अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम राहुल है, मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ. मेरी लम्बाई 5 फिट 9 इंच है. मेरा लंड 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. मैं बहुत दिनों से सोच रहा था कि मैं भी अपनी कहानी लिखूँ. पर लिखने का कभी समय ही नहीं मिला, आज मन बना कर अपनी कहानी लिख रहा हूँ. यह एक सत्य घटना है.
मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती थी, उसका नाम कोमल था. भाभी बला की खूबसूरत थी. उसकी उम्र 30 साल थी. भाभी का फ़िगर लगभग 32-28-34 का रहा होगा. उसका पति रोज दारू पी के टल्ली रहता था. वो ज्यादातर बाहर ही रहता था, इस वजह से भी भाभी असंतुष्ट थी और अपने पति से परेशान रहती थी.
पूरा मोहल्ला उस भाभी को प्यासी निग़ाहों से घूरता रहता था, लेकिन मैंने कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा था. मैं उसके सामने बहुत शरीफ बन कर रहता था. इस बात से उसको मैं शायद अच्छा लगने लगा था.
उस भाभी को जब भी समय मिलता था, वो हमारे घर आ जाया करती थी. मैं भी उसके घर चला जाया करता था.
एक बार क्या हुआ कि उसके पति को दो दिनों के लिए कहीं बाहर जाना था.
उस दिन भाभी हमारे घर आई और मेरी मम्मी से बोली- आज मेरे पति घर नहीं आएंगे, अगर आपको कोई एतराज ना हो, तो राहुल आज मेरे घर सो जाएगा.
मम्मी ने कहा- अगर राहुल जाना चाहता है, तो वो उधर सो जाएगा.
भाभी- राहुल, आज तुम मेरे घर सो जाना.
मैं- नहीं भाभी, मुझे घर के अलावा कहीं नींद नहीं आती.
भाभी- राहुल बस दो दिन की ही तो बात है. मुझे अकेले रहने में डर लगता है, इसलिए कहा है.
मम्मी- राहुल बेटे भाभी के घर सो जाना.
मैं- ठीक है भाभी, मैं आ जाऊंगा.
रात को मैं भाभी के घर पर गया.
मैंने बेल बजाई, तो अन्दर से आवाज आई- कौन?
मैं- भाभी मैं राहुल.
भाभी- रुको आती हूँ.
भाभी ने जैसे ही दरवाजा खोला, मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
भाभी ने सफेद रंग की नाइटी पहनी हुई थी. उसके अन्दर की उसकी काली ब्रा साफ दिख रही थी. भाभी को इस रूप में देखते ही मेरी हालत खराब हो गई और मेरा लंड खड़ा हो गया. मेरा फूला हुआ लंड पेंट के उभार से पता लग रहा था. भाभी की नजर मेरे लंड पर पड़ चुकी थी.
भाभी ने मेरे लंड के उभार को देखते हुए कहा- क्या हुआ राहुल … आओ अन्दर, ऐसे क्या देख रहे हो.
मैं- वो कुछ नहीं भाभी.
मैं अन्दर गया और भाभी से बोला- मुझे कहां सोना है?
भाभी बोली- मेरे रूम में ही आ जाओ.
मैं चुपचाप चल पड़ा. बिस्तर पर एक तरफ भाभी लेट गईं, दूसरी तरफ मैं लेट गया.
मैं बार बार भाभी को देख रहा था. मेरे दिमाग में उसके टाइट मम्मे घूम रहे थे. मेरा लंड पेंट को फाड़ कर बाहर निकलने को हो रहा था. नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी. जैसे तैसे मैं सो गया.
रात के करीब 12 बजे मेरी आंख खुली और मैंने महसूस किया कि कोई मेरी कमर पर हाथ फिरा रहा है.
मैंने पलट कर देखा. मैं कुछ कहता, इससे पहले भाभी मुझसे बोलने लगी- राहुल … मैं बहुत प्यासी हूँ … तू मेरी प्यास बुझा दे … तेरे भाई को तो काम से फुर्सत ही नहीं रहती है. रात को भी तेरा भाई मुझे प्यासी ही छोड़ देता है. वो अपना काम करके सो जाता है … और मैं प्यासी ही रह जाती हूँ. फिर रात भर मैं तेरे बारे में सोचती रहती हूं कि काश राहुल आए और मेरी चूत की प्यास बुझा दे. इसलिए आज मैंने तुम्हारी मम्मी से कहा था कि तुम मेरे साथ सो जाओ.
मैं तो पहले से ही यही चाहता था क्योंकि मेरे अन्दर भी आग लगी थी.
इतना सुनते ही मैंने भाभी को कस कर पकड़ लिया और उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. उसका हाथ मेरी पैन्ट के ऊपर आ गया. मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था.
उसने मेरी पैन्ट को खोल दिया और मेरा लंड बाहर निकाल लिया- वाह कितना बड़ा और मोटा है … लगता है आज यह मेरी चूत की प्यास बुझा ही देगा.
यह कहते हुए उसने मेरा लंड चूसना चालू कर दिया. वो बहुत अनुभवी औरत थी. वो बहुत अच्छी तरह लंड को चूस रही थी … मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैं उसकी नाइटी के ऊपर से उसके मम्मों को मसलने लगा. उसने अपना एक हाथ मेरे हाथ पे रख दिया.
भाभी बोली- आह … राहुल मसलो मेरे मम्मों को … बहुत तड़फाते हैं ये मुझे.
मैंने उसकी नाइटी उतार फेंकी और ब्रा के ऊपर से ही भाभी के मम्मों को दबाने लगा. मैंने उसकी ब्रा को भी निकाल दिया. ब्रा हटाते ही उसके चूचे बाहर आ गए. मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मों को चूसने लगा.
उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… और … जोर से … हम्म्म काट लो इनको … आज सारा रस पी जाओ … इनको काटो … और जोर से … आआह्ह … ओईह्हह … हम्मम म्मम्म.
मैं उसके पेट को चूमता हुआ नीचे आ गया और भाभी की पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा. उसने अपने दोनों पैर पसार लिए. मैंने अपने होंठ सीधा उसकी गीली पैंटी पर रख दिए और उसके रस का स्वाद चखने लगा.
उसने मेरा सिर पकड़ लिया और अपनी चूत में गड़ाने लगी. भाभी कहने लगी- आआह्ह … ओईह्हह … हम्मम्म म्मम्मम … चूसो राहुल … मेरी चूत को … साली मुझे बहुत तड़फाती है.
मैंने उसकी पैंटी को उसकी चूत से अलग कर दिया. भाभी की चूत एकदम चिकनी और बला की खूबसूरत थी. चूत पर एक भी बाल नहीं था. भाभी की गोरी-गोरी जाँघों में उसकी चूत फड़क रही थी.
बड़ा ही मस्त नज़ारा था वो!
अब वो बिस्तर पर पूरी नंगी पड़ी थी. मैंने भी अपनी टी-शर्ट उतार दी थी. अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे. मैं भाभी की चूत को चाटने लगा.
भाभी ने भी मेरा सर अपनी चूत में दबा दिया और कहने लगी- ह्म्म्म चाट … इसे चाट … ह्म्म्म्म मम्म … और जोर से … फाड़ दे आज … अपनी भाभी की चूत..
मैं भी मज़े से चूत चाट रहा था.
भाभी ने मचलते हुए अपनी पूरी टांगें पसार दीं और कहने लगी- प्लीज़ … चाट और जोर-जोर से चाट ना..
मैं भी उसकी रोटी की तरह फूली चूत चाटता जा रहा था और साथ में उसके मम्मों को भी दबाए जा रहा था.
‘हम्म्म … चाट … मैं आने वाली हूँ राहुल … आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दे … फाड़ दे इसे … चूस जा राहुल … आज इसका सारा रस पी जा … सारा रस इस निगोड़ी चूत का … आअह ह्हह … हम्मम्म म्मम … आई … मर्रर्र … गईईई मैं आ … रहीई … हूँ … ओह्ह्ह … ह्म्म्म्म … और तेज चाट..’
भाभी ने मेरा सर पकड़ा और चूत में गड़ाने लगी- उम्मम अअअअअ
भाभी झड़ने लगी. बहुत ही गजब का स्वाद था चूत का.
कुछ देर बाद भाभी मेरे लंड को सहलाने लगी और हम दोनों हम दोनों 69 अवस्था में आ गए. मैं भाभी की चूत चाटने लगा. भाभी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी. मैं लंड चुसाने के साथ ही भाभी के मम्मों को दबाए जा रहा था.
थोड़ी देर बाद मैंने अपनी जीभ भाभी की चूत के सुराख पर रखकर उसको जीभ से चोदने लगा.
‘उह्ह … ह्म्म्म आअह ह्हह … हम्म्म म्मम … आई … मर्रर्र … गईईई मैं आ … रहीई … हूँ … ओह्ह्ह … ह्म्म्म्म … और … उह्ह … ह्म्म्म्म … अब और मत तड़पाओ राहुल. … और अपना लंड डाल दो ना.’
मैंने भी देर ना करते हुए भाभी की दोनों टाँगों को अपने कधों पर रखा और अपना लंड चूत के मुँह पर लगाकर एक जोरदार धक्का दे मारा. मेरा आधा लंड भाभी की चूत की गहराइयों में उतरता चला गया.
भाभी के मुँह से दबी सी आवाज निकली- आआ … आह्ह्ह ह्ह्ह्ह … उईईई माँआअ … मरर गई.
मैंने फिर अपना लंड बाहर निकाला और पूरी ताकत से दूसरा झटका मार दिया. लंड ‘फच्छ..’ की आवाज करते हुए पूरा चूत में समा गया. उसके मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई, उसने कहा- ऊई … आह … धीरे-धीरे करो … दर्द हो रहा है … क्योंकि तुम्हारा लंड तुम्हारे भाई के लंड से बहुत मोटा है.
अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को चूत में अन्दर-बाहर करने लगा. उसको मज़ा आने लगा था.
थोड़ी देर बाद उसने कहा- ज़ोर-ज़ोर से करो … बहुत मज़ा आ रहा है … आहह … आहह … उम्म्ह … ह्म्म्म्म … आआह्ह ह्हहह्ह … फाड़ दो आअज … मेरी चूत को … उफ्फ्फ़ … ह्म्म्म जोर से … तेज्ज … मज़ा आ रहा है.
‘ले भाभी … ले … मेरी जान..’
भाभी अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर चुत चुदवा रही थी … उसको भी इस चुदाई का बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मैंने थोड़ा स्पीड को बढ़ाया, तो उसके कंठ से आवाज निकलने लगी- आअहह आअन्न राहुल चोद दो … और तेज चोद दो.
इस दौरान वो एक बार झड़ चुकी थी, उसको फिर से मज़ा आने लगा था.
कुछ देर में ही भाभी कहने लगी- मैं आ रही हूँ … आह्ह … उफ़्फ़्फ़ … और जोर से … आआअ रही हूँ … मैं झड़ने वाली हूँ.
मैंने भी कहा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ … किधर निकालूं?
उसने कहा- आह … पूछ क्या रहा है … रस डाल दे अन्दर … तेरा पूरा रस मेरी चुत का ठंडक देगा … आह … अन्दर ही डाल दे … इसी लिए तो तड़फ रही थी राहुल.
मैंने ये सुनते ही अपनी स्पीड थोड़ी और बढ़ाई और दो मिनट में ही मैं उसकी चुत में झड़ गया.
वाहह … लंड का झरना क्या बहा … आराम मिल गया.
भाभी मुस्कराती हुई बोली- राहुल आज तुमने मेरी कई सालों की प्यास बुझा दी.
भाभी को किस करते हुए कहा- अब तो रोज ऐसे ही मजा दिया करूँगा..
हम दोनों काफी थक गए थे. फिर हम दोनों वैसे ही थोड़ी देर के लिए लेट गए.
सुबह हमारी आंख 6 बजे खुली और मेरा लंड खड़ा था. मैंने भाभी की गांड पर हाथ मारते हुए उठाया.
भाभी- राहुल जान अब क्या इरादा है.
मैं- कोमल जान तुम्हारी गांड.
भाभी ने एक बार मेरे लंड की तरफ देखा और बोली- इसका तो उद्घाटन समारोह होगा.
वो समारोह कैसे हुआ, ये अगले भाग में लिखूंगा कि आगे क्या हुआ. आपको मेरी पड़ोसन कोमल भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताएं.
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