चूत की झांट की सफाई की मैंने अपनी बुआ की देसी बेटी की. उसने कभी ना झांट साफ़ की था और ना ही कांख के बाल. अपनी चिकनी चूत देख कर वह भी खुश हो गयी.
अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को हर्षद का प्यार भरा नमस्कार. आप सबका फिर से एक बार स्वागत करता हूँ और मेरी पिछली कहानी का अगला भाग आपके मनोरंजन के लिए पेश कर रहा हूँ.
पिछले भाग
गाँव की भोली भाली लड़की की अन्तर्वासना
में आपने पढ़ा था कि मेरी बुआ की लड़की सोनिका मेरे लंड से खेल रही थी और मेरे हाथ की उंगली से अपनी चूत की खुजली मिटवा रही थी.
अब आगे चूत की झांट की सफाई:
दस मिनट बाद मैंने आहिस्ता से अपनी उंगली सोनी की चूत से बाहर निकाली और अपना लंड उसके हाथ से छुड़वा लिया.
शायद वो सो गयी थी.
मैंने अपनी अंडरवियर ऊपर चढ़ा ली और सोनी की पैंटी व उसका गाउन भी नीचे करके लेट गया.
मैं सोनी के बारे में ही सोचने लगा कि यह कैसी लड़की है, इसे खुद को अपने अच्छे बुरे का ख्याल नहीं है.
इसे तो सेक्स और गुप्तांगों के बारे में भी पता नहीं है.
फिर ये सब ही सोचते हुए कब मेरी आंख लग गयी, मुझे पता ही नहीं चला था.
जब मेरी आंख खुली तो शाम के साढ़े पांच बजे थे.
मैंने झट से उठकर सोनी को भी जगाया और हम दोनों फ्रेश होकर नीचे चले गए.
मैंने देखा कि बुआ चाय बना रही थीं.
बुआ हमें देखकर बोलीं- अच्छा हो गया कि तुम दोनों आ गए, नहीं तो मैं तुम्हें बुलाने आने वाली थी. अब बैठो मैं चाय देती हूँ.
हम दोनों सोफे पर बैठ गए और बातें करने लगे.
बुआ चाय लेकर आईं और हम तीनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.
मैंने बुआ से कहा- बुआ, तुम्हारे गांव का माहौल काफी अच्छा है. चारों तरफ हरियाली और हरे-भरे पेड़, हरी-भरी खेती है. ये देखकर लगता है कि यहीं रह जाऊं.
बुआ हंस कर बोलीं- तो रहो ना … तुम्हारा मन करे, तब तक रहना. ये भी तुम्हारा ही घर है. अब जरा तुम दोनों घूम आओ. सोनी को भी अच्छा लगेगा. इसकी ना तो कोई सहेली है और ना ही कोई दोस्त है. अकेली रहते हुए इसे दुनिया के तौर तरीके, रहन सहन की कोई परवाह ही नहीं है. इसे जरा अच्छे से समझाओ और सब सिखाओ. तुम उसी के उम्र के हो और तुम ही इसे समझा सकते हो हर्षद.
मैंने बुआ से कहा- तुम चिंता मत करो बुआ, जब तक मैं यहां हूँ … मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा कि ये सब कुछ सीख जाए.
तब मैंने सोनी का हाथ पकड़ कर कहा-सीखोगी ना सोनी?
सोनी हंस कर बोली- हां भैया, तुम ही मुझे सब कुछ अच्छी तरह से समझा सकते हो!
मैंने कहा- तो अब चलो, बाहर चलते हैं.
बुआ से कह कर हम दोनों बाईक पर निकल पड़े.
गांव के बाहर आते ही मैंने बाईक रोक दी. सोनी मेरे पीछे अपने दोनों पैर एक बाजू लटका कर बैठी थी. शायद वो शरमाती होगी या उसे पता नहीं था.
मैंने उससे कहा- जैसे मैं बैठा हूँ, मेरे पीछे वैसे ही बैठ जाओ.
उसने पंजाबी ड्रेस पहना था तो वो आराम से बैठ गयी.
मैंने उसका एक हाथ अपने कंधे पर रखवाया और दूसरा कमर पर रखवाते हुए उससे कहा- अच्छे से पकड़ कर बैठना सोनी! बाईक पर हमेशा ऐसे ही बैठा करो समझी!
सोनी ने मुझे अपने हाथों से पकड़ कर कहा- हां भैया, समझ गई … अब चलो.
हम दोनों निकल पड़े.
रास्ता कच्चा था तो बार बार ब्रेक मारना पड़ रहा था. हर बार झटका लगता तो सोनी मेरे ऊपर आ जाती थी. उसके उभरे हुए और नोकदार चूचे मेरी पीठ पर रगड़ कर मुझे बाद सुख दे रहे थे.
एक बार तो एक गड्डे में बाईक गयी तो सोनी जोर से मेरी ऊपर आ गई और उसका कमर वाला हाथ छूट कर सीधे मेरी जांघों के बीच में मेरे लंड के उभार पर आ गया.
सोनी ने जोर से वहां पकड़ कर रखा.
थोड़ी देर बाद अच्छा रास्ता मिल गया, तो मैं तेज गति से बाईक चलाने लगा.
सोनी मुझसे जोर से चिपककर बोली- भैया, कितनी तेज चला रहे हो, मुझे डर लगता है.
मैंने कहा- डरो मत, मुझे पकड़ कर बैठो.
सोनी का हाथ मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ कर जाँघ पर रखा था.
वो आहिस्ता से लंड पर अपनी उंगलियां चला रही थी जिस वजह से ना चाहते हुए भी मेरा लंड तनाव में आने लगा था.
मैं उसे रोक नहीं सकता था.
सोनी ने अपना सर मेरे कंधे पर रखा था.
उसको शायद मजा आ रहा था, वो मेरे कान में बोली- भैया ये तुम्हारा बड़ा हो रहा है … ऐसा क्यों हो रहा है?
मैंने कहा- तुमने उसे पकड़ा है, इसलिए वो खड़ा हो गया है.
‘अच्छा अब मैं समझी, दोपहर को भी जब मैं इसके साथ खेल रही. तभी भी ये तनकर खड़ा हो गया था.’
मैंने कहा- हां सोनी, अब उसे छोड़ो. हम शहर में आ चुके हैं.
उसने हाथ हटा दिया.
मैंने एक मॉल के सामने बाईक लगायी और हम दोनों अन्दर चले गए.
मैंने एक लेडीज रेजर, शेविंग क्रीम, आफ्टर शेव लोशन, लेडीज डिओ, परफ़्यूम खरीद लिया.
मैंने सोनी से कहा- तुम्हें कुछ लेना है तो ले लो सोनी.
उसने कहा- मुझे ब्रा-पैंटी और व्हिसपर का पैकेट लेना है.
हमने वो सब ले लिया.
फिर चॉकलेट यदि लेकर हम दोनों वहां से निकल पड़े.
उसके बाद एक आईसक्रीम पार्लर में जाकर आईसक्रीम खाई और एक फैमिली पैक भी ले लिया.
मैंने सोनी से पूछा- और कुछ लेना है क्या?
सोनी बोली- कुछ नहीं भैया.
मैंने कहा- क्यों न हम सबके लिए होटल से खाना पार्सल करवा कर जाएं?
सोनी बोली- हां यह ठीक रहेगा भैया, लेकिन मम्मी को फोन करके बताना पड़ेगा. नहीं तो वो खाना बना लेंगी.
मैंने कहा- पापा कितने बजे आते हैं?
उसने कहा- आठ बजे आते हैं.
मैंने कहा- अभी तो अपने पास काफी समय है. तुम मम्मी को फोन लगाओ.
उसने फोन करके बुआ को बता दिया और हम एक अच्छे से होटल में गए.
उधर मेन्यू कार्ड लेकर और सोनी से पूछ कर सब ऑर्डर किया.
आधा घंटा में हमारा पार्सल तैयार हो गया.
मैंने पैसे देकर पार्सल लिया और हम निकल पड़े.
अब सोनी ठीक से मुझसे चिपक कर बैठ गयी थी.
वो समझ गयी थी कि बाईक पर कैसे बैठना होता है.
रास्ता अच्छा था इसलिए मैं बाईक तेज गति से चला रहा था.
थोड़ी देर बाद फिर कच्चा रास्ता आया तो मैं आहिस्ता से बाईक चलाने लगा.
अब अंधेरा भी होने लगा था.
हम दोनों ठीक आठ बजे घर पहुंचे तो फूफा जी भी आ गए थे.
सोनी हमारे लिए खरीदा हुआ सामान ऊपर के कमरे में लेकर चली गयी और मैंने बाकी खाने का पार्सल आदि बुआ के पास रख दिया.
वे बहुत खुश हो गयी थीं.
फूफा जी भी मेरे आने से बहुत खुश थे.
वे बोले- फ्रेश होकर आओ हर्षद, फिर हम आराम से बातें करेंगे.
मैं ऊपर जाकर फ्रेश होकर चेंज करके नीचे आ गया.
सोनी मेरे से पहले ही चेंज करके नीचे आ गई थी.
मैं फूफा जी के पास सोफे पर बैठकर बातें करने लगा.
इधर उधर की बातें करते समय कैसे बीत गया, कुछ पता ही नहीं चला.
इतने में बुआ ने आवाज दी. साढ़े आठ बज गए हैं. मैं खाना लगा देती हूँ!
तो फूफा जी बोले- हां लगा दो, बहुत भूख लगी है.
सोनी और बुआ हम सबके लिए खाना परोसकर बाहर ले आयी और हम सब डायनिंग टेबल पर आ गए.
सोनी भी बुआ की मदद कर रही थी.
हम सब मिलकर खाने का स्वाद लेने लगे.
बुआ बोलीं- खाना बहुत ही स्वादिष्ट और टेस्टी है हर्षद!
मैंने कहा- ये सब तो सोनी की पसंद का है. मुझे नहीं पता था कि आपको क्या पसंद है.
इस बात पर फूफा जी खुश होकर बोले- अरे वाह, सोनी तो बहुत होशियार और समझदार हो गयी है.
सोनी बोली- तो बेटी किसकी है?
उसकी बात पर हम सब हंसने लगे.
सोनी बोली- अब भैया आया है ना, वो मुझे बहुत कुछ बातें समझाता भी है और सिखाता भी है.
फूफा जी बोले- तेरा भैया जब तक यहां है, तुम उससे सब कुछ सीख लेना. तुझे जो भी सवाल है, उसी से पूछना. वो तुम्हें बहुत खूब अच्छे तरीके से समझाएगा. वो बहुत होशियार है … इंजीनियर है वो!
ऐसे ही बातें करते करते हमारा खाना खत्म हो गया.
मैं और फूफा जी हाथ धोकर सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगे.
थोड़ी देर बाद बुआ और सोनी काम खत्म करके आईं और हमारे साथ ही बैठकर टीवी देखने लगीं.
टीवी देखते हुए ही सोनी बोली- भैया, क्या मैं सबके लिए आईसक्रीम ले आऊं?
मैंने कहा- हां ले आओ.
फूफा बोले- हर्षद, मुझे तो आईसक्रीम बहुत पसंद है. बहुत दिनों से खाई भी नहीं.
सोनी सबके लिए आईसक्रीम ले आयी और हम सबने हंसी मजाक करते करते आईसक्रीम खत्म की.
थोड़ी देर बाद बुआ बोलीं- हर्षद, अब बहुत देर हो चुकी है. तुम दोनों ऊपर जाकर आराम से सो जाना. इन्हें भी सुबह ड्यूटी पर जाना है.
मैं ऊपर चला गया.
सोनी आईसक्रीम के बर्तन धो रही थी.
मैंने ऊपर आकर टी-शर्ट और पैंट उतार दी और सिर्फ अंडरवियर ही पहने बेड पर बैठ गया.
इतने में सोनी भी आ गयी, उसने दरवाजा बंद कर दिया और चेंज करने लगी.
उसने स्लीबलैस शॉर्ट गाउन पहनकर अपनी पैंटी और ब्रा निकाल दी.
वो ये सब मेरे सामने ही कर रही थी.
मैंने उससे कहा- सोनी ऐसे किसी लड़के या पराए मर्द के सामने चेंज नहीं करते!
सोनी बोली- तुम तो मेरे भैया हो ना? पराये थोड़े ही हो! अब तुमसे कैसी शर्म?
अब मैं कैसे उसे समझाता, मेरे ही समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह से कहूँ!
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- इधर आओ मेरे पास!
ये कह कर मैं बेड के किनारे बैठ गया.
सोनी मेरे पास आयी तो मैंने कहा- अपने हाथ ऊपर करो
उसने दोनों हाथ ऊपर किए, तो मैंने उसके कांख के बालों को सहलाया और उसका शॉर्ट गाउन ऊपर करके चूत के बालों को उंगलियों से सहला कर कहा- देखो, कितना गंदी रहती हो तुम. तेरी सहेलियों ने इसे साफ करना तुम्हें नहीं सिखाया क्या? इससे पसीना आ जाता है और बदबू भी आती है.
सोनी मासूमियत से बोली- मेरी एक सहेली ने बताया तो था लेकिन साफ कैसे करते हैं, ये मुझे नहीं पता भैया. तुम ही बताओ ना!
मैंने कहा- हमने जो सामान खरीदा है, वो लेकर आओ. मैं तुम्हें सिखाता हूँ.
सोनी वो सारा सामान लेकर आयी तो मैंने कहा- अपना गाउन निकालो और मग में पानी लेकर आओ.
वो पानी लाई और कहा- अब तुम भी अपना अंडरवियर निकाल दो. मुझे अकेली नंगी होना अच्छा नहीं लगता.
इतना कहकर उसने मेरी अंडरवियर खींचकर निकाल दी.
मैंने उसके हाथ ऊपर किये और दोनों कांखों में क्रीम लगा दी.
फिर ब्रश पानी में भिगोकर उसकी एक कांख में ब्रश से झाग बनाने लगा.
वह अपनी कमर हिलाकर बोली- भैया, गुदगुदी हो रही है.
उसकी इस हरकत से उसकी गांड का कुछ हिस्सा मेरे लंड को रगड़ रहा था तो मैंने उससे कहा- हिलो मत, शांत खड़ी रहो.
मैंने सोनी को रेजर दिखाकर कहा- इससे बाल साफ करते हैं. अब देखो मैं कैसे करता हूँ, फिर तुम्हें ही ये काम करना है.
सोनी बोली- ठीक है, मैं देखती हूँ तुम करो भैया.
मैं उसकी कांख में रेजर चलाने लगा तो सोनी की कमर मेरे आधे तने लंड को अपनी चमड़ी की रगड़ से सहला रही थी.
कुछ ही देर में मैंने उसकी एक कांख साफ करके चिकनी बना दी.
फिर हाथ से पानी लगाकर कपड़े से पौंछ दिया.
इसी बीच मेरा लंड पूरे तनाव में आकर झूलने लगा था.
अब मैं दूसरी कांख में ब्रश से झाग बनाने लगा तो फिर से सोनी अपनी कमर हिलाकर हंसने लगी.
फिर से उसकी कमर मेरे लंड को सहलाने लगी थी, तो मुझसे ना रह गया.
मैंने उससे कहा- सोनी ऐसा मत करो ना … देख मेरा कितना कड़क हो गया है!
मेरे कहने पर उसने दूसरे हाथ से लंड पकड़ कर कहा- तुम्हारी नुन्नी जरा सा छूने से इतनी बड़ी कैसे हो गई?
मैंने उसकी दूसरी कांख में रेजर चलाते हुए कहा- छोटे बच्चे की जो होती है, उसे नुन्नी कहते हैं और इसे लंड कहते हैं.
सोनी- अच्छा मुझे अब मालूम हुआ, नहीं तो मेरी सहेली ने उसके दोस्त की नुन्नी की फोटो मोबाईल में दिखाई थी. वो बोली थी कि ये पांच इंच की है.
मैंने कहा- हां तो अब इसे क्या कहोगी बताओ?
सोनी हंस कर बोली- अब मैं इसे लंड ही कहूँगी भैया.
मैंने उसकी कांख साफ करके चिकनी बनायी और उसे टेबल पर लिटा दिया.
फिर उसकी गांड के नीचे बड़ा सा पेपर रख कर उससे जांघें फैलाकर रखने को कहा.
उसने झट से अपनी दोनों जांघें विपरीत दिशा में फैला दीं.
पहले मैंने कैंची से उसकी चूत पर उसे हुए लंबे बालों को काटकर छोटे कर दिए. फिर चूत पर हाथ से पानी लगाने लगा, तो सोनी आह भरती हुई मेरे हाथ को पकड़ने लगी.
मैंने उसकी ओर देखा तो वो बोली- भैया ऐसे मत करो ना … मुझे कुछ कुछ हो रहा है!
मैंने कहा- थोड़ा सह लो. थोड़ी ही देर में मुझे तुम्हारी चूत को चिकनी बनानी है ना!
वो कुछ नहीं बोली.
फिर मैं क्रीम लगाकर ब्रश चूत पर घुमाने लगा, तो उसने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी गांड हिलाते हुए बोली- मत करो ना … वहां पर बहुत खुजली होने लगी है भैया!
मैंने उसके हाथ हटाकर कहा- बस हो गया. अभी दो मिनट रुको सोनी!
यह कहकर मैं रेजर चलाने लगा और दो मिनट में ही उसकी चूत को चिकनी बना दिया.
मैंने उसकी चूत को पानी से साफ किया और कपड़े से पौंछ दिया.
चूत की झांट की सफाई से वो एकदम से गनगना आई थी और मेरा हाल भी बुरा हो गया था.
तो दोस्तो, अब तक की चूत की झांट की सफाई कहानी आपको कैसी लगी, जरूर बताना और हां मेल व कमेंट्स करना मत भूलना.
कहानी का अगला भाग जल्द ही आपके सामने लेकर आऊंगा, तब तक के लिए प्यार भरा नमस्कार.
harshadmote97@gmail,com
चूत की झांट की सफाई कहानी का अगला भाग: बुआ की नादान सेक्सी बेटी लड़की की चुदाई- 3