चोदो मुझे सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी बुआ की गंवार बेटी की झांट साफ़ की तो वह गर्म हो गयी और उसकी चूत में लंड घुसाने के लिये कहने लगी. मैंने उसे बताया कि दर्द होगा तो …
अन्तर्वासना के सभी प्यारे दोस्तों को हर्षद का प्यार भरा नमस्कार.
मेरी कहानी के पिछले भाग में
बुआ की बेटी की चूत चमकाई
मैंने आपको बताया था कि मैंने अपनी बुआ की लड़की सोनी की चूत के सारे बाल रेजर से साफ कर दिए थे.
अब आगे चोदो मुझे सेक्स कहानी:
जब मैंने सोनी की चूत के बाल साफ कर दिए और चूत को पानी से धोकर कपड़े से पौंछ दिया तो सोनी ने अपने एक हाथ से अपनी चूत को सहला कर देखा.
सफाचट चूत का स्पर्श पाते ही वो एकदम से उठकर बैठ गई और सर झुका कर चूत को देखती हुई बोली- वाह भैया, कितनी चिकनी और मुलायम दिखती है मेरी चूत! भैया तुम कितने अच्छे हो और कितना ख्याल रखते हो.
यह कहते हुए उसने मेरे लंड को सहलाकर मेरे होंठों को चूम लिया.
मैंने लंड से उसका हाथ छुड़वाते हुए उसके दोनों हाथ ऊपर करके फिर से मेज पर लिटा दिया.
सोनी के कोमल हाथों से इस खींचातानी में मेरा लंड फिर से कड़क हो गया था.
मैंने उससे दो मिनट चुपचाप लेटी रहने को कहा.
फिर मैंने आफ्टर शेविंग लोशन लेकर अपनी उंगलियों से उसकी चूत पर अच्छी तरह से मल कर लगाया.
तो सोनी आह भरती हुई बोली- बहुत मजा आ रहा है भैया ऐसे ही करते रहो.
मैंने कहा- हट पगली, मैं तो ये क्रीम लगा रहा था.
मैं उसकी फैली हुई जांघों के बीच खड़ा रह कर उंगलियों पर लोशन लेकर उसकी दोनों कांख में बारी बारी से लगाने लगा.
इस पोजीशन में मेरा तना हुआ लंड उसकी चूत पर रगड़ रहा था.
सोनी से मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं.
मैंने कहा- क्या हुआ सोनी?
वो बोली- नीचे तुम्हारा लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा है.
अब मेरा ध्यान नीचे उसकी चूत पर गया और मैंने कहा- अरे, मेरी तो समझ में भी नहीं आया.
यह कहकर मैंने उसे उठाकर बिठा दिया और कहा- लो हो गयी साफ सफाई. अब बताओ तुम्हें कैसा लग रहा है सोनी?
वो बोली- बहुत ही मस्त लग रहा है भैया.
यह कहती हुई वो मेरे लंड का तना हुआ, मुलायम सुपारा अपनी चूत पर रगड़ने लगी.
इस बार मैं देख रहा था तो मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ने लगी.
मैंने उसका हाथ पकड़कर कहा- ऐसा मत करो सोनी … मुझे सहा नहीं जाता है.
सोनी बोली- मुझसे भी नहीं सहा जाता भैया, बहुत खुजली हो रही है.
यह कहती हुई वो मेरे लंड को फिर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी.
उसकी चूत गीली हो गयी थी.
“भैया, अब थोड़ा सा तो अन्दर डालो ना, मेरी खुजली बंद हो जाएगी.”
मैंने कहा- सोनी, ऐसा नहीं हो सकता, तुम्हारी चूत बहुत छोटी है. मेरा लंड इसमें नहीं जाएगा.
मेरी बात पर वो बोली- मैं देखती हूँ … कैसे नहीं जाता है. आपको सिर्फ आगे का टोपा ही डालना है भैया.
मैंने कहा- तुम्हें जो करना है, कर लो सोनी … तुम नहीं मानोगी.
उसने अपनी छोटी, कुंवारी, उभरी हुई चूत को उंगलियों से दोनों तरफ खींच लिया तो उसकी चूत के अन्दर से गुलाबी रंगत देखकर मेरा लंड तो और मोटा और लोहे जैसा होकर फड़फड़ाने लगा.
सोनी ने मेरे लंड के नोकदार सुपारे को अपनी खुली हुई चूत के मुँह पर रखकर अपनी कमर हिलाकर एक धक्का मारा तो मेरा चिकना सुपारा आधा अन्दर घुस गया था.
मैंने अपने लंड का दबाव चूत पर बनाए रखा हुआ था.
बहुत दिनों के बाद कुंवारी चूत देखकर मेरे अन्दर का जानवर जागने लगा था.
लेकिन एक मन कह रहा था कि ये गलत कर रहे हो, तो मैंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं और सोचने लगा था.
इतने में सोनी ने अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को पकड़ कर अपनी चूत पर जोर से दबाया तो झट से मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया.
सोनी ‘ऊंई माँ आह आह …’ करके सीत्कार करने लगी थी- आह भैया, दर्द भी हो रहा है और मजा भी आ रहा है मुझे!
मैंने कहा- बस अब निकाल दो. मैंने तुम्हें पहले ही बताया था. पूरा अन्दर लोगी तो चूत फट जाएगी और खून भी निकलेगा. आज के लिए बस इतना ही काफी है.
सोनी बोली- अच्छा ऐसे ही घुसा रहने दो ना भैया … पांच मिनट ऐसे ही डाले रखो … मुझे मजा आ रहा है.
यह कहती हुई वो अपनी कमर आगे पीछे करने लगी थी.
मैं भी मजे लेने लगा था.
अब मेरा लंड अन्दर घुसने को चाह रहा था; मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
तो कुछ ही देर बाद उसके कमर को आगे पीछे करने के दौरान ही मैंने एक धक्का मार दिया.
इससे लंड अन्दर घुस गया और वो छटपटाने लगी- आह भैया, अब नहीं जा सकता अन्दर!
ये कहती हुई वो मादक सिसकारियां लेने लगी और झड़ने लगी.
उसका चुतरस मेरे लंड से होकर नीचे टपकने लगा.
मैंने झट से अपने लंड का सुपारा बाहर निकाल कर उसकी चूत के मुँह पर अपना मुँह रख दिया और चुत रस चूसने लगा.
सोनी ने भी अपने दोनों हाथ से मेरा सर अपनी चूत पर दबा लिया और मादक आवाज ‘ऊंई आह आ स् स्स स्सस’ जैसी सिसकारियां लेने लगी- आह भैया … ऐसे ही चूसते रहो … बहुत मजा आ रहा है मुझे … आह कैसे बताऊं तुम्हें.
कुछ ही देर में पूरा रस चूस लेने के बाद वो सामान्य हो गयी थी.
मैंने कहा- अब कैसा लग रहा है सोनी?
सोनी निढाल स्वर में बोली- बहुत अच्छा लग रहा है भैया … काफी हल्का भी लग रहा है भैया … तुम तो बहुत मजा देते हो!
मैंने कहा- अब बस हो गया. रात के साढ़े दस बज गए हैं. चलो अब सोते हैं.
ये कहकर मैंने उसे अपनी बांहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया और मैं भी उसके साथ लेट गया.
सोनी ने मेरे होंठों को चूमकर मेरी तरफ पीठ कर ली और लेट गयी.
अब मेरा आधा मुरझाया लंड उसकी गांड की दरार में स्पर्श कर रहा था.
थोड़ी देर बाद सोनी और पीछे सरककर मुझसे सट गयी तो मेरा लंड उसकी गांड की दरार में सट गया था.
थोड़ी देर कुछ हलचल नहीं हुई.
मैं भी आंखें बंद करके सोनी का नाटक देखने लगा कि आगे क्या होता है.
कुछ ही समय बाद सोनी अपनी गांड आहिस्ता से मेरे लंड पर दबाने लगी, तो मेरा लंड उसकी दरार में अपने सर की टक्कर मारते हुए फंसने सा लगा.
कुछ देर बाद उसकी हरकत बंद हो गयी थी लेकिन उसकी गदरायी, गोरी सी मुलायम गांड और जांघों का नाजुक सा स्पर्श लगने से मेरे लंड में वापस तनाव आने लगा था.
अब मैं उसे रोक भी नहीं सकता था.
थोड़ा समय निकल जाने के बाद शायद सोनी को महसूस हो गया था कि मैं सो गया हूँ.
तो उसने मेरा हाथ अपने हाथ से उठाकर अपनी एक चूची पर रखकर ऊपर से अपने हाथ से मेरे हाथ को दबाने लगी.
उसकी मुलायम, कसी हुई और खड़ी उभरी हुई चूची को पहली बार मेरे हाथों से स्पर्श होने से और नीचे गांड की दरार में लंड बैठने से मेरे पूरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी थी.
नीचे मेरा लंड सोनी की गांड की दरार में फड़फड़ाने लगा था.
ना चाहते हुए भी मेरा हाथ उसकी मुलायम चूचियों को … और कड़क निप्पल को सहलाने लगा था.
कुछ मिनट तक बाद सोनी ने करवट बदली और वो मेरी तरफ मुँह करके लेट गई.
उसने अपने एक पैर को मेरी कमर पर रख दिया और मेरे तने हुए लंड को सहलाती हुई मेरा हाथ अपनी चूत पर रखती हुई धीमे से बोली- भैया, मेरी चूत में एक उंगली डाल दो ना दोपहर की तरह … मुझे नींद नहीं आ रही है.
उसकी तड़प देखते हुए मैंने अपनी बीच वाली उंगली उसकी गीली और गर्म चूत में आहिस्ता से पेली और कुछ ही पलों में चूत की जड़ तक उंगली डाल दी.
वो मादक आह भरने लगी.
फिर उसने अपने एक हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया; दूसरा हाथ मेरे हाथ पर रखकर वो चूत पर दबाव बनाने लगी थी.
ऐसे ही हम दोनों कब नींद के आगोश में चले गए, कुछ पता ही नहीं चला.
फिर सुबह होते ही हम दोनों अलग हो गए थे.
इस तरह से हमारा दो दिन दोपहर और रात को खेल जारी रहा था.
तीसरे दिन फूफा जी की संडे की छुट्टी थी तो बुआ और फूफा जी किसी रिश्तेदार के गांव कुछ फंक्शन में जाने वाले थे.
उस दिन बुआ ने जल्दी से उठकर खाना और नाश्ता भी बनाया था.
हम सबने मिलकर नौ बजे नाश्ता चाय साथ में लिया.
बुआ हम दोनों से बोलीं- कहीं बाहर धूप में मत जाना, खाना बना कर रखा है, समय पर खा लेना. हम दोनों शाम तक वापस आ जाएंगे.
सोनी ने हां में सर हिला दिया.
उन दोनों के चले जाने के बाद सोनी ने बाहर का गेट बंद कर दिया और नीचे के भी सब दरवाजे बंद कर दिए.
हम दोनों ऊपर चले गए.
रूम में जाते ही सोनी ने खुश होकर मेरे होंठों को किस करते हुए मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
फिर अलग होकर मेरे कपड़े निकालते हुए बोली- भैया आज मैं बहुत खुश हूँ. आज मैं जो चाहे तुम से करवा लूँगी. अब घर में हम दोनों के सिवाय कोई नहीं है.
यह कहते हुए उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया था.
फिर वह खुद अपने कपड़े निकालकर नंगी हो गयी थी.
वह अपनी गांड को मेरे लंड से और पीठ को मेरे सीने से चिपकाकर खड़ी हो गयी.
उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों हाथ पकड़े और अपनी तनी हुई चूचियों पर रखकर दबाने लगी थी.
सोनी के सेक्सी और कुंवारे बदन में आग लगी थी, उसका तपता बदन मुझे भी गर्म करने लगा था.
आखिर मैं भी तो एक मर्द था; मेरे पूरे शरीर में कामवासना की आग सुलग चुकी थी.
मेरे दोनों हाथ अपने आप तेजी से सोनी की चूचियों को मसलने लगे थे.
नीचे मेरा लंड पूरे तनाव में आकर उसकी गांड की दरार में टकरा रहा था.
साथ में मैं अपने होंठों से सोनी की गर्दन और पीठ को चूम रहा था.
सोनी के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं.
दस मिनट तक बाद सोनी ने पलट कर अपना मुँह मेरी तरफ कर दिया और मेरे होंठों को चूसने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसकी मुलायम, गोलमटोल गांड को सहलाने लगा.
मेरा तना हुआ मोटा लंड उसकी चूत को रगड़ने लगा था.
सोनी की चूचियों के कड़े हुए निपल्स मेरे सीने पर चुभ रहे थे.
उसने अब अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को सहलाना शुरू किया था.
हम दोनों मदहोश हो रहे थे.
मैं उसकी चूचियों पर होंठ रखकर बारी बारी से चूमने लगा.
सोनी सिहर उठी और अपने मुँह से आह भरने लगी, साथ में मेरे सर के बालों में अपनी उंगलियां फंसा कर सहलाती हुई मेरे सर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी थी.
मैं भी जोर जोर से उसकी चूचियां मुँह में लेकर चूस रहा था, साथ में जीभ से निपल्स को रगड़ भी रहा था.
सोनी पहली बार ये सब अनुभव कर रही थी इसलिए वो कामुक होकर कसमसाने लगी थी.
साथ में नीचे उसकी चूत पर मेरा लंड रगड़ने की वजह से वो ये सब सहन नहीं कर पाई और झड़ने लगी थी.
उसने कसमसा कर मुझे कस लिया और सिसकारियां लेती हुई अपना सर मेरे कंधे पर रखकर हांफने लगी थी.
तो दोस्तो, अब तक की कहानी आपको कैसे लगी, जरूर बताएं और मेल व कमेंट्स करना मत भूलना.
मैं चोदो मुझे सेक्स कहानी का अगला भाग जल्द ही आपके सामने लेकर आऊंगा.
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चोदो मुझे सेक्स कहानी का अगला भाग: बुआ की नादान सेक्सी बेटी लड़की की चुदाई- 4