भाभी की चूत से टपकता पेशाब पीया

भाभी की चूत से टपकता पेशाब पीया

पिस सेक्स यूरिन स्टोरी में पढ़ें कि मैंने पड़ोस वाली भाभी की चुदाई करना चाहता था. मैंने उनसे बात की तो उन्होंने मुझे घर बुला लिया. उन्होंने मेरे साथ जो किया …

दोस्तो, सेक्स कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको बता दूँ कि यह कहानी घिनौने सेक्स की है.
अगर आपको गंदा सेक्स पसंद हो, तभी इस कहानी को पढ़ें, अन्यथा आप कोई दूसरी कहानी पढ़ लें.

मैं अपनी पूरी फैमिली के साथ इंदौर में रहता हूँ.

इस पिस सेक्स यूरिन स्टोरी में उस घटना का जिक्र है कि कैसे मुझे एक कमाल की माल भाभी मिली और उसने अपनी गांड और चूत के रस से सना ब्रश कराया व पेशाब पिलाई.

मेरे घर के सामने एक भाभी रहती थी जो कि थोड़ी सी सांवली थी पर सही मायने में वो किसी मॉडल से कम नहीं थी.
उसकी मोटी मोटी चूचियां, पतली बलखाती सी कमर और तोप सी उठी हुई गांड किसी का भी लंड एक झटके में खड़ा कर सकती थी.

मैं हर वक्त ऐसे ही कोशिश करता रहता था कि किसी तरह भाभी दिख जाए, मैं मौका पाते ही बस भाभी को देखता रहता था.

कमाल की बात ये थी कि वो भी मुझे हमेशा देखती रहती थी.
हम दोनों की नजरें अक्सर मिल जाया करती थीं.

एक दिन मैंने हिमत करके भाभी से उसका नंबर मांगा तो उसने साफ मना कर दिया.

भाभी- मुझे अच्छे से पता है आजकल के लड़कों के दिमाग़ में क्या चलता रहता है.
मैं- मैं कुछ समझा नहीं भाभी … मैं तो बस आपसे फ्रेंडशिप करना चाह रहा था.

भाभी- मुझको किसी से भी फ्रेंडशिप नहीं करना … कुछ और करना हो तो बोलो?
मैं- मतलब?

भाभी उस टाइम कुछ नहीं बोली, बस इतना बोला कि तुझसे किसी बात के लिए पूछा जाए, तो बस तू हां बोल देना.

मैं कुछ नहीं समझा कि किस बात के लिए हां करना है.

उसके अगले दिन ही मम्मी ने मुझसे कहा- सामने वाली भाभी के घर ट्यूशन पढ़ने जाएगा क्या … वो मुझसे पूछ रही थी.

मुझको समझ आ गया कि भाभी किस बात के लिए हां बोलने का बोल रही थी.
मैंने मम्मी से हां कह दी और मैं अगले ही दिन भाभी के घर ट्यूशन पढ़ने चला गया.

भाभी ने गेट खोला तो मैंने देखा कि भाभी ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी और उस पर उसके गीले बाल क़यामत ढा रहे थे.
वो शायद नहा कर आई थी.

मैं- भाभी जी, मैंने हां बोल दिया.
भाभी मुस्कुरा कर बोली- तो आ जा अन्दर और बुक खोल कर पढ़ने बैठ जा.

उसकी पढ़ने बैठने की बात से मैं थोड़ा मायूस हुआ और बैठ गया.
मैं बस भाभी की तरफ देखने लगा और पढ़ने का कुछ भी उपक्रम नहीं किया.
करता भी कैसे, किताब आदि तो मैं लाया ही नहीं था.

भाभी ने मुझे उदास सा देखा तो उसने कहा कि फ्रेंडशिप करना है ना तुझको?
मैं- हां भाभी जी.

भाभी- तो एक काम करना पड़ेगा.
मैं- क्या?

भाभी- दो मिनट रुक, मैं अभी आई.
फिर भाभी उठी और जाने लगी.

मैं उसकी गांड की तरफ ही देख रहा था.
उधर की साड़ी उसकी गांड की दरार में घुसी हुई थी.
मैं वहां बहुत ध्यान से देख रहा था.

उसने मुझे देखा और वहां पर अपने हाथ की 4 उंगली डाल कर खुजलाते हुए अपनी साड़ी को बाहर निकाला.
फिर मुझे देख कर मुस्कुराती हुई अन्दर चली गई.

मैं तो बस भाभी को देखता ही रह गया कि ये मैंने क्या देख लिया.

भाभी थोड़ी देर में चाय लेकर आई और उसने मुझसे कहा- फ्रेंडशिप करनी है तो तुझको मेरा एक काम करना होगा.

मुझको तो बस कैसे भी भाभी को चोदना था क्योंकि उसकी ऐसी हरकत देख कर मुझको ये तो पता चल गया था कि भाभी मुझसे कुछ चाह रही थी.

मैंने कहा- जी भाभी जी बोलिए, आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ.

भाभी ने अपने हाथ की वही 4 उंगलियां मेरे गाल पर रखीं और बोली कि इनको सूँघ कर बता, कैसी खुशबू है?

मैं समझ गया कि ये वही हाथ है.
मैंने कहा- भाभी हाथ को क्या सूँघना, आप बोलो तो सीधे वहीं सूंघ लेता हूँ.
मेरा मतलब उसकी गांड से था.

भाभी ने कहा- वो सूंघना नहीं है, वहां तो तेरा मुँह जाएगा, पहले ये कर जो बोला है.

मुझको ऐसी ही भाभी पसन्द है, जो सब मुँह पर बोल दे.
मैंने तुरंत भाभी की वो उंगली सूंघ ली.

भाभी ने कहा- अब अपना मुँह खोल!
मैंने मुँह खोला ही था कि भाभी ने जो चाय उनके मुँह में थी, वो मेरे मुँह में थूक दी.

फिर जैसे ही मैंने मुँह बंद किया तो भाभी ने कहा- अभी मुँह खोले रखो देवर जी.

मैंने मुँह खोला तो भाभी ने वही 4 उंगलियां एक एक करके मेरे मुँह में डाल कर घुमाईं ओर बोली- अब पी.

मैं सही बताऊं तो मुझको उसमें भाभी की लिपस्टिक का स्वाद आया और चाय के साथ उनकी गांड का भी स्वाद आया.

उसने मेरी तरफ देखा और बोली- कैसी लगी मेरे हाथ की चाय?
मैंने कहा- सही में आपके हाथ में जादू है.

उसने पूछा- और पिएगा क्या?
मैंने कहा- हां पर अब तो हाथ का जादू खत्म हो गया.

तभी भाभी ने बोला- तू मुँह खोल, मैं सब कर दूँगी.
मैंने मुँह खोला, भाभी ने चाय पी और फिर से मेरे मुँह में उंगल दी.

फिर साड़ी ऊपर करके चूत और गांड दोनों में उंगली डाली.
मैं वो सब देखता ही रह गया. उसकी चूत काली थी पर अन्दर से पूरी गुलाबी दिख रही थी. और गांड तो पूरी काले गुलाबजामुन की तरह थी.

उसने मेरे मुँह में फिर से उंगली डाल कर घुमाई और इस बार आखिरी में थूक कर कहा- अब पी जा!
इस बार मुझको चाय थोड़ी सी खट्टी सी लगी, शायद उसमें चूत के रस से सनी हुई उंगली गई थी, इसलिए ऐसा लगा.

भाभी ने पूरी चाय ऐसे ही मुझको पिलाई.

फिर टाइम हो गया था तो मैं अपने घर आ गया क्योंकि मैंने घर पर भाभी के यहां जाने का टाइम 4 से 6 का ही बताया था.

मैंने घर आकर सबसे पहले भाभी जी की नाम की मुठ मारी और उसको चोदने के सपने सजाने लगा.
पूरी रात मेरे मुँह में मुझे उसकी गांड का स्वाद और चूत का स्वाद आता रहा था.

अगले दिन जब मैंने सुबह चाय पी, तो कप को उठा कर उसमें थोड़ा सा नमक डाला ताकि मुझको ये चाय भी उनकी गांड और चूत की चाय जैसी नमकीन लगे.

मैं बस अब 4 बजने का इंतजार करने लगा कि कब 4 बजें और मैं भाभी के घर जाऊं.

फिर जब मैं भाभी के घर गया और मैंने डोर बेल बजाई, तो कोई आया ही नहीं.
मैंने सोचा कि क्या पता भाभी को कुछ हो तो नहीं गया.
तो मैंने एक और बार आवाज़ दी तो भाभी आ गई.

उसके बाल पूरे बिखरे हुए थे ओर उसके मुँह से लार निकल रही थी.
उसका मुँह भरा हुआ सा था.
शायद वो सो कर उठी थी.

वो दरवाजा खोल कर अलग हटी और इशारे से मुझको बैठने के लिए बोला
उसका मुँह थूक से भरा था इसलिए वो बोल नहीं रही थी.

मैं समझ नहीं पाया तो उसने एक और बार इशारा किया.
मुझको कुछ समझ नहीं आया.

मैंने एक बार पूछा कि क्या बोल रही हो?
उसने आगे बढ़ कर मुझको किस किया और सारा थूक मेरे मुँह डाल दिया.

मुझको उसका थूक थोड़ा सा अजीब लगा, पर मैं सारा पी गया.
मुझको उसके मुँह की बास भी आ रही थी, मगर जब तक भाभी जी ने लिप्स नहीं हटाए, मैं धीरे धीरे उसका सारा थूक पीता चला गया.

फिर जैसे ही मैं थूक पी गया उसने कहा- उधर बैठ जा!
आज का ये वेलकम तो मेरे लिए बहुत ही ज्यादा मस्त था.

मैं सोफे पर बैठा तो भाभी भी मेरे बाजू में आकर बैठ गई.
तो मैंने कहा- भाभी, आज चाय नहीं पिलाओगी?
इस पर भाभी मुस्कुराई और बोली- क्यों तू चाय के लिए आया था क्या?

मैंने भी हंसते हुए कहा- नहीं, पर फिर भी!
भाभी ने कहा- यार अभी तो सो कर उठी हूँ.

मैंने बोला- अरे भाभी प्लीज़ जल्दी करो ना … मुझको आपकी मस्त वाली चाय पीनी है.
उसने कहा- आ आज तुझको पहले ब्रश करना सिखाती हूँ.

उसने मुझको पीछे पीछे आने को कहा
मैंने उनकी गांड से लंड सटाया और उसके पीछे पीछे जाने लगा.

उसने कहा कि आराम से चल न … मुझको तेरा वो गड़ रहा है.
मैंने कहा- सॉरी भाभी जी, मेरा ये बड़ा शैतान हो गया है.

उसने कहा- इसका एक इलाज है, रुक बाथरूम में चलते हैं.
बाथरूम में आते ही उसने कहा- चल अब अपना लंड निकाल.

मैंने पहली बार भाभी के मुँह से लंड सुना था, मैंने तुरंत लंड निकाल दिया.

भाभी ने लंड पर क्लोज़अप पेस्ट लगा दिया.
मेरी तो जान निकल गई वो पेस्ट मैन्थोल के कारण बड़ा ठंडा लग रहा था.

मगर जैसे ही भाभी जी ने मुँह में लंड को रखा, तो उसका मुँह इतना गर्म था कि क्या बताऊं.
मैंने भाभी का मुँह पकड़ा तो भाभी ने कहा- अरे रुक न … मैं कर सब लूँगी, तू बस आज मज़े ले.

भाभी ज़ोर ज़ोर से लंड को मुँह में अन्दर बाहर कर रही थी.
कुछ ही मिनट में मेरा काम होने की पोजीशन में आ गया था.

मैंने कहा- भाभी बस करो.
ये कह कर मैंने उसके बाल पकड़ लिए.

भाभी ने लंड बाहर निकाल दिया और बोली- अब ऐसी हरकत की तो याद रखना.
मैंने साफ़ कहा- पर मेरे से कंट्रोल नहीं हुआ था भाभी. मैं आपकी चूत की सेवा करना चाहता हूँ.

उसने बोला- मुझको सेक्स की कोई कमी नहीं है. मैं तेरे साथ ये सब नया नया ट्राई करने के लिए कर रही हूँ.
मैंने समझ लिया कि भाभी को उसकी मर्जी का खेल करने दो. आज नहीं तो कल भाभी चूत दे ही देगी.

मैंने उसको सॉरी बोला.
उसने कहा- सॉरी नहीं, अब तेरी बारी है.

मैं तो सुनकर खुश हो गया कि भाभी की चूत चाटने को मिलेगी.
भाभी ने एक ब्रश लिया और उसको अपनी गांड में डाल कर निकाला और उसको अपनी टपकती चूत पर रखा.

इतना करके उसने मेरे बाल ज़ोर से पकड़ लिए और मादक सीत्कार करने लगी.
उसके मुँह से बेहद गर्म आवाज निकलने लगी थी.

भाभी की काली चूत उसके पानी से और भी ज्यादा चमकने लगी थी. मेरा मन कर रहा था कि उसकी काली चूत को खा जाऊं.

भाभी ने ब्रश को अपनी चूत के ऊपर की तरफ घिसा शायद उसको ब्रश गड़ रहा होगा.
फिर उसने वो ब्रश मेरे हाथ में पकड़ा दिया और उस पर थूक कर मेरे मुँह दे दिया.

उस ब्रश पर साफ साफ भाभी की चूत का पानी दिख रहा था. मेरे मुँह से तो तत्काल पानी टपकने लगा था.

मुझको उसकी चूत का स्वाद एकदम अजीब सा लगा. थोड़ा नमकीन और थोड़ा सा उसके मुँह की बू जैसा लग रहा था.
फिर मैंने जैसे ही थूकने के लिए मुँह आगे किया, भाभी ने मेरे बाल फिर से पकड़े और बोला- थूकना नहीं है.

मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने चूत आगे कर दी और उसमें एक उंगली डाल कर मेरे मुँह खोला.
मैंने भी उसकी चूत के आगे मुँह खोल दिया.
उसने मेरे मुँह में मूतना चालू कर दिया.

मुझको ऐसा लग रहा था जैसे मैं गर्म पानी पी रहा हूँ.
उसने मुझसे कहा कि इस अमृत को थूकना नहीं है, पीना है.

वो अपनी पेशाब को बहुत अच्छे से पिला रही थी.
थोड़ा थोड़ा करके वो मेरे मुँह में मूत रही थी.

मैंने सारा का सारा पेशाब पी लिया.
तब भाभी ने कहा कि बस आज के लिए इतना ही.

मैं कुछ बोलता, उससे पहले ही भाभी ने मुझको जाने के लिए बोल दिया.
मैं इतने में ही संतुष्ट हो गया था. भाभी ने आज लंड भी चूसा था और अपनी चूत से मूता भी था, तो कल चूत में लंड भी ले ही लेगी. वैसे भी भाभी से मैं दोस्ती इसीलिए तो करना चाह रहा था.

अगर आपको मेरी ये पिस सेक्स यूरिन स्टोरी पसन्द आई हो, तो मुझको मेल से ज़रूर बताना.
मैं इसका अगला पार्ट ज़रूर लेकर आऊंगा.
धन्यवाद.
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