ओपन सेक्स का मजा मैंने दिया अपनी प्राइवेट सेक्रेटरी को. उसने भी खुल कर मेरा साथ दिया और मजा लिया क्योंकि अब से पहले उसने ऐसे खुल कर सेक्स किया नहीं था.
दोस्तो, आपने मेरी पिछली सेक्स कहानी
प्राइवेट सेक्रेटरी की रसीली चूत का मजा
में पढ़ा था कि मैंने अपनी पड़ोसन रेशमा को अपने ऑफिस में काम पर रख लिया था और उसे मुंबई लाते समय ट्रेन के कूपे में ही पटक पटक कर चोदा था.
आज उसी का अगला भाग लेकर आपके सामने आया हूँ.
रेशमा को बांहों में लेकर मैं उसको चूम ही रहा था कि गाड़ी स्टेशन पर पहुंचने की घोषणा हुई.
हमने झट से अपना सब सामान समेटा और स्टेशन आने का इंतजार करने लगे.
धीरे धीरे गाड़ी स्टेशन पर रूकती चली गयी और वैसे वैसे रेशमा के चेहरे की मुस्कान और बढ़ने लगी.
जिंदगी में पहली बार आज रेशमा खुलकर जिंदगी के मजे ले रही थी.
मेरा हाथ अपने हाथों में लिए वो ट्रेन से ऐसे उतरी जैसे कोई औरत अपने पति का हाथ थाम कर चलती है.
स्टेशन से बाहर आकर हमने टैक्सी पकड़ ली और उसी होटल में जा रूके, जहां हमने अपने चार दिनों के लिए कमरा बुक किया था.
कमरे की चाबी लेकर मैं रेशमा के पीछे पीछे चल रहा था.
उसकी उभरी हुई गांड मुझे मदमस्त कर रही थी जिसे मैं ट्रेन के कूपे में चोद नहीं पाया था.
उसकी मटकती गांड देख कर मेरा लौड़ा फ़िर से गर्माने लगा था.
कमरे को खोल के जैसे ही हम दोनों अन्दर गए, मैंने रेशमा को फिर से अपने गले से लगा लिया और उसको लेकर बेड पर लेट गया.
रेशमा ने भी मुझसे गले लगते हुए मुझे चूमना चालू कर दिया.
रेशमा खुल कर मजे लेने के मूड में दिखाई दे रही थी.
और इसी मदहोशी भरे पल में कब हमारे कपड़े उतर गए, हमको पता ही नहीं चला.
रेशमा के मम्मों को दोनों हाथों से कसके दबाते हुए मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ सरका दी और उसकी जीभ भी अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
धीरे धीरे नीचे सरकते हुए मैंने उसकी दोनों चूचियां बारी-बारी से चूसनी चालू कर दीं.
मेरी जीभ के स्पर्श से उसके फूलते हुए चूचुक देख कर मुझे आभास हो गया था कि रेशमा भी मेरे लौड़े से खुलकर चुदवाने के लिए तैयार है.
मुझे तो अब मेरा बचा हुआ काम करना था, रेशमा की फूली हुई गद्देदार गांड का सुनहरा छेद मेरी आंखों के सामने आ रहा था.
मैंने भी झट से नीचे जाते हुए मेरी जीभ से उसकी फुद्दी में लगा दी और चूत चूसनी चालू कर दी.
जल्द से जल्द मुझे रेशमा को चुदाई के सर्वोच्च शिखर पर ले जाना था, उसको मजबूर करना था कि वो मेरे लौड़े से अपनी गांड का उद्घाटन करवाने के लिए तड़प उठे.
रेशमा के सामने बैठ कर मैंने उसकी दोनों जांघें खोल दीं और बिना देर किए अपना मुँह उसकी संगमरमरी जांघों के बीच में ले गया.
एक हाथ से चूत की पंखुड़ियां खोलते हुए मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के दाने पर फ़िराना चालू कर दिया.
रेशमा ओपन सेक्स का मजा लेती हुई बोली- आअह हह वीरूउउ जीईईई इस्स चाटो मेरे शेर, खा जाओ अपने रंडी की चूत … आज तो मैं ख़ुद आपको सड़कछाप रांड बनकर दिखाऊंगी मेरे बलमा जी … उफ्फ मेरी फुद्दी की खुजली मिटा दो मेरे सनम!
रेशमा के मुँह से सड़क छाप रंडियों वाली भाषा सुनकर मुझे भी अब पक्का यकीन हो गया कि ये आज सच में किसी दो कौड़ी की लावारिस सड़कछाप कुतिया की तरह चुदने के लिए तड़प रही है.
मैंने भी पूरा जोर लगा कर मेरा मुँह और उसके फुद्दी पर दबाव दे दिया और पूरी जीभ उसके गीली चूत में घुसाकर चूतरस का मजा लेने लगा.
रेशमा ने मेरे बालों को पकड़ कर मेरा मुँह और जोर से अपनी चूत पर दबा दिया.
मैं कभी पूरी जीभ, तो कभी दो उंगलियां उसकी गीली फुद्दी में घुसाकर रेशमा को रंडी बनने में मदद करने लगा.
मेरी उंगलियां और मुँह जल्द ही उसकी चुतरस से भीगने लगे थे और आखिरकार मेरी मेहनत रंग लायी.
अपनी पूरी गांड ऊपर उठाते हुए रेशमा ने मेरा मुँह कसकर अपनी फुद्दी पर दबा दिया और जोर से चिल्लाती हुई झड़ने लगी.
उसने अपनी चूत का सारा पानी मेरे मुँह में भर दिया.
करीब पचास सेकंड तक रेशमा ऐसे ही गांड ऊपर करके मेरे मुँह में अपनी चूत अड़ाए रही और अपना माल पिलाती रही.
उसका थरथराता हुआ बदन भी ये साबित कर रहा था कि औरत की झड़ने की ताकत क्या होती है.
रेशमा की नूरानी फुद्दी का रस पीने के बाद मैंने अपना मुँह उसकी चूत से बाजू किया और आंखें बंद करके लेटी रेशमा को देखने लगा.
माथे पर पसीने की कुछ बूंदें उसकी जवानी की सुंदरता को और बढ़ा रही थीं.
उसने भी हल्के से आंखें खोल कर मुझे देखा और अपना थका हुआ शरीर उठाते हुए उसने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया.
फिर मेरे सीने पर हाथ घुमाते हुए मेरा सीना चूमने लगी.
मेरे निप्पल पर घूमती उसकी जीभ की चमक सीधे मेरे लौड़े की तरफ बढ़ने लगी थी.
रेशमा का नंगा बदन मेरे नंगे बदन पर रगड़ रगड़ कर फिर से मेरे लौड़े में जान फूंक रहा था.
रेशमा ने भी झट से मेरे फूलते हुए लौड़े को अपने मुट्ठी में भर लिया और उसकी चमड़ी पीछे करके सुपारे पर अपना अंगूठा घिसने लगी.
दोनों तरफ से हो रहे हमले से मेरा लौड़ा भी झट से चुदाई की लड़ाई के लिए खड़ा होने लगा.
मेरे निप्पल चूस रही रेशमा का सर पकड़ कर मैंने अपने नीचे धकेलना चालू किया तो उसे भी समझ आ गया कि मैं क्या चाहता हूँ.
मेरे सीने को चूमती हुई वो अपना मुँह मेरे लंड की तरह ले गयी. मेरे लौड़े की फूलती नसें देख कर वो उसे प्यार से देखने लगी. फिर अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसने सबसे पहले मेरे सुपारे को सहलाना चालू किया और धीरे धीरे अपना मुँह खोलते हुए आधा लौड़ा मुँह में भर लिया.
आहें भरने की बारी अब मेरी थी.
‘आअहह हम्म्म्म …’ जैसी आवाजें मेरे मुँह से निकलने लगीं और रेशमा के बाल मुट्ठी में भरकर मैंने उसका मुँह मेरे लौड़े पर दबाना चालू कर दिया.
धीरे धीरे मेरा पूरा लौड़ा उसके गले तक दस्तक देने लगा था और रेशमा की सांस फूलने लगी थी.
उसने भी एक हाथ से मेरा हाथ अपने सर से झटक दिया और लंड को मुँह से बाहर निकाल दिया.
जोर जोर से सांसें लेती हुई वो फिर से मुझे गुस्से से घूरने लगी. उसकी आंखों में पानी तैर रहा था और मुँह से लार टपक रही थी.
मैंने भी गुस्से से पूछा- क्यों मेरी रांड? मजा आया असली लौड़ा लेकर? कुतिया साली बड़ी आयी थी रांड बनने.
रेशमा हल्के से मुस्कुराती हुई बोली- इतना बड़ा मूसल लेकर घूम रहे हो और ऊपर से एक साथ पूरा घुसा दिया मेरे मुँह में … बेशर्म कहीं के?
मैं- तो बहन की लौड़ी … तुझे ही रांड बनने का शौक है ना? चल अब चूस … देख साली तेरी चूत का भोसड़ा बनाने के लिए कैसे खड़ा है मेरी रेशमा रंडी.
मेरे उकसाने पर रेशमा ने फिर से मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और एक ही बार में पूरा लौड़ा गले तक लेकर चूसने लगी.
उसके खुले बाल बिखर चुके थे.
जोर जोर से लौड़ा चूसने से उसकी आंखों का पानी काजल को बहा कर गालों तक ला रहा था और उसकी लार से मेरा लंड फिर से चमक उठा था.
मैंने फिर से उसके बाल पकड़ कर अपनी कमर ऊपर उठाया और उसका मुँह चोदना चालू कर दिया.
मेरे हिलते हुए टट्टे उसकी ठुड्डी पर लग रहे थे पर रेशमा तो आज खुद हलाल होने का इरादा बना चुकी थी.
उसका जोश देख कर मैं भी उसको गाली देने लगा.
जानबूझ कर उससे कहने लगा कि वो रंडी की तरह नहीं बन सकती.
क्यूंकि मुझे पता था कि रेशमा को मेरा ऐसा उकसाना आज उसको अपनी सारी हदें पार करवा कर ही रहेगा.
मैं- हां साली, तू कितनी भी कोशिश कर ले छिनाल, पर तेरे से अच्छा तो मेरा लौड़ा मेरी नौकरानी चूसती है. उस हिजड़े की लुल्ली चूसते चूसते तुझे पता ही नहीं है कि लौड़े को चूसना किसे कहते हैं.
रेशमा- चुप करो बदमाश, उस सुअर का नाम लेकर क्यों मजा ख़राब कर रहे हो? ऐसे लौड़े को चूसने के लिए तो मैं इतने दिन से तड़प रही थी मेरे राजा जी, अब देखो कैसे आपको मजा दिलाती हूँ.
रेशमा ने भी जोश में आकर मेरे दोनों पैर पकड़ कर मुझे बिस्तर के कोने तक घसीटा और लगभग खड़ा कर दिया.
अगले ही वो ख़ुद घुटनों पर बैठ कर मेरे लौड़े को जोर जोर से हिलाने लगी.
मेरे लौड़े पर थूकते हुए उसने फिर से सुपारा अपने मुँह में भर लिया और अपनी खुरदरी जीभ से सुपारे को चूसने लगी.
एक हाथ से लंड और दूसरे हाथ से मेरे टट्टे सहलाते हुए रेशमा की जीभ मेरे सुपारे की जबरदस्त तरीके से मालिश करने लगी.
ना चाहते हुए भी अब मेरे मुँह से आहें निकलने लगीं.
रेशमा के सर के बाल पकड़ कर मैंने आंखें बंद कर लीं और उस सुखद पल का मजा लेने में मगन हो गया.
मैं- आअहह मेरी रांड, साली चूस ऐसे ही अपने मालिक का लौड़ा … छिनाल हम्म्म आअह रेशु मेरी जान … आंह.
काफी देर तक रेशमा मेरे लौड़े को पूरे गले तक लेकर चूसती रही थी.
उसकी लार नीचे टपकते हुए उसकी चूचियों को भी गीला करने लगी थी पर रेशमा ने किसी भी चीज की तरफ ध्यान ना देते हुए पूरे लगन से मेरे लौड़े को चूसना जारी रखा.
मैंने उसके बाल और ज्यादा खींच कर उसका सर पीछे की तरफ करके अपना लौड़ा उसके मुँह से बाहर निकाल लिया.
अगले ही पल मैंने फिर से उसका मुँह अपने काले टट्टों पर दबा दिया.
रेशमा को पता चल गया कि मैं क्या चाहता हूँ.
उसने अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे टट्टों को चाटना चालू कर दिया.
वो बड़े कामुक अंदाज से धीरे धीरे से कभी दायां तो कभी बांया गोटा मुँह में लेकर चूसने लगी थी; साथ में मेरी आंखों में आंखें डाल कर मुझे रंडी की तरह देख रही थी.
आअहह मेरी आहें तो रूकने का नाम ही नहीं ले रही थीं.
एक गदरायी हुई जवान औरत के मुँह से अपने लौड़े और गोटों को चुसवाना किसे पसंद नहीं होगा.
मैं भी रेशमा के इस प्यार को अपने दिल में समाए जा रहा था.
आंखें खोल कर मैंने एक बार रेशमा को देखा, तो पता चला कि वो भी एक हाथ से अपनी चूत में दो उंगलियां घुसा रही थी.
उसका अंगूठा उसकी चूत के दाने को रगड़ रहा था.
मुझे ये समझते देर नहीं लगी कि रेशमा चुदवाने के लिए अब तड़प रही है.
पर आज मुझे उसकी चूत से ज्यादा उसकी मांसल गांड का मजा लेना था तो मैं चुपचाप उसको देख कर मजे ले रहा था.
मैं- आह बहनचोदी, अब तक किस किस के लौड़े चूसे है तूने रंडी, आंह बड़ा मजा दे रही है कुतिया.
मेरी बातों को सुनकर उसने और जोर से मेरे टट्टों को चूसना चालू कर दिया और साथ में मेरे लौड़े की मुठ मारती रही.
उसकी ऐसी हालत को देख कर मुझे उसको और तड़पाने का मन किया.
रेशमा का सर अपने गोटों से हटा कर मैं खुद सामने लगे सोफे पर जाकर बैठ गया और रेशमा वैसे ही बिस्तर के किनारे बैठ कर मुझे घूरने लगी.
उसकी आंखों में देख कर मुझे पता चल ही चुका था कि ये रंडी अब मेरे इशारों पर नाचने के लिए तैयार है.
मैं- क्या देख रही है कुतिया, चल ऐसे ही घुटनों पर रेंगती हुई मेरे पास आ जा और बता अपने मालिक को कि क्या चाहिए तुझे?
रेशमा भी चुदने के लिए बेहद तड़प रही थी.
मेरे कहने पर वो सच में किसी गुलाम की तरह घुटनों पर रेंगती हुई मेरे पास आने लगी और मैं उस नंगी रांड रेशमा को देख कर और गर्माने लगा.
रेशमा जैसे ही मेरे पास आने को हुई तो मैंने झट से उठ कर मेरी पैंट उठायी और उसका बेल्ट निकाल कर फिर से सोफे पर बैठ गया.
रेशमा तब तक सोफे के सामने आकर घुटनों पर बैठ कर मेरा इंतजार कर रही थी.
सोफे पर नंगे बैठे बैठे मैंने वो बेल्ट रेशमा के गले में डाल दी और बेल्ट खींच कर उसका मुँह फिर से मेरे लौड़े के पास कर दिया.
अपनी दोनों टांगें उठा कर मैंने रेशमा के कधों पर रख दीं और एक हाथ से उसका सर अपने गोटों पर दबा दिया.
दोस्तो, आपको रेशमा की गांड के ओपन सेक्स का मजा अगले भाग में मिलेगा. तब तक आप मुझे अपने विचार लिखें.
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ओपन सेक्स का मजा कहानी का अगला भाग: प्राइवेट सेक्रेटरी की कुंवारी गांड चुदाई का मजा- 2