पड़ोसन आंटी पोर्न कहानी में पढ़ें कि आंटी दुल्हन सजाने का काम करती थी पर उनके बारे में सुना था कि वे चालू हैं. होली पर मैं उनके घर मिठाई देने गया तो वो अकेली थी.
फ्रेंड्स, मेरा नाम रोहित है. मैं बोकारो, झारखंड का रहने वाला हूँ.
यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है, जो एक ब्यूटी पार्लर वाली आंटी के साथ की है.
आंटी का नाम सोनाली था.
वो अधेड़ उम्र की महिला थी, लगभग 45 साल की. उसका फिगर कुछ 38-34-42 का रहा होगा.
आंटी का एक बेटा और एक बेटी थी. उसका पति नल्ला था, वो कुछ काम नहीं करता था.
वैसे तो अफवाहें बहुत सुनाई में आती थीं कि वो आंटी जब किसी शादी में किसी दुल्हन को सजाने जाती थी, तब या तो दूल्हा से या दुल्हन की रिश्तेदार से चुदवाया करती थी.
इसी बात को लेकर बहुत बार हंगामा भी होता था.
मेरा घर उस आंटी के घर के सामने था.
वैसे मैं भी बहुत बार उसको छुप छुप कर देखा करता था. कई बार तो मैंने उसको नंगी भी देखा था. उसके चुचे काफी बड़े थे, पर ढीले थे.
जो भी हो, मैं उसको चोदना चाहता था.
एक दिन मुझे भी उस समय मौका मिल गया जब मैं होली के समय उसके घर मिठाई देने गया था.
यह पड़ोसन आंटी पोर्न कहानी तभी की है.
मैंने 2-3 बार बेल बजाई.
पर जब काफी देर तक कोई नहीं आया तो मैं अन्दर चला गया.
मैंने देखा कि वो कुर्सी पर बैठी थी और पेटीकोट उठा कर अपनी चूत के बाल साफ़ कर रही थी.
मैं उसे देखते ही एक तरफ हो गया और छुप कर देखने लगा.
उस वक्त वो शायद घर पर अकेली थी, इसी लिए इस तरह से वो अपनी चूत की झांटें बना रही थी.
शायद उसके बेटा बेटी और पति कहीं होली खेलने चले गए होंगे.
मैं उसे देख रहा था मगर तभी मेरा पैर किसी चीज से टकराया और उसकी नज़र मुझ पर पड़ गई.
इससे मैं डर गया और बाहर आ गया.
उसने झट से अपने पेटीकोट को नीचे किया और वो मेरे पास आकर बोली- अचानक अन्दर क्यों आए? घंटी बजानी चाहिए थी न!
मैं बोला- आंटी, मैंने बहुत बार घंटी बजाई, पर जब कोई नहीं आया, तो अन्दर चला गया. फिर आपको ये सब करते देखा तो उधर ही रुक गया था.
इतना कह कर मैं चुप हो गया.
वो बोली- घंटी बजी ही नहीं, शायद बिजली नहीं आने की वजह से ऐसा हुआ होगा. और तुम मुझे क्या देख कर रुक गए थे, कुछ आवाज नहीं दे सकते थे क्या?
मैंने सहमते हुए कहा- मैं वो देखने लगा था आंटी!
आंटी मुँह नीचे करके शर्माई, फिर बोली- ओके … क्यों आए थे?
मैं बोला- मेरी मम्मी ने आपको मिठाई देने भेजा था, वही लाया था.
आंटी बोली- आओ, अन्दर किचन में आ जाओ. मैंने भी हलवा बनाया है, तुम अपने साथ वो भी ले जाओ.
मैं अन्दर चला गया.
अन्दर जाते जाते वहां पर मेरा पैर फिसल गया और मैं सीधा आंटी के ऊपर जा गिरा.
हड़बड़ाहट में मेरा एक हाथ आंटी के ब्लाउज पर जा लगा और मैंने खुद को गिरने से बचाने के लिए ब्लाउज को खींच दिया. उसका ब्लाउज फटता चला गया और उसकी चूचियां नंगी हो गईं.
मेरा दूसरा हाथ आंटी की कमर पर जम गया था. मुझे ज़ोर की चोट भी लग गई थी.
मैं जमीन पर गिर गया था.
आंटी पहले तो अकबका गई कि ये क्या हुआ, फिर उसने देखा कि मैं गिर गया हूँ, तो वो ‘अरे अरे, क्या हुआ …’ कह कर मुझे उठाने लगी.
वो वहीं पर झुकने लगी.
मेरी जांघ के जोड़ के पास चोट लगी थी और मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैं अपना हाथ अपने लंड पर रखे हुए दर्द से तड़फ रहा था.
मेरी आंखों में आंसू आ गए थे.
मेरी आंखों में आंसू देख कर वो बोली- कहां चोट लगी, दिखाओ!
ये कह कर वो मेरे हाफ पैंट में हाथ डालने लगी और उसका हाथ सीधा मेरे लंड पर जा लगा.
उधर ही चोट लगी थी, तो आंटी का हाथ लगते ही मेरी फिर से आह निकल गई.
वो लंड को दबाती हुई बोली- लगता है, इधर ज्यादा ज़ोर से लग गई है. रूको मैं मूव लगा देती हूँ. पहले तुम कमरे में चलो.
मैं आंटी का सहारा लेकर कमरे में आ गया. वो मुझे बेड पर बिठा कर मूव लेकर आई और बोली- चलो खोलो, मैं लगा देती हूँ.
मैंने अपनी पैंट नहीं खोली तो आंटी हाथ से मेरी जांघ के अन्दर हाथ डालने लगी.
फिर बोली- ऐसे पैंट खराब हो जाएगी, इसे उतारना होगा.
मैं बोला कि मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना है.
वे बोलीं- कोई बात नहीं, सिर्फ़ मूव ही तो लगाना है.
आंटी खींच कर मेरी हाफ पैंट को उतारने लगी.
तभी मेरा लंड खड़ा होकर आंटी को सलामी देने लगा.
आंटी ने मेरा छह इंच का मोटा लंड देखा तो उसके अन्दर वासना की आग लगने लगी. वो जांघ में मूव लगाती हुई लंड को भी छूने लगी.
आंटी हंस कर बोली- ये तो तुम्हारे अंकल से भी लंबा और मोटा है.
मैं भी उसे देखने लगा.
उसकी आंखों में वासना का नशा दिख रहा था.
मैं कुछ समझ ही नहीं पाया कि अगले ही पल आंटी ने झट से अपना हाथ आगे बढ़ाया और वो मेरे लंड को पकड़ने लगी.
तब मैं सीधा पड़ा हुआ था, आंटी मेरे ऊपर झुकी हुई थी.
उसने मेरे खड़े लंड को पकड़ा और अपने मुँह में लेने लगी.
मैं भी अपना दर्द भूल गया और आंटी की तरफ देखने लगा.
आंटी ने सब कुछ भूल कर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया था.
मैं उससे लंड चुसवाने का मज़ा लेने लगा, साथ ही मैं अपने हाथ बढ़ा कर उसकी चूचियों को मसलने लगा.
उसका फटा हुआ ब्लाउज हटा कर चूची निकाल कर चूचुकों से खेलने लगा.
कुछ ही देर में मैं चरम पर आ गया और मैंने कहा- आंटी, मेरा लावा निकलने वाला है.
वो मेरी बात को अनसुना करके चूसने का मज़ा लेती रही.
मैं झड़ने लगा और वो मेरा सारा माल गटक गई.
हम दोनों के बीच मस्ती चलने लगी. कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से कड़क हो गया.
अब मैंने आंटी को वहीं पर चित लेटाया और उसकी चूचियों को मसलने लगा, धीरे धीरे नीचे होकर उसका पेटीकोट हटा दिया.
अन्दर पैंटी नहीं थी तो मुझे सीधे उसकी चिकनी चूत के दीदार हो गए.
मैंने अपनी दो उंगलियां चूत में अन्दर डाल दीं और ज़ोर ज़ोर से आंटी की चूत को रगड़ने लगा.
उसकी चूत से रस निकलने लगा.
मैंने उसकी चूत को उसले पेटीकोट से पौंछा और अपने होंठ चूत पर लगा दिए.
मैं चूत चूसने लगा.
आंटी की सिसकारियां ज़ोर ज़ोर से निकलने लगी और वो मेरे बाल पकड़ कर मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी.
चूत के बाद मैंने आंटी के होंठों को चूमा और उसे उसी की चूत के रस का स्वाद चखाया.
वो बोली- मेरी पिक्की का स्वाद कैसा लगा?
मैंने कहा- एकदम मस्त … आंवले के अचार जैसा खट्टा सा लगा.
वो हंस कर बोली- सच कहा तूने … एकदम खट्टा सा लगा.
मैंने आंटी की चूची दबाते हुए कहा- आपने तो मेरे लौड़े का रस भी चूसा था. बताओ कि उसका स्वाद कैसा लगा था?
आंटी बोली- अरे वो तो मेरा फेवरेट जूस है.
मैंने कहा- अच्छा, अब तक कितने तरह का जूस का टेस्ट ले चुकी हो?
आंटी हंस कर बोली- तू बड़ा सयाना हो गया है. चल कोई नहीं … मैं बता ही देती हूँ. अब तक मैं तुझे मिला कर 16 मर्दों का जूस पी चुकी हूँ, तू उनमें सबसे मस्त माल वाला था.
मैंने मासूमियत से कहा- मैंने तो आज पहली बार ही आंवले का अचार चखा है.
आंटी ने मुझे बड़े प्यार से चूमा और कहा- ये तो मेरा भाग्य है कि मुझे तेरे लंड की ओपनिंग करने का मौक़ा मिल रहा है. चल अब देर न कर मेरी बिल्ली मार दे.
मैंने आंटी की चूचियों को मसलते हुए उनकी दोनों टांगें अपने कंधों पर रख लीं. लंड उनकी चूत पर रख कर रगड़ा और अन्दर को किया, तो सुपारा अन्दर घुस गया.
वो कराहने लगीं और बोलीं- आंह … मर गई यार … तेरा तो बहुत मोटा है, एक बार बाहर निकालो इसको!
मैंने कहा- अब तो ये रस छोड़ कर ही बाहर आएगा आंटी.
मैंने उसके होंठों को चूमा और ज़ोर का झटका लगा कर पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर पेल दिया.
वो एकदम से कराह उठी और मुझे हटाने का प्रयास करने लगी.
मैंने एक और धक्का मार कर अपना लंड आंटी की चूत में अन्दर तक पेल कर उसकी बच्चेदानी से लड़ा दिया.
आंटी जोर से छटपटाई और उसने मेरे होंठों की पकड़ से अपने होंठ छुड़वा लिए.
अब वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां लेने लगी.
कुछ ही देर में आंटी को चुदाई का मजा मिलने लगा. मुझे भी आंटी की चूत चोदने में जबरदस्त मजा मिलने लगा था.
करीब बीस मिनट की धकापेल चुदाई के दौरान आंटी एक बार झड़ चुकी थी.
फिर लगातार झटके देने के बाद मैं भी बोला- अब मेरा भी निकलने वाला है, जल्दी बताओ, कहां निकालूँ?
वो बोली- अन्दर ही निकाल दो.
मैंने ज़ोर ज़ोर के झटका लगाए और उसकी चूत में ही अपना माल गिरा दिया.
मैं काफी थक गया था, तो झड़ कर उसके ऊपर ही लेट गया.
आंटी मुझे अपनी बांहों में लिए प्यार करती रही.
फिर करीब दस मिनट यूं लेटे रहने के बाद मैं उठा, तो बोली- तेरे अंकल ने ऐसा आज तक नहीं चोदा, जैसा तुमने आज मुझे चरम सुख दिया है.
मैं मुस्कुरा रहा था.
मैंने कहा- आंटी एक बार और चुदाई हो जाए.
आंटी बोलीं- हां मन तो मेरा भी है, पर पहले कुछ खा ले … बड़ी जोर की भूख लग आई है.
मैंने कहा- ठीक है, आपने हलवा बनाया था, वही ले आओ.
वो नंगी ही उठ कर गांड मटकाती किचन में गई और एक प्लेट में हलवा ले आई.
हम दोनों ने हलवा खाया और उसके बाद आंटी ने अलमारी से सिगरेट की डिब्बी निकाली और जला कर पीने लगी.
मुझे उसे सिगरेट पीते देख कर जरा आश्चर्य हुआ.
मैंने कहा- आंटी क्या आप हमेशा सिगरेट पीती हो?
आंटी मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और बोली- तू भी ट्राय करेगा क्या!
मन तो मेरा भी हो रहा था; मैंने उसके हाथ से सिगरेट ले ली और अपने होंठों में दबा कर कश खींचा.
मैंने पहली बार सिगरेट पी थी तो धसका सा लग गया.
आंटी ने मेरी पीठ पर हाथ फेरा और बोली- धीरे धीरे पी ना!
कुछ देर बाद मैंने आंटी को फिर से अपनी बांहों में ले लिया और उसके ऊपर चढ़ गया.
हम दोनों के बीच फिर से चुदाई होने लगी.
इस बार आधा घंटा तक मैंने आंटी की चूत बजाई और उसके अन्दर ही झड़ गया.
वो भी मुझसे बहुत खुश हो गई थी.
फिर वो बोली- अभी तुम जाओ, फिर बाद में हम दोनों टाइम निकाल कर और अच्छे से चुदाई करेंगे. अभी मेरे बच्चों के आने का समय हो गया है.
उसके बाद जब भी टाइम और मौका मिलता, मैं आंटी की चूत चोद लेता.
एक दिन मैंने आंटी की गांड भी मारी और बाद में उसकी बेटी को भी चोदा, जो मैं आपको अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
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