बेटी के यार के लंड से चुदाई की लालसा- 1

बेटी के यार के लंड से चुदाई की लालसा- 1


मेरी चुदाई नहीं होती थी. मेरे शौहर अपने काम में थक कर आते तो सो जाते. मैं किसी नए लंड से चुदवा कर जिन्दगी का मजा लेना चाहती थी. तो मैंने क्या किया?
दोस्तो, मेरा नाम सबीना है. मेरा फिगर 34-28-36 की साइज का है. हाइट 5 फ़ीट 6 इंच है. मेरे जिस्म की कसावट एकदम टॉप क्लास रंडी की जैसी है और मैं एकदम दूध सी गोरी हूँ. कम उम्र में शादी होने की वजह से मेरी उम्र अभी कम है.
मेरी कहानी सुनकर मजा लीजिये.

मेरी तीन बेटियां हैं. सबसे बड़ी वाली अभी 21 साल की हुई है, जिसका नाम रुबिका है और वो भी एकदम मेरे जैसे दूध सी गोरी और कसे हुए बदन की मालकिन है.
उसके शरीर का आकार अभी से ही मेरे आकार जितना ही हो गया है. उसकी चुचियां और गांड भी मेरी तरह एकदम कसी हुई हैं.
कमाल की बात ये है कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी है. बाकी मेरी दो बेटियां अभी छोटी हैं. उनके नाम सबा और सना हैं. तीनों बेटियों में एक एक साल का ही फर्क है.
छोटी उम्र में शादी होने की वजह मेरी बेटियां भी जल्दी पैदा हो गयी थीं और वैसे भी हम लोग शादी के तुरंत बाद औलादें पैदा करना शुरू कर देते हैं. इसलिए मेरी तीन औलादें एक के बाद एक पैदा होती चली गईं.
मेरी बेटी और मेरी फिगर एक जैसी होने के कारण अभी भी जब हम दोनों साथ बाहर निकलते हैं, तो हम दोनों बहनें ही लगते हैं.
मेरे शौहर की कपड़ों की दुकान है. मुझसे ज़्यादा समय वो अपनी दुकान पर देते हैं.

शौहर ने अब तक जितनी बार मेरी चुदाई की, सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए ही की मतलब उन्होंने हर बार मेरी चुत में ही अपने लंड का रस टपकाया है.
आज तक कभी मैं मेरी चुदाई से संतुष्ट नहीं हो सकी थी और ना ही वो मुझे संतुष्ट कर पाते हैं.
अब चूंकि उनकी उम्र मुझसे ज़्यादा है, तो उनका लंड ज्यादा लम्बी देर तक नहीं टिकता है. वो 48 साल के हो गए है और उनका लंड बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाता है.
इस वजह से उनसे चुदाई से मेरी चुत शांत ही नहीं हो पाती थी और मेरी गर्मी निकल ही नहीं पाती थी.
मेरी दोनों छोटी बेटियां स्कूल की अंतिम क्लास में हैं और बड़ी वाली कॉलेज चली आती है. सभी के घर से चले जाने के कारण मैं घर में अकेली रह जाती हूँ.
उस समय अकेले में मैं अपने मोबाइल में एडल्ट्स पिक्चर्स देखती रहती हूँ और अन्तर्वासना की गर्म सेक्स कहानियां पढ़ कर अपनी चूत में उंगली करके अपने आपको ठंडा कर लेती हूँ.
लेकिन मुझे अब कोई ऐसा मर्द चाहिए था, जो मेरी चूत चोद कर उसका भुर्ता बना दे. मेरी गांड में भी खुजली होती है.
मेरी गांड अभी तक सील पैक थी, मेरे मन में आता था कि कोई मर्द उसको भी अपने फौलादी लंड से फाड़ दे और मेरे दोनों छेद चालू कर दे.
मुझे अपनी चूत चुसवाना, चूचियां दबवाना, निप्पलों को दांतों से कटवाना और कठोरतम चुदाई करवाना बहुत पसंद है.
खासकर मैं कम उम्र के नए नए जवान हुए लड़के से मेरी चुदाई करवाना चाहती हूं. उनके साथ सेक्स करने में मुझे कुछ अलग ही मजा मिलने की उम्मीद थी.
मगर ये सब किस तरह से हो सकता था. मैं बस ये ही सोच सोच कर अपनी चुत में उंगली करती रहती थी. इसी तरह मेरा जीवन साधारण तरीके से चलता रहा.
लेकिन अब जिस तरह मेरी बेटी जवान होते ही एकदम खिल गयी थी, उससे मुझे लगने लगा था कि अब तो इसके चुदने के दिन आ गए हैं. मुझे अपनी चुत चुदवाने की जगह उसके लिए लंड की तलाश करनी चाहिए.
एक हमारे दूर के जानने वाले थे, जिनका बेटा बचपन से हमारे यहां आता था और मेरी बेटियों के साथ खेलता था. जब उसने भी 18 साल पार कर लिए तो वो एकदम से बदल गया.
वो भी एकदम गोरा और अच्छी कद-काठी का लड़का था. जवान होते ही वो भी एकदम निखर आया था.
उस लड़के का नाम शहज़ाद था. वो हमारा दूर का रिश्तेदार था, तो मैंने उसके लिए कभी कुछ गलत नहीं सोचा था.
एक दिन जब शहजाद शाम को घर आया, तो मेरी बड़ी बेटी रुबिका से बात करने लगा. उन दोनों की खूब बनती थी.
उस दिन शाम को शहज़ाद मेरी बेटी से साथ कमरे में था और मैं खाना बना रही थी. अभी तक मेरे शौहर घर नहीं आए थे.
खाना बनाने के बाद मैं दूसरे कमरे में जा रही थी कि तभी अचानक से मेरी उस कमरे में नज़र पड़ी, जहां मेरी बेटी और शहज़ाद थे. कमरे का दरवाज़ा आधे से ज्यादा भिड़ा था, वो हल्का सा खुला था. मैंने देखा मेरी बेटी शहज़ाद के ऊपर लेटी थी और शहज़ाद उसकी कमर से हाथ लगा कर उसे पकड़े था. वो दोनों मोबाइल में कुछ देख रहे थे.
मैं सीन देख कर वहां से हट गई और किचन में आ गयी. मुझे मन में उन दोनों के लिए संदेह हो गया.
वो दोनों भले ही पहचान के थे, लेकिन दोनों ही अभी अभी जवानी की दहलीज पर पहुंचे थे, तो शायद उन दोनों में कुछ गड़बड़ हो सकता था.
यही सब सोचते हुए कुछ देर बीत गई. तब तक मेरे शौहर घर आ गए और शहज़ाद के घर से भी फ़ोन आ गया. वो भी कमरे से बाहर आकर जाने लगा.
मैंने उसको खाने के लिए रोका लेकिन वो रुका नहीं, चला गया.
अब उस दिन के बाद से मैं उन दोनों पर नज़र रखने लगी और कुछ ही दिनों मैं मैंने पाया कि वो दोनों रिश्तेदार नहीं बल्कि अब दोनों एक दूसरे के साथ गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के जैसे थे.
लेकिन अभी मेरा उन दोनों को कुछ कहना ठीक नहीं था, इसी लिए मैं शांत रही और उन पर नज़रें बनाए रखीं.
मुझे शुरूआत में ये लग रहा था कि मेरी बेटी बहुत भोली है. कहीं शहजाद उसको बहला फुसला कर उसके साथ कुछ उल्टा सीधा न कर दे, जिससे मेरी बेटी की जिंदगी और हमारे घर की इज्जत मिट्टी में मिल जाए.
कुछ दिन गुज़रने के बाद एक दिन रात को मुझे मेरी बेटी रुबिका का मोबाइल मिल गया.
जब मैंने मोबाइल को देखा तो मेरा माथा ही घूम गया क्योंकि उसने इन दोनों की चैट हद से बहुत आगे की बातचीत थी.
उन दोनों में सेक्स तक की बातें होती थीं. इस चैट से समझ आ रहा था कि सेक्स चैट में वो लड़का नहीं बल्कि मेरी बेटी उसके पीछे लगी थी.
मैंने पूरी चैट को शुरूआत से पढ़ना शुरू किया. मैसेज पढ़ने पर पाया कि पहले मेरी बेटी ने ही शहज़ाद से बात शुरू किया था और उससे खुद से अपने प्यार का इज़हार किया था.
अब वो उससे उसके साथ सेक्स के लिए रोज़ बोलती थी.
चैट में मेरी बेटी ने आगे शहजाद से ये भी लिखा था कि मुझे कल तुम्हारा लंड चूसना है, चाहे जो हो जाए.
इस पर शहज़ाद ने लिखा था कि कैसे चूस पाओगी. तुम्हारे घर में सब लोग होते हैं और बाहर ये करना सही नहीं रहेगा.
तो इस पर मेरी बेटी उससे गुस्सा हो गयी और उसने लिखा था कि अब मैं जब तुम्हारा लंड अपने मुँह में लूंगी, तभी तुमसे बात करूंगी.
इसके बाद शहज़ाद ने उसे बहुत समझाने वाली बात लिखी थी लेकिन मेरी बेटी ने उसके किसी मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया था.
इस सेक्स चैट को पढ़ने के बाद मैंने रुबिका का मोबाइल रख दिया और लंड चुसाई की बात सोचते हुए अपने बिस्तर पर लेट गयी.
इसी बीच कब मेरी आंख लग गयी, मुझे पता ही नहीं चला.
अगले दिन दोपहर को शहज़ाद फिर मेरे घर आया और हमारे साथ खाना खाकर बाहर ही बैठ गया था क्योंकि मेरी बेटी उससे नाराज़ थी.
मैं मौका देखते हुए अपनी बेटी के पास गई और बोली कि तुम कुछ देर घर में ही रहना, मैं कुछ काम से जा रही हूँ. अभी आती हूँ.
मेरी इस बात से वो एकदम से खुश सी हुई … लेकिन फिर शांत होते हुए बोली- ठीक है अम्मी, आप जाओ.
मैं कुछ देर में कपड़े बदल कर घर से बाहर आ गयी.
मेरे घर में बाहर से एक सीढ़ी है जो सीधे ऊपर छत पर जाती है. मैंने जानबूझ कर सामने से जाने के बाद मेन गेट बंद कर दिया और अब मैं चुपके से सीढ़ी से चढ़ कर ऊपर आ गई.
फिर छत के रास्ते से वापस अपने घर में अन्दर आ गयी.
मैंने देखा कि रुबिका उस कमरे को बाहर से बंद कर रही थी, जहां उसकी दोनों बहनें सोई हुई थीं.
उसके बाद वो सीधे सामने वाले कमरे में चली गयी, जहां शहज़ाद एकदम चित लेटा था.
रुबिका उसके पास जाते ही उसके पैरों के बीच में बैठ गई. उसने शहजाद की पैंट की चैन खोल कर उसका लौड़ा बाहर निकाल लिया और गप से लंड को मुँह में लेकर मस्ती से चूसने लगी.
मैं बाहर आंगन से खड़ी, ये सब देख रही थी.
जैसे ही शहज़ाद का लौड़ा मेरे सामने आया, मेरी तो आंख फटी की फटी रह गईं क्योंकि उसका लौड़ा जैसे ब्लू फिल्मों में काले हब्शियों का खूब बड़ा लंड होता है, एकदम वैसा ही था.
आठ इंच से ज्यादा लम्बा और साढ़े तीन इंच से कुछ ज़्यादा मोटा लंड था.
रुबिका उसके लंड को बड़ी आसानी और प्यार से जीभ से चाटने लगी थी.
फिर मेरी बेटी ने किसी अश्लील फ़िल्म की रंडी की तरह शहज़ाद का पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में घुसा लिया.
अब वो गले के आखिरी छोर तक लंड लेकर चूस रही थी.
मैं दूर खड़ी ये सब देख रही थी. उस वक़्त मुझे एक मां होने के नाते उन दोनों को रोकना चाहिए था.
लेकिन उस वक़्त मैं एक बहुत प्यासी औरत भी थी और कहीं न कही मुझे शहज़ाद के मोटे लौड़े से अपनी प्यास भी शांत होती दिख रही थी.
शायद यही वजह थी कि मेरे हाथ मेरी चुचियों को मसलने लगे थे.
मैं अपनी बेटी को लंड चूसते देख गर्म हो गयी थी.
इसी सोच के बीच मुझे ये बात भी मन में आयी कि जिस तरह मेरी शादी जल्दी हो गयी, हर बस मैं बच्चे पैदा करने और घर संभालने के अलावा कुछ ना कर सकी. मेरी जवानी वैसे के वैसे रह गयी, जिसका मैं मज़ा न ले सकी, कहीं वैसा ही इसके साथ भी न हो.
ये वक़्त मेरी बेटी को मजा लेने का वक्त था. क्योंकि इसके पापा भी इसकी शादी का मन बना चुके थे, बस मेरी जिद के कारण ये अपनी पढ़ाई कर पा रही थी.
वरना वो इसको पहले ही विदा कर देते और इसकी ज़िन्दगी का मज़ा यहीं दफन हो जाता.
ये अपने मायके में है तो मजा ले पा रही है. वरना ससुराल जाने के बाद तो मेरी तरह इसकी भी ज़िन्दगी बेकार हो जाएगी.
उस वक़्त रिश्ते के हिसाब से मुझे वो सब रोकना था, लेकिन मैंने अपनी बेटी की खुशी के लिए वो सब देख कर भी अपना मुँह फेर लिया.
उन दोनों के बीच मस्ती से मुख मैथुन चल रहा था. कुछ मिनट बाद शहज़ाद रुबिका के मुँह में झड़ गया. उसका इतना सारा माल निकला कि रुबिका ने उसको पूरा मुँह में भरने की कोशिश की, फिर भी वो उसके मुँह से बहने लगा.
फिर रुबिका ने उसका सारा वीर्य पीने के बाद बाहर बहे हुए वीर्य को भी चाट चाट कर साफ किया.
लंड चुसाई के बाद वो दोनों उठ गए और एक दूसरे की बांहों में लेट गए.
ये देख कर मैं दूसरे दरवाज़े से घर से बाहर आ गयी.
जब मैं कुछ देर बाद वापस घर में गयी, तो मुझे सब सही मिला.
मेरे घर आ जाने के कुछ देर बाद वो अपने घर चला गया.
जब वो अगले दिन मेरे घर आया, तो आज जानबूझ कर मैंने शहज़ाद को रिझाने के लिये एक एकदम हल्के रंग और झीने कपड़े का सूट पहना. उस पर दुपट्टा भी नहीं लिया, मेरी कुर्ती एकदम चुस्त थी और उसका गला भी काफी गहरा था.
इस कारण उसमें से मेरे मम्मों की अच्छी खासी गहराई दिख रही थी. झुकने पर तो समझो बवाल ही हो जाता था.
वो आते ही मुझे सलाम करने लगा.
मैंने भी झुक कर उसे सलाम किया और उसको अपनी चूचियों की मस्त झलक दिखा दी.
वो मेरी चूचियों को देखता हुआ साथ वाले कमरे में रुबिका के पास चला गया.
जब कुछ देर बाद मैंने उसको मेरे किचन में आते देखा, तो मैं नीचे ज़मीन पर उकड़ू बैठ गयी और एक बर्तन में आटा निकाल कर उसमें अपने हाथ फंसा कर उसको गूंथने लगी.
इस अवस्था ने बैठने के कारण मेरे बूब्स बहुत ज़्यादा लटक कर बाहर को दिख रहे थे. इस समय मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था और मेरे सर का पसीना चेहरे से होते हुए गर्दन के रास्ते मेरी दोनों चुचियों की गहरी घाटी में जा रहा था. मैंने मौका देख कर अपने बाल भी खोल दिए.
अब जब शहज़ाद किचन के बाहर आया, तो कुछ देर तो वो मुझे घूरता ही रह गया.
मैं भी जानबूझ कर अनजान बनी रही … लेकिन कुछ देर बाद जब मैंने अपनी नज़र उठाई तो उसे अपने मम्मे देखते हुए पाया.
मैं सामान्य भाव से बोली- अरे बेटा तुम … क्या हुआ क्या चाहिए?
वो हड़बड़ाते हुए मेरी छाती से नज़र हटाने की कोशिश करते हुए बोला- अरे वो मुझे प..प..पानी चाहिए था.
उसकी इस हकलाहट और बेचैनी को देख कर मुझे बड़ा मजा आ रहा था. मेरी चुदाई की कहानी के अगले भाग में मैं आपको अपनी बेटी के यार को फांसने की कोशिश करूंगी.
आप मुझे मेल करना न भूलें.
आपकी सबीना
[email protected] मेरी चुदाई कहानी जारी है.

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