बाजरे के खेत में लेजाकर चोदी देसी कमसिन चूत

बाजरे के खेत में लेजाकर चोदी देसी कमसिन चूत

देसी गांड की खेत में चुदाई का मौक़ा मिला मुझे अपने खेत में! एक लड़की हमारे पेड़ से आम तोड़ते पकड़ लिया। उसने इसकी कीमत अपनी चूत से चुकाई, कैसे?!–more–>

दोस्तो, मेरा नाम राजेश है। मैं खेडा (नाडियाड) का रहने वाला हूं।

मेरी उम्र 22 साल है। मैं दिखने में भी अच्छा हूं।
मेरे लंड का साइज 7.5 इंच है। मैं किसी भी लड़की या आंटी को खुश कर सकता हूँ।
मेरा सेक्स करने का स्टेमिना भी अच्छा है और मैं बहुत देर तक चुदाई कर सकता हूं।

आपको बता दूं कि मैं अन्तर्वासना का काफी पुराना और नियमित पाठक हूं।
मुझे अन्तर्वासना हिन्दी सेक्स कहानियां पढ़ना बहुत मजा देता है।

एक दिन मैंने सोचा कि मैं आप लोगों को अपने साथ हुई एक घटना के बारे में भी बताऊं।
इसलिए मैंने ये कहानी लिखने का फैसला किया।

मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा और सीधे देसी गांड की खेत में चुदाई पर ही आ जाता हूं।
यह कहानी खेत में लड़की की चुदाई की कहानी है।

ये उन दिनों की बात है जब कोरोना का लॉकडाउन चल रहा था और हर कोई अपने घर में बैठा हुआ था।
मैं हर दिन सुबह 6:00 बजे उठकर खेत में जाया करता हूं।
ऐसा हर दिन चलता है।

तो मैं एक दिन जब खेत में 6:00 बजे आया तो मैंने क्या देखा कि एक लड़की, थोड़ी सांवली सी, मीडियम हाइट की होगी और उसकी चूची करीब 32 की और कमर 28 की और गांड 34 के करीब थी, हमारे खेत में दिखाई दी।

मैं उसे देखता ही रह गया।

उसके खुले बाल थे और उसने जो ड्रेस पहन रखा था वो सलवार कमीज था। उसने सर पर कपड़ा लपेटा हुआ था और उसकी कपड़े से अपना आधा चेहरा भी ढका हुआ था.
वो मुझे देखकर वहां से जाने लगी तो मैंने पूछा- कौन हो तुम, यहां खेत में क्या कर रही हो?
तो वो बोली- कुछ नहीं, मैं तो यहीं पास में ही रहती हूं।

मैंने कहा- कपड़ा हटा कर शक्ल दिखाओ.
तो उसने अपने चेहरे और सर पर से कपड़ा हटा दिया.
लड़की सुंदर थी.

फिर अगले दिन वो दोबारा से मुझे खेत में मिली।
हमारे खेत में आम का पेड़ था और वो उस पर से आम तोड़ने की कोशिश कर रही थी, मुझे आते देख वो वहां से जल्दी से सरक कर भागने लगी।

तभी मैंने उसको आवाज देकर रोक लिया।
वो रुक गई।
मेरे पास आने पर वो माफी मांगने लगी।

मगर मुझे गुस्सा आया हुआ था क्योंकि कच्चे आम थे और उसने कई आम खराब कर दिए थे।
वो कहने लगी- मैं दोबारा कभी आम नहीं तोडूंगी।
लेकिन मैंने उसको वहीं पर खड़ी रखा।

फिर वो बोली- मुझे जाने दो, आप जो बोलोगे, मैं करूंगी।
उसकी ये बात सुनकर मेरे मन में एकदम से वासना जाग उठी।
मैं उसके बदन को घूरने लगा।

उसने टाइट सूट पहना हुआ था और उसकी चूचियां उसमें कसी हुई थीं।
उसकी गांड देखकर मेरा मन उसको चोदने का कर रहा था।
मैं उसे वासना भरी नजरों से ऊपर से नीचे तक घूर रहा था।

मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा- सोच लो? कुछ भी करोगी?
वो बोली- हां, कुछ भी करूंगी।
मैंने यहां वहां देखा तो कोई नहीं था।

एकदम से मैंने उसको अपने पास खींच लिया और बांहों में लेकर उसको किस करने लगा।
वो घबरा गई और एकदम से हाथ छुड़वाकर बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैं बोला- तुम्हीं तो कह रही थी कि कुछ भी करोगी, अब करने दो मुझे, नहीं तो मैं तुम्हारे घर में बता दूंगा कि तुम चोरी करती हो।

उसकी सांसें तेज चल रही थीं।
मैं बोला- करोगी? बोलो?
उसने हां में गर्दन हिला दी और मैंने फिर से उसको अपनी बांहों में खींच लिया।

मैं उसके होंठों को चूमने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।

अब मेरे हाथ उसके बूब्स पर पहुंच गए और मैं जैसे पागल सा हो गया।
उसकी चूचियों पर हाथ फेरते और दबाते हुए मैं इतना मजा ले रहा था कि बस चोद चोदकर उसकी चूत फाड़ने का मन कर रहा था।

अब मैंने उसको अपने बदन से चिपका लिया और उसके सूट के ऊपर से पीछे हाथ ले जाकर उसके चूतड़ों को भींचने लगा।
मेरे मुंह से आह् … स्स … आह् … स्स … जैसी हल्की आहें निकल रही थी।
वो भी मेरी बांहों में कसमसा रही थी।

मैंने धीरे से उसके कान में उसका नाम पूछा- क्या नाम है तुम्हारा?
वो कसमसाते हुए बोली- नौशीन।
मैं बोला- आह्ह नौशीन … तुम बड़ी सेक्सी हो … क्या मस्त फिगर बनाया है भगवान ने!

वो बोली- कोई देख लेगा यहां खुले में!
मैंने कहा- तो फिर कहीं सही जगह चलते हैं।
दोस्तो, मेरा मन तो नहीं कर रहा था उसको छोड़ने का … लेकिन उसकी बात भी सही थी।
वहां खुले में चुदाई करना बिल्कुल भी खतरे से खाली नहीं था।

मैंने उसके कोठरी में चलने के लिए कहा।
वहां खेत में एक कोठरी बनी हुई थी जिसका कोई दरवाजा नहीं था लेकिन थोड़ी देर के लिए किसी की नजरों से बचकर उसके अंदर चुदाई का मजा तो लिया ही जा सकता था।

हम दोनों कोठरी की ओर चल पड़े।

तेज कदमों से चलते हुए हम दोनों कोठरी में पहुंचे और अंदर जाते ही फिर से एक दूसरे से लिपटने लगे और एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे। अब मुझे सब्र नहीं हो रहा था और मैंने उसके कुर्ते के अंदर हाथ ले जाकर उसके पेट से होते हुए उसकी सलवार में हाथ घुसा दिया।

नीचे से उसने चड्डी पहनी हुई थी।
उसकी चड्डी में हाथ देकर मैंने चूत को पकड़ लिया और उसको ऊपर नीचे करते हुए हथेली से सहलाने लगा।
मैंने पाया कि उसकी चूत में गीलापन आ गया था जिससे मेरा जोश और ज्यादा बढ़ गया।

एक हाथ से मैंने उसकी गांड को भींचना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूत को सहलाता रहा।

वो भी अब सिसकारियां ले रही थी और अपनी चूत को खुद से भी मेरी हेथली पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी।
मैं जान गया कि उसके अंदर भी चुदाई की प्यास है।

फिर मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी जिससे वो एकदम से उचक कर मुझसे लिपट गई।
उसकी चूचियां मेरी छाती से सट गईं।

मैंने उसका एक हाथ पकड़ा और अपने पजामे पर रखवा दिया।
मेरे गर्म लौड़े पर उसका हाथ पड़ा तो वो एकदम से सकपका गई और शर्माने लगी।

मैं बोला- शर्मा क्यों रही हो, मजा आएगा तुम्हें, इसे सहलाकर देखो।
फिर वो धीरे धीरे मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ कर उसको हल्के हल्के से सहलाने ली।

मेरा जोश और ज्यादा बढ़ गया।
मैंने अपना पजामा खोल दिया और नंगा लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया।

अब उसे भी मजा आने लगा और वो मेरे लंड की मुठ मारने लगी।

मुझे लगा कि ये भी अब पूरे मूड में आ गई है।
मैंने उसको घुटनों पर बैठने के लिए कहा तो वो बैठ गई; मैंने लंड को उसके सामने कर दिया और मुंह में लेने के लिए कहा।

वो बोली- छी, गंदा होता है!
मैं- अरे एक बार लो तो सही … मजा आएगा। मेरी बात मानकर देखो। और जल्दी करो … वरना दोनों पकड़े जाएंगे।
उसने फिर मरे मन से मेरे लंड को मुंह में भरा और चूसने लगी।

मगर थोड़ी देर बाद ही उसको लंड चूसने में मजा आने लगा और अब वो मस्त होकर मेरी चुसाई करने लगी।
कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मेरा लौड़ा और कड़क हो गया।

अब मैं ज्यादा रिस्क नहीं ले सकता था क्य़ोंकि जोश बहुत बढ़ गया था और मैं झड़ भी सकता था।
मैंने उसको उठाया और उसके शर्ट को ऊपर कर दिया।
उसने नीचे ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी।
मैंने उसको दीवार से सटा लिया और उसकी चूचियों को पीने लगा।

वो भी कामुक होकर मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबाने लगी।
अब मैंने उसकी सलवार खोलना शुरू कर दिया।

उसकी सलवार खुलकर नीचे गिर गई और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सटा दिया।

अब हम दोबारा से एक दूसरे को किस करने लगे क्योंकि चूत पर लंड का स्पर्श उसको भी पागल बना रहा था।
वो बोली- आह्ह … बस चोद दो … बहुत मन कर रहा है … प्लीज जल्दी कर लो।

मैं उसकी तड़प समझ गया था।
ऊपर से फिर किसी के कभी भी आ टपकने का डर था इसलिए मैंने भी देर करना ठीक नहीं समझा।
मैंने उसको दीवार के सहारे सटाए हुए लंड उसकी चूत पर टिका दिया।

किस करते हुए मैंने एक धक्का दिया और लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया।
वो एकदम से मेरे से लिपट गई और मैंने उसकी गांड को भींचना शुरू कर दिया।
वो दर्द में छटपटा रही थी लेकिन मुझसे लिपटी हुई किसी तरह उसे बर्दाश्त करने की कोशिश भी कर रही थी।

इतने में ही किसी की आवाज कानों में पड़ी।
मैंने चूत से लंड निकाला और झांक कर बाहर देखा तो करीबन 4 एकड़ दूर कोई आदमी किसी को आवाज दे रहा था।
वो हमें नहीं बुला रहा था।

तो वो घबरा गई, वो वहां से जाने के लिए कहने लगी।
मैं बोला- नहीं नौशीन, ऐसे अधूरा छोड़कर मत जाओ।
मैं जल्दी से उसकी टांगों के बीच में बैठ गया और उसकी चूत को चाटने लगा।

वो सिसकारने लगी लेकिन फिर भी कह रही थी- कोई आ जाएगा यहां अंदर!
मैंने बोला- ठीक है, तो फिर बाजरे के अंदर चलो।
वहां पास में बाजरे का खेत था और मैं उसको खेत के अंदर ले गया।

मैंने थोड़ी सी खाली जगह देखकर उसको जमीन पर लेटा लिया और उसकी चूत को चाटने लगा।
मैं उसको पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था ताकि वो आराम से चुदकर यहां से जाए।

कुछ देर तक चूत चाटने के बाद उसने खुद ही अपने हाथों से मेरा मुंह चूत में दबा दिया।
सिसकारते हुए कहने लगी- चाट मेरे राजा … चाट … आह्ह … और जोर से चाट!

इस सब के बीच मेरे लंड में हल्का सा तनाव कम हो गया था।

मैंने फिर से उसके मुंह में लंड दे दिया और वो फिर से मस्ती में उसे चूसने लगी।
मैंने उसके मुंह में लंड गले तक फंसा दिया जिससे उसको हल्की उल्टी हुई लेकिन मेरा पूरा लंड उसके थूक में चिकना हो गया।

फिर मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और उसकी चूत पर सेट कर दिया।
फिर एक धक्का मारा तो लंड का टोपा उसकी चूत के अंदर चला गया।

वो तिलमिला गई लेकिन ये दर्द ज्यादा देर का नहीं था।

मैंने उसको थोड़ी शांत किया और फिर धीरे धीरे उसको वहीं लेटे हुए चोदने लगा।
आह्ह … कसम से दोस्तो, ऐसे बाजरे के खेत में एक सेक्सी लड़की की चुदाई करने में जो रोमांच है वो किसी और चीज में नहीं आ सकता।

जिन्होंने ऐसे खेत में देसी लड़की की चुदाई या खुले में चुदाई का मजा लिया है, उन्हें पता होगा कि कैसा लगता है।

मैं उसको अब लगातार चोदे जा रहा था और धीरे धीरे फिर उसकी चूत भी खुलने लगी और वो भी लंड लेने का मजा लेने लगी।

थोड़ी देर के बाद तो वो खुद ही मुझे अपने ऊपर खींचने लगी।
कभी मेरे गालों को चूम रही थी तो कभी सिर में हाथ फिरा रही थी।

उसने टांगें पूरी खोल दी थीं ताकि लंड का पूरा अहसास उसको अपनी चूत में हो।
मैं भी उसकी प्यास को अच्छी तरह से बुझा देना चाहता था।

तकरीबन 20 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई लेकिन मैं उसको ऐसे ही चोदे जा रहा था।
कुछ देर तो वो चुदती रही और फिर बोली- पीछे भी कर सकते हो।

मैं हैरान था … लड़की खुद गांड चुदवाने की बात कर रही थी।
मगर मुझे खुशी भी हुई।

ऐसा मौका फिर कहां मिलने वाला था। मैंने जल्दी से उसकी चूत से लंड को बाहर खींचा।
मेरा लंड पूरा उसकी चूत के रस में सना हुआ था और अच्छी तरह चिकना हो गया था।

मैंने उसको घुटनों के बल कर लिया और वो मेरे सामने कुतिया की तरह झुकी हुई थी। मैंने उसकी गांड के छेद में लंड लगाया और हल्का सा धक्का दिया तो वो उचक गई। मैंने फिर से हल्का सा पीछे खींचा और जोर लगाकर लंड उसकी देसी गांड में उतार दिया।

वो छटपटाने लगी मगर मैं उसको पकड़े रहा।
फिर मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा तो वो थोड़ी शांत होने लगी।

धीरे धीरे अब मैंने उसकी देसी गांड में लंड के धक्के लगाना शुरू किया।
कुछ समय तक उसको तकलीफ होती रही लेकिन फिर सब सामान्य हो गया।

अब वो अपनी गांड में मेरा लंड मजे से लेने लगी।

थोड़ी देर ऐसे ही चुदवाने के बाद वह मेरे ऊपर आ गई।

मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर बैठकर सवारी करने लगी लेकिन लंड उसने चूत में लिया हुआ था और आगे पीछे धक्के लगा रही थी।
उसकी चूत शायद दोबारा से गर्म हो गई थी।

वो मस्ती में मेरे लंड से खेत में चुदाई करवाती हुई कामुक आवाजें कर रही थी- आह्ह … अम्म … मेरे राजा … क्या मस्त लौड़ा है … आह्ह मेरी चूत को बहुत मजा दे रहा है तुम्हारा लंड … आह्ह … ऐसे ही चोदा करो मुझे।

15-20 मिनट तक मैं उसके धक्के झेलता रहा।
वो इस दौरान फिर से झड़ गई और अब मैं भी उसकी चूत में ही स्खलित हो गया।
कुछ देर हमें शांत होने में लगी।

जब हवस का तूफान थम गया तो हमें होश आया कि हम बाजरे के खेत में नंगे पड़े हैं।

हमने जल्दी से कपड़े पहने और लगी मिट्टी को भी झाड़ा।
फिर मैंने बाहर झांक कर देखा तो कोई नहीं था और हम चुपके से वहां से निकल आए।

वह अपने घर चली गई और फिर मैं अपने खेत में बैठा रहा।
फिर मैं घर गया दूसरे दिन का इंतजार करने लगा।

अब यह चुदाई रोज होने लगी।

रोज वह मेरे खेत में लगे आम के पेड़ पर आती और हम दोनों बाजरे के खेत में जाकर चुदाई करते और बहुत मजा लेते।

उसके बाद वो एक दिन अपनी किसी सहेली, पड़ोस की लड़की को साथ लेकर आई और उसने अपनी सहेली की चूत भी मुझे दिलवाई।
वो कहानी मैं आपको आने वाले समय में बताऊंगा।

आपको ये स्टोरी कैसी लगी, मुझे जरूर लिखना।
आप मुझे देसी गांड की खेत में चुदाई कहानी के नीचे दिए कमेंट्स में अपनी राय बता सकते हैं या फिर मेरी ईमेल पर मैसेज भी कर सकते हैं।
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