मेरा नाम पिंकी सिंह है, मैं भारत की राजधानी नई दिल्ली की रहने वाली हूँ और मैं एक बड़ी कम्पनी के कॉल सेंटर में जॉब करती हूँ. मैंने आप सब को अपनी बहुत सारी चुदाई की कहानी बताई हैं. आज मैं आप सब को अपनी एक और सच्ची चुदाई की कहानी बताने जा रही हूँ कि कैसे मेरी सगी बुआ के बेटे यानि मेरे फुफेरे भाई ने मुझे चोद दिया. यह मेरी ट्रू सेक्स स्टोरी है. इससे पहले की चुदाई की कहानी के लिए आप सबने मुझे मेल किया, उसके लिए सभी पाठकों को थैंक्स.
मेरी उम्र 24 साल है, मैं बहुत गोरी हूँ, सुन्दर हूँ. मेरा फिगर 36-30-38 का है मेरी गांड पीछे को काफी उभरी हुई है और मेरी चूचियाँ भी काफी उठी हुई हैं. मेरी चूची और गांड के सभी लोग, जो मेरे कॉलोनी में रहते हैं वो लोग दीवाने हैं. मेरी जवानी को देख कर सबका मन मुझे चोदने को करता है.
मेरे बुआ के लड़के का नाम रामू है, वो मुझसे दो साल छोटा है और वो दिखने में अच्छा है. वैसे मैं अपने रिश्तेदारों में बहुत सारे लोगों से चुदवा चुकी हूँ. मेरे बुआ का लड़का और मैं दोनों लोग ताऊ जी की बेटी की शादी में मिले थे. आप सबको तो पता ही है दिल्ली में शादी के बारे में, कितनी मस्ती होती है. वैसे भी बिना गाने और डांस की शादी शहरों में होती नहीं है इसलिए यही सब चल रहा था.
डी जे पर म्यूजिक बज रहा था, हम सभी लोग शादी में डांस कर रहे थे. मेरी बुआ का लड़का रामू भी डांस कर रहा था और डांस में ही वो अपने लंड से मेरी गांड को टच कर रहा था. हम दोनों ने थोड़ा ड्रिंक भी किया था और नशे में डांस कर रहे थे. डांस करते करते मेरी बुआ के लड़के ने मुझे अपने गले लगा लिया और मेरे साथ डांस करने लगा.
रामू मेरा फुफेरा भाई था इसलिए किसी ने हमें कुछ नहीं बोला और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में आकर डांस करने लगे. इस दौरान उसने मेरे सेक्सी बदन को खूब छुआ इधर उधर ऊपर नीचे सब जगह, मुझे भी मजा आ रहा था तो मैंने कोई एतराज नहीं जताया बस यही डर लग रहा था कि कोई रिश्तेदार उसकी इस हरकत को देख ना ले. मगर वो भी होशियार था, वो सबकी नजर बचा कर मेरे कामुक शरीर का मजा ले रहा था.
हम डांस करने के बाद खाना खाने आ गए. बुफे सिस्टम था और सभी लोग खाना खा रहे थे. रामू मेरे साथ ही खाना खा रहा था. हम दोनों लोग एक दूसरे से मजाक भी कर रहे थे. हम दोनों ड्रिंक किये हुए थे इसलिए कभी कभी हम दोनों गाली देकर भी एक दूसरे से बात कर रहे थे.
इस दौरान हम दोनों एक दूसरे से थोड़ा खुल कर बातें करने लगे थे. मैं उस दिन नीले रंग का टाइट सलवार सूट पहने हुई थी जिसमें मैं एकदम माल लग रही थी. मेरे बुआ के लड़के रामू ने बातों बातों में मुझे बोला- यार पिंकी, साली तुम एकदम सेक्सी लड़की हो, तुम्हारा जरूर कोई बॉयफ्रेंड तो होगा ही?
मैं शर्माने का नाटक करते हुए बोली- क्या यार, तुम मेरे बारे में ऐसा सोचते हो? मैं निहायत शरीफ लड़की हूँ, मेरा कोई बॉय वॉय फ्रेंड नहीं है.
रामू बोला- ऐसा हो ही नहीं सकता कि ऎसी माल का कोई यार ना हो?
मैं बोली- यार, तुम हो ना मेरे यार… तो मुझे किसी और की क्या जरूरत है.
वो बोला- मैं तो तेरा यार बन ही जाऊँगा.
इसके बाद बातें रंगीन होना शुरू हो गईं और हम दोनों अपने अपने बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के बारे में बातें करने लगे. खाना पीना खत्म हुआ और उसके बाद हम दोनों सोने की तैयारी करने लगे.
शादी में बहुत लोग आये थे, सभी के सोने का इंतजाम तो था पर जगह कम थी. कुछ लोग शादी का मजा लेने चले गए, बाक़ी के लोग सो गए.
चूंकि जगह का टोटा था इसलिए मैं और रामू, बुआ और रामू की बहन एक साथ में एक छोटे से कमरे में आ गये, बाकी के लोग बाहर तम्बू में सोए थे. मेरी बुआ का लड़का और उसकी बहन और मैं और मेरी बुआ हम चारों लोग साथ में सोये थे. बुआ का लड़का मुझ से एकदम चिपक कर सोया था. ठंडी का मौसम था तो मैं भी उस से एक दम चिपक कर लेट गई थी. आप सबको तो पता है ठंडी में सभी लोग कैसे सोते हैं. वैसे ही मैं और मेरी बुआ का लड़का हम दोनों चिपक कर एक रजाई में सोये थे और मेरी बुआ और उनकी बेटी दोनों लोग अलग रजाई में सोये थे.
मेरी बुआ दवा खा कर सोती हैं तो वे जल्द ही गहरी नींद में सो गईं. इधर रामू ने मुझे हग किया और बोला कि पिंकी यार आज बहुत ठण्ड है न.
मैंने कहा- हाँ यार…
मुझे उसका लंड मेरी टांगों में महसूस हो रहा था. मैं समझ गई थी कि ये बहन का यार मुझे चोदना चाहता है और धीरे धीरे मुझे भी अपनी बुआ के लड़के से चुदवाने का मन करने लगा. मैं भी अपनी टांगों को रामू के लंड पर रगड़ने लगी.
रामू भाई ने मुझे अपनी बाँहों में लिया और मेरे होंठों पर होंठ रख कर किस करने लगा और कुछ देर बाद मेरे लबों को अपने लबों में ले कर चूसने लगा. हम दोनों रजाई में एक दूसरे को फ्रेंच किस करने लगे. रात में अँधेरा था तो किसी को कुछ दिख भी नहीं रहा था. हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत देर तक किस किया. इसके बाद रामू ने मेरी चूचियां दबाई शर्ट के ऊपर से ही… खूब मसला मेरी चूचियों को जैसे औरतें रसोई में आता गूंथती हैं. मुझे दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा तो मैंने अपने भाई को रोका नहीं… वो मुझे मसलता रहा और मैं अपनी आहें अपने होंठों में दबा कर रखती रही कि पास में लेटी बुआ की बेटी को कुछ सुन जा जाये और हमारी करतूतों की भनक लग जाए.
कुछ देर बाद वो अपना हाथ मेरी सलवार के नाड़े पर लाया और उसको खींच कर खोल दिया. उसने मेरी सलवार को मेरी टांगों से पूरा निकाल दिया, मैंने भी उसकी मदद की सलवार उतारने में अपने चूतड़ उठा कर…
पहले तो वो मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाता रहा, मेरी चूत की लकीर में उंगली फिराता रहा लेकिन फिर मेरी पेंटी में हाथ डाल कर मेरी चूत में उंगली करने लगा. मेरी चूत तब तक पूरा पानी छोड़ चुकी थी, मेरी कामुकता अपने चरम शिखर पर थी तो मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी.
अब मैंने भी रामू की पैन्ट की ओर हाथ बढ़ाया और उसका हुक और जिप खोल कर उसके लंड का चड्डी के ऊपर से ही जायजा लेने लगी. मेरे भाई का लंड पूरा खड़ा था, मैंने अंदाजा लगाया कि उसका लंड कम से कम छह इंच लंबा तो होगा ही. फिर मैंने उसकी चड्डी में अपना हाथ घुसाया और भाई का लंड अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी थी.
भाई मेरी चूत में पूरी उंगली घुसा कर अंदर बाहर कर रहा था तो मेरी चूत में से पानी निकलने लगा और मैं एक बार झड़ गई. उसके बाद रामू भी झड़ गया क्योंकि मैं भी उसके लंड की मुठ मारने लगी थी.
कुछ ही देर बाद हम दोनों फिर से एकदम चुदाई के मूड में आ गए थे.
कुछ देर बाद रामू ने अपनी पैंट और चड्डी पूरी उतार दी, अपने पैरों से मेरी दोनों टांगें फैलाई और मेरे बदन के ऊपर चढ़ कर अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा. मेरी कामुकता का कोई पारावार नहीं रहा मेरी सिस्कारियां निकालने लगी तो मेरे भाई ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मेरी आवाजों को बंद किया.
अब मैं चाह रही थी कि मेरा भाई अपना कड़क लंड मेरी भीगी, गर्म, प्यासी, तड़पती चूत में घुसा दे. मैंने नीचे से अपने चूतड़ उछाल कर उसे मेरी चूत लंड डालने का इशारा भी किया. लेकिन वो लगातार अपना लंड मेरी चूत के ऊपर ऊपर ही रगड़ता रहा और मेरी चुदास को बढ़ाता रहा.
जब मुझसे रहा ही नहीं गया तो मैंने खुद पाने हाथ से भाई का लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगाया और नीचे से चूतड़ ऊपर को उछाले कि लंड मेरे बदन में घुस जाए. लेकिन लैंड बस आध एक इंच ही घुसा.
अब मैंने भाई की पीठ पर नाखूनों से नोच कर अपना गुस्सा और कामुकता की इन्तेहा जाहिर की तो भाई ने मुझ पर तरस खा कर एक झटका मेरी चूत के अंदर मारा और मेरी चूत में लंड डाल दिया. अभी रामू भाई का आधा लंड ही मेरी चूत में गया था कि मेरे मुंह से आह्ह निकल गई और मैं कामुक सिस्कारियां लेने लगी. उसके मोटे और लम्बे लंड से मुझे बहुत दर्द हो रहा था. रामू मुझे धीरे धीरे चोद रहा था. बाद में मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ तो रामू ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया और मुझे चोदने लगा.
हम दोनों भाई बहन रजाई में चुदाई करने लगे. लेकिन हम इस ढंग से चोदन क्रिया कर रहे थे कि रजाई कम से कम हिले और हमारे पास लेती बुआ जी या उनकी बेटी को कोई आभास या शक ना हो. रामू अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे बड़े आराम से, प्यार से चोद रहा था मेरे होंठों को चूम रहा था और मेरे कान को कभी कभी बाईट कर रहा था.
फिर रामू ने मुझे चोदते चोदते अपने धक्के की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी और उसके बाद हम दोनों लोग चुदाई करते हुए एक बार झड़ गए. लेकिन मेरे भाई रामू ने होशियारी दिखाई, मेरी चूत में अपना माल नहीं जाने दिया अपना सारा वीर्य मेरी जांघों के बीच में चादर पर गिरा दिया.
हम दोनों लोग चुदाई करने के बाद पसीने से भीग गए थे. रामू मुझे लगातार किस कर रहा था.
वो बोला कि पिंकी तुमको चोदकर बहुत मजा आया.
मैंने भी उसको सीने से लगा लिया. हम दोनों लोग एक दूसरे के बाहों में सो गए. एक घंटे बाद मेरी बुआ का लड़का रामू मेरी चूत में फिर से लंड डालने लगा और उसने मुझे एक बार और चोदा. इसके बाद किसी की आवाज आई तो मैंने जल्दी से अपनी सलवार पहन ली.
हम दोनों ने उस रात दो बार चुदाई का मजा लिया. मैं और मेरी बुआ के लड़के ने अगले दिन भी सेक्स किया. रामू जब तक मेरे घर रुका, वो मुझे रोजाना चोदता था. वो चला गया उससे मेरी फोन पर बात होती हैं. बातों से ही मालूम हुआ कि हम दोनों ने उस दिन से चुदाई नहीं की है.
वो कुछ दिन बाद मेरे घर आएगा तो हम दोनों दुबारा चुदाई करेंगे.