दोस्तो, कैसे हो.. आप सबको मेरा प्रणाम.. मेरा नाम सन्नी है.. मैं गुजरात का रहने वाला हूँ।
मैं आप सभी के लिए अपनी एक नई कहानी लिख रहा हूँ.. अगर पसन्द आए तो ढेर सारा प्यार देना।
दोस्तो, यह मेरा पहला अनुभव है।
मैं 28 साल का हूँ मेरा शरीर एकदम गोरा और आकर्षक है और मेरा लंड औसत से काफी बड़ा भी है। मैं एक टेलीफोन कम्पनी में जॉब करता हूँ.. इस दौरान मुझे रोज अपनी गाड़ी लेकर एक गाँव जाना होता है जो हमारे शहर से 20 किमी दूर था।
एक दिन मैं अपनी बाइक लेकर कंपनी के काम के सिलसिले में गांव जा रहा था.. उस गांव में जाने के लिए बस या ऑटो रिक्शा आदि नहीं मिलता है।
मैं मस्ती में चला जा रहा था कि रास्ते में मुझे एक 45-46 साल की आंटी दिखीं। उन आंटी ने अपना हाथ ऊपर करके मुझे आवाज दी और मैं रुक गया।
मैंने बोला- जी कहिए क्या काम है?
तो वो मुझसे निवेदन करते हुए बोलीं- मुझे आगे के गांव तक छोड़ देंगे?
मैंने तुरंत ही हामी भर दी और वो मेरे पीछे बैठ गईं और हम दोनों चल पड़े।
उनसे बाद में बातचीत से मालूम हुआ था कि वो एक स्कूल टीचर थीं.. और वो भी उसी गांव में पढ़ाने जा रही थीं।
गाँव का रास्ता बहुत ही खराब था.. जैसे ही मैं स्पीड में बाइक चलाने लगता.. तभी कोई गड्डा आ जाता, तो मुझे जोर से ब्रेक मारना पड़ता था। इस वजह से आंटी मुझसे टकरा जातीं और उनके चूचे मुझे छू जाते। उनकी चूचियों की रगड़ से की वजह से मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
बीच-बीच में हम दोनों बात भी कर रहे थे।
‘आप क्या करती हो..? कहाँ रहती हो?
उन्होंने कहा- मैं एक टीचर हूँ और पास के शहर में रहती हूँ।
वो मेरे ही शहर में रहती थीं।
मैंने जब उनके परिवार के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- मेरा एक बेटा है और एक बेटी है.. उन दोनों की शादी हो चुकी है। उनकी बातों से जानकारी मिली कि उनकी बेटी अपनी ससुराल में है और बेटा मेरे साथ रहता है। उसका बेटा उसे रोज छोड़ने आता है.. पर आज उसे काम के वजह से कहीं जाना था, तो वो नहीं आ पाया।
ऐसे ही हम दोनों बात कर रहे थे, वो बीच-बीच में अपने मम्मों को मेरे पीछे दबा रही थीं।
मैंने उनसे पूछा- आपके पति क्या करते हैं?
उन्होंने बोला- वो अब इस दुनिया में नहीं रहे.. पांच साल पहले गुजर गए हैं।
मैंने कहा- आई एम सो सॉरी.. मुझे पता नहीं था।
तो उन्होंने बोला- कोई बात नहीं..
ऐसे ही हम चलते रहे और उन्होंने मेरे बारे में जानना चाहा तो मैंने उन्हें बताया- मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। मैं हर रोज काम के कारण इस गांव में जाता हूँ.. अगर आपको कोई दिक्कत ना हो.. तो मैं रोज आपको अपने साथ लेकर जा सकता हूँ।
तो उन्होंने ‘हाँ’ बोलते हुए अपना मोबाईल नंबर और पता आदि मुझे दिया कि वो कहाँ से आती हैं।
अब मैंने उन्हें रोज अपने साथ बाइक पर लाने ले जाने का जिम्मा ले लिया।
उन्होंने भी हामी भरते हुए कह दिया- मैं आपका इंतज़ार करूँगी।
ऐसे ही बातों-बातों में गांव आ गया और उन्हें छोड़ कर मैं अपने काम पर लग गया।
उन्हें छोड़ने के बाद मुझे उनके चूचों की रगड़ का मस्त अहसास फिर से गरम करने लगा और अब मुझे दूसरे दिन का इंतज़ार होने लगा था कि कब वो आएंगी।
मैं अपने कमरे में अकेला ही रहता हूँ.. सारी रात मुझे नींद नहीं आई और ऐसे ही सुबह हो गई। सुबह मैं जल्दी उठा और नहा कर ऑफिस के लिए निकल गया।
ऑफिस से मुझे उसी गांव जाना था, मैं ऑफिस से फुर्सत होकर उधर के लिए चल पड़ा।
आंटी ने मुझे जो समय और जगह बताई थी.. उसी जगह पर मैं आंटी की राह देखने लगा। घड़ी में 9-30 हुआ था.. आंटी ने मुझे उसी समय आने को कहा था। करीब 5-7 मिनट हुए कि आंटी मुझे दिखाई दीं।
आंटी ने भी मुझे देख लिया, वे मुस्कुराते हुए मेरे पास आईं।
मैंने उन्हें ‘हैलो..’ बोला और पूछा- चलें?
वो मुझे ‘हाँ’ बोल कर मेरी बाइक पर बैठ गईं और हम रोज ऐसे ही मिलते रहे।
हम रोज साथ जाते हुए बातें करने लगे, फिर कभी आने में देर होने पर फोन पर भी बातें होने लगीं, साथ ही कुछ और बातें भी होने लगीं। हमारे रोज मिलने से ही हम दोनों में अच्छा परिचय हो गया था।
अब उनको भी मेरे साथ मजा आने लगा था, हल्का-फुल्का मजाक भी होने लगा था।
एक दिन आंटी ने मुझसे कहा- आज मेरे घर पर मेरा बेटा नहीं है.. वो अपनी पत्नी को लेकर अपने ससुराल गया है। वो रात को वहीं रुकने वाला है और मैं घर में अकेली बोर हो जाऊंगी.. अगर तुम फ्री हो तो आज मेरे घर पे आओगे.. खाना भी मेरे साथ खा लेना!
तो मैंने उन्हें ‘हाँ’ कह दिया और मैंने अपने ऑफिस से आकर कमरे पर अपना थोड़ा बहुत काम पूरा किया, फिर उनके घर पर चला गया।
मैंने आंटी के दरवाजे की बेल बजाई ही थी कि उन्होंने तुरंत ही दरवाजा खोल दिया, मुझे यूं लगा.. जैसे वो मेरी ही राह देख रही हों।
मैं उनके घर में अन्दर गया.. वो मुझे ड्राइंगरूम में सोफे पर बिठा कर पानी लेने रसोई में चली गईं। उस वक्त उन्होंने काले रंग की नाइटी पहनी हुई थी।
वो पानी लेकर आईं.. पानी पीकर उन्होंने मुझसे कहा- पहले खाना खाओगे कि चाय पीनी है?
मैंने कहा- चाय नहीं पीनी.. खाना ही खा लूँगा।
उसके बाद हम दोनों ने एक साथ खाना खाया.. खाना खाकर वो रसोई में चली गईं। सब काम से फ्री होकर वापिस आई और सोफे पर बैठ कर इधर-उधर की बातें करने लगीं।
वो मुझसे अपने पति के बारे में बात करने लगीं और रोते हुए कहने लगीं- मेरे पति के जाने के बाद मैं बहुत अकेली हो गई हूँ।
उन्हें रोते देख कर मैं उठ कर उनके पास को होकर उनके आंसू पोंछने लगा और कहने लगा- आप चिंता मत करो.. मैं हूँ न.. आप अपने आपको कभी अकेला मत समझना!
यह कहते हुए मैंने उनके गालों पर हाथ रख कर उन्हें गाल पर चूम लिया।
उन्होंने कहा- ये क्या कर रहे हो?
तो मैंने बोला- आपका अकेलापन दूर कर रहा हूँ!
वो मेरे करीब हो गईं और उन्होंने मुझे नजर भर कर देखते हुए अपनी बांहों में भर लिया। मैंने उन्हें सीने से लगा कर सोफे पर ही लिटा दिया और उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। वो भी इसमें मेरा साथ देने लगीं और मुझे जोर-जोर से चुम्बन करने लगीं। उनके चूमने के अंदाज से लग रहा था जैसे वे कई सालों से प्यासी हों।
अब मैं एक हाथ से उनके मम्मों को दबाने लगा.. मैंने महसूस किया कि उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने नाइटी के ऊपर के दो बटन खोल कर उनके भारी-भारी चूचे बाहर निकाले और उनसे खेलने लगा।
मैंने अपने होंठ को उनके निप्पल पर फिराना शुरू कर दिया। इससे उत्तेजित होकर उन्होंने जोर से मेरा सर पकड़ कर चूचों पर दबा लिया। मैं उनके मम्मों को चूसने लगा था.. वो ‘आहें..’ भर रही थीं।
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उनका हाथ कभी मेरी जाँघों तक चला जाता था। मैंने अपनी चैन खोली और लंड उनके हाथों में पकड़ा दिया.. तो वो मेरे लंड से खेलने लगीं।
मैंने अपना हाथ उनकी दोनों टांगों के बीच में डाल दिया तो वो ‘अहहह..’ करने लगीं। उसकी चुत कई दिनों से चुदी न होने के कारण काफी टाइट थी। मैं उनकी चुत में उंगली जोर-जोर से घुमाने लगा तो उन्हें मजा आने लगा। मैंने बैठते हुए उनका सर पकड़ कर अपने लंड के पास ले गया।
वो समझ गईं कि लंड चूसने के लिए सर नीचे किया है तो एक बार उन्होंने लंड चूसने से मना किया.. पर मेरे दूसरी बार कहने पर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। वो तो पहले धीरे-धीरे लंड चूम रही थीं.. पर अब वो अच्छे से मुँह में पूरा लंड ले कर चूसने लगी थीं। उनको लंड चुसाई में मजा आने लगा था।
मैंने अपनी स्थिति बदली.. उनका सर अपने पैरों की तरफ और मैं उनके पैरों की तरफ यानि 69 में होकर अपना सर उनकी चुत पर.. और मेरा लंड उनके मुँह में देकर पोजीशन बना ली। मैंने उनकी टांगों को फैलाया और अपना मुँह उनकी चुत पर रख दिया, उन्होंने कस कर मेरे चूतड़ों को अपनी बांहों में भर लिया था। मैंने भी उनकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.. वो कामुकता से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर रही थीं, उन्हें चुत चुसवाने में मजा आ रहा था.. वो मेरे लंड को भी जोर-जोर से चूस रही थीं।
अब वो बहुत गर्म हो चुकी थीं.. मुझसे बोलीं- अब मत सताओ.. अपना लंड मेरी चुत में डाल दो..!
मैं अभी और मजा लेना चाहता था.. पर उनके बार-बार कहने पर मैं उन्हें बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर लेटा दिया और उनकी टांगों के बीच में बैठ गया। मैंने उसकी दोनों टांगें ऊपर उठाईं.. और उनकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया, जिससे आंटी की चुत सामने लंड के लिए मुँह खोल कर पड़ी दिखने लगी।
मैं अपने लंड पर निरोध लगाने लगा और इसके बाद लंड को उनकी चुत के मुँह पर रख कर जोर लगाया तो मेरा लंड थोड़ा सा अन्दर चला गया।
वो चिल्लाईं- ओह्ह.. आराम से करो.. दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- ठीक है.. पर थोड़ा सहन करना पड़ेगा।
मैंने फिर से धक्का लगाया और पूरा लंड उनकी चुत में पेल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
अब वो लंड लीलते हुए कामुकता से बोले जा रही थीं- अहह अहह..
और मैं अपनी मस्ती में उनकी चुत में धक्के लगाए जा रहा था।
वो मेरा साथ देते हुए मादकता से बोले जा रही थीं- आह्ह.. सनी मेरी चुत को जरा और जोर से चोदो.. आज बहुत दिनों के बाद इसकी प्यास बुझी है।
मैं जोर-जोर से धक्का लगाए जा रहा था और वो बोले जा रही थीं- और जोर से चोदो सनी.. और जोर से.. सनी आह्ह.. मैं झड़ने वाली हूँ।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. दो-चार धक्के और लगाए होंगे कि वो झड़ चुकी थीं.. पर मैं अभी बाकी था।
मैं अब भी धकापेल चुदाई में लगा हुआ था। करीब 30 मिनट के बाद मुझे लगा कि मेरा काम भी होने वाला है तो मैंने 4-5 बमपिलाट शॉट मारे और उनके ऊपर गिर पड़ा, उन्होंने मुझे जोर से अपनी बांहों में भर लिया।
कुछ देर इस तरह पड़े रहने के बाद हम दोनों अलग हो गए। उसके बाद हमने एक-दूसरे को साफ किया। उन्होंने मेरा लंड चाट कर और मैंने उनकी चुत को चाट कर साफ़ किया।
इस तरह उस रात हम दोनों ने चार बार चुदाई का मजा लिया। सुबह मैं उनको लेकर अपने काम पर वापिस गाँव जाने लगा।
हम लोग आज भी चूत चुदाई का मजा ले रहे हैं.. मैंने हर तरीके से उनको चोदा है.. उनकी गांड भी मारी है।
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