अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. यह मेरी अन्तर्वासना पर पहली चुदाई की कहानी है, जो मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूँ. पहले मैं अपना परिचय दे देता हूँ, मेरा नाम रमीज है. मेरी लंबाई 5.2 फुट है, मेरे लंड की लंबाई 6 इंच है, जो किसी चुत को चोदने के लिए एकदम परफेक्ट है.
ये बात उस समय की है, जब मैं 12 वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहा था. मैं और मेरी फूफीजान की लड़की शाफीना जो कि मुझसे एक साल छोटी है, हम दोनों साथ ही में मेरे कमरे में बैठ कर पढ़ते थे.
मेरी फूफीजान की लड़की शाफीना बहुत ही सेक्सी है और बहुत ही गोरी है. मैं हमेशा से ही उसको लाइन मारता था और शायद वो भी मुझे पसंद करती थी.
एक दिन मेरी अम्मी अब्बू और मेरा भाई मेरी नानी के घर गए. उस वक्त मैं घर में अकेला था, शाम के 7 बज गए थे. मेरी शाफीना के आने का समय हो गया था. आज मैं तैयार था कि कब वो आए और मैं उससे अपने दिल की बात करूँ.
करीब 7.15 पर वो आ गई. उसने दस्तक दी तो मैंने दरवाजा खोल दिया. आज मुझे शाफीना कुछ ज़्यादा ही खूबसूरत लग रही थी.
मैंने उसे अन्दर आने को कहा, वो अन्दर आ गई. उसने पूछा- मामीजान कहाँ गई हैं?
मैंने कहा- वो नानी के घर गई हैं. कल आएंगी. तुम आओ.
वो अन्दर आई और मेरे कमरे में जाकर मेरे पलंग पर बैठ गई. मैं कुछ देर रुका और हिम्मत बाँध कर थोड़ी देर के बाद मैं भी उसके पास जाकर पलंग पर बैठ गया. वो किताब में सर घुसाए पढ़ रही थी.
मैंने उससे कहा- मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.
तो उसने सर उठाया और कहा- कहो क्या बात करनी है?
मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ.
तो शाफीना ने चौंकते हुए कहा- ये क्या कह रहे हो?
मैंने कहा- सच.. मैं कई दिनों से ये बात कहने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं तुम अब्बू से ना कह दो, इसलिए मैंने अब तक नहीं कहा. पर आज मैंने हिम्मत करके तुमसे यह बात कह दी है. अगर तुम भी मुझे पसंद करती हो तो ‘हाँ’ नहीं तो ‘ना’ कर सकती हो, मुझे कोई ऐतराज नहीं है.
उसने भी मुस्कुरा कर कहा- पगले.. मैं भी तो तुम्हें पसंद करती थी, लेकिन मुझे भी यही डर था कि कही तुम मेरे अब्बू से ना कह दो.
उसकी यह बात सुनकर तो जैसे मुझे लाइसेन्स मिल गया हो. मैं उसके एकदम करीब होकर बैठ गया और उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया. उसने भी अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया.
मैंने धीरे से उसको एक पप्पी की, तो वह हंसने लगी. मैंने अपना एक हाथ उसके दूध पर रख दिया और धीरे-धीरे उसके मम्मे को दबाने लगा. दूध दबाते-दबाते मैंने अपना एक हाथ उसके कपड़ों में डाल दिया और उसकी चुत से खेलने लगा.
शाफीना भी मेरी इन हरकतों का मजा लेने लगी.
ऐसा करते-करते अभी 5 मिनट हुए होंगे कि वह बहुत ही गरम हो गई और मुझसे लिपट गई. अब मैंने उसे होंठों पर चूमते हुए उसके एक-एक करके सभी कपड़े उतार दिए. मेरे सामने शाफीना अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी.
मैंने भी अपना लोवर और टी-शर्ट उतार कर दूर फेंक दिया. मैं भी सिर्फ़ अपनी चड्डी में था. मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को भी निकाल दिया. जैसे ही मैंने अपनी बहन शाफीना के नंगे जिस्म को नजर भर के देखा, मैं पागल सा हो गया.
सच में वो कितनी सुंदर लग रही थी. मुझे लग रहा था जैसे मैं जन्नत की हूर के करीब होऊं.
मेरी बहन की चुत बहुत ही गोरी थी, जिस पर छोटी-छोटी झांटों के सुनहरे बाल उगे हुए थे. मैंने उसे गोद में उठा कर अपने पलंग पर चित लिटा दिया और उसकी चुत चाटने लगा. मैंने जैसे ही चुत में जीभ डाली वह मादक सिसकारियां लेने लगी और पागल सी हो गई. वो कहने लगी- मत तड़फाओ.. प्लीज़ जल्दी से डाल दो.. अह.. अपना लंड डाल दो.
मैंने अपना लंड उसकी चुत की फांकों के बीच में टिकाया और धक्का मार दिया. मगर उसकी चुत इतनी टाइट थी कि लंड फिसल गया. मुझे समझ में आ गया कि लंड इस तरह से इसकी चुत के अन्दर नहीं जा सकता है.
मैं उठा और नारियल के तेल की शीशी लेकर आ गया. मैंने उसकी चुत पर और अपने लंड पर तेल लगाया. अब मैंने अपने लंड को उसकी चुत पर लंड लगा कर एक ज़ोर का धक्का दे मारा, जिससे मेरा आधा लंड उसकी चुत में जाकर घुस गया.
लंड घुसते ही वो चिल्ला उठी- उई अम्मी मर गई.. निकालो निकालो..
पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसके मम्मों को सहलाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक और जोरदार धक्का दे मारा.
अब शाफीना रोने लगी- मर गई रे.. हाय.. फट गई मेरी.. निकाल लो प्लीज़.. जल्दी निकालो.
लंड पूरा घुस चुका था तो मैं थोड़ी देर रुका रहा और उसके मम्मों को चूमते हुए निप्पलों को चूसने लगा.
थोड़ी देर के बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने अपना काम चालू किया. अब मैं धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चुत में अन्दर-बाहर करने लगा, जिससे अब उसको भी मज़ा आने लगा. अब तो वो भी कमर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी. करीब 5 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद उसने मुझे एकदम से पकड़ लिया और निढाल हो गई. वो झड़ चुकी थी.
पर मैं अभी भी लंड से उसकी चुत की चुदाई कर रहा था. करीब दस मिनट के बाद मैं भी बहन की चुत के अन्दर झड़ गया और उसके ही ऊपर ही चित लेट गया.
कुछ मिनट के बाद जब मैं उसके ऊपर से उठा तो मैंने देखा मेरा लंड पूरी तरह से खून में भीगा हुआ है. मैं समझ गया कि मेरी बहन की सील टूट गई है. मैं उठा और बाथरूम में जाकर मैंने अपने लंड को साफ़ किया. शाफीना भी दर्द से तड़फती हुई उठी और उसने भी अपनी चुत को साफ़ किया. वो अब मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी.
मैंने उसे समझाया, फिर वो अपने घर चली गई. अब बस हम दोनों को जब भी मौका मिलता, मैं अपनी बहन की चुदाई करता हूँ, हम एक-दूसरे के साथ मज़े कर लेते हैं.
फिर एक दिन उसने मुझसे कहा- मैं एमसी से नहीं हुई हूँ.
मैंने हैरत से कहा- क्या बात कर रही हो.. कब से?
उसने कहा- जब अपन का पहली बार हुआ था.. तब से.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
मैंने उसे गोली लाकर दी और उसे बताया कि कैसे लेना है.
मुझे उम्मीद है कि मेरी अपनी बहन की चूत की चुदाई आपको पसंद आई होगी.