पेनफुल एनल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने अपनी सेक्रेटरी की गांड कैसे मारी. मैंने उसे घोड़ी बनाकर उसकी गांड में लंड टिकाया तो उसने वैसलीन लगाने को कहा.
फ्रेंड्स, मैं विराज आपको अपनी पर्सनल सेकेट्री बन चुकी रेशमा को मुंबई लाकर उसकी गांड चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पिछले भाग
प्राइवेट सेक्रेटरी की कुंवारी गांड चुदाई की तैयारी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं रेशमा को नंगी करके, उससे अपना लंड चुसवाने का मजा ले रहा था.
अब आगे पेनफुल एनल सेक्स:
मैं- चूस ले रंडी … चाट साली अपने मालिक के टट्टे बहन की लौड़ी … मेरी गांड पर अच्छी तरह से जीभ घुमा वर्ना इसी बेल्ट से बांध कर तेरी नूरानी गांड का फीता काट दूंगा.
रेशमा ने बना किसी आनाकानी के अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरे टट्टों को चाटने लगी.
बीच बीच में उसकी जीभ मुझे अपनी गांड के छेद पर भी महसूस हो रही थी.
मैं भी जानबूझ के उसका सर अपनी गांड की तरफ दबा रहा था.
मेरे जिस हाथ में बेल्ट थी, उसी हाथ से बाकी बची हुई बेल्ट को मैं रेशमा की नंगी गांड पर मारने लगा.
बेल्ट से मार खाकर रेशमा की गोरी गांड लाल होने लगी.
पर मानना होगा कि रेशमा ने उफ तक नहीं की, उल्टा वो और जोर जोर से अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर घुमाने लगी.
मुझे भी इसी तरह की रंडी को चोदना पसंद था, जो किसी गुलाम की तरफ मेरे हर जुल्म सहन कर ले और मेरे लौड़े से दिन रात चुदती रहे.
आज रेशमा के रूप में मुझे सच में एक रखैल मिल चुकी थी, पर उसके इस बर्ताव से मेरे दिल में उसके लिए इज्जत और प्यार दोनों बढ़ने लगा था.
अपनी गांड को चटवाने के बाद मैंने पैर से रेशमा को हल्के से लात मार कर धकेला तो वो पीछे जमीन पर गिर गयी पर उसके गले की बेल्ट ने उसको बचा लिया.
सोफे के ऊपर से खड़ा होकर मैं उसको बेल्ट के सहारे से खींचने लगा तो वो भी किसी कुतिया की तरह मेरे पीछे पीछे चलने लगी और मेरे इशारे से वो बिस्तर पर चढ़ कर कुतिया बन कर झुक गई.
मेरे लौड़े को भी अब चुदाई करनी थी.
रेशमा के थूक से सना हुआ लौड़ा मैंने पीछे से उसकी गांड के छेद पर लगाया और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन नीचे दबा दी.
गर्दन नीचे की तरफ झुकने के कारण उसकी गांड और ऊपर की तरफ उठ गयी और गांड का भूरा छेद मुझे आसानी से दिखने लगा.
मैं- सुन रंडी, साली मुझे अपने चूतड़ खोल कर अपनी गांड दिखा कुतिया, आज सबसे पहले तेरी इस मखमली गांड की मां चोदूंगा.
रेशमा- मालिक, कुछ लगा लो, वर्ना बड़ा दर्द होगा. आज पहली बार है वीरू जी.
रेशमा जब ये बोल रही थी, तो उसकी आंखों में एक गुज़ारिश का भाव था. जैसे वो प्यार से मुझे बुला रही हो.
मैंने भी रेशमा के प्यार को समझते हुए उसको आंखों से हामी भर दी.
गांड का छेद चिकना करने के लिए तेल लगाना ही चाहिए ताकि गुदामैथुन में मजा मिल सके.
ये बात मैंने भी बहुत बार पढ़ ली थी, पर मेरे पास तेल तो नहीं था तो मैंने रेशमा से ही पूछ लिया.
मैं- तेल तो नहीं है मेरे पास, तुम्हारे पास कुछ है क्या?
रेशमा ने बिना कुछ बोले अपने पर्स की तरफ उंगली कर दी.
मैं समझ गया कि उसके पर्स में जरूर कोई ऐसी चीज होगी, जिससे गांड का छेद खोलने में मुझे आसानी हो.
गले में बेल्ट वैसे ही रख कर मैंने उसका पर्स उठाया और उसको खोल कर उसमें तेल की शीशी ढूंढने लगा, पर मुझे तेल तो कहीं नहीं मिला.
रेशमा- वीरू जी, वैसलीन की डब्बी ले लीजिए, अभी आपका उसी से काम चल जाएगा.
रेशमा का दिमाग इस वक़्त भी बड़े शातिर तरीके से दौड़ रहा था, मानो उसको ही अपनी कुंवारी गांड को फड़वाने की जल्दी थी.
मुझे क्या … मैंने वैसलीन की डब्बी निकाली और उसका पर्स वैसे ही रखकर फिर से रेशमा के पीछे जाकर खड़ा हो गया.
मेरे पीछे आते ही रेशमा अब ख़ुद नीचे को झुक गयी और अपने दोनों हाथ से उसने अपनी मांसल गांड को छिपाए अपने चूतड़ मेरे लिए खोल दिए.
ये देख कर तो मेरा दिल बाग़-बाग़ हो गया.
मैंने भी बिना देर किए मेरे लौड़े से हलाल होने को आतुर रेशमा के गले का पट्टा फिर से अपने हाथ में लिया और दूसरे हाथ से मेरे लौड़े का सुपारा वैसलीन की डब्बी में घुसा दिया.
डिब्बी की वैसलीन से मेरे लौड़े का सुपारा पूरा भर गया और मैंने वैसे ही सारी वैसलीन बार बार लगा कर रेशमा की गांड के छेद पर लगा दी.
इस वजह से मेरा लौड़ा और रेशमा की नूरानी गांड का छेद दोनों को चिकना व्यंजन मिलता रहा.
खाली डिब्बी जमीन पर फैंक कर अब मैंने अपना लंड गांड के छेद पर रखा और रेशमा को दर्द न हो, इस हिसाब से दबाव बढ़ाने लगा.
जैसे जैसे दबाव बढ़ता गया, वैसे वैसे गांड का छेद भी खुलने लगा.
सुपारे को चारों तरफ से चूमता हुआ गांड का छेद आखिरकार हार ही गया और पक्क की आवाज के साथ पूरा सुपारा रेशमा की अनचुदी गांड में पेवस्त हो गया.
रेशमा- आआह हह वीरू जीईईई उफ अम्मी धीरे मेरे राजा … मर गई.
उसकी ये मदहोश कर देने वाली सिसकारी सुनकर मेरे लौड़े में मानो आग ही लग चुकी थी, पर रेशमा के दर्द का ध्यान रखते हुए मैंने धीरे धीरे लंड का दबाव बढ़ाना जारी रखा.
गांड का मख़मली छेद मेरे लंड को ऐसे अपना रहा था, जैसे हो खुद अपने पुराने साथी को मिलने के लिए बैचैन था.
पहली बार गांड खुलने से रेशमा को दर्द जरूर हो रहा था, पर उस दर्द में भी एक कामुकता थी, हवस थी.
इंच-इंच करके लौड़ा, गांड को फैलाते हुए अन्दर दाखिल हो रहा था.
पर अब लगभग आधा लंड घुसने से रेशमा को पीड़ा होने लगी, दर्द से बिलबिला कर उसने मुझे रोकने की कोशिश की पर मैंने उसका हाथ थाम लिया.
मैं रेशमा की पीठ सहलाते हुए बोला- डर मत मेरी जान, बस थोड़ी देर और दर्द सह ले मेरी ख़ातिर, आज तुझे सुहागरात से भी ज्यादा मजा दूंगा मेरी बुलबुल.
रेशमा ने भी मेरी बात को समझते हुए अपनी आंखें बंद कर ली और चुपचाप बिस्तर पर अपना सर रख कर लेट गयी.
उसके गले का पट्टा, जो मेरे हाथ में था, उसको मैंने छोड़ दिया और वही हाथ उसके पेट से नीचे ले गया.
चुदाई की आग में जलती उसकी फुद्दी कब से बूंद बूंद पानी छोड़ रही थी.
जैसे ही मेरा हाथ उसके उस गीली फुद्दी पर लगा, तो रेशमा के बदन में एक थरथराहट हुई.
कामुक सिसकी से पूरा कमरा गूंज उठा और मैंने झट से मेरी दो उंगलियां उस गीले गलियारे में घुसा दीं.
रेशमा बुरी तरह से सीत्कारने लगी और उसने अपने एक हाथ से मेरा हाथ थामा पर मैंने अपना काम जारी रखा.
नीचे से मेरी उंगलियां उसकी चूत को और पीछे से मेरा लंड उसकी गांड को चौड़ी करने में लगा रहा.
‘आअह अअ अहह अम्म्मीईई वीरू जीई मर गई.’
उसकी ऐसी कई सारी सिसकारियां मेरे कानों में पड़ती रहीं पर मैं बिना किसी बात की चिंता किए अपना लंड उसकी गांड में घुसाता रहा.
चूत में खेलती मेरी उंगलियों से रेशमा गर्माने लगी थी.
लंड से ही ना सही, पर उंगलियों से उसके फुद्दी की चुदाई चल रही थी और इसी का फायदा उठाते हुए मैंने एक जोर का धक्का देकर मेरा पूरा लौड़ा रेशमा के गांड में पेल दिया.
पेनफुल एनल सेक्स के कारण ‘अम्म्मी उईई जान निकल गई … आंह … रुक जाओ मेरी जान.’ बस यही एक चीख रेशमा के मुँह से निकली और वो लगभग बेहोशी की हालत में चली गयी.
लौड़े का एक इंच भी अब उसकी गांड से बाहर नहीं था.
मैंने भी अपना हाथ उसकी चूत से बिना निकाले उसके ऊपर अपना पूरा बदन दबाया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया.
रेशमा अब मेरे 85 किलो के बदन के नीचे दबी पड़ी थी.
अपनी गांड में पूरा लंड और चूत में उंगलियां लेकर रेशमा अपना होश खो बैठी थी, पर मुझे पता था कि कैसे रेशमा को फिर से गर्म करना है ताकि ये खुल कर गांड चुदवाने का मजा ले सके.
मैंने उसके कान को अपना निशाना बनाते हुए अपने मुँह में उसके कान की लौ दबा लीं और धीरे धीरे उसको चूसने लगा.
अपनी जीभ से रेशमा की गर्दन को चाटते हुए मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में फिर से नचानी चालू कर दीं.
यहां उपस्थित महिला पाठकों को अच्छे से पता होगा कि जब कोई मर्द उनकी गर्दन को चाटते हुए अगर उनकी चूत को उंगलियों से कुरेद रहा हो, तो तन बदन में कैसी आग सी लग जाती है और चूत का दाना कैसे फड़फड़ाने लगता है. एक औरत की चूत कैसे लौड़ा लौड़ा चिल्लाने लगती है.
मेरी कुछ देर की मेहनत अब वही रंग ला रही थी.
चीखने की जगह अब रेशमा धीरे धीरे सीत्कारने लगी थी और उसकी फुद्दी का बढ़ता गीलापन मैं अपनी उंगलियों पर महसूस कर पा रहा था.
रेशमा दर्द से भरी दबी आवाज में बोली- आअह हह वीरू ये क्या कर दिया साले, फाड़ दी मेरी गांड उफ्फ अम्म्मीईई प्लीज निकालो एक बार वीरू मेरी जान … बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और अब दो की जगह मैंने तीन उंगलियां उसकी पिघलती फुद्दी में घुसा दीं.
उसकी गर्दन को चूसते हुए मेरी तीनों उंगलियां धीरे धीरे उसकी चूत को चोदने लगी थीं.
बीच बीच में मैं अपनी कमर थोड़ी से ऊपर करके लौड़ा फिर से गांड के अन्दर दबाता जा रहा था.
इससे दर्द और सुख दोनों एक साथ अनुभव करते हुए रेशमा फिर से होश में आने लगी.
अपना हाथ मेरे सर पर लाकर उसने भी मुझे मेरे होंठों पर चूमना चालू कर दिया.
उसकी बढ़ती हुई सिसकारियों से मुझे भी मजा आने लगा था.
मैंने खुद को अब फिर से घुटनों के बल करते हुए रेशमा को भी फिर से कुतिया बना दिया था.
उस समय बिस्तर की चादर देख कर मुझे ख़ुशी भी हुई और बुरा भी लगा.
गांड का छेद एक ही झटके से खुलने से बुरी तरफ फट चुका था. लहू बह कर पूरी चादर लाल हुई पड़ी थी.
रेशमा की गांड का छेद तो पूरा लाल-नीला हो गया था और उस पर सूजन चढ़ चुकी थी.
मैंने रेशमा को दर्द से मुक्त करने की ठान ली और धीरे धीरे अपना लौड़ा बाहर की तरफ खींचने लगा, पर तभी रेशमा ने पीछे से अपना हाथ मेरे चूतड़ पर रखते हुए मुझे रोका.
रेशमा- कुछ मत करो वीरू जी, बस कुछ देर ऐसे ही रूक जाओ, बहुत दर्द हो रहा है. थोड़ी देर ऐसे ही रूक जाओ प्लीज़.
मैं- नीचे देखो रेशमा, लहू निकल गया तेरा, पहले निकाल कर साफ करने दो. कुछ दवाई देता हूँ, तुमको आराम मिलेगा.
शायद मेरे प्यार भरे बर्ताव से रेशमा भावुक हो गयी. उसकी आंखों से दिख रहा था कि दर्द है, पर ना जाने क्यों उसने मेरे दिल की बात मानना स्वीकार कर ली और वो मुझसे मेरे दोनों हाथ उसके हाथ में देने को बोली.
मैंने भी उसकी बात मानते हुए मेरे हाथ उसके हाथ में दे दिए.
इतने में उसने जोर से अपनी गांड पीछे धकेली और मेरा लौड़ा फिर से अपनी गांड में भर लिया.
दर्द से आंखों में जमा हुआ पानी बहने लगा, सर गद्दे में धंसाती हुई वो खुद से अपनी गांड आगे पीछे करने लगी.
इधर मेरा लौड़ा भी जोर जोर से उसकी गांड में अन्दर बाहर होने लगा.
कुछ देर तक उसने खुद अपनी गांड को चुदवाया और पूरी तरह से बर्बाद कर दिया.
पर अब उसकी ताकत जवाब दे गयी थी.
मेरा पूरा लौड़ा गांड में लिए हुई वो वैसे ही बिस्तर पर कुछ देर लेटी रही.
फिर गर्दन घुमाकर उसने मेरी तरफ देखा.
रेशमा- वीरू जी, आपके प्यार के सामने रेशमा का दर्द कुछ भी नहीं है, आज मुझे मेरी जिंदगी जी लेने दो. चोदो अपनी रेशमा की गांड, आज से मेरा बदन आपका हुआ मेरे मालिक.
मैंने भी उसकी भावना समझते हुए उसकी कमर अपने हाथ से थाम ली और धीरे धीरे उसकी गांड में लौड़ा अन्दर बाहर करने लगा.
गांड से बहता हुआ लहू मेरे लौड़े को भी लाल कर रहा था.
दर्द को रोकने के लिए रेशमा ने अब खुद अपना हाथ अपनी चूत की तरफ बढ़ा दिया और वो खुद अपनी चूत को ऊपर से सहलाने लगी.
मैं भी अपनी गति बढ़ाते हुए रेशमा की गांड की तंग सुरंग को खोलने लगा.
जैसे जैसे लौड़ा घुसकर बाहर आने लगा, वैसे वैसे अब गांड ने भी लौड़े से दोस्ती कर ली.
कुछ ही झटकों के बाद बिना कोई दिक्कत के मेरा लंड मजे से गांड की सैर करने लगा.
रेशमा को भी अपनी गांड में गुदगुदी महसूस होने लगी.
गांड में लौड़े से चुदाई और चूत की उंगलियों ने रेशमा को जल्द ही रंडी बनाने में मदद कर दी.
जोर जोर से सिसकारियां लेती हुई अब वो खुद अपनी गांड मेरे लौड़े पर पटकने लगी.
दोस्तो, रेशमा की गांड फट चुकी है और पेनफुल एनल चुदाई का मजा सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगा. आप मेरे साथ बने रहें और मुझे मेल जरूर लिखें.
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पेनफुल एनल सेक्स कहानी कहानी का अगला भाग: प्राइवेट सेक्रेटरी की कुंवारी गांड चुदाई का मजा- 3