बेटी के यार के लंड से चुदाई की लालसा- 4

बेटी के यार के लंड से चुदाई की लालसा- 4


मुझे चोदो! मुझे चोदो! मेरे मन में यही चल रहा था. मेरी बेटी का बॉयफ्रेंड मेरे साथ था. पर वो मुझे चोद ही नहीं रहा था. तो मैं कैसे चुदी उस जवान लड़के से?
हैलो हाजरीन और खवातीन, मैं आपकी प्यारी सी सबीना आपको अपनी सेक्स कहानी में अपनी बेटी के लंड से अपनी चुत चुदाई के लिए मरी जा रही थी. मेरा दिल कह रहा था ‘मुझे चोदो’
पिछले भाग
बेटी के बॉयफ्रेंड को अपने जिस्म नुमाया किया
में आपने पढ़ा कि उस दिन मेरी बेटी रुबिका के अब्बू घर पर थे और मेरी बेटियां घर में नहीं थीं. मैंने शहजाद को फोन लगा कर उसे घर आने के लिए कहा, तो वो झट से राजी हो गया.
अब आगे:
मेरी कहानी सुनकर मजा लें.

मेरे शौहर बाहर वाले कमरे में सो रहे थे. वो दुकान बंदी वाले दिन दिन भर सोते हैं. आज भी वो सुबह का नाश्ता करके फिर से सो गए थे.
मैंने शहजाद के आने की बात सुनकर घर के बाहर का दरवाजा खुला रखा और जल्दी से नहा कर एक पीले रंग का एकदम पतला सा ब्लाउज बिना ब्रा के पहन लिया. कमर के नीचे पेटीकोट एकदम नाभि को खुला छोड़ते हुए बांध लिया. ऊपर से एक बहुत सुंदर लेकिन बहुत ज़्यादा खुली हुई साड़ी पहन ली.
इस समय मेरे बाल गीले थे, तो मैंने उनका जूड़ा बना कर अपने होंठों पर लाल रंग की लाली लगा ली और थोड़ी टिपटॉप होकर एक बर्तन में आटा डाल कर उसको गूंथने के लिए रख दिया.
अब मैं बाहर आंगन से सड़क पर देखने लगी.
जब कुछ देर बाद शहज़ाद आता दिखा, तो जल्दी से जाकर मैं आटा गूंथने लगी. इस समय मैं अपनी गांड थोड़ी ज़्यादा ही निकाल कर खड़ी थी.

जैसे शहज़ाद ऊपर आया और आते हुए उसने मुझे आवाज़ लगाई, तो मैंने उसको बोला- हां इधर आ जाओ … मैं किचन में हूँ.
उसने किचन में आकर मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरी गांड से चिपक गया.
वो मेरा हाल चाल पूछ कर मुझसे बात करने लगा. ये सब वो अक्सर करने लगा था और मुझे भी उसका यूं मुझसे चिपक कर खड़ा होना अच्छा लगता था तो ये बात अब हम दोनों के लिए सामान्य सी बात हो गई थी.
उसने अपना हाथ मेरी कमर से ले जाकर मेरे पेट पर रखा हुआ था और उसका सिर मेरे कंधे पर था.
बड़े गले का ब्लाउज बिना ब्रा के पहनने की वजह से मेरी गहरी सफेद दूध घाटी उसके सामने थी. उसका लौड़ा मेरी गांड के बीच में फंसा हुआ था.
इसी तरह वो काफी देर मुझसे सटा खड़ा रहा और मैं अपना काम करती रही.
उस दिन वो शाम तक एकदम मेरे जिस्म से चिपका रहा, मौका तो था कुछ करने का लेकिन घर में मेरे शौहर थे … इसी लिए उस दिन मैंने कोई बात आगे नहीं बढ़ाई.
मगर मेरी चुत में से पानी की धार लगातार निकलती रही जो मेरी जांघों को बेहद गीली कर चुकी थी.
उस दिन वो शाम तक रुका फिर चला गया.
उसके कुछ दिन बाद वो परिवार के साथ अपने किसी रिश्तेदार के घर चला गया.
उसी दिन मेरी एक सहेली सुषमा अपने पति के साथ शाम को मेरे घर आई थी. वो अपनी बेटी की शादी का कार्ड देने आई थी.
एक हफ्ते बाद उसके यहां शादी में जाना था तो मैंने अपने शौहर से साथ चलने को पूछा.
वो बोले- तुम रुबिका से साथ चली जाना … मैं नहीं जा सकता.
जब मैंने रुबिका से पूछा, तो वो बोली- मेरे पेपर चल रहे हैं, मैं नहीं जा सकती.
उस दिन के बाद कुछ और दिन निकल गए.
शादी से एक दिन पहले सुषमा ने मुझे फिर से फ़ोन करके आने को बोला तो मैंने कहा- हां, मैं जरूर आऊंगी.
उस रात को जब शहज़ाद का फ़ोन मेरे पास आया और जब मैं उससे बात कर रही थी, तो मैं थोड़ा उदास थी.
जिस कारण से शहज़ाद ने काफी जोर देकर पूछा, तो उसको मैंने सारी बात बता दी.
मैंने उससे बोला कि अगर तुम इधर होते, तो तुम्हारे साथ चल चलती, लेकिन अब मैं जा नहीं सकती.
उस दिन वो कुछ बोला नहीं और कुछ देर और बात करने के बाद फ़ोन रख दिया.
अगले दिन सुबह जब मैंने अपना मोबाइल देखा, तो शहज़ाद ने एक फोटो भेजी थी.
जब मैंने उसको देखा तो वो उसके घर की थी. उसने नीचे लिखा था कि मैं अपने शहर आ गया हूं और अब आप मेरे साथ शादी में चल सकती हो.
मैंने खुश होकर तुरंत उसको फ़ोन किया और थोड़ा डांटा- इतने दिन लगा दिए … तुम्हारे बिना मेरा दिल ही लग रहा था.
वो बोला- आपको किसी चीज़ की ज़रूरत हो और मैं उसको पूरा न करूं … ये मुझसे नहीं हो सकता.
उसके मुँह से ये सुनकर आज उसके लिए मेरे मन में उसकी और इज़्ज़त बढ़ गयी थी. अन्दर से एक ख़ुशी भी थी कि शहजाद मेरे लिए अपने दिल में कितनी केयर रखता है.
उस दिन रुबिका बहुत ज्यादा तैयार होकर अपने कॉलेज गयी थी.
उसने जाते समय मुझसे कहा कि अम्मी मुझे थोड़ा काम है, मैं थोड़ी देर से घर आऊंगी.
मैं समझ तो गयी थी कि ये आज शहज़ाद के घर जा रही है क्योंकि वो अकेला है. फिर भी मैं चुप रही.
दिन भर मैं घर का काम करती रही. शाम को शहज़ाद का फ़ोन आया कि कब और कहां चलना है.
मैंने उसको बोला कि जिधर जाना है, वो जगह थोड़ी दूर है. अपन को यहां से 7 बजे तक निकल जाना चाहिए जिससे 8 बजे तक वहां पहुंचा जा सके. मेरी वहां सभी सहेलियां मिलेंगी, तो थोड़ा उनसे भी मिल लूंगी.
शहजाद ने हामी भर दी.
करीब 6 बजे मैं नहाकर अपने कमरे में आई और आज मैंने साड़ी पहनने का फैसला किया क्योंकि शहज़ाद को मैं साड़ी में बहुत अच्छी लगती थी. फिर वहां भी मुझे सब सहेलियों से भी अच्छा दिखना था.
मैंने एक गहरे लाल रंग की एकदम हल्के और पारदर्शी कपड़े की साड़ी निकाली और उसके साथ उसी रंग का ब्लाउज भी निकाला.
ये ब्लाउज आगे से केवल दो हुक पर बंद होता था. इसके पीछे एक पतली पट्टी थी, जिससे पीछे का सब हिस्सा खुला ही रहता था.
इस ब्लाउज में आगे से भी बहुत घर गला था, जिससे मेरे उभार बहुत ज़्यादा दिखने वाले थे.
मैंने पेटीकोट को कमर के एकदम नीचे से बांध लिया और साड़ी बांध ली.
मेकअप में मैंने सुर्ख लाल एंग की लाली लगा ली, आंखों में गहरा काजल और लाल नाख़ूनी लगा कर एक हाई हील की सैंडल पहन ली.
तैयार होकर जब मैंने खुद को आईने में देखा तो आज मैं एकदम करारी माल लग रही थी.
मेरे तैयार होते ही शहज़ाद का फ़ोन आया कि आपके घर के आगे वाली गली में खड़ा हूँ.
मैं उसको बोली- ठीक है मैं बस आती हूँ.
इसके तुरंत बाद मैंने अपने शौहर को फ़ोन करके उन्हें बताया कि मेरी एक सहेली कार से जा रही है. उसी के साथ मैं भी जा रही हूँ.
वो मान गए, तो मैंने अपने कपड़ों के ऊपर से एक बड़ी शाल ले ली और अपना पूरा सेक्स जिस्म ढक लिया.
फिर घर से बाहर आकर शहज़ाद के साथ शादी में चली आयी.
वहां पहुंच कर मैंने अपनी शाल जैसे उतारी तो शहज़ाद मेरी चूचियों को देख कर बोला- कसम से … आज आप एकदम कयामत लग रही हो.
मैं हंस दी.
फिर हम दोनों अन्दर आ गए.
मेरी सभी सहेलियां मुझसे मिलने आईं. वो सब बारी बारी मेरे गले लगीं और शहज़ाद को जीजू कहते हुए उसके भी गले लगने लगीं.
वो सब शहज़ाद को मेरा शौहर समझ बैठी थीं लेकिन इस वक़्त मेरा इनको बताना ठीक नहीं था तो मैंने शहज़ाद को इशारा करते हुए समझा दिया.
कुछ देर बाद पार्टी शुरू हुई. पार्टी में हम दोनों किसी शौहर पत्नी के तरह ही हर तरफ घूम फिर कर खाना खा रहे थे.
करीब ग्यारह बजे मैंने अपनी फ्रेंड से कहा- अब मैं घर जा रही हूँ.
वो मुझ पर गुस्सा होने लगी और बोली- बारात आने तक तो रुक जाओ.
अभी तक बारात नहीं आई थी.
तो मैंने रुकने का फैसला करके मेरे शौहर को फ़ोन किया और उन्हें बता दिया कि मुझे देर हो जाएगी.
कुछ और देर बीत गई और करीब साढ़े बारह बजे शहज़ाद ने मुझसे चलने के लिए बोला.
तो मैं बिना किसी को बताए मैं वहां से निकल आयी.
रास्ते में शहज़ाद मुझसे बोला कि इतनी रात के आपके घर से सब सो चुके होंगे, तो गेट कौन खोलेगा. इससे अच्छा है कि आज रात आप मेरे घर रुक जाओ, वैसे भी मेरा घर खाली है. मैं सुबह सुबह आपको आपके घर छोड़ दूंगा.
मैं समझ गयी थी कि आज शहज़ाद मेरी चुदाई करने का मन बना चुका है.
चाहती तो मैं भी थी कि इसके मोटे लंड को अपनी चुत लेना है.
मैं उसे बोलना चाहती थी कि ‘मुझे चोदा जोर से’ लेकिन मैंने उसको बोला- ठीक है.
वो मुझे अपने घर ले आया और आते ही वो अपने कपड़े बदल कर बस एक शॉर्ट्स पहन कर मेरे सामने आ गया.
उसकी नंगी छाती देख कर मेरी चुत में चुनचुनी होने लगी थी.
शहजाद मेरी चूचियां देखते हुए मुझसे बोला- सब कमरे खाली हैं, जिसमें आपको सोना हो सो जाओ.
मैंने उससे पूछा- तुम किधर सोओगे?
वो बोला- अभी मैं कुछ देर पिक्चर देखूंगा.
मैंने बोला- मुझे भी अभी नींद नहीं आ रही है. मैं भी तुम्हारे साथ फिल्म देखूंगी.
वो बोला- ओके ये भी ठीक है.
उसने टीवी पर एक भूत वाली अंग्रेजी पिक्चर लगाई ये फिल्म थोड़ी गंदी थी.
चूंकि उसको मालूम था कि मुझे भूत वाली फिल्मों से डर लगता है.
उसने कमरे की सब लाइट बन्द कर दीं और अब उस पूरे कमरे में सिर्फ टीवी की लाइट थी.
सामने पड़े सोफे पर हम दोनों बैठ गए.
कुछ देर फिल्म चली, तो उसने डरावना दृश्य आ गया. मैं एकदम से शहज़ाद से सट गयी और उसने भी अपना हाथ बढ़ाते हुए मेरी कमर को पकड़ कर मुझे उठाया और अपनी गोद में बिठा लिया.
मैं भी इसके खड़े होते लंड पर अपनी गांड टिका कर बैठ गई. वो अपने दोनों हाथों से मेरे पेट को सहलाते हुए एकदम मुझसे चिपका था.
उसका लौड़ा एकदम खड़ा हो चुका था, जो मुझे नीचे से एकदम गड़ा जा रहा था.
अब उसने अपना हाथ आगे करते हुए मेरा पल्लू गिरा दिया और अपने दोनों हाथों को मेरे दोनों मम्मों पर रख कर मेरे दूध सहलाने लगा.
उसने पहले तो हल्के से. फिर एकदम से कड़क हाथों से मसलने लगा.
उसकी इस हरकत से मैं भी एकदम गर्म होकर उससे चिपक गयी और मैंने अपने ब्लाउज का हुक खोल कर अपने चुचियों को आज़ाद कर दिया.
शहज़ाद ने तुरंत मेरे दूध लपक कर पकड़ लिए और मेरे निप्पलों को अपनी उंगलियों में लेकर मींजने लगा.
वो मेरे दोनों थन पूरी तरह से अपनी हथेलियों में भर कर दबाने लगा.
मैं भी मादक आहें भरने लगी.
उसने मेरा सिर पकड़ कर पीछे को घुमाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर उनका रस पीने लगा.
मैं भी उसका साथ देने लगी.
कुछ देर मेरे होंठों को चूसने के बाद उसने मुझे सीधा करके बिठा लिया.
मेरी टांगें उसके दोनों तरफ थीं. वो काफी देर मेरे होंठों को पीता रहा. फिर मेरे एक दूध को मुँह लेकर चूसने लगा तो मैं अपने हाथ से दबाते हुए उसको अपनी चूची चुसवाने लगी.
हम दोनों ही चुदासे हो गए थे. हम दोनों की आंखें मिलीं और एक दूसरे को चुदाई की पोजीशन में लाने का फैसला हो गया.
उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे एकदम नंगी कर दिया और मुझे उसी सोफे पर लिटा दिया. फिर मेरी गीली और गर्म चूत में अपनी जीभ घुसा घुसा कर मेरी चुत चाटने लगा.
मैं बेहद मस्त हो गई थी. कुछ ही देर में मेरी चुत का पानी निकल गया.
इसके बाद मेरी बारी आई. आज मैं मेरी ही बेटी के उस लंड को अपने मुँह में लेने जा रही थी जिस लंड को काफी दिनों से मेरी बेटी चूसती आ रही थी.
आज उसकी अम्मी भी उसी लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने जा रही थी.
मैं अगले ही पल मेरी बेरी के लंड को अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगी.
सच में बड़े गज़ब का स्वाद था शहज़ाद के लौड़े का … और इतना बड़ा और मोटा लंड को अपने मुँह में लेकर मैं खुद को बड़ी किस्मत वाली समझ रही थी.
काफी देर शहज़ाद का लंड चूसने के बाद शहज़ाद ने मुझे उसी सोफे पर पटक दिया.
उसने मेरी दोनों टांगों को उठा कर फैला दिया और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ दिया.
उसका लंड अपनी चुत की फांकों में पाकर मैं मचल उठी. जैसे ही मैं एकदम से तड़पने लगी तो मैं बोल उठी- मुझे चोदा जोर से!
उसने एकाएक एक ही बार में अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
वैसे तो मैं चुदी चुदाई थी, लेकिन शहज़ाद के लंड के हिसाब से मेरी चूत कम खुली थी.
उसके लंड के घुसते ही मुझे हल्का दर्द हुआ लेकिन मैं उसको सहते हुए अपनी चूत अलग अलग स्टाइल में चुदवाने लगी.
इसी तरह पहले राउंड में शहज़ाद ने अपने लंड का पानी मेरी चूत के अन्दर ही झाड़ दिया और मेरे ऊपर ही ढेर हो गया.
कुछ देर बाद वो मुझे अपने कमरे में अपने बिस्तर पर ले गया.
फिर से एक बार वो मेरे पूरे बदन को चूमते हुए अपना मूड बनाने लगा.
उसने मुझे अपना लंड चूसने को कहा, जिसको मैंने लगभग पांच मिनट में चूस कर खड़ा कर दिया.
इसके बाद शहज़ाद ने मुझे घोड़ी बनने को बोला और मैं झट से घोड़ी बन गई.
उसने पीछे से आकर मेरी गांड को एक बार फिर से चाट कर गीला कर दिया. मेरी गांड का छेद थोड़ा ढीला करके वो उसी में लंड लगाने लगा.
मैं एक बार को कांपी कि इसका मूसल मेरी गांड फाड़ देगा.
मगर ये मौका अपनी बेटी के यार के लंड को अपनी गांड में लेने का था तो मैंने अपनी गांड मराने का मन बना लिया.
मैं बोलना चाहती थी- मुझे चोदो!
मेरी बेटी के यार के लंड से मेरी चुदाई आपको कैसी लगी?
आप मुझे मेल करना न भूलें.
आपकी सबीना
[email protected] कहानी का अगला भाग: बेटी के यार के लंड से चुदाई की लालसा- 5

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