हॉट सेक्सी बेब चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी बहन की जेठानी ने मेरे लंड से खुश होकर अपनी दोनों बेटियों को मुझसे चुदवाने की सोची. बड़ी के बाद अब छोटी बेटी की बारी थी.
दोस्तो, मैं चन्दन सिंह अपनी बहन की जेठानी और उसकी चुदक्कड़ बेटियों की सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पिछले भाग
बहन की जेठानी की बेटी की गांड मारी
में अब तक आपने पढ़ा था कि नंदा की बड़ी बेटी रुचिका मुझसे अपनी चूत गांड चुदवा कर मेरी फैन हो गई थी. मैं उसे उसके बिस्तर पर लिटाने गया था.
अब आगे हॉट सेक्सी बेब चुदाई कहानी:
वो बोली- काश इस समय तुम भी मेरे बगल में लेट कर आराम कर लेते.
मैं बोला- मैं अभी आया.
मैंने नंदा को किचन में आकर देखा और उसे रुचिका की बात बताई.
वो बोली- तो मैं क्या करूं?
जब मैंने उससे कहा- क्यों न हम तीनों एक ही बेड पर आराम करें.
वो हंस कर बोली- ठीक है तुम जाओ, मैं कुछ देर बाद आती हूँ.
मैंने एयर कंडीशनर को फुल स्पीड पर चालू करके रुचिका के कपड़े उतार दिए और चादर खींच कर मैं भी नंगा होकर उससे चिपक कर लेट गया.
रुचिका फिर से गर्म होने लगी, जब मेरा लंड उसकी चूत पर था.
वो कान में फुसफुसा कर बोली- काश तुम मेरे पति बन जाओ.
मैं बोला- एक शर्त है, तुम अपनी मम्मी की किसी बात का मना नहीं करोगी.
वो बोली- मुझे मंजूर है.
इतना कहते ही मैंने खड़े लंड को उसकी चूत में पेल दिया.
वो सीधी होकर लेट गयी और मैं उसे पेलने में लग गया.
इतने में नंदा आ गयी.
हमारे ऊपर चादर को हिलता देख कर वो भी नंगी होकर चादर में आ गयी.
जब रुचिका को मालूम पड़ा कि उसकी मम्मी भी बिस्तर पर नंगी होकर आ गयी हैं, तो कुछ नहीं बोली.
नंदा हम दोनों को सहयोग देने लगी.
वो अपनी बेटी रुचिका के बालों में हाथ फिराने लगी और मेरी पीठ को सहलाने लगी.
कुछ देर की पेलम पेल में रुचिका का बदन ऐंठने लगा.
जब उसने मुझे कस कर पकड़ा, तब नंदा बोली- बहुत जल्दी ठण्डी हो गयी मेरी बच्ची!
रुचिका बोली- क्या करूं मम्मी, आखिर सहन शक्ति भी कोई चीज होती है.
मैंने रुचिका को छोड़ दिया और नंगी नंदा के ऊपर चढ़ गया.
नंदा पचास साल की होने के बावजूद भी मस्त थी. आज भी उसके बूब्स कठोर और बड़े थे.
मैंने लंड को नंदा की चूत में डाल कर नंदा की पिलाई करने लगा. साथ ही उसके एक निप्पल को चूसने लगा.
नंदा खेली खायी थी.
रुचिका हमारी चुदाई को देखती रही. हम दोनों ने एक घंटा तक चुदाई की.
तब रुचिका बोली- मम्मी, सच में तुम भी मास्टर हो इस मामले में.
नंदा खिलखिला कर हंस पड़ी.
तभी मैं बोल पड़ा- अब मुझे कुछ आराम करने दोगी भी या नहीं.
नंदा ने मुझे सीने से लगा लिया. उन दोनों के साथ चिपक कर मैं लेट गया.
हम सब आराम करने लगे.
पता नहीं मुझे कब नींद आ गयी.
दोपहर एक बजे नंदा मुझे उठा कर बोली- लंच का टाइम हो गया, क्या नींद ही लेते रहोगे.
मैं बिस्तर से उठ कर बाहर आया.
वाइन का पैग बना कर पीते पीते अपना सामान पैक करने लगा.
माँ बेटी दोनों एक साथ बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- चार बजे की फ़्लाइट में टिकट बुक है. मुझे जाना जरूरी है. समय मिलने पर आता रहूंगा.
रुचिका ने मेरे फोन नम्बर मांगे.
नंदा बोली- मेरे से ले लेना.
मेरे जाने का सुन कर दोनों के चेहरे पर मायूसी छा गयी थी.
मैंने नंदा का काम पूरा कर दिया था.
तीनों लंच लेकर उठे, तो दोपहर के दो बज रहे थे.
नंदा ने रुचिका को आराम करने को कहा और बोली- चन्दन को मैं एयरपोर्ट छोड़ कर आती हूँ.
नंदा ने कार निकाली, मैंने सामान रख दिया.
नंदा ड्राइविंग करने लगी.
कार चलाती हुई वो बोली- तुम्हें थैंक्स किस तरह दूँ चन्दन … समझ नहीं आता. तुमने मेरा काम पूरा करके मेरे ऊपर बड़ा अहसान किया है. पता नहीं छोटी वाली वंदना, वो क्या गुल खिला रही होगी. उसका पता करके जब मैं बुलाऊं, तब वापिस आ जाना.
मैंने हां में सर हिला दिया.
एयरपोर्ट आ गया था. घड़ी देखी, तीन बज रहे थे.
मैंने सामान को लगेज में जमा करवा दिया और हम दोनों कुछ बात करते हुए मजाक करते रहे.
जब मुम्बई की फ्लाइट का अनाउंस हुआ, तो नंदा मेरे गले से लग कर फफक फफक कर रो पड़ी.
मैंने उसकी पीठ सहला कर चुप करवाया.
उसने मेरे दोनों गालों पर एक एक पप्पी देकर कहा- भूलना मत चन्दन. मैं तुम्हारे बिना अधूरी हूँ.
उससे विदा लेकर हवाई जहाज में आकर बैठ गया.
ठीक दो घंटे बाद मुंबई पहुंच कर घर पहुंचा.
मुम्बई पहुंच कर फिर से नियमित दिनचर्या में लग गया.
कभी कभी ऑफिस से घर लौटते समय मूड हो जाता है, तो मेरे मित्र ने एक होटल के बार को चुन रखा था. वहां पहुंच जाता हूँ.
मेरे मित्र मेरे जैसे ठरकी और शराबी हैं. उनके बीच बैठ कर पीने का मजा कुछ और ही आता है. उनके साथ ऑफिस का सारा सरदर्द खत्म हो जाता है. बार से निकल कर घर पहुंच कर डिनर लेकर सो जाता.
इस तरह दस दिन बाद नंदा का फोन आया.
उसने कहा- बात फोन पर बताने जैसी नहीं है, फिर भी संक्षेप में बता दूँ. रुचिका अपने पति से अलग हो गयी है. वन्दना रुचिका से थोड़ी अलग निकली. उसने शादी तो नहीं की, पर करने वाली है. आप तत्काल जयपुर आ जाओ.
दूसरे दिन मैं जयपुर पहुंच गया.
जब रुचिका ने दरवाजा खोला तो चिल्ला कर मेरे सीने से लिपट गयी.
नंदा भी पास आयी.
रुचिका दरवाजा बंद करने में लगी हुई थी.
नंदा गले से मिल कर होंठों पर चुंबन देती हुई बोली- तुम जिओ हजारों साल और साल के दिन हों हजार.
वन्दना ये सब कुछ देख रही थी.
रुचिका मेरी आदत के मुताबिक सोफे सैट की टेबल पर वाइन पीने का सामान जमा रही थी.
नंदा सोफा सैट पर मेरे बगल में बैठ गयी थी.
सामने दोनों बहनें बैठ गईं.
रुचिका वन्दना से बोली- अभी तो कुछ नहीं है, जब ये वापिस मुम्बई जाएंगे, तब तुम रोकर विश करोगी.
वन्दना बोली- ऐसे बहुत देखे हैं. ये तो है ही क्या.
नंदा बीच में बोली- अब इस बात को यहीं खत्म करो.
रुचिका बोली- आज बाहर चलते हैं, शाम का डिनर भी बाहर ही लेंगे.
नंदा बोली- नहीं आज तुम अण्डे का आमलेट बना कर शाम को खिलाओगी.
तभी वन्दना बोली- साथ में अण्डे की भुर्जी भी चलेगी.
दो घंटा के लिए घूमने को सभी की इच्छा देख कर फ्रेश होकर कपड़े पहन कर हम सब बाहर निकले.
रुचिका और नंदा पीछे बैठ गईं.
वन्दना गाड़ी चला रही थी, मैं उसके बाजू में बैठा था.
मैंने उसे बाजार से कुछ कपड़ों की खरीदारी करवाई.
वापिस आते समय अण्डे लेकर आ गए.
घर में पहुंच कर सभी कपड़े बदलने लगे.
मुझे कुछ रोमांटिक ख्याल आया.
मैंने नंदा के कान में कहा- काश आज सभी ब्रा और पैंटी में रह कर एन्जॉय लें तो कैसा रहेगा. बस दुःख इस बात का है कि वन्दना मानेगी या नहीं.
नंदा ने अंगूठे से लाइक करके इशारा किया.
मैं रुचिका के कमरे में चला गया.
नंदा ने रुचिका और वन्दना को मेरी इच्छा बताई.
रुचिका तत्काल बोली- वॉव क्या मस्त आईडिया है.
वन्दना बोली- मॉम, तुम लोग इस आदमी के पीछे इतनी दीवानी क्यों हो?
नंदा को गुस्सा आ गया- तू मेरी बात को काट रही है.
वन्दना गुस्से में बोली- मुझे कुछ खास नहीं लगा. मेरे दोस्त हीरो की तरह दिखते हैं और आप दोनों इस जोकर के पीछे पड़ी हैं.
नंदा वन्दना के पास जाकर बोली- चल मैं बताती हूँ. उसके पास जो है, वो तेरे फ्रेंड्स के पास नहीं है.
वो उसका हाथ पकड़ कर कमरे में आने वाली थी. मैंने तत्काल अपने चड्डे के ऊपर तौलिया को लपेट लिया.
जैसे ही वो अन्दर आयी, नंदा ने टॉवेल हटा कर अंडरवियर को नीचे करके वन्दना के हाथ में मेरा लंड देकर कहा- देख, ऐसा तेरे किसी फ्रेन्ड्स के पास है क्या?
इस समय मेरा लंड फनफना रहा था. वन्दना के हाथ में समा नहीं रहा था.
कुछ देर बाद लंड छोड़ कर नंदा के सामने सर नीचे करके खड़ी हो गई.
वो नंदा का हाथ पकड़ कर बाहर ले गयी और बोली- ओके मॉम जैसी तुम्हारी इच्छा … पर मेरा एक सवाल है. क्या तुम्हारा ये आदमी हम तीनों को रात में संतुष्ट कर सकता है?
रुचिका बोली- इस बात की गारंटी मैं लेती हूँ.
तब वन्दना बोली- अगर ऐसी बात है, तो आप कहेंगी, मैं वैसा करने को तैयार हूँ.
तभी मैं कमरे से टॉवल लपेटे बाहर आ गया.
तीनों ने अपने कपड़े उतारने चालू कर दिए.
जब वो तीनों ब्रा और पैंटी में आ गईं तो नंदा ने मुझसे पूछा- अब आगे?
मैंने कहा- ड्रिंक लेते हैं.
रुचिका बोली- अगर आज इधर न बैठ कर मेरे बेड पर बैठ कर पिएं तो कैसा रहेगा. वैसे भी गर्मी ज्यादा है, एसी से थोड़ी राहत मिल जाएगी.
रुचिका के अंतर्मन की बात मैं समझ गया.
नंदा भी समझ कर मेरे सामने मुस्करा दी.
रुचिका आज कुछ अलग अन्दाज में पीना चाहती थी.
मैं बोला- ओके बॉयल अण्डे बनाओगी, तब गर्मी नहीं लगेगी.
वो बोली- मैं अकेले गर्मी क्यों सहन करूंगी, जबकि बॉयल अंडे सभी को खाने हैं. सभी को किचन में रहना होगा.
वन्दना बोली- चलो पिएंगे बाद में, पहले अंडों को पहले बॉयल करके रख देते हैं.
नंदा बोली- मैं कुकर में रख आती हूँ, सीटी आएगी, तब गैस बंद कर देंगे.
रुचिका बोली- और अण्डे की भुर्जी?
तब वंदना बोली- पहले बॉयल तो होने दो.
नंदा ने वाइन की जो बोतल सामने लगाई थी. उस की जगह मैंने मेरे सूटकेस में से विदेशी बोतल निकाली.
नई बोतल का नशा तेज होने के साथ लम्बे समय तक टिका रहता था.
मैं सभी को मदहोश जल्दी करके महिलाओं को नंगी करके आज कुछ अलग मजा लेना चाहता था.
मैंने सभी को दो दो पैग पिलाए.
इस बीच कुकर को बंद करके नंदा आ गयी.
दो दो पैग का नशा हम चारों को आ चुका था.
वन्दना अब खुल कर बातचीत कर रही थी.
सभी किचन में आ गए.
वन्दना भुर्जी बनाने लगी.
रुचिका अपनी माँ के साथ अण्डे का छिलका उतारने में लगी थी.
सब तैयार करके वापिस रुचिका के कमरे में आ गए.
बेड पर बीच में खाने का सामान रख कर फिर से पैग बनाये. सब चकना खाते रहे और पीते रहे.
नंदा बोली- लड़कियों ने अंडे खाना सिखा दिया.
वन्दना बोली- भुर्जी का स्वाद कैसा लगा?
नंदा बोली- दोनों स्वादिष्ट हैं. अब हर समय घर पर अंडे रखूंगी.
इस बीच चार पैग हो चुके थे.
नंदा की आवाज लड़खड़ाने लगी थी. मुझे उस पर कंट्रोल करना था.
इस बहाने सिगरेट का पैकेट निकाल कर सभी के आगे किया.
रुचिका और वन्दना ने सिगरेट ले ली.
वन्दना बोली- मॉम तुम भी पीकर देखो तो सही.
तब नंदा ने भी ले ली.
सभी ने सिगरेट सुलगा कर कश लगाने चालू किए.
मेरे पास रुचिका बैठी थी.
मैंने रुचिका की ब्रा को पीठ पीछे हाथ रख कर खोल दिया.
रुचिका ने कोई एतराज नहीं किया बल्कि वो अपनी बांहों से ब्रा बाहर निकाल कर बोली- चन्दन डार्लिंग, एक बार अगर मेरे बूब्स को सहला दो, तो मुझे अच्छा लगेगा.
इतना कह कर उसने एक हाथ को मेरी कमर के पीछे डाल दिया और मुझे अपने ऊपर गिरा लिया.
मैं उसका मतलब समझ गया था. वो निप्पल चटवाने के मूड में थी.
मैं भी बिंदास होकर उसके एक बूब को मुँह में लेकर निप्पल को चूसने लगा.
बीच बीच में मैं उसके निप्पल को दांत से काट देता, तब वो ‘उइ माँ …’ बोल कर मेरे सर को सहला देती.
नंदा को भी ज्यादा चढ़ गई थी. उसने भी अपनी ब्रा और पैंटी को खोल दी और मेरे ऊपर आकर गिर गयी.
अपने बूब्स मेरे मुँह में देकर होंठों को चुम्बन देने लगी.
रुचिका नंदा के बालों में हाथ फिरा कर बाल सहलाने लगी.
ये देख कर वन्दना भी उत्तेजित होने लगी.
वो खीज के मारे बोतल में से पैग बना कर पीने लगी. साथ में सिगरेट का धुआं भी उड़ाती जा रही थी.
दो और पैग वन्दना ने पिए और अचानक से उठ कर उसने भी अपनी ब्रा और पैंटी खोल दी.
वो नशे में बोली- भड़वे, इन रंडियों को पहले तू चोद चुका है, जरा मुझे भी बता अपना हथियार. मैं भी तो देखूं कि क्या चीज है तेरे पास!
मैंने नंदा को हटाया और रुचिका पर से उठ कर हॉट सेक्सी बेब वन्दना को खींच कर पलंग पर लिटा दिया.
उसकी नाभि से चुम्बन देना चालू किया.
धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ता हुआ बूब्स तक पहुंच गया. उसके एक बूब को मुँह में लेकर मजा देने लगा.
अब वन्दना उत्तेजित हो चुकी थी.
वो मेरे अंडरवियर को पैरों से अलग कर रही थी. कुछ पल बाद वो मेरे लंड को हाथ में लेकर चूत पर रगड़ने लगी. चूत पर बार बार रगड़ने के बाद सुपारे को चूत के अन्दर रगड़ने लगी.
रुचिका को पता नहीं क्या समझ आया कि उसने वन्दना के हाथ से लंड छुड़वाया और मेरी गांड पर धड़ाम से बैठ गयी.
पहले से लंड का सुपारा वन्दना की चूत गीली पर टिका था. इस कारण रूचि के झटके से एक झटके में लंड उसकी चूत को चीरता हुआ गर्भाशय से जोर से जा टकराया.
वन्दना जोर से चीखी- हाय मार दिया … आह साली भड़वी रंडी.
तब तक रुचिका मेरे ऊपर से हट गई.
नंदा सिगरेट का कश लेती हुई बोली- अब चीखती क्यों है, जब पहली बार देखा था तब तो बोली थी कि इसमें कुछ दम है भी या नहीं … अब बता.
वन्दना लड़खड़ाती हुई बोली- हां दम है … ये साला मुझे मार ही डालेगा.
नंदा बोली- कुछ देर चुप पड़ी रह, अभी ठंडक होने दे.
कुछ देर तक मैं वन्दना के मम्मों को सहलाता रहा, बीच बीच में निप्पल को चूसता रहा.
थोड़ी देर बाद वन्दना सामान्य हुई. उसकी बुर फड़कने लगी.
तब मैं एक बार वापिस शुरू हो गया.
दोस्तो, नंदा की दूसरी बेटी भी अपनी चूत में मेरा लंड ले चुकी है. कुछ ही देर में वन्दना की सांसें उखड़ गईं और उसकी चूत से पानी का फव्वारा छूट गया.
कपड़ा लेकर चूत साफ करके मैं वापिस शुरू हुआ.
एक दो मिनट तो वन्दना शान्त पड़ी रही.
अब जब मैं लंड को चूत के किनारे लाता और वापिस गर्भाशय से टकराने लगता तो वो कराहने लगती.
ऐसी दस बारह ठोकरों के बाद वन्दना भी मेरे साथ उछल कूद में शामिल हो गयी.
लगभग बीस मिनट में तीन चार आसन बदल बदल कर मैंने उसकी चुदाई की.
अब उसकी चूत पनियाने लगी थी.
वो मुझे हटा कर बोली- प्लीज, कुछ देर मुझे आराम कर लेने दो.
मैंने ओके कहा और वन्दना की जगह रुचिका को अपने लौड़े के नीचे ले लिया.
मैं उसके साथ शुरू हो गया.
इस तरह से आधा घंटा में हम दोनों स्खलित हो गए.
तब तक वन्दना वापिस तैयार हो गयी थी.
मैं बोला- मुझे भी कुछ आराम करने दो.
इससे मतलब समझ कर नंदा उठ कर गयी और बोतल और गिलास ले आयी.
रुचिका पानी का जग ले आई.
वो मेरे लंड को पौंछने लगी.
तब तक मैं एक पैग लगा कर सिगरेट पीने लगा.
मेरे पैर जमीन पर थे.
नंदा मेरे पैरों के बीच बैठ कर मेरे मुरझाए हुए लंड को मुँह से आक्सीजन देने लगी.
जब तक मेरी सिगरेट खत्म हुई तब तक मेरा लंड फनफनाने लगा.
मैं नंदा को लेकर बिस्तर में घुस गया.
ऊपर से ठंडक के कारण मैंने चादर ओढ़ ली.
पर वन्दना ने एसी बंद करके पंखा चालू कर दिया और चादर हटा कर हमारी चुदाई देखने लगी.
नंदा मुझे और मैं नंदा के बारे में अच्छी तरह समझ गए थे कि कब रुकना है, कब चालू होना है.
जब भी उसकी चूत पानी छोड़ती, नंदा कपड़े से साफ कर देती थी.
इस तरह एक बार स्खलित होने और वाइन के नशे ने सम्भोग की शक्ति बढ़ा दी थी.
एक घंटा तक धकापेल चुदाई चलती रही.
फिर हम दोनों हांफते हुए एक दूसरे को कस कर पकड़ कर चुपचाप लेट गए.
दस मिनट बाद उठे, तब वन्दना बोली- मॉम, तुम्हारे आगे हम बच्चे ही रहेंगे यार … क्या मस्त तरीके से सेक्स करती हो. सबसे ज्यादा मजा मॉम आपने ही लिया है.
नंदा हंस कर बोली- चल अब बहुत हो चुका है, कल समय पर भी उठना है.
वन्दना बोली- नहीं मॉम, कुछ भी हो एक राउण्ड की इजाजत तो देना ही पड़ेगी.
मैंने वन्दना को अपनी गोद में खींचा और नंदा से साफ कह दिया कि सुबह उठाना मत, अपने आप आंख खुलेगी, तब उठ जाऊंगा.
नंदा ने समझ लिया कि वंदना की चूत का भोसड़ा बनने की बेला आ गई है.
उसने ओके कहा और रुचिका को अपने कमरे में ले गयी.
वन्दना के साथ उसी नंगी हालत में मैं लग गया.
मुझे वन्दना के पिछवाड़े की हालत रुचिका के जैसी करना थी.
मैंने वंदना को चार पैग पिलाए और उसे टुन्न करके उसकी गांड मारना शुरू कर दी.
वो साली पहले से गांड मराने के मूड में थी.
मगर जब मेरा लौड़ा गांड फाड़ने लगा, तब बंदी को समझ में आया कि उसने भूल कर दी है.
मैंने उसकी गांड फाड़ने के बाद उसे बिस्तर पर छोड़ा और बाथरूम जाकर लंड धोकर आ गया.
तब तक वन्दना को गहरी नींद आ चुकी थी.
अब उसे वहीं छोड़ कर नंदा के कमरे में जाना मेरी मजबूरी थी.
वन्दना की गांड से खून निकल कर बिस्तर को खराब कर चुका था.
मैं नंदा के कमरे में पहुंचा और दोनों को हिला कर देखा.
वो बहुत गहरी नींद में नंगी ही सो रही थीं.
उन दोनों के बीच जगह करके दोनों से चिपक कर सो गया.
पता नहीं सुबह पहले कौन उठी.
मैं तो दोपहर को अपने आप उठा तो बाथरूम जाकर पानी पीने की इच्छा हुई.
तब भी मैं पहले पानी के लिए आवाज लगाई.
नंदा जग और गिलास लेकर आई, पास बैठ कर पानी पीने को दिया.
पानी पीने के बाद बोली- तुम्हें पिछवाड़े में क्या मजा आता है.
मैंने बताया कि जब रुचिका ने पिछवाड़े की चुदाई की इच्छा की थी, पर तुमने आंखों से मना कर दिया था. जो लोग आगे ही करते हैं वे कभी पिछवाड़े की ओर ध्यान नहीं देते हैं. बहुत साल गुजरने पर देख कर उन्हें ये गंदा लगने लगता है. फिर एक बार गांड में लंड ले लेने के बाद स्त्री की खुद इच्छा होने लगती है.
नंदा बोली- खैर ये बताओ वन्दना ने तुम्हें स्वीकार तो किया या नहीं?
मैंने कहा- ये बात तुम ही पूछो तो ठीक रहेगा.
वो बोली- ओके पूछती हूँ. अब क्या लाऊं तुम्हारे लिए?
मैं- पीने के साथ कुछ नाश्ता भी हो तो ले आओ.
वो पंद्रह मिनट में नाश्ता बना लाई.
दो पैग पीकर नाश्ता करके मैं नहाने चला गया.
नहाते समय मैंने दरवाजा अन्दर से बंद नहीं किया था.
मैं शरीर पर साबुन लगा कर मल रहा था, तभी पीठ पर किसी औरत का हाथ आया.
वो मेरी पीठ मलने लगी.
मेरे मुँह पर साबुन लगा हुआ था, आंखें खोल नहीं सकता था.
काफी देर तक साबुन से मल मल कर मेरे जिस्म की रगड़ाई का मजा लिया. फिर मैंने शॉवर चालू किया, तो वो भी मेरे से चिपक कर नहाने लगी.
जब साबुन मुँह से उतरा और उसका चेहरा देखा, तो वो रुचिका थी.
उसे आगे खींच कर शॉवर बंद कर दिया. लंड पर साबुन लगा कर पिछवाड़े में पेल कर उसकी गांड मारने लगा.
वो आई ही इसलिए थी.
जब बहुत देर लगती देख नंदा ने रुचिका को आवाज दी, तब रुचिका ने बाथरूम से जवाब दिया- मैं नहा कर आ रही हूँ.
नंदा बोली- एक बार तो नहा चुकी थी न!
रुचिका ने कोई जवाब नहीं दिया.
तब नंदा ने आकर देखा कि उसकी पिछवाड़े की धुनाई चल रही है.
वो देख कर उल्टे पांव लौट गयी.
नंदा हॉल में आई तो वन्दना ने पूछा- क्या हुआ मॉम?
तो नंदा बोली- कुछ नहीं, तू सिर्फ आराम कर.
कुछ देर बाद हम दोनों नहा कर बाहर निकलने लगे, तो पहले मैंने रुचिका को कमरे से बाहर भेजा. बाद में मैं निकला.
कुछ देर बाद किचन में नंदा और रुचिका लंच की तैयारी में लगी हुई थीं.
मैं भी किचन में पहुंचा.
दोनों देख कर मुस्करा दीं.
तब लंच में सिर्फ रोटी बनानी बाकी रह गयी थी.
अब सोफा सैट पर एक बार फिर से महफ़िल जम गयी.
फिर सभी बातें रोक कर हम लोग लंच लेने की बात करने लगे. बातों ही बातों में दो दो पैग ज्यादा ले लिए गए थे.
फिर सभी मिल कर लंच लोया. वो तीनों बर्तन धोने जमाने चली गईं.
मैं नंदा के कमरे में जाकर नित्य की तरह कपड़े उतार कर एयर कंडीशनर चालू करके लेट गया.
दारू का नशा हो गया था, ऊपर से भोजन का नशा. बिस्तर पर लेटते ही मुझे नींद आने लगी थी.
तभी नंदा आई, उसे इस कमरे में मेरे होने का अहसास नहीं था.
रुचिका उसके साथ में थी.
जब कमरे में एसी चालू देखा, तो नंदा रुचिका से मेरे साथ लेटने का कहने लगी.
वो मुस्कुरा कर बोली- अच्छा मम्मी, आप अपने कमरे में सो जाइए. अंकल भी रेस्ट के मूड में हैं.
बस इसी तरह से मैंने अपनी बहन की जेठानी और उसकी दो जवान बेटियों के गर्म गोश्त का मजा लिया.
मेरी हॉट सेक्सी बेब चुदाई कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करें.
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