दोस्तो, मैं रूपा, आपकी सेक्सी दोस्त। आज मैं आपको बताने जा रही हूँ, एक बड़ी अजब सी बात, जो शायद आपने कभी सुनी न होगी।
ये बात अभी कुछ दिन पहले की ही है। मेरी पहली कहानी
कामवासना पीड़िता के जीवन में बहार
से आपको पता चल ही गया होगा कि मैं अपने जिम ट्रेनर के साथ सेट हूँ। वो भी हट्टा कट्टा मर्द है और मेरी खूब तसल्ली करवाता है। अब उसके साथ इतना प्यार बढ़ गया है कि अगर वो कहे तो मैं अपनी गर्दन काट कर उसके आगे रख दूँ।
बेटे से भी मेरी मौन सहमति हो गई है क्योंकि मुझे मेरे जिम ट्रेनर ने बता दिया था कि जब भी मैंने अपने जिम ट्रेनर के साथ जिम में सेक्स किया है, मेरे बेटे ने जिम के जिम ट्रेनर के साथ मेरे अवैध संबंध हो गए.
और फिर तो जब मेरी दोपहर में क्लास होती तो अक्सर मुझे जिम में ही चोदता।
धीरे धीरे मैं उसे दिल से चाहने लगी, उसे प्यार करने लगी। मगर उसके लिए मैं सिर्फ एक फुद्दी थी, सिर्फ सेक्स के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली रंडी।
खैर मुझे इस से भी कोई ऐतराज नहीं था क्योंकि मुझे तो सिर्फ अपने सेक्स की पूर्ति चाहिए थी।
फिर मुझे ये भी पता चला कि संदीप के साथ मेरी सेटिंग के पीछे मेरे बेटे का ही हाथ है। जब भी मैं संदीप से सेक्स करती तो वो मुझे सीसीटीवी पर देखता। पहले पहले मुझे बड़ी शर्म आई, क्योंकि मैं जो कुछ भी संदीप के साथ करती थी, वो सब मेरे बेटे को दिखता था।
मगर फिर मैं भी बेशर्म हो गई कि अब जब एक बार उसने मुझे नंगी देख लिया, और किसी गैर मर्द से चुदवाते हुये देख लिया तो अब किस बात की शर्म … या किस बात कर पर्दा करती मैं।
मैं भी खुल कर संदीप के साथ खेलती। सारा जिम उस वक़्त खाली होता था तो हम तो सारे जिम में घूम घूम कर सेक्स का नंगा नाच नाचते … कभी यहाँ, कभी वहां! सारे जिम में हर जगह मैं चुदी।
संदीप को अपना माल पिलाना बहुत अच्छा लगता था और मुझे भी मर्द का गाढ़ा वीर्य पीना अच्छा लगता है. तो ये तो हमेशा की बात थी कि चुदाई के बाद मैं खुद ही उसका लंड अपने मुंह में ले लेती और चूस चूस कर उसका पानी निकाल देती और सारे का सारा पी जाती।
सेक्स के दौरान हम एक दूसरे को खूब गाली गलौच करते। माँ बहन बेटी तो रूटीन में चोदते एक दूसरे की। पहले तो वो मेरी फुद्दी ही मारता था, और फिर धीरे धीरे मेरी गाँड भी खोल दी. अब तो मेरी फुद्दी, गाँड और मुंह तीनों चीजों को वो भरपूर चोदता।
एक दिन की बात है कि मेरा भाई सपरिवार मेरे घर आया। अच्छा वो भी बिना बताए … मुझे उस दिन सुबह से ही मन हो रहा था कि आज दोपहर को संदीप से इस पोज में फुद्दी मरवाऊँगी। मगर भाई के आ जाने से मेरा सारा प्रोग्राम बिगड़ गया। मेरा मन सा बुझ गया।
खैर भाई आया था तो मैंने उसके लिए बहुत कुछ पकवान पकाए। छोले, हलवा पूड़ी, दाल सब्जी। अब वो शाकाहारी है, तो सब कुछ शाकाहारी खाना ही पकाया।
दोपहर को संदीप का फोन आ गया- क्या हुआ आई नहीं कुतिया?
मैंने कहा- अरे यार, भाई आया है, उसकी सेवा में लगी हूँ।
वो बोला- क्यों भाई का लंड चूस रही है मादरचोद?
मैंने कहा- अरे नहीं भाई है, ऐसे कैसे?
वो बोला- तो ऐसा कर … थोड़ी देर के लिए ही सही, तू आ मेरे पास।
मैंने कहा- अरे दिल तो मेरा भी बहुत मचल रहा है, पर अब भाई को घर पे छोड़ कर कैसे आऊँ?
वो बोला- तू ऐसा कर, किसी बहाने से आजा, बस 10-15 मिनट के लिए, चुदाई नहीं करेंगे, कुछ और करेंगे।
मैं भी मन में खुश हुई कि कुछ और में पता नहीं क्या करेगा।
खैर मैं खाना बनाने के बाद, भाई से बाज़ार से कुछ समान लाने का कह कर गई और सीधा जिम में पहुंची। वहाँ संदीप पहले से बैठा मेरा इंतज़ार कर रहा था।
मैं तो जा कर लिपट गई उससे … एक जोरदार चुंबन उसके होंठों पर जड़ दिया मैंने।
चुंबन लेकर वो भी खुश हो गया- क्या हुआ, साली रंडी की फुद्दी बहुत फड़क रही है आज?
मैंने कहा- वो छोड़ो, ये बताओ, बुलाया किस लिए?
वो बोला- आज मैं चाहता हूँ कि तुम ऐसा कुछ करो, जो तुमने पहले कभी नहीं किया हो।
मैंने कहा- ऐसा क्या है?
वो मुझे एक तरफ ले गया और मुझसे बोला- चल अपनी सलवार उतार।
मैंने अपनी सलवार उतारी तो उसने मुझे नीचे बैठाया और एक कटोरी ला कर मेरी फुद्दी के पास रखी।
फिर उसने अपना लोअर उतारा और अपना लंड मेरे मुंह पर मार कर बोला- ले अब इसे चूस और अपनी फुद्दी में उंगली घुमा … और तेरी फुद्दी का सारा पानी इस कटोरी में आना चाहिए।
मैंने हंस कर पूछा- पिएगा क्या?
वो बोला- हाँ, आज हम दोनों एक दूसरे का पानी पिएंगे।
मैंने उसका ढीला सा लंड अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. और अपनी फुद्दी में उंगली करने लगी। एक मिनट में ही मेरी फुद्दी से पानी आने लगा तो मैंने वो कटोरी अपनी फुद्दी के नीचे सेट करी ताकि मेरी फुद्दी का सारा पानी, उस कटोरी में आए।
मैं लंड चूसती गई और मेरी फुद्दी का सफ़ेद पानी टपक टपक कर कटोरी में गिरता रहा।
मगर जब एक शानदार लंड आपके मुंह में हो और आपकी फुद्दी पानी पानी हो, तो कैसे चुदास पर काबू किया जा सकता है, मैंने संदीप से कहा- यार बहुत मन कर रहा है, आ जा, ऊपर आ जा।
मगर वो बोला- नहीं आज सेक्स नहीं, आज सिर्फ माल निकालना है बस।
मेरी फुद्दी का काफी सारा पानी कटोरी में इकट्ठा हो गया था।
फिर संदीप ने मेरे मुंह से लंड निकाला और खुद अपने हाथ से मेरी फुद्दी का दाना सहलाने लगा, अपने दूसरे हाथ की उंगली वो मेरी फुद्दी में अंदर बाहर करने लगा।
मैं तो तड़प उठी, बड़ी मुश्किल से कटोरी संभाल पा रही थी। बस दो मिनट में ही मेरी फुद्दी ने पानी की बौछार कर दी। धार पे धार मारी, और आधे से ज़्यादा कटोरी भर दी।
जब मैं ठंडी हो गई तो संदीप ने अपने हाथ मेरी फुद्दी से हटाये और कटोरी संभाल कर मेरी टाँगो के नीचे से निकाली।
“ये देख साली, तेरी माँ के भोंसड़े से कितना पानी निकला है.” और उसने पहले तो उस पानी को सूंघा, और फिर एक हल्का सा सिप लिया।
फिर बोला- खट्टा पानी।
मैंने कहा- तो सारा पी ले न!
वो बोला- नहीं, अभी इसमे कुछ और मिलाना है, चल मेरी मुट्ठ मार।
मैंने उसका लंड पकड़ा और उसके लंड को आगे पीछे हिलाने लगी। अब तो मुझे भी पता था कि संदीप को कैसे अपनी मुट्ठ मरवानी पसंद है। मैंने कस कर उसकी मुट्ठ मारी और उसके लंड का टोपा अपने मुंह में ले रखा था। काफी देर मैं उसकी मुट्ठ मारती रही.
और जब उसका माल गिरने वाला हुआ तो संदीप ने अपना लंड मेरे मुंह से निकाल लिया और जब उसका माल गिरा तो उसने वो सारा माल उसी कटोरी में इकट्ठा किया जिसमें मेरी फुद्दी का पानी भरा था।
आखरी बूंद तक मैंने उसका वीर्य उस कटोरी में निचोड़ लिया।
जब हम दोनों फ्री हो गए तो संदीप बोला- अब ये कटोरी ध्यान से अपने घर ले जा, और जो तुमने अपने भाई के लिए पकाया है, उसमें डाल दे। ताकि तेरा वो मादरचोद भाई जो आज आकर हमारे सेक्स के ऊपर बैठ गया है, वो भी तेरी फुद्दी और मेरे लंड का पानी पी सके! चल जा।
और मैं उस कटोरी को संभाले संभाले अपने घर आई। घर आकर मैंने उस कटोरी में चम्मच से अच्छी तरह हिला कर दोनों पानी को एक जैसा कर लिया और फिर थोड़ा सा पानी हलवे में, थोड़ा सा खीर में और थोड़ा सा सब्जी में डाल दिया।
खाना पका कर मैंने सबको दिया। सबने बड़े मज़े से खाया। किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि इस सब खाने में क्या मिला है, बल्कि सबको खाना बहुत स्वाद लगा।
मैं भी सोच रही थी कि कैसा विचार आया संदीप के मन में और कैसी मैं उसकी दीवानी जो, उसके बोलने पर ये सब कर गई।
अगर आपका भी कभी मन हो तो ऐसा करके देखना, घर में आए बिन बुलाये मेहमान की खातिरदारी करने का मज़ा आ जाएगा।
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