथरूम चला गया.
पांच मिनट में मैं फ्रेश होकर आ गया.
फिर सरिता ने हम तीनों के लिए चाय परोस दी और हम तीनों सामान्य होकर बातें करते करते चाय पीने लगे.
चाय पीने के बाद विलास पैंट पहनकर तैयार होकर बोला- हर्षद तू आराम कर, मैं जरा बाहर जाकर आता हूँ … गांव में थोड़ा काम है. मैं एक डेढ़ घंटे में आ जाऊंगा. तुम देवर भाभी बातें करते रहो या आराम करो.
ये बोलकर विलास अपनी बाईक की चाबी लेकर चला गया.
मैंने सरिता से पूछा- तुम्हारा दर्द कैसा है अभी?
सरिता बोली- गोली की वजह से पूरा दर्द गायब हो गया है. तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो हर्षद.
भाभी उठती हुई बोली और बिस्तर देख कर कहने लगी- कितना अस्तव्यस्त किया है बेड … ये बेडशीट, तकिए … क्या कोई जंग लड़ी है यहां?
सरिता बेड के पास गयी और झुककर तकिये उठाने लगी. मेरी नजर सरिता की गांड पर जा पड़ी. गाउन के ऊपर से ही गोलमटोल गांड और बीच वाली दरार साफ दिख रही थी.
बहुत ही सेक्सी नजारा था. उसकी कसी हुई पैंटी भी साफ़ नजर आ रही थी.
मेरा लंड फिर से तनाव में आने लगा.
तभी सरिता ने आवाज दी- हर्षद ये क्या है?
सरिता तकिया बाजू में रखकर मेरी ब्रीफ हाथ में लटकाकर मुझे दिखा रही थी.
वो बोली- ये तो तुम्हारी है ना हर्षद?
मैंने उठकर शर्माते हुए कहा- हां सरिता ये मेरी ही है.
मैं ब्रीफ लेने उसके पास गया तो उसने हाथ ऊपर करके कहा- पहले ये बताओ कि तुम नंगे क्यों सोये थे?
तो मैं उसके हाथ से ब्रीफ छीनने लगा.
इसी छीनाझपटी में सरिता पीछे हट कर सरक गयी तो वो बेड पर गिर पड़ी और मैं उसके ऊपर.
उसने मुझे पकड़ा था इसलिए मैं उसके ऊपर छा गया. मेरे दोनों हाथ उसके चुचों को पकड़े हुए थे और नीचे लंड उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था.
मैं सरिता की चूचियां जोर से गाउन के ऊपर से ही मसल रहा था.
सरिता कसमसाकर बोली- उठो हर्षद … अभी कुछ मत करना. प्लीज … छोड़ दो मुझे. अब जो भी करना है, रात को करना.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं उसके ऊपर से उठकर खड़ा हो गया तो सरिता भी उठ कर खड़ी हो गयी.
वो मेरी ब्रीफ मुझे देती हुई बोली- अब बताओ नंगे क्यों सोये थे?
मैंने भी कह दिया- तुम्हारे पति ने ही मुझे नंगा किया था. उसे मेरा लंड चूसना था. तुम दोनों ने मेरी नींद हराम कर दी है.
मैंने हंसते हंसते सरिता से कहा और सरिता ने कामुक भरी नजरों से मेरी ओर देखा.
वो मेरा लंड अपने दोनों हाथों से मसलकर बोली- और मेरी नींद तुम्हारे इस मूसल जैसे लंड ने चुरायी है. जब से इसे देखा है … और सुबह मुझे रगड़कर चोदा है, तब से बार बार मेरी चूत गीली हो जाती है.
मैंने कहा- अच्छा जरा दिखाओ तो!
ऐसे कहते हुए मैंने सरिता का गाउन झट से ऊपर कर दिया और एक हाथ से उसकी पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाकर देखा.
सच में सरिता की पैंटी गीली हो गयी थी.
सरिता कामुक भरी आवाज में बोली- मैं क्या झूठ बोल रही हूँ हर्षद?
“अरे नहीं सरिता, मुझे भी तुम्हारी याद आते ही मेरा लंड फड़फड़ाने लगता है.”
मैंने उसे एक हाथ से अपनी ओर खींच लिया तो सरिता के हाथ में पकड़ा हुआ मेरा लंड सीधे जाकर सरिता की चूत पर रगड़ खाने लगा.
सरिता के मुँह से कामुकता भरी सिसकारियां निकलने लगीं. सरिता की पैंटी गीली होने के कारण मेरे लंड का सुपारा पूरा गीला हो गया था.
अब मुझे भी जोश आने लगा था, मैं और नहीं रुक सकता था.
मैंने सरिता की पैंटी अपने दोनों हाथों से घुटने तक नीचे सरका दी तो मेरे लंड का सुपारा चूत की दरार में रगड़ खाने लगा था.
सरिता पूरी तरह से कामुक होकर सिसकारियां ले रही थी और साथ में लंड को अपनी चूत पर रगड़ रही थी.
मैं पीछे से सरिता का गाउन ऊपर करके अपने दोनों हाथों से उसकी गांड मसलने लगा था.
साथ ही मैं अपने लंड पर दबाव बढ़ाता रहा.
सरिता कसमसा रही थी.
इतने में मैंने जोर का धक्का मारा, तो मेरा पूरा सुपारा सरिता की चूत की दीवारों को चीरकर अन्दर घुस गया.
इस अचानक हुए हमले से सरिता जोर से चिल्ला पड़ी और वो लंड छोड़कर अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को सहलाने लगी.
मैं भी उसकी गांड सहला रहा था.
सरिता की आहें वासना में डूब गयी थीं और उसने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया था.
उसकी चूत बहुत गर्म हो चुकी थी.
मैं अपने लंड से झटके देने लगा तो वो एकदम जोर जोर से कामुक सिसकारियां लेने लगी.
लंड की कुछ ही रगड़ों में उसकी चूत ने गर्म लावा छोड़ दिया और अपने रज से मेरे पूरे लंड को नहला दिया था.
सरिता झड़ने के बाद झट से मुझसे अलग हो गयी- अब बस भी करो हर्षद. बहुत बुरा हाल कर दिया तुमने!
उसने अपनी पैंटी निकालकर मेरा लंड अपनी पैंटी से साफ कर दिया और मेरी ब्रीफ से अपनी चूत और जांघें साफ कर दीं.
मैंने सरिता से कहा- अब तुम्हारा तो हो गया, लेकिन मेरे लंड का क्या करोगी?
सरिता बोली- बहुत बदमाश हो तुम हर्षद. तुम्हारे लंड का इलाज मैं आज पूरी रात भर करूंगी.
मैंने कहा- तुम तो अपने पति के साथ सोओगी ना?
तो सरिता बोली- उनकी चिंता तुम मत करो. मैं सब सभांल लूंगी.
उसने हंसते हुए बोला और अपनी पैंटी और मेरी ब्रीफ धोने बाथरूम में चली गयी.
पांच मिनट में ही सरिता वापस कमरे में आई … उसने धोयी हुई पैंटी और ब्रीफ लाकर मेरे कमरे में सुखाने को डाल दी.
फिर उसने अलमारी से दूसरी पैंटी निकालकर पहन ली और मेरी ओर देखती हुई बोली- तुम्हारे पास दूसरी ब्रीफ है क्या हर्षद?
मैंने कहा- नहीं है.
वो शैतानी से बोली- मेरी पहनोगे?
मैंने कहा- हां दे दो, कोशिश करता हूँ.
सरिता ने अलमारी से लाल रंग की अपनी पैंटी मुझे दे दी.
मैं उसके सामने ही लंड पर पैंटी डाल दी, लेकिन उसमें मेरा लंड आराम से नहीं बैठ पा रहा था.
सरिता हंसती हुई बोली- तुम्हारा ये लंड भी तुम्हारी तरह बदमाश है, चुपचाप नहीं बैठता.
मैंने भी हंस दिया.
सरिता बोली- अब लुँगी पहन लेना, रात को कौन देखेगा.
उसने घड़ी देखी, तो शाम के साढ़े छह बज चुके थे- बाप रे … बहुत देर हो गयी हर्षद. अब मैं जा रही हूँ.
सरिता चाय की ट्रे लेकर नीचे चली गयी.
मैंने अपनी लुँगी ठीक से गाँठ लगाकर पहन ली और टीवी चालू करके बेड पर लेट गया.
टीवी देखते ही कब मेरी आंख लग गयी, पता ही नहीं चला.
फिर जब विलास ने जगाया तो घड़ी में साढ़े सात बज चुके थे.
“अरे यार विलास अच्छा हो गया तुमने मुझे जगा दिया, नहीं तो ना जाने कितनी देर तक सोता रहता.”
इतना कहकर मैं बाथरूम में गया और फ्रेश होकर आ गया.
तब तक विलास ने पैंट निकालकर लुँगी पहन ली.
हम दोनों टीवी देखते हुए बातें करने लगे.
करीब साढ़े आठ बजे विलास के मोबाइल पर सरिता का फोन आया- खाना तैयार है, आ जाओ.
हम दोनों नीचे आ गए तो सरिता सबके लिए टेबल पर खाना परोस रही थी.
हम सब बैठ गए.
सरिता मेरे सामने अपनी सासू मां के साथ बैठी थी. हम सब बातें करते खाना खा रहे थे.
मैंने विलास के पिताजी से कहा- अंकल, मेरी छुट्टी कल तक की है, तो मैं कल पांच बजे चला जाऊंगा.
अंकल ने कहा- अरे हर्षद, और दो दिन रहो ना … हमें बहुत अच्छा लगेगा.
मैंने कहा- नहीं अंकल, मैं फिर कभी आऊंगा. हालांकि मेरा भी मन नहीं कर रहा है जाने को.
ये मैं सरिता की ओर देखकर बोला तो सरिता ने अपना पैर मेरे पैर पर रख दिया.
शायद वो रुकने को बोल रही थी लेकिन सबके सामने कह नहीं सकती थी.
अंकल बोले- ठीक है हर्षद जैसा तुम चाहो.
हम सब खाना खाकर थोड़ी देर गपशप करने बाहर बैठ गए.
अब साढ़े नौ बज गए थे तो विलास बोला- चलो हर्षद ऊपर चलते हैं. कल सुबह मुझे आठ बजे जाना है.
हम दोनों ऊपर आ गए.
विलास ने टीवी चालू कर दिया.
मैं कुर्सी में बैठ गया और विलास बेड पर बैठ गया.
हम दोनों पुरानी यादें ताजा करने लगे; बहुत सारी बातें एक दूसरे से साझा करते रहे थे.
थोड़ी देर में सरिता हाथ में ट्रे लेकर आयी.
वो हम तीनों के लिए दूध लायी थी. उसने विलास को और मुझे ग्लास दिया और एक खुद ने भी ले लिया. हम तीनों दूध पीने लगे.
सरिता ने मुझसे कहा- देवर जी, और दो दिन रहते तो हम लोगों को अच्छा लगता.
“नहीं भाभीजी, ज्यादा छुट्टी नहीं मिलती है ना.”
सरिता मुँह लटका कर विलास से बोली- सुनो जी, अब आप ही कुछ कहो ना.
विलास बोला- सरिता उसकी नयी नयी जॉब है. इसलिए ज्यादा छुट्टी नहीं मिलती. तुम्हारे आने से पहले ही मैं हर्षद को यही कह रहा था. वो फिर कभी आने की भी बोल रहा है. उसकी मज़बूरी है तो हम जबरदस्ती नहीं कर सकते ना सरिता.
बातें करते करते दस बज गए थे.
विलास बोला- हर्षद अब मैं सोता हूँ. सुबह आठ बजे मुझे जाना है. तुम भी सो जाओ.
ये कह कर विलास अपने बेड पर लेट गया.
सरिता ने उठकर बाहर का दरवाजा लॉक कर दिया.
मैं भी उठ गया और अपने रूम में जाकर दरवाजा हल्के से लगा दिया, लॉक नहीं किया.
मैं अन्दर जाकर अपने कपड़े निकालकर पूरा नंगा हो गया.
सरिता की पहनी हुई पैंटी भी निकालकर रख दी, कमरे की लाईट बंद कर दी और जीरो वाट की लाईट चालू कर दी.
मैं लुँगी अपने बदन पर ओढ़कर लेट गया.
मैंने बीच की खिड़की की तरफ देखा तो सरिता भी लाईट बंद करके सो गयी थी.
मैं आंखें बंद करके सरिता के आने का इंतजार करने लगा.
आधा घंटा हो गया था.
मुझे तो एक मिनट भी एक घंटा जैसे लग रहा था.
पूरी रात सरिता को चोदने की चाहत से मन में तो लड्डू फूट रहे थे.
इस सोच से ही मेरे लंड में भारी गुदगुदी हो रही थी.
थोड़ा और इंतजार करके मैं खिड़की के पास जाकर देखने लगा.
जीरो वाट की लाईट में सब दिखाई देता था. मैंने पर्दा थोड़ा सा हटाया और देखा तो विलास दीवार की तरफ मुँह करके सोया था और सरिता पीठ के बल टांगें फैलाकर लेटी थी.
सरिता का एक हाथ अपनी चूचियों पर रखा था और दूसरा हाथ चूत पर रखा था.
उसकी आंखें बंद थीं.
मैं थोड़ी देर ऐसे ही सरिता की तरफ नजरें गाड़कर देखता रहा.
अब सरिता अपने एक हाथ से अपनी चूत को गाउन के ऊपर से ही सहला रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूचियां सहला रही थी.
मुझे ये देखकर अपने पूरे बदन में एक अजीब सी लहर दौड़ने लगी.
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने बेड पर रखी सरिता की पैंटी को लेकर उसे बॉल जैसी गोल बनाकर खिड़की से उसकी ओर फैंका, तो उसकी चूत पर जाकर लगी.
सरिता बौखला कर उठ गयी. उसने मेरी तरफ देख लिया और हंसते हुए हाथ से इशारा किया- रुको, मैं आ रही हूं.
उसने अपनी पैंटी उठायी और बेड के नीचे उतर कर खिड़की बंद कर दी.
मैं भी बेड पर बैठ गया.
ग्यारह बज रहे थे. सरिता ने हल्के से दरवाजा खोला और अन्दर आकर आहिस्ता से बंद कर दिया.
अब हम दोनों की इंतजार की घड़ियां खत्म हो गयी थीं.
मैं बेड पर बैठकर सरिता को देख रहा था.
उसके हाथ में वो पैंटी थी जो मैंने उसे मारी थी.
उसने वो पैंटी मेरे लंड पर फैंकी.
मेरा लंड खड़ा होने की वजह से वो लंड पर लटकने लगी.
सरिता हंसती हुई बेड के पास आयी.
उसने अपना गाउन निकालकर कुर्सी पर रख दिया और मेरे लंड पर लटकती पैंटी को भी निकाल कर रख दी.
सरिता पूरी तैयारी के साथ आयी थी; उसने पैंटी और ब्रा नहीं पहनी थी. मैं उसका कंटीला और सेक्सी बदन देखता ही रह गया.
आज की रात सरिता मेरे साथ पूरी रात चुदाई का मजा लेने वाली थी. आप मेरे साथ इस सेक्स कहानी से जुड़े रहें …
इस फ्रेंड वाइफ चीट स्टोरी के अगले भाग में बहुत मजा आने वाला है. आप मुझे मेल जरूर करें.
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फ्रेंड वाइफ चीट स्टोरी का अगला भाग: भाभी की प्यासी चूत और बच्चे की ख्वाहिश- 3