दोस्तो, मेरा नाम अमीषा है. मैं अन्तर्वासना की एक नियमित पाठिका हूँ, मुझे यहां लिखी हुई सारी सेक्स स्टोरी बहुत पसंद हैं. अब मैं आपको अपने बारे में बता दूं. मैं एक बहुत ही सेक्सी लड़की हूँ. मुझे लंड से खेलना, उसे चूसना, चाटना बहुत पसंद हैं. मेरा फ़िगर 34-28-36 का है. मेरे चूतड़ (नितंब) थोड़े उभरे हुए है, जिन्हें जींस में मटकता देखकर लड़कों की सिसकारियां निकल जाती हैं. मेरी उम्र 20 साल है. मैं जब भी अन्तर्वासना पर भाई बहन की चुदाई की कोई कहानी पढ़ती हूँ, तो मुझे अपने भाई के साथ अपनी चुदाई याद आ जाती है. आज मैं उसी घटना को आप सबको बताने जा रही हूँ.
पहले मैं आपको अपनी फ़ैमिली के बारे में बता दूं. मेरी फ़ैमिली में मेरे बड़े भाई अमन 22 साल, मेरी माँ सुनीता 39 साल और मेरे पापा 43 साल हैं. ये अन्तर्वासना पर मेरी पहली सेक्स स्टोरी है, अगर कोई ग़लती हो, तो प्लीज़ माफ़ कर देना.
यह घटना तब की है, जब मैं स्कूल में पढ़ती थी. मेरा भाई भी उस वक़्त स्कूल में ही पढ़ता था. तब हमारे घर में 2 ही कमरे थे, एक कमरे में मम्मी पापा सोते थे और दूसरे में हम दोनों.
उस वक्त मुझे सेक्स के बारे में ज़्यादा पता नहीं था, बस इतना पता था कि सेक्स होता कैसे है और इसमें क्या क्या करते हैं. ये सब मेरी एक दोस्त ने बताया था और मैंने थोड़ी पोर्न मूवीज़ भी देखी थीं.
एक दिन मैं एक सेक्स स्टोरी पढ़ रही थी. पढ़ते पढ़ते मेरी चूत गीली हो गयी और मैं अपनी चूत में उंगली घुसाने लगी. मेरा मन चुदाई के लिए तड़प रहा था. मैं किसी का मोटा लंड अपनी चूत में डलवाकर अपनी चूत चुदवाना चाहती थी.
उसके कुछ दिन बाद में रात में अचानक से उठी, तो देखा मेरा भाई अपने फ़ोन में पोर्न मूवी देख रहा था और अपने लंड को हिला रहा था. पहली बार मैंने भाई का लंड देखा था. मोबाइल की लाइट में भाई का लंड ठीक से तो नहीं दिख रहा था, पर मैंने सोच लिया था कि ये लंड मैं अब अपनी चूत में लेकर रहूँगी.
उसका लंड उस उम्र में भी लगभग 7 इंच लम्बा और काफ़ी मोटा था. मैं एक बार तो सोचने लगी कि इतना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा, पर मुझ पर तो चुदने का भूत सवार था, तो मैंने सोचा कि जो होगा देखा जाएगा.
अगले दिन संडे था और मैं सुबह से ही भाई को पटाने की तरकीब बनाने लगी थी. मेरे पापा काम के चक्कर में ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं, तो घर में मैं, भाई और मम्मी ही थे. मैंने नहाने के बाद के बिना ब्रा और पैंटी के गहरे गले की टी-शर्ट और टाइट जींस पहन ली. मेरी टी-शर्ट इतनी टाइट थी कि उसमें से मेरे निप्पल साफ़ पता चल रहे थे और ज़रा सा झुकने पर मेरी आधी चूचियां दिखायी दे रही थीं.
उस समय भाई टीवी देख रहा था, मैं उसके सामने जा कर झुक झुक कर झाड़ू लगाने लगी, ताकि वो मेरी चूचियां देख पाए.
मैंने देखा कि मेरा भाई टीवी देखना छोड़कर मेरी चूचियों को खा जाने वाली नज़रों से घूर रहा है. तभी हमारी नज़रें आपस में मिली और मैंने उसे सेक्सी से अन्दाज़ में एक स्माइल दे दी और अपनी मोटी गांड को जींस में मटकाती हुई उसके सामने से चली गयी.
उसी शाम को मैंने भाई को बाथरूम में अपनी पैंटी को सूँघते देखा. वो मेरी पैंटी को चाट रहा था, सूँघ रहा था और अपना लंड हिला रहा था. मैंने दरवाजे की झिरी से ये सब देखा. तभी मुझे उसकी आवाज सी सुनाई दी. मैंने ध्यान से कान लगा कर सुना.
उसके मुँह से हल्के स्वर में आवाज निकल रही थी- हाय अमीषा मेरी जान … तेरी क्या मस्त चूचियां और गांड है, मन करता है कि तुझे रात भर चोदता रहूँ.
मैं बाथरूम के दरवाजे के छेद से ये सब देख कर मुस्कुरा रही थी कि मेरी तरकीब काम कर गयी थी.
अब मैं हर दिन अपने कपड़े छोटे और टाइट ही पहनने लगी थी और बाथरूम में जानबूझ कर अपनी यूज़ की हुई पैंटी छोड़ देती थी.
एक दिन दोपहर में मम्मी मार्केट गयी हुई थीं और घर में हम दोनों अकेले थे. मम्मी के जाने के बाद मैं नहाने के लिए चली गयी. मुझे पता था कि भाई मुझे नहाते हुए देखने की कोशिश ज़रूर करेगा. मैं यही तो चाहती थी.
मैं अपने कपड़े उतार ही रही थी कि मुझे दरवाज़े पर कुछ हलचल सी सुनाई दी. मुझे पता चल गया था कि भाई मुझे की-होल से देख रहा है. मैं धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने लगी. कभी अपनी चूचियों को दबाती, कभी अपनी उभरी हुई गांड को हिलाती और कभी अपनी चूत पर हाथ फिराने लगती.
भाई मुझे नंगी देख रहा है, ये सोच सोचकर मैं भी गर्म होने लगी थी. मैं अपनी चूत में उंगली घुसा कर अपनी चूत चोदने लगी. मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं और मैं ज़ोर ज़ोर से भाई को सुनाने के लिए बोलने लगी- आऽऽऽह, फ़क मी बेबी, उफ़्फ़ मुझे तुम्हारा लंड चूसना है … आह मेरी चूत लंड के लिए तड़प रही है … मेरी चूचियों से खेलो … मेरी प्यास बुझा दो … चोद दो मुझे … आऽऽऽह!
कुछ तो अपनी चूत से खेलने और कुछ ये सब अपने भाई को दिखाने की सोच कर मैं बहुत गर्म हो रही थी. मुझे पता था कि मुझे ऐसे देख के भाई का लंड भी खड़ा हो गया होगा.
मम्मी मार्केट से शाम तक लौटने वाली थीं, तो मैंने सोचा क्यों ना इस छोटी सी उंगली की जगह असली लंड अपनी चूत में डलवाया जाए. फिर मैं वासना के नशे में शर्म छोड़ कर ऐसे ही टावल लपेटकर बाहर आ गयी.
भाई वहीं बाथरूम के दरवाज़े के पास ही खड़ा था. शायद वो भी अब मुझे चोदना चाहता था.
मुझे टावल में देख कर भाई भी काम के नशे में बोला- अमीषा मुझे नहीं पता था कि तू इतनी हॉट है.
मैंने भी एक सेक्सी स्माइल देते हुए कहा- ये सब तेरे लिए ही तो है भाई.
मेरी तरफ़ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही भाई ने मुझे दीवार से लगा दिया और पागलों की तरह मेरे होंठों को चूसने लगा.
मैं बोली- आऽऽऽऽह भाई … आराम से … मैं कहीं भागी नहीं जा रही.
भाई ने मुझे एक स्माइल दी और मेरी टावल खोल कर मेरी चूचियों को चूसने लगा. वो मेरी एक चूची को चूस रहा था और दूसरी को दबा रहा था.
मैं सिसकारियां लेने लगी- आऽऽऽह भाई धीरे आऽऽऽह … दर्द हो रहा है.
वो चूचियों को दबा और चूस रहा था. तभी उसने मेरी चूची पर काट लिया, मुझे बहुत दर्द हुआ.
मैं हल्की सी चीख़ पड़ी- आऽऽऽह …
फिर भाई ने मुझे गोद में उठाया और कमरे के बेड पर लिटा दिया और मुझे किस करते करते मेरी चूत तक आ गया. मेरी चूत बिल्कुल चमक रही थी. मैं आपको बता दूं मुझे चूत पर बाल बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं.
भाई मेरी चिकनी चूत देखते ही उस पर टूट पड़ा. वो चूत को किस करने लगा और बोला- अमीषा तेरी चूत की खुशबू तो बहुत मस्त है.
मैं पूरे जोश में थी, मैं बोली- भाई तेरी ही चूत है … खा जा.
यह सुनते ही उसने मेरी चूत में अपनी जीभ डाल दी, फिर अपनी दो उंगलियों को एक साथ मेरी चूत में घुसाने लगा.
मुझे थोड़ा दर्द होने लगा था और मैं हल्की हल्की सिसकियां भी ले रही थी- आऽऽऽहह फ़क मी … फ़क मी!
यह सुनकर उसे जोश आने लगा था और वो और ज़ोर से मेरी चूत को अपनी उंगलियों से चोदने लगा.
थोड़ी देर में ही मैंने पानी छोड़ दिया. भैया ने अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया और मेरा पानी पीने लगा. उसने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
उसके बाद मैंने भैया के सारे कपड़े निकाल दिए. उसका लंड बिल्कुल टाइट और गर्म था … एकदम लोहे की रॉड की तरह. फिर मैं भाई के ऊपर आ गयी और होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी और अपने हाथ से उसका लंड हिलाने लगी.
भाई लंड को मुँह में लेने के लिए बोलने लगा. पहले तो मैंने मना कर दिया. फिर जब भाई ने ज़्यादा दवाब डाला, तो मैं मान गयी. मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया, शुरू शुरू में तो थोड़ा अजीब लगा, पर फिर मुझे मज़ा आने लगा. मैं ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को ऐसे अपने मुँह में अन्दर बाहर करने लगी, जैसे वो कोई मीठी सी लॉलीपॉप हो. मैं उसका लंड जड़ तक अन्दर लेती और फिर बाहर निकाल कर जीभ से चाटने लगती. फिर मैं उसके टट्टे अपनी जीभ से चाटने लगी.
तो भाई मस्ती में बोलने लगा- आह्ह्ह साली क्या कर रही है … मेरा लंड खाने का इरादा है क्या?
मैंने लंड को मुँह में लिए लिए उसकी आंखों में देखा और आंख मार दी.
आऽऽहह … वो बात याद करके मेरी पैंटी अभी भी गीली हो गयी है. उस दिन मैं बिल्कुल एक प्रोफ़ेशनल रंडी की तरह अपने सगे भाई का लंड चूस रही थी.
इसके बाद भाई ने मुझे 69 की पोज़िशन में आने के लिए बोला. अब उसके मुँह में मेरी रस छोड़ती चूत थी और मेरे मुँह में उसका मस्त मोटा गर्म खड़ा लंड. भाई मेरी चूत का रस चाट रहा था और मैं उसके लॉलीपॉप को चूस चूस कर उसका रस निकालने पर तुली हुई थी.
भाई का लंड अब पूरी तरह तन चुका था और मेरी चूत फाड़ने के लिए बिल्कुल तैयार था. इधर मेरी चूत की खुजली भी बहुत बढ़ चुकी थी. अब मैं और कंट्रोल नहीं कर पा रही थी.
मैं भाई से बोली- भाई, अब अपना लम्बा लंड अपनी बहन की चूत में घुसा कर इस साली को अपनी रंड़ी अपनी रखैल बना ले.
आपको एक बात बता दूं कि मुझे गालियां देते हुए सेक्स करने में बहुत मज़ा आता है.
भाई ने अपना लंड मेरी चूत पे रखा और रगड़ने लगा. लंड चूत की फांकों में घिसते हुए ही उसने एक हल्का सा धक्का मेरी चूत में मारा. लेकिन भाई का लंड मेरी चूत से फिसल गया और मेरे पेट पर आ गया.
मेरे मुँह से आह्ह निकल गयी- आआअह्ह्ह … क्या सीधे पेट में घुसाना है?
भाई ने हंसते हुए फिर से एक धक्का मारा और इस बार उसका आधा लंड मेरी चूत के अन्दर घुस गया था.
मैं दर्द से चिल्ला उठी- आआअह.
उसने अपना मुँह मेरे होंठों पे रख दिया और थोड़ी देर वैसे ही मेरी चूत में अपना लंड डालकर मेरे होंठ चूसता रहा. धीरे धीरे मुझे थोड़ा आराम मिलने लगा, तो थोड़ी देर बाद भाई ने फिर से एक धक्का मारा. इस बार उसका लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ मेरी चूत की गहराइयों में समा गया.
मेरी चूत से खून निकलने लगा. मैं दर्द से चिल्ला उठी- भोसड़ी के मार डाला मुझे, निकाल बाहर अपना लंड … मुझे नहीं चुदवाना है.
भाई ने कस के अपने होंठों से मेरे होंठ बंद कर दिए, मेरी चीख घुट के रह गयी.
फिर वो मेरे चुचे दबाने लगा. वो मेरे चूचों को बेरहमी से मसल रहा था, जैसे वो कोई रबर की गेंदें हों. थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ, तो भाई मेरी चूत में धीरे धीरे से धक्के लगाने लगा. साथ में वो मेरे होंठ चूसते हुए मेरे चुचे भी दबा रहा था.
धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा और मैं भी सिसकारियां लेते हुए उसका साथ देने लगी. मैं ‘आअह्ह हहह बेबी … मजा आ रहा है … मेरी जान फ़क मी हार्ड … मेरे भाई चोद दे आज अपनी इस रंडी बहन को आअह्ह्ह.’ जैसी आवाजें निकाल रही थी.
यह सुन कर भाई को और जोश आ गया. भाई ने अपना आधा लंड बाहर निकला और फिर एक जोर के धक्के से पूरा मेरी चूत में अन्दर पेल दिया. इतने जोरदार धक्के के लिए मैं तैयार नहीं थी. जब भाई का लंड मेरी चूत की जड़ तक गया, तो मेरे मुँह से एक जोर की आआअह्ह निकल गयी.
अब मुझे इस चुदाई में बहुत मजा आ रहा था और मैं नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर भाई का मूसल अपनी चूत में ले रही थी. मैं मस्ती से बोल रही थी- अरे बहनचोद साले अब चोद तू अपनी बहन को और अपनी बहन की चूत को फाड़ कर उसका भोसड़ा बना दे.
यह सुनकर भाई को जोश आ गया और वो पूरी स्पीड से मुझे चोदने लगा और गाली देने लगा- साली रंडी कुतिया … ले अब देख अपने भाई के लंड का कमाल … आज तो तुझे में अपने बच्चों की माँ बना कर छोड़ूँगा … मेरी चुड़क्कड़ रखैल.
मैं भी बोलने लगी- आअह्ह डाल दे अपना रस मेरी चूत में … और बना ले आआ अह्ह्ह मुझे अपने बच्चे की माँ … आज से मैं तेरी लुगाई बन गयी हूँ … आआअह्ह्ह … चोद दे मुझे मेरे पतिदेव … फाड़ डाल मेरी चूत को आआअह.
वो फिर जानवर की तरह मुझे चोदने के साथ मेरे जिस्म को काटने लगा और मेरी चूचियों को जोर से भींचने और दबाने लगा. वो मेरे मम्मों को अपने दांतों से काटने लगा, मुझे बहुत मजा आ रहा था और साथ में थोड़ा दर्द भी हो रहा था.
मैं मस्ती में ‘आहहह्ह ऊऊह्ह उफ्फ …’ की कामुक आवाजें निकाल रही थी.
फिर भाई ने मुझे अपने लंड के ऊपर बैठने का कहा. वो नीचे लेट गया और मैं उसके लंड के ऊपर बैठने लगी. मैं अपने भाई के तने हुए लंड के ऊपर बैठ कर ऊपर नीचे करने लगी. अब मुझे बहुत मजा आ रहा था. इस आसन में दो ही मिनट में मेरी चूत ने अपना रस छोड़ दिया, पर भाई पर उसका कोई असर नहीं हुआ. वो अब भी मुझे गाली देते हुए चोदता रहा. कुछ धक्के लगने के बाद मैं फिर से गर्म हो गई.
अब उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा और फिर पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डालकर मेरी चूत मारने लगा. भाई बोला- साली कुतिया तुझे आज मैं रंडी बना दूंगा और आज के बाद तू मेरी रखैल बन कर रहेगी.
मैं भी अपनी गांड उठाते हुए बोली- हां साले लंड के … आज से मैं तेरी रखैल हूँ चोद दे भाई अपनी रंडी को … और जोर से धक्के लगा.
भाई पूरी स्पीड से मुझे चोदने लगा और मैं भी अब मजा ले ले कर चुद रही थी. मैं अपनी गांड मटकाती हुई ‘आअहह ऊऊऊह उउइइ माँ … मजा आ रहा है … उई भाई जोर से और जोर से चोद आआहहह भाई … तेरे लंड की चोट मेरी बच्चेदानी पर पड़ रही है … आआह्ह्ह भाई चोदो और जोर से … आअह्ह्ह ऊऊओह आअह्ह्ह बहनचोद … चोद दे अपनी रंडी बहन को आआहहह …
इसी चुदाई के बीच में मैंने एक बार और अपना रस छोड़ दिया और भाई मुझे फुल स्पीड से चोदता रहा. मैं कामुक आवाजें कर रही थी.
करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद भाई के लंड से उसके माल की पिचकारी मेरी चूत में छूट पड़ी और भाई मेरे ऊपर ही लेट गया.
फिर भाई ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला, तो देखा उसमें हल्का हल्का खून लगा हुआ था. बेड की चादर पर भी खून था. फिर हम दोनों साथ में नहाये और चादर मैंने धोने के लिए डाल दी.
उस दिन हमने तीन बार चुदाई की. भाई ने तो उस दिन मेरी चूत का भोसड़ा ही बना दिया था. फिर हम अक्सर चुदाई करने लगे.
कहानी पढ़ने के बाद अपने गर्म विचार मुझे जरूर लिखें. मेरी ईमेल आईडी है.
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मैं जल्दी ही अपनी नई कहानी ले कर आपके सामने उपस्थित होऊँगी कि कैसे मेरे भाई ने मेरी गांड मारी और मेरी बाकि की चुदाई की कहानियां भी लिखूंगी. तब तक के लिए विदा.
आपकी प्यारी चुदक्कड़ अमीषा निगम.