भाभी की प्यासी चूत और बच्चे की ख्वाहिश- 1

भाभी की प्यासी चूत और बच्चे की ख्वाहिश- 1


गे फ्रेंड सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मेरे दोस्त को अपनी बीवी की चूत से ज्यादा मेरा लंड प्यारा था. मैं उसके घर गया तो वो मेरा लंड अपनी गांड और मुंह में लेने को तैयार रहता था.
सभी प्यारे दोस्तों को हर्षद का प्यार भरा नमस्कार.
अपने मेरी सेक्स कहानी
दोस्त की कुंवारी बीवी को सेक्स का मजा दिया
पढ़ी होगी. उसी कहानी का शेष भाग आपके लिए लेकर आया हूँ.
लेकिन ये कहानी एक अलग शीर्षक के साथ पेश है. शायद आपको ये भी खूब पसंद आएगी.
पिछली बार आपने पढ़ा था कि सरिता भाभी को मैंने पहली बार चोदकर उसे कली से फूल बना दिया और हम दोनों साथ में नहाकर तैयार हो गए थे.
सरिता मुझे आराम करने को बोलकर खाना बनाने चली गयी.
अब आगे गे फ्रेंड सेक्स स्टोरी:
दोपहर के साढ़े बारह बजे थे. मैंने टीवी चालू किया और बेड पर लेटकर आराम से टीवी देखने लगा.
कुछ देर बाद मैंने अपने मोबाइल से विलास को फोन लगा कर पूछा- यार विलास, तुम कब तक आ रहे हो, मुझे बड़ा बोर लग रहा है यार. तुम जल्दी आ जाओ, हम साथ में खाना खाएंगे.
विलास बोला- हां यार, मैं यहां से निकल चुका हूँ. बस आधा घंटा में पहुंच जाऊंगा.
मैंने टीवी बंद किया और दरवाजा बंद करके नीचे चला गया.
सरिता किचन में खाना बना रही थी.

मैंने सरिता को आवाज दी- भाभी जी, विलास आधा घंटा में पहुंच रहा है. उसके आने के बाद हम सब साथ में खाना खाएंगे.
तो सरिता मेरी तरफ देखकर बोली- देवर जी, क्या आपने उनको फोन लगाया था … आप अकेले बोर हो गए क्या?
सरिता ने हंसते हुए मुझे आंख मारकर कहा तो मैंने भी कहा- हां भाभी जी.
मैंने भी सरिता को हंसते हुए आंख मारी और विलास के पिताजी और मां के साथ बातें करने बैठ गया.
इधर उधर की बातें करते समय कैसे बीत गया, कुछ पता ही नहीं चला.
इतने में विलास भी आ गया. उसने थोड़ी देर हम सभी के साथ बातें की.
तभी सरिता आयी और बोली- खाना तैयार हो गया है.
वो विलास से बोली- आप हाथ पांव धोकर आओ, मैं सबको खाना लगाती हूँ.
विलास फ्रेश होकर आ गया.
हम सब साथ में खाना खाने लगे और साथ में बातें भी करने लगे.
तभी विलास के पिताजी ने पूछा- विलास, अपना काम हो गया क्या?
विलास ने कहा- नहीं पिताजी, कुछ पेपर और जोड़ने पड़ेंगे तो कल फिर जाना पड़ेगा.
मैं और सरिता हम दोनों ही अन्दर से खुश होकर एक दूसरे की ओर देख रहे थे.
सरिता कामुक निगाहों से मेरी ओर देख रही थी.
अब हम सबका खाना खत्म हो गया और हम उठकर आंगन में बैठ गए.
विलास बोला- सॉरी हर्षद, तुमको अकेले बहुत बोरियत हुई होगी ना!
“अरे यार ऐसी बात नहीं है. मैंने भी गांव में जरा इधर उधर घूमकर टाइम पास किया है. मैं तेरी मज़बूरी समझता हूँ.”
बात करते करते हमें तीन बज गए.
मैंने विलास से कहा- मैं ऊपर जाकर आराम करता हूँ.
विलास बोला- ठीक है, मैं पिताजी से बातें करके बाद में आता हूँ.
मैं ऊपर गया और विलास के बेड पर ही लेट गया.
खाना खाने की वजह से आंखों में नींद भर रही थी. मेरी आंखें कब बंद हुईं, कुछ पता ही नहीं चला.
मेरी आंखें तब खुलीं, जब मेरे लंड पर मुझे कुछ दबाव सा महसूस हो रहा था.
मैंने अपनी आंखें हल्की सी खोलकर देखा तो विलास मेरे पास मेरी तरफ मुँह करके सोया था.
मैं पीठ के बल सो रहा था, विलास का एक हाथ मेरे लंड पर था.
विलास ने मेरी लुँगी खोलकर बदन से अलग की हुई थी और उसने मेरी ब्रीफ के ऊपर से ही मेरे लंड पर अपने हाथ से दबाव बनाया हुआ था.
मैं सोने का नाटक करते हुए सब देख रहा था.
मैंने सफेद ब्रीफ पहनी थी तो विलास को लंड का पूरा दीदार हो रहा था.
अब विलास अब मेरे लंड को सहलाने लगा था.
मैं भी पूरा मजा ले रहा था.
मुझे सुबह की सरिता की चुदाई का दृश्य याद आने लगा था.
विलास इस तरह हल्के हल्के से मेरे लंड को सहला रहा था कि मेरे लंड में तनाव आने लगा था.
लंड में गुदगुदी हो रही थी.
अब मैंने भी नींद का दिखावा करते हुए अपनी दोनों टांगें दोनों तरफ फैला दीं.
विलास ऊपर से नीचे तक अपनी उंगलियां चलाने लगा था और बीच में ही लंड को दबा देता था.
इसी वजह से मेरा लंड ब्रीफ में फड़फड़ाने लगा था.
मेरी ब्रीफ का उभार बढ़ने लगा था.
जब विलास से रहा नहीं गया तो उसने नीचे सरक कर मेरे लंड के उभार पर अपने होंठ रख कर किस कर दिया.
वो मेरे सुपारे से लेकर नीचे अंडकोश तक हर जगह लगातार किस करने लगा.
अब तो उसने ब्रीफ के ऊपर से ही मेरे लंड दांतों से हल्के से काट लिया तो मैं कसमसाने लगा और मेरा लंड फुदकने लगा.
मेरे लंड का हाल देखकर विलास मेरी ब्रीफ नीचे खींचने लगा तो मैंने अपनी कमर ऊपर उठा कर उसकी मदद की.
ब्रीफ नीचे खिंचते ही मेरा तना हुआ लंड उछल कर बाहर आ गया और फड़फड़ाने लगा.
विलास ने एक ही झटके में मेरी ब्रीफ निकाल कर तकिए के नीचे रख दी और अपने दोनों हाथों में मेरे लंड को पकड़कर ऊपर नीचे सहलाने लगा.
कुछ पल बाद उसने अपने मुँह से मेरे लंड के सुपारे पर ढेर सारा थूक टपका दिया और सुपारा मुँह में लेकर चूसने लगा.
अब मुझे भी रहा नहीं गया तो मैं अपने हाथों से उसका सर सहलाने लगा और लंड पर उसके सर का दबाव डालने लगा.
विलास भी जोश में आकर लंड अन्दर बाहर करके चूसने लगा.
मेरा पूरा लंड विलास ने अपने थूक से लबालब कर दिया था.
बीच में ही जब उसके मुँह से पचापच की आवाज निकलती थी तो मेरा जोश और बढ़ने लगता था.
मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगी थीं.
मैंने विलास से कहा- आ हा हा इस्सस हह विलास कितना मस्त चूस रहे हो … आंह बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है … ऐसे ही चूसते रहो.
विलास लंड चूसते हुए बोला- यार, तेरा लंड इतना मोटा और मूसल जैसा है कि छोड़ने का दिल ही नहीं करता. जब तक तू यहां है, तब तक मुझे चूसकर मजे लेने दे … फिर ना जाने फिर तुम कब आओगे.
विलास अब अपने दोनों हाथों से मेरा लंड मसल रहा था.
मैंने कहा- यार विलास, मैं जब तक यहां हूँ, ये लंड तेरा ही है. जब चाहे चूसते रहना.
विलास बोला- हां हर्षद मैं छोड़ूँगा नहीं … इसे चूस चूस कर और मोटा और लंबा बना दूँगा.
उसने मेरा लंड फिर से मुँह में भर लिया और गपागप चूसने लगा.
वो मेरा पूरा लंड अपने मुँह में गहराई तक ले रहा था.
अब विलास लंड चूसते चूसते अपने दोनों हाथों से मेरी जांघों को सहलाने लगा तो मैंने दोनों टांगें दोनों बाजू फैला दीं.
मैं बहुत कामुक होता जा रहा था.
वो अपने हाथों से मेरी गांड भी सहला रहा था और मुँह से लंड चूसने का काम भी जारी था.
अब तो वो अपनी उंगलियां मेरी गांड के छेद पर भी फिराने लगा था, तो मैं कामुकता से सीत्कार उठता था.
मैंने विलास से बोला- अब तुम ऐसे करोगे, तो मैं झड़ जाऊंगा.
विलास बोला- इतना जल्दी मत झड़ना यार … मुझे अभी और मजा लेने दो. आज मुझे तुम्हारे लंड का ढेर सारा अमृत पीना है.
इतना कहकर उसने लंड मुँह से निकाल दिया और सुपारे पर गोल गोल अपनी जीभ घुमाकर नीचे नीचे आने लगा.
फिर एक हाथ से उसने मेरा लंड पकड़ा और हिलाने लगा; मेरा एक अंडकोश मुँह में लेकर चूसने लगा.
वो बारी बारी से एक गोटी लेकर चूसता और उसे होंठों के बीच दबा कर खींच देता था.
मुझे पहली बार ये सब अनुभव का आनन्द मिल रहा था.
फिर विलास ने अपना मुँह और नीचे लाकर मेरी गांड के छेद को अपने होंठों से किस किया तो मेरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी.
विलास अपनी जीभ मेरी गांड के छेद के आजू बाजू गोल गोल घुमाने लगा तो मैं सह नहीं पा रहा था.
मैं पूरी तरह से कामुक होकर अपनी गांड नीचे से उठा रहा था और विलास का सर अपने हाथों से अपनी गांड पर दबा रहा था.
मैंने विलास से कहा- यार बस कर अब … नहीं तो मैं झड़ जाऊंगा.
मगर वो तो मानो पागल हो गया था. उसने मेरा लंड फिर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा मेरा लंड उसके गले की गहराई में जाकर वापस आ रहा था.
दस मिनट धुँआधार लंड चुसाई के बाद आखिर वो पल नजदीक आ गया था.
मैं अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया था.
मैंने विलास से कहा- आंह विलास, अब मैं झड़ने वाला हूँ आंह अअअह … इह और चूस जोर से आह आंह!
बस मेरे लंड ने जोर से पिचकारी मारी जो विलास के गले की गहराई तक गयी.
विलास भी जोश में आकर मेरा लंड जोर जोर से चूस रहा था, वो पूरा रस पीता जा रहा था. बल्कि अब तो वो मेरा पूरा लंड अन्दर बाहर करके चूस रहा था.
इस तरह से उसने मेरा पूरा लंड चूसकर निचोड़ लिया था. एक एक बूंद उसने चाटकर, मेरे लंड को पूरा साफ कर दिया था.
हम दोनों ही बहुत खुश हो गए थे. हम दोनों थक गए थे.
मैंने अपने अपने हाथ पांव तानकर लंबे कर दिए और आंखें बंद कर दीं.
मैं ऐसे ही नंगा ही पड़ा रहा और विलास अपना मुँह मेरी जांघों पर रखकर सो गया.
लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मैं नीचे से नंगा था.
विलास बनियान और लुँगी पहने हुए था.
थकावट के कारण मेरी आंखें बंद हो रही थीं … पर नींद नहीं आ रही थी क्योंकि विलास की गर्म गर्म सांसें मेरे लंड को छूकर गर्म कर रही थीं.
अचानक विलास के सर की हलचल हुई और अब विलास का मुँह मेरे लंड के सुपारे के पास आ गया था.
विलास सोया था, लेकिन उसकी गर्म सांसें मेरे लंड को उकसा रही थीं, गर्म कर रही थीं.
इसी वजह से मेरा सोया हुआ लंड फिर से जागने लगा था.
विलास थककर सोया था तो मैं उसे उठा नहीं सकता था और अपने लंड को काबू में ही नहीं रख सकता था.
इसका अंजाम यही हुआ कि मेरे लंड का सुपारा फूलकर विलास के होंठों को फिर से छूने लगा था.
मेरी कामुकता बढ़ रही थी. लंड और जोश में आने लगा था, तो और तन गया.
लंड विलास के होंठों को रगड़ने लगा तो विलास ने अपने होंठों से मेरा सुपारा पकड़ लिया.
मैं अपनी आंखें बंद करके लेटा रहा.
विलास ने अपने होंठों में मेरे लंड को सुपारे को पकड़ा हुआ था, तो मेरा लंड पूरे तनाव में आने लगा था.
इतने में दरवाजा खटखटाने की आवाज आने लगी.
आवाज सुनकर तो मुझे पसीने छूटने लगे थे.
मैंने विलास को हिलाकर जगाया और कहा- दरवाजा खोलो जाकर.
विलास उठ गया और मैंने भी अपनी लुँगी लपेट ली, लेकिन तना हुआ लंड नहीं छुपा सकता था.
उधर विलास ने दरवाजा खोला तो भाभी ट्रे में चाय का थर्मस और चाय के कप लेकर अन्दर आयी.
विलास उसे ‘मैं फ्रेश होकर आता हूँ …’ बोलकर बाथरूम में घुस गया.
मैं भी बेड से उठकर खड़ा हो गया था.
सरिता ने ट्रे तिपाई पर रखते हुए पूछा- देवर जी, नींद पूरी हुई क्या?
मैंने अँगड़ाई लेकर कहा- नहीं भाभीजी. आपने डिस्टर्ब कर दिया.
सरिता की नजर मेरी लुँगी में बने हुए तम्बू पर थी. वो बोली- अच्छा देवर जी.
उसने बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा और मेरे पास आकर मुझे बांहों में भर लिया.
मेरा लंड उसकी चुत पर रगड़ने लगा.
उससे रहा नहीं जा रहा था, वो मेरे कान में बोली- अब देखती हूँ, रात भर कैसे सोते हो तुम?
यह कह कर सरिता मेरे होंठों को चूसने लगी.
मुझे भी बहुत जोश आ गया और उसकी गांड को अपने हाथों से पकड़कर लंड पर दबाव बढ़ाने लगा.
सरिता कसमसा रही थी और जोर से मेरे लंड पर गाउन के ऊपर से ही अपनी चुत रगड़ रही थी.
वो बहुत कामुक हो रही थी.
मैं सरिता की गोलमटोल गांड जोर जोर से दबा रहा था तो वो हल्के से सिसकारियां लेने लगी थी.
इतने में बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आयी तो सरिता अलग होकर कुर्सी में जाकर बैठ गयी. मैं बेड पर बैठ गया.
अगले भाग में सरिता भाभी के साथ हुए सेक्स को लिखूँगा.
दोस्तो, आपको मेरी ये गे फ्रेंड सेक्स स्टोरी कैसी लग रही है … प्लीज़ मेल करके जरूर बताएं.
[email protected] गे फ्रेंड सेक्स स्टोरी का अगला भाग: भाभी की प्यासी चूत और बच्चे की ख्वाहिश- 2

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